31-12-98 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
इस नये वर्ष में हिम्मत के आधार पर स्वयं को मेहनत मुक्त, सदा विजयी अनुभव करो
आज नव युग रचता बापदादा अपने अति स्नेही, सदा सहयोगी और अति समीप बच्चों को नव युग, नव जीवन और नव वर्ष की मुबारक देने आये हैं। चारों ओर के बच्चे अति स्नेह से बापदादा को दिल में सम्मुख रख मुबारक ले रहे हैं। बापदादा बच्चों के नव वर्ष के उमंग-उत्साह को देख हर्षित हो रहे हैं। मैजारिटी बच्चे चाहे दूर बैठे हैं, चाहे समीप बैठे हैं सभी के मन में यही उमंग- उत्साह है कि इस वर्ष में नवीनता करके ही दिखायेंगे। चाहे स्व के परिवर्तन में, चाहे सेवा की सफलता में, चाहे हर आत्मा को शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा परिवार्तित करने में उमंग भी अच्छा है, उत्साह भी बहुत अच्छा है। साथ-साथ हिम्मत भी यथा शक्ति है। बापदादा ऐसे हिम्मत वाले बच्चों को एक संकल्प के पीछे पद्मगुणा मदद अवश्य देते हैं। इसलिए हिम्मत से सदा आगे बढ़ते चलो। कभी भी स्व प्रति वा अन्य आत्माओं के प्रति हिम्मत को कम नहीं करना क्योंकि यह नवयुग है ही हिम्मत रखने से उड़ने का युग, वरदानी युग, पुरूषोत्तम युग, डायरेक्ट विधाता द्वारा सर्व शक्तियाँ वर्से में सहज प्राप्त होने का युग, इसलिए इस युग के महत्त्व को सदा स्मृति में रखो। कोई भी कार्य आरम्भ करते हो चाहे स्व-पुरूषार्थ, चाहे विश्व-सेवा, सदा हिम्मत और बापदादा की मदद द्वारा निश्चय है ही कि स्व-पुरूषार्थ में वा सेवा में सफलता हुई पड़ी है। होना ही है। असम्भव, सम्भव होना ही है क्योंकि यह युग सफलता का युग है। असम्भव, सम्भव होने का युग है। इसलिए होगा या नहीं होगा, कैसे होगा, इसका क्वेश्चन इस युग में आप ब्राह्मण आत्माओं के लिए है ही नहीं। ब्राह्मणों की जन्म पत्री में है - ‘सफलता उसका जन्म सिद्ध अधिकार है।’ अधिकारी आत्माओं को यह सोचने की आवश्यकता नहीं है, वर्सा मिलना ही है।
तो नये वर्ष में यह विशेष स्मृति इमर्ज करो कि सब तरफ से सफलता मुझ श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा का अधिकार है ही। इस निश्चय से, रूहानी नशे से उड़ते चलो। (अभिमानी नशा नहीं, रूहानी नशा) निश्चय बुद्धि सदा हर कार्य में विजयी है ही है। ऐसे निश्चय बुद्धि ब्राह्मण आत्मा के मस्तक पर विजय के तकदीर की लकीर सदा है ही है। विजय का तिलक सदा ही मस्तक पर चमक रहा है। इसलिए इस वर्ष को सदा विजयी वर्ष अनुभव करते चलो। ऐसा निश्चय और नशा है? डबल विदेशियों को है? डबल विदेशी होशियार हैं। (सबने हाथ हिलाया) बहुत अच्छा। तिलक नज़र आ रहा है। और भारतवासी तो हैं ही भाग्यवान, क्यों? भारत की धरनी ही भाग्यवान है। इसलिए चाहे विदेशी, चाहे भारतवासी दोनों ही भाग्य विधाता के बच्चे हैं इसलिए हर ब्राह्मण बच्चा विजयी है। सिर्फ हिम्मत को इमर्ज करो। हिम्मत समाई हुई है क्योंकि मास्टर सर्वशक्तिवान हो - ऐसे हो ना? (सभी हाथ हिला रहे हैं) हाथ तो बहुत अच्छा हिलाते हैं। अभी मन से भी सदा हिम्मत का हाथ हिलाते रहना। बापदादा को खुशी है, नाज़ है कि मेरा एक-एक बच्चा अनेक बार का विजयी है। एक बार नहीं, अनेक बार की विजयी आत्मायें हो। तो कभी यह नहीं सोचना, पता नहीं क्या होगा? होगा शब्द नहीं लाना। विजय है और सदा रहेगी। सब पक्के हैं? बहुत अच्छा। अभी फिर वहाँ जाकर ऐसा कमज़ोर समाचार नहीं लिखना कि दादियां, बाबा माया आ गई, ऐसे नहीं लिखना। मायाजीत हैं। हम नहीं होंगे तो और कौन होगा, यह रूहानी नशा इमर्ज करो। और-और कार्य में मन और बुद्धि बिजी हो जाती है ना तो नशा मर्ज हो जाता है। लेकिन बीच-बीच में चेक करो कि कर्म करते हुए भी यह विजयी-पन का रूहानी नशा है? निश्चय होगा तो नशा ज़रूर होगा। निश्चय की निशानी नशा है और नशा है तो अवश्य निश्चय है। दोनों का सम्बन्ध है। इसलिए अभी 99 में अपना नशा सदा इमर्ज रखना, तो अभुल हो जायेंगे। न भूल होगी, न मेहनत होगी। बापदादा ने पहले भी कहा है कि जब बापदादा बच्चों को मेहनत करते हुए देखते हैं, युद्ध करते हुए देखते हैं तो बच्चों की मेहनत करना बाप को अच्छा नहीं लगता है। इसलिए इस नव वर्ष को कैसे मनायेंगे? मुक्ति वर्ष मनाया। निगेटिव, वेस्ट को समाप्त किया तो यह वर्ष ऑटोमेटिक मेहनत मुक्त वर्ष हो जायेगा। सब मौज में रहने वाले, मेहनत करने वाले नहीं। मौज अच्छी लगती है या मेहनत अच्छी लगती है? मौज अच्छी लगती है ना? तो यह वर्ष मन में, संकल्प में भी मेहनत मुक्त हो।
