ओम्
शान्ति मधुबन
18
जनवरी 2018, प्यारे बापदादा के स्मृति दिवस प्रति विशेष याद-पत्र
21
दिन के पुरूषार्थ के लिए विशेष प्वाइंट्स
प्राणों से भी प्यारे, सर्व के सहारे मीठे अव्यक्त बापदादा को नयनों में
समाने वाले, अपनी अव्यक्त स्थिति द्वारा अव्यक्त मिलन के अनुभवी सभी
निमित्त टीचर्स बहिनें तथा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,
ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर यादप्यार स्वीकार करना जी।
बाद समाचार - जनवरी मास आते ही साकार बापदादा की विशेष स्मृतियां नयनों के
सामने घूमने लगती हैं, मीठे बाबा कैसे अपनी निराकारी, निर्विकारी और
निरंहकारी स्थिति में रह शिव बाप के समान बन अव्यक्त वतनवासी बनें और पिछले
49 वर्षो से आकारी रूप द्वारा मीठे बाबा ने अपनी सूक्ष्म सकाश एवं मधुर
शिक्षाओं द्वारा हम सबकी कितनी पालना की है। हर बच्चे को अपने साथ की
अनुभूति कराई, छत्रछाया बन रक्षा की, अपनी दिव्य प्रेरणाओं से सजाया, स्वयं
करावनहार बन अनेकानेक प्रकार की सेवायें करवा रहे हैं। ऐसे विचित्र पार्ट
को देखते हुए दिल ही दिल में वाह बाबा वाह! वाह ड्रामा वाह! के गीत निकलते
रहते हैं। आप सब भी जरूर ऐसी अलौकिक लीलाओं को याद कर हर्षाते, उसी प्यार
में समाने की अनुभूति करते होंगे।
18 जनवरी 1969 से जिस प्रकार सेवाओं में एक नया मोड आया, नई प्रगति हुई है,
सचमुच कमाल है मीठे बाबा की, ऐसे लगता जैसे यह 48-49 वर्ष कुछ सेकण्ड में
ही बीत गये हों। कैसे बाबा अंगुली पकड़ हम बच्चों को देश-विदेश में उड़ाते,
कोने-कोने में अपने बच्चों को प्रत्यक्ष करते रहते हैं। साथ-साथ हम बच्चों
की स्थिति भी अव्यक्त, वरदानी, एकरस सम्पन्न और सम्पूर्ण बन जाए, बच्चे बाप
समान बन अपने चलन और चेहरे द्वारा ब्रह्मा बाप वा ज्योतिबिन्दू बाप का
साक्षात्कार करायें, उसके लिए भी कितने प्रकार की दिव्य शिक्षाओं से सजाते
सवांरते रहते हैं। ऐसे मीठे बाबा के कितने न गुणगान करें, जो हम सबको इतना
लायक बनाए ताज, तख्त और तिलकधारी बनाए, बालक सो मालिक भव का वरदान दे, सब
कुछ करते भी अपने आपको छिपाया हुआ है।
अभी तो हम सबका मीठा बाबा बांहें पसारकर वतन में हम बच्चों का आह््वान कर
रहा है। बच्चे, अब जल्दी-जल्दी सम्पन्न और सम्पूर्ण बनो और मेरे साथ-साथ
वापस घर चलो। तो बोलो, वह घर का गेट खोलने की डेट सामने दिखाई दे रही है
ना! अभी समय और प्रकृति भी बापदादा से बार-बार यही पूछती कि यह मास्टर
प्रकृतिपति एवररेडी कब होंगे ! तो हम सब यही दिल के उमंग से कहें, कि बाबा
अब तो हम सब किनारे छोड़, सब कर्मबन्धनों की रस्सियों से मुक्त उड़ता पंछी बन
आपके पास आये कि आये। बोलो, अन्दर से ऐसा ही जवाब आ रहा है ना!
