24-12-74   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


एक बार सहयोग देना अर्थात् अन्त तक सहयोग लेना

सहयोगी बच्चों के सदा व अन्त तक सहयोगी बनने वाले, रहमदिल शिव बाबा ने ये मधुर महावाक्य उच्चारे:-

बाप-दादा सदैव विदेशियों को नम्बर वन याद करता है। जैसे बांधेलियाँ पहले याद आती हैं, वैसे विदेश में रहने वाले बच्चे भी याद आते हैं। उनको भी बार-बार इस देश में न आ सकने का बन्धन है ना? बाप-दादा तो सबसे समीप देखते हैं। जो फॉरेन में सर्विस पर गये हैं, वह कोई दूर हैं क्या? वे आंखों के सामने भी नहीं हैं, लेकिन आंखों में जो समाया हुआ होता है, वह कभी दूर नहीं होता। वह तो सबसे समीप हुआ ना? आप आंखों के सामने रहती हो या आंखों में समाई हुई हो? जो समाये हुए हैं, वह हैं निरन्तर योगी। विदेश में रहने वाले बच्चे फिर भी नज़दीक आ जाते हैं, और जो नज़दीक हैं,देश के हिसाब से रहने वाले चार वर्ष में एक बार भी नहीं आते तो नजदीक कौन हुए? यह सारा सूक्ष्म कनेक्शन है। नज़दीक सम्बन्ध है, तब तो नजदीक आई हो। यह तो है ना? ड्रामानुसार देखो, इतने महारथियों के संकल्प साकार न हो सके। लेकिन एक बाप का ही संकल्प साकार हो गया, फिर तो समीप हुई ना? अपने को बाप-दादा से दूर मत समझो।

अपनी जन्मपत्री को देखना चाहिए कि आदि से लेकर अर्थात् जन्मते ही मेरी तकदीर की लकीर कैसी है? जिनको जन्म होने से ही तकदीर प्राप्त है; तकदीर बनाके आए हैं आदि समय की, उसी आधार पर पीछे भी उनको लिफ्ट मिलती है। शुरू से ही सहज प्राप्ति हुई है ना? मेहनत कम और प्राप्ति ज्यादा। यह लॉटरी मिली हुई है। एक रूपये की लाटरी में, लाखों मिल जायें तो मेहनत कम, प्राप्ति ज्यादा हुई ना? कोई भी बात में, अगर एक बार समय पर, बिना कोई संकल्प के, आज्ञा समझ कर जो सहयोगी बन जाते हैं, ऐसे समय के सहयोगियों को बाप-दादा भी अन्त तक सहयोग देने के लिए बाँधा हुआ है। एक बार का सहयोग देने का अन्त तक सहयोग लेने का अधिकारी बनाता है। एक का सौ गुना मिलने से मेहनत कम, प्राप्ति ज्यादा होती है। चाहे मन से, चाहे तन से अथवा धन से। लेकिन समय पर सहयोग दिया, तो बाप-दादा अन्त तक सहयोग देने के लिये बांधा हुआ है। जिसको दूसरे शब्दों में भक्त लोग अन्ध-श्रद्धा कहते हैं। ऐसा अगर कोई एक बार भी जीवन में बाप-दादा के कार्य में सहयोग दिया है, तो अन्त तक बाप-दादा सहयोगी रहेगा। यह भी एक हिसाब-किताब है। समझा। अच्छा।’’

महावाक्यों का सार

(1) अगर एक बार समय पर बिना कोई संकल्प के आज्ञा समझ कर जो सहयोगी बन जाते हैं ऐसे समय के सहयोगियों को बाप-दादा भी अन्त तक सहयोग देने के लिये बांधा हुआ है?

(2) जो बच्चे फॉरेन में सर्विस पर गए हुए हैं वे बाप-दादा की आंखों मे समाये हुए हैं।

(3) जो आंखों में समाये हुए हैं वह हैं -- निरन्तर योगी।