बापदादा के पास बच्चों के पत्र वा चिटकियां बहुत अच्छे-अच्छे हिम्मत की आई हैं कि हम अब से 108 की माला में अवश्य आयेंगे। बहुतों के अच्छे- अच्छे उमंग के पत्र भी आये हैं और रूह-रूहान में भी बहुतों ने बापदादा को अपने निश्चय और हिम्मत का अच्छा समाचार दिया है। बापदादा ऐसे बच्चों को कहते हैं - बाप ने आप सबके बीती को बिन्दू लगा दिया। इसलिए बीती को सोचो नहीं, अब जो हिम्मत रखी है, हिम्मत और मदद से आगे बढ़ते चलो। नव वर्ष के नये उमंग भी बहुत अच्छे-अच्छे लिखे हैं चाहे विदेश के बच्चों ने, चाहे देश के बच्चों ने, बापदादा ऐसे बच्चों को यही वरदान देते हैं - इसी हिम्मत में, निश्चय में, नशे में अमर भव। अमर रहेंगे ना! डबल विदेशी अमर रहेंगे? भारतवासी भी रहेंगे ना? भारत को तो नम्बर लेना ही चाहिए।
नये वर्ष में क्या मनाते हैं? एक तो गिफ्ट देते और दूसरा ग्रीटिंग्स देते हैं। मिठाई खूब खाते खिलाते हैं। नाचते गाते भी बहुत हैं। तो आप सिर्फ 12 के बाद एक दिन नया वर्ष नहीं मनाना लेकिन ब्राह्मण बच्चों के लिए इस नव युग में हर घड़ी नई है, हर श्वांस नया है, हर संकल्प नया है, इसलिए सदा पूरा वर्ष, एक दिन नहीं, एक सप्ताह नहीं, एक मास नहीं, चार मास नहीं, आठ मास नहीं, 12 ही मास सदा एक दो को दिलखुश मिठाई बाँटते रहना। बाँटेंगे ना! दिलखुश मिठाई बाँटने आती है? सभी होशियार हैं। तो दिलखुश मिठाई बांटना। कोई आपकी दिल खुश मिठाई अपने स्वभाव के कारण, संस्कार के कारण, समस्या के कारण अगर नहीं भी स्वीकार करे तो आप दिलशिकस्त नहीं होना। आपने बाँटी, आपका आज्ञाकारी बनने का चार्ट बापदादा के पास जमा हो गया। यह नहीं देखना कि मैंने तो दिलखुश मिठाई खिलाई लेकिन यह तो नाराज़ हो गया, कोई हर्जा नहीं, वह राज़ को नहीं जानता है ना तो नाराज़ हो गया। आप तो राज़ को जानते हो ना! तो यह राज़ भी जान लो कि यह हिसाब-किताब वा समस्या के वश है। आप आज्ञाकारी बनो। ठीक है ना? आज्ञाकारी बनना है ना? यहाँ तो हाँ बहुत अच्छा करते हैं, अगर आप यहाँ देखो ना, हाथ भी बहुत अच्छा हिलाते हो, खुश कर देते हो। कांध भी हिलाते हैं, हाथ भी हिलाते हैं। लेकिन बापदादा तो फिर भी हर बच्चे के ऊपर सदा ही खुश रहते हैं। जब मेरा बच्चा कह दिया, तो जो भी हो, जैसे भी हो, बाप तो देख खुश होता ही है। बाप ने जो वायदा किया है - कैसे भी लायक बनाकर साथ ले ही जाना है। साथ में चलना है ना? साथ चलने के लिए तैयार हैं? सभी तैयार हैं? एवररेडी हैं? अच्छा, एवररेडी भी हैं, बहुत अच्छा। एवरहैपी भी हैं? और जब माया आ जायेगी तो? फिर थोड़ा-थोड़ा मन में चिल्लायेंगे? बाबा माया आ गई, आ गई। चिल्लाना नहीं, अपने को उड़ा देना। माया नीचे रह जाये आप ऊपर उड़ जाओ तो माया देखती रहेगी। अच्छा तो खुशी में नाचते भी रहना और दिल खुश मिठाई बाँटते भी रहना। साथ में जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसको कोई न कोई गिफ्ट देना, कोई हाथ खाली नहीं जाये, कौन-सी गिफ्ट देंगे? आपके पास गिफ्ट तो बहुत है। गिफ्ट का स्टॉक है? तो देने में कन्जूस नहीं बनना, देते जाना। फ़रागदिल बनना, किसी को शक्ति का सहयोग दो, शक्ति का वायब्रेशन दो, किसको कोई गुण की गिफ्ट दो। मुख से नहीं लेकिन अपने चेहरे और चलन से दो। यदि कोई गुण वा शक्ति इमर्ज नहीं भी हो, तो कम-से-कम छोटी सी सौगात भी देना, वह कौन-सी? शुभ भावना और शुभ कामना की। शुभ कामना करो कि यह मेरा सिकीलधा भाई या बहन, सिकीलधा सोचेंगे तो अशुभ भावना से शुभ भावना बन जायेगी। इस भाई-बहन का भी उड़ती कला का पार्ट हो जाए, इसके लिए सहयोग वा शुभ भावना है। कई बच्चे कहते हैं कि हम देते हैं वह लेते नहीं हैं। अच्छा शुभ भावना नहीं लेते हैं, कुछ तो देते हैं ना। चाहे अशुभ बोल आपको देते हैं, अशुभ वायब्रेशन देते हैं, अशुभ चलन चलते हैं तो आप हो कौन? आपका आक्यूपेशन क्या है? विश्व-परिवर्तक हो? आपका धंधा क्या है? विश्व-परिवर्तक हैं ना! तो विश्व को परिवर्तन कर सकते हो और उसने अगर आपको उल्टा बोल दिया, उल्टी चलन दिखाई तो उसका परिवर्तन नहीं कर सकते हो? पॉज़िटिव रूप में परिवर्तन नहीं वर सकते