25-12-82 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“विधि, विधान और वरदान”
विश्व अधिकारी, विश्व निर्माता, वरदानी मूर्त अव्यक्त बाप-दादा, बड़े दिन के अवसर पर अपने बच्चों के प्रति बोले:-
‘‘आज सर्व स्नेही बच्चों के स्नेह का रेसपान्ड करने के लिए बापदादा को भी मिलने के लिए आना पड़ा है। सारे विश्व के बच्चों के स्नेह का, याद का आवाज बाप-दादा के वतन में मीठे-मीठे साज के रूप में पहुँच गया। जैसे बच्चे स्नेह के गीत गाते हैं, बापदादा भी बच्चों के गुणों के गीत गाते हैं। जैसे बच्चे कहते कि ऐसा बाप-दादा कल्प में नहीं मिलेगा, बाप-दादा भी बच्चों को देख कहते कि ऐसे बच्चे भी कल्प में नहीं मिलेंगे। ऐसी मीठी-मीठी रूह-रूहान बाप और बच्चों की सदा सुनते रहते हो? बाप और आप कम्बाइन्ड रूप हैं ना। इसी स्वरूप को ही ‘सहजयोगी' कहा जाता है। योग लगाने वाले नहीं लेकिन सदा कम्बाइन्ड अर्थात् साथ रहने वाले। ऐसी स्टेज अनुभव करते हो वा बहुत मेहनत करनी पड़ती है? बचपन का वायदा क्या किया? साथ रहेंगे, साथ जियेंगे, साथ चलेंगे। यह वायदा किया है ना, पक्का? साकार की पालना के अधिकारी आत्मायें हो। अपने भाग्य को अच्छी तरह से सोचो और समझो।''
(बापदादा के सामने (हांगकांग के) दादाराम और सावित्री बहन का लौकिक परिवार बैठा हुआ है)
ऐसे कोटों में कोई भाग्य विधाता के सम्मुख सम्पर्क में आते हैं। अभी समय आने पर यह अपना भाग्य स्मृति में आयेगा। आदि पिता को पाना - यह है भाग्य की श्रेष्ठ निशानी। सदा साथ रहने वाले निरन्तर योगी, सदा सहजयोगी, उड़ती कला में जाने वाले, सदा फरिश्ता स्वरूप हो!
आज बड़ा दिन मनाने के लिए बुलाया है। बड़े ते बड़े बाप के साथ बड़े ते बड़े बच्चे बड़ा दिन और मिलन मना रहे हैं। बड़ा दिन अर्थात् उत्सव का दिन। जब बड़ा दिन मनाते हैं तो बुरे दिन समाप्त हो जाते हैं। सिर्फ आज का दिन मनाने का नहीं, लेकिन सदा मनाना अर्थात् उमंग उत्साह में सदा रहना। अविनाशी बाप, अविनाशी दिन, अविनाशी मनाना। बड़ा दिन मनाना अर्थात् स्वयं को सदा के लिए बड़े ते बड़ा बनाना। सिर्फ मनाना नहीं है लेकिन बनना और बनाना है। सर्व आत्माओं को बड़े दिन की गिफ्ट कौन सी देंगे? जो भी आत्मा सम्पर्क में आवे उनको ईश्वरीय अलौकिक स्नेह, शक्ति, गुण, सर्व का सहयोग देने की लिफ्ट की गिफ्ट दो। जिससे ऐसी सम्पन्न आत्मायें बन जाएँ जो कोई भी अप्राप्ति अनुभव न करें। ऐसी गिफ्ट दे सकते हो? स्वयं सम्पन्न हो? औरों को देने के लिए पहले अपने पास जमा होगा तब तो दे सकेंगे ना। अच्छा - - आज तो गिफ्ट देने और गिफ्ट लेने आये हैं ना। सिर्फ लेंगे वा देंगे भी? शक्ति सेना क्या करेगी? लेने और देने में मजा आता है वा सिर्फ लेने में? दाता को देना हुआ या लेना हुआ? बाप भी लेते हैं किस लिए? पदमगुणा करके परिवर्तन कर देने के