16-10-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन


''ओम् शान्ति शब्द के अर्थ स्वरूप में टिककर मन की डांस बढ़ाओ, मन के मौन की आदत डालो तो मुख के आवाज से दूर होते जायेंगे और शान्ति की किरणों से सेवा स्वत: बढ़ती जायेगी''

ओम् शान्ति। यह महावाक्य कितने सभी के प्यारे हैं। भले कुछ भी हो लेकिन ओम् शान्ति शब्द रोने का वायुमण्डल हो, तो भी ओम् शान्ति शब्द हमारे को शान्ति की याद दिलाता है। ओम् शान्ति कहने से ही कैसा भी दृश्य सामने आवे लेकिन ओम् शान्ति का अर्थ अपना ही रूप दिखाता है। ओम् शान्ति कहना स्वत: ही अन्दर शान्ति की लहर फैलाता है। सबके दिल में ओम् शान्ति अपना ही अर्थ फैलाता है। जैसे बाबा शब्द अपना अर्थ फैलाता है, ऐसे ओम् शान्ति के शब्द से अपना ही अर्थ दिल में फैलता है। दिल में फैलाता तो है लेकिन फैलाते हुए उस अर्थ स्वरूप में स्थित हो जाते, सिर्फ कहते नहीं हैं लेकिन चारों ओर देखो तो ओम् शान्ति के अर्थ स्वरूप में मैजारिटी टिके हुए हैं। मैजारिटी के रूप चमक रहे हैं। एक दो को देख, एक दो के संग का रंग चेहरे में चमकता रहता है इसलिए बापदादा भी ओम् शान्ति ही याद दिलाता है। हर एक के मुख में अन्दर ओम् शान्ति का अर्थ दिखाई दे रहा है। हर एक के दिल अन्दर ओम् शान्ति का अर्थ स्वरूप दिखाई दे रहा है। आप सबके दिल अन्दर अर्थ आ गया! हर एक ओम् शान्ति के अर्थ स्वरूप में दिखाई दे रहा है, कोई बोल रहा है, देख रहा है ओम् शान्ति।

अभी भी सभी इस घड़ी ओम् शान्ति के अर्थ स्वरूप में बहुत अर्थ में मगन हैं। तो बाप भी कहते हैं इसी ओम् शान्ति अर्थ में टिकने से, सबकी शक्लें मैजारिटी ओम् शान्ति के अर्थ में मगन हैं। आगे पीछे हाथ क्या उठायें लेकिन मैजारिटी सब इस अर्थ स्वरूप में समाये हुए हैं। सबके मुख से ओम् शान्ति ही निकल रहा है। सभी के दिल में ओम् शान्ति शब्द समाया हुआ है। सभी के मन में यह अर्थ इमर्ज है। सभी उस ओम् शान्ति के अर्थ में मन की डांस कर रहे हैं। भले पांव की डांस नहीं कर रहे हैं लेकिन मन की डांस मैजारिटी कर रहे हैं और यह मन की डांस कितनी प्यारी है। किसी को परेशान नहीं करती। हर एक अपने मन की शान्ति होने के कारण बहुत बाहर से भी शान्त, मन से भी शान्त। ऐसे डबल ओम् शान्ति, बाहर मुख से भी ओम् शान्ति और मन से भी ओम् शान्ति। यह भी एक डांस है। यह मन की डांस है। शान्ति में बैठे कितनी मीठी डांस कर रहे हैं। लेकिन मन की डांस होने के कारण बाहर का आवाज नहीं है। हर एक अपने मन की डांस में बिजी है इसलिए मन का आवाज है लेकिन मुख का आवाज नहीं है। इतने लोग होते भी नजदीक तक कोई आवे तब सुन सकता है क्योंकि मन की डांस मन ही जाने। और इस मन की डांस में इतने बिजी हैं जो इस मन की डांस में बाहर कितने भी बैठे हैं लेकिन मन शान्त है। मन की मस्ती में सब मगन हैं इसलिए यह मन की डांस में बाहर का आवाज नहीं करते लेकिन यह मन की डांस मन में इतने रंग दिखाती जो बहुत प्यारे हैं। यह मन का डांस जब भी होता है तो बाहर की आवाज कुछ नहीं। हर एक इतने बैठे हैं लेकिन आवाज नहीं है क्योंकि मन की डांस में सब बिजी हैं। यह डांस अच्छी लगती है ना। बाहर की डांस तो बहुत ही देखी है लेकिन यह मन की डांस बहुत रमणीक है। इस डांस को ज्यादा बढ़ाओ। मन की डांस जानते हो ना! जानते हो? जो जानते हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा, सभी जानते हैं। बहुत अच्छा हाथ भी उठा रहे हैं। तो अभी इस डांस में नम्बर आगे जाओ। यह मन की डांस अच्छी लगती है वा मुख की डांस अच्छी लगती है? अभी आदत डालो मन के डांस की। इसमें ही बिजी रहने से, मन की डांस करने के टाइम यहाँ हाल में कितनी शान्ति हो जाती है। लेकिन यह डांस अभी ज्यादा आवश्यक है क्योंकि दिनप्रतिदिन बाहर का हंगामा तो बढ़ता है, बढ़ना ही है। ऐसे टाइम पर बाहर की डांस या बाहर की आवाज में आना वह भी अच्छा है लेकिन मन के डांस की प्रैक्टिस बहुत चाहिए। इसकी अन्दर ही अन्दर प्रैक्टिस होनी चाहिए। सारे दिन में इसका टाइम पहले निकालो। हर एक पूरे दिन में दोनों ही डांस का टाइम निकालो और प्रैक्टिस करो। जितना यह डांस करते रहेंगे तो इस डांस से, मन की डांस का प्रभाव, मुख की डांस में भी पड़ता रहता है। तो अभी मन का डांस बढ़ाओ। फिर बहुत रूचि बढ़ती जायेगी। अभी बाप ने देखा तो कईयों का मन की डांस में इन्ट्रेस्ट बढ़ता जाता है और चारों ओर सच्ची शान्ति की अनुभूति हो रही है। कईयों का अनुभव इसमें बहुत अच्छा बढ़ता जा रहा है। यह अभ्यास बढ़ना बहुत फायदे वाला है। जो बाहर मौन का प्रोग्राम बनाते हो तो उसमें भी मन की शान्ति बढ़ती है और मन की शान्ति बढ़ने से आटोमेटिकली मुख का बोल भी कम होने लगा है। तो हर एक को अभी इस समय क्या अटेन्शन देना है! मन के मौन पर। मन का मौन, मन का मौन आप जानते हो! कि इतना नहीं जानते हो? शौक रखो इस पर, मन का मौन बढ़ता जाए। मन का मौन बढ़ने से तन का मौन स्वत: ही बढ़ता जाता है। इसमें आप सभी अपने अन्दर मन का मौन बढ़ाने का पुरूषार्थ प्यार से बढ़ाते चलो। जितना इस तरफ कोशिश करेंगे, रूचि बढ़ेगी तो स्वत: ही मन के मौन होने से आवाज से दूर होते जायेंगे और अन्दर शान्ति की किरणें बढ़ती जायेंगी। तो अभी एक सप्ताह विशेष मन की शान्ति का यह एक सप्ताह मनाओ। मुख की शान्ति घटाओ, मन की शान्ति बढ़ाओ। तो यह ट्रायल करो मन की शान्ति से सब प्रकार की शान्ति बढ़ती जायेगी। अभी एक मास मन की शक्ति को बढ़ाना है। मन की शान्ति बढ़ने से आटोमेटिकली मुख की शक्ति बढ़ती रहेगी। यह प्रैक्टिस सभी को अच्छी लगती है! हाथ उठाओ। अच्छा, हाथ तो सभी ने उठाया है मैजारिटी।

अभी यह मन की शक्ति क्या है! और उसको कैसे बढ़ाना है, यह भी अन्दर ही अन्दर अभ्यास करते रहो, और यह मन की शान्ति का लेसन बढ़ाते रहो। जितनी मन की शान्ति बढ़ेगी उतनी ही मन की शान्ति का प्रभाव मुख की शान्ति पर भी पड़ेगा और जितनी मन की शान्ति बढ़ेगी उतनी मुख की शक्ति बाहर की वह कम होगी। आजकल बीच में बहुत अच्छी यह रेस चली थी, मन की शान्ति सबकी बढ़ गई थी, चाहे मन्सा सोचने की शक्ति, चाहे मुख द्वारा चाहे सूक्ष्म शक्ति बढ़ने के अभ्यास द्वारा जितना बढ़ायेंगे उतना ही शक्ति बढ़ करके मुख की शक्ति कम होगी तो काफी बोल में जो नीचे ऊपर होता है, या बोल के लिए पुरूषार्थ करते हैं वह देखा गया कि कम होता है। तो वह करते चलें, यही बापदादा का कहना है।

सेवा का टर्न, पंजाब और राजस्थान का है, टोटल 22000 आये हैं:- वैसे टोटली अभी जो सबजेक्ट चली है, सेवा और याद, यह दो सबजेक्ट हैं। अभी सेवा को भी बढ़ाना ही है। आप क्या समझते हो, सेवा को बढ़ायें? हाथ उठाओ। सेवा भी जरूरी है। अगर सेवा नहीं करेंगे तो यहाँ वहाँ टाइम ऐसे ही चला जायेगा क्योंकि टाइम तो पास करना ही है और अच्छा टाइम पास करना है, जो आया सो किया, नहीं। कायदे मुजीब जैसे प्रोग्राम मिले उसी अनुसार रिजल्ट निकलनी चाहिए।

रमेश भाईकी तबियत ढीली है उन्हें हॉस्पिटल लेकर जा रहे हैं, वह बापदादा से मिल रहे हैं, रमेश भाई ने बापदादा को नई पुस्तकें भेंट की:- ओम् शान्ति। सार्विस का तो चल ही रहा है और सार्विस भी जरूरी है। सार्विस के बिना आप भी फ्री हो जायेंगे ना तो आपको भी और और संकल्प चलेंगे कि कुछ होना चाहिए लेकिन पहले अभी जो सार्विस के प्लैन के बारे में निकला है, तो बापदादा का यही विचार है कि पहले जो सेवा रही हुई है उनको पूरा करो। ऐसे शुरू करते हैं फिर कुछ समय के बाद वह जोश जो है सार्विस करने का वह कम हो जाता है।

अच्छा है, रमेश आपका विचार तो बढ़िया है लेकिन इसमें करने के समय कुछ विशेष ध्यान भी रखना पड़ेगा, वह थोड़ा आपस में बैठकर इसके बारे में चर्चा करो, तो वह कैसे चलायें और कैसे उसकी वृद्धि हो। ज्यादा टूमच में भी नहीं जाना है और न एकदम कम कर देना है। बीच में चाहिए दोनों तरफ इसलिए पहले एक छोटी मीटिंग करो, उसमें आइडिया बनाओ क्या-क्या करना है, क्या नहीं करना है, वह हर एक अपना विचार देवे उस पर पहले प्लैन बनाओ क्योंकि सार्विस सभी की बढ़ायें या नहीं, यह पता पड़ जायेगा।

डबल विदेशी 75 देशों से 900 आये हैं:- (बापदादा को सार्विस का प्लैन भेजा है, बापदादा उस पर अपने महावाक्य उच्चारण कर रहे हैं) इनका सार्विस का प्लैन बढ़िया है। जितना सार्विस में आगे बढ़ते हैं उतना ही फिर और सबजेक्ट में भी पीछे नहीं रहें। उसका फिर मिलकर प्लैन बनायेंगे तभी फाइनल करेंगे। पहले जिन्होंने सार्विस का प्लैन बनाया है उसको पहले सुनो और उसे फाइनल कर सको तो करो, नहीं तो एडीशन करनी हो तो एडीशन की भी रूपरेखा बताओ फिर उसका सोचकर सार्विस का भी बनाओ और योग का भी बनाओ। यह दोनों टापिक जरूरी है उसको बनाकर फिर यह प्लैन जो है उसको फाइनल करो तो इसमें क्या करना है, क्या नहीं करना है। जो समझते हो कि यह सेवा जरूरी है वह प्लैन बनाके पहले पास कराओ फिर आउट करना। (दादियां बापदादा से मिल रही हैं)

बाबा आपका तो पहले सार्विस भी आपकी, क्योंकि बाबा को शौक है सेवा का। सेवा की तरफ ही अटेन्शन जाता है इसलिए सेवा भी करनी है और साथ में यह जो सेवा है, उसको बढ़ाना भी है। एक तरफ बाबा कहते हैं बढ़ाओ, दूसरे तरफ कहते हैं इतनी सेवा नहीं करो जो सम्भाल नहीं सको। यह भी पहले सिस्टम ठीक करो। सिस्टम ठीक हो जायेगी तो फिर आटोमेटिकली सब डिपार्टमेंट में वह ठीक होगी। लेकिन ध्यान जाए तो एक-एक डिपार्टमेंट को जैसे आप निकालेंगे वैसे ही करना है या कुछ एड करना है या कट करना है। वह भी पहले फाइनल करना है।

विदेश की बड़ी बहिनों से:- सभी आये हैं। तो आपस में बैठे हैं! आपने अपना प्लैन बना दिया है? (अभी बनायेंगे) तो पहले बनाओ फिर बापदादा देखेंगे कि क्या-क्या हो सकता है और फिर इस सेवा को, जैसे इतना टाइम आपने दिया ना, तो इतना टाइम सभी को निकालना ही पड़ेगा क्योंकि वह रिपीट तो करेंगे ना। उसमें भी बहुत करके एम रखो सार्विस जो मुख्य है वह बता दो फिर डबल बारी नहीं बैठें। जो सार्विसएबुल हैं जो सार्विस के लिए सोचते हैं, आये भी सार्विस के प्लैन के लिए हैं। तो जितना सार्विस के ऊपर अटेन्शन देना है उतना सार्विस का फायदा उठा सकें। आपस में बैठकर कोई नवीनता निकालो। यह सब जो चलता है उसको थोड़ा ठीक करो और कोई नवीनता निकालो।

जर्मनी में रिट्रीट सेन्टर मिला है, सुदेश बहन बाबा को उसका नक्शा दिखा रही हैं:- भले सभी देखो, फिर फाइनल करो।

(न्युयार्क की मोहिनी बहन ने सभी की याद बापदादा को दी, मोहिनी बहन की प्लैटिनम जुबिली है, बापदादा उन्हें हार पहना रहे हैं।)

बैंगलोर की सरला दादी बापदादा को गुलदस्ता दे रही हैं:- तबियत ठीक है। अच्छा है।


 

15-11-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन


(आज बापदादा शान्तिवन में पधारे लेकिन बच्चों को भविष्य राजधानी दिल्ली की सैर
कराई, इसलिए दिल्ली के स्थानों को बार-बार याद किया)

