ओम् शान्ति 20-02-20 मधुबन
प्राणप्यारे अव्यक्त मूर्त मात-पिता बापदादा के अति स्नेही, अपनी सच्ची दिल से भोलानाथ बाप को राज़ी करने वाले, सदा पवित्रता का व्रत लेने वाले, ब्रह्माचारी निमित्त टीचर्स बहिनें तथा देश विदेश के सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,
ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद के साथ आज त्रिमूर्ति शिव जयन्ती सो गीता जयन्ती, सो स्वर्णिम युग जयन्ती की सबको बहुत-बहुत दिल से स्नेह भरी बधाईयां।
हम सभी अपने अति प्रिय शिव भोलानाथ बाप की हीरे तुल्य त्रिमूर्ति शिवजयन्ती बड़े उमंग-उत्साह के साथ मनाते, झण्डा फहराते, स्व-परिवर्तन और विश्व परिवर्तन निमित्त प्रतिज्ञायें करते, साथ-साथ अनेक आत्माओं को शिवबाबा के अवतरण का दिव्य सन्देश देने की सेवायें करते हैं। सर्व के कल्याणकारी, स्वयंभू परमात्मा शिव इस धरा पर पिछले 84 वर्षो से अवतरित हो, विश्व परिवर्तन का महान कार्य गुप्त रीति से कर रहे हैं, बाबा कहते बच्चे यह शुभ सन्देश हर आत्मा तक पहुंचना चाहिए। इस सन्देश से कोई भी आत्मा वंचित न रह जाए, इसके लिए हम सबको जो बाबा का पहला-पहला वरदान मिला है “बी होली, बी योगी'', उसका प्रैक्टिकल स्वरूप बन अपनी श्रेष्ठ चलन और चरित्र द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करना है। जब चारों ओर “यही है, यही है''.. की आवाज के साथ जयजयकार का नारा बुलन्द हो तब विश्व परिवर्तन का महान कार्य सम्पन्न हो और हर आत्मा मुक्ति और जीवनमुक्ति का वर्सा जन्म सिद्ध अधिकार के रूप में प्राप्त कर सके। इसी शुभ भावना से अब रही हुई सेवाओं को जल्दी से जल्दी सम्पन्न करना है साथ-साथ विशेष तीव्र पुरुषार्थ कर अपनी कर्मातीत स्थिति को प्राप्त कर सम्पूर्ण बनना है। बोलो, यही लक्ष्य है ना!
देखो, मधुबन वरदान भूमि में यह विशेष त्योहार एक सप्ताह तक चलता है। बाबा के सभी स्थानों पर सभी भाई बहिनें मिलकर झण्डा फहराते, मुख मीठा करते, खुशियां मनाते हैं। पिछले वर्ष की भांति बेहद सेवाओं निमित्त इस वर्ष भी शान्तिवन के पास एक स्कूल में बहुत सुन्दर 5 दिन के लिए “महा शिवरात्रि महोत्सव'' का आयोजन किया गया है, जिसमें अमरनाथ गुफा, 12 ज्योर्तिलिंग दर्शन विशेष आकर्षण का केन्द्र है। चारों ओर के गांवों से अनेकानेक लोग इस मेले के दर्शनार्थ आते रहते हैं।
बापदादा की सीज़न के इस सेवा टर्न में भोपाल ज़ोन के भाई बहनें पहुंचे हुए हैं। साथ में डबल विदेशी भाई बहिनें भी काफी संख्या में आये हुए हैं, जो बहुत अच्छी ज्ञान की गहरी रूहरिहान करते विशेष तपस्या कर रहे हैं। विदेश की सभी मुख्य बड़ी बहिनें भी इस समय मधुबन में हैं। शिव रात्रि के पश्चात स्व-उन्नति और विश्व सेवा निमित्त सभी मिलकर पूरे वर्ष के प्लैन्स बनायेंगे।
हम सबकी प्रेरणास्रोत दादी जानकी जी का कुछ समय से स्वास्थ्य ठीक न होने कारण वे अहमदाबाद मेमनगर सेवाकेन्द्र पर हैं, 2-3 दिन में मधुबन आ जायेंगी। उन्होंने अहमदाबाद से विशेष सभी को यादप्यार और शिवजयन्ती की बधाईयां दी हैं।
बाकी हम सबकी अति प्रिय बापदादा का अनमोल रथ दादी गुल्जार जी अभी तक मुम्बई गामदेवी सेवाकेन्द्र पर ही हैं। सभी ब्राह्मण बच्चों का विशेष संकल्प बापदादा के पास पहुंचता रहता है, बापदादा अवश्य बच्चों की आश पूरी कर दादी जी को मधुबन लेकर आयेंगे। बापदादा के इस गुप्त पार्ट में हम सभी सदा राज़ी रह ड्रामा के पट्टे पर अचल अडोल हैं। अच्छा!
