24-02-83 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
दिलाराम बाप का दिलरुबा बच्चो से मिलन
सदा सर्व बच्चों की विशेषता देखने वाले, दया और प्यार के सागर शिव बाबा बोले
आज विशेष मिलन मनाने के लिए सदा उमंग उल्लास में रहने वाले बच्चों से मिलने के लिए आये हैं। दिन रात यही संकल्प रहता है कि मिलन मनाना है। आकार रूप में भी मिलन मनाते फिर भी साकार रूप द्वारा मिलने की शुभ आशा सदा ही रहती है, सब दिन गिनती करते रहते कि आज हमको मिलना है, यह संकल्प हर बच्चे का बापदादा के पास पहुँचता रहता है और बापदादा भी यही रेसपान्ड देने के लिए हर बच्चे को याद करते रहते हैं। इसलिए आज मुरली चलाने नहीं लेकिन मिलने का संकल्प पूरा करने के लिये आये हैं। कोई-कोई बच्चे दिल ही दिल में मीठे-मीठे उल्हनें भी देते हैं कि हमें तो बोल द्वारा मुलाकात नहीं कराई। बापदादा भी हरेक बच्चे से दिल भर-भर के मिलने चाहते हैं। लेकिन समय और माध्यम को देखना पड़ता है। आकारी रूप से एक ही समय पर जितने चाहें जितना समय चाहें उतना समय और उतने सब मिल सकते हैं। उसके लिए टर्न आने की बात नहीं है। लेकिन जब साकार सृष्टि में साकार तन द्वारा मिलन होता है तो साकारी दुनिया और साकार शरीर के हिसाब को देखना पड़ता है। आकारी वतन मे कभी दिन मुकरर होता है क्या कि फलाना ग्रुप फलाने दिन मिलेगा वा एक घण्टे के बाद, आधा घण्टे के बाद मिलने के लिए आना। यह बन्धन आपके वा बाप के सूक्ष्मवतन में, सूक्ष्म शरीर में नहीं है। आकारी रूप से मिलन मनाने के अनुभवी हो ना। वहाँ तो भल सारा दिन बैठ जाओ, कोई उठाएगा नहीं। यहाँ तो कहेंगे अभी पीछे जाओ, अभी आगे जाओ। फिर भी दोनों मिलना मीठा है। आप डबल विदेशी बच्चे वा देश में रहने वाले बच्चे जो साकार रूप में ड्रामा अनुसार पालना वा प्रैक्टिकल स्वरूप नहीं देख पाए हैं, ऐसे बहुत समय से ढूँढने पर फिर से आकर मिले हुए बच्चों को ब्रह्मा बाप बहुत याद करते हैं। ब्रह्मा बाप ऐसे सिकीलधे बच्चों का विशेष गुणगान करते हैं कि आए भल पीछे हैं लेकिन आकार रूप द्वारा भी अनुभव साकार रूप का करते हैं। ऐसे अनुभव के आधार से बोलते हैं कि हमें ऐसा नहीं लगता कि साकार को हमने नहीं देखा। साकार में पालना ली है और अब भी ले रहे हैं। तो आकार रूप में साकार का अनुभव करना, यह बुद्धि की लगन का, स्नेह का प्रत्यक्ष स्वरूप है। ऐसे लगता है, आकार में भी साकार को देख रहे हैं। ऐसे अनुभव करते हो ना! तो यह बच्चों के बुद्धि का चमत्कार का सबूत है। और दिलाराम बाप के समीप दिलाराम के दिलरूबा बच्चे हैं, यह सबूत है। दिलरूबा बच्चे हो ना! दिलरूबा के दिल में सदा क्या गीत बजता है? वाह बाबा, वाह मेरा बाबा!
बापदादा हर बच्चे को याद करते हैं। ऐसे नहीं समझना - इनको याद किया, मेरे को पता नहीं याद किया वा नहीं। इनसे ज्यादा प्यार है, मेरे से कम प्यार है। नहीं। आप सोचो 5 हजार वर्ष के बाद बापदादा को बिछड़े हुए बच्चे मिले हैं तो 5 हजार वर्ष का इकठ्ठा प्यार हर बच्चे को मिलेगा ना। तो 5 हजार वर्ष का प्यार 5-6 वर्ष में या 10-12 वर्ष में देना तो कितना स्टाक थोड़े समय में देंगे। ज्यादा से ज्यादा दें तब तो पूरा हो। इतना प्यार का स्टाक हरेक बच्चे के लिए बाप के पास है। प्यार कम हो नहीं सकता।
दूसरी बात कि बापदादा सदा बच्चों की विशेषता देखता। चाहे कोई समय बच्चे माया के प्रभाव कारण थोड़ा डगमग होने का खेल भी करते हैं। फिर भी बापदादा उस समय भी उसी नजर से देखते कि यह बच्चा, आया हुआ विघ्न लगन से पार कर फिर भी विशेष आत्मा बन विशेष कार्य करने वाला है। विघ्न में भी लगन रूप को ही देखते हैं। तो प्यार कम कैसे होगा! हरेक बच्चे से ज्यादा से ज्यादा सदा प्यार है और हर बच्चा सदा ही श्रेष्ठ है। समझा!
