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24-02-17 ओम् शान्ति "अव्यक्त बापदादा" मधुबन
"माला आपका विशेष यादगार है, इस माला को पहनकर सदा मालाधारी होकर रहना, यही चमकती हुई माला आज की विशेष गिफ्ट है"
(शिवजयन्ती के निमित्त पूरे हाल को बहुत सुन्दर मालाओं से, झण्डियों से सजाया गया है, बापदादा बच्चों की विशाल सभा को देखकरके सभी बच्चों के गले में बांहों की चमकती हुई मालायें पहना रहे हैं) आज शिव जयन्ती की मुबारक, मुबारक, मुबारक। सभी के दिलों में कितनी खुशी है? सबके दिल में बाबा आ गया है। सभी के दिलों में अभी कौन? बाबा। बाबा ही बाबा देखो। जहाँ देखो बाबा ही बाबा, बाबा ही बाबा, बाबा ही बाबा। तो आज सभी बहुत हार्षित हो रहे हैं। किसलिए? बाबा स्वयं बच्चों को माला पहनाने के लिए आये हैं। बाबा गले में माला पहनायें तो कैसे हो जाते हैं। तो अभी एक-एक के गले में बाबा ने माला पहनाई है। और सभी मालाधारी कितने शोभनिक लग रहे हैं। सब एक-दो की माला को देख करके खुश हो रहे हैं और सदा हर एक को बापदादा की तरफ से माला है ही। माला का श्रंगार हमारा बहुत गाया हुआ है इसलिए आज भी वही यादगार जो है वह याद आया और सब माला के दाने पहने हुए कितने चमक रहे हैं। वाह! कमाल है। जो सभी ने जहाँ तहाँ माला डाल दिया है, सारा हाल मालाओं से सज रहा है। तो मालाओं की यादगार किसकी है? बाप और बच्चों की। कितना भी कोई कहे, बाबा की याद बहुत-बहुत अच्छी है। बाबा की याद तो है ही, बिना बाबा के आप क्या करेंगे? है ही यादगार। तो पहले नम्बर का यादगार तो भाई और बहनों का है, जो सचमुच मेहनत करके अपने को भी सजाया है और इस हाल को भी सजाया है। चारों ओर जैसे खुशी का मेला लग रहा है। तो कितना अच्छा फंक्शन लग रहा है, जैसे अभी-अभी बाबा ने मालाओं से सजाकर आपको तैयार करके बिठाया है क्योंकि बाबा के साथ बच्चे भी हैं। बाबा के साथ सभी भाईयों को, बहनों को थोड़ा बहुत तो सजना पड़ेगा। आपकी मालायें दूर से ही सज रही हैं और बाबा भी देख-देख कर, चारों ओर की मालायें देखकर बहुत खुश है कि वाह! आज बच्चे माला का मणका पहन कर कितने सज गये हैं। तो आज की सभा की सजावट देख करके बाबा खुश हो रहे हैं वाह मेरे बच्चे वाह! एक-दो की सजावट को देख करके ही खुश हो गये हैं। और बाबा को कितनी खुशी हो रही है! एक-एक बच्चे को देख करके बाप भी ऐसे मुस्कराता है जो आप देख रहे हो। यह रीयल फूलों का हार तो है ही लेकिन बाबा ने हर एक के गले में ओरीज्नल माला कौन सी पहनाई है? चमकती हुई मालाओं का हार देखो सबके गले में पड़ा है। और फूलों से कितना भी चाहे श्रंगार करे या नहीं करे लेकिन सबके मुख से वाह-वाह तो निकल रहा है ना। वही माला है। यह माला कितनी सज रही है! माला श्रंगार है। तो इस देश में अभी सबसे बड़ा श्रंगार किसका है? बाबा का। सबके गले में देखो हार पड़ा है। तो बाबा ने खुद माला का हार पहनाया है। कॉमन हार तो पहनाते ही हैं, कॉमन बात है लेकिन इस माला का मतलब अच्छा है, बढ़िया है। यह माला यादगार माला है। सभी को देखो सभी का कांध कितना चमक रहा है, एक-दो को देखो और कितने सारे गले सजे हुए हैं। सभी के गले देखकर हर एक कितने खुश हो रहे हैं, वाह! वाह! तो बाबा भी गले में मालायें देख करके खुश हो रहे हैं वाह! सभी मालाधारी, शक्ल देखो सबकी क्या है? बिल्कुल लाल-लाल। तो ऐसे मालाओं से सजे हुए चमकते हुए मालाधारी बच्चे, यहाँ से आके देखे तो बिल्कुल चमकती हुई माला, सभी की माला बहुत चमक रही है। सबके गले में बाबा की तरफ से मिली हुई मालायें भी पड़ी हुई हैं। सबके गले में हैं और कितना गले में सज रही हैं। हर एक के गले में बाबा चमक रहा है और हर एक गला देखो कितना चमकता है क्योंकि माला आपके यादगार में गाई हुई है। तो आज के दिन डायरेक्ट बाप ने आप सबको माला पहनाई है। देखो यह 24-02-17 ओम् शान्ति ‘‘अव्यक्त बापदादा’’ मधुबन 2/3 माला कितना चमकती है। माला की चमक ही अपनी न्यारी है। एक-दो की माला को देख करके कितने खुश हो रहे हैं। तो आज हाल मालाओं से बहुत सजा हुआ है। सभी अपनी माला देख रहे हैं ना! सारे हाल में मालायें देखो कितनी चमक रही हैं, न्यारे होकरके देखना। अभी सभी उठो तो माला जरूर देखना। ऐसे सजा हुआ, बस। सब माला से सजे हुए कितने सुन्दर लगते हैं। यह हार पड़ा है तो माया भी हार खा लेती है। मालाओं को देख करके ही माया भाग जाती है और आप विजयी बन जाते हैं। तो यह चमकदार माला अपनी देख रहे हो ना! पीछे वाले, राइट वाले, सभी कितने सज गये हैं। चाहे किसको मालायें पड़ी हैं या नहीं! क्योंकि आज बाबा ने सभी को माला का परिचय दे करके बिठाया है। हर एक बच्चा माला से ऐसा सज गया है जैसे सदैव के लिए यह माला इन्हों के गले का मणका है। देख रहे हो अपनी मालायें! हर एक के गले में देखो कितनी माला चमक रही है? जो आप खुद भी देख करके खुश हो रहे हैं। रश तो होता है जहाँ तहाँ।