तो आओ, हम सभी तीव्र पुरूषार्थ करने वाले बच्चे, इस 2018 वर्ष में ऐसा कुछ
नया करें जो 18 अध्याय की समाप्ति के साथ विश्व के कोने-कोने में मीठे बाबा
की प्रत्यक्षता हो जाए। इसके लिए विचार है कि हर ब्राह्मण आत्मा 1 जनवरी से
21 जनवरी तक विशेष लक्ष्य प्रमाण योग तपस्या करे। संगठित रूप में इतने
पवित्र ब्राह्मण आत्माओं की यह 21 दिनों की तपस्या जरूर इस नये वर्ष में नई
रंगत दिखायेगी।
हर एक लक्ष्य रखे कि जितना हो सके मुझे एकान्तवासी बन अव्यक्त स्थिति में
स्थित रहना है। अन्तर्मुखता की गुफा में रह मन और मुख के मौन द्वारा आत्मिक
स्थिति के अनुभव को बढ़ाना है। जहाँ सहज हो सके वहाँ अमृतवेले सभी संगठित
रूप में 4.00 से 4.45 तक पॉवरफुल योग तपस्या करें। अगर कोई कारण है तो अपने
घरों में अलग स्थान पर बैठकर मीठे बाबा के वरदानों की अनुभूति करते हुए
विशेष शक्ति और सकाश लें। शुभ ाचिंतक वृत्ति से विश्व की आत्माओं को मन्सा
द्वारा सर्वशक्तियों का दान करें। इसके लिए आज आपके पास 21 दिन का विशेष
होमवर्क भेज रहे हैं। कृपया रो॰ज अपने क्लास में एक दिन पहले दूसरे दिन की
प्वाइंटस सुनाकर सभी में उमंग-उत्साह भरें ताकि अमृतवेले से सब एक ही शुद्ध
संकल्प से तपस्या कर वायुमण्डल को शक्तिशाली बनाने में सहयोग दे सकें।
इन्हीं शुभ भावनाओं के साथ सर्व को बहुत-बहुत याद...
बी.के. जानकी
1
जनवरी से 21 जनवरी 2018 तक विशेष तपस्या द्वारा मन्सा सेवा करने के लिए
प्वाइंटस
1
जनवरी 2018
अपने फरिश्ते स्वरूप द्वारा विश्व के ग्लोब को सामने इमर्ज कर दिव्य
बुद्धिबल से चारों ओर चक्कर लगाओ। किसी को शान्ति चाहिए, खुशी चाहिए,
सन्तुष्टता चाहिए, फरिश्ते रूप में उन्हें अनुभूति कराओ। वह अनुभव करें कि
इन फरिश्तों द्वारा शान्ति, शक्ति, खुशी मिल रही है। इसके लिए बहुत शुद्ध
और श्रेष्ठ संकल्पों में रमण करते हुए डबल लाइट स्वरूप में स्थित रह फरिश्ता
ड्रेस को धारण करने का अभ्यास करो।
2
जनवरी 2018
अन्तिम कर्मातीत स्थिति अर्थात् पावरफुल सम्पन्न और सम्पूर्ण स्थिति ही आपका
अन्तिम वाहन है, इसे ही अन्त:वाहक शरीर कहते हैं। उस अन्तिम स्थिति का
आह््वान कर, अपनी सम्पन्न, मुक्त स्थिति द्वारा चारों ओर चक्र लगाओ। दु:खी
अशान्त आत्माओं की पुकार सुनो, उपकार करो, सहारेदाता बन सहयोग दो।
3
जनवरी 2018
ब्रह्मा बाप समान मास्टर विश्व कल्याणकारी स्थिति में रह, लाइट माइट हाउस
बन सबको सकाश देने की सेवा करो। चारों ओर लाइट माइट का प्रभाव फैलाओ।
प्रकृति के तत्वों को भी सर्च लाइट देकर उन्हें सतोप्रधान बनाने की सेवा करो।
4
जनवरी 2018
साक्षीदृष्टा बन दुनिया के सब खेल देखते सकाश अर्थात् सहयोग देने की सेवा
करो। अपने अकाल तख्त की सीट पर सेट होकर, साक्षी स्थिति में स्थित रह सबको
सकाश दो। ऊंची स्टेज पर स्थित होकर सकाश देंगे तो आपके ऊपर किसी भी प्रकार
के वातावरण का असर नहीं आयेगा।
5
जनवरी 2018
जैसे बाप अव्यक्त वतन, एक स्थान पर बैठे चारों ओर के बच्चों की पालना कर रहे
हैं, ऐसे आप बच्चे भी व्यक्त देह और दुनिया से दूर अव्यक्त वतनवासी स्थिति
में स्थित हो बेहद की सेवा करो। सर्व आत्माओं पर सर्व शक्तियों की गुलाबवासी
डालो, बेहद में सकाश दो।
6
जनवरी 2018
आप ब्राह्मण आदि रत्न विशेष तना हो। तना से ही सबको सकाश पहुंचती है, तो
