03-03-2000   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


जन्मदिन की विशेष गिफ्ट - शुभ भाव और प्रेम भाव को इमर्ज कर - क्रोध महाशत्रु पर विजयी बनो

आज बापदादा अपने जन्म के साथियों को, साथ-साथ सेवा के साथियों को देख हर्षित हो रहे हैं। आज आप सभी को भी बापदादा के अलौकिक जन्म, साथ में जन्म साथियों के जन्म-दिवस की खुशी है, क्यों? ऐसा न्यारा और अति प्यारा अलौकिक जन्म और किसी का भी हो नहीं सकता। ऐसा कभी भी नहीं सुना होगा कि बाप का जन्म-दिन भी वही और बच्चों का भी जन्म-दिवस वही। यह न्यारा और प्यारा अलौकिक हीरे तुल्य जन्म आज आप मना रहे हो। साथ-साथ सभी को यह भी न्यारा और प्यारा-पन स्मृति में है कि यह अलौकिक जन्म ऐसा विचित्र है जो स्वयं भगवान बाप बच्चों का मना रहे हैं। परम आत्मा बच्चों का, श्रेष्ठ आत्माओं का जन्म-दिवस मना रहे हैं। दुनिया में कहने मात्र कई लोग कहते हैं कि हमको पैदा करने वाला भगवान है, परम-आत्मा है। परन्तु न जानते हैं, न उसी स्मृति में चलते हैं। आप सभी अनुभव से कहते हो - हम परमात्म-वंशी हैं, ब्रह्मा-वंशी हैं। परम आत्मा हमारा जन्म-दिवस मनाते हैं। हम परमात्मा का जन्म-दिवस मनाते हैं।

आज सब तरफ से यहाँ पहुचे हैं किसलिए? मुबारक देने और मुबारक लेने के लिए। तो बापदादा विशेष अपने जन्म साथियों को मुबारक दे रहे हैं। सेवा के साथियों को भी मुबारक दे रहे हैं। मुबारक के साथ-साथ परम-प्रेम के मोती, हीरों, जवाहरों द्वारा वर्षा कर रहे हैं। प्रेम के मोती देखे हैं ना। प्रेम के मोतियों को जानते हो ना? फूलों की वर्षा, सोने की वर्षा तो सब करते हैं, लेकिन बापदादा आप सभी पर परम-प्रेम, अलौकिक-स्नेह के मोतियों की वर्षा कर रहे हैं। एक गुणा नहीं, पद्म-पद्म-पद्म गुणा दिल से मुबारक दे रहे हैं। आप सब भी दिल से मुबारक दे रहे हैं, वह भी बापदादा के पास पहुँच रही है। तो आज मनाने का और मुबारक का दिन है। मनाने के समय क्या करते हो? बैण्ड बजाते हो। तो बापदादा सभी बच्चों के मन के खुशी की बैण्ड कहो, बाजे, गाने सुन रहे हैं। भक्त लोग पुकारते रहते हैं और आप बच्चे बाप के प्यार में समा जाते हो। समा जाना आता है ना? यह समा जाना ही समान बनाता है।