तो आज मालाओं की चमक बहुत है। हर एक अपनी माला को चमकती हुई देख रहे हैं। हर एक की मालाओं की चमक यहाँ से आकर देखो, एक-एक के माला की महिमा है। इतना सजाने वाला कौन? मेरा बाबा। सब क्या कहेंगे? मेरा बाब्ा। एक-एक को आगे पीछे यहाँ वहाँ सबको देखो, मालायें कितनी जल्दी से आ गई और सबके गले में पड़ भी गई। सभी के गले में मालायें कितनी सुन्दर लग रही हैं। हरेक एक- एक की माला देख रहा है, सब मालाधारी हैं। बाबा को ऐसे फंक्शन में पतली सी माला भी बहुत अच्छी लगती है। अभी देखो आप लोग आये तो कोई कोई ने माला पहनी हुई थी, जो दिखाई दे रही है। माला को देख करके हर एक के मन में आ रहा है, माला में मेरा नाम तो है ना। है? सभी जो भी बैठे हैं सबका माला में नाम है? हाथ उठाओ। सभी को निश्चय है। अरे, माला हमारे लिए ही बाबा ने बनाई है। तो सभी का चेहरा देखो कितना अच्छा सज रहा है। स्थूल में तो चाहे कितना भी सजाओ, सबकी माला चमक रही है और चमकती हुई माला का चित्र सभी का बहुत अच्छा है। अपने पास रखने लायक है। बाबा से यह गिफ्ट लेकरके जाना। आज की गिफ्ट जो है, वह माला है। हर एक अपने को ऐसा चमकता हुआ माला का मणका समझते हैं? जो समझते हैं मणका तो हमारे गले में पड़ गया है, वह हाथ उठाओ। वाह! वाह! देखो, माला से कितना सजा हुआ देखते हैं? और खास आज के दिन के लिए बाबा माला बनाता है। आपको मिलेगी ना, फिर देखना कितनी चमक है। तो सारा हाल भी देखो मालाओं से कितना अच्छा सुन्दर मालामाल हो गया है। अभी एक-एक बच्चा देख रहा है, मेरे गले में तो है ना। जितना देखता है ना, उतनी मालायें बढ़ती जाती हैं। मालायें पड़ी हुई सभा को देख बापदादा हार्षित हो रहे हैं वाह, वाह मालाधारी! वाह! यह यादगार तो आपका ही है ना, मालायें। चाहे फूलों की पहनाओ, चाहे कोई चीज की पहनाओ लेकिन माला यादगार है। और एक-दो को देख करके कितने खुश होते हैं, वाह फलाने ने भी माला पहनी है। तो मालाधारी बच्चों को देख करके सभी मुस्करा रहे हैं। और सेकण्ड में सभी ने पहन लिया, देखो कितना अच्छा लग रहा है। मालाओं को देख करके माला पहनाने वाला याद आता है। आज खास मालाधारी बच्चे हैं। जैसे माला यादगार में है ना! ऐसे यह माला जो है यादगार है। सभी कितने अच्छे लग रहे हैं। सभी के गले में मालायें चमक रही हैं। सभी का गला देखो कितना अच्छा लग रहा है। बाबा की मूर्ति में भी माला है। माला बहुत अच्छी यादगार है। सभी कहाँ बैठे हो? हाल में। बाबा के गले में सब बैठे हैं। माला देखी है ना! माला चमकती कितना है लेकिन अगर घड़ी घड़ी आप नीचे ऊपर हुए तो फिर माला का शो क्या रहेगा! तो सभी अभी मालाधारी बनके अपने चित्र को देखो। सबका गला कितना सज गया है। यह सब मालायें किसको पड़ेंगी? बाबा को। बाबा तो संगम पर माला पहनता नहीं। 24-02-17 ओम् शान्ति ‘‘अव्यक्त बापदादा’’ मधुबन 3/3 बाप बच्चों के साथ माला पहनता है, किसको माला नहीं भी हो ना, कोई मणका खो गया हो तो वह अपनी माला का मणका लेके जाना।
तो आज सभी के गले में चमकती हुई मालायें देख कितने खुश हो रहे हैं! वाह एक दो की माला देख रहे हैं ना! तो सबके दिल से वाह वाह निकल रहा है। अच्छा। अभी तो देरी हो जायेगी, इसलिए सभी बच्चों को मालाधारी बनके माला में दिखाया है।
सेवा का टर्न ईस्टर्न, तामिलनाडु का है। बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आसाम से 15 हजार आये हैं। टोटल 26 हजार आये हैं:- सभी एक-दो को देख करके सज गये हैं। वाह देख-देख कर बाप भी मुस्करा रहे हैं, वाह बच्चे वाह! अभी भी सभी बैठ करके चित्र निकाल के जाना, भाग नहीं जाना।
नेपाल:- (2500 आये हैं) माला पहनने वाले हर एक देख रहे हैं कि मेरी माला कितनी चमक रही है और चमक देखो कितनी है। एक-एक माला के मणके की चमक देखो कितनी है।
तामिलनाडु:- (3000 आये हैं) सबकी चमक अच्छी है, बनाई भी अच्छी है। सभी हाथ में देखो, चारों ओर यह चमकती हुई मालायें कैसी अच्छी लग रही हैं। सभी जो भी हैं वह बैठ करके अपनी माला का शो दिखावें। अभी बैठो, ज्यादा श्रंगार नहीं करो, जितना किया है, उतना ही दिखाओ।
डबल विदेशी 75 देशों से 1000 आये हैं:- इस ग्रुप में सबसे ज्यादा डबल विदेशी आये हैं। कितनी अच्छी चमक है। चमक देखो सारे हाल की, कमाल है, कितनी सुन्दर हो गई है। सभी हार वाले आप अपनी निशानी अगर अपने पास रखने चाहो तो बापदादा सभी के मालाओं की यादगार, ऐसे करो तो यह जो तिल्ली (हथेली) है, वह कितनी सज रही है। ऐसे चमक रही है, जैसे अभी-अभी स्वर्ग से आई है। आप देखो अभी अपने हार को थोड़ा ऐसे करके देखो, औरों को न देखो, अपने को ही देखो तो कितने चमकते हैं! जो आप बैठे हो, आप ही बदल जाते हो, हार पहनने से। एक आप खुद मालिक हो चमकने वाले और दूसरा हार (फूलों का) भी मिला है, वह भी बहुत चमक रहा है। तीसरा यह हार (बांहों का) भी है, इसकी महिमा तो सबसे ज्यादा है। तो अभी तो सिर्फ देख लो फिर कोई टाइम बाबा उठवाके देखेगा। अभी जो मालायें हैं, वह चमकती हुई हैं तो और सब कुछ छिपाके सिर्फ मालाओं का हार सजाके आगे करो तो देखो सभा कैसे लगती है!
बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा फहराया और 81 वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की सबको बधाईयां दी ओम शान्ति।
अभी आज सभी इकट्ठे हुए हो किसलिए? आपका काम यहाँ मुख्य क्या है? परिवर्तन करने का। तो परिवर्तन किया? अभी सभी एवररेडी रहो। करना है, हो गया। नहीं करना है, तो चक्र लगाके आये। तो सभी देखो, प्यार से देख रहे हैं ना। आराम से देखा ना। सारे साल के लिए शिवजयन्ती की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। आज का दिन विशेष मनाने का दिन है, तो सभी ने अपने अन्दर यह दीपक जलाया, झण्डा भी लहराया, दीपक भी जगाया, सभी के चेहरे में चमक आ गई है। खुशी है ना, सभी की शक्लों में खुशी की झलक आ गई है। पीछे वाले क्या समझते हैं? सभी के दिल में दिलाराम है? बस दिलाराम और दिलवाले। जितनी चीजें चाहो उतनी आ सकती हैं लेकिन सिर्फ अभी तक संगम निवासी सीख रहे हैं। जान नहीं गये हैं, सीख रहे हैं लेकिन बाबा चाहता है कि एक बारी बाबा कहे ओम् शान्ति तो ऐसे सभी हार्षित हों जैसे हमारा यह सूर्य और चन्द्रमा कितना सज जाता है, देखा है ना कितना अच्छा सज करके नजर आता है, तो आज के दिन की सभी को मुबारक हो, मुबारक हो।
20-03-17 ओम् शान्ति "अव्यक्त बापदादा" मधुबन
‘‘अपने साधारण स्वरूप को बदली कर थोड़ा समय भी संगमयुगी फरिश्ते स्वरूप का अनुभव करके देखो,
यह आपका बहुत अच्छा मुस्कराता हुआ चमकीला रूप है’’ओम शान्ति। आज बापदादा विशेष जो योगयुक्त बच्चे, सबके बीच योगयुक्त बन औरों को भी योगयुक्त बनाने वाले हैं उन्हों को देख हार्षित हो रहे हैं और दिल में ही बहुत-बहुत प्यार भरी दिल के प्यार की यादें बहुत प्यार से दे रहे हैं। बापदादा यही चाहते हैं कि इतने सब बच्चे इकठठे योग में बैठें और योग में भी ऐसी योग की स्टेज प्रैक्टिकल में हो, तो यह देख बापदादा बहुत खुश हैं। जैसे बाप देख-देख हार्षित हो रहे हैं ऐसे बच्चे भी बाप को मुस्कराते हुए देख बहुत दिल से खुश होके रेसपान्ड दे रहे हैं। अभी की सभा की रौनक बहुत अच्छी मुस्कराने वाली देख-देख, बाप भी आज बच्चों की सूरतों में प्यार की झलक देख मुस्करा रहे हैं। तो बच्चे क्या कर रहे हैं? बच्चे भी मुस्करा रहे हैं ना! बाप भी कहते हैं वाह बच्चे वाह! बच्चों की मुस्कराहट और बाप की मुस्कराहट बहुत सुन्दर दिखाई दे रही है। बापदादा जो देखने चाहते थे वह चारों ओर देख बाप भी मुस्करा रहे हैं। सारी सभा में बाप बच्चों को मुस्कराते हुए देख अभी तक दिल में मुस्करा रहे हैं। वाह बच्चे वाह! कमाल है गुप्त ताकत और उसका प्रभाव दोनों दिखाई दे रहे हैं। हर एक बाप का बच्चा ऐसे मुस्करा रहे हैं जो हर एक के मुख पर बहुत अच्छी खुशी की चमक है। हर एक का मुस्कराता हुआ चेहरा देख बाप भी कितना मीठा मुस्करा रहे हैं।
आज की सभा मैजारिटी मुस्कराते हुए बेफिक्र बादशाहों की है, जो दूर से ही मुस्कराते हुए चेहरे बहुत सुन्दर दिखाई दे रहे हैं। आप भी एक दो को इसी रूप में देख रहे हो ना! सभी एक दो को ऐसे देख रहे हैं जैसे बहुत पहचाने हुए मुस्करा रहे हैं। आज की सभा विशेष मुस्कराती हुई ज्यादा दिखाई दे रही है। क्यों? सबके मन में एक ही सा॰ज है मीठा बाबा, प्यारा बाबा.. सबके मुख के इशारे यही बोल रहे हैं ओ मीठे बाबा, प्यारे बाबा.. आज तो जैसे बाबा बहुत दिनों के बाद बच्चों की ऐसी सभा देख रहे हैं, जो हर एक से मीठे बाबा, प्यारे बाबा... यही फीलिंग आ रही है, लास्ट वाला चेहरा भी देखो तो आज इसी विधि में है।
तो आज जहाँ तक रात को जागेंगे, वहाँ तक सब एक दो को देख जैसे मीठा मुस्करा रहे हैं, आप एक एक यह बाबा का और सभा का मुस्कराता हुआ चेहरा देखो, इस कोने में आपका बैठा हुआ मुस्कराता चेहरा देख-देख सारी सभा में भी उसी का प्रभाव है। चाहे अवस्था कैसी भी हो लेकिन अभी सबका चेहरा मुस्कराता हुआ दिखाई दे रहा है। सबका चेहरा ऐसे मुस्करा रहा है जो एक सेकण्ड में सारी सभा बदल गई है। कोई कैसा भी हो लेकिन बाबा उसे बदलकर सबका वही चेहरा दिखा रहे हैं। सबकी शक्लें चमकती हुई दिखाई दे रही हैं। हर एक की शक्ल जैसे बाबा के वतन में चमकती हुई दिखाई देती है, ऐसे ही आज आप भी ऐसे चमकते हुए दीपक दिखाई दे रहे हैं। बाबा मुख से बहुत धीरे-धीरे बोल रहा है, क्या बोल रहे हैं? हर एक बच्चा ऐसे चमकती हुई सूरत और मूरत से जैसे अभी चित्र में दिखाई देते हैं, ऐसे ही चमकते हुए सितारे बहुत अच्छा चमक रहे हैं क्योंकि हर एक इस चमकते हुए सितारे की चमक बहुत सुन्दर है, क्यों? हर एक बच्चा अपने चमत्कारी सूरत में दिखाई दे रहे हैं। यह चित्र है तो आपका ही, लेकिन ऐसा चमकता हुआ सितारा अभी जैसे पहले दिखाई दे रहा था, ऐसे सफेद चमकता हुआ, साधारण रूप