ओम् शान्ति
     20-12-15      मधुबन

पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस के लिए विशेष सूचनायें:-

1- पूरे जनवरी मास के लिए डबल लाइट स्थिति तथा सम्पन्न वा सम्पूर्ण स्थिति का अनुभव करने के लिए 31 प्वाइंटस जनवरी मास की हर मुरली के नीचे लिखी जा रही हैं, जो क्लास रूम में बोर्ड पर लिखकर लगानी हैं और रोज उसी स्वरूप में स्थित रहने वा मनन-चिंतन कर उसका स्वरूप बनने की प्रेरणा देनी है। टीचर्स बहिनें रोज की स्थिति पर विशेष मनन चिंतन कर अपना अनुभव सबको सुनायें। संगठित रूप में विशेष सप्ताह में एकदिन अव्यक्त स्थिति के अनुभवों पर लेन-देन करें।

2- जनवरी मास के पत्र पुष्प के साथ ब्रह्मा बाबा के 31 कदम, जिन्हें हर ब्रह्मा वत्स को फालो करना है, वह भेजेजा रहे हैं, आप रोज एक कदम क्लास में पढ़कर सुनायें, सभी उसी कदम पर कदम रखने का अटेन्शन रखें।

3- इस अव्यक्त मास में हर एक अपनी स्व-स्थिति को अच्छे से अच्छा बनाने के लिए विशेष अन्तर्मुखी रहे। एकान्तवासी बनें। मन और मुख के मौन से अनुभवों की गहराई में जाएं। संकल्प बोल और समय की विशेष इकॉनामी करके जमा के खाते को बढ़ायें।

4- डबल लाइट वा फरिश्ता स्थिति क्या है, उस स्वरूप का अनुभव करें और उड़ती कला द्वारा अव्यक्त वतनकी विशेष सैर करें। पूरा ही जनवरी मास विशेष अमृतवेले 4 बजे से 4.45 तक शक्तिशाली योग अभ्यास संगठित रूप में अथवा व्यक्तिगत रूप में अवश्य करें।

5- विशेष स्मृति दिवस के निमित्त प्यारे बापदादा की मधुर शिक्षाओं भरी अति गुह्य और रमणीक साकार और अव्यक्त महावाक्यों की मुरली आप सबके पास भेजी गई है, उसे विशेष एकाग्रचित होकर सुनें और पढ़े, और उसे सारा दिन अभ्यास में लायें।

6- 18 जनवरी 2016 सोमवार के दिन को “विश्व शान्ति दिवस” के रूप में मनाया जाए। सभी अपने-अपने लौकिक कार्य-व्यवहार से छुट्टी लेकर अव्यक्त वतन की सैर करें, अमृतवेले से शाम तक विशेष योग तपस्या करें। मुरली क्लास के पश्चात सेवाकेन्द्र पर ही सभी हल्का नाश्ता (फल दूध) लेकर योग भट्टी करें। दोपहर के समय अपने-अपने स्थानों पर जा सकते हैं। शाम के समय जहाँ डायरेक्ट अव्यक्त महावाक्य साइंस के साधनों द्वारा सुनते हैं वहाँ सुनें, अगर प्रबन्ध नहीं है तो दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा बापदादा की सकाश को कैच करें। विशेष योग तपस्या करें।

7- 21 जनवरी 2016 तक किसी भी एक दिन बापदादा के जीवन चरित्र पर, सार्वजनिक कार्यक्रम रख सकते हैं। जिसमें साकार बाबा की शिक्षायें, उनसे मिली हुई दिव्य पालना का अनुभव कोई न कोई भाई बहिन सुनायें सम्बन्ध-सम्पर्क वाले भाई बहिनों को भी इस अव्यक्त दिवस की अनुभूति के लिए विशेष आमन्त्रित करें तथा उन्हें अलौकिक दिव्य वातावरण तथा बापदादा के दिव्य कर्तव्यों से अवगत करायें।