हो? निगेटिव को निगेटिव ही धारण करेंगे कि निगेटिव को पॉज़िटिव में परिवर्तन कर आप हर एक को शुभ भावना, शुभ कामना की गिफ्ट देंगे। शुभ भावना का स्टॉक सदा जमा रखो। आप दे दो। परिवर्तन कर लो। तो आपका टाइटिल जो विश्व-परिवर्तक है वह प्रैक्टिकल में यूज़ होता जायेगा। और यह पक्का समझ लो कि जो सदा हर एक को परिवर्तन कर अपना विश्वपरिवर्त क का कार्य साकार में लाता है वही साकार रूप में 21 जन्म की गारन्टी से राज्य-अधिकारी बनेगा। तख्त पर भले एक बारी बैठेगा लेकिन हर जन्म में राज्य परिवार में, राज्य-अधिकारी आत्माओं के समीप सम्बन्ध में होगा। तो विश्व-परिवर्तक ही विश्व-राज्य-अधिकारी बनता है। इसलिए सदा यह अपना आक्यूपेशन याद रखो - मेरा कर्त्तव्य ही है परिवर्तन करना। दाता के बच्चे हो तो दाता बन देते चलो, तब ही भविष्य में हाथ से किसको देंगे नहीं लेकिन सदा आपके राज्य में हर आत्मा भरपूर रहेगी, यह इस समय के दाता बनने की प्रालब्ध है। इसलिए हिसाब नहीं करना, इसने यह किया, इसने इतना बार किया, मास्टर दाता बन गिफ्ट देते जाओ। और ग्रीटिंग्स क्या देंगे? देखो किसी को भी, किसी से प्राप्ति होती है ना तो उसके मुख से, मन से यही शब्द निकलता है कि आपको मुबारक हो, एक दो को खुशी बाँटते हो तो कहते हैं मुबारक हो। उत्सव मनाते हो तो कहते हैं मुबारक हो। ऐसे जो भी आपके सामने आवे तो मुख से ऐसे शब्द बोलो, संकल्प में ऐसे श्रेष्ठ संकल्प हों तो जो भी आपसे मिलेगा वह हर समय दिल से मुबारक वा दुआयें अवश्य देगा। तो सदा ऐसे बोल बोलो, ऐसा सम्बन्ध-सम्पर्क में आओ जो दिल से, मुख से मुबारक निकले वा दुआयें निकलें। ऐसा शब्द नहीं निकालो जो मुबारक लायक नहीं हो। एक एक बोल जैसे रत्न हो। साधारण बोल नहीं हो। बापदादा ने अब तक रिज़ल्ट में देखा है, कल तो बदल जायेगा लेकिन अब तक देखा है कि बोल में जो संयम और स्नेह होना चाहिए वह स्नेह भी कम हो जाता है और संयम भी कम हो जाता है। इसलिए ऐसा बोल बोलो जो रत्न हो। आप स्वयं जब हीरे तुल्य हो तो हर बोल भी रत्न समान हो। ऐसा मूल्यवान हो। साधारण नहीं हो। न साधारण हो, न व्यर्थ हो। और कभी-कभी बापदादा देखते हैं, रिज़ल्ट सुनायें, क्योंकि 12 बजे के बाद सब समाप्त करना है ना! तो बापदादा ने यह भी देखा है कि कोई-कोई बच्चे छोटी-सी बात का विस्तार बहुत करते हैं, इसमें क्या होता है, जो ज्यादा बोलता है ना तो जैसे वृक्ष का विस्तार होता है उसमें बीज छिप जाता है, वह ऐसे समझते हैं कि हम समझाने के लिए विस्तार कर रहे हैं, लेकिन विस्तार में जो बात आप समझाने चाहते हैं ना उसका सार छिप जाता है और बोल, वाणी की भी एनर्जी होती है। जो वेस्ट बोल होते हैं तो वाणी की एनर्जी कम हो जाती है। ज्यादा बोलने वाले के दिमाग की एनर्जी भी कम हो जाती है। शार्ट और स्वीट यह दोनों शब्द याद रखो। और कोई सुनाता है ना तो उसको तो कह देते हैं कि मेरे को इतना सुनने का टाइम नहीं है। लेकिन जब खुद सुनाते हैं तो टाइम भूल जाता है। इसलिए अपने खज़ानों का स्टॉक जमा करो। संकल्प का खज़ाना जमा करो, बोल का खज़ाना जमा करो, शक्तियों का खज़ाना जमा करो, समय का खज़ाना जमा करो, गुणों का खज़ाना जमा करो। रोज़ रात को अपने इन खज़ानों के बचत का पोतामेल चेक करो। कितने संकल्प वेस्ट के बजाए बेस्ट के खाते में जमा किया? कितना समय बेस्ट के खाते में जमा किया? गुण और शक्तियों से श्रेष्ठ कार्य किया? गुण को कार्य में लगाया? शक्ति को कार्य में लगाया? यह है जमा करना। तो सभी संकल्प, समय, गुण, शक्ति इसका पोतामेल रोज़ रात्रि को चेक करो फिर टोटल करो कितना बचत का खाता हुआ? यही बचत स्वयं को भी सहयोग देती रहेगी और औरों को भी देगी। तो समझा - क्या करना है? सब पूछते हैं ना क्या करना है? तो अब यह करना है। ग्रीटिंग्स भी लेनी है, गिफ्ट भी देनी है, जमा भी करना है और मेहनत को छोड़ना है। जब बचत के ऊपर अटेन्शन देंगे तो मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। मेहनत मुक्त वर्ष धूमधाम से मनायें। वेस्ट और निगेटिव मुक्त वर्ष मनायें। बापदादा मुक्ति वर्ष की रिज़ल्ट अभी नहीं पूछ रहे हैं, बापदादा को याद है। रिज़ल्ट लेंगे कि कितनों ने मुक्ति वर्ष मनाया या मास मनाया? 6 मास मनाया, आधा मनाया, पूरा मनाया - यह सब 18 तारीख को हिसाब लेंगे?