लिए। बाप को आवश्यकता है क्या? बाप के पास है ही बच्चों को देने के लिए। इसलिए बाप दाता भी है, विधाता भी है, वरदाता भी है। जितना बाप बच्चों के भाग्य को जानते उतना बच्चे अपने भाग्य को नहीं जानते। यह भाग्य के दिन, सदा समर्थ बनाने के दिन याद रखना। यह सारा ही लकी परिवार है क्योकि इस परिवार के निमित्त बीज की विशेष शुभभावना और शुभकामना, इस आशीर्वाद से यह वृक्ष आगे बढ़ रहा है और बढ़ता ही रहेगा। उस आत्मा की श्रेष्ठ कामनायें सारे परिवार को लिफ्ट की गिफ्ट के रूप में मिली हुई हैं क्योंकि पवित्र शुद्ध आत्मा थी। इसलिए पवित्रता का जल प्रत्यक्ष फल दे रहा है। समझा? साकार रूप में निमित्त माता गुरू (सावित्री) भी बैठी है। माता गुरू बनी और पिता ने लिफ्ट की गिफ्ट दी। अब इस परिवार को क्या करना है? फालो फादर तो करना है ना। इसमें कुछ छोड़ना नहीं पड़ेगा, डरो नहीं। अच्छा।
डबल विदेशी बच्चे भी पहुँच गये हैं। बाप-दादा भी अभी विदेशी हैं, ब्रह्मा बाप भी तो विदेशी हो गया ना। विदेशी, विदेशी से मिले तो कितनी बड़ी अच्छी बात है। बाप-दादा को सर्व बच्चों की, उसमें भी विशेष निमित्त डबल विदेशी बच्चों की एक विशेष बात देख हर्ष होता है। वह कौन सी? विदेशी बच्चों के विशेष मिलन की लगन बापदादा के पास आज विशेष रूप में पहुँची। साकारी दुनिया के हिसाब से भी आज का दिन विशेष विदेशियों का माना हुआ है। टोली, मिठाई खाई वा अभी खानी है? बाप-दादा मिठाई खिलाते-खिलाते मीठा बना देते हैं, स्वयं ही मीठे बन गये ना! चारों और के आये हुये बच्चों को, मधुबन निवासी बच्चों को बापदादा स्नेह का रिटर्न सदा कम्बाइन्ड अर्थात् सदा साथ रहने का वरदान और वर्सा दे रहे हैं। डबल अधिकारी हो। वर्सा भी मिलता है और वरदान भी। जहाँ कोई मुश्किल अनुभव हो तो वरदाता के रूप में स्मृति में लाओ। तो वरदाता द्वारा वरदान रूप में प्राप्ति होने से मुश्किल सहज हो जायेगी और प्रत्यक्ष प्राप्ति की अनुभूति होगी।
आज के दिन का विशेष स्लोगन सदा स्मृति में रखना। तीन शब्द याद रखना - ‘विधि, विधान और वरदान'। विधि से सहज सिद्धि स्वरूप हो जायेंगे। विधान से विश्व निर्माता, वरदान से वरदानी मूर्त बन जायेंगे। यही तीन शब्द सदा समर्थ बनाते रहेंगे। अच्छा –
चारों ओर के सर्व सिकीलधे, बड़े ते बड़े बाप के बड़े ते बड़े बच्चे, सर्व को सम्पन्न बनाने वाले, ऐसे मास्टर विधाता, वरदानी बच्चों को, माया को विदाई देने की बधाई।। इस बधाई के साथ-साथ आज विशेष रूप में बच्चों को उमंग-उत्साह की भी बधाई। सर्व को, जो आकार वा साकार में सम्मुख हैं, ऐसे सर्व सम्मुख रहने वाले बच्चों को बहुत-बहुत याद प्यार और नमस्ते।
दीदी-दादी से –