नहीं लेकिन चमकता हुआ फेस, वह सभा बड़ी अच्छी लग रही है। सब चमक रहे हैं, कोई भी ऐसा नहीं जिसमें चमक न हो क्योंकि अभी सब बाबा को चमकता हुआ देख रहे हैं, ऐसे ही बाप समान सारी सभा चमक रही है। जो बापदादा सुनाते हैं, सारी सभा ऐसे बैठी थी जैसे पता नहीं कोई सचमुच ऊपर से फरिश्ते इस धरनी पर पहुंच गये हैं। यह रूप आपका भी बड़ा प्यारा है क्योंकि अभी और कुछ भी नहीं है, सभी सम्पूर्ण मूर्ति हो गये हैं और यह रूप बच्चों का कईयों को दिखाई दे रहा है। सभी बहुत खुश हो रहे हैं। सभी फरिश्ते रूप में अपने को देख बहुत खुश हो रहे हैं। हमको भी (दादी को भी) बाबा आपको फरिश्ते रूप में दिखा रहा है। हर एक पूज्य समान दिखाई दे रहा है। अभी तो ज्यादा समय नहीं बैठ सकते क्योंकि सबको संगमयुगी अपना स्वरूप अच्छा चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। तो इसी फरिश्ते रूप में एक सेकण्ड में जैसे पहले इमर्ज हुए थे, ऐसे ही फरिश्ते रूप में अभ-अभी भी दिखाई दे रहे हैं। सारी सभा यहाँ आके देखो कितने में बदल गई है। इतने ताजधारी सब कहाँ जायेंगे! जैसे अभी गुप्त मर्ज रूप में हैं, इसी को ही इमर्ज रूप में देखेंगे। सारी सभा देखो कितनी चमकीली न॰जर आ रही है। कोई टेढ़ा हो, बांका हो सब चमक रहे हैं और हर एक अपने को देखकर खुश हो रहे हैं। क्या पसन्द है? अपना चमकता हुआ फरिश्ता रूप पसन्द है ना! सेकण्ड में चमकीले बन गये। सारी सभा देखो चमकीली है। अपना ही चमकीला रूप अच्छी तरह से देख लो। ऐसा चमकीला अपना स्वरूप देख-देख बहुत खुशी हो रही है। तो यह अभी का रूप चमकने वाला, यह थोड़े समय के लिए बाबा ने इमर्ज करके दिखाया कि ऐसे आप सभी फरिश्ते हैं ही। उसी फरिश्ते रूप में बाबा ने आप सबको दिखाया। सेकण्ड में बदल गये। सारी सभा चमकीली ड्रेस में कितनी सुन्दर लग रही है। अपनी शक्ल आप देखो कितनी प्यारी लगती है क्योंकि सम्पूर्ण हैं ना। तो कितने सुन्दर लग रहे हैं। अभी साधारण रूप बदली करके फरिश्ता रूप देख रहे हो ना! आगे पीछे क्या दिखाई देता है? फरिश्ता और सारी सभा कितनी चमकती हुई दिखाई दे रही है। साधारण रूप किसका भी नहीं है, सभी का यह एक ही जैसा फरिश्ता रूप दिखाई देता है। बाकी अन्दर भले किसका कितना भी फर्क है वह तो वह खुद जाने, इसमें हम क्यों जायें। हमको तो सिर्फ अपना फरिश्ता रूप जो है, वह खास दिखाना है, एकदम फरिश्ता। तो देखो फरिश्ते रूप में जब चेंज होते हैं तो कितनी सभा बदल जाती है। वह स्वयं ही आपका फरिश्ता स्वरूप इमर्ज हो गया है। तुम्हारा ही चमकता हुआ यह स्वरूप कुछ समय आपके साथ रहेगा। तो अपना यह फरिश्ता स्वरूप पक्का हो गया! मैं फरिश्ता स्वरूपधारी हूँ, थोड़ा समय इसमें अनुभव करके देखो, कितना मीठा है।
अभी बाबा फरिश्ता भव का रूप प्रगट करता है। अभी एक सेकण्ड में फरिश्ता, एक सेकण्ड में साधारण, यह प्रैक्टिस करते-करते फरिश्ता बन ही जायेंगे। अभी फरिश्ते स्वरूप में रहना, ज्यादा समय फरिश्ते स्वरूप में, इस दुनिया में संगमयुगी फरिश्ता रूप यह कुछ समय रहेगा। यह फरिश्ता रूप कुछ समय आपके साथ रहेगा। आप भी अच्छी तरह से अनुभव करेंगे कि यह फरिश्ता रूप कितना अच्छा है। तो जितना फरिश्ता रूप में रहने चाहो उतना समय रह सकते हो लेकिन वह (सूक्ष्मवतन का) फरिश्ता रूप जो है वह अभी हमारे हाथ में नहीं है। यह फरिश्ते की लाइफ में है। अच्छा।
सेवा का टर्न गुजरात और भोपाल का है, टोटल 24 हजार आये हैं, उसमें एक हजार डबल विदेशी 75 देशों से आये हैं:- (13 हजार गुजरात और 4 हजार भोपाल वाले आये हैं):
बहुत अच्छा।
(मुन्नी बहन ने कहा बाबा आज आप बहुत अच्छी तरह सबसे मिले, बहुत अच्छी मुरली चलाई)
कई समझते हैं हमारे को लास्ट में मिला है ना, तो पता नहीं शायद देरी हो इसलिए जल्दी-जल्दी मिलाते हैं। पर ऐसा नहीं है, टाइम की बात यहाँ नहीं देखते हैं। लेकिन बाबा भी दिखाता है, अगर देरी से कोई आता है तो उनके लिए ठहरते नहीं हैं। सिवाए दादियों के। दादियां तो फाउण्डेशन हैं। अच्छा।(इन्डिया वन सोलार प्लांट का उद्घाटन बापदादा से कराया)
कुछ भी बना है, तो यज्ञ में बनाया है और इसी रीति से चलाते रहेंगे। बाकी सब ठीक हैं।
आज बापदादा ने विशेष संगमयुगी फरिश्ते स्वरूप का अनुभव करने के लिए कहा
है, उस अनुभूति के लिए विशेष ध्यान देने योग्य प्वाइंटस
1. जैसे सम्पन्नता का समय समीप आता जा रहा है, ऐसे देह-भान रहित फरिश्ता रूप की अनुभूति करो। जैसे साकार ने कर्म करते, बातचीत करते, डायरेक्शन देते, उमंग-उत्साह बढ़ाते भी देह से न्यारे, सूक्ष्म प्रकाश रूप की अनुभूति कराई। ऐसे बात करते भी आपकी दृष्टि में अलौकिकता दिखाई दे। ऐसे देहभान से न्यारे रहो जो दूसरे को भी देह का भान नहीं आये।