सभी को बहुत-बहुत स्नेह सम्पन्न याद... ओम् शान्ति।
20-2-20 ओम् शान्ति “अव्यक्त महावाक्य वीडियो द्वारा” 15-02-07 मधुबन
“अलबेलेपन, आलस्य और बहाने बाजी की नींद से जागना ही शिवरात्रि का सच्चा जागरण है”
आज बापदादा विशेष अपने चारों ओर के अति लाडले, अति सिकीलधे, परमात्म प्यार के पात्र बच्चों से मिलने और विचित्र बाप बच्चों का बर्थ डे मनाने आये हैं। आप सभी भी आज विशेष विचित्र बर्थ डे मनाने आये हो ना! यह बर्थ डे सारे कल्प में किसी का नहीं होता। कभी भी नहीं सुना होगा कि बाप और बच्चे का एक ही दिन में बर्थ डे हो। तो आप सभी बाप का बर्थ डे मनाने आये हो वा बच्चों का भी मनाने आये हो? क्योंकि सारे कल्प में परमात्म बाप और परमात्म बच्चों का इतना अथाह प्यार है जो जन्म भी साथ-साथ है। बाप को अकेला विश्व परिवर्तन का कार्य नहीं करना है, बच्चों के साथ-साथ करना है। यह अलौकिक साथ रहने का प्यार, साथी बनने का प्यार इस संगम पर ही अनुभव करते हो। बाप और बच्चों का इतना गहरा प्यार है, जन्म भी साथ है और रहते भी कहाँ हो? अकेले या साथ में? हर एक बच्चा उमंग-उत्साह से कहते हैं कि हम बाप के साथ कम्बाइन्ड हैं। कम्बाइन्ड रहते हो ना! अकेले तो नहीं रहते हो ना! साथ जन्म है, साथ रहते हैं और आगे भी क्या वायदा है? साथ है, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे अपने स्वीट होम में। इतना प्यार कोई और बाप बच्चों का देखा है? कोई भी बच्चा हो, कहाँ भी है, कैसा भी है, लेकिन साथ है और साथ ही चलने वाले हैं। तो ऐसा यह विचित्र और प्यारे ते प्यारा जन्म दिन मनाने आये हैं। चाहे सम्मुख मना रहे हो, चाहे देश विदेश में चारों ओर एक ही समय साथ-साथ मना रहे हैं।
बापदादा चारों ओर देख रहे हैं कि कैसे सभी बच्चे उमंग-उत्साह से दिल ही दिल में वाह बाबा! वाह बाबा! वाह बर्थ डे! का गीत गा रहे हैं। अगर स्विच खोलते हैं तो चारों ओर के आवाज, दिल के आवाज, उमंग-उत्साह के आवाज बापदादा के कानों में सुनाई दे रहे हैं। बापदादा सभी बच्चों का उत्साह देख बच्चों को भी अपने दिव्य जन्म की पदम-पदम-पदमगुणा बधाईयां दे रहे हैं। वास्तव में उत्सव का अर्थ ही है उमंग-उत्साह में रहना। तो आप सभी उत्साह से यह उत्सव मना रहे हैं। नाम भी भक्तों ने शिवरात्रि रखा है।
