19-10-75 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
माया को ललकारने वाला लश्कर ही अपना झण्डा बुलन्द कर सकेगा
हिम्मत और हुल्लास भरकर निर्भय बनाने वाले, पाण्डवों के अहिंसक लश्कर के प्रति शिव बाबा बोले: -
आज सुना कि ब्रह्मा बाप क्या चाहते हैं? - लश्कर तैयार चाहते हैं - तो साकार में निमित्त बनी हुई आत्माओं को अब लश्कर को तैयार करने में तीव्रगति चाहिए। तीव्रगति अर्थात् क्विक होना चाहिए। क्विक अर्थात् सोचा और किया। संकल्प और कर्म में समानता आ जाय, प्लैन और प्रैक्टिकल में समानता हो - ऐसी गति है? या प्लैन बहुत बनाते - प्रैक्टिकल कम होता है? संकल्प बहुत करते हैं लेकिन कर्म में कम आते हैं? संकल्प और कर्म में समानता ही सम्पूर्णता की निशानी है। इस निशानी से ही अपने निशाने को जज कर सकेंगे कि कितने समीप हैं? तो अपना ऐसा झुण्ड तैयार करो जिसको देखते हुए और भी हिम्मत हुल्लास में आकर फॉलो करें। जैसे साकार बाप का सैम्पल पुरूषार्थियों के पुरूषार्थ को सिम्पल कर देता है। ऐसे सैम्पल तैयार करो जिसको देखकर अन्य का पुरूषार्थ सिम्पल हो जाय - ऐसा झुण्ड तैयार है? ऐसी शक्तियों की ललकार करने वाला झुण्ड हो जो माया को भी ललकार करने वाला हो, चाहे वह माया किसी प्रकार की भी सत्ता वालों में ही क्यों न हो।
जुआ में हार तो उन्हों की है ही - कल्प पहले ही यादगार में भी जुआ दिखाया है लेकिन यथार्थ रूप नहीं दिखाया है। कौरव अपनी जुआ में लगे हुए हैं और धर्म सत्ता वाले अपनी जुआ में लगे हुए हैं, जुआ में हो उन्हों की हार होनी है और पाण्डवों का झण्डा बुलन्द होना है - ऐसी ललकार करने वाले निर्भय, माया के तूफानों से भी नहीं डरने वाले, निरन्तर विजय का चैलेन्ज करने वाली इस सेना की इन्चार्ज बने तब और भी फॉलो करेंगे। अच्छा!
महावाक्यों का सार
1. संकल्प और कर्म इन दोनों में समानता लाना ही सम्पूर्णता की निशानी है।
2. ऐसे सैम्पल तैयार हों जिनके पुरूषार्थ को देखकर अन्य पुरूषार्थियों का पुरूषार्थ सिम्पल हो जाये।
3. अब पाण्डवों के झुण्ड का झण्डा बुलन्द होना है।
4. ऐसा लश्कर तैयार करना चाहिये जो क्विक हो अर्थात् सोचा और किया।
5. निरन्तर विजय का चैलन्ज करने वाली अर्थात् माया के तूफानों से भी न डरने वाली निर्भाक इस सेना की इन्चार्ज बनें तब और भी फॉलो