2. हर बात में, वृत्ति, दृष्टि, कर्म... सबमें न्यारापन अनुभव हो। यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, आत्मिक प्यारा, ऐसे फरिश्तेपन की अनुभूति स्वयं भी करो और औरों को भी कराओ। ब्रह्मा बाप जो फरिश्ता रूप में आप सबका साथी है, अब उनके समान आप सभी को फरिश्ता बन परमधाम चलना है, इसके लिए मन की एकाग्रता पर अटेन्शन दो। ऑर्डर से मन को चलाओ।
3. सदैव अपना आकारी रूप, लाइट का फरिश्ता स्वरूप सामने दिखाई दे कि ऐसा बनना है और भविष्य रूप भी दिखाई दे। अब यह छोड़ा और वह लिया। जब ऐसी अनुभूति हो तब समझो कि सम्पूर्णता के समीप हैं। यह पुरूषार्था शरीर एकदम मर्ज हो जाये।
4. फरिश्ता बनना अर्थात् साकार शरीरधारी होते हुए लाइट रूप में रहना अर्थात् सदा बुद्धि द्वारा ऊपर की स्टेज पर रहना। फरिश्ते के पांव धरनी पर नहीं रहते, बुद्धि रूपी पांव सदा ऊंची स्टेज पर। फरिश्तों को ज्योति की काया दिखाते हैं। तो जितना अपने को प्रकाश स्वरूप आत्मा समझेंगे, तो चलते फिरते अनुभव करेंगे जैसे प्रकाश की काया वाले फरिश्ते बनकर चल रहे हैं।
5. फरिश्ता अर्थात् अपनी देह के भान से भी रिश्ता नहीं, देहभान से रिश्ता टूटना अर्थात् फरिश्ता। देह से नहीं, देह के भान से। देह से रिश्ता खत्म होगा तब तो चले जायेंगे, लेकिन देह-भान का रिश्ता खत्म हो। जैसे बापदादा पुराने शरीर का आधार लेते हैं लेकिन शरीर में फंस नहीं जाते हैं। ऐसे कर्म के लिए आधार लो और फिर अपने फरिश्ते स्वरूप में, निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाओ।
6. जबकि बाप के बन गये और सब कुछ मेरा सो तेरा कर दिया तो हल्के फरिश्ते हो ही गये। इसके लिए सिर्फ एक ही शब्द याद रखो कि यह सब बाप का है, मेरा कुछ नहीं। जहाँ मेरा आये वहाँ तेरा कह दो फिर कोई बोझ नहीं फील होगा।
7. फरिश्ता अर्थात् डबल लाइट। फरिश्ता सदा चमकने के कारण सर्व को अपनी तरफ स्वत: आकार्षित करता है। फरिश्ता सदा ऊंचे रहते हैं। फरिश्तों को पंख दिखाते हैं क्योंकि उड़ते पंछी हैं। तो जब बाप मिला, ऊंचा स्थान मिला, ऊंची स्थिति मिली तो सदा उड़ते रहो और बेहद सेवा करते रहो।
8. फरिश्ता वही बनता जिसका देह और देह की दुनिया के साथ कोई रिश्ता नहीं। शरीर में रहते ही हैं सेवा के अर्थ, न कि रिश्ते के आधार पर। सम्बन्ध समझकर प्रवृति में नहीं रहना, सेवा समझकर रहना। कर्मबन्धन के वशीभूत होकर नहीं रहना। जहाँ सेवा का भाव है वहाँ सदा शुभ भावना रहती है, और कोई भाव नहीं, इसको कहा जाता है अति न्यारा और अति प्यारा, कमल समान।
9. फरिश्ता स्वरूप अर्थात् लाइट का आकार, जिसमें कोई व्याधि नहीं, कोई पुराने संस्कार स्वभाव का अंश नहीं, कोई देह का रिश्ता नहीं, कोई मन की चंचलता नहीं, कोई बुद्धि के भटकने की आदत नहीं - ऐसा फरिश्ता स्वरूप, प्रकाशमय काया का अनुभव करो तो देह के स्वार्था सम्बन्ध, सुख-शान्ति का चैन छीनने वाले विनाशी सम्बन्धी, मोह की रस्सियों में बांधने वाले, ऐसे अनेक सम्बन्ध स्वत: छूट जायेंगे। एक सुखदाई सम्बन्ध में ही सदा रहेंगे।
10. हम ब्राह्मण सो फरिश्ता हैं, यह कम्बाइन्ड रूप की अनुभूति विश्व के आगे साक्षात्कार मूर्त बनायेगी। ब्राह्मण सो फरिश्ता इस स्मृति द्वारा चलते-फिरते अपने को व्यक्त शरीर, व्यक्त देश में पार्ट बजाते हुए भी ब्रह्मा बाप के साथी अव्यक्त वतन के फरिश्ते, अव्यक्त रूपधारी अनुभव करेंगे। यह अव्यक्त भाव व्यक्तपन के बोल-चाल, व्यक्त भाव के स्वभाव, व्यक्त भाव के संस्कार सहज ही परिवर्तन कर देगा।
11. फरिश्ता अथार्त् दिव्यता स्वरूप। दिव्यता की शक्ति साधारणता को समाप्त कर देती है। जितनी जितनी दिव्यता की शक्ति हर कर्म में लायेंगे उतना ही सबके मन से, मुख से स्वत: ही यह बोल निकलेंगे कि यह दिव्य दर्शनीय मूर्त हैं। अनेक भक्त जो दर्शन के अभिलाषी हैं, उनके सामने आप स्वयं दिव्य दर्शन मूर्त प्रत्यक्ष होंगे तब ही सर्व आत्मायें दर्शन कर प्रसन्न होंगी।
12. फरिश्ता अर्थात् जिसकी दुनिया ही एक बाप है। निमित्त मात्र देह में हैं और देह के सम्बन्धियों से कार्य में आते हैं लेकिन लगाव नहीं। अभी-अभी देह में कर्म करने के लिए आये और अभी-अभी देह से न्यारे फारिश्ते सेकण्ड में यहाँ, सेकंड में वहाँ क्योंकि उडने वाले है। कर्म करने के लिए देह का आधार लिया और फिर ऊपर - अब यही अभ्यास बढ़ाओ।
13. फरिश्ता जीवन की विशेषता है - इच्छा मात्रम् अविद्या। देवताई जीवन में तो इच्छा की बात ही नहीं। जब ब्राह्मण जीवन सो फरिश्ता जीवन बन जाती अर्थात् कर्मातीत स्थिति को प्राप्त हो जाते तब किसी भी शुद्ध कर्म, व्यर्थ कर्म, विकर्म वा पिछला कर्म, किसी भी कर्म के बन्धन में नहीं बंध सकते।