आज बापदादा उस भक्त आत्मा को मुबारक दे रहे थे, जिसने आपके इस विचित्र जन्म दिन मनाने की कापी बहुत अच्छी की है। आप ज्ञान और प्रेम रूप में मनाते और उस भगत आत्मा ने भावना, श्रद्धा के रूप में आपके मनाने की कापी की है। तो आज उस बच्चे को मुबारक दे रहे थे कि कापी करने में अच्छा पार्ट बजाया है। देखो हर बात को कापी की है। कापी करने का भी तो अक्ल चाहिए ना! मुख्य बात तो इस दिन भक्त लोग भी व्रत रखते हैं, वह व्रत खाने पीने का रखते हैं, भावना में वृत्ति को श्रेष्ठ बनाने के लिए व्रत रखते हैं, उन्हों को हर वर्ष रखना पड़ता और आपने क्या व्रत लिया? एक ही बार व्रत लेते हो, वर्ष-वर्ष व्रत नहीं लेते। एक ही बार व्रत लिया पवित्रता का। सभी ने पवित्रता का व्रत लिया है, पक्का लिया है? जिन्होंने पक्का लिया है वह हाथ उठाओ, पक्का, थोड़ा भी कच्चा नहीं। पक्का? अच्छा। दूसरा भी प्रश्न है, अच्छा व्रत तो लिया मुबारक हो। लेकिन अपवित्रता के मुख्य पांच साथी हैं, ठीक है ना! कांध हिलाओ। अच्छा पांचों का व्रत लिया है? या दो तीन का लिया है? क्योंकि जहाँ पवित्रता है वहाँ अगर अंश मात्र भी अपवित्रता है तो क्या सम्पूर्ण पवित्र आत्मा कहा जायेगा? और आप ब्राह्मण आत्माओं की तो पवित्रता ब्राह्मण जन्म की प्रापर्टी है, पर्सनैलिटी है, रॉयल्टी है। तो चेक करो कि मुख्य पवित्रता के ऊपर तो अटेन्शन है लेकिन सम्पूर्ण पवित्रता के लिए और भी जो साथी हैं, उसको हल्का तो नहीं छोड़ा है? छोटों से प्यार रखा है और बड़े को ठीक किया है। तो क्या बाप की छुट्टी है कि और जो चार हैं उन्हें भल साथी बनाओ? पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य को नहीं कहा जाता लेकिन ब्रह्मचर्य के साथ ब्रह्माचारी बनना अर्थात् पवित्रता का व्रत पालन किया। कई बच्चे रूहरिहान में कहते हैं, रूहरिहान तो सभी करते हैं ना। तो बहुत मीठी-मीठी बातें करते हैं। कहते हैं बाबा मुख्य तो अच्छा है ना, बाकी छोटे-छोटे ऐसे कभी मन्सा संकल्प में आ जाते हैं। मन्सा में आते हैं, वाचा में नहीं आते और मन्सा को तो कोई देखता नहीं है। और कोई फिर कहते हैं कि छोटे छोटे बाल बच्चों से प्यार होता है ना। तो इन चारों से भी प्यार हो जाता है। क्रोध आ जाता है, मोह आ जाता है, चाहते नहीं हैं आ जाता है। बापदादा कहते हैं कोई भी आता है तो आपने दरवाजा खोला है तब आता है ना! तो दरवाजा खोला क्यों है? कमजोरी का दरवाजा खोला है, तो कमजोरी का दरवाजा खोलना अर्थात् आह्वान करना।
तो आज के दिन बाप का और अपना बर्थ डे तो मना रहे हो लेकिन जो जन्मते व्रत का वायदा किया है। पहला-पहला वरदान बाप ने क्या दिया, याद है? बर्थ डे का वरदान याद है? क्या दिया? पवित्र भव, योगी भव। सभी को वरदान याद है ना? याद है भूल तो नहीं गये? पवित्र भव का वरदान एक का नहीं दिया, पांचों का दिया। तो आज बापदादा क्या चाहते हैं? बर्थ डे मनाने आये हो, बाप का भी मनाने आये हो ना। शिवरात्रि मनाने आये हो, तो बर्थ डे की सौगात लाये हो या खाली हाथ आये हैं?