डबल विदेशियों ने तो अच्छा मना लिया है ना, भारत वालों ने भी मनाया तो है, रिज़ल्ट 18 तारीख को लेंगे। जिसने सारा वर्ष मनाया, उसको क्या देंगे? दादियां बतावें जिन्होंने पूरा वर्ष मुक्ति वर्ष मनाया है, उनको क्या देंगे? मुबारक और दुआयें तो हैं ही और यादगार क्या देंगे? इनाम तैयार रखना। देखेंगे कितने इनाम लेते हैं? तो नया वर्ष, नया उमंग, नया उत्साह और नई हिम्मत सब नया ही नया। जो इस घड़ी स्टेज है वह दूसरे घड़ी उससे श्रेष्ठ स्टेज होनी चाहिए। ठीक है ना? अच्छा –
आज 12 बजे तक बैठना है। इसीलिए सब यहाँ-वहाँ से भागकर नया वर्ष मनाने के लिए पहुँचे हैं। अच्छा है - जो भी नये-पुराने आये हैं हर एक को दिल से दुआओं भरी मुबारक दे रहे हैं। भले पधारे, भले आये। शान्तिवन का शृंगार भले पधारे। देखो यह हाल कितना सज गया है। तो सजाने वाले कौन? आप ही हैं ना! अच्छा –
आज बापदादा हर ग्रुप से जहाँ बैठे हो वहाँ ही खड़ा कर मिलन मनायेंगे। चाहे डबल विदेशी हो चाहे भारत के हर ज़ोन के हो, एक-एक ज़ोन से बापदादा मिलन मनायेंगे लेकिन स्टेज पर नहीं आना। वहाँ ही खड़े हो करके मिलन मनाना। यह भी तो नई बात है ना। नया वर्ष मनाने आये हैं, यह भी नई बात है। अच्छा।
डबल विदेशी - यूथ ग्रुप से (सभी ने गीत गाया)
उमंग-उत्साह का गीत बहुत अच्छा गाया। यूथ को बहुत कार्य करना है। ऐसा यूथ ग्रुप तैयार हो जो सब निमन्त्रण देकर आपको अपनी स्टेज पर बुलावें। बहुत अच्छा है। ट्रेनिंग देने वाले भी अच्छे हैं। तो जो बापदादा ने इस वर्ष का कार्य दिया है, उसमें यूथ ग्रुप नम्बरवन लेंगे ना? सिखाने वालों ने भी अच्छी मेहनत की है।
वैल्युज़ कोर्स में आये हुए भाई-बहिनों से -- ऐसे होशियार हो जाओ जो बापदादा और सारा विश्व आपको थैंक्स देता रहे। सभी के जीवन में वैल्युज़ इमर्ज करके दिखाओ। जहाँ ऐसे कोई बहुत कड़े स्वभाव के हों ना, वहाँ इस ग्रुप में से कोई ऐसे तैयार हो जाएँ जो वहाँ के वातावरण को चेंज़ कर दें। जैसे पंजाब में आतंकवाद बहुत था ना तो पंजाब वालों ने योग के वायब्रेशन से, स्नेह से सेवा की और फर्क आ गया, तो यह वैल्यु वाले भी ऐसी कोई प्रत्यक्ष सेवा करके दिखावें। जहाँ एकदम वैल्यु गिरी हुई हो ऐसे को वैल्यु के वायब्रेशन से परिवर्तन करके दिखाना। मुबारक हो।
आस्ट्रेलिया, फिजी, न्युजीलैण्ड -- आस्ट्रेलिया वालों ने हिम्मत करके जो रिट्रीट हाउस लिया है उसकी मुबारक हो। और उसमें ऐसे कोई निकालो जो माइक बन आपके बदले में वह अनुभव सुनावे, तो आस्ट्रेलिया पहले भी सदा आगे रहा है। अब रिट्रीट हाउस से ऐसे माइक तैयार कर बापदादा के सामने लाना है।
यूरोप, यू.के., दुबई, मौरीशियस -- यूरोप को तो वरदान मिला हुआ है कि यूरोप अनेक आत्माओं को जगाने के निमित्त बना भी है और बनेगा भी क्योंकि यूरोप के साथ यू.के. भी है तो बहुत अच्छा है। यूरोप वाले आप सबको याद होगा शुरू में बापदादा यूरोपवासी यादव कहके यूरोप को याद करते थे और यूरोप को ब्रह्मा बाप ने बहुत बारी याद किया। तो अभी भी जो भी यू.के. वा यूरोप में हैं उन्हों को ऐसे साइन्स वाला माइक निकालना है जो आपके तरफ से माइक बन साइन्स वाला साइलेन्स को सिद्ध करके दिखावे। साइलेन्स वाले साइलेन्स को सिद्ध करते हैं यह बड़ी बात नहीं है लेकिन साइन्स वाले साइलेन्स की शक्ति को सिद्ध करें - अभी ऐसी कोई कमाल दिखाओ। सुना - यूरोप और यू.के. वालों ने। ऐसा निकालना। बहुत अच्छा है। कमाल करनी है। होनी ही है। अच्छा।
अमेरिका - अमेरिका क्या करेगा? अमेरिका वालों को यू.एन. में ऐसा माइक तैयार करना है। यू. एन. का मेम्बर हो और ऐसा माइक बने जो कहे कि सचमुच जो हम नहीं कर सकते वह यह ईश्वरीय विश्व विद्यालय के कर सकते हैं। कर रहे हैं और करके दिखायेंगे। ऐसा कोई निकालो। रिट्रीट हाउस ले रहे हैं तो उसमें क्या करेंगे? ऐसे यू.एन. का कोई मेम्बर तैयार करो जो स्टेज पर कहे कि यही हैं, यही हैं जो कार्य कर सकते हैं। हिम्मत है ना! करना ही है? और हुआ भी पड़ा है सिर्फ निमित्त बनना है, बस। बाकी कमाल करेंगे, इतना वर्ष यू.एन. का कनेक्शन रहा है, कुछ तो कमाल करेंगे ना! तो ऐसी कमाल करके दिखाना। अच्छा। रिट्रीट हाउस के लिए मुबारक हो।
एशिया ग्रुप -- अच्छा यह क्या करेंगे? एशिया में ऐसे बहुत रत्न हैं जो ब्राह्मण परिवार के हैं लेकिन अभी तक छिपे हुए हैं। एशिया के कई भाग नई दुनिया में मिल जायेंगे, इसलिए आपकी धरनी एशिया की भाग्यवान है, तो उसमें से ऐसे विशेष रत्न निकालो, बापदादा चाहते हैं कि अभी आप जो ब्राह्मण आत्मायें हैं वह माइट बनें तथा माइक और बनें। आप माइट बन लाइट दो और वह लोग माइक बन भाषण करें, परिचय दें, अनुभव सुनावें, तो ऐसे एशिया में हैं जिन्हों को ढूंढो और निमित्त बनाओ। तो आप लोग माइट बन जायेंगे और वह माइक बनेंगे। ठीक है? एशिया वालों को करना है ना? बहुत अच्छा, फिर इनाम देंगे कि पहला बड़े से बड़ा माइक किसने निकाला? एशिया निकालेगी, नम्बरवन जायेगा? हर एक सोचे नम्बरवन जाना है। बापदादा देखेंगे कौन बड़े से बड़ा माइक तैयार करता है। छोटे-छोटे तो कनेक्शन में हैं, लेकिन स्टेज पर आवें। माइक वह जो स्टेज पर बेधड़क बन भाषण करे, ऐसे माइक तैयार करो। ठीक है? तो कौन-सा नम्बर लेना है? पहला नम्बर लेना। छोटे बच्चे भी हिम्मत वाले हैं, बहुत अच्छा।
अफ्रीका, साउथ अफ्रीका -- अफ्रीका में बहुत अच्छे-अच्छे रत्न हैं। सेवा करने में होशियार हैं ना। तो अभी क्या करेंगे? अफ्रीका में सबसे ज्यादा गोल्ड है ना! तो बापदादा के पास ऐसे गोल्डन स्टेज वाले रत्न ले आओ। जैसे स्थूल गोल्ड मशहूर है ऐसे अफ्रीका के रत्न हीरे भी वहाँ हैं, गोल्ड भी हैं, तो ऐसे रत्न सामने लाओ। कब लायेंगे, तारीख बताओ। अच्छा मार्च में ले आयेंगे? हाँ अफ्रीका वाले कमाल करके दिखाओ। कमाल करेंगे? बहुत अच्छा। रत्न बहुत अच्छे-अच्छे हैं। अभी मार्च तक देखेंगे फिर इनाम देंगे, ठीक है, पसन्द है?