कमजोरों को बल दो। अपने पुरूषार्थ का समय दूसरों को सहयोग देने में लगाओ।
अभी ऐसी लहर फैलाओ - देना है, देना है, देना ही देना है। सैलवेशन लेना नहीं
है, सैलवेशन देना है। मास्टर दाता हूँ, मास्टर रचयिता, सर्व की पूर्वज आत्मा
हूँ, इस स्वमान में स्थित रह रचना को मनइच्छित फल की अनुभूति कराओ।
7
जनवरी 2018
मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ, चलते फिरते फरिश्ता स्वरूप की अनुभूति को बढ़ाओ।
अनुभव करो मेरे चारों ओर लाइट का घेरा है, मैं उस लाइट के कार्ब में (ओरे
में) हूँ, लाइट के शरीर में लाइट रूप बन, लाइट के वतन की सैर करो। संकल्पों
का विस्तार न हो, स्टॉप कहो और स्टॉप हो जाएं, फुल ब्रेक लगे तो आपके
शक्तिशाली संकल्पों की लाइट दूर-दूर तक जायेगी।
8
जनवरी 2018
मन की एकाग्रता द्वारा, शुभ भावना की शक्ति से सर्व आत्माओं को शक्ति और
सकाश देने की सेवा करो। आप जिसे शक्ति वा सकाश देंगे वह आत्मा आपको दुआ देगी
और आपके खाते में स्व का पुरूषार्थ तो है ही लेकिन दुआओं का खाता भी जमा हो
जायेगा, इसके लिए स्वयं को परमधाम की ऊंची स्थिति में स्थित कर बापदादा के
साथ पूरे विश्व को शक्तियों की सकाश देने का अभ्यास करो।
9
जनवरी 2018
हर समय अपनी पवित्र दृष्टि से, शुद्ध वृत्ति और श्रेष्ठ कृति से सेवा करो।
आप ब्राह्मण आत्मायें सेवा के बिना रह नहीं सकती। वाणी की सेवा के साथ, शुभ
भावना से सम्पन्न बन मन्सा द्वारा सर्व आत्माओं को सहयोग दो। मैं पूर्वज और
पूज्य आत्मा हूँ, इस स्वमान में रह पूरे वृक्ष को शक्तियों का जल दो।
10
जनवरी 2018
जैसे कोई स्थूल स्थान में प्रवेश करते हैं, ऐसे ही इस स्थूल देह में प्रवेश
करके कार्य करो और फिर न्यारे आत्मिक स्थिति में स्थित हो जाओ। एक सेकण्ड
में शरीर को धारण करो और एक सेकण्ड में देह के भान को छोड़ दो। देह के
बंधनों से मुक्त हो सूक्ष्मवतन व मूलवतन की स्थिति का अनुभव करो, यह न्यारी
और प्यारी स्थिति स्वत: सबको आकार्षित करेगी।
11
जनवरी 2018
जैसे बाप का गायन है, ``न॰जर से निहाल करने वाले'', ऐसे समय प्रमाण अब न॰जर
से निहाल करने की सेवा करो। न॰जरों में एक बाबा को बसा लो, तो न॰जर से
निहाल कर सकेंगे। ज्ञान मनन के साथ शुभ भावना, शुभ कामना के संकल्प द्वारा
सकाश देने का अभ्यास बढ़ाओ। बीच-बीच में मन के संकल्पों को विराम देकर, मन
के मौन का वा ट्रैफिक कन्ट्रोल का अनुभव बढ़ाओ।
12
जनवरी 2018
विशेष एकान्तवासी बन एकनामी और एकॉनामी वाले बनो। संकल्प लो कि हमें शान्ति
की, शक्ति की किरणें विश्व में फैलानी हैं, तपस्वी मूर्त बनकर रहना है।
बाहर की परिस्थितियां चाहे कितनी भी हलचल की हों लेकिन मन-बुद्धि को जिस
समय, जहाँ चाहो वहाँ एक सेकण्ड में एकाग्र कर लो अर्थात् एक के अन्त में
चले जाओ।
13
जनवरी 2018
यदि कोई संस्कार स्वभाव वाली आत्मा आपके पुरूषार्थ में परीक्षा के निमित्त
विघ्न रूप बनी हुई हो तो उस आत्मा के प्रति भी सदा कल्याण का संकल्प वा
भावना बनी रहे, आपके मस्तक अर्थात् बुद्धि की स्मृति वा दृष्टि से सिवाए
आत्मिक स्वरूप के और कुछ भी दिखाई न दे, बहुत स्नेह सम्पन्न बन उस तरफ अपनी
न॰जर दौड़ाओ, मन्सा द्वारा स्नेह और शक्ति की किरणें दो तो वह विघ्न सहज
समाप्त हो जायेगा।
14
जनवरी 2018
मन से स्वतन्त्र बन अपनी वृत्ति द्वारा, शुद्ध संकल्प द्वारा, विश्व के
