02-01-78 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान सितारों की रिमझिम
बच्चों को सर्वश्रेष्ठ तकदीरवान, वर्तमान और भविष्य तख्तनशीन, ऐसे पदमपति बनाने वाले शिव बाबा बोले –
बाप-दादा सभी लवली और लकी बच्चों को देखते हुए हर्षित हो रहे हैं। हरेक के मस्तक पर तकदीर का सितारा चमकता हुआ देख रहे हैं। साकारी सृष्टि की आत्मायें आकाश की तरफ देखती हैं और आकाश से भी परे रहने वाला बाप साकारी सृष्टि में धरती के सितारे देखने आये हैं। जैसे चन्द्रमा के साथ सितारों की रिमझिम अति सुन्दर लगती है वैसे ही ब्रह्मा चन्द्रमा बच्चे अर्थात् सितारों से ही सजते हैं। माँ का स्नेह बच्चों से ज्यादा होता है या बच्चों का माँ से ज्यादा होता है? तो ब्रह्मा का ज्यादा है या ब्राह्मणों का? किसका ज्यादा है? बच्चे खेल में बिज़ी (Busy) होते हैं तो माँ को भूल जाते हैं। माता की ममता बच्चों को याद दिलाती है। ऐसे भी अगर स्नेह नहीं होता तो बच्चों को प्राप्ति भी नहीं होती। आज अमृत वेले विशेष इस समय के मधुबन की संगठित आत्मायें बाप की याद के साथ-साथ ब्रह्मा माँ की याद में ज्यादा थीं। आज वतन में भी बाप सूर्य गुप्त थे लेकिन चन्द्रमा अर्थात् ब्रह्मा -- बड़ी माँ ब्राह्मण बच्चों या सितारों के साथ मिलन मनाने में लवलीन थे। आज वतन में क्या दृश्य था? मात-पिता और बच्चों की रूह-रूहान सदा चलती है लेकिन आज थी माता-पिता की। क्या रूह-रूहान होगी जानते हो?
आज अमृतवेले ब्रह्मा ब्राह्मणों के स्नेह में विशेष थे। क्योंकि मधुबन जो ब्रह्मा की साकार रूप में कर्म-भूमि, सेवा-भूमि या माँ और बाप दोनों रूप से साकार रूप में बच्चों की मिलन-भूमि है, ऐसे स्वयं द्वारा तन और मन द्वारा सजाई हुई ऐसी भूमि पर रिमझिम देख आज ब्रह्मा बाप या माँ को साकार रूप में साकार सृष्टि की विशेष याद आई। ब्रह्मा बोले- ‘‘चन्द्रमा का सितारों से एक-समान रूप के मिलन में अब तक कितना समय है?’’ अर्थात् व्यक्त और अव्यक्त रूप का मिलन कब तक? उत्तर क्या मिला होगा? मणके फिक्स हो गये है, सिर्फ जगह फिक्स करो।
बाप बोले- ‘‘जब माँ कहेगी कि सब एवर रैडी (Eveready) हैं।’’ इसलिए ब्रह्मा माँ परिक्रमा लगाने निकली। चारों ओर का चक्कर लगाते हर ब्राह्मण की रूहानियत देखते रहे। चक्कर लगाने के बाद वतन में जब रूह-रूहान हुई तो ब्रह्मा बोले -- मेरे बच्चे लक्ष्य में नम्बर वन हैं; सबके अन्दर समय का इन्तज़ार है, समय पर तैयार हो ही जायेंगे। बाबा बोले - ‘‘राजधानी तैयार हो गई है? ब्रह्मा आज ब्राह्मण बच्चों की तरफ ले रहे थे। ब्रह्मा बोले 16108 की माला तो तैयार हुई ही पड़ी है। ब्राह्मणों की संख्या कितनी बताते हो? क्या 50 हज़ार से 16108 नहीं निकलेंगे? मणके तैयार हैं लेकिन