रशिया -- रशिया वाले क्या कमाल करेंगे? जैसे रशिया में अभी स्वतन्त्रता हुई है ना। कम्युनिस्ट का राज्य नहीं है, स्वतन्त्र हैं तो ऐसे स्वतन्त्रता का झण्डा लहराओ जो रशिया में यह आवाज़ हो जाए कि सच्ची स्वतन्त्रता यहाँ से ही मिल सकती है। यह आवाज़ चारों ओर फैल जाए, धर्म के हिसाब से नहीं लेकिन सच्ची स्वतन्त्रता के हिसाब से। यह आवाज़ लहरायेंगे? रशिया वाले सभी को बहुत प्यारे लगते हैं। क्यों प्यारे लगते हैं? क्योंकि बाप भी भोलानाथ है ना, तो रशिया वाले भी भोले बहुत अच्छे हैं। भोलेभाले हैं लेकिन हैं तीखे, अन्दर होशियार हैं लेकिन सूरत से बिल्कुल भोले, प्यारे मीठे लगते हैं इसलिए सबका रशिया वालों से विशेष प्यार है, बहुत अच्छा। अभी स्वतन्त्रता का आवाज़ फैलाना। अच्छा।
इज़राइल -- अभी नया-नया खुला है ना तो लाड़ले हो। जो छोटे होते हैं ना वह लाड़ले होते हैं और जो लाड़ले होते हैं वह सदा माँ-बाप के समीप रहते हैं। उन्हों के ऊपर सदा माँ-बाप की नज़र रहती है इसलिए कमाल करके ही दिखानी है। प्लैन अच्छे बनाते हैं और सफलता मिलती ही है। थोड़े हैं लेकिन अच्छे हैं, हिम्मत अच्छी है। तो दूसरे वर्ष कमाल करके ग्रुप ले आना। ठीक है। अच्छा।
चिल्ड्रेन ग्रुप को सम्भालने वाले टीचर्स से -- अच्छा तैयार किया है। अच्छा दिल से उमंग-उत्साह से कार्य किया है। इसलिए जो कार्य किया है उसकी सफलता मिलनी ही है। ग्रुप अच्छा है।
ज्युरिस्ट मीटिंग में आये हुए भाई बहिनों से -- ज्युरिस्ट क्या करेंगे? (लॉ और लव का बैलेन्स रखेंगे, भारत को स्वर्ग बनायेंगे) वैसे भी ज्युरिस्ट बोलने में होशियार होते हैं। अच्छा बोला, हिम्मत के बोल बोले और ज्युरिस्ट का काम ही है - कमज़ोर केस को हिम्मत वाला बनाना। तो अच्छा हिम्मत दिखाई और सदा जो भी मर्यादायें हैं, लाज़ हैं उस पर चलने और चलाने का वायुमण्डल 34 बनाते चलो। बाकी क्वालिटी अच्छी है। एक-एक बहुत कार्य कर सकते हैं, क्यों? आपके पास जो क्लायन्ट बनकर आते हैं वह उस समय आपको भगवान का रूप समझते हैं। आपमें फेथ होता है, ऐसे क्लायन्ट को आप लोग बाप का बना सकते हो। तो वकील भी बढ़ते जायेंगे, जज भी बढ़ेंगे। अभी कोई ऐसा जज तैयार करो जो नज़दीक वाला हो। और जज़ अपने अनुभव के आधार से बोले कि अगर भारत का कल्याण होना है, सत्य सिद्ध होना है तो यही है, यही है, यही है। ऐसा ग्रुप तैयार करो। ऐसा कोई बड़ा जज़ तैयार करो जो निर्भय होकर स्टेज पर बोले, सिद्ध करके बतावे कि यह सत्य क्यों है। ऐसी हिम्मत है ना? आपके बोलने से ही हिम्मत लग रही है। तो ऐसा करना। जिसको जो कहा है, वह इस वर्ष में लास्ट सीज़न तक, मार्च की एण्ड तक तैयार करके लावे। पसन्द है? फॉरेन वालों को भी काम दिया है, यूथ को भी काम दिया है, जजेस को भी काम दिया है। अभी देखेंगे कौन करके आता है। तो आपका पहला नम्बर होगा ना? लेकिन ऐसा तैयार करके आओ जो पब्लिक में कहें, यहाँ कांफ्रेंस में कहना और बात है, वह तो यह धरनी ऐसी है, पब्लिक स्टेज पर कहे - ऐसा तैयार करना। (मधुबन की लता बहन, वकील से) यह वकील भी होशियार है, अच्छा काम कर रही है। शक्ति आगे आवे ठीक है। मुबारक हो, मुबारक हो। बहुत अच्छा।
टीचर्स बहिनों से -- ग्रुप तो बहुत बड़ा है। (5-6 सौ टीचर्स हैं) टीचर्स क्या करेंगी? इस वर्ष में टीचर्स इनाम लेना। किस बात में? स्वयं और सेन्टर निवासी और साथ में सर्व स्टूडेन्टस पूरे वर्ष में निर्विघ्न रहे, कोई भी विघ्न न स्वयं में आवे, न साथियों में आवे, न स्टूडेन्ट में आवे, ऐसी हिम्मत है तो हाथ उठाओ। पार्टी लेकर आये हो तो नाम तो नोट हैं। सौगातें तैयार रखना। इनाम तैयार रखना। देखेंगे कितने इनाम लेने के पात्र बनते हैं। तीन सर्टिफकेट लेंगे। तीन सर्टिफकेट - एक अपना स्वयं का सर्टिफकेट, दूसरा साथियों का सर्टिफकेट और तीसरा स्टूडेन्ट का हाँ या ना। बातों में नहीं निकालेंगे सिर्फ हाँ निर्विघ्न रहे, या नहीं रहे। कचहरी नहीं करेंगे, बातें नहीं निकालेंगे। तो तीन सर्टिफकेट लेने वाले को इनाम मिलेगा। हाथ तो सभी ने उठाया, जिसने नहीं उठाया समझते हैं कोशिश करेंगे, पता नहीं होवे नहीं होवे, वह हाथ उठाओ। ऐसा कोई है? शर्म तो नहीं करते हो? अगर हिम्मत नहीं भी हो तो हिम्मत रखना, हिम्मत की मदद ज़रूर मिलेगी। समझा। समझा। समझा? सब टीचर्स ने सुना? अच्छा है - टीचर्स को देखकर बापदादा खुश होते है - टीचर्स सेवा के साथी हैं इसलिए बापदादा को टीचर्स को देखकर खुशी होती है। बापदादा रिगार्ड भी रखते हैं क्योंकि बच्चे भी हैं, साथी भी हैं इसलिए विशेष मदद भी है। ठीक है ना।