आप दोनों को देख बापदादा को क्या याद आता होगा? जहाँन के नूर तो हो ही लेकिन पहले बाप के नयनों के नूर हो। कहावत है कि - ‘नूर नहीं तो जहाँन नहीं'। तो बापदादा भी नूरे रत्नों को ऐसे ही स्थापना के कार्य में विशेष आत्मा देखते हैं। करावनहार तो कर रहा है, लेकिन करनहान निमित्त बच्चों को बनाते हैं। ‘करनकरावनहार', इस शब्द में भी बाप और बच्चे दोनों कम्बाइन्ड हैं ना। हाथ बच्चों का और काम बाप का। हाथ बढ़ाने का गोल्डन चांस बच्चों को ही मिला है। बड़े ते बड़ा कार्य भी कैसा लगता है? अनुभव होता है ना कि कराने वाला करा रहा है। निमित्त बनाए चला रहा है। यही आवाज सदा मन से निकलता है। बापदादा भी सदा बच्चों के हर कर्म में करावनहार के रूप में साथी हैं। साथ हैं वा चले गये हैं? आँख मिचौली का खेल खेला है। खेल भी बच्चों से ही करेंगे ना। खेल में क्या होता है? ताली बजाई और खेल शुरू हुआ। यह भी ड्रामा की ताली बजी और आँख मिचौली का खेल शुरू हुआ।
अब स्वीट होम का गेट कब खोलेंगे? जैसे कोन्फेरेंस की डेट फिक्स की है, हाल बनाने की डेट फिक्स की, तो उसका प्रोग्राम नहीं बनाया? गेट खोलने के पहले सामग्री तो आप तैयार करेंगे वा वह भी बाप करे - वह तैयार है? ब्रह्मा बाप तो एवररेडी है ही। अब साथी भी एवररेडी चाहिए ना।
8 की माला बना सकते हो? अभी बन सकती है? पहले 8 की माला तैयार हो गई तो फिर और पीछे वाले तैयार हो ही जायेंगे। आठ एवररेडी हैं? नाम निकाल कर भेजना। सभी वेरीफाय करें कि हाँ। इसको कहेंगे एवररेडी। बाप पसन्द, ब्राह्मण परिवार पसन्द और विश्व की सेवा के पसन्द। यह तीनों विशेषता जब होगी तब कहेंगे एवररेडी हैं। पहले कंगन तैयार होगा फिर बड़ी माला तैयार होगी। अच्छा –
सावित्री बहन से – अपने गुप्त वरदानों को प्रत्यक्ष रूप में देख रही हो? अब समझती हो मैं कौन हूँ? सर्विसएबुल की लिस्ट में अपना नम्बर आगे समझती हो ना! सर्विस के प्रत्यक्ष फल के निमित्त बनी। निमित्त तो फिर भी बीज कहेंगे ना। सर्विसएबुल की लिस्ट में बहुत आगे हो, सिर्फ कभी-कभी अपने को भूल जाती हो। जब बापदादा स्वीकार कर रहे हैं तो बाकी क्या चाहिए। सभी की सर्विस एक जैसी नहीं होती। वैरायटी आत्मायें हैं, वैरायटी सेवा का तरीका है। ज्यादा सोचने से नहीं होगा, स्वत: होगा। अपने को सदा बाप के समीप रत्न समझो, अधिकारी जन्म से हो। जन्म से फास्ट गई ना। समीप रहने का वरदान जन्मते ही मिला। साकार में समीप रहने का वरदान कितनों को मिला? गिनती करो तो ऐसे वरदानी ढूँढते भी मुश्किल मिलेंगे। इसलिए बाप के समीप समझते हुए आगे बढ़ते रहो। जितना होता, जैसा होता कल्याणकारी। सोचो नहीं, नि:संकल्प रहो। बाप का वायदा है, बाप सदा साथ निभाते रहेंगे। अपना संकल्प भी बाप के ऊपर छोड़ दो। सर्विस बढ़ेगी या नहीं बढ़ेगी, बाप जाने। नहीं बढ़ेगी तो बाप जिम्मेवार है, आप नहीं। इतनी निश्चिन्त रहो। आपने तो बाप के आगे अपना संकल्प रख दिया ना। तो जिम्मेवार कौन? सिकीलधी हो - कितने सिक से बाप ने ढूँढ़ा। पहला-पहला सेवा का रत्न सारी विश्व से चुना है, इसलिए भूलो नहीं। अच्छा।''