बापदादा बच्चों को अपने से अलग नहीं कर सकते। बच्चे भी अलग होने चाहते नहीं हैं लेकिन कभी-कभी माया के खेल-खेल में थोड़ा सा किनारा कर लेते हैं। बापदादा कहते हैं - मैं तुम बच्चों का सहारा हूँ, लेकिन बच्चे नटखट होते हैं ना। माया नटखट बना देती है, हैं नहीं, माया बना देती है। तो सहारा से किनारा करा लेती है। फिर भी बापदादा सहारा बन समीप ले आते हैं। बापदादा सभी बच्चों से पूछते हैं कि हर एक - जीवन में क्या चाहता है? फॉरेनर्स दो बातों को बहुत पसन्द करते हैं। डबल फॉरेनर्स के फेवरेट दो शब्द कौन से हैं? (कम्पैनियन और कम्पनी) यह दोनों पसन्द हैं। अगर पसन्द हैं तो एक हाथ उठाओ। भारत वालों को पसन्द हैं? कम्पैनियन भी ज़रूरी है और कम्पनी भी ज़रूरी है। कम्पनी बिना भी नहीं रह सकते और कम्पैनियन बिना भी नहीं रह सकते। तो आप सबको क्या मिला है? कम्पैनियन मिला है? बोलो - हाँ जी या ना जी? (हाँ जी) कम्पनी मिली है? (हाँ जी) ऐसी कम्पनी और ऐसा कम्पैनियन सारे कल्प में मिला था? कल्प पहले मिला था? ऐसा कम्पैनियन जो कभी भी किनारा नहीं करता, कितना भी नटखट हो जाओ लेकिन वह फिर भी सहारा ही बनता है। और जो आपके दिल की प्राप्तियां हैं, वह सर्व प्राप्तियां पूर्ण करता है। कोई अप्राप्ति है? सबकी दिल कहती है या मर्यादा-पूर्वक `हाँ' कहते हो? गाते तो हो - जो पाना था वह पा लिया, या पाना है? पा लिया? अभी पाने का कुछ नहीं है या थोड़ी-थोड़ी आशायें रह गई हैं? सब आशायें पूरी हो गई हैं या रह गई हैं? बापदादा कहता है रह गई हैं। (बाप को प्रत्यक्ष करने की आशा रह गई है) यह तो बाप की आशा है कि सभी बच्चों को मालूम पæड जाए कि बाप आया है और कोई रह न जाये!.... तो यह बापदादा की विशेष आशा है कि सभी को कम से कम मालूम तो पड़ जाए कि हमारा सदा का बाप आया है। लेकिन बच्चों की हद की और आशायें पूरी हो गई हैं, प्रेम की आशायें हैं। हर एक चाहता है - स्टेज पर आयें, यह आशा है? (अब तो बाबा स्वयं सबके पास आते हैं) यह भी आशा पूरी हो गई? सन्तुष्ट आत्मायें हैं, मुबारक हो क्योंकि सभी बच्चे समझदार हैं। समझते हैं कि जैसा समय वैसा स्वरूप बनाना ही है। इसलिए बापदादा भी ड्रामा के बंधन में तो है ना! तो सभी बच्चे हर समय अनुसार सन्तुष्ट हैं और सदा सन्तुष्टमणि बन चमकते रहते हैं। क्यों? आप स्वयं ही कहते हो - पाना था वो पा लिया। यह ब्रह्मा बाप के आदि अनुभव के बोल हैं, तो जो ब्रह्मा बाप के बोल वही सर्व ब्राह्मणों के बोल। तो बापदादा सभी बच्चों को यही रिवाइज करा रहे हैं कि सदा बाप के कम्पनी में रहो। बाप ने सर्व सम्बन्धों का अनुभव कराया है। कहते भी हो कि बाप ही सर्व सम्बन्धी है। जब सर्व सम्बन्धी है तो जैसा समय वैसे सम्बन्ध को कार्य में क्यों नहीं लगाते! और यही सर्व सम्बन्ध का समय प्रति समय अनुभव करते रहो तो कम्पैनियन भी होगा, कम्पनी भी होगी। और कोई साथियों के तरफ मन और बुद्धि जा नहीं सकती। बापदादा आफर कर रहे हैं- जब सर्व सम्बन्ध आफर कर रहे हैं तो सर्व सम्बन्धों का सुख लो। सम्बन्धों को कार्य में लगाओ।

बापदादा जब देखते हैं - कोई-कोई बच्चे कोई-कोई समय अपने को अकेला वा थोड़ा-सा नीरस अनुभव करते हैं तो बापदादा को रहम आता है कि ऐसी श्रेष्ठ कम्पनी होते, कम्पनी को कार्य में क्यों नहीं लगाते? फिर क्या कहते? व्हाई-व्हाई (Why-Why) बापदादा ने कहा `व्हाई' नहीं कहो, जब यह शब्द आता है, व्हाई निगेटिव है और पॉजिटिव है `फ्लाई' (Fly), तो व्हाई-व्हाई कभी नहीं करना, फ्लाई याद रखो। बाप को साथ साथी बनाए फ्लाई करो तो बड़ा मज़ा आयेगा। वह कम्पनी और कम्पैनियन दोनों रूप से सारा दिन कार्य में लाओ। ऐसा कम्पैनियन फिर मिलेगा? बापदादा इतने तक कहते हैं - अगर आप दिमाग से वा शरीर से दोनों प्रकार से थक भी जाओ तो कम्पैनियन आपकी दोनों प्रकार से मालिश करने के लिए भी तैयार है। मनोरंजन कराने लिए भी एवररेडी हैं। फिर हद के मनोरंजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। ऐसा यूज़ करना आता है वा समझते हो बड़े-से-बड़ा बाबा है, टीचर है, सतगुरू है....? लेकिन सर्व सम्बन्ध हैं। समझा - डबल विदेशियों ने?