आज के दिन बापदादा की शुभ आशा है अपने आशाओं के दीपक बच्चों प्रति। वह शुभ आशा कौन सी है, बतायें? बताना वा सुनना माना क्या? एक कान से सुनना और दिल में समा देना, ऐसे? निकालेंगे तो नहीं, इतना तो नहीं है लेकिन दिल में ही समा देते हैं। तो आज के दिन वह शुभ आशा बतायें, पहली लाइन वाले बोलो, कांध हिलाओ, टीचर्स कांध हिलाओ। डबल फारेनर्स बतायें! अपने को बांधना पड़ेगा, तभी कहो हाँ, ऐसे ही नहीं।
तो आज के दिन भक्त जागरण करते हैं, सोते नहीं हैं, तो आप बच्चों का जागरण कौन सा है? कौन सी नींद में घड़ी-घड़ी सो जाते हो, अलबेलापन, आलस्य और बहाने बाजी की नींद में आराम से सो जाते हैं। तो आज बापदादा इन तीन बातों का हर समय जागरण देखने चाहता है। कभी भी देखो क्रोध आता है, अभिमान आता है, लोभ आता है, कारण क्या बताते हैं? बापदादा को एक ट्रेडमार्क दिखाई देती है, कोई भी बात होती है ना! तो क्या कहते हैं, यह तो चलता है.., पता नहीं किसने चलाया है? लेकिन शब्द यही कहते हैं - यह तो होता ही है, यह तो चलता ही है। यह कोई नई बात थोड़ेही है, यह होता ही है। यह क्या है? अलबेलापन नहीं है? यह भी तो करता है, मैजॉरिटी क्रोध से बचने के लिए यह किया तब हुआ। मैंने रांग किया, वह नहीं कहेंगे। इसने यह किया ना, यह हुआ ना, इसलिए हुआ। दूसरे पर दोष रखना बहुत सहज है। यह ना करे तो नहीं होगा। और बाप ने जो कहा वह नहीं होगा। वह करे तो होगा, बाप की श्रीमत पर क्या क्रोध को नहीं खत्म कर सकते? आजकल क्रोध का बच्चा रोब, रोब भी भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं। तो क्या आज चार का भी व्रत लेंगे? जैसे पहली बात का विशेष दृढ़ संकल्प मैजॉरिटी ने किया है। क्या ऐसे ही चार का भी संकल्प करेंगे! यह बहाना नहीं देना, इसने यह किया तब मेरा हुआ, और बाप जो बार-बार कहता है, वह याद नहीं, उसने जो किया वह याद आ गया, तो यह बहानेबाजी हुई ना! तो आज बापदादा बर्थ डे की गिफ्ट चाहते हैं यह तीन बातें, जो चार को हल्का कर देती हैं। संस्कार का सामना तो करना ही है, संस्कार का सामना नहीं, यह पेपर है। एक जन्म की पढ़ाई और सारे कल्प की प्राप्ति, आधाकल्प राज्य भाग्य, आधाकल्प पूज्य, सारे कल्प की एक जन्म में प्राप्ति, वह भी छोटा जन्म, फुल जन्म नहीं है, छोटा जन्म है। तो क्या हिम्मत है? जो समझते हैं, हिम्मत रखेंगे जरूर, ऐसे नहीं पुरुषार्थ करेंगे, अटेन्शन रखेंगे.. गे गे नहीं चाहिए।