14. फरिश्ता स्थिति का अनुभव करने के लिए विशाल दिल वाले बेहद के स्मृति स्वरूप बनो। जहाँ बेहद है वहाँ कोई भी प्रकार की हद अपने तरफ आकार्षित नहीं कर सकती। कर्मातीत का अर्थ ही है - सर्व प्रकार के हद के स्वभाव-संस्कार से अतीत अर्थात् न्यारा।
15. फरिश्ता जीवन बन्धनमुक्त जीवन है। भल सेवा का बन्धन है, लेकिन इतना फास्ट गति है जो जितना भी करे, उतना करते हुए भी सदा फ्री है। जितना ही प्यारा, उतना ही न्यारा। सदा ही स्वतन्त्रता की स्थिति का अनुभव करते हैं। शरीर और कर्म के अधीन नहीं, अगर देहधारियों के सम्बन्ध में आते भी हैं तो ऊपर से आये, संदेश दिया और यह उड़ा।
10-04-17 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“विश्व परिवर्तन के लिए शान्ति की शक्ति का प्रयोग करो”
आज बापदादा अपने विश्वपरिवर्तक बाप के आशाओं के दीपक बच्चों को चारों ओर देख हर्षित हो रहे हैं| बापदादा जानते हैं कि बच्चों का बापदादा से अति अति अति प्यार है और बापदादा का भी हर बच्चे के साथ पदमगुणा से भी ज्यादा प्यार है और यह प्यार तो सदा ही इस संगमयुग में मिलना ही है। बापदादा जानते हैं जैसे-जैसे समय समीप आ रहा है उसी प्रमाण हर एक बच्चे के दिल में यह संकल्प, यह उमंग-उत्साह है कि अभी कुछ करना ही है क्योंकि देख रहे हो कि आज की तीनों सत्तायें अति हलचल में हैं। चाहे धर्म सत्ता, चाहे राज्य सत्ता, चाहे साइंस की सत्ता, साइन्स भी अभी प्रकृति को यथार्थ रूप में चला नहीं सकती। यही कहते होना ही है क्योंकि साइंस की सत्ता है प्रकृति द्वारा सत्ता को कार्य करना। तो प्रकृति भी साइंस के साधन हाते प्रयत्न करते अभी कन्ट्रोल में नहीं है आरै आगे चलकर यह प्रकृति के खेल और भी बढ़ते जायेंगे क्योंकि प्रकृति में भी अभी आदि समय की शक्ति नहीं रही है। ऐसे समय पर अभी सोचो, अभी कौन सी सत्ता परिवर्तन कर सकती! यह साइलेन्स की शक्ति विश्व परिवर्तन करेगी। यह चारों ओर की हलचल मिटाने वाले कौन हैं? जानते हो ना! सिवाए परमात्म पालना के अधिकारी आत्मा के और कोई नहीं कर सकता। तो आप सभी को यह उमंग-उत्साह है कि हम ही ब्राह्मण आत्मायें बापदादा के साथ भी हैं और परिवर्तन के कार्य के साथी भी हैं।
बापदादा ने विशेष अमृतवेले साथ में चलते हुए भी देखा है कि जितना ही दुनिया में तीनों सत्ता की हलचल है उतना आप शान्ति की देवियां, शान्ति के देव जितना शक्तिशाली शान्ति की शक्ति को प्रयोग करना चाहिए उतना कम है। तो बापदादा अभी सभी बच्चों को यह उमंग दिला रहे हैं - सेवा के क्षेत्र में आवाज अच्छा फैला रहे हैं, उसमें हलचल है लेकिन साइलेन्स की शक्ति, (बार-बार खांसी आ रही है) बाजा खराब है फिर भी बापदादा बच्चों से मिलने के बिना तो रह नहीं सकते और बच्चे भी रह नहीं सकते) तो बापदादा यह विशेष इशारा दे रहे हैं कि अभी शान्ति की शक्ति के वायब्रेशन चारों ओर फैलाओ।
अभी विशेष ब्रह्मा बाबा और जगदम्बा को देखा कि स्वयं आदि देव होते शान्ति की शक्ति का कितना गुप्त पुरूषार्थ किया। आपकी दादी ने कर्मातीत बनने के लिए इसी बात को कितना पक्का किया। जिम्मेवारी होते, सेवा का प्लैन बनाते, (खांसी बार-बार आ रही है) बाजा कितना भी खराब हो लेकिन बापदादा का प्यार है! तो सेवा की जिम्मेवारी कितनी भी बड़ी हो लेकिन सेवा के सफलता का प्रत्यक्ष फल शान्ति की शक्ति के बिना, जितना चाहते हैं उतना नहीं निकल सकता क्योंकि अपने लिए भी सारे कल्प की प्रालब्ध को तभी बना सकते हैं। इसके लिए अभी हर एक को स्व के प्रति, सारे कल्प की प्रालब्ध राज्य की और पूज्य की इकठ्ठा करने के लिए अभी समय है क्योंकि समय नाजुक आना ही है। ऐसे समय पर शान्ति की शक्तियों द्वारा टचिंग पावर कैचिंग पावर बहुत आवश्यक होगी। ऐसा समय आयेगा जो यह साधन कुछ नहीं कर सकेंगे, सिर्फ आध्यात्मिक बल, बापदादा के डायरेक्शन्स की टचिंग कार्य करा सकेगी। तो अपने में चेक करो - बापदादा की ऐसे समय में मन और बुद्धि में टचिंग आ सकेगी? इसमें बहुतकाल का अभ्यास चाहिए, इसका साधन है मन बुद्धि सदा ही कभी कभी नहीं, सदा क्लीन और क्लीयर चाहिए। अभी रिहर्सल बढ़ती जायेगी और सेकण्ड में रीयल हो जायेगी। जरा भी अगर मन में बुद्धि में किसी भी आत्मा के प्रति या किसी भी कार्य के प्रति, किसी भी साथी सहयोगी के प्रति जरा भी निगेटिव होगा तो उसको क्लीन और क्लीयर नहीं कहा जायेगा। इसलिए बापदादा यह अटेन्शन खिंचवा रहा है। सारे दिन में चेक करो - साइलेन्स पावर कितनी जमा की? सेवा करते भी साइलेन्स की शक्ति अगर वाणी में नहीं है तो प्रत्यक्ष फल सफलता जितना चाहते हैं उतनी नहीं होगी। मेहनत ज्यादा है फल कम। सेवा करो लेकिन शान्ति के शक्तियों से सम्पन्न सेवा करो | उसमें जितनी रिजल्ट चाहते हो उससे अधिक मिलेगी। बार-बार चेक करो। बाकी बापदादा को खुशी है कि दिनप्रतिदिन जो भी जहाँ भी सेवा कर रहे हैं वह अच्छी कर रहे हैं लेकिन स्व प्रति शान्ति की शक्ति जमा करने का, परिवर्तन करने का और अटेन्शन।