नम्बरवार पिरोने के लिए लास्ट (Last) सेकेण्ड भी अभी रहा हुआ है, मणके फिक्स (Fix) हो गये हैं, जगह फिक्स नहीं हुई है। जगह में लास्ट सो फास्ट (Fast) हो सकते हैं। आज ब्रह्मा ने 16108 मणकों अर्थात् सभी सहयोगी आत्माओं के तकदीर की लकीर फाइनल (Final) कर दी। इस कारण भाग्य विधाता, भाग्य बाँटने वाला ब्रह्मा को ही कहते हैं और यादगार रूप में भी जन्मपत्री, जन्म दिवस पर या नाम संस्कार पर ब्राह्मण ही जन्म-पत्री बनाते हैं। तो ब्रह्मा माँ ने 16108 मणकों की निश्चित तकदीर सुनाई। आप सब तो उसमें हो न।
आज विशेष ब्रह्मा द्वारा विदेशी या देशी दोनों तरफ के बच्चों की महिमा के गुणगान हो रहे थे। जैसे आदि में आये हुए बच्चों के भाग्य की महिमा है वैसे ही अव्यक्त रूप में पालना लेने वाले नये बच्चों की भी इतनी महिमा है। जैसे आदि में कोई प्रैक्टिकल (Practical) जीवन का प्रभाव नहीं था सिर्फ एक बाप का स्नेह ही प्रमाण था। भविष्य क्या होना है - यह कुछ स्पष्ट नहीं था, गुप्त था। लेकिन आत्माएँ शमा पर पूरे पतंगे थीं। ऐसे ही नये बच्चों के आगे अनेक जीवन के प्रमाण हैं। आदि मध्य अन्त स्पष्ट हैं। 84 जन्मों की जन्म-पत्री स्पष्ट है। पुरूषार्थ और प्रालब्ध दोनों ही स्पष्ट हैं लेकिन बाप अव्यक्त हैं। बाप की पालना अव्यक्त रूप में होते हुए भी व्यक्त रूप का अनुभव कराती है। व्यक्त को अव्यक्त अनुभव करना, समीप और साथ का अनुभव करना यह कमाल नये बच्चों की है। जैसे आदि के बच्चों की कमाल है वैसे ही लास्ट सो फास्ट जाने वालों की भी कमाल है। ऐसी कमाल के गुणगान कर रहे थे। सुना आज की रूह-रूहान।
उलहनों की मालाएं भी खूब थीं। जिन उलहनों की मालाएं बह्मा को स्नेह रूप बना रहीं थी। सुनाया ना, कि आज ब्रह्मा विशेष बच्चों के स्नेह में समाये हुए थे। स्नेह की मूर्ति होते हुए भी ड्रामा की सीट पर सेट (Set) थे। इसलिए स्नेह को समा रहे थे। आप लोग भी सागर के बच्चे समाने वाले हो ना। दिखा भी सकते हो और समा भी सकते हो। मर्ज (Merge) और इमर्ज (Emerge) करना अच्छी तरह से जानते हो ना। क्योंकि हो ही हीरो एक्टर। जब चाहें जैसे चाहें वैसा रूप धारण कर सकते हो। अर्थात् पार्ट बजा सकते हो। अच्छा-
ऐसे सदा स्नेही, सर्व शक्तियों से सम्पन्न, सदा अति प्यारे और अति न्यारे, सदैव अपने तकदीर के चमकते हुए सितारे को देखने वाले, सर्वश्रेष्ठ तकदीरवान, वर्तमान और भविष्य तख्तनशीन, ऐसे पद्मपति सेकेण्ड में स्वयं को या सर्व को परिवर्तन करने वाले विश्व-कल्याणकारी बच्चों को बाप-दादा का याद-प्यार और नमस्ते।’’
दीदी जी के साथ बातचीत