ओम् शान्ति। देखो, कितने समय के बाद इतने अन्दाज में भाई बहनें यहाँ तक मिलने आ रहे हैं। बाप से मिलने के लिए कहाँ कोई भी बातें हों तो भी यहाँ ही आना पड़े। और कितने सब साधन अपने साथ लेकर कितने प्यार से मिलने आते हैं। बापदादा भी एक एक रत्न को देख खुश होते हैं, जो इतना दूर से
मिलने आते हैं, बाप भी मिलने आते हैं, बच्चे भी मिलने आते हैं। यहाँ कुछ भी बहाना वा इतराज नहीं है, बाप भी आते हैं, बच्चे भी आते हैं और दोनों के मन में कितना स्नेह, कितना मन में उमंगें हैं, जो सदा उड़ते रहते हैं। हर एक अपने मन से भी पूछ सकते हैं क्योंकि हर एक के मन में यह उमंग जरूर है कि साकार में बाबा इतना दूर से आता है, बाबा भी दूर से आता है, बच्चे भी दूर से आते हैं। यह मिलन भी एक और रौनक में ले आता है। हर एक के मन में उमंग कितना है, कहाँ जा रहे हैं! बाबा से मिलने। बाबा से मिलना तो अच्छा लेकिन कहाँ से कहाँ आकरके पहुंचते हैं, यही हर एक देखता रहता है। (आज बाबा ने सबको अपनी भविष्य राजधानी दिल्ली की सैर कराई) आज बाबा से मिले लेकिन दिल्ली में मिले। और दिल्ली वाले अपना कितना बड़ा भाग्य समझते हैं कि भगवान हमारे लिए आये हैं। पहले इतना मेला कभी लगा नहीं, जैसे अभी बाबा और बच्चे कहाँ मिल रहे हैं। पता है ना? कहाँ मिल रहे हो? बापदादा भी कितना खुशी से कहाँ मिलने आये है! दिल्ली में या मधुबन में। सभी कितने भरपूर हो गये हैं। और इस दिन को कितना समय याद किया, कब वह तारीख आयेगी जब बाप और बेटे का मिलन होता है। सब वह दिन याद करते थे। कब आयेगा? आज आ गया। यह मिलन भी विशेष दिन है। सभी के दिल में कितनी खुशी हो रही है कि हम कहाँ आये हैं? दिल्ली में आये हैं! या मधुबन में आये हैं! मधुबन में तो और बात है लेकिन आज दिल्ली में आये हैं। और सब कितने खुश हो रहे हैं जो दूर तक नहीं पहुंच सकते, उन्हों के लिए तो जैसे स्वर्ग में जा रहे हैं, कितनी खुशी की बात है। हर एक के दिल से पूछो, अभी आप पहुंच गये हो। कितना दिन भी सुहाना है और सुहाने में सुहाना हमारा बाबा है। दिल्ली में पहुंचे हैं! दिल्ली में राज्य तो करना है लेकिन पहले दिल्ली में सेवा भी करनी है। और बाबा से मिलना भी है। देखो कईयों के लिए तो बाबा से मिलना बहुत दूर है। बाप को भी रहा नहीं जाता। अच्छा यह भी मजा ले लें। बच्चे भी बहुत होशियार है। लेकिन बाबा जब देखते हैं कि बच्चों का प्यार सब तरफ से है। बाप भी सोचते हैं बच्चे सब देख लें। और बाप भी समझते हैं, अभी आबू में रहे हुए हैं तो आबू में क्या क्या देखेंगे। जो थोड़ा था वह तो देख लिया। अभी क्या देखेंगे! इसलिए यह प्रोग्राम बनाया जो यह पास में मशहूर स्थान है, जैसे जयपुर है। ऐसे भी मुख्य स्थान यहाँ के देख लेवें। आपको भी पसन्द है ना। मुख्य स्थान जो हैं ना, वह देख लेवें। तो बाबा को बच्चों को घुमाना तो है ना।

दिल्ली तो हमारे राज्य में नम्बरवन है। दिल्ली पर राज्य करेंगे ना। आपका राज्य कहाँ होगा? दिल्ली में राज्य करेंगे ना! आपके लिए राज्य तैयार हो रहा है। सभी खुशी-खुशी से देखो पहुंच गये हो। और बाप को भी खुशी होती है कि इन्हों को राज्य तो वहाँ ही करना है। राज्य करेंगे ना आप दिल्ली में।

(राज्य दिल्ली में करेंगे तपस्या शान्तिवन में करेंगे) सभी की बहुत समय से यह दिल थी कि हम अपनी राजधानी को भी तो देखें कि कहाँ राज्य करेंगे! राज्य तो आप ही करेंगे ना। तो अभी से देख लो कोई भी एडीशन करनी है, तो बाबा को बता दो कि यह थोड़ा कम दिखाई देता है। बाबा भी खुश होता है बच्चे  जिसमें खुश होते हैं। अच्छा है। जब बच्चे खुली दिल से कहते हैं, नहीं बाबा यह स्थान जरूर देखेंगे तो बाप भी ले जाता है। कुछ लोगों को थोड़ा थकावट या कुछ भी होता है लेकिन उनको 5 मिनट कोई योगी बच्चा या बच्ची को मिलाके उनको लक्ष्य देकर उनमें ताकत भरते हैं, जो बीच से निकल नहीं जायें। जितने निकले हैं उतने तो पहुंचें ना।

आप लोग भी कहाँ राज्य करेंगे। दिल्ली मुख्य है ना। आता है ना यहाँ हम राज्य करेंगे। हमारा राज्य तैयार हो रहा है। यह सब किसलिए हो रहा है? प्रकृति भी हमारे लिए तैयार हो रही है। बाप भी देख रह हैं कि प्रकृति भी इन्हों की बहुत मददगार बनी है क्योंकि बापदादा देखते हैं कि यह बच्चे तो अच्छी मेहनत करते हैं। मदद करने में, समझाने में सभी मेहनत अच्छी कर रहे हैं। और सब खुश हैं और यह चक्र लगाने में खुश हैं। हैं खुश? जो खुश हैं वह हाथ उठावें। हाथ तो उठा रहे हैं। कितना भी कहो लेकिन बापदादा भी साथ है, यह वन्डरफुल बात है। बाप को भी मजा आ रहा है बच्चों के साथ। तो बच्चे भी खुश हो रह हैं, वैसे तो इतने रह नहीं सकते हैं लेकिन अभी जब बापदादा ने प्रोग्राम बनाया है तो हर एक हर स्थान देख लेवे। राजधानी देखने की खुशी तो होती हैं ना। यहाँ राज्य करेंगे और मुख्य राजधानी देख ली तो सब देख लिया। बाबा जानते हैं कि सब चक्र लगाने चाहते हैं लेकिन थोड़ा सबको बीच में आराम भी देते हैं, जिससे वह थकावट के कारण ऐसे इतना नहीं चक्र लगा सकते। लेकिन देखना ही है तो अपनी रूचि से, अपन दिल से चक्र लगाने में थकावट कम होती है।

आप सब दिल्ली में राज्य करने वाले हैं, वह तो भाषण वगैरा करने आते हैं उससे आपने देख लिया कि क्या क्वालिटी है। सबको अच्छा लगा! जहाँ आप राज्य करेंगे वह एडवांस में देख लिया। देखा? अच्छा लगा? अच्छा।

सेवा का टर्न कर्नाटक और इन्दौर जोन का है:- बापदादा भी खुश है। सभी प्यार से अपनी राजधानी तैयार कर रहे हैं, कुछ किया हुआ है, कुछ कर रहे हैं। आप अच्छी तरह से देख लो आपके राज्य में क्या क्या होगा! और जो खास मिस हो तो बता सकते हो। पसन्द है दिल्ली? क्योंकि पीछे भी तो राज्य करना है ना, वह भी दिल्ली में ही करना है। इतना टाइम से बैठे हैं तो थक गये होंगे। सब तीन मिनट बैठो और विदाई लो।

ग्लोबल हॉस्पिटल की सिल्वर जुबली ईयर चल रहा है
:- बहुत अच्छा। अभी क्या करना है?

40 देशों से 400 डबल विदेशी आये हैं:- सभी ने माउण्ट आबू तो देखा है ना। लेकिन आप लोग जो सुनते हो ना, आज यह हाल में प्रोग्राम चल रहा है, तो अभी तो आपके सामने वह देखा हुआ आता है, देख चुके हैं, वह सामने आ जाता है। तो देखने से मजा भी आता है। अभी प्रोग्राम हुआ नहीं है, होना है। लेकिन है यही हाल जहाँ सब आफीशियल प्रोग्राम चलने हैं।

(मुन्नी बहन ने बापदादा को कहा मोहिनी बहन बहुत याद आती है, वह कहाँ है।)
अभी वह सेवा कर रही है। अच्छा।


 

05-12-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन


“सभी दिल के तस्वीर में पहले अव्यक्त मिलन की याद समाई हुई है,
सभी के मुख में, दिल में है मेरा बाबा, मीठा बाबा,प्यारा बाबा”


ओम् शान्ति।
आज के दिन ब्रह्मा बाबा की याद ज्यादा आती है। यही दिन है जो अव्यक्त रूप में बापदादा के मिलन का सूक्ष्मवतन में पार्ट चला था और सभी की सूरत में बापदादा की मूर्त स्पष्ट प्रत्यक्ष हुई थी। सभी के मुख से एक ही शब्द निकला हमारा बाबा, हमारा बाबा हमसे मिल रहे हैं। वही दिन था जो आप सभी बच्चे अव्यक्त रूप में मिल रहे थे, जैसे अभी आप सब बाबा से मिल रहे हैं, तो यही दिन था पहला दिन, जो अव्यक्त रूप में बाप बच्चों से मिला था। हर एक के मन में वह दिन जिसको कहते हैं अव्यक्त मिलन, अव्यक्त रूप का मिलन भी हुआ और अव्यक्त रूप में बाबा के नयनों में अव्यक्त मिलन का पहला दिवस था। सभी के दिल में अव्यक्त मिलन का यह नज़ारा देखा और सबने अव्यक्त मिलन का दिवस मनाया। हर दिन की लीला अपनी अपनी है। तो यह अव्यक्त दिन दिल को बहुत प्यारा लगा है। व्यक्त देश में होते भी अव्यक्त मिलन, अव्यक्त दिवस, अव्यक्त नज़ारे चारों ओर सभी के नयनों में थे। ऐसा अव्यक्त मिलन सभा में, अव्यक्त रूप में बाप और बच्चों का मिलन दिवस मनाया जा रहा था। सभी के मुख से बाबा ओ बाबा, मीठा बाबा, साकार में भी अव्यक्त रूप को देखा और यह अव्यक्त दिवस मैजारिटी उसी स्नेह में उसी रूप में मना रहे थे। सभी के दिल में यह अव्यक्त मिलन, साकार रूप का मिलन, यह मधुर मिलन दिल को आकर्षित कर रहा था। जो साकार में मिलते थे, उन्हें अभी वही मिलन अव्यक्त मिलन बड़ा मधुर अनुभव याद दिला रहा था, मेरा बाबा, मीठा बाबा. याद है ना वह मिलन! कौन आये थे, पहले दिन? इतनी सभा से कौन आये थे मिलन मनाने, हाथ उठाओ।

देखो, वह मिलन का दिन बड़े दिल से मनाया था। तो जब मना रहे थे उस समय सब वेट कर रहे थे तो अभी अभी साकार में बापदादा मिलन मना रहे थे और अभी अभी अव्यक्त ब्रह्मा के रूप में मिलन मना रहे हैं। सब वह दिन याद कर रहे थे, वह अव्यक्त बाबा का पहला दिन था, सभी के नयन मिलन डे पहला दिन मना रहे थे। जैसे आज अव्यक्त मिलन मना रहे हैं, ऐसे ही अव्यक्त दिवस मना रहे थे। हर एक मन में अव्यक्त मिलन की खुशियां मना रहे थे। सभी की दिल तस्वीर के अन्दर आटोमेटिक वह दिन याद आ रहा है। बच्चों को बाबा, बाबा को बच्चे किस रूप में मिले होंगे? उसी दिन की याद आ रही है, जो आगे आगे बच्चे बैठे थे, वह उसी दिनों को याद कर रहे थे कि बाप और बच्चों का प्रत्यक्ष मिलन याद होगा कि कैसे वतन में यह पहला दिन का मिलन था। वैसे तो कुछ समय का मिलन था और सभी की शक्लें ऐसे थी जैसे यह दिन हमको सदा ही याद दिलायेगा, तो सभी ने यह दिन मिलन का दिन मनाया। बस सबके दिल में मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा, नयन चमक रहे हैं। आप सब जो यहाँ बैठे हो दो दो नयन आप हर एक के हैं, कोई कोई होंगे जो बिचारे देख नहीं सकते होंगे लेकिन बाप भी बच्चों को देख रहे थे और बच्चे भी बाबा को देख रहे थे, दोनों के मुख से मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा निकल रहा था। आप सोचो, उस समय का मिलन क्या नहीं होगा। वह दिन भूलना भी मुश्किल है। वह दिन भी याद करते हैं तो याद आता है, वह दिन याद रहता है खास, क्योंकि पहला दिन था जो निराकार से साकार, साकार से सूक्ष्म ब्रह्मा के रूप में बाबा सभी बच्चों से मिल रहे थे। वह सीन तो सभी को याद है ना। आंखों का पानी, आंखें वह दिन याद दिला रही थी। सबकी दिल कहती थी कि यह दिन जो हैं यह बहुत याद के खास दिन हैं। और जिस समय वह अव्यक्त मिलन बच्चे बाप से मना रहे थे, तो सोचो सारी सभा का क्या हाल होगा! सभी उस दिन की याद में ही चले गये। ऐसे सब याद में खोये हुए थे वह दिन भी सभी को याद होंगे, जो मधुबन आये होंगे उन्हों को तो बहुत याद होगा, वह याद बहुत ही गहरी थी। सभी के नयन गंगा जमुना नदी बन रहे थे। तो यह दिन विशेष है, सभी ने सोचा पता नहीं कैसे हम रहेगे! बाबा तो जानता था, बाबा बोले, यह प्यारा दिन है, रोने का दिन नहीं है। प्यार का स्वरूप क्या होता है, वह दिखाने के दृश्य दिखा रहा था। तो सभी ने अपने दिल का प्यार प्रकट किया। अच्छा।


सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा का है :
15 हजार वहाँ से आये हैं, टोटल 22 हजार हैं:- अच्छा है, जो अभी आये हैं मिलने के लिए, वह सब खड़े रहें, बाकी बैठे। अच्छा है, बापदादा ने यह खास हाथ इसीलिए उठवाया, कि जितने भी आये हैं इन्होंने मिलन तो मनाया। मनाया ना सभी ने मिलन! और मिलन ने आपको होमवर्क भी दिया। क्या हमको करना है आगे, वह भी सुनाया। तो देखो, बाबा को कितना बच्चों का शुभ दिन याद रहता है। भूलता तो किसको भी नहीं है, भिन्न-भिन्न रूप से मनाते रहते हैं लेकिन हम और बाबा हर दिन की विशेषता भूल नहीं सकते। हर दिन की विशेषता याद दिलाती है और भिन्नभिन्न समय पर जो लीला चली है, वह दिव्य लीला कभी कोई लीला, कभी कोई लीला सभी ने देखी होगी।