अभी सारी दुनिया ढूंढ रही है कि आखिर विश्व परिवर्तक निमित्त कौन बनता है! क्योंकि दिन प्रतिदिन दु:ख और अशान्ति बढ़ रही है और बढ़नी ही है। तो भक्त अपने इष्ट को याद कर रहे हैं, कोई अति में जाके परेशानी से जी रहे हैं। धर्म गुरूओं के तरफ नज़र घुमा रहे हैं। और साइंस वाले भी अभी यही सोच रहे हैं कैसे करें, कब तक होगा। तो इन सबको जवाब देने वाले कौन? सबकी दिल में यही पुकार है कि आखिर भी गोल्डन मॉर्निंग कब आनी है। तो आप सभी लाने वाले हो ना! हो? हाथ उठाओ जो समझते हैं, निमित्त हो। निमित्त हो। अच्छा। इतने सारे निमित्त हैं तो कितने समय में होना चाहिए! आप सभी भी खुश हो जाते हैं और बापदादा भी खुश हो जाते हैं। देखो यह गोल्डन चांस हर एक को गोल्डन प्रमाण प्राप्त होता है।
अभी आपस में जैसे सर्विस की मीटिंग करते हो, प्राब्लम हल करने के लिए करते हो ना। ऐसे यह मीटिंग करो, यह प्लैन बनाओ। याद और सेवा। याद का अर्थ है शान्ति की पावर और वह प्राप्त होगी, जब आप टॉप की स्टेज पर होंगे। जैसे कोई टॉप स्थान होता है ना तो वहाँ खड़े हो जाओ तो कितना सारा स्पष्ट दिखाई देता है। ऐसे आपकी टॉप की स्टेज, सबसे टॉप क्या है! परमधाम। बापदादा कहते हैं सेवा की और फिर टॉप की स्टेज पर बाप के साथ आकर बैठ जाओ। जैसे थक जाते हैं ना तो 5 मिनट भी कहाँ शान्ति से बैठ जाते हैं ना तो फर्क पड़ जाता है ना। ऐसे ही बीच-बीच में बाप के साथ आकर बैठ जाओ। और दूसरा टॉप का स्थान है सृष्टि चक्र को देखो, सृष्टि चक्र में टॉप स्थान कौन सा है? संगम पर आके सुई टॉप पर दिखाते हो ना। तो नीचे आये, सेवा की फिर टॉप स्थान पर चले जाओ। तो समझा क्या करना है? समय आपको पुकार रहा है या आप समय को समीप ला रहे हो? रचता कौन? तो आपस में ऐसे ऐसे प्लैन बनाओ। अच्छा।
बच्चों ने कहा आना ही है तो बाप ने कहा हाँ जी। ऐसे ही एक दो के बातों को, स्वभाव को, वृत्ति को समझते, हाँ जी, हाँ जी करने से संगठन की शक्ति साइलेन्स की ज्वाला प्रगट करेगी। ज्वालामुखी देखा है ना। तो यह संगठन की शक्ति शान्ति की ज्वाला प्रगट करेगी। अच्छा।
महाराष्ट्र-आंध्रप्रदेश, बाम्बे का सेवा का टर्न है:- नाम ही महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र को विशेष ड्रामानुसार गोल्डन गिफ्ट प्राप्त हुई है। कौन सी? ब्रह्मा बाप और माँ की पालना महाराष्ट्र को डायरेक्ट मिली है। दिल्ली और यू.पी. में भी मिली है लेकिन महाराष्ट्र को ज्यादा। अभी महाराष्ट्र, महा तो हो ही। अभी क्या करना है! महाराष्ट्र मिलके ऐसा प्लैन बनाओ, ऐसी मीटिंग करो जिसमें सबके एक ही स्वभाव, एक ही संस्कार, एक ही सेवा का लक्ष्य, शान्ति की शक्ति कैसे फैलायें, उसके प्लैन बनाओ। बनायेंगे ना! बनायेंगे? अच्छा बापदादा को एक मास के बाद रिपोर्ट देंगे कि क्या प्लैन बनाया है! आपके इस रूहरिहान से और भी एडीशन हो जायेगी। भिन्न-भिन्न जोन हैं ना, तो वह भी एडीशन करेंगे उसमें घाट आप बनाओ और हीरे वह जोड़ेंगे। है ना हिम्मत। टीचर्स हिम्मत है! पहली लाइन हिम्मत है? संस्कार मिलन यह रास कौन सा जोन करेगा? कोई जोन शुभ वृत्ति, शुभ दृष्टि और शुभ कृति यह कैसे हो, एक जोन यह उठाये। दूसरा जोन - अगर कोई आत्मा स्वयं संस्कार परिवर्तन नहीं कर सकती है, चाहती भी है लेकिन कर नहीं पाती तो उन्हों के प्रति क्या रहमदिल, क्षमा, सहयोग, स्नेह देकर कैसे अपने ब्राह्मण परिवार को शक्तिशाली बनायें इसका प्लैन बनायें। यह हो सकता है? हो सकता है? पहली लाइन बताओ हो सकता है? हाथ उठाओ हो सकता है। क्योंकि पहली लाइन में सब महारथी बैठे हैं। अभी बापदादा नाम नहीं सुनाते हैं, हर एक जोन को जो अच्छा लगे वह रूहरिहान कर फिर शिवरात्रि के बाद भी एक मास में रिजल्ट सुनायें। महाराष्ट्र है ना और अच्छा है। वृद्धि तो सब जगह हो रही है उसकी बापदादा मुबारक, मुबारक दे ही रहे हैं। अभी जो किया उसकी तो मुबारक है लेकिन अभी क्वालिटी की वृद्धि करो। क्वालिटी का अर्थ यह नहीं कि साहूकार हो, क्वालिटी का मतलब है याद को नियम प्रमाण जीवन में सबूत बन करके दिखावे। बाकी माइक और वारिस वह तो जानते ही हो। निश्चयबुद्धि और निश्चिंत हो। अच्छा।