8- बापदादा की जीवन से सम्बन्धित लेख समाचार पत्रों में प्रकाशित करवायें जायें तथा टी.वी. रेडियों द्वारा भी इसका प्रसारण हो जिससे अनेक आत्माओं को दिव्य सन्देश मिल सके। बाबा के जीवन चरित्र की वी.सी.डी. केबल टी.वी द्वारा प्रसारित करवाई जाए।

9- पिताश्री जी के निमित्त जो सार्वजनिक कार्यक्रम हेतु पर्चे छपवायें, उसमें निम्नलिखित मैटर यूज कर सकते हैं। अखबार में भी यह आमन्त्रण छपवा सकते हैं अथवा यह पर्चा अलग से छपवाकर अखबार के साथ डलवा सकते हैं।


पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस निमित्त आमंत्रण

इस घूमते हुए कालचक्र में एक ऐसा भी समय आता है जब यह मानव सृष्टि अपनी तमोप्रधान अवस्था में पहुंचती है, मानव आत्मायें विकारों में ग्रस्त होने कारण दु:ख दर्द से पीड़ित होकर अपनेसुख कर्ता, दु:ख हर्ता पिता परमात्मा को पुकारने लगती हैं, उनकी पुकार सुनकर परमधाम निवासी निराकार परमपिता परमात्मा इस साकार जगत में, साकारी तन में अवतरित हो इस कलियुगी सृष्टि को सतयुगी सृष्टि में परिवर्तन करने का महान कार्य करते हैं।

इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए निराकार परमपिता परमात्मा शिव जिस अनुभवी, उदार और पावन आत्मा के तन में प्रवेश करते हैं, उसे ही वे “प्रजापिता ब्रह्मा” नाम देते हैं। उनका पहला नामदादा लेखराज था, वे हीरे जवाहरात के प्रसिद्ध व्यापारी थे। 1936 में जब परमात्मा पिता उनके तनमें प्रविष्ट हुए, तब से वे लौकिक सम्बन्ध और जान-पहचान से उपराम हो पूर्णतया शिव समर्पण हो गये। लौकिक दुनिया में दादा लेखराज के रूप में उनका जो भी कुछ था वह सब सिमट गया और रचयिता ब्रह्मा के रूप में अर्थात् भगवान के साथ नई सृष्टि रचने वाले सहयोगी के रूप में उनका नया ईश्वरीय कारोबार प्रारम्भ हो गया।

साकार सृष्टि के आदि रचयिता ब्रह्मा बाबा आदि देव हैं, प्रथम ब्राह्मण और प्रथम पुरूष हैं, नई सृष्टि की पहली कलम हैं, भगवान के प्रथम पुत्र और सृष्टि के अग्रज, पूर्वज और पितामह हैं। भगवान के बाद सृष्टि रंगमंच के सबसे महत्वपूर्ण रंगकर्मा हैं लेकिन फिर भी बिल्कुल गुप्त हैं। उन्होंने अपने त्याग, तपस्या के बल से ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा पूरे मानव जाति में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार करके उन्हें चरित्रवान मनुष्य से देवता बनाने की अथक सेवायें प्रदान की। वे अपनी 93 वर्ष की आयु में 18 जनवरी 1969 को भौतिक देह का त्याग करके अव्यक्त वतनवासी बनें, तब से अब तक अव्यक्त रूप में अपनी दिव्य प्रेरणाओं से ब्रह्मा वत्सों का मार्गदर्शन करते रहते हैं। विश्व ग्लोब के 140 देशों में 9 लाख से भी अधिक ब्रह्माकुमार कुमारियां जनवरी मास को विशेष वरदानी मास के रूप में मनाते हैं। उनकी पुण्य तिथि 18 जनवरी को “विश्व शान्ति दिवस” के रूपमें मनाया जाता है। इस अवसर पर आप उनके दिव्य चरित्रों से लाभान्वित होने के लिए ब्रह्माकुमारीज के सेवाकेन्द्र पर सहर्ष आमन्त्रित हैं।

ईश्वरीय सेवा में,

ब्रह्माकुमार/ब्रह्माकुमारियां