पार्टियों से
1. न्यूयार्क :- बाप का बनना अर्थात् विशेष आत्मा बनना। जब से बाप के बने उस घड़ी से विश्व के अन्दर सर्व से श्रेष्ठ गायन योग्य और पूज्यनीय आत्मा बने। अपनी मान्यता, अपना पूजन फिर से चैतन्य रूप में देख भी रहे हो और सुन भी रहे हो। ऐसे अनुभव करते हो? कहाँ भारत और कहाँ अमेरिका लेकिन बाप ने कोने से चुनकर एक ही बगीचे में लाया। अभी सब कौन हो? अल्लाह के बगीचे के ‘रूहे गुलाब’। यह तो नाम लेना पड़ता है फलाना देश, फलाना देश, वैसे एक ही बगीचे के, एक ही बाप की पालना में आने वाले, रूहे गुलाब हो। अभी ऐसे महसूस होता है ना, हम सब एक के हैं। और हम सब एक रास्ते पर, एक मंज़िल पर जाने वाले हैं। बाप भी हरेक को देख हर्षित होते हैं। सबकी शुभ भावना, सबके सेवा की अथक लगन ने, दृढ़ संकल्प ने प्रत्यक्ष सबूत दिया। चारों ओर के उमंग उत्साह के सहयोग ने रिजल्ट अच्छी दिखाई है। बाहर का आवाज़ भारत वालों को जगाएगा। इसलिए बापदादा मुबारक देते हैं।
2. बारबेडोज- बापदादा सदा बच्चों को नम्बरवन बनने का साधन बताते हैं। चाहे कितना भी कोई पीछे आए लेकिन आगे जाकर नम्बरवन ले सकता है। ऐसे तो नहीं सोचते हो - पता नहीं हमारा ऊँचा पार्ट होगा या नहीं, हम आगे कैसे जायेंगे? बापदादा के पास चाहे पीछे आने वाले हों, चाहे किस भी देश के हों, चाहे किस भी धर्म के हों, किस भी मान्यता के हो लेकिन सबके लिए एक ही फुल अधिकार है। बाप एक है तो हक भी एक जैसा है। सिर्फ हिम्मत और लगन की बात है। कभी भी हिम्मतहीन नहीं बनना। चाहे कोई कितना भी दिलशिकस्त बनाए, कहे - पता नहीं आपको क्या हुआ है, कहाँ चले गये हो लेकिन आप उनकी बातों में नहीं आना। पक्का जान पहचान कर सौदा किया है ना! हम बाप के, बाप हमारा! बाप हर बच्चे को अधिकारी आत्मा समझते हैं। जितना जो ले उसके लिए कोई रूकावट नहीं। अभी कोई सीट्स बुक नहीं हुई है। अभी सब सीट खाली हैं। सीटी बजी ही नहीं है। इसलिए हिम्मत रखते रहेंगे तो बाप भी पद्मगुणा मदद देते रहेंगे।
3. कैनाडा - सदा उड़ती कला में जाने का आधार क्या है? ‘डबल लाइट’। तो सदा उड़ते पंछी हो ना। उड़ता पंछी कभी किसके बन्धन में नहीं आता। नीचे आयेंगे तो बन्धन में बंधेंगे। इसलिए सदा ऊपर उड़ते रहो। उड़ते पंछी अर्थात् सर्व बन्धनों से मुक्त, जीवन मुक्त। कैनाडा में साइन्स भी उड़ने की कला सिखाती है ना! तो कैनाडा निवासी सदा ही उड़ते पंछी हैं।
4. सैनफ्रींसिसको - सभी अपने को विश्व के अन्दर विशेष पार्ट बजाने वाले हीरो एक्टर समझकर पार्ट बजाते हो? (कभी-कभी) बापदादा को बच्चों का कभी -कभी शब्द सुनकर आश्चर्य लगता है। जब सदा बाप का साथ है तो सदा उसकी ही याद होगी ना। बाप के सिवाए और कौन है जिसको याद करते हो? औरों को याद करते-करते क्या पाया और कहाँ पहुँचे? इसका भी अनुभव है। जब यह भी अनुभव कर चुके तो अब बाप के सिवाए और याद आ ही क्या सकता? सर्व सम्बन्ध एक बाप से अनुभव किया है या कोई रह गया है? जब एक द्वारा सर्व सम्बन्ध का अनुभव कर सकते हो तो अनेक तरफ जाने की आवश्यकता ही नहीं। इसको ही कहा जाता है - ‘एक बल एक भरोसा’। अच्छा - सभी ने अच्छी मेहनत कर विशेष आत्माओं को सम्पर्क में लाया, जिन्होंने भी सेवा में सहयोग दिया उस सहयोग का रिर्टन अनेक जन्मों तक सहयोग प्राप्त होता रहेगा। एक जन्म की मेहनत और अनेक जन्म मेहनत से छूट गये। सतयुग में मेहनत थोड़े ही करेंगे! बापदादा बच्चों की हिम्मत और निमित्त बनने का भाव देखकर खुश होते हैं। अगर निमित्त भाव से नहीं करते तो रिजल्ट भी नहीं निकलती। अच्छा।