वायुमण्डल को परिवर्तन करने की सेवा करो, इसके लिए मन की वृत्ति को सदा
स्वच्छ रखो। व्यर्थ वा निगेटिव वृत्ति को पहले पॉजिटिव बनाओ, मन में कोई भी
खिटखिट न हो तब शुभ वृत्ति से सेवा कर सकेंगे।
15
जनवरी 2018
सर्व के प्रति सदा श्रेष्ठ और नि:स्वार्थ संकल्प हों, सदा पर-उपकार की
भावना हो। अपकारी पर भी उपकार की श्रेष्ठ शक्ति हो। सदा स्व परिवर्तन, स्व
के श्रेष्ठ कर्म द्वारा औरों को श्रेष्ठ कर्म करने की प्रेरणा दो, इसी विधि
से मन्सा सेवा के अनुभवी बनो।
16
जनवरी 2018
मैं मास्टर वृक्षपति हूँ, वृक्षपति अर्थात् बीजरूप स्थिति में स्थित होकर
सारे वृक्ष की पालना करो। जैसे बीज से पूरे वृक्ष को शक्ति मिलती है। ऐसे
शक्तियों की सकाश दो। अन्दर सिर्फ एक ही संकल्प हो, ``मैं और मेरा बाबा'',
इसी को ही योग कहते हैं। जब ऐसे पावरफुल योग में बैठेंगे तब और सब संकल्प
शान्त हो जायेंगे और आपकी श्रेष्ठ भावना प्रकृति सहित विश्व की आत्माओं का
परिवर्तन करेगी।
17
जनवरी 2018
जैसे ऊंची टावर से सकाश देते हैं, लाइट माइट फैलाते हैं। ऐसे आप बच्चे भी
अपनी ऊंची स्थिति अथवा ऊंचे स्थान पर बैठ रो॰ज कम से कम 4 घण्टे विश्व को
लाइट और माइट दो। जैसे सूर्य भी विश्व में रोशनी तब दे सकता है जब ऊंचा है।
तो साकार सृष्टि को सकाश देने के लिए ऊंचे स्थान निवासी बनो। ऊंचे से ऊंचे
बाप के साथ बैठकर विश्व को शक्तियों की लाइट दो।
18
जनवरी 2018
अपने ईष्ट देव, ईष्ट देवी स्वरूप में स्थित हो, अपने दयालु कृपालु, रहमदिल
स्वरूप में स्थित हो भक्तों की मनोकामनायें पूरी करो। सदा दातापन की भावना
इमर्ज रहे। मन्सा कहीं भी व्यर्थ में उलझी हुई न हो। जब मन्सा पर किसी भी
आत्मा का प्रभाव नहीं होगा, किसी से भी वैर वा नफरत की भावना नहीं होगी तब
शक्तिशाली मन्सा के प्रकम्पन्न आत्माओं को प्राप्तियों की अनुभूति
करायेंगे।
19
जनवरी 2018
जैसे धन स्थूल प्रॉपर्टा है, वैसे सूक्ष्म प्रापर्टा है समय, श्वांस,
संकल्प। एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाये, सफल हो। चाहे मन्सा सेवा द्वारा,
चाहे वाचा द्वारा, चाहे कर्म द्वारा - चेक करो, सफल कितना किया? जमा कितना
किया? बापदादा का विशेष वरदान है - सफल करो और पदमगुणा सफलता का अनुभव करो
इसलिए हर संकल्प, समय और श्वांस को सफल करो।
20
जनवरी 2018
चाहे ब्राह्मण, चाहे और जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उन्हें कुछ न कुछ
मास्टर दाता बनकर देते जाओ। नि:स्वार्थ बन खुशी दो, शान्ति दो, आनंद की
अनुभूति कराओ, प्रेम की अनुभूति कराओ। इसके लिए दिमाग खाली और दिल साफ हो।
दिल वा दिमाग में किसी की कमी कमजोरी का किचड़ा न हो, कोई बोझ न हो तब इस
मन्सा सेवा के निमित्त बन बाप की सेवा के साथी बन सकेंगे।
21
जनवरी 2018
जैसे प्रकृति का सूर्य, सकाश से अंधकार को दूर कर रोशनी में लाता है। अपनी
किरणों के बल से कई ची॰जों को परिवर्तन कर देता है। ऐसे आप मास्टर ज्ञान
सूर्य स्थिति में स्थित रह अपनी अलौकिक मूर्त, शुभ भावना सम्पन्न श्रेष्ठ
वृत्ति और रहमदिल की दृष्टि से सर्व आत्माओं को दु:ख अशान्ति से मुक्त करने
की सेवा करो। इस तमोगुणी प्रकृति और वायुमण्डल का परिवर्तन करो।
अपनी
स्व-उन्नति हेतु हर एक निम्नलिखित बातों का चार्ट रखे तो सहज अटेन्शन रहेगा
1) अमृतवेले का वरदानी समय सफल रहा?