डबल विदेशी, 30 देशों से 300 भाई बहिनें आये हैं:-
सभी नजदीक आ गये। बाबा को कितने बच्चे याद रहते हैं। हर बच्चा समय-समय पर आते हैं परन्तु जो याद आते हैं और पहुंच जाते हैं उन्हों का खेल भी अजीब है। आते हैं और मिल करके अपने दिल की बातें दिलाराम के आगे रखते हैं और फिर चले जाते हैं लेकिन वह बातें जिगरी दिल की बाते हैं ना! तो सारी सभा का वायुमण्डल, हाल का वायुमण्डल याद की दीवारों से सजे हुए नज़र आते हैं। सारी दीवारों पर ‘मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा’ यही लिखा हुआ है, बहुत अच्छी डिज़ाइन से लिखा हुआ नज़र आ रहा है। आपको नज़र आया? आया ना! जिसको वह नज़र आ रहा है वह हाथ उठाओ। तो आप भी अपने प्यार की निशानियां, जो देखा वह यादगार बन गया। यादगार दिन सदैव याद नहीं करना पड़ता है लेकिन वह दिन ही यादगार बन गये हैं।

दादियों से:- सभा देखी। (बाबा देखा) बाबा देखा तो सब कुछ देख लिया। सभी के दिल में प्यार के झूले में झुला दिया। सभी की शक्ले देखो अभी सभी झूल रहे हैं ना। सभी कहाँ बैठे हैं। सभी झूले में बैठे हैं, झूले में। सभी बाबा बाबा दिल ही दिल में कह रहे हैं, नहीं तो घमसान हो जाए। अभी सभी की दिल में क्या चल रहा है। बाबा, बाबा, बाबा। अच्छा है ना। बाबा भी बच्चों का प्यार देखकर खुश होता है कि कितना प्यार इन्हों के दिल में है और कितने दिल से वर्णन करते हैं। देखो बापदादा की दिल क्या कहती है! बतायें, तुम नहीं सुनाओ तो बाप बताते हैं। हर एक की शक्ल बोलती है। वैसे तो दूर दूर हैं, नहीं समझ सकें लेकिन हर एक दिल में बोलते हैं, दिल की बातें वह बापदादा के पास पहले पहुंचती हैं। सभी की शक्लें जो हैंना, वह फोटोग्राफर अपने छोटे उसमें (कैमरे में) बंद कर लेता है। और देखो, कोई कोई का फेस मुरझाया हुआ होता, पता नहीं क्या क्या सोचते हैं, लेकिन बाबा को वह बच्चे देखने में आते हैं जो सदा ही हर्षित रहते हैं। बस दिल में सदा ही कोई न कोई तस्वीर मिलने की रहती ही है। जैसे आप लोग रखते हैं ना कि खास यह मिलन डे है। (रतनमोहिनी दादी से से) तबियत ठीक हो रही है ना। जब यह सोचेंगे ना, बाबा हमको मिल रहा है तो आपको फीलिग आयेगी कि बाप मिल रहा है। बाप सूक्ष्म में तो दूर है लेकिन सूक्ष्म में बापदादा की सूरत दिल में समाई हुई है। दिल में तो हर एक समा सकता हैना। कुछ भी हो, आंधी हो, तूफान हो, क्या भी हो लेकिन दिल की मुलाकात, दिल का हालचाल, दिल का भोजन सब बहुत प्यार से स्वीकार होता है। सब खुश होते हैं। अच्छा।


 

31-12-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन


“दिलवाला एक है, दिलवाले अनेक हैं, सबके दिल में मेरा बाबा समाया हुआ है, इसी सुखमय जीवन में मजा है, कुछ भी हो इशारा मिलते ही एकरस अवस्था में स्थित होने की प्रैक्टिस करो, आर्डर प्रमाण अतीन्द्रिय सुख में समा जाओ।”


ओम् शान्ति।

सभी के मन अन्दर कौन समाया हुआ है? सारी सभा में इतने होते हुए भी सभी एक ही बाप की तरफ कितने प्यार से दृष्टि ले रहे हैं। हर एक की दृष्टि में बाप और बाप के बच्चे अति स्नेह रूप से समाये हुए हैं। सभी की दिल एक ही बात कह रही है मेरा बाबा, मेरा बाबा बस। सभी कितने प्यार से अपनी याद दे रहे हैं। भले कितने भी बैठे हैं, कहाँ भी बैठे हैं लेकिन सबके दिल में एक ही याद है, वह क्या! मेरा बाबा। सभी की दिल में क्या है? बस मेरा बाबा। सबके दिल में बाबू के प्यार के गीत कहो, कविता कहो समाया हुआ है। सबकी दिल में एक ही गीत बज रहा है वाह मेरे दिल का बाबा। बाबा और मैं, सबके दिल में यही है ना! मैं और मेरा बाबा। दो होते भी एक हैं। हर एक के दिल में यह एक ही बाबा समाया हुआ है। हर एक अपने आप से पूछो मेरे दिल में कौन? कमाल तो यही है कि दिल अनेक हैं लेकिन समाया हुआ एक ही है। हाथ उठाओ आपके दिल में कौन? कितनी दिल वाले हैं लेकिन सभी की दिल में समाया एक ही है। यही कमाल है। सभी की दिल में एक है, यह एक इतना प्यारा है जो कितना भी भुलाने की कोशिश करते तो भी भूलता नहीं है। याद बढ़ती ही जाती है। यही कमाल है जो इतनी सारी सभा क्या कहेगी! मेरा बाबा। सबके दिल में एक की ही याद है, मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा। और इसमें प्यार कितना समाया हुआ है। सभी के दिल में एक ही बाबा समाया हुआ है। कितने बैठे हैं। लेकिन दिल में समाया हुआ एक ही है। और सब कोई जानते हैं कि इनके दिल में इस समय कौन है? मैजारिटी दिल में समाया हुआ वह एक ही है। भले अनेक बैठे हैं लेकिन यह सभा वह है जिसके दिल में एक ही बाबा समाया हुआ है। सबके दिल में कौन? मेरा बाबा। और बाबा कितना प्यारा है? भले इतने लोग हैं लेकिन मैजारिटी सबके दिल में बाबा ही समाया हुआ है। मेरा बाबा, दिल में ऐसा समाया हुआ है जो दिल से निकलना भी मुश्किल है। सभी प्यार से क्या कहते हैं, अगर एक दो में मिलते हैं तो क्या कहते हैं। मेरा बाबा कैसा है, मेरा बाबा क्या कर रहा है! मेरा बाबा, मेरा बाबा। गीत भी है ना - गायेंगे गीत, तो वह एक ही होगा। तो अभी यहाँ बैठे हुए इतने लोगों के बीच में अगर हाथ उठायें तो सबके दिल में कौन है! सब कहेगे बाबा, मेरा बाबा। सब ऐसे सीधा हाथ उठाओ। सबका लम्बा हाथ कितना मजेदार लगता है। बाहर गाते नहीं हैं, क्योंकि बाहर गायेंगेना, तो गाने में फर्क पड़ जाता है। बाकी दिल में सबके एक ही है। सबकी दिल क्या कहती है? मेरा बाबा, मेरा बाबा। और सभी एक बाबा को याद करके बहुत खुश हो रहे हैं। देखो, सबकी शक्लें देखो। सबकी दिल एक ही गीत गा रही है मेरा बाबा, मीठा बाबा। इतने सब दिल होते सबके दिल में कौन? मेरा बाबा। और मजा कितना आता है, कुछ भी हो लेकिन हमारे दिल में मेरा बाबा, मेरा बाबा। ऐसे सदा मेरा बाबा मेरे दिल में है, यही देख सब खुश होते हैं। सारी सभा इतनी बैठी है लेकिन सबके दिल में एक ही है, ऐसे है ना! दिल में सबके क्या होगा? बाबा। एक ही दिल में है। आप भी कहेगे मेरा बाबा, वह भी कहेगा मेरा बाबा, वह भी कहेगा मेरा बाबा। कितना मस्त है। तो सदा ही ऐसे दिल में बाबा है ही है। कोई भी देखे तो क्या दिखाई देवे, मेरा बाबा बैठा है। चारों ओर देखे तो कौन बैठा है! मेरे अन्दर बाबा बैठा है, मेरा बाबा।

