05-12-70
ओम शान्ति अव्यक्त
बापदादा मधुबन
“प्रतिज्ञा
करने वालों को
माया की
चैलेंज”
आवाज़ से
परे जाना और ले
जाना आता है? जब
चाहे आवाज़ में
आये जब चाहे आवाज़
से परे हो जाएँ,
ऐसे सहज अभ्यासी
बने हो? यह पाठ
पक्का किया है?
विजयी रत्न बने
हो? किस पर विजयी
बने हो? सर्व
के दिलों पर विजय
प्राप्त कर सकते
हो? जैसे बापदादा
के इस कर्तव्य
के गुण का यादगार
यहाँ है वैसे बाप
के समान विजयी
बने हो? सर्व
के ऊपर विजयी बने
हो। आपके ऊपर और
कोई विजयी बन सकता
है? ऐसी स्थिति
भट्ठी में बनायी
है। भट्ठी से जाने
के बाद प्रैक्टिकल
पेपर होगा। पास
विद ऑनर अर्थात्
संकल्प में भी
फेल न हो ऐसे बने
हो? कल समाचार
सुना था कि जी हाँ
का नारा बहुत अच्छा
लगाया। ऐसी प्रतिज्ञा
करने वाले पास
विद ऑनर होने चाहिए।
माया को चैलेंज
है की प्रतिज्ञा
करने वालों का
खूब प्रैक्टिकल
पेपर ले। सामना
करने की शक्ति
सदैव अपने में
कायम रखना है।
जो अष्ट शक्तियां
सुनाई थी वह अपने
में धारण की हैं।
ज्ञानमूर्त,
गुणमूर्त दोनों
ही बने हो? माया
को अच्छी तरह से
सदाकाल के लिए
विदाई दे चले हो?
अपनी स्थूल विदाई
के पहले माया को
विदाई देनी है।
माया भी बड़ी चतुर
है। जैसे कोई-कोई जब शरीर छोड़ते
हैं तो कभी-कभी साँस छिप
जाता है। और समझते
हैं कि फलाना मर
गया, लेकिन
छिपा हुआ सांस
कभी-कभी फिर
से चलने भी लगता
है। वैसे माया
अपना अति सूक्ष्म
रूप भी धारण करती
है। इसलिए अच्छी
तरह से जैसे डॉक्टर
लोग चेक करते हैं
कि कहाँ श्वास
छिपा हुआ तो नहीं
है। ऐसे तीसरे
नेत्र से अच्छी
तरह से अपनी चेकिंग
करनी है। फिर कभी
ऐसा बोल नहीं निकले
कि इस बात का तो
हमको आज ही मालूम
पड़ा है। इसलिए
बापदादा पहले से
ही खबरदार होशियार
बना रहे हैं। क्योंकि
प्रतिज्ञा की है,
किस स्थान पर
प्रतिज्ञा की है?
किसके आगे की
है? यह सभी बातें
याद रखना है। प्राप्ति
तो की लेकिन प्राप्ति
के साथ क्या करना
होता है? प्राप्ति
की लेकिन ऐसी प्राप्ति
की जो सर्व तृप्त
हो जायें। जितना
तृप्त बनेंगे इतना
ही इच्छा मात्रम्
अविद्या होंगे।
कामना के बजाय
सामना करने की
शक्ति आयेगी। पुरानी
वृत्तियों से निवृत्त
हुए – ये सभी
पेपर के क्वेश्चन्स
हैं, जो पेपर
प्रैक्टिकल होना
है। अपने को पूर्णतया
क्लियर और डोन्ट
केयर करने की शक्ति
अपने में धारण
की है? स्वयं
और समय दोनों की
पहचान अच्छी तरह
से स्पष्ट मालूम
हुई? यह सभी
कुछ किया वा कुछ
रहा है? जो समझते
हैं सभी बातों
की प्राप्ति कर
तृप्त आत्मा बन
पेपर हॉल में जाने
के लिए हिम्मतवान,
शक्तिवान बना
हूँ, वह हाथ
उठायें। सभी बातों
का पेपर देने और
पास विद ऑनर होने
के हिम्मतवान,
शक्तिवान जो
बने हैं वह हाथ
उठाओ। अच्छा अब
प्रैक्टिकल पेपर
की रिजल्ट देखेंगे
जो इस मास पास विद
ऑनर की रिजल्ट
दिखायेंगे उन्हों
को बापदादा विशेष
याद सौगात देंगे।
लेकिन पास विद
ऑनर। सिर्फ पास
नहीं। अपनी-अपनी रिजल्ट
लिख भेजना। फिर
देखेंगे कितने
बड़े ग्रुप से कितने
पास विद ऑनर निकले।
लेकिन यह भी द्केहना
कि और जो आप के साथी
हैं उन्हों से
भी सर्टिफिकेट
लेंगे, तब याद
सौगात देंगे। सहज
है ना। जब हो ही
हिम्मतवान तो यह
क्या मुश्किल है।
सदैव यह स्मृति
रखना कि मैं विजयी
माला की विजयी
रत्न हूँ। इस स्मृति
में रहने से फिर
हार नहीं होगी।
अच्छा। सभी ने
कहा था कि समाप्ति
में पूर्ण रूप
से बलि चढ़ ही जायेंगे
तो सम्पूर्ण बलि
चढ़े? महाबली
बन के जा रहे हो
कि अभी भी कुछ मरना
है? महाबली
के आगे कोई माया
का बल चल नहीं सकता।
ऐसा निश्चय अपने
में धारण करके
जा रहे हो ना। रिजल्ट
देखेंगे फिर बापदादा
ऐसे विजयी रत्नों
को एक अलौकिक माला
पहनायेगे।
अच्छा !!!