मधुबन निवासी, आबू निवासी -- अच्छा ग्रुप है। देखो मधुबन वाले अगर सेवा में आगे नहीं होते तो इतनी आत्माओं को बाप से मिलन का भाग्य कैसे मिलता। इसलिए मधुबन वालों को सबसे बड़े-ते-बड़ी देन सबके दुआओं की मिलती है। दुआयें मिलती हैं? दुआयें महसूस करते हो? सिखलाते भी हो और निमित्त भी बनते हो। तो मधुबन वालों को बापदादा ब्राह्मणों के सेवा की छत्रछाया कहते हैं। मधुबन निवासियों के सेवा की छत्रछाया में अनेक आत्माओं का फायदा हो जाता है। पुरूषार्थ में आगे बढ़ते रहते हैं। तो सभी का पुण्य मधुबन वालों को शेयर में मिलता रहता है। मधुबन वाले शेयर होल्डर हैं। बिना मेहनत के भी मिलता रहता है। सबके दिल की दुआयें बहुत अमूल्य चीज़ है। दिल से जिसको जितनी दुआयें मिलती हैं, वह दिल की दुआयें जमा होती हैं तो सहज पुरूषार्थ हो जाता है। सेवा का पुण्य अच्छा मिला है। यह सेवा का पुण्य सदा बढ़ाते रहना। कम नहीं करना, सदा बढ़ाते रहना। जैसे बाप जी हाज़र कहते हैं वैसे मधुबन निवासी बाप के समीप हैं, तो मधुबन निवासियों को सदा जी हाज़र और जी हजूर दोनों ही याद है और रहेगा।
दोनों याद है ना - हजूर भी याद है और जी हाज़र भी याद है। कोई भी बुलावे, तो हाँ हाज़र, हाँ हाज़र। ऐसे है? हाज़र हैं ना। ना ना तो नहीं करते हैं ना, हाँ-हाँ वाले हैं। हाँ जी, हाँ जी करके हजूर के आगे समीप आ गये हैं। और सबके लाड़ले बन गये हैं। किस श्रेष्ठ नज़र से मधुबन वालों को देखते हैं? बहुत लाड़ले हो गये हैं ना। जहाँ भी जायेंगे, मधुबन वाले आये हैं, मधुबन वाले आये हैं - यह सेवा का फल है। तो क्या याद है? जी हजूर और जी हाज़र। पक्का है ना? कभी भी ना ना नहीं। हाँ जी, हाँ जी...। बहुत अच्छा। बापदादा को मधुबन निवासियों से सदा प्यार है। सदा प्यारे हैं। अच्छा।
भारतवासी भाई-बहनों से अव्यक्त बापदादा की पर्सनल मुलाकात
राजस्थान -- (सेवा की बहुत अच्छी ड्युटी सम्भाली है) राजस्थान ने सेवा का चांस अच्छा लिया भी और किया भी, इसलिए सेवा की मुबारक हो। ग्रुप बहुत अच्छा है, अभी एक दो को सहयोग देकर आगे बढ़ते चलो। ठीक है ना। अच्छा।
महाराष्ट्र ज़ोन - महाराष्ट्र नाम ही है महा, तो महाराष्ट्र क्या महान कार्य करके दिखायेंगे? बापदादा ने आगे भी कहा है कि क्वान्टिटी तो बहुत अच्छी है, अभी महाराष्ट्र को ऐसी क्वालिटी तैयार करनी है, जो आवाज़ फैलाने में सहयोगी बन जाये। अभी महाराष्ट्र से कोई ऐसी विशेष आत्मा तैयार करो जो सारे महाराष्ट्र में उसके आवाज़ का प्रभाव हो और महाराष्ट्र में मेहनत वाले हैं, अच्छी हिम्मत वाले हैं। इसलिए सहज ऐसे सेवा करने से निकल आयेंगे। इस वर्ष सभी को, हर ज़ोन को ऐसा तैयार करके मार्च तक लाना है। मंजूर है तो हाथ हिलाओ। मार्च में माइक की सेरीमनी मनायेंगे। यह लंदन का माइक, यह अमेरिका का माइक... यह भारत का, यह हर ज़ोन का, यह महाराष्ट्र का, यह आंध्रा का, सब ज़ोन का हो, फिर देखना क्या कमाल हो जाती है।
बाम्बे -- बाम्बे को ब्रह्मा बाबा नर-देसावर कहते हैं। इसका अर्थ है सदा सम्पन्न रहने वाला। तो बाम्बे वालों को क्या तैयार करना है? कोई ऐसे सेवा के निमित्त बनाओ जो अनेक छोटे-छोटे सेन्टर को भी बड़ा बना दें। बाम्बे में तो करते ही हो लेकिन ऐसा कोई नरदेसावर निकालो जो औरों का भी सहयोगी बनें, तब कहेंगे बाम्बे नरदेसावर है। ऐसे कोई व्यक्ति तैयार करो जो आवाज़ फैलाये कि सच्चा धन अगर है तो ब्रह्माकुमारियों के पास है। सच्चा धन क्या होता है, उसके उपर चैलेंज़ करके दिखावे कि सच्चा धन, अविनाशी धन किसको कहा जाता है। सहयोगी भी बनें और चैलेन्ज़ करके दिखावे तो सबकी आँखें खुल जाये कि अविनाशी धन कौन सा है। ऐसा मार्च तक निकालेंगे? अगर हाँ है तो हाथ उठाओ। हिम्मत नहीं हो तो ना कहो। हिम्मत रखो तो क्या नहीं हो सकता है। किसको भी टचिंग होती है तो सेकेण्ड ही लगता है। यह तो तीन मास हैं तो देखेंगे नम्बरवन प्राइज़ कौन लेता है। बहुत बढ़िया प्राइज़ मिल रही है। इस बारी स्थूल प्राइज़ देंगे जो यादगार रहेगा। अच्छा।