बाबा हमेशा कहते हैं बस मेरा बाबा ऐसा छिपाकर रखी जो कोई निकाल ही नहीं सकता। सबकी शक्लें देखो, अभी जो बैठे हैं मेरा बाबा बस यही दिल में हैं, तो देखो सबकी शक्ले कैसी हैं। मुस्कराती हुई हैं। कितना अन्दर ही अन्दर खुशी में नाच रहे हैं। मेरा बाबा, मेरा आ गया ना, मेरे दिल का बाबा है। कहने में भी कितना मीठा लगता है! मेरा बाबा । तो ऐसे ही सदा दिल में कुछ भी करो लेकिन मेरा बाबा नहीं भूले। सभी की दिल के अन्दर एक ही है। भले कोई-कोई की न भी हो लेकिन वास्तव में यह सभा कौन सी है! दिल में दिलारोम। सबकी दिल देखो तो क्या है? दिलाराम। ऐसे ही बाबा चाहता है कुछ भी करो मेरा बाबा यह दिल में समाया हुआ हो। सभी की दिल में क्या है? सारी सभा के दिल में अभी क्या होगा! मीठा बाबा। ऐसी सभा जो दिल में एक ही दिलाराम हो। दिलाराम एक, दिलवाले कितने हैं। सबके दिल में एक बाबा ही छाया हुआ है, कितना भी कोई कहे ना। नहीं, दिल में और कुछ है, तो वह ठहर नहीं सकते। मेरा बाबा। कितना मजा है सबके दिल में एक ही है। वायुमण्डल देखो कितना सुखमय, अतीन्द्रिय सुख की सभा देखनी हो तो देखो। अगर कुछ भी हो तो सबकी दिल बोलेगी वाह बाबा वाह! सबकी दिल में कौन! और मजा तो यह है जो इतने होते हुए भी, भले बीच में कोई और भी हो सकता है लेकिन मैजारिटी इस समय जब बाबा, बाबा कह रहे हैं तो एक ही बाबा सभी की दिल में है। और मजा कितना आता है इसमें। ऐसे इस सभा के अन्दर से वायब्रेशन क्या लगता है? एक ही बाबा की याद है। तो सभी से पूछेगे आपकी दिल में कौन! सब कहेंगे मेरा बाबा। तो मजा है ना! सभा एक लेकिन है एक में एक, एक ही सभा है, एक ही जादूगर है। सभी की दिल क्या गा रही है। वाह मेरा बाबा वाह! बोलो अभी। तो रोज़ सुबह को जब तैयार होकर जाते हो, वैसे तो सब काम करते हुए भी बाबा ही याद है तो भी अगर तैयार होके याद में काम करने या कुछ भी करने जाते हो तो मजा कितना आता है। ऐसा कोई है जो आज अभी, सतयुग में नहीं अभी, बाबा याद नहीं हो। वह है कोई, जो बाबा की याद में मेहनत कर रहे हैं, है कोई? हाथ उठाओ। देखो कितनी अच्छी सभा लगती है। सारी सभा देखो आके कितनी अच्छी लगती है। और मजा है याद करने में और क्या है! मजा ही है ना! और चाहिए क्या हमको। अगर कोई भी पूछे, तुम्हारे मन में क्या है? तो क्या कहेगे, बाबा। बाबा को दिल दे दिया है। जब भी याद करो तब मेरा बाबा। तो एक की याद में मजा आता है ना! मजा आता है? क्योंकि एक की याद हैना, बहुत हैं ही नहीं जो कहे पता नहीं याद आये न आये। एक बाबा है। और इस याद से क्या नहीं मिलता है? जिसको जो चाहिए, खुशी चाहिए, या रमत-गमत चाहिए, सबके दिल में खुशी की लहर क्योंकि अभी हमारा टाइम ही है खुशी की याद। तो एक सेकण्ड में खुशी आई। कि मेहनत लगती है? इतनी मेहनत नहीं जितनी मुहब्बत है। हर एक अपनी-अपनी मौज में बैठा है। तो लाइफ है तो यह, जिसमें एक की ही याद है, एक ही मनमनाभव! अभी बाबा को ही याद करो और सब भूल जाओ, तो सेकण्ड में सब करेंगे ना। मेहनत है क्या। बाबा कहे अभी ओम् शान्ति। तो क्या आप सभी एक सेकण्ड में ओम् शान्ति स्वरूप में टिक सकते हो? हाँ कहो या ना! मजा तब है जब एक सेकण्ड में कहा तो एक सेकेण्ड में ही यहाँ वहाँ से हाँकारेसपान्ड आवे। अगर यहाँ कोई-कोई में नहीं आवे, कोई-कोई का आवे। वह भी ठीक नहीं। जब बाबा ने कहा मनमनाभव तो सब मनमनाभव हो जाने चाहिए। यह हो सकता है ना! बाबा सिर्फ कहे चलो सभी अपने याद की यात्रा में तो सेकण्ड में सब पहुंच जायें। आप सभी जो बैठे हैं तो क्या एक सेकण्ड में बाबा की याद में बैठ सकते हैं ना! और मजा कितना है सब एक ही की याद में। कितनी सुखदाईजीवन है, वाह! जो समझते हैं हमारी अभी की अवस्था सुखमय है वह हाथ उठाओ। अच्छा। देखो, आगे पीछे सभी अपने फेस को देखो, क्या है! सब प्रेम में, याद में समाये हुए हैं। यह अवस्था भले कितना भी टाइम कहो, हो सकता है, लेकिन प्रैक्टिस चाहिए। अभी सभी के लिए कहते हैं एक सेकण्ड़ नहीं, एक मिनट में सभी इसी नशे में वाह मेरी अतीन्द्रिय सुखमय जीवन, अगर ऐसे बाबा कहे तो एक सेकण्ड में हर एक अपनी ऐसी अवस्था बना सकते हैं? हाथ उठाओ। सभी अपना सीधा हाथ उठाओ, यहाँ आकर देखो सभा कितनी अच्छी लगती है। यह प्रैक्टिस चाहिए। कुछ भी हो, भले कोई दर्दया कोई ऐसी बात होवे तो हमारी शक्ल में फर्क नहीं आवे, मुस्कराते तो रहें। ऐसी प्रैक्टिस होनी चाहिए। आर्डर मिले बस अभी अतीन्द्रिय सुख के अन्दर बैठ जाओ तो बैठ सकते हैं? अभी दो मिनट सभी एक ही रस में बैठे। अतीन्द्रिय सुख इस लहर में बैठकर देखो, कितना मजा आता है। कितना इस अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलने में सुख है। कोई भी बात हो, कुछ भी सामने आवे लेकिन यह सुख नहीं भूले, यह हो सकता है! होता है। आप कही हो सकता है नहीं होता ही है क्योंकि हमारी जीवन है ही क्या! आप अपनी दिल से पूछो दिल में क्या है? आप देखी अपनी दिल में, कोई दुख है, कोई अशान्ति है। अगर है तो उसका कारण जो है वह पूछ भी सकते हैं, खत्म कर सकते हैं। तो बाबा कहते हैं मेरे बच्चे, ऐसे कहेगेना, मेरे बच्चे और खुश नहीं हो यह तो यह हो नहीं सकता कि मेरे बच्चे मैजारिटी खुश होंगे। अभी मैजारिटी सच्ची बताओ अन्दर में कोई घुटका तो नहीं है! क्योंकि हमारी जीवन क्या है। अगर परिचय दो तो क्या देगे। सुख शान्ति आनंद प्रेम यह है हमारी जीवन। ऐसे है? कभी भी देखो आपको तो यह नहीं हो कि अभी यह मेरी जीवन नहीं है, क्यों दूसरी जीवन आईक्यों। जब बाबा का हुक्म है, तो अभी इसी में रहना है तो आप छोड़ो क्यों! यह अवस्था जो है सुखमय जीवन यह सदा रहनी चाहिए। तो आप कितने हैं जो समझते हैं तो मैजारिटी ऐसी ही रहती है? वह हाथ उठाओ। अच्छा उठाते तो हैं। पुरुषार्थ करें तो क्या बड़ी बात। जैसे हम अपनी अवस्था को स्थित करें वैसी होगी। आखिर भी मालिक कौन! मालिक तो हम ही हैं ना! सिर्फ इसमें अटेन्शन चाहिए। अटेन्शन यहाँ-वहाँ हो जाता है तो वह भी चक्कर लगा देता है। तो सारे दिन में यह अनुभव करना चाहिए क्योंकि यह अभ्यास बहुत जरूरी है। आखिर भी कोई भी बातें आवें, अपना एकरस की अवस्था का इशारा मिले और उसमें ठहर जायें। यह अभ्यास सारे दिन में, हर एक को अपने रिहर्सल में होना चाहिए। अच्छा - एक घण्टा ऐसी अवस्था में बैठा तो कोई बड़ी बात तो नहीं है, मेरी अवस्था हैना। अगर नहीं बैठते हैं तो हमारी कमी है। अगर इस अवस्था में स्थित रहने की कोशिश करो तो बहुत अच्छी आपकी जिदगी ऐसे महसूस होगी जैसे सुखमय शैया पर लेटे हुए हो। यह प्रैक्टिस जरूर होनी चाहिए। कुछ भी हो लेकिन मेरी अवस्था मेरे हाथ में होनी चाहिए। तो इतने सभी बैठे हैं, तो कहा उस समय अपनी अवस्था ठहर सकी। यह पुरुषार्थ अपना देखो, या सोचने लगे यह भी बैठा है, यह नहीं बैठा है। अपने हाथ में होना चाहिए। स्थिति में स्थित होना चाहते हैं तो होवेना। हो नहीं सके तो इसको क्या कहेगे? योगी। और धीरे-धीरे अगर यह प्रैक्टिस होती जाए जब चाहे तब इसमें टिक सके। टिकने की कोशिश तो सभी करते ही होंगे सारे दिन में। वह अपनी चेकिग अपने आपेही करेंगे। सारे दिन में कर सकें तो अपने हाथ में है। अपनी बुद्धि को स्थित करना अपने हाथ में है। और कर सकते हैं। अभी सभी बैठे थे तो अपनी अच्छी अवस्था अनुभव किया? जिसने किया, दिल मानती है वह हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ तो सभी ने उठाया है। अच्छा, किसकी थोड़ी होती होगी किसकी ज्यादा होती होगी। लेकिन जितना समय कहें उतना समय होनी चाहिए जरूर। सभी ने ट्रायल की है, यह ट्रायल जरूर करते रहो। कोई भी समय अगर यह अवस्था जिस समय चाहे उस समय बना सके तो उसकी योगेश्वर की लाइन में ला सकते हैं। अगर कोई चाहे तो मैं इस समय ऐसे वायुमण्डल में भी जैसी अवस्था मैं चाहूं वैसे हो सकती है, वह हाथ उठाओ। कर सकते हैं? हाथ तो बहुतों ने उठाया है। अच्छा है, अगर ऐसे है जब चाहे तब आधा घण्टा तो बैठ सके। यह अभ्यास बीच-बीच में अपने आपेही करना चाहिए। सिर्फ अटेन्शन थोड़ा देना पड़ता है क्योंकि आखिर भी कन्ट्रोल आफ माइन्ड की स्टेज जो है, उससे थोड़ा आगे-आगे चलते जाना चाहिए। भले इतने सब इकट्ठे बैठे हैं लेकिन इकट्ठे बैठे हुए भी समझो आर्डर मिलता है, आधे घण्टे का, सवा घण्टे का तो जब चाहे जितना चाहे उतना टाइम अपने को कन्ट्रोल कर सके, यह अभ्यास भी जरूरी है। कभी कोई भी अपनी अवस्था हो सकती है लेकिन अवस्था भी हमारी ऐसी हो जो चाहें, जितनी चाहें उतनी हो। भले टाइम तो अभी दिन का है फिर भी अगर ऐसे समय पर कन्ट्रोल करने चाहे तो कन्ट्रोल कर सको, यह प्रैक्टिस भी होनी चाहिए। कर सकते हो, हो सकता है इतना। समझो साधारण रूप में अभी बैठी हो अभी कन्ट्रोल का आर्डर मिलता है। अभी आधा घण्टा आप इस अवस्था में स्थित हो तो कर सकते हो या बार-बार अटेन्शन, अटेन्शन देना पड़े। भले वह भी होगी लेकिन यह प्रैक्टिस जरूर हो कि जब चाहें तब अपने आपको रोक सके। ऐसे कौन हैं जो रोकने चाहें तो रुक सकते हैं, वैसे हाथ उठाओ। जो रोकने चाहे तो रोकने चाहें के बाद वह अवस्था रूक सकती है। यह भी प्रैक्टिस होनी चाहिए क्योंकि समय अभी ऐसा आना है, जो आर्डर मिले तो आर्डर को कर सके। आर्डर माना आर्डर। ऐसे नहीं आर्डर अभी मिला और प्रैक्टिकल में आवे उसमें टाइम लगे। यह प्रैक्टिस जरूर होना चाहिए किस समय भी आप दिन में फ्री होते हो और अगर आर्डर करो तो आर्डर होता है। ऐसी अवस्था का पुरुषार्थ होना चाहिए। यह अभ्यास जरूरी है। चलो, 10 मिनट मैने समझा मैं बैठूं और 5 मिनट बैठ सकते हैं कितना भी हो लेकिन आर्डर मानने में आवे यह जरूरी है। आप समझते हो तो ऐसा अभी हो सकता है? अच्छा। सेवा का टर्न यू.पी. बनारस, पश्चिम नेपाल का है, 11 हजार यू.पी. से आये हैं, टोटल 23 आये हैं:- सभी ऐसा पुरुषार्थ कर रहे हो, और करते रहना क्योंकि हमारी प्रैक्टिस होगी तो हम दूसरों को कह सकेंगे। नहीं तो कहने में भी हमारे को शर्म आयेगा। तो यह प्रैक्टिस होनी चाहिए। कभी भी कोई समय ऐसा आ सकता है जिसमें हमारे को पेपर देना पड़े तो यह प्रैक्टिस होनी चाहिए। तो सभी खुश हैं? हाथ उठाओ। प्रैक्टिस करतेकरते सब सहज हो जायेगा, कोई मुश्किल नहीं। सिर्फ करते रहें। चलो कोई समय ऐसा है जिसमें थोड़ा टाइम मिल सकता है। भले थोड़ा टाइम मिले, प्रैक्टिस चाहिए। ऐसी प्रैक्टिस को नहीं छोड़ना। यह प्रैक्टिस अपने आपको आपेही कराते रहना। यह प्रैक्टिस करो, जितना टाइम चाहें उतना टाइम पूरा करें। अभी तो सारा दिन के थके हुए होंगे, अभी बाबा नहीं कराता है। भले आराम से करना, लेकिन करते रहना। जितना टाइम चाहें उतना टाइम का धीरे-धीरे अभ्यास करते रहो। और हो जायेगा। बाबा का वरदान है। डबल विदेशी भाई बहिनें 50 देशों से 600 आये हैं:- (छोटे बच्चे गीत गा रहे हैं।) भले जोर से गाओ। (मेरे संग संग चलते बाबा) दादियों से:- आप समझती हो, हो सकता है? अगर अटेन्शन रखेंगे तो क्या नहीं हो सकता है? सब हो सकता है लेकिन अगर दृढ़ निश्चय है तो। करना ही है। समझो, अभी शुरू नहीं करते हैं, जैसे अचानक ही कहते हैं, आज समझो अचानक कहते हैं कल से थोड़ा एक घण्टा करना, तो कर सकते हैं? जो कर सकते हैं, वह हाथ उठाओ। थोड़े हैं। कोई बात नहीं। बाबा नया साल है? (निर्वेर भाई को) आप हैपी न्युईयर करो तो सब करें। सबने बहुत उमंग-उत्साह से किया, बहुत अच्छा। हैपी न्युईयर। (बृजमोहन भाई ने बताया - दादी जानकी जी का 101वां बर्थडे है, उनका बर्थ डे कल शाम को धूमधाम से मनाया जायेगा, दादी जी को सबकी तरफ से बहुत-बहुत मुबारक हो।) (रमेश भाई ट्रामा सेन्टर, शान्तिवन में हैं, बापदादा को उनकी याद दी) रमेश भाई को नये वर्ष की बहुत-बहुत याद देना। डाक्टर्स ने जो ट्रीटमेंट दी हैं वो चालू रखो। बच्चा बापदादा की नज़रों में है। बापदादा शक्ति दे रहे हैं।

(बापदादा ने सभी को नये वर्ष की मुबारक दी) सभी को नये साल की मुबारक सुनकरके अच्छा लग रहा है ना। सभी अन्दर ही अन्दर खुश हो रहे हैं। सिर्फ क्या है, समय ऐसा है जो सभी को भूख भी लगी होगी, इसलिए जा रहे हैं। नया साल जो अभी शुरू हो रहा है, उसकी आप सबको बहुत-बहुत बधाई हो बधाई। सभी को मुबारक मिली। यह मुबारक सभी सम्भालकर रखना और औरों को भी देना। (निर्वेर भाई ने कहा यह बधाई जो बापदादा ने हम सबको दी है उसके लिए आप सबकी तरफ से बापदादा को कोटि कोटि धन्यवाद) दादी ने कहा - बाबा ने आप सबको बहुत बहुत यादप्यार भेजी है। आप सबकी तरफ से हम भी बाबा को मुबारक देगे।
 


 

18-01-17          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन


यह बेहद का परिवार कितना अच्छा वन्डरफुल परिवार है, यह मिलन साधारण मिलन नहीं है, जैसे अभी सब मिल रहे हैं, ऐसे मिलते मिलते मिल जायेंगे,सदा खुश रहना और खुशी बांटना


ओम् शान्ति। सभी भाई और बहिनें आज देखो बेहद के हॉल में कितने आनंद से बैठे हैं, सुन रहे हैं। सभी के मन में यही है हम बेहद के हाल में बेहद स्थिति में स्थित हैं। चाहे हॉल है, हर एक हॉल में भले बैठे हैं लेकिन हॉल में बैठे, बेहद के हॉल में बेहद की सभा में, हद में बैठे भी बेहद के अनुभव में कितने मुस्करा रहे हैं। सभी के मस्तक में बाप है, बाप के मस्तक में सभी बच्चे हैं। हर एक कितना मीठा मुस्करा रहे हैं। बाप के मन में मेरे मीठे बच्चे, बच्चों के मन में मेरे मीठे बाबा। बाप और बच्चों का मिलन कितना मधुर मीठा है। हरेक एक दो को देख वाह मेरा बेहद का परिवार, सब हद से निकल बेहद में आ गये हैं। जहाँ देखो अपना ही परिवार बेहद का कितना मीठा लग रहा है। बेहद का परिवार, बेहद के परिवार के बीच में एक दो को देख हर्षित हो रहे हैं। यह बेहद में ऐसे बैठना यह भी ड्रामा में था। बेहद के हाल में कैसे एक दो को देखके हर्षित हो रहे हैं। बाप कह रहे हैं वाह बच्चे वाह! और बच्चे कह रहे हैं वाह बाबा वाह! यह दृश्य भी नूंधा हुआ था। हर एक परिवार को देख हर्षित हो रहे हैं। वाह बेहद का परिवार वाह! बेहद का परिवार है ना। हाँ ऐसे हाथ उठाओ। बेहद का परिवार, बेहद के मैदान में इकठे हुए हैं। कितना मजा आ रहा है बेहद में। बेहद का परिवार देख सभी बेहद में आ गये हैं। सभी बेहद परिवार में देखो कैसे बैठे हैं, जैसे एक छोटा सा परिवार इकठा हुआ है। जहाँ देखो वहाँ ब्रह्माकुमार, ब्रह्माकुमारी हैं। इतना बड़ा परिवार देख-देख कर कितनी खुशी हो रही है, वाह! कितना अच्छा परिवार है। थोड़े समय में यह परिवार, प्यारा परिवार कैसे इकठे हुए हैं। ऐसा लगता है जैसे हम मिले हुए ही हैं। ऐसे ही मिलते रहेंगे। यह मिलन भी एक वन्डरफुल है। एक दो को देख करके खुशी कितनी होती है। यह फलाना भी है, फलानी भी है वाह। जहाँ देखो वहाँ कितना मधुरता है। सबके चेहरों पर कौन है? मेरा बाबा, मेरा बाबा देख करके सब कितने मुस्करा रहे हैं। जैसे बहुत दिनों के बाद देखा है, भूल गये हैं। अभी तो इकठे होकर बैठे हैं, कितना मीठा लग रहा है। सब आपस में कितने समय के बाद मिले हैं, इतना परिवार मिला है, यही खुशी है। परिवार को देख करके खुशी होती है ना। इतना बड़ा परिवार है। अभी तो बाबा आपने यह हॉल दिखा दिया, अभी तो कुछ भी हो जायेगा तो हम इस हॉल में आ जायेंगे। मजा है। यह मिलन साधारण मिलन नहीं है। कितने वर्षो के बाद हम और आप आपस में साकार रूप में एक दो को देख रहे हैं और देख देख हार्षित हो रहे हैं। हर एक के दिल से वाह वाह! का गीत बज रहा है। भले आप और हम अभी अलग-अलग रहते हैं लेकिन अलग रहते हुए भी ऐसे लगता है कि कहाँ से कहाँ आके हमारा मिलन हुआ है। यह भी छोटा सा मिलन है लेकिन अब उम्मींद है कि ऐसे मिलते रहेंगे। नहीं तो कितना दूर लगता है और देखा है ना मिलना क्या होता है। मिल के देख लिया ना तो अभी बिछुड़ना बहुत थोड़ा याद पड़ेगा। सभी को यह मिलन अति प्यारा लगता है ना। प्यारा लगता है? ऐसे ही बैठे रहें, ऐसे ही खाते रहे लेकिन शरीर है ना। सूक्ष्म शरीर तो नहीं है, स्थूल है।

