28-01-76 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
रूहानी सितारों की महिफल
प्रकृति और माया पर विजय प्राप्त कराने वाले, सफलता के लक्षण देने वाले, सर्व शक्तियों का अधिकारी बनाने वाले शिव बाबा बोले –
आज बाप-दादा सितारों की रूहानी महफिल को देख रहे हैं। महफिल में विशेष तीन प्रकार के सितारे हैं। हर एक सितारा अपने आपको जानता है कि मैं कौनसा सितारा हूँ? एक हैं सफलता के सितारे, दूसरे हैं लक्की सितारे और तीसरे हैं उम्मीदवार सितारे। अभी हर-एक अपने आप से पूछे कि मैं कौन हूँ? सारे दिन की दिनचर्या में संकल्प, श्वास, समय, बोल, कर्म और सम्बन्ध व सम्पर्क में सफलतामूर्त्त अर्थात् सफलता के सितारे स्वयं को अनुभव करते हो? जैसे बाप द्वारा सुख शान्ति, ज्ञान-रत्नों की सम्पत्ति जन्म-सिद्ध अधिकार के रूप में प्राप्त हुई है, वैसे हर बात में और हर समय सफलता भी जन्म-सिद्ध अधिकार के रूप में अनुभव होती है अर्थात् सहज प्राप्ति अनुभव होती है? अथवा मेहनत के बाद? मेहनत ज्यादा और सफलता कम अनुभव होती है? जितना सोचते हैं, करते हैं, उतना संकल्प और कर्म का प्रत्यक्ष फल प्राप्त होता है? या हो ही जावेगा, अभी नहीं कभी तो होगा - ऐसे भविष्य-फल की उम्मीदों पर चलते हैं? संकल्प की उत्पत्ति के साथ सफलता हुई पड़ी है, यह निश्चय का संकल्प साथ-साथ होता है? हर कदम में जैसे पद्म का गायन है, वैसे हर कदम में सफलता समाई हुई है। संकल्प व कर्म के बीज में सफलता रूपी वृक्ष समाया हुआ है। ऐसे अनुभव हो जैसे सफलता परछाई के समान कर्म के पीछे-पीछे है ही। उसको कहते हैं ‘सफलता का सितारा।’
दूसरे हैं लक्की। लक्की सितारों में भी नम्बर हैं। लक्की सितारों की विशेषता यह है कि वे जो भी संकल्प व कर्म करेंगे, उसमें निमित्त-मात्र मेहनत होगी, लेकिन फल की प्राप्ति मेहनत के हिसाब से ज्यादा होगी। लक्की सितारे अपने लक्क को जानते हुए हर समय बाप-दादा का लाख-लाख शुक्रिया मानेंगे कि मेरे लक्क (Luck) का लॉक (Lock) खोल दिया। लक्की सितारे की वाणी में महान् बनाने वाले बाप की महिमा दिल से स्वत: ही निकलती रहेगी और उनके रूप में खुशी की झलक विशेष दिखाई देगी। उनका विशेष प्लैन - सदा बाप का नाम बाला कर, रिटर्न करने का अर्थात् बाप का हर कार्य अपने जीवन द्वारा प्रत्यक्ष करने का होगा। सदा बाप के स्नेही रहने वाले और बाप के स्नेही बनाने वाले होंगे। सदैव यही स्लोगन (Slogan) स्मृति और वाणी में होगा कि वाह बाबा और वाह तकदीर! ऐसे अपने को लक्की सितारे समझते हो?
तीसरे हैं उम्मीदवार सितारे। उनकी विशेषता क्या होगी? कई उम्मीदवार सितारों में से सफलतामूर्त्त भी बन जाते हैं। उम्मीदवार सितारे सदैव बाप का व श्रेष्ठ आत्माओं का साथ लेते हुए चलते हैं। हर कदम पर सहारे के आधार पर चलते हैं। हर संकल्प और कर्म में ‘होगा या नहीं होगा’, ‘श्रेष्ठ है या साधारण’ है, ‘करें या न करें’ - जजमेंट की शक्ति नहीं होगी अर्थात् स्वयं जस्टिस नहीं बन सकते। जजमेण्ट कराने के लिये बार-बार किसी जज की आवश्यकता होगी। श्रेष्ठ संकल्प वाला होगा लेकिन दृढ़ संकल्प वाला नहीं होगा। हर परिस्थिति में व सेवा के कार्य में उमंग-उल्लास होगा लेकिन हिम्मत कम होगी। उसके लिए हिम्मत दिलाने वाला साथी चाहिए। प्लैन्स बहुत अच्छे होंगे, संकल्प समर्थ भी होंगे लेकिन स्वरूप में पूरा नहीं ला सकेंगे। आधा या पौना कुछ वाणी द्वारा, कुछ कर्म द्वारा सम्पन्न कर सकेंगे। लेकिन उनकी एक विशेषता होगी। हर समय सहारा लेने के कारण बाबा की याद रहेगी। उनके मुख से नशे से और निश्चय से यह बोल निकलेंगे - कि हमारा बाबा हमारे साथ है। आखिर वह दिन आयेगा जब संकल्प को कर्म में लाकर ही दिखायेंगे। ऐसी उम्मीद हर समय रहती है। दिल-शिकस्त नहीं बनते हैं। सम्बन्ध और सम्पर्क में भी सर्व का सत्कार करने के कारण स्नेही होते हैं। उनके चेहरे पर परिवार के साथ स्नेह की झलक दिखाई देती है। ऐसे उम्म्दवार सितारे माया के एक विशेष वार से बचे रहते हैं। वह कौन-सा? वे देह-अभिमान में कभी नहीं आते। देह-अभिमान अर्थात् होशियारी का अभिमान और बुद्धि का अभिमान। वे इससे सेफ रहते हैं। ऐसे नहीं कि उनकी बुद्धि में कुछ चलता नहीं है। प्लैन्स चलते हैं, संकल्प भी आते हैं लेकिन दृढ़ संकल्प न होने के कारण साथ लेना पड़ता है। अब समझा - तीन प्रकार के सितारे कौनसे हैं? उम्मीदवार सितारों में बाप को भी उम्मीद है, कभी भी हाई जम्प दे सकते हैं। कभी भी न-उम्मीद वाले सबकी उम्मीद अपने में रखाने के निमित्त बन जाते हैं। लेकिन यह उम्मीदवार हैं। उम्मीदवार में उम्मीद रखना। यह ड्रामा में किसी-किसी का वण्डरफुल पार्ट भी बना हुआ है। अच्छा!
सदा स्वयं को सफलता का सितारा बनाने का लक्ष्य और लक्षण दिखाने वाले, सर्व शक्तियों के अधिकारी, बाप की सर्व प्राप्तियों के अधिकारी, ब्रह्माण्ड और विश्व के अधिकारी, प्रकृति और माया पर विजय प्राप्त करने वाले, विजयी सितारों को बाप-दादा का याद-प्यार और नमस्ते!