21-01-83       ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा       मधुबन


संगम पर बाप और ब्राह्मण सदा साथ-साथ

बेहद की सेवा के निमित्त बनाने वाले बाप दादा अपने फ्रेंडस बच्चों के प्रति बोले :-

आज बापदादा अपने राइट हैन्डज से सिर्फ हैन्डशेक करने के लिए आये हैं। तो हैन्डशेक कितने में होती है? सभी ने हैन्डशेक कर ली? फिर भी एक दृढ़ संकल्प कर सच्चे साजन की सजनियाँ तो बन गई हैं। तब ही विश्व की सेवा का कार्य सम्भालने के निमित्त बनी हो? वायदे के पक्के होने के कारण बाप दादा को भी वायदा निभाना पड़ा। वायदा तो पूरा हुआ ना। सबसे नज़दीक से नज़दीक गाड के फ्रेंडस कौन हैं? अभी सभी गाड के अति समीप के फ्रेंडस हो। क्योंकि समान कर्तव्य पर हो। जैसे बाप बेहद की सेवा प्रति है वैसे ही आप छोटे बड़े बेहद के सेवाधारी हो। आज विशेष छोटे-छोटे फ्रेंडस के लिए खास आये हैं। क्योंकि हैं छोटे लेकिन जिम्मेदारी तो बड़ी ली है ना। इसलिए छोटे फ्रेंडस ज्यादा प्रिय होते हैं। अभी उल्हना तो नहीं रहा ना। अच्छा। (बहनों जो गीत गाया - जो वायदा किया है, निभाना पड़ेगा)’’

बापदादा तो सदा ही बच्चों की सेवा में तत्पर ही है। अभी भी साथ हैं और सदा ही साथ हैं। जब हैं ही कम्बाइन्ड तो कम्बाइन्ड को कोई अलग कर सकता है क्या? यह रूहानी युगल स्वरूप कभी भी एक दो से अलग नहीं हो सकते। जैसे ब्रह्मा बाप और दादा कम्बाइन्ड हैं, उन्हों को अलग कर सकते हो? तो फालो फादर करने वाले ब्राहमण श्रेष्ठ और बाप कम्बाइन्ड हैं। यह तो आना और जाना तो ड्रामा में ड्रामा है। वैसे अनादि ड्रामा अनुसार अनादि कम्बाइन्ड स्वरूप संगमयुग पर बन ही गये हो। जब तक संगमयुग है, तब तक बाप और श्रेष्ठ आत्मायें सदा साथ हैं। इसलिए खेल में खेल करके गीत भले गाओ, नाचो गाओ, हंसो-बहलो लेकिन कम्बाइन्ड रूप को नहीं भूलना। बाप दादा तो मास्टर शिक्षक को बहुत श्रेष्ठ नजर से देखते हैं, वैसे तो सर्व ब्राहमण श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ हैं लेकिन जो मास्टर शिक्षक बन अपने दिल व जान, सिक व प्रेम से दिन रात सच्चे सेवक बन सेवा करते वह विशेष में विशेष और विशेष में भी विशेष हैं। इतना अपना स्वमान सदा स्मृति में रखते हुए संकल्प,बोल और कर्म में आओ। सदा यही याद रखना कि हम नयनों के नूर हैं। मस्तक की मणि हैं, गले के विजय माला के मणके हैं और बाप के होठों की मुस्कान हम हैं। ऐसे सर्व चारों ओर से आये हुए छोटे-छोटे और बड़े प्रिय फ्रेंडस को वा जो भी सभी बच्चे आये हैं, वह सभी अपने-अपने नाम से अपनी याद स्वीकार करना। चाहे नीचे बैठे हैं, चाहे ऊपर बैठे हैं, नीचे वाले भी नयनों में और ऊपर वाले नयनों के सम्मुख हैं। इसलिए अभी वायदा निभाया, अभी सभी फ्रेंडस में सर्व साथियों से यादप्यार और नमस्ते।

थोड़ा-थोड़ा मिलना अच्छा है। आप लोगों ने इतना ही वायादा किया था। (गीत अभी न जाओ छोड़ के, कि दिल अभी भरा नहीं.....) दिल भरने वाली है कभी? यह तो जितना मिलेंगे उतना दिल भरेगी। अच्छा - (दीदी जी को देखते हुए) - ठीक है ना। दीदी से वायदा किया हुआ है, साकार का। तो यह भी निभाना पड़ता है। दिल भर जाए तो खाली करना पड़ेगा, इसलिए भरता ही रहे तो ठीक है। (दीदी जी से) इनका संकल्प ज्यादा आ रहा था। आप सब छोटी-छोटी बहनों से दादी-दीदी का ज्यादा प्यार रहता है। दीदी-दादी जो निमित्त है, उन्हों का आप लोगों से विशेष प्यार। अच्छा किया, बाप दादा भी आफरीन देते हैं। जिस प्यार से आप लोगों को यह चांस मिला है, उस प्यार से मिलन भी हुआ। नियम प्रमाण आना यह कोई बड़ी बात नहीं, यह भी एक विशेष स्नेह का विशेष प्यार का रिर्टन मिल रहा है। इसलिए जिस उमंग से आप लोग आये, ड्रामा में आप सबका बहुत ही अच्छा गोल्डन चांस रहा। तो सब गोल्डन चान्सलर हो गये ना। वह सिर्फ चांसलर होते हैं, आप गोल्डन चांसलर हो अच्छा’’