बापदादा देख रहे हैं कि समय का कोई भरोसा नहीं और इस ज्ञान के आधार पर हर पुरुषार्थ की बात में बहुतकाल का हिसाब है। अच्छा अभी-अभी कर लेंगे, परन्तु बहुतकाल का हिसाब है क्योंकि प्राप्ति हर एक क्या चाहता है? अभी हाथ उठवाते हैं, कोई राम सीता बनेगा? जो रामसीता बनने चाहते हैं वह हाथ उठाओ, राजाई मिलेगी। कोई हाथ उठा रहे हैं - राम सीता बनेंगे? लक्ष्मी-नारायण नहीं बनेंगे? डबल फारेनर्स में कोई हाथ उठाता है? (कोई नहीं) जब बहुतकाल का भाग्य प्राप्त करने चाहते हो, लक्ष्मी-नारायण बनना अर्थात् बहुतकाल का राज्य भाग्य प्राप्त करना। तो बहुतकाल की प्राप्ति है। तो हर बात में बहुतकाल तो चाहिए ना! अभी 63 जन्म के बहुतकाल का संस्कार है तो कहते हो ना, हमारा भाव नहीं है, भावना नहीं है, संस्कार है 63 जन्म का। तो बहुतकाल का हिसाब है ना। इसीलिए बापदादा यही चाहते हैं कि संकल्प में दृढ़ता हो, दृढ़ता की ही कमी हो जाती है, हो जायेगा.. चलता है, चलने दो, कौन बना है, और एक तो बहुत अच्छी बात सबको आती है, बापदादा ने बातें नोट किया है, अपनी हिम्मत नहीं होती है तो कहते हैं महारथी भी ऐसे करते हैं, हमने किया तो क्या हुआ? लेकिन बापदादा पूछते हैं कि क्या जिस समय महारथी गलती करता है, उस समय महारथी है? तो महारथी का नाम क्यों खराब करते हो? उस समय वह महारथी है ही नहीं, तो महारथी कहके अपने को कमजोर करना यह अपने को धोखा देना है। दूसरे को देखना सहज होता है, अपने को देखने में थोड़ी हिम्मत चाहिए। तो आज बापदादा हिसाब का किताब खत्म कराने की गिफ्ट लेने आये हैं। कमजोरी और बहानेबाजी का हिसाब-किताब का बहुत बड़ा किताब है, उसको खत्म करना है। तो हर एक जो समझते हैं हम करके दिखायेंगे, करना ही है, झुकना ही है, बदलना ही है, परिवर्तन सेरीमनी मनानी ही है, जो समझते हैं संकल्प करेंगे वह हाथ उठाओ। दृढ़ या चालू? चालू संकल्प भी होता है और दृढ़ संकल्प भी होता है। तो आप सबने दृढ़ उठाया है? दृढ़ उठाया है? मधुबन वाले बड़ा हाथ उठाओ। यहाँ सामने मधुबन वाले बैठते हैं, बहुत नजदीक बैठने का चांस है। पहली सीट मधुबन वालों को मिलती है, बापदादा खुश है। पहले बैठे हो, पहले ही रहना।
तो आज की गिफ्ट तो बढ़िया हुई ना। बापदादा को भी खुशी है क्योंकि आप एक नहीं हो। आपके पीछे अपनी राजधानी में आपकी रॉयल फैमिली, आपकी रॉयल प्रजा, फिर द्वापर से आपके भक्त, सतो रजो तमोगुणी, तीन प्रकार के भक्त, आपके पीछे लम्बी लाइन है। जो आप करेंगे वह आपके पीछे वाले करते हैं। आप बहानेबाजी देते हो तो आपके भक्त भी बहुत बहानेबाजी करते हैं। अभी ब्राह्मण परिवार भी आपको देख, उल्टी कापी करने में तो होशियार होते हैं ना। तो अभी दृढ़ संकल्प करो, संस्कार का टक्कर हो, स्वभाव का मतभेद हो, तीसरी बात कमजोरों की होती है, कोई ने किसी के ऊपर झूठी बात कह दी, तो कई बच्चे कहते हैं हमको ज्यादा क्रोध आता है झूठ पर। लेकिन सच्चे बाप से वेरीफाय कराया, सच्चा बाप आपके साथ है, तो