आन्ध्र प्रदेश -- सब फंक्शन में बिजी हैं। थोड़े आये हैं, थोड़े भी बहुत कमाल कर सकते हैं। तो आन्ध्र प्रदेश भी कमाल कर सकता है क्योंकि आन्ध्र प्रदेश में भी गवर्मेन्ट एज्यूकेशन डिपार्टमेन्ट बहुत सहज कनेक्शन में आ सकते हैं। आन्ध्र प्रदेश अगर एज्यूकेशन डिपार्टमेन्ट में विशेष सेवा करे तो सफलता बहुत सहज मिल सकती है। आन्ध्र प्रदेश के जो मुख्य लोग हैं वह सहज सम्बन्ध-सम्पर्क में आ सकते हैं, यह आन्ध्र प्रदेश को वरदान है, इसलिए हिम्मत रखो तो सफलता सहज होगी। अच्छा।
दिल्ली और आगरा -- दिल्ली वालों का कार्य आदि से आरम्भ हुआ है। सेवा की आदि दिल्ली से हुई है, इसलिए बापदादा दिल्ली का नाम सदा वर्णन करते रहते हैं। दिल्ली वालों ने इन्वेन्शन तो समय प्रति समय की है लेकिन अभी और भी नई नई इन्वेन्शन कर कोई नई सार्विस की रूपरेखा बनाने के निमित्त बनना है। दिल्ली का आवाज़ विश्व तक पहुँचता है। इसलिए दिल्ली का विशेष सेवा का नाम चारों ओर बाला हो जाता है। अभी कोई नया प्लान दिल्ली को प्रैक्टिकल में करके दिखाना है। माइक तो दिल्ली में बहुत हैं, सहयोगी हैं, समय पर सहयोग देते हैं लेकिन आवाज बुलन्द करना उसमें अभी उन सहयोगी आत्माओं को समीप लाना है। समय पर कार्य के निमित्त बनते हैं लेकिन आवाज़ बुलन्द करने के लिए सदा तैयार रहें, वो अभी कोई नई इन्वेन्शन कर उन्हों को सहयोगी से सदा सहयोगी बनाना है। दिल्ली में ऐसी हिम्मत है ना।
जगदीश भाई से -- आदि से सेवा बहुत की है। आदि से सेवा के निमित्त बने हो और इन्वेन्शन भी अच्छी-अच्छी की है। अभी देखो वर्गीकरण की रिज़ल्ट कितनी अच्छी है। इसलिए अभी फिर कोई नई इन्वेन्शन करनी है। सबका आपसे प्यार है। मुरली में नाम आता है ना तो सभी का अटेन्शन जाता है। अभी शरीर को जबरदस्ती नहीं चलाओ, अभी आराम से चलाओ। अभी यह नहीं सोचो यह करना ही है। नहीं। औरों को आप समान बनाओ। मेले की शुरूआत भी दिल्ली से ही शुरू हुई है, कांफ्रेंस भी हुई अभी नई इन्वेन्शन भी दिल्ली से शुरू हो। अच्छा।
यू.पी. -- लखनऊ में बहुत अच्छा मेला चल रहा है। जैसे अभी सारे यू.पी. के सम्बन्ध से कार्य किया है, वैसे अभी यू.पी. में गवर्मेन्ट की सेवा अच्छी हो सकती है। अगर सभी मिलकर यू.पी. में गवर्मेन्ट की सेवा करें तो वहाँ का आवाज़ चारों ओर फैल सकता है। ऐसी क्वालिटी यू.पी. में है जो सेवा में सहयोगी बन सकते हैं। अभी सभी बिजी हैं, अच्छा किया है। बापदादा खुश है और मुबारक दे रहे हैं। अनेक आत्माओं तक आवाज़ फैला है, ऐसे समय प्रति समय संगठन द्वारा आगे बढ़ते जायें, धरनी अच्छी है, सहज है, इसलिए आगे बढ़ाते चलो। अच्छा।
ईस्टर्न -- अच्छा ग्रुप आया है। सेवा की मुबारक तो बापदादा ने दे ही दी है। अभी आवाज़ निकालने में सर्व के सहयोग से बापदादा खुश है। ब्रह्मा बाप की प्रत्यक्षता का स्थान है। इसलिए जैसे ब्रह्मा बाप का आदि स्थान है ऐसे अभी सभी को नाम बाला करने का पुरूषार्थ करना चाहिए। अभी सर्व के सहयोग से नाम हुआ है, मेहनत अच्छी की है, सहयोग भी अच्छा दिया है, अभी ऐसे ही सहयोगी बन और आदि स्थान को मशहूर करते जाएँ। कलकत्ता में बहुत अच्छे- अच्छे इन्डस्ट्रियल निकल सकते हैं। ऐसी सेवा करके कोई ऐसे निमित्त बनाओ जो अनेकों की सेवा में निमित्त बनें। अच्छा है, अभी हिम्मत अच्छी है, उमंग भी अच्छा है, रिज़ल्ट भी अच्छी है। आगे बढ़ते चलो, बढ़ते-बढ़ते मंज़िल पर पहुँच ही जायेंगे। अच्छा।
पंजाब -- अच्छा है, पंजाब वालों ने भी जगह-जगह पर अच्छा नाम बाला किया है। पंजाब अभी सेवा में अच्छा आगे बढ़ रहा है। इसलिए पंजाब वालों को वा हरियाणा, हिमाचल वालों को सभी को सेवा में आगे बढ़ने की मुबारक हो। जो भी प्रोग्राम किये हैं, अच्छे सहयोग से और सफलता पूर्वक किये हैं, तो जैसे अभी सेवा में फास्ट जा रहे हैं ऐसे आगे भी फास्ट रहेंगे और सफलता को प्राप्त करना ही है। अच्छी रिज़ल्ट है, पंजाब वालों को मुबारक।