बापदादा को भी बच्चों को देख बहुत खुशी होती है। हर एक के दिल में क्या-क्या आ रहा है, हमको तो यही आता मेरा बाबा हमको मिल गया बस। अभी बाबा को देख करके लगता कितना प्यारा है। प्यार की झोलियां भर गई। तो अभी सभी क्या करेंगे? सभी एक दो में मिले, मिलन मना करके फिर भी बिछुड़ना पड़ेगा। हर एक के दिल में इतने दिनों का बिछुड़ना अभी क्या लग रहा है, कहाँ थे क्या था लेकिन यह मिलना और बिछुड़ना यह भी एक वन्डरफुल पार्ट है। अभी मिल रहे हैं तो देखो कितना प्यारा लगता है, थोड़े टाइम के बाद फिर बिछुड़ जायेंगे। यह बिछुड़ना अच्छा नहीं लगता। यह फिर कब ऐसे इकठे रहेंगे। अभी तो यही याद आता है, कैसे इकठे मिलन था, कैसे बिछुड़ गये और अभी फिर मिलन का दिन आ गया है। मिलन के दिन की खुशी है? खुशी है? यह मिलना तो कभी-कभी हो गया है। अभी सदा मिलन को याद करते-करते मिलन ही मिलन होगा। यह मिलन प्यारा लगता है? हाथ उठाओ, देखो कितना अच्छा लगता है देखो, जो फोटो वाले हैं वह तो अपने कैमरे के अन्दर रख देंगे। आपस में यह मिलन याद करते थे और आज मिल रहे हैं वह दिन भी आ गया।

(बाबा 25 हजार आये हैं) सबको कितनी खुशी है। इतने सारे मिलेंगे यह ख्याल में भी नहीं था लेकिन आज मिल रहे हैं। आज मिलन का दिन है।

सेवा का टर्न इन्दौर का है:- इन्दौर की ड्युटी है। अच्छा है, इन्दौर वाले देखो खुश हो रहे हैं ड्युटी सम्भाल रहे हैं। कितना वन्डरफुल ड्रामा में यह भी नूंध थी। यह मिलन का भी दिन था। अभी तो फिर भी मिलना चाहें तो मिल सकते हैं। तो अभी दिल में क्या है? खुशी का खजाना।

डबल विदेशी भाई बहिनें 50 देशों से 500 आये हैं:- हाथ हिलाओ। अच्छा है। फिर भी इतने मिलेतो सही। कितने समय के बाद मिले हैं। मिलते-मिलते अभी मिल जायेंगे। खुशी है ना मिलने की। कितनी खुशी है। हाथ उठाओ। कितनी खुशी है, कितनी खुशी है। देखो, तो इसमें (टी.वी. में) कितना अच्छा लगता है।

कलकत्ता से 600 भाई बहिनें स्मृति दिवस पर फूलों से श्रंगार करने आये हैं:- 600 आये हैं। यहाँ तो सहज है, आ गये, बैठने की जगह भी अच्छी मिली है। सब खुश हुए मिल कर एक दो से, कितनी खुशी हुई। फिर भी मिलना तो हुआ। सब दिल में एक दो से मिलके खुश हो गये। ऐसे मिलते रहेंगे अभी। इनसे भी ज्यादा हो सकता है। सभी बच्चे इकठे हुए हैं तो बाप को भी खुशी है। बाप को कितनी खुशी है।

दादी जानकी जी मिल रही हैं:- (दादी जी ने बापदादा को गोल्डन फूल दिया) अरे, यह देखो आपके लिए यह गोल्डन फूल है। (बाबा आपके लिए है) हमारे लिए माना सबके लिए। आपके लिए भी भेजा ना। बच्चों को देख खुशी कितनी होती। बहुत अच्छा। सभी को देख रहे हैं, (दादी ने बाबा से हाथ मिलाया) एक हाथ नहीं है, सभी के हाथ बाबा के हाथ में हैं। देखो, थोड़ा टाइम तो मिले, मिले तो सही। देखा तो सही। लेकिन अभी तो मिलते रहेंगे। कहो मेरा बाबा आ गया। अब मिलने के बिना रह सकेंगे। मिलतेमिलते मिल जायेंगे। सभी खुश। सभी खुश रहें, बस यही बाप चाहते हैं। कोई तकलीफ नहीं। ठीक है।

नारायण दादा, मनोज से (बाबा का लौकिक परिवार):- बहुत अच्छा। ऐसे लगता है जैसे थे ही इकठे अभी मिलते ही रहेंगे। समय प्रति समय आओ, आते रहो बस। अभी इतना तो है। अभी कोई न कोई तरीके से ऐसा स्थान मिल जायेगा जो हम इकठे रहेंगे। अभी वह ढूंढना है। ठीक है। इतने पाण्डव इतनी शक्तियां कुमारियां क्या नहीं कर सकती हैं। अभी सब हुआ पड़ा है सिर्फ थोड़ा हाथ लगाना पड़ेगा बस।सदा खुश रहना और आपस में खुशी बांटना। और कुछ नहीं है आपके पास तो खुशी तो है ना। खुशीआपस में बांटेंगे तो वायुमण्डल ही बदल जायेगा। जो कोई भी आवे वह देखे कि यह खुशी का महल है। सब खुश हैं। किसी से भी जाकर पूछो खुशी है या नहीं है? खुशी है तो हाथ उठाओ। हाँ देखो सब खुशहैं। खुश रहो बस। ठीक है ना।

बाबा मिल गया, इसीलिए खुश रहो। अभी रोना धोना यह सब खत्म, अभी मुस्कराते रहो। जो भी जिससे मिले मुस्कराते रहो। अभी सब मुस्करा रहे हैं। अभी सभी काम पर जाओ, और रिपोर्ट लाओ हमने बहुत काम किया। मुस्कराते रहो, हंसते रहो, काम करते रहो लेकिन बाबा को नहीं भूलो। बाबा को भूला तो दु:ख पाया, इसलिए बस मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा... बस बाबा और मैं। अभी क्या करेंगे? काम करना है, काम करो लेकिन खुशी-खुशी से करो। समझा क्या करना है? खुशी नहीं छोड़नी है। खुशी साथ में रखनी है।

रमेश भाई ने शान्तिवन ट्रामा हॉस्पिटल से याद भेजी है:- रमेश भाई शुरू से अच्छे सेवाधारी रहे हैं, अभी भी याद भेजी है, आप सबको उसकी याद मिली होगी। और वह यही चाहता है कि बाबा का कोई भी बच्चा तंग नहीं होवे। क्या करें, कैसे करें, ऐसे नहीं। जो भी दिन है वह खुशी से निभाओ। खुशी सेनिभायेंगे तो और खुशी आयेगी और खुशी बढ़ते-बढ़ते सदा खुशी का वायुमण्डल हो जायेगा।


 

 

 

24-02-17       ओम् शान्ति       "अव्यक्त बापदादा"       मधुबन


"माला आपका विशेष यादगार है, इस माला को पहनकर सदा मालाधारी होकर रहना, यही चमकती हुई माला आज की विशेष गिफ्ट है"

(शिवजयन्ती के निमित्त पूरे हाल को बहुत सुन्दर मालाओं से, झण्डियों से सजाया गया है, बापदादा बच्चों की विशाल सभा को देखकरके सभी बच्चों के गले में बांहों की चमकती हुई मालायें पहना रहे हैं) आज शिव जयन्ती की मुबारक, मुबारक, मुबारक। सभी के दिलों में कितनी खुशी है? सबके दिल में बाबा आ गया है। सभी के दिलों में अभी कौन? बाबा। बाबा ही बाबा देखो। जहाँ देखो बाबा ही बाबा, बाबा ही बाबा, बाबा ही बाबा। तो आज सभी बहुत हार्षित हो रहे हैं। किसलिए? बाबा स्वयं बच्चों को माला पहनाने के लिए आये हैं। बाबा गले में माला पहनायें तो कैसे हो जाते हैं। तो अभी एक-एक के गले में बाबा ने माला पहनाई है। और सभी मालाधारी कितने शोभनिक लग रहे हैं। सब एक-दो की माला को देख करके खुश हो रहे हैं और सदा हर एक को बापदादा की तरफ से माला है ही। माला का श्रंगार हमारा बहुत गाया हुआ है इसलिए आज भी वही यादगार जो है वह याद आया और सब माला के दाने पहने हुए कितने चमक रहे हैं। वाह! कमाल है। जो सभी ने जहाँ तहाँ माला डाल दिया है, सारा हाल मालाओं से सज रहा है। तो मालाओं की यादगार किसकी है? बाप और बच्चों की। कितना भी कोई कहे, बाबा की याद बहुत-बहुत अच्छी है। बाबा की याद तो है ही, बिना बाबा के आप क्या करेंगे? है ही यादगार। तो पहले नम्बर का यादगार तो भाई और बहनों का है, जो सचमुच मेहनत करके अपने को भी सजाया है और इस हाल को भी सजाया है। चारों ओर जैसे खुशी का मेला लग रहा है। तो कितना अच्छा फंक्शन लग रहा है, जैसे अभी-अभी बाबा ने मालाओं से सजाकर आपको तैयार करके बिठाया है क्योंकि बाबा के साथ बच्चे भी हैं। बाबा के साथ सभी भाईयों को, बहनों को थोड़ा बहुत तो सजना पड़ेगा। आपकी मालायें दूर से ही सज रही हैं और बाबा भी देख-देख कर, चारों ओर की मालायें देखकर बहुत खुश है कि वाह! आज बच्चे माला का मणका पहन कर कितने सज गये हैं। तो आज की सभा की सजावट देख करके बाबा खुश हो रहे हैं वाह मेरे बच्चे वाह! एक-दो की सजावट को देख करके ही खुश हो गये हैं। और बाबा को कितनी खुशी हो रही है! एक-एक बच्चे को देख करके बाप भी ऐसे मुस्कराता है जो आप देख रहे हो। यह रीयल फूलों का हार तो है ही लेकिन बाबा ने हर एक के गले में ओरीज्नल माला कौन सी पहनाई है? चमकती हुई मालाओं का हार देखो सबके गले में पड़ा है। और फूलों से कितना भी चाहे श्रंगार करे या नहीं करे लेकिन सबके मुख से वाह-वाह तो निकल रहा है ना। वही माला है। यह माला कितनी सज रही है! माला श्रंगार है। तो इस देश में अभी सबसे बड़ा श्रंगार किसका है? बाबा का। सबके गले में देखो हार पड़ा है। तो बाबा ने खुद माला का हार पहनाया है। कॉमन हार तो पहनाते ही हैं, कॉमन बात है लेकिन इस माला का मतलब अच्छा है, बढ़िया है। यह माला यादगार माला है। सभी को देखो सभी का कांध कितना चमक रहा है, एक-दो को देखो और कितने सारे गले सजे हुए हैं। सभी के गले देखकर हर एक कितने खुश हो रहे हैं, वाह! वाह! तो बाबा भी गले में मालायें देख करके खुश हो रहे हैं वाह! सभी मालाधारी, शक्ल देखो सबकी क्या है? बिल्कुल लाल-लाल। तो ऐसे मालाओं से सजे हुए चमकते हुए मालाधारी बच्चे, यहाँ से आके देखे तो बिल्कुल चमकती हुई माला, सभी की माला बहुत चमक रही है। सबके गले में बाबा की तरफ से मिली हुई मालायें भी पड़ी हुई हैं। सबके गले में हैं और कितना गले में सज रही हैं। हर एक के गले में बाबा चमक रहा है और हर एक गला देखो कितना चमकता है क्योंकि माला आपके यादगार में गाई हुई है। तो आज के दिन डायरेक्ट बाप ने आप सबको माला पहनाई है। देखो यह 24-02-17 ओम् शान्ति ‘‘अव्यक्त बापदादा’’ मधुबन 2/3 माला कितना चमकती है। माला की चमक ही अपनी न्यारी है। एक-दो की माला को देख करके कितने खुश हो रहे हैं। तो आज हाल मालाओं से बहुत सजा हुआ है। सभी अपनी माला देख रहे हैं ना! सारे हाल में मालायें देखो कितनी चमक रही हैं, न्यारे होकरके देखना। अभी सभी उठो तो माला जरूर देखना। ऐसे सजा हुआ, बस। सब माला से सजे हुए कितने सुन्दर लगते हैं। यह हार पड़ा है तो माया भी हार खा लेती है। मालाओं को देख करके ही माया भाग जाती है और आप विजयी बन जाते हैं। तो यह चमकदार माला अपनी देख रहे हो ना! पीछे वाले, राइट वाले, सभी कितने सज गये हैं। चाहे किसको मालायें पड़ी हैं या नहीं! क्योंकि आज बाबा ने सभी को माला का परिचय दे करके बिठाया है। हर एक बच्चा माला से ऐसा सज गया है जैसे सदैव के लिए यह माला इन्हों के गले का मणका है। देख रहे हो अपनी मालायें! हर एक के गले में देखो कितनी माला चमक रही है? जो आप खुद भी देख करके खुश हो रहे हैं। रश तो होता है जहाँ तहाँ।