सारी झूठी दुनिया एक तरफ हो और एक बाप आपके साथ है, विजय आपकी निश्चित हुई पड़ी है। कोई आपको हिला नहीं सकता, क्योंकि बाप आपके साथ है। कह रहे हैं झूठ है। तो झूठ को झूठा ही कर दो ना, बढ़ाते क्यों हो! तो बाप को बहानेबाजी अच्छी नहीं लगती, यह हुआ, यह हुआ, यह हुआ... यह यह का गीत अब समाप्त होना चाहिए। अच्छा हुआ, अच्छा होगा, अच्छा रहेंगे, अच्छा सबको बनायेंगे। अच्छा-अच्छा-अच्छा का गीत गाओ। तो पसन्द है? पसन्द है? बहानेबाजी को खत्म करेंगे? करेंगे? दोनों हाथ उठाओ। हाँ, अच्छी तरह से हिलाओ। अच्छा, देखने वाले भी हाथ हिला रहे हैं। कहाँ भी देख रहे हैं, हाथ हिलाओ। आप तो हिला रहे हो। अच्छा अभी नीचे करो, अभी अपने परिवर्तन की ताली बजाओ। (सभी ने जोरदार तालियां बजाई) अच्छा।
यह दिन, यह समय, संगठन का चित्र सदा अपने सामने रखना। कभी भी कमजोरी आ जाए, आने नहीं देना, गेट बन्द। गेट तो पता है ना! बन्द करो। डबल बन्द करो, डबल ताला लगाना, आजकल सिंगल ताला नहीं चलता। एक याद का, एक मन को सेवा में बिजी रखने का, यह दो आलमाइटी ताले लगा देना। गाडरेज का नहीं गॉड का। पक्का जागरण करना, पक्का व्रत रखना।
बापदादा को हर बच्चे से अति प्यार है। चाहे लास्ट नम्बर भी हो फिर भी बापदादा का उस बच्चे पर भी अति प्यार है। क्यों? ऐसे बच्चे कोई बाप को मिलने हैं? एक ही बापदादा है जिसको ब्राह्मण बच्चे मिलते हैं। कोई भी महात्मा हो, महामण्डेश्वर हो, धर्मपिता हो, कोई को भी ऐसे बच्चे मिले हैं, जो हर बच्चा कहे मेरा बाबा। है कोई, हिस्ट्री में है? इसीलिए बापदादा हर बच्चे के महत्व को जानते हैं। बच्चे कहते हैं हम गीत गाते हैं वाह बाबा वाह! बाप कहते हैं आपसे भी 100 गुणा ज्यादा बाप गीत गाता है, वाह बच्चे वाह! ठीक है ना! वाह वाह हो ना! मधुबन वाले वाह वाह बच्चे हो ना! पीछे वाले वाह वाह बच्चे हो ना! अच्छा।
भोपाल ज़ोन की सेवा का टर्न है:- अच्छा है, भोपाल भी मध्यप्रदेश में है और मध्यप्रदेश बहुत बड़ा है। भोपाल को बापदादा विशेष दो सेवायें देना चाहते हैं, बतायें कौन सी? टीचर्स सुनना ध्यान से।
ऐसे कई विशेष वी.आई.पी. मध्य प्रदेश में हैं, बापदादा जानते हैं, छिपे हुए हैं, सिर्फ उसको मैदान पर लाना है। और दूसरा जो भी बड़े-बड़े सेवाकेन्द्र हैं, जिसको आप बड़े कहते हो वह लिस्ट देना। तो हर एक बड़े सेन्टर जिसके अन्डर छोटे उपसेवाकेन्द्र, गीता पाठशालायें बहुत-बहुत हैं उन बड़े सेन्टर्स को कम से कम एक साल के अन्दर, बहुत टाइम दे रहे हैं, इतना देना नहीं चाहिए। लेकिन एक साल के अन्दर कम से कम बड़े सेन्टर को अपना एक वारिस क्वालिटी सामने लाना है।
