08-12-75 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
शक्तियों की सिद्धि से महारथी की परख
सर्व शक्तियों और सिद्धियों का वरदान देने वाले सर्वशक्तिमान् शिव बाबा बोले:-
हर एक के मस्तक द्वारा मस्तक-मणि को देखते हुए क्या तकदीर की लकीर को पहचान सकती हो? मस्तक बीच चमकती हुई मणि अर्थात् श्रेष्ठ आत्मा के वायब्रेशन द्वारा सहज पहचान हो जाती है। हर एक आत्मा के पुरूषार्थ व प्राप्ति का अनुभव वायब्रेशन द्वारा सहज ही समझ में आ सकता है। जैसे कोई खुशबू की चीज़ फौरन ही वातावरण में फैल जाती है और सहज ही परख में आ जाती है कि यह अच्छी है अथवा नहीं है। इसी प्रकार जितना-जितना परखने की शक्ति बढ़ती जाएगी तो कोई भी आत्मा सामने आयेगी तो वह कहाँ तक रूहानियत की अनुभवी है वह फौरन ही उसके वायब्रेशन द्वारा स्पष्ट समझ में आ जायेगा। परसेन्टेज की परख भी सहज आ जायेगी कि कितने परसेन्टेज में रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाला है। जैसे साइन्स के यन्त्रों द्वारा परसेन्टेज का मालूम पड़ जाता है। ऐसे ही साइलेन्स की शक्ति के द्वारा अर्थात् आत्मा की स्थिति द्वारा यह भी समझ में आ जायेगा। इसको कहा जाता है परखने की शक्ति। संस्कारों द्वारा, वाणी द्वारा और चलन द्वारा परखना यह तो कॉमन बात है लेकिन संकल्पों के वायब्रेशन द्वारा परखना - इसको कहा जाता है परखने की शक्ति समझा? महारथियों के परखने की शक्ति यह है।
यह शक्ति इतनी तब बढ़ेगी जो भले कोई सामने न भी हो-लेकिन आने वाला हो अथवा दूर भी हो, लेकिन दूर होते हुए भी परखने की शक्ति के आधार से ऐसे उनको परख सके जैसे कि कोई सामने वाले को परखा जाता है। इसी को ही दूसरे शब्दों में ‘शक्तियों की सिद्धि’ कहा गया है यह सिद्धि प्राप्त होगी। जैसे आत्म-ज्ञानियों को भी यह सिद्धि होती है कि जबान से कोई बोल न भी बोले लेकिन वह क्या बोलना चाहते हैं वह समझ जाते हैं, क्या करने वाला है उनको पहले परख लेते हैं। तो यहाँ भी यह परखने की शक्ति सिद्धि के रूप में प्राप्त होगी। लेकिन सिर्फ इन शक्तियों को यथार्थ रीति से कार्य में लाना है -- न व्यर्थ गँवायें, न व्यर्थ कार्य में लगायें। फिर यह सिद्धि व शक्ति बहुत कल्याण के निमित्त बनती है। यह भी आयेगी। जिसको देखते हुए सबके मुख से शक्तियों की महिमा जो भक्ति में निकली है - आप यह हो, यह हो! यह सब महिमा पहले प्रत्यक्ष रूप में होगी। जो फिर यादगार में चलती आयेगी। यह भी स्टेज होनी है लेकिन थोड़े समय के लिए और थोड़ों की। इसलिए कहते हैं कि जो अन्त तक होंगे उनको यह सब नज़ारे देखने और अनुभव होने के प्राप्त होंगे। अन्त तक अंगुली देने लिये पार्ट भी ऐसे शक्तियों के होंगे ना? शक्ति व पाण्डव। लेकिन शक्ति स्वरूप के होंगे, कमज़ोरों के नहीं। बिल्कुल साथ-साथ होगा। एक तरफ हाहाकार और दूसरी तरफ जयजयकार। वह भी अति में और यह भी अति में होगा। अच्छा!
इस मुरली के विशेष तथ्य
1. महारथियों के परखने की शक्ति यह है कि वे संकल्पों के वायब्रेशन द्वारा किसी भी आत्मा को परख सकते हैं कि वह कितने परसेन्टेज में रूहानी स्थिति में रहने वाली है।
2. शक्तियों व सिद्धियों को यथार्थ रीति से कार्य में लाना है, न व्यर्थ गँवाना है न व्यर्थ कार्यो में लगाना है। तब यह सिद्धि व शक्ति बहुत कल्याण के निमित्त बनती है।