2) सारे दिन में समय, संकल्प और श्वांस का खजाना कितना सफल किया?
(परसेन्टेज लिख सकते हैं)
3) मन-बुद्धि संस्कार आर्डर प्रमाण रहे? अन्तर्मुखता का सुख कितना समय
लिया?
4) हर आत्मा के प्रति शुभ भावना, शुभकामना, दयालु, कृपालु दृष्टि रही?
5) प्रकृति सहित सर्व आत्माओं को सकाश देने की सेवा कितना समय की?
18
जनवरी 2018 स्मृति दिवस, सतगुरूवार के दिन के निमित्त विशेष सूचनायें
1.
मधुबन से 21 जनवरी तक विशेष पुरूषार्थ के लिए योग तपस्या की प्वाइंट्स भेजी
जा रही हैं। टीचर्स बहिनें एक दिन पहले प्रात:क्लास में इन्हें हर एक को
नोट करवायें। ताकि दूसरे दिन हर एक अमृतवेले से इन्हीं प्वाइट्स पर विशेष
योग अभ्यास कर सके।
2. 18 जनवरी निमित्त मधुबन से विशेष शिक्षाओं भरी साकार वा अव्यक्त मुरली
भेजी जा चुकी है। वह तो आप अपने-अपने क्लास में सुनेंगे ही। सतगुरूवार 18
जनवरी 2018 को, सभी भाई बहिनें अपने-अपने लौकिक कार्यों से, नौकरी आदि से
छुट्टी ले, इस दिन को विशेष ``अनुभूति दिवस'' के रूप में मनायें। इस दिन को
बापदादा विशेष वरदानी दिवस कहते और भोलानाथ रूप में सभी बच्चों को मनइच्छित
वरदानों से भरपूर करते हैं। अत: पूरा दिन विशेष मौन में रह, प्यारे बापदादा
के प्यार में समाये रहें।
3. प्रति वर्ष की भांति सभी सेवाकेन्द्रों की दिनचर्या एक जैसी रहे। सवेरे
विशेष 4 से 4.45 तक अमृतवेले योग अभ्यास में वरदानों से झोली भरनी है, फिर
तैयार हो प्रात:क्लास में बापदादा के वरदानी महावाक्य सुनने हैं।
तत्पश्चात् विशेष सतगुरूवार के साथ-साथ स्मृति दिवस के निमित्त बापदादा को
भोग लगाना है। भोग के पश्चात् सेवाकेन्द्र पर ही हल्का नाश्ता फल, दूध आदि
का करके सभी 9.30 से 12 बजे तक योग अभ्यास करें। फिर अपने-अपने स्थानों पर
जाकर भोजन वा विश्राम करके 4.30 बजे से 7.30 बजे तक विशेष तपस्या भùी करें।
शाम के समय यदि मधुबन का दृश्य पी.एम. टी.वी. द्वारा प्रसारित होता है तो
उसे देखें और प्यारे बापदादा के वरदानों से स्वयं को भरपूर करें।
4. प्यारे बापदादा के जीवन चरित्र पर विशेष लेख अथवा अनुभव भी समाचार
पत्रों में प्रकाशित कराये जा सकते हैं। यदि किसी स्थान पर सार्वजनिक
कार्यक्रम रखना हो तो 21 तारीख रविवार को भी रख सकते हैं। अच्छा। ओम्
शान्ति।
नोट:- आपके मुख्य सेवाकेन्द्रों से सम्बन्धित जो भी
सेवाकेन्द्र/उपसेवाकेन्द्र/गीतापाठशालायें आदि हैं, उन्हें भी आप यह पत्र
अवश्य पहुंचा दें, ताकि वे भी आपके साथ-साथ तीव्र पुरूषार्थ की रेस में
सहयोगी बन सकें।