चाहे अभी हो भी, लेकिन यज्ञ के अन्दर वह वारिस क्वालिटी प्रसिद्ध हो। ऐसे नहीं, हैं तो बहुत। कई सेन्टर कहते हैं हमारे पास वारिस हैं, लेकिन वारिस छिप नहीं सकते। वारिस की क्वालिटी होगी तो वह छिप नहीं सकता। बापदादा गुप्त वारिस को नहीं मानता है। उसका कनेक्शन, उसका रिलेशन कायदे प्रमाण होना ही चाहिए। ऐसा वारिस हरेक बड़ा सेन्टर सामने लाये। ला सकते हैं ना बड़े सेन्टर्स? इसमें नहीं कहना हम तो छोटे हैं। छोटे नहीं बनना। छोटे भी बड़े बनना। ठीक है टीचर्स? ठीक बोला। हाथ उठाओ। तो यह दो कार्य भोपाल को करना है, ठीक है भोपाल वाले, आपमें से ही तो कोई वारिस बनेंगे ना। तो देखेंगे, वैसे तो 6 मास में तैयार होना चाहिए लेकिन फिर भी बापदादा एक वर्ष की छुट्टी देते हैं। ठीक है। बाकी सेवा का यह गोल्डन चांस लेते हो, यह अच्छा है। बापदादा सदा ही सुनाते हैं कि स्व-उन्नति के लिए बहुत अच्छा चांस है क्योंकि सेवा की जिम्मेवारी भी अलग नहीं है, यज्ञ सेवा की जिम्मेवारी है। वहाँ तो फिर भी समय और अटेन्शन देना पड़ता है, यहाँ तो एक ही अटेन्शन है स्व उन्नति या यज्ञ सेवा। यज्ञ सेवा का पुण्य अगर हर समय जमा करो तो आपके पुण्य का खाता बहुत-बहुत जल्दी बढ़ सकता है। तो अच्छा किया है, संख्या भी अच्छी लाये हैं। चांस अच्छा लिया है। अभी आगे की रिजल्ट देखेंगे। अच्छा।
डबल विदेशी आये हैं:- बापदादा को डबल विदेशियों को देख एक बात की विशेष खुशी होती है, एकस्ट्रा खुशी होती है। वह इस बात की कि शुरू शुरू में जब डबल फारेनर्स आये थे, टीचर्स को याद होगा तो भिन्न-भिन्न कल्चर से ट्रांसफर होने में बड़ी मेहनत लगती थी लेकिन अभी बापदादा ने देखा है कि इसकी चर्चा इतनी नहीं होती है, क्यों कारण क्या है? क्योंकि एक दो के संगठन को देख वृद्धि अच्छी हुई है ना! और बापदादा ने सुना भी है कि मैजॉरिटी अपने-अपने आसपास सन्देश देने का कोई न कोई साधन अपनाते हैं, सन्देश देने का उमंग अच्छा है। तो उसकी रिजल्ट में देखा गया है कि हर टर्न में विदेशियों का ग्रुप कम नहीं होता है। क्वालिटी भी अच्छी है और क्वान्टिटी भी बढ़ती जाती है इसलिए एक चंदन का वृक्ष बन गये हैं। तो चंदन का वृक्ष देख बापदादा खुश होते हैं।
समाचार तो बापदादा के पास पहुंच ही जाता है। चाहे आप ईमेल में भेजते हो, तो बापदादा के पास तो कापी पहले आती है। सेवा का उमंग अच्छा है। अभी सिर्फ आज का व्रत पक्का करना है। नम्बर लेंगे ना विदेशी? नम्बर लेना है? कौन सा नम्बर? पहला कि दूसरा भी चलेगा? (पहला) जिसका एक बाप से प्यार है वह एक के समान एक ही नम्बर बनेंगे। जो स्लोगन है - एक बाप ही संसार है, जब है ही एक संसार तो नम्बर एक हुआ ना। जैसे आपका टाइटल है डबल फारेनर्स। तो पुरुषार्थ में संकल्प के दृढ़ता में भी डबल फोर्स का