डबल फारेनर्स उठो:- (युगलों और कुमारियों की रिट्रीट विशेष चली है) यह निशानी लगाके आये हैं। अच्छा लगता है। कुमारियां ऐसे घूम जाओ जो दूसरे देखें। चक्र लगाओ। अच्छा है। सभी लक्की हैं लेकिन कुमारियां डबल लक्की हैं। क्यों! ऐसे तो कुमार भी लक्की हैं लेकिन कुमारियों को अगर कुमारी जीवन में अमर रहती हैं तो बापदादा का गुरूभाई का तख्त मिलता है। दिलतख्त तो है ही। वह तो सभी को है लेकिन गुरू का तख्त है जहाँ बैठ करके मुरली सुनाते हैं। टीचर बनके टीच करते हो। इसीलिए बापदादा कहते हैं कि कुमारियां, कुमारियों के लिए गायन है कि 21 परिवार का उद्धार करने वाली हैं। तो आपने अपना 21 जन्म का तो उद्धार किया लेकिन और जिन्हों के निमित्त बनती हो उन्हों का भी 21 जन्म का उद्धार किया। तो ऐसी कुमारियां हो ना। ऐसी हो? पक्का। जो थोड़ा थोड़ा कच्चा है वह हाथ उठाओ। पक्के हैं। आपने देखा पक्की कुमारियां हैं। पक्की हैं! मोहि नी बहन (न्युयार्क) बतायें पक्की हैं। कुमारियों का ग्रुप पक्का है। इनकी टीचर कौन! (मीरा बहन) पक्का तो ताली बजाओ। बापदादा को भी खुशी है। अच्छा। (यह कुमारियों की आठवीं रिट्रीट है - इनका विषय था अपनेपन का अनुभव, 30 देशों की 80 कुमारियां आई हैं, सबने अपनेपन का बहुत अच्छा अनुभव किया) मुबारक हो। यह तो कुमारियां हुई, आप सब कौन हो? आप कहो यह तो कुमारियां हैं हम ब्रह्माकुमार और ब्रह्मा कुमारियां हैं। आप भी कम नहीं हैं। यह कुमारों का ग्रुप है, मिला हुआ ग्रुप है। अच्छा है। युगलों को कौन सा नशा है? एकस्ट्रा नशा। मालूम है। जबसे प्रवृत्ति वाले इस नॉलेज को धारण करने लगे हैं तो मैजारिटी अभी लोगों में हिम्मत आई है कि हम भी कर सकते हैं। पहले समझते थे कि ब्रह्माकुमारियां बनना अर्थात् सब कुछ छोड़ना लेकिन अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमार कुमारी बनके परिवार व्यवहार सब चल सकता है। और युगलों की एक विशेषता और है, उन्होंने महात्माओं को भी चैलेन्ज की है कि हम साथ रहते, व्यवहार करते, हमारा परमार्थ श्रेष्ठ है। विजयी हैं। तो विजय की हिम्मत दिलाना यह युगलों का काम है। इसीलिए बापदादा युगलों को भी मुबारक देते हैं। ठीक है ना। चैलेन्ज करने वाले हो ना, पक्का। कोई आके सी.आई.डी करे, तो करने दो। कहो करने दो। है ताकत? है? हाथ उठाओ। अच्छा। बापदादा सदा ही डबल फारेनर्स को हिम्मत वाले समझते हैं। क्यों? बापदादा ने देखा है कि काम पर भी जाते, क्लास भी करते, कई क्लास भी कराते लेकिन आलराउन्ड सेन्टर की सेवा में भी मददगार बनते हैं। इसीलिए बापदादा टाइटल देते हैं यह है आलराउण्ड ग्रुप। अच्छा। ऐसे ही आगे बढ़ते रहना और औरों को भी आगे बढ़ाते रहना। अच्छा।
ग्राम विकास प्रभाग की मीटिंग चल रही है:- अच्छा सुनाया था। कोई नवीनता कर रहे हैं ना। कर रहे हैं कोई नवीनता। क्या कर रहे हैं! कोई भी बताये। (मोहिनी बहन ने सुनाया, योग के प्रयोग के साथ जैविक खेती करने का प्लैन बनाया है) अच्छा है, क्योंकि आजकल जो खेती से निकलता है उसमें भी प्राब्लम्स हैं। तो अच्छा कार्य किया है। एक अपना फायदा योग करेंगे और दूसरा जनता की दुआयें मिलेंगी। तो अच्छा कर रहे हैं। उमंग उत्साह से कर रहे हैं और करते रहना। अच्छा - मुबारक हो।
अच्छा जो आज नये पहली बार आये हैं वह उठो। आधा क्लास नया है। तो आप सबको मधुबन आने की विशेष खुशी होगी, खुशियों की मुबारक हो। और बापदादा सदा सभी को यही कहते कि अमर भव का वरदान सदा अमृतवेले रिवाइज करते रहना। यहाँ बाप का वरदान तो मिलता है लेकिन समय पर वरदान काम में तब आयेगा जब रोज रिवाइज करते रहो। तो रिवाइज करते रहना और आगे से आगे बढ़ते रहना। अच्छा। बाकी सभी जो भी आये हैं तो बापदादा आप सभी के बहुत-बहुत प्यार भरे आह्वान से शरीर को चला रहे हैं। अच्छा।
टीचर्स। टीचर्स ठीक हैं। बहुत हैं टीचर्स। अच्छा पुरानी भी उठ रही हैं। अच्छा है देखो, बाप समान टाइटल आपको भी है। बाप भी टीचर बन करके आता है तो टीचर माना स्व अनुभव के आधार से औरों को भी अनुभवी बनाना। अनुभव की अथॉरिटी सबसे ज्यादा है। अगर एक बार भी कोई बात का अनुभव कर लेते हैं, जीवन भर नहीं भूलता है। सुनी हुई बात, देखी हुई बात भूल जाती है लेकिन अनुभव की हुई बात कभी भी भूलती नहीं हैं। तो टीचर्स अर्थात् अनुभवी बन अनुभवी बनाना। यही काम करते हो ना। अच्छा है। जो भी अनुभव में कमी हो ना, वह एक मास में भर देना। फिर बापदादा रिजल्ट मंगायेंगे। अच्छा।
अभी चारों ओर के बापदादा के दिलतख्तनशीन और विश्व राज्य के तख्तनशीन, सदा अपने साइलेन्स की शक्ति को आगे बढ़ाते और औरों को भी आगे बढ़ाने का उमंग-उत्साह देने वाले, सदा खुश रहने वाले और सबको खुशी की गिफ्ट देने वाले चारों ओर के बापदादा के लक्की और लवली बच्चों को बापदादा का यादप्यार और दुआयें, नमस्ते।
शान्तामणि दादी को:- आपको कौन सा टाइटल मिला है? (सचली कौड़ी) बापदादा सदा सचली कौड़ी के रूप में देखता है। अच्छा है फिर भी देखो चला रही है। मुबारक हो, शरीर चल रहा है। अच्छा (मुन्नी बहन ने बापदादा से पूछा बाबा दादी का जन्म हो गया है? बापदादा ने कहा हाँ हो गया है)