इन्दौर-भोपाल -- चाहे इन्दौर है, चाहे भोपाल है लेकिन हर एक अपने अनुसार सेवा में आगे तो बढ़ ही रहे हैं। बापदादा ने देखा है सेवा का उमंग- उत्साह अच्छा है और वृद्धि भी होती रहती है। अभी जैसे वृद्धि करते रहते हैं, वैसे ही चाहे भोपाल में, चाहे इन्दौर में, दोनों जगह ऐसा पावरफुल ग्रुप बनाओ जो सदा सेवा में और स्वउन्नति में एक्ज़ाम्पल बनें। दोनों तरफ ऐसा ग्रुप बनाओ जो एक्ज़ाम्पल बन और तरफ भी अपना अनुभव सुना सके। तो मध्यप्रदेश अनुभव सुनाने का ग्रुप तैयार करे। सेवा में तो हैं ही अच्छे और आगे भी करेंगे परन्तु ऐसा कोई ग्रुप का एक्ज़ाम्पल बनाओ जो ब्राह्मणों की सेवा हो, जहाँ कुछ भी हो तो ऐसे ग्रुप का एक्ज़ाम्पल सामने आवे। दोनों ही मध्य प्रदेश है ना। तो दोनों को ऐसी कोई तैयारी करनी चाहिए। सेवा के प्लैन तो अच्छे बनाते ही हैं। अभी ऐसा ग्रुप बन सकता है? तो मार्च में दोनों तरफ का ऐसा ग्रुप बाप के सामने लाना है। ठीक है? वैसे तो सभी तरफ ग्रुप बनाना है, लेकिन पहले आप लोग बनाओ। सभी ज़ोन में बनाना है, निमित्त पहला नम्बर आप बनो। सेवा में तो होशियार हैं ही। प्लैन भी अच्छे-अच्छे बनाते हैं। अच्छा।
गुजरात -- गुजरात ने सेवा का विहंग मार्ग तो दिखाया, बहुत अच्छा किया। अभी गुजरात को नवीनता क्या करनी है? सेवा तो कर ली, अच्छा किया। गुजरात में जगह-जगह पर वारिस क्वालिटी हैं, अभी गुजरात को वारिस क्वालिटी का ग्रुप तैयार करके लाना है। बापदादा को उम्मीद है कि गुजरात से वारिस क्वालिटी निकल सकती है। और है भी लेकिन उन्हों को संगठित रूप में बड़ों के सामने लाओ। ऐसे है ना? वारिस हैं? तो अभी ऐसा ग्रुप लाना। गुजरात एक वारिस क्वालिटी में एक्ज़ाम्पल बनें। वारिस की भाषा तो समझते हैं ना - जो तन से, मन से, सहयोग से सबसे नम्बरवन हो और हर कार्य में हर समय एवररेडी हो? इसको कहा जाता है वारिस। जिस समय बुलावा आवे उस समय हाज़र हो जाये, इसको कहा जाता है - ‘वारिस क्वालिटी।’ हर समय जी हजूर हाज़र। हाज़र हो जाए, हर कार्य में नम्बर आगे आवे - इसको कहा जाता है वारिस। तो गुजरात से ऐसे वारिस निकालने हैं। अच्छा।
कर्नाटक -- अच्छा ग्रुप है। कर्नाटक वाले जितना ही भावना स्वरूप हैं उतना ही हर कार्य में सहयोगी भी बहुत अच्छे हैं। चाहे कोई भी कार्य हो लेकिन संख्या सहयोगी बन जाती है। इसलिए कनार्टक की धरनी सेवाधारी बहुत अच्छी है। कर्नाटक के वी.आई.पीज़ भी बहुत अच्छे भाव-वान होने के कारण सहयोग अच्छा देते हैं इसलिए कर्नाटक वालों को भी चारों ओर के वी.आई.पीज़ का ग्रुप तैयार करना चाहिए और ऐसे वी.आई.पीज़ हैं जो माइक भी बन सकते हैं परन्तु संगठित रूप में उन्हों को पालना चाहिए इसलिए कनार्टक वाले जो निमित्त हैं उन्हों को संगठित रूप में ऐसे वी.आई.पीज़ का ग्रुप तैयार करना चाहिए जो कहाँ भी सेवा के निमित्त बन सकते हैं। वी.आई.पी. की सेवा कर रहे हैं लेकिन मैदान पर लाना चाहिए वह संगठित रूप में कर सकते हो। तो अभी संगठित रूप में करना। अच्छा।
तामिलनाडु-केरला -- तामिलनाडु की विशेषता है जो निमित्त है (रोजी बहन) उसकी हिम्मत बहुत अच्छी है। और निमित्त वाले की हिम्मत होने के कारण चारों ओर स्टूडेण्ट में भी हिम्मत अच्छी है इसलिए हिम्मते बच्चे मददे बाप है ही। बापदादा तामिलनाडु के सेवाधारियों को बहुत-बहुत मुबारक देते हैं। आगे भी सेवा की नई-नई इन्वेन्शन करते रहना और आगे बढ़ते बढ़ाते रहना।
(1-1-99 के शुभ प्रभात पर बापदादा ने सभी बच्चों को 12 बजे के बाद मुबारक दी)
चारों ओर के अति स्नेही समीप ब्राह्मण आत्माओं को नव युग के रचता का मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। यह घड़ी है विदाई और बधाई की। संगम है। पुराने वर्ष को विदाई, पुराने वर्ष के साथ-साथ पुरानी बातें, पुरानी समस्यायें, पुराने संस्कार सबको विदाई और नये उमंग-उत्साह सम्पन्न वर्ष को मुबारक के साथ बधाई भी है, इस वर्ष को सदा मेहनत मुक्त वर्ष मनाना है। इस वर्ष को सदा स्व और सर्व को निर्विघ्न भव के वरदान से मनाना है। इस वर्ष को सदा विजय हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है, - इस निश्चय और नशे को सदा हर कर्म करते भी इमर्ज रखने का वर्ष मनाना। इस वर्ष में हर एक को बापदादा और दादियों द्वारा नम्बरवन जाने का इनाम वा गिफ्ट लेनी है, इसके लिए सभी विदेशी वा भारतवासियों को नम्बरवन का निश्चय रख आगे बढ़ना और बढ़ाना है। तो बहुत-बहुत यादप्यार सहित सब प्रकार की मन्सा से, वाचा से, सब रूप से बापदादा पद्मापद्म गुणा मुबारक दे रहे हैं। अभी एक सेकण्ड सभी पावरफुल संकल्प से, दृढ़ता से पुराने वस्तुओं को, पुराने वर्ष को, पुरानी बातों को सदा के लिए विदाई दो। एक सेकण्ड सभी - ‘दृढ़ता सफलता है’ - इस दृढ़ संकल्प में स्थित हो जाओ।