पुरुषार्थ करके दिखाओ। अटेन्शन रखते हैं, सिर्फ अन्तर क्या हो जाता है? तीव्रता की दृढ़ता कम हो जाती है, प्रोग्राम बहुत अच्छा बनाते हो, बापदादा भी टापिक सुनते हैं, ग्रुप ग्रुप के पुरुषार्थ के विषय देखकर बहुत खुश होते हैं लेकिन क्या है, जब टापिक शुरू करते या लक्ष्य रखते हो वह बहुत फोर्स का रखते हो फिर कुछ न कुछ पेपर तो आता ही है, और आना ही है, बिना पेपर कोई पास नहीं होता। उसमें दृढ़ता की कमी हो जाती है और साधारण पुरूषार्थ हो जाता है। सदा दृढ़ता रहे इसकी कमी हो जाती है। तो सबमें डबल पुरुषार्थी। करके ही दिखायेंगे, बनके ही दिखायेंगे। ठीक है ना। इतना उमंग-उत्साह है ना! है? है, सिर्फ दृढ़ता को चेक करो, बातों में नहीं जाओ। दृढ़ता को देखो। अच्छा।
बाकी बापदादा देख रहे हैं - जो भी सभी ने कार्ड भेजे हैं, पत्र भेजे हैं, ग्रीटिंग्स भेजे हैं, वह बापदादा ने स्वीकार की और रिटर्न में एक एक को नाम और विशेषता सहित यादप्यार और दुआयें दे रहे हैं। जिन्होंने कार्ड और पत्र द्वारा नहीं लेकिन दिल से, संकल्प से भी अपना उमंग-उत्साह भेजा है, उन सभी बच्चों को बहुत-बहुत पदमगुणा यादप्यार और बाप के दिल की दुआयें।
बाकी आप सभी सम्मुख बैठे हो, सम्मुख का मजा अपना ही है। साइंस के साधनों द्वारा चाहे कितना भी स्पष्ट हो, कितना भी अच्छा लगता हो, लेकिन सम्मुख मधुबन में उन्नति का द्वार अपना ही अनुभव कराता है।
अच्छा अभी जो बापदादा ने कहा वह हरेक एक मिनट के लिए दृढ़ संकल्प स्वरूप में बैठो कि बहानेबाजी, आलस्य, अलबेलापन को हर समय दृढ़ संकल्प द्वारा समाप्त कर बहुतकाल का हिसाब जमा करना ही है। कुछ भी हो, कुछ नहीं देखना है लेकिन बाप के दिलतख्तनशीन बनना ही है, विश्व के तख्तनशीन बनना ही है। इस दृढ़ संकल्प स्वरूप में सभी बैठो। अच्छा।
चारों ओर के सदा उमंग-उत्साह के अनुभव में रहने वाले, सदा दृढ़ता सफलता की चाबी को कार्य में लगाने वाले, सदा बाप के साथ और हर कार्य में साथी बन रहने वाले, सदा एकनामी और एकॉनामी, एकाग्रता स्वरूप में आगे से आगे उड़ते रहने वाले, बापदादा के अति लाडले, सिकीलधे, विशेष बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
डायमण्ड हाल की स्टेज पर शिव बाबा का ध्वज फहराया गया।
दादी रतनमोहिनी जी ने और भ्राता निर्वैर जी ने सबको शिव जयन्ती की बधाईयां दी
आज के दिन बाबा के महावाक्य सुनते जैसे सभी खुशियों में नाच रहे हैं। ऐसे सदा खुशनुमा रहें और सदा खुशियां ही बांटते रहें।
आप सभी ने मिलकर मन से शिवबाबा का झण्डा लहराया। 84वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की समस्त देश विदेश के भाई बहिनों को बहुत बहुत बहुत कोटि कोटि मुबारक हो, मुबारक हो।