तो आज मालाओं की चमक बहुत है। हर एक अपनी माला को चमकती हुई देख रहे हैं। हर एक की मालाओं की चमक यहाँ से आकर देखो, एक-एक के माला की महिमा है। इतना सजाने वाला कौन? मेरा बाबा। सब क्या कहेंगे? मेरा बाब्ा। एक-एक को आगे पीछे यहाँ वहाँ सबको देखो, मालायें कितनी जल्दी से आ गई और सबके गले में पड़ भी गई। सभी के गले में मालायें कितनी सुन्दर लग रही हैं। हरेक एक- एक की माला देख रहा है, सब मालाधारी हैं। बाबा को ऐसे फंक्शन में पतली सी माला भी बहुत अच्छी लगती है। अभी देखो आप लोग आये तो कोई कोई ने माला पहनी हुई थी, जो दिखाई दे रही है। माला को देख करके हर एक के मन में आ रहा है, माला में मेरा नाम तो है ना। है? सभी जो भी बैठे हैं सबका माला में नाम है? हाथ उठाओ। सभी को निश्चय है। अरे, माला हमारे लिए ही बाबा ने बनाई है। तो सभी का चेहरा देखो कितना अच्छा सज रहा है। स्थूल में तो चाहे कितना भी सजाओ, सबकी माला चमक रही है और चमकती हुई माला का चित्र सभी का बहुत अच्छा है। अपने पास रखने लायक है। बाबा से यह गिफ्ट लेकरके जाना। आज की गिफ्ट जो है, वह माला है। हर एक अपने को ऐसा चमकता हुआ माला का मणका समझते हैं? जो समझते हैं मणका तो हमारे गले में पड़ गया है, वह हाथ उठाओ। वाह! वाह! देखो, माला से कितना सजा हुआ देखते हैं? और खास आज के दिन के लिए बाबा माला बनाता है। आपको मिलेगी ना, फिर देखना कितनी चमक है। तो सारा हाल भी देखो मालाओं से कितना अच्छा सुन्दर मालामाल हो गया है। अभी एक-एक बच्चा देख रहा है, मेरे गले में तो है ना। जितना देखता है ना, उतनी मालायें बढ़ती जाती हैं। मालायें पड़ी हुई सभा को देख बापदादा हार्षित हो रहे हैं वाह, वाह मालाधारी! वाह! यह यादगार तो आपका ही है ना, मालायें। चाहे फूलों की पहनाओ, चाहे कोई चीज की पहनाओ लेकिन माला यादगार है। और एक-दो को देख करके कितने खुश होते हैं, वाह फलाने ने भी माला पहनी है। तो मालाधारी बच्चों को देख करके सभी मुस्करा रहे हैं। और सेकण्ड में सभी ने पहन लिया, देखो कितना अच्छा लग रहा है। मालाओं को देख करके माला पहनाने वाला याद आता है। आज खास मालाधारी बच्चे हैं। जैसे माला यादगार में है ना! ऐसे यह माला जो है यादगार है। सभी कितने अच्छे लग रहे हैं। सभी के गले में मालायें चमक रही हैं। सभी का गला देखो कितना अच्छा लग रहा है। बाबा की मूर्ति में भी माला है। माला बहुत अच्छी यादगार है। सभी कहाँ बैठे हो? हाल में। बाबा के गले में सब बैठे हैं। माला देखी है ना! माला चमकती कितना है लेकिन अगर घड़ी घड़ी आप नीचे ऊपर हुए तो फिर माला का शो क्या रहेगा! तो सभी अभी मालाधारी बनके अपने चित्र को देखो। सबका गला कितना सज गया है। यह सब मालायें किसको पड़ेंगी? बाबा को। बाबा तो संगम पर माला पहनता नहीं। 24-02-17 ओम् शान्ति ‘‘अव्यक्त बापदादा’’ मधुबन 3/3 बाप बच्चों के साथ माला पहनता है, किसको माला नहीं भी हो ना, कोई मणका खो गया हो तो वह अपनी माला का मणका लेके जाना।

तो आज सभी के गले में चमकती हुई मालायें देख कितने खुश हो रहे हैं! वाह एक दो की माला देख रहे हैं ना! तो सबके दिल से वाह वाह निकल रहा है। अच्छा। अभी तो देरी हो जायेगी, इसलिए सभी बच्चों को मालाधारी बनके माला में दिखाया है।

सेवा का टर्न ईस्टर्न, तामिलनाडु का है। बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आसाम से 15 हजार आये हैं। टोटल 26 हजार आये हैं:- सभी एक-दो को देख करके सज गये हैं। वाह देख-देख कर बाप भी मुस्करा रहे हैं, वाह बच्चे वाह! अभी भी सभी बैठ करके चित्र निकाल के जाना, भाग नहीं जाना।

नेपाल:- (2500 आये हैं) माला पहनने वाले हर एक देख रहे हैं कि मेरी माला कितनी चमक रही है और चमक देखो कितनी है। एक-एक माला के मणके की चमक देखो कितनी है।

तामिलनाडु:- (3000 आये हैं) सबकी चमक अच्छी है, बनाई भी अच्छी है। सभी हाथ में देखो, चारों ओर यह चमकती हुई मालायें कैसी अच्छी लग रही हैं। सभी जो भी हैं वह बैठ करके अपनी माला का शो दिखावें। अभी बैठो, ज्यादा श्रंगार नहीं करो, जितना किया है, उतना ही दिखाओ।

डबल विदेशी 75 देशों से 1000 आये हैं:- इस ग्रुप में सबसे ज्यादा डबल विदेशी आये हैं। कितनी अच्छी चमक है। चमक देखो सारे हाल की, कमाल है, कितनी सुन्दर हो गई है। सभी हार वाले आप अपनी निशानी अगर अपने पास रखने चाहो तो बापदादा सभी के मालाओं की यादगार, ऐसे करो तो यह जो तिल्ली (हथेली) है, वह कितनी सज रही है। ऐसे चमक रही है, जैसे अभी-अभी स्वर्ग से आई है। आप देखो अभी अपने हार को थोड़ा ऐसे करके देखो, औरों को न देखो, अपने को ही देखो तो कितने चमकते हैं! जो आप बैठे हो, आप ही बदल जाते हो, हार पहनने से। एक आप खुद मालिक हो चमकने वाले और दूसरा हार (फूलों का) भी मिला है, वह भी बहुत चमक रहा है। तीसरा यह हार (बांहों का) भी है, इसकी महिमा तो सबसे ज्यादा है। तो अभी तो सिर्फ देख लो फिर कोई टाइम बाबा उठवाके देखेगा। अभी जो मालायें हैं, वह चमकती हुई हैं तो और सब कुछ छिपाके सिर्फ मालाओं का हार सजाके आगे करो तो देखो सभा कैसे लगती है!

बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा फहराया और 81 वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की सबको बधाईयां दी ओम शान्ति।

अभी आज सभी इकट्ठे हुए हो किसलिए? आपका काम यहाँ मुख्य क्या है? परिवर्तन करने का। तो परिवर्तन किया? अभी सभी एवररेडी रहो। करना है, हो गया। नहीं करना है, तो चक्र लगाके आये। तो सभी देखो, प्यार से देख रहे हैं ना। आराम से देखा ना। सारे साल के लिए शिवजयन्ती की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। आज का दिन विशेष मनाने का दिन है, तो सभी ने अपने अन्दर यह दीपक जलाया, झण्डा भी लहराया, दीपक भी जगाया, सभी के चेहरे में चमक आ गई है। खुशी है ना, सभी की शक्लों में खुशी की झलक आ गई है। पीछे वाले क्या समझते हैं? सभी के दिल में दिलाराम है? बस दिलाराम और दिलवाले। जितनी चीजें चाहो उतनी आ सकती हैं लेकिन सिर्फ अभी तक संगम निवासी सीख रहे हैं। जान नहीं गये हैं, सीख रहे हैं लेकिन बाबा चाहता है कि एक बारी बाबा कहे ओम् शान्ति तो ऐसे सभी हार्षित हों जैसे हमारा यह सूर्य और चन्द्रमा कितना सज जाता है, देखा है ना कितना अच्छा सज करके नजर आता है, तो आज के दिन की सभी को मुबारक हो, मुबारक हो।


20-03-17       ओम् शान्ति       "अव्यक्त बापदादा"       मधुबन


‘‘अपने साधारण स्वरूप को बदली कर थोड़ा समय भी संगमयुगी फरिश्ते स्वरूप का अनुभव करके देखो,
यह आपका बहुत अच्छा मुस्कराता हुआ चमकीला रूप है’’

ओम शान्ति। आज बापदादा विशेष जो योगयुक्त बच्चे, सबके बीच योगयुक्त बन औरों को भी योगयुक्त बनाने वाले हैं उन्हों को देख हार्षित हो रहे हैं और दिल में ही बहुत-बहुत प्यार भरी दिल के प्यार की यादें बहुत प्यार से दे रहे हैं। बापदादा यही चाहते हैं कि इतने सब बच्चे इकठठे योग में बैठें और योग में भी ऐसी योग की स्टेज प्रैक्टिकल में हो, तो यह देख बापदादा बहुत खुश हैं। जैसे बाप देख-देख हार्षित हो रहे हैं ऐसे बच्चे भी बाप को मुस्कराते हुए देख बहुत दिल से खुश होके रेसपान्ड दे रहे हैं। अभी की सभा की रौनक बहुत अच्छी मुस्कराने वाली देख-देख, बाप भी आज बच्चों की सूरतों में प्यार की झलक देख मुस्करा रहे हैं। तो बच्चे क्या कर रहे हैं? बच्चे भी मुस्करा रहे हैं ना! बाप भी कहते हैं वाह बच्चे वाह! बच्चों की मुस्कराहट और बाप की मुस्कराहट बहुत सुन्दर दिखाई दे रही है। बापदादा जो देखने चाहते थे वह चारों ओर देख बाप भी मुस्करा रहे हैं। सारी सभा में बाप बच्चों को मुस्कराते हुए देख अभी तक दिल में मुस्करा रहे हैं। वाह बच्चे वाह! कमाल है गुप्त ताकत और उसका प्रभाव दोनों दिखाई दे रहे हैं। हर एक बाप का बच्चा ऐसे मुस्करा रहे हैं जो हर एक के मुख पर बहुत अच्छी खुशी की चमक है। हर एक का मुस्कराता हुआ चेहरा देख बाप भी कितना मीठा मुस्करा रहे हैं।

आज की सभा मैजारिटी मुस्कराते हुए बेफिक्र बादशाहों की है, जो दूर से ही मुस्कराते हुए चेहरे बहुत सुन्दर दिखाई दे रहे हैं। आप भी एक दो को इसी रूप में देख रहे हो ना! सभी एक दो को ऐसे देख रहे हैं जैसे बहुत पहचाने हुए मुस्करा रहे हैं। आज की सभा विशेष मुस्कराती हुई ज्यादा दिखाई दे रही है। क्यों? सबके मन में एक ही सा॰ज है मीठा बाबा, प्यारा बाबा.. सबके मुख के इशारे यही बोल रहे हैं ओ मीठे बाबा, प्यारे बाबा.. आज तो जैसे बाबा बहुत दिनों के बाद बच्चों की ऐसी सभा देख रहे हैं, जो हर एक से मीठे बाबा, प्यारे बाबा... यही फीलिंग आ रही है, लास्ट वाला चेहरा भी देखो तो आज इसी विधि में है।

तो आज जहाँ तक रात को जागेंगे, वहाँ तक सब एक दो को देख जैसे मीठा मुस्करा रहे हैं, आप एक एक यह बाबा का और सभा का मुस्कराता हुआ चेहरा देखो, इस कोने में आपका बैठा हुआ मुस्कराता चेहरा देख-देख सारी सभा में भी उसी का प्रभाव है। चाहे अवस्था कैसी भी हो लेकिन अभी सबका चेहरा मुस्कराता हुआ दिखाई दे रहा है। सबका चेहरा ऐसे मुस्करा रहा है जो एक सेकण्ड में सारी सभा बदल गई है। कोई कैसा भी हो लेकिन बाबा उसे बदलकर सबका वही चेहरा दिखा रहे हैं। सबकी शक्लें चमकती हुई दिखाई दे रही हैं। हर एक की शक्ल जैसे बाबा के वतन में चमकती हुई दिखाई देती है, ऐसे ही आज आप भी ऐसे चमकते हुए दीपक दिखाई दे रहे हैं। बाबा मुख से बहुत धीरे-धीरे बोल रहा है, क्या बोल रहे हैं? हर एक बच्चा ऐसे चमकती हुई सूरत और मूरत से जैसे अभी चित्र में दिखाई देते हैं, ऐसे ही चमकते हुए सितारे बहुत अच्छा चमक रहे हैं क्योंकि हर एक इस चमकते हुए सितारे की चमक बहुत सुन्दर है, क्यों? हर एक बच्चा अपने चमत्कारी सूरत में दिखाई दे रहे हैं। यह चित्र है तो आपका ही, लेकिन ऐसा चमकता हुआ सितारा अभी जैसे पहले दिखाई दे रहा था, ऐसे सफेद चमकता हुआ, साधारण रूप नहीं लेकिन चमकता हुआ फेस, वह सभा बड़ी अच्छी लग रही है। सब चमक रहे हैं, कोई भी ऐसा नहीं जिसमें चमक न हो क्योंकि अभी सब बाबा को चमकता हुआ देख रहे हैं, ऐसे ही बाप समान सारी सभा चमक रही है। जो बापदादा सुनाते हैं, सारी सभा ऐसे बैठी थी जैसे पता नहीं कोई सचमुच ऊपर से फरिश्ते इस धरनी पर पहुंच गये हैं। यह रूप आपका भी बड़ा प्यारा है क्योंकि अभी और कुछ भी नहीं है, सभी सम्पूर्ण मूर्ति हो गये हैं और यह रूप बच्चों का कईयों को दिखाई दे रहा है। सभी बहुत खुश हो रहे हैं। सभी फरिश्ते रूप में अपने को देख बहुत खुश हो रहे हैं। हमको भी (दादी को भी) बाबा आपको फरिश्ते रूप में दिखा रहा है। हर एक पूज्य समान दिखाई दे रहा है। अभी तो ज्यादा समय नहीं बैठ सकते क्योंकि सबको संगमयुगी अपना स्वरूप अच्छा चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। तो इसी फरिश्ते रूप में एक सेकण्ड में जैसे पहले इमर्ज हुए थे, ऐसे ही फरिश्ते रूप में अभ-अभी भी दिखाई दे रहे हैं। सारी सभा यहाँ आके देखो कितने में बदल गई है। इतने ताजधारी सब कहाँ जायेंगे! जैसे अभी गुप्त मर्ज रूप में हैं, इसी को ही इमर्ज रूप में देखेंगे। सारी सभा देखो कितनी चमकीली न॰जर आ रही है। कोई टेढ़ा हो, बांका हो सब चमक रहे हैं और हर एक अपने को देखकर खुश हो रहे हैं। क्या पसन्द है? अपना चमकता हुआ फरिश्ता रूप पसन्द है ना! सेकण्ड में चमकीले बन गये। सारी सभा देखो चमकीली है। अपना ही चमकीला रूप अच्छी तरह से देख लो। ऐसा चमकीला अपना स्वरूप देख-देख बहुत खुशी हो रही है। तो यह अभी का रूप चमकने वाला, यह थोड़े समय के लिए बाबा ने इमर्ज करके दिखाया कि ऐसे आप सभी फरिश्ते हैं ही। उसी फरिश्ते रूप में बाबा ने आप सबको दिखाया। सेकण्ड में बदल गये। सारी सभा चमकीली ड्रेस में कितनी सुन्दर लग रही है। अपनी शक्ल आप देखो कितनी प्यारी लगती है क्योंकि सम्पूर्ण हैं ना। तो कितने सुन्दर लग रहे हैं। अभी साधारण रूप बदली करके फरिश्ता रूप देख रहे हो ना! आगे पीछे क्या दिखाई देता है? फरिश्ता और सारी सभा कितनी चमकती हुई दिखाई दे रही है। साधारण रूप किसका भी नहीं है, सभी का यह एक ही जैसा फरिश्ता रूप दिखाई देता है। बाकी अन्दर भले किसका कितना भी फर्क है वह तो वह खुद जाने, इसमें हम क्यों जायें। हमको तो सिर्फ अपना फरिश्ता रूप जो है, वह खास दिखाना है, एकदम फरिश्ता। तो देखो फरिश्ते रूप में जब चेंज होते हैं तो कितनी सभा बदल जाती है। वह स्वयं ही आपका फरिश्ता स्वरूप इमर्ज हो गया है। तुम्हारा ही चमकता हुआ यह स्वरूप कुछ समय आपके साथ रहेगा। तो अपना यह फरिश्ता स्वरूप पक्का हो गया! मैं फरिश्ता स्वरूपधारी हूँ, थोड़ा समय इसमें अनुभव करके देखो, कितना मीठा है।