सावित्री बहन के लौकिक परिवार वालों से
‘‘सभी डबल वर्से के अधिकारी हो ना। लौकिक बाप के भी श्रेष्ठ संकल्प का खजाना मिला और पारलौकिक बाप का भी वर्सा मिला। अलौकिक का भी वर्सा मिला। तीन का वर्सा साथ-साथ मिला। तीनों बाप के आशाओं के दीपक हो। वैसे भी बच्चे को कुल का दीपक कहा जाता है। कुल के दीपक तो बने लेकिन साथ-साथ विश्व के दीपक बनो। सदा मस्तक पर भाग्य का सितारा चमक रहा है, बापदादा भी ऐसे हिम्मत रखने वाले बच्चों को सदा मदद करते हैं। जब भी संकल्प किया और बाप हाजर। बाप के ऊपर सारा कार्य छोड़ दिया तो बाप जाने, कार्य जाने। स्वयं सदा डबल लाइट फरिश्ता, ट्रस्टी बनकर रहो तो सदा हल्के रहेंगे। साफ दिल मुराद हासिल। श्रेष्ठ संकल्पों की सफलता जरूर होती है, एक श्रेष्ठ संकल्प बच्चे का और एक हजार श्रेष्ठ संकल्प का फल बाप द्वारा प्राप्त हो जाता है। एक का हजार गुणा मिल जाता है। अभी जो खजाने बाप के मिले हैं, उन्हें बाँटते रहो। महादानी बनो। सदैव कोई भी आवे तो आपके भंडारे से खाली न जाए। ज्ञान का फाउन्डेशन पड़ा हुआ है, वही बीज अभी फल देगा। अच्छा-''
विदाई के समय बापदादा ने सभी बच्चों प्रति टेप में याद प्यार भरी
‘‘चारों ओर के सभी स्नेही बच्चों की यादप्यार और बधाई पाई। बापदादा के साथ सभी बच्चे दिल तख्तनशीन हैं। जो दिल पर हैं वह भूल कैसे सकते हैं! इसलिए सदा बच्चे साथ हैं और साथ ही रहेंगे, साथ ही चलेंगे। बापदादा सर्व बच्चों के दिल के उमंग-उत्साह और सेवा में वृद्धि और मायाजीत बनने के समाचार भी सुनते रहते हैं। हरेक बच्चा महावीर है, महावीर बन विजय का झण्डा लहरा रहे हैं। इसलिए बापदादा सभी को विजय की मुबारक देते हैं। बधाई दे रहे हैं। सदा बड़े बाप के साथ बड़े से बड़े दिन उमंग-उत्साह से बिता रहे हो और सदा ही बड़े दिन मनाते रहेंगे। हरेक बच्चा यही समझे कि विशेष मेरे नाम से यादप्यार आया है। हरेक बच्चे को नाम सहित बापदादा सामने देखते हुए, मिलन मनाते हुए यादप्यार दे रहे हैं। अच्छा-''
प्रश्न:- एयरकन्डीशन की सीट बुक कराने का तरीका क्या है?
उत्तर:- एयरकन्डीशन की सीट बुक कराने के लिए बाप ने जो भी कन्डीशन्स बताई हैं उन पर सदा चलते रहो। अगर कोई भी कन्डीशन को अमल में नहीं लाया तो एयरकन्डीशन की सीट नहीं मिल सकेगी। जो कहते हैं कोशिश करेंगे तो ऐसे कोशिश करने वालों को भी यह सीट नहीं मिल सकती है।
प्रश्न:- कौन सा एक गुण परमार्थ और व्यवहार दोनों में ही सर्व का प्रिय बना देता है?
उत्तर:- एक दो को आगे बढ़ाने का गुण अर्थात् ‘‘पहले आप'' का गुण परमार्थ और व्यवहार दोनों में ही सर्व का प्रिय बना देता है। बाप का भी यही मुख्य गुण है। बाप कहते - ‘बच्चे पहले आप।' तो इसी गुण में फालो फादर।