आज अमृतवेले ब्रह्मा ने जो विशेष आत्माओं की तकदीर की लकीर फाइनल की थी उसमें फाइनल कौन से रतन होंगे? 8 रतन फाइनल हुए होंगे? माँ बाप के पास तो निश्चित हैं ही। बाकी है स्टेज (मंच) पर प्रसिद्ध करना। बाप के पास 108 ही निश्चित हैं। क्यों? बाप के पास भविष्य भी ऐसा ही क्लीयर है जैसे वर्तमान। अनन्य बच्चों के पास भी भविष्य ऐसा ही स्पष्ट होता जा रहा है क्योंकि बाप के साथ सर्व कार्य में समीप और सहयोगी हैं। तो अष्ट रतन चीफ जस्टिस (Chief Justice) हैं। जस्टिस की जजमेण्ट (Judgement) हाँ या ना की फाइनल (Final) होती है। बाप प्रेज़ीडेण्ट (President) है लेकिन बच्चे चीफ जस्टिस हैं। जजमेण्ट बच्चों की है। चीफ जस्टिस की जजमेण्ट सदा यथार्थ होती है। जस्टिस के ऊपर चीफ जस्टिस हाँ या ना कर सकते हैं लेकिन चीफ जस्टिस के जजमेण्ट की बहुत वैल्यु (Value) होती है। इसलिए जब तक भविष्य भी वर्तमान के समान स्पष्ट न हो तो जजमेण्ट यथार्थ कैसे दे सकेंगे? वर्तमान और भविष्य की समानता इसी को ही बाप की समानता कहा जाता है। ऐसी स्टेज (अवस्था) अनुभव में लाई है?
आज साकारी रूप में याद किया था या अव्यक्त रूप में? सितारों को देख चन्द्रमा याद आता है ना इसलिए आज ब्रह्मा ने भी याद किया। अच्छा।
पार्टियों से मुलाकात
गुजरात पार्टी
गुजरात को विशेष लास्ट सो फास्ट जाने का वरदान मिला हुआ है। गुजरात वालों को यह नशा रहता है कि ड्रामा अनुसार हम आत्माओं को विशेष भाग्य प्राप्त है। जैसे स्थान के हिसाब से गुजरात मधुबन के काफी समीप है ऐसे ही पुरूषार्थ में समीपता लाने का स्वत: वरदान भी ड्रामा अनुसार प्राप्त है क्योंकि जैसे स्थान के हिसाब से समीप हो वैसे ज्ञान की धारणा के हिसाब से धारणा योग्य धरती है। जैसे धरती अच्छी होती तो फल जल्दी निकलता है। मेहनत कम और फल ज्यादा निकलता है। तो गुजरात को धरनी का और समीप होने का वरदान है। ऐसी वरदानी आत्माएँ पुरूषार्थ में कितनी तेज़ होंगी? धारणा की सब्जेक्ट1 (Subject) में गुजरात प्रदेश के निवासियों को लिफ्ट (Lift) है। कलियुगी दुनिया के हिसाब से अति तमोप्रधान के हिसाब से फिर भी अच्छी कहेंगे। इसलिए गुजरात को अपने दोनों वरदानों की लिफ्ट (Lift) के आधार से फर्स्ट (First) में पहुँचना चाहिए। वरदानों का लाभ लो तो हर मुश्किल बात सहज अनुभव करेंगे। देखने में अति मुश्किल होगी लेकिन अति सहज रीति से हल हो जायेगा। इसको कहा जाता है पहाड़ भी रूई समान बन जाता। राई फिर भी सख्त होती है, रूई नर्म और हल्की होती है। तो ऐसे अनुभव करते हो?
इस मुरली की विशेष बातें:
1. अष्ट रतन चीफ जस्टिस हैं। जस्टिस के ऊपर चीफ जस्टिस हाँ या ना कर सकते हैं लेकिन चीफ जस्टिस की जजमेंट की बहुत वैल्यु होती है। इसलिए जब तक भविष्य भी वर्तमान समान स्पष्ट न हो, जजमेंट यथार्थ कैसे दे सकेंगे।
2. वर्तमान और भविष्य की समानता इसी को ही बाप की समानता कहा जाता है।