अभी बाबा फरिश्ता भव का रूप प्रगट करता है। अभी एक सेकण्ड में फरिश्ता, एक सेकण्ड में साधारण, यह प्रैक्टिस करते-करते फरिश्ता बन ही जायेंगे। अभी फरिश्ते स्वरूप में रहना, ज्यादा समय फरिश्ते स्वरूप में, इस दुनिया में संगमयुगी फरिश्ता रूप यह कुछ समय रहेगा। यह फरिश्ता रूप कुछ समय आपके साथ रहेगा। आप भी अच्छी तरह से अनुभव करेंगे कि यह फरिश्ता रूप कितना अच्छा है। तो जितना फरिश्ता रूप में रहने चाहो उतना समय रह सकते हो लेकिन वह (सूक्ष्मवतन का) फरिश्ता रूप जो है वह अभी हमारे हाथ में नहीं है। यह फरिश्ते की लाइफ में है। अच्छा।

सेवा का टर्न गुजरात और भोपाल का है, टोटल 24 हजार आये हैं, उसमें एक हजार डबल विदेशी 75 देशों से आये हैं:- (13 हजार गुजरात और 4 हजार भोपाल वाले आये हैं):
बहुत अच्छा।
(मुन्नी बहन ने कहा बाबा आज आप बहुत अच्छी तरह सबसे मिले
, बहुत अच्छी मुरली चलाई)

कई समझते हैं हमारे को लास्ट में मिला है ना, तो पता नहीं शायद देरी हो इसलिए जल्दी-जल्दी मिलाते हैं। पर ऐसा नहीं है, टाइम की बात यहाँ नहीं देखते हैं। लेकिन बाबा भी दिखाता है, अगर देरी से कोई
आता है तो उनके लिए ठहरते नहीं हैं। सिवाए दादियों के। दादियां तो फाउण्डेशन हैं। अच्छा।

(इन्डिया वन सोलार प्लांट का उद्घाटन बापदादा से कराया)

कुछ भी बना है, तो यज्ञ में बनाया है और इसी रीति से चलाते रहेंगे। बाकी सब ठीक हैं।


आज बापदादा ने विशेष संगमयुगी फरिश्ते स्वरूप का अनुभव करने के लिए कहा

है, उस अनुभूति के लिए विशेष ध्यान देने योग्य प्वाइंटस

1. जैसे सम्पन्नता का समय समीप आता जा रहा है, ऐसे देह-भान रहित फरिश्ता रूप की अनुभूति करो। जैसे साकार ने कर्म करते, बातचीत करते, डायरेक्शन देते, उमंग-उत्साह बढ़ाते भी देह से न्यारे, सूक्ष्म प्रकाश रूप की अनुभूति कराई। ऐसे बात करते भी आपकी दृष्टि में अलौकिकता दिखाई दे। ऐसे देहभान से न्यारे रहो जो दूसरे को भी देह का भान नहीं आये।

2. हर बात में, वृत्ति, दृष्टि, कर्म... सबमें न्यारापन अनुभव हो। यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, आत्मिक प्यारा, ऐसे फरिश्तेपन की अनुभूति स्वयं भी करो और औरों को भी कराओ। ब्रह्मा बाप जो फरिश्ता रूप में आप सबका साथी है, अब उनके समान आप सभी को फरिश्ता बन परमधाम चलना है, इसके लिए मन की एकाग्रता पर अटेन्शन दो। ऑर्डर से मन को चलाओ।

3. सदैव अपना आकारी रूप, लाइट का फरिश्ता स्वरूप सामने दिखाई दे कि ऐसा बनना है और भविष्य रूप भी दिखाई दे। अब यह छोड़ा और वह लिया। जब ऐसी अनुभूति हो तब समझो कि सम्पूर्णता के समीप हैं। यह पुरूषार्था शरीर एकदम मर्ज हो जाये।

4. फरिश्ता बनना अर्थात् साकार शरीरधारी होते हुए लाइट रूप में रहना अर्थात् सदा बुद्धि द्वारा ऊपर की स्टेज पर रहना। फरिश्ते के पांव धरनी पर नहीं रहते, बुद्धि रूपी पांव सदा ऊंची स्टेज पर। फरिश्तों को ज्योति की काया दिखाते हैं। तो जितना अपने को प्रकाश स्वरूप आत्मा समझेंगे, तो चलते फिरते अनुभव करेंगे जैसे प्रकाश की काया वाले फरिश्ते बनकर चल रहे हैं।

5. फरिश्ता अर्थात् अपनी देह के भान से भी रिश्ता नहीं, देहभान से रिश्ता टूटना अर्थात् फरिश्ता। देह से नहीं, देह के भान से। देह से रिश्ता खत्म होगा तब तो चले जायेंगे, लेकिन देह-भान का रिश्ता खत्म हो। जैसे बापदादा पुराने शरीर का आधार लेते हैं लेकिन शरीर में फंस नहीं जाते हैं। ऐसे कर्म के लिए आधार लो और फिर अपने फरिश्ते स्वरूप में, निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाओ।

6. जबकि बाप के बन गये और सब कुछ मेरा सो तेरा कर दिया तो हल्के फरिश्ते हो ही गये। इसके लिए सिर्फ एक ही शब्द याद रखो कि यह सब बाप का है, मेरा कुछ नहीं। जहाँ मेरा आये वहाँ तेरा कह दो फिर कोई बोझ नहीं फील होगा।

7. फरिश्ता अर्थात् डबल लाइट। फरिश्ता सदा चमकने के कारण सर्व को अपनी तरफ स्वत: आकार्षित करता है। फरिश्ता सदा ऊंचे रहते हैं। फरिश्तों को पंख दिखाते हैं क्योंकि उड़ते पंछी हैं। तो जब बाप मिला, ऊंचा स्थान मिला, ऊंची स्थिति मिली तो सदा उड़ते रहो और बेहद सेवा करते रहो।

8. फरिश्ता वही बनता जिसका देह और देह की दुनिया के साथ कोई रिश्ता नहीं। शरीर में रहते ही हैं सेवा के अर्थ, न कि रिश्ते के आधार पर। सम्बन्ध समझकर प्रवृति में नहीं रहना, सेवा समझकर रहना। कर्मबन्धन के वशीभूत होकर नहीं रहना। जहाँ सेवा का भाव है वहाँ सदा शुभ भावना रहती है, और कोई भाव नहीं, इसको कहा जाता है अति न्यारा और अति प्यारा, कमल समान।

9. फरिश्ता स्वरूप अर्थात् लाइट का आकार, जिसमें कोई व्याधि नहीं, कोई पुराने संस्कार स्वभाव का अंश नहीं, कोई देह का रिश्ता नहीं, कोई मन की चंचलता नहीं, कोई बुद्धि के भटकने की आदत नहीं - ऐसा फरिश्ता स्वरूप, प्रकाशमय काया का अनुभव करो तो देह के स्वार्था सम्बन्ध, सुख-शान्ति का चैन छीनने वाले विनाशी सम्बन्धी, मोह की रस्सियों में बांधने वाले, ऐसे अनेक सम्बन्ध स्वत: छूट जायेंगे। एक सुखदाई सम्बन्ध में ही सदा रहेंगे।

10. हम ब्राह्मण सो फरिश्ता हैं, यह कम्बाइन्ड रूप की अनुभूति विश्व के आगे साक्षात्कार मूर्त बनायेगी। ब्राह्मण सो फरिश्ता इस स्मृति द्वारा चलते-फिरते अपने को व्यक्त शरीर, व्यक्त देश में पार्ट बजाते हुए भी ब्रह्मा बाप के साथी अव्यक्त वतन के फरिश्ते, अव्यक्त रूपधारी अनुभव करेंगे। यह अव्यक्त भाव व्यक्तपन के बोल-चाल, व्यक्त भाव के स्वभाव, व्यक्त भाव के संस्कार सहज ही परिवर्तन कर देगा।

11. फरिश्ता अथार्त् दिव्यता स्वरूप। दिव्यता की शक्ति साधारणता को समाप्त कर देती है जितनी जितनी दिव्यता की शक्ति हर कर्म में लायेंगे उतना ही सबके मन से, मुख से स्वत: ही यह बोल निकलेंगे कि यह दिव्य दर्शनीय मूर्त हैं। अनेक भक्त जो दर्शन के अभिलाषी हैं, उनके सामने आप स्वयं दिव्य दर्शन मूर्त प्रत्यक्ष होंगे तब ही सर्व आत्मायें दर्शन कर प्रसन्न होंगी।

12. फरिश्ता अर्थात् जिसकी दुनिया ही एक बाप है। निमित्त मात्र देह में हैं और देह के सम्बन्धियों से कार्य में आते हैं लेकिन लगाव नहीं। अभी-अभी देह में कर्म करने के लिए आये और अभी-अभी देह से न्यारे फारिश्ते सेकण्ड में यहाँ, सेकंड में वहाँ क्योंकि उडने वाले है कर्म करने के लिए देह का आधार लिया और फिर ऊपर - अब यही अभ्यास बढ़ाओ।

13. फरिश्ता जीवन की विशेषता है - इच्छा मात्रम् अविद्या। देवताई जीवन में तो इच्छा की बात ही नहीं। जब ब्राह्मण जीवन सो फरिश्ता जीवन बन जाती अर्थात् कर्मातीत स्थिति को प्राप्त हो जाते तब किसी भी शुद्ध कर्म, व्यर्थ कर्म, विकर्म वा पिछला कर्म, किसी भी कर्म के बन्धन में नहीं बंध सकते।

14. फरिश्ता स्थिति का अनुभव करने के लिए विशाल दिल वाले बेहद के स्मृति स्वरूप बनो। जहाँ बेहद है वहाँ कोई भी प्रकार की हद अपने तरफ आकार्षित नहीं कर सकती। कर्मातीत का अर्थ ही है - सर्व प्रकार के हद के स्वभाव-संस्कार से अतीत अर्थात् न्यारा।

15. फरिश्ता जीवन बन्धनमुक्त जीवन है। भल सेवा का बन्धन है, लेकिन इतना फास्ट गति है जो जितना भी करे, उतना करते हुए भी सदा फ्री है। जितना ही प्यारा, उतना ही न्यारा। सदा ही स्वतन्त्रता की स्थिति का अनुभव करते हैं। शरीर और कर्म के अधीन नहीं, अगर देहधारियों के सम्बन्ध में आते भी हैं तो ऊपर से आये, संदेश दिया और यह उड़ा।



10-04-17   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


विश्व परिवर्तन के लिए शान्ति की शक्ति का प्रयोग करो

आज बापदादा अपने विश्वपरिवर्तक बाप के आशाओं के दीपक बच्चों को चारों ओर देख हर्षित हो रहे हैं| बापदादा जानते हैं कि बच्चों का बापदादा से अति अति अति प्यार है और बापदादा का भी हर बच्चे के साथ पदमगुणा से भी ज्यादा प्यार है और यह प्यार तो सदा ही इस संगमयुग में मिलना ही है। बापदादा जानते हैं जैसे-जैसे समय समीप आ रहा है उसी प्रमाण हर एक बच्चे के दिल में यह संकल्प, यह उमंग-उत्साह है कि अभी कुछ करना ही है क्योंकि देख रहे हो कि आज की तीनों सत्तायें अति हलचल में हैं। चाहे धर्म सत्ता, चाहे राज्य सत्ता, चाहे साइंस की सत्ता, साइन्स भी अभी प्रकृति को यथार्थ रूप में चला नहीं सकती। यही कहते होना ही है क्योंकि साइंस की सत्ता है प्रकृति द्वारा सत्ता को कार्य करना। तो प्रकृति भी साइंस के साधन हाते प्रयत्न करते अभी कन्ट्रोल में नहीं है आरै आगे चलकर यह प्रकृति के खेल और भी बढ़ते जायेंगे क्योंकि प्रकृति में भी अभी आदि समय की शक्ति नहीं रही है। ऐसे समय पर अभी सोचो, अभी कौन सी सत्ता परिवर्तन कर सकती! यह साइलेन्स की शक्ति विश्व परिवर्तन करेगी। यह चारों ओर की हलचल मिटाने वाले कौन हैं? जानते हो ना! सिवाए परमात्म पालना के अधिकारी आत्मा के और कोई नहीं कर सकता। तो आप सभी को यह उमंग-उत्साह है कि हम ही ब्राह्मण आत्मायें बापदादा के साथ भी हैं और परिवर्तन के कार्य के साथी भी हैं।

बापदादा ने विशेष अमृतवेले साथ में चलते हुए भी देखा है कि जितना ही दुनिया में तीनों सत्ता की हलचल है उतना आप शान्ति की देवियां, शान्ति के देव जितना शक्तिशाली शान्ति की शक्ति को प्रयोग करना चाहिए उतना कम है। तो बापदादा अभी सभी बच्चों को यह उमंग दिला रहे हैं - सेवा के क्षेत्र में आवाज अच्छा फैला रहे हैं, उसमें हलचल है लेकिन साइलेन्स की शक्ति, (बार-बार खांसी आ रही है) बाजा खराब है फिर भी बापदादा बच्चों से मिलने के बिना तो रह नहीं सकते और बच्चे भी रह नहीं सकते) तो बापदादा यह विशेष इशारा दे रहे हैं कि अभी शान्ति की शक्ति के वायब्रेशन चारों ओर फैलाओ।

अभी विशेष ब्रह्मा बाबा और जगदम्बा को देखा कि स्वयं आदि देव होते शान्ति की शक्ति का कितना गुप्त पुरूषार्थ किया। आपकी दादी ने कर्मातीत बनने के लिए इसी बात को कितना पक्का किया। जिम्मेवारी होते, सेवा का प्लैन बनाते, (खांसी बार-बार आ रही है) बाजा कितना भी खराब हो लेकिन बापदादा का प्यार है! तो सेवा की जिम्मेवारी कितनी भी बड़ी हो लेकिन सेवा के सफलता का प्रत्यक्ष फल शान्ति की शक्ति के बिना, जितना चाहते हैं उतना नहीं निकल सकता क्योंकि अपने लिए भी सारे कल्प की प्रालब्ध को तभी बना सकते हैं। इसके लिए अभी हर एक को स्व के प्रति, सारे कल्प की प्रालब्ध राज्य की और पूज्य की इकठ्ठा करने के लिए अभी समय है क्योंकि समय नाजुक आना ही है। ऐसे समय पर शान्ति की शक्तियों द्वारा टचिंग पावर कैचिंग पावर बहुत आवश्यक होगी। ऐसा समय आयेगा जो यह साधन कुछ नहीं कर सकेंगे, सिर्फ आध्यात्मिक बल, बापदादा के डायरेक्शन्स की टचिंग कार्य करा सकेगी। तो अपने में चेक करो - बापदादा की ऐसे समय में मन और बुद्धि में टचिंग आ सकेगी? इसमें बहुतकाल का अभ्यास चाहिए, इसका साधन है मन बुद्धि सदा ही कभी कभी नहीं, सदा क्लीन और क्लीयर चाहिए। अभी रिहर्सल बढ़ती जायेगी और सेकण्ड में रीयल हो जायेगी। जरा भी अगर मन में बुद्धि में किसी भी आत्मा के प्रति या किसी भी कार्य के प्रति, किसी भी साथी सहयोगी के प्रति जरा भी निगेटिव होगा तो उसको क्लीन और क्लीयर नहीं कहा जायेगा। इसलिए बापदादा यह अटेन्शन खिंचवा रहा है। सारे दिन में चेक करो - साइलेन्स पावर कितनी जमा की? सेवा करते भी साइलेन्स की शक्ति अगर वाणी में नहीं है तो प्रत्यक्ष फल सफलता जितना चाहते हैं उतनी नहीं होगी। मेहनत ज्यादा है फल कम। सेवा करो लेकिन शान्ति के शक्तियों से सम्पन्न सेवा करो | उसमें जितनी रिजल्ट चाहते हो उससे अधिक मिलेगी। बार-बार चेक करो। बाकी बापदादा को खुशी है कि दिनप्रतिदिन जो भी जहाँ भी सेवा कर रहे हैं वह अच्छी कर रहे हैं लेकिन स्व प्रति शान्ति की शक्ति जमा करने का, परिवर्तन करने का और अटेन्शन।

अभी सारी दुनिया ढूंढ रही है कि आखिर विश्व परिवर्तक निमित्त कौन बनता है! क्योंकि दिन प्रतिदिन दु:ख और अशान्ति बढ़ रही है और बढ़नी ही है। तो भक्त अपने इष्ट को याद कर रहे हैं, कोई अति में जाके परेशानी से जी रहे हैं। धर्म गुरूओं के तरफ नज़र घुमा रहे हैं। और साइंस वाले भी अभी यही सोच रहे हैं कैसे करें, कब तक होगा। तो इन सबको जवाब देने वाले कौन? सबकी दिल में यही पुकार है कि आखिर भी गोल्डन मॉर्निंग कब आनी है। तो आप सभी लाने वाले हो ना! हो? हाथ उठाओ जो समझते हैं, निमित्त हो। निमित्त हो। अच्छा। इतने सारे निमित्त हैं तो कितने समय में होना चाहिए! आप सभी भी खुश हो जाते हैं और बापदादा भी खुश हो जाते हैं। देखो यह गोल्डन चांस हर एक को गोल्डन प्रमाण प्राप्त होता है।

अभी आपस में जैसे सर्विस की मीटिंग करते हो, प्राब्लम हल करने के लिए करते हो ना। ऐसे यह मीटिंग करो, यह प्लैन बनाओ। याद और सेवा। याद का अर्थ है शान्ति की पावर और वह प्राप्त होगी, जब आप टॉप की स्टेज पर होंगे। जैसे कोई टॉप स्थान होता है ना तो वहाँ खड़े हो जाओ तो कितना सारा स्पष्ट दिखाई देता है। ऐसे आपकी टॉप की स्टेज, सबसे टॉप क्या है! परमधाम। बापदादा कहते हैं सेवा की और फिर टॉप की स्टेज पर बाप के साथ आकर बैठ जाओ। जैसे थक जाते हैं ना तो 5 मिनट भी कहाँ शान्ति से बैठ जाते हैं ना तो फर्क पड़ जाता है ना। ऐसे ही बीच-बीच में बाप के साथ आकर बैठ जाओ। और दूसरा टॉप का स्थान है सृष्टि चक्र को देखो, सृष्टि चक्र में टॉप स्थान कौन सा है? संगम पर आके सुई टॉप पर दिखाते हो ना। तो नीचे आये, सेवा की फिर टॉप स्थान पर चले जाओ। तो समझा क्या करना है? समय आपको पुकार रहा है या आप समय को समीप ला रहे हो? रचता कौन? तो आपस में ऐसे ऐसे प्लैन बनाओ। अच्छा।

बच्चों ने कहा आना ही है तो बाप ने कहा हाँ जी। ऐसे ही एक दो के बातों को, स्वभाव को, वृत्ति को समझते, हाँ जी, हाँ जी करने से संगठन की शक्ति साइलेन्स की ज्वाला प्रगट करेगी। ज्वालामुखी देखा है ना। तो यह संगठन की शक्ति शान्ति की ज्वाला प्रगट करेगी। अच्छा।

महाराष्ट्र-आंध्रप्रदेश, बाम्बे का सेवा का टर्न है:- नाम ही महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र को विशेष ड्रामानुसार गोल्डन गिफ्ट प्राप्त हुई है। कौन सी? ब्रह्मा बाप और माँ की पालना महाराष्ट्र को डायरेक्ट मिली है। दिल्ली और यू.पी. में भी मिली है लेकिन महाराष्ट्र को ज्यादा। अभी महाराष्ट्र, महा तो हो ही। अभी क्या करना है! महाराष्ट्र मिलके ऐसा प्लैन बनाओ, ऐसी मीटिंग करो जिसमें सबके एक ही स्वभाव, एक ही संस्कार, एक ही सेवा का लक्ष्य, शान्ति की शक्ति कैसे फैलायें, उसके प्लैन बनाओ। बनायेंगे ना! बनायेंगे? अच्छा बापदादा को एक मास के बाद रिपोर्ट देंगे कि क्या प्लैन बनाया है! आपके इस रूहरिहान से और भी एडीशन हो जायेगी। भिन्न-भिन्न जोन हैं ना, तो वह भी एडीशन करेंगे उसमें घाट आप बनाओ और हीरे वह जोड़ेंगे। है ना हिम्मत। टीचर्स हिम्मत है! पहली लाइन हिम्मत है? संस्कार मिलन यह रास कौन सा जोन करेगा? कोई जोन शुभ वृत्ति, शुभ दृष्टि और शुभ कृति यह कैसे हो, एक जोन यह उठाये। दूसरा जोन - अगर कोई आत्मा स्वयं संस्कार परिवर्तन नहीं कर सकती है, चाहती भी है लेकिन कर नहीं पाती तो उन्हों के प्रति क्या रहमदिल, क्षमा, सहयोग, स्नेह देकर कैसे अपने ब्राह्मण परिवार को शक्तिशाली बनायें इसका प्लैन बनायें। यह हो सकता है? हो सकता है? पहली लाइन बताओ हो सकता है? हाथ उठाओ हो सकता है। क्योंकि पहली लाइन में सब महारथी बैठे हैं। अभी बापदादा नाम नहीं सुनाते हैं, हर एक जोन को जो अच्छा लगे वह रूहरिहान कर फिर शिवरात्रि के बाद भी एक मास में रिजल्ट सुनायें। महाराष्ट्र है ना और अच्छा है। वृद्धि तो सब जगह हो रही है उसकी बापदादा मुबारक, मुबारक दे ही रहे हैं। अभी जो किया उसकी तो मुबारक है लेकिन अभी क्वालिटी की वृद्धि करो। क्वालिटी का अर्थ यह नहीं कि साहूकार हो, क्वालिटी का मतलब है याद को नियम प्रमाण जीवन में सबूत बन करके दिखावे। बाकी माइक और वारिस वह तो जानते ही हो। निश्चयबुद्धि और निश्चिंत हो। अच्छा।

डबल फारेनर्स उठो:- (युगलों और कुमारियों की रिट्रीट विशेष चली है) यह निशानी लगाके आये हैं। अच्छा लगता है। कुमारियां ऐसे घूम जाओ जो दूसरे देखें। चक्र लगाओ। अच्छा है। सभी लक्की हैं लेकिन कुमारियां डबल लक्की हैं। क्यों! ऐसे तो कुमार भी लक्की हैं लेकिन कुमारियों को अगर कुमारी जीवन में अमर रहती हैं तो बापदादा का गुरूभाई का तख्त मिलता है। दिलतख्त तो है ही। वह तो सभी को है लेकिन गुरू का तख्त है जहाँ बैठ करके मुरली सुनाते हैं। टीचर बनके टीच करते हो। इसीलिए बापदादा कहते हैं कि कुमारियां, कुमारियों के लिए गायन है कि 21 परिवार का उद्धार करने वाली हैं। तो आपने अपना 21 जन्म का तो उद्धार किया लेकिन और जिन्हों के निमित्त बनती हो उन्हों का भी 21 जन्म का उद्धार किया। तो ऐसी कुमारियां हो ना। ऐसी हो? पक्का। जो थोड़ा थोड़ा कच्चा है वह हाथ उठाओ। पक्के हैं। आपने देखा पक्की कुमारियां हैं। पक्की हैं! मोहि नी बहन (न्युयार्क) बतायें पक्की हैं। कुमारियों का ग्रुप पक्का है। इनकी टीचर कौन! (मीरा बहन) पक्का तो ताली बजाओ। बापदादा को भी खुशी है। अच्छा। (यह कुमारियों की आठवीं रिट्रीट है - इनका विषय था अपनेपन का अनुभव, 30 देशों की 80 कुमारियां आई हैं, सबने अपनेपन का बहुत अच्छा अनुभव किया) मुबारक हो। यह तो कुमारियां हुई, आप सब कौन हो? आप कहो यह तो कुमारियां हैं हम ब्रह्माकुमार और ब्रह्मा कुमारियां हैं। आप भी कम नहीं हैं। यह कुमारों का ग्रुप है, मिला हुआ ग्रुप है। अच्छा है। युगलों को कौन सा नशा है? एकस्ट्रा नशा। मालूम है। जबसे प्रवृत्ति वाले इस नॉलेज को धारण करने लगे हैं तो मैजारिटी अभी लोगों में हिम्मत आई है कि हम भी कर सकते हैं। पहले समझते थे कि ब्रह्माकुमारियां बनना अर्थात् सब कुछ छोड़ना लेकिन अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमार कुमारी बनके परिवार व्यवहार सब चल सकता है। और युगलों की एक विशेषता और है, उन्होंने महात्माओं को भी चैलेन्ज की है कि हम साथ रहते, व्यवहार करते, हमारा परमार्थ श्रेष्ठ है। विजयी हैं। तो विजय की हिम्मत दिलाना यह युगलों का काम है। इसीलिए बापदादा युगलों को भी मुबारक देते हैं। ठीक है ना। चैलेन्ज करने वाले हो ना, पक्का। कोई आके सी.आई.डी करे, तो करने दो। कहो करने दो। है ताकत? है? हाथ उठाओ। अच्छा। बापदादा सदा ही डबल फारेनर्स को हिम्मत वाले समझते हैं। क्यों? बापदादा ने देखा है कि काम पर भी जाते, क्लास भी करते, कई क्लास भी कराते लेकिन आलराउन्ड सेन्टर की सेवा में भी मददगार बनते हैं। इसीलिए बापदादा टाइटल देते हैं यह है आलराउण्ड ग्रुप। अच्छा। ऐसे ही आगे बढ़ते रहना और औरों को भी आगे बढ़ाते रहना। अच्छा।

ग्राम विकास प्रभाग की मीटिंग चल रही है:- अच्छा सुनाया था। कोई नवीनता कर रहे हैं ना। कर रहे हैं कोई नवीनता। क्या कर रहे हैं! कोई भी बताये। (मोहिनी बहन ने सुनाया, योग के प्रयोग के साथ जैविक खेती करने का प्लैन बनाया है) अच्छा है, क्योंकि आजकल जो खेती से निकलता है उसमें भी प्राब्लम्स हैं। तो अच्छा कार्य किया है। एक अपना फायदा योग करेंगे और दूसरा जनता की दुआयें मिलेंगी। तो अच्छा कर रहे हैं। उमंग उत्साह से कर रहे हैं और करते रहना। अच्छा - मुबारक हो।

अच्छा जो आज नये पहली बार आये हैं वह उठो। आधा क्लास नया है। तो आप सबको मधुबन आने की विशेष खुशी होगी, खुशियों की मुबारक हो। और बापदादा सदा सभी को यही कहते कि अमर भव का वरदान सदा अमृतवेले रिवाइज करते रहना। यहाँ बाप का वरदान तो मिलता है लेकिन समय पर वरदान काम में तब आयेगा जब रोज रिवाइज करते रहो। तो रिवाइज करते रहना और आगे से आगे बढ़ते रहना। अच्छा। बाकी सभी जो भी आये हैं तो बापदादा आप सभी के बहुत-बहुत प्यार भरे आह्वान से शरीर को चला रहे हैं। अच्छा।

टीचर्स। टीचर्स ठीक हैं। बहुत हैं टीचर्स। अच्छा पुरानी भी उठ रही हैं। अच्छा है देखो, बाप समान टाइटल आपको भी है। बाप भी टीचर बन करके आता है तो टीचर माना स्व अनुभव के आधार से औरों को भी अनुभवी बनाना। अनुभव की अथॉरिटी सबसे ज्यादा है। अगर एक बार भी कोई बात का अनुभव कर लेते हैं, जीवन भर नहीं भूलता है। सुनी हुई बात, देखी हुई बात भूल जाती है लेकिन अनुभव की हुई बात कभी भी भूलती नहीं हैं। तो टीचर्स अर्थात् अनुभवी बन अनुभवी बनाना। यही काम करते हो ना। अच्छा है। जो भी अनुभव में कमी हो ना, वह एक मास में भर देना। फिर बापदादा रिजल्ट मंगायेंगे। अच्छा।

अभी चारों ओर के बापदादा के दिलतख्तनशीन और विश्व राज्य के तख्तनशीन, सदा अपने साइलेन्स की शक्ति को आगे बढ़ाते और औरों को भी आगे बढ़ाने का उमंग-उत्साह देने वाले, सदा खुश रहने वाले और सबको खुशी की गिफ्ट देने वाले चारों ओर के बापदादा के लक्की और लवली बच्चों को बापदादा का यादप्यार और दुआयें, नमस्ते।

शान्तामणि दादी को:- आपको कौन सा टाइटल मिला है? (सचली कौड़ी) बापदादा सदा सचली कौड़ी के रूप में देखता है। अच्छा है फिर भी देखो चला रही है। मुबारक हो, शरीर चल रहा है। अच्छा (मुन्नी बहन ने बापदादा से पूछा बाबा दादी का जन्म हो गया है? बापदादा ने कहा हाँ हो गया है)