अच्छा - सभी बर्थ डे मनाने आये हो ना! मनाना है ना! अच्छा जब बर्थ डे मनाते हो, तो जिसका बर्थ डे मनाते हो उसको गिफ्ट देते हो या नहीं देते हो? (देते हैं) तो आज आप सब बाप का बर्थ डे मनाने आये हो। नाम तो शिवरात्रि है, तो बाप का खास मनाने आये हो। मनाने आये हो ना? तो बर्थ डे की आज की गिफ्ट क्या दी? या सिर्फ मोमबत्ती जलायेंगे, केक काटेंगे... यही मनायेंगे? आज क्या गिफ्ट दी? या कल देंगे? चाहे छोटी दो, चाहे मोटी दो, लेकिन गिफ्ट तो देते हैं ना! तो क्या दी? सोच रहे हैं। अच्छा देनी है? देने के लिए तैयार हो? जो बापदादा कहेगा वह देंगे या आप अपनी इच्छा से देंगे? क्या करेंगे? जो बापदादा कहेंगे वह देंगे या अपनी इच्छा से देंगे? (जो बापदादा कहेंगे वह देंगे) देखना, थोड़ी हिम्मत रखनी पड़ेगी। हिम्मत है? मधुबन वाले हिम्मत है? डबल फारेनर्स में हिम्मत है? हाथ तो बहुत अच्छा उठा रहे हैं। अच्छा - शक्तियों में, पाण्डवों में हिम्मत है? भारत वालों में हिम्मत है? बहुत अच्छा। यही बाप को मुबारक मिल गई। अच्छा - सुनायें। यह तो नहीं कहेंगे कि यह तो सोचना पड़ेगा? गा-गा नहीं करना। एक बात बापदादा ने मैजारिटी में देखी है। माइनॉरिटी नहीं मैजारिटी। क्या देखा? जब कोई सरकमस्टांश सामने आता है तो मैजारिटी में एक, दो, तीन नम्बर में क्रोध का अंश, न चाहते भी इमर्ज हो जाता है। कोई में महान क्रोध के रूप में होता, कोई में जोश के रूप में होता, कोई में तीसरा नम्बर चिड़चिड़ेपन रूप में होता है। चिड़चिड़ापन समझते हो? वह भी है क्रोध का ही अंश, हल्का है। तीसरा नम्बर है ना तो वह हल्का है। पहला ज़ोर से है, दूसरा उससे थोड़ा। फिर भाषा तो आजकल सबकी रॉयल हो गई है। तो रॉयल रूप में क्या कहते हैं? बात ही ऐसी है ना, जोश तो आयेगा ही। तो आज बापदादा सभी से यह गिफ्ट लेने चाहते हैं कि - क्रोध तो छोड़ो लेकिन क्रोध का अंश मात्र भी नहीं रहे। क्यों? क्रोध में आकर डिस-सर्विस करते हैं क्योंकि क्रोध होता है दो के बीच में। अकेला नहीं होता है, दो के बीच में होता है तो दिखाई देता है। चाहे मन्सा में भी किसके प्रति घृणा भाव का अंश भी होता है तो मन में भी उस आत्मा के प्रति जोश ज़रूर आता है। तो बापदादा को यह डिस-सर्विस का कारण अच्छा नहीं लगता है। तो क्रोध का भाव अंश मात्र भी उत्पन्न न हो। जैसे ब्रह्मचर्य के ऊपर अटेन्शन देते हो, ऐसे ही काम महाशत्रु, क्रोध महाशत्रु गाया हुआ है। शुभ-भाव, प्रेम-भाव वह इमर्ज नहीं होता है। फिर मूड ऑफ कर देंगे। उस आत्मा से किनारा कर देंगे। सामने नहीं आयेंगे, बात नहीं करेंगे। उसकी बातों को ठुकरायेंगे। आगे बढ़ने नहीं देंगे। यह सब मालूम बाहर वालों को भी पड़ता है फिर भले कह देते हैं, आज इसकी तबियत ठीक नहीं है, बाकी कुछ नहीं है। तो क्या जन्म-दिवस की यह गिफ्ट दे सकते हो? जो समझते हैं कोशिश करेंगे, वह हाथ उठाओ। सौगात देने के लिए सोचेंगे, कोशिश करेंगे वह हाथ उठाओ। सच्ची दिल पर भी साहेब राज़ी होता है। (कई भाई-बहनें खड़े हुए) धीरे-धीरे उठ रहे हैं। सच बोलने की मुबारक हो। अच्छा जिन्होंने कहा कोशिश करेंगे, ठीक है कोशिश भले करो लेकिन कोशिश के लिए कितना समय चाहिए? एक मास चाहिए, 6 मास चाहिए, कितना चाहिए? छोड़ेंगे या छोड़ने का लक्ष्य ही नहीं है? जिन्होंने कहा कोशिश करेंगे वह फिर से उठो। जो समझते हैं कि हम दो तीन मास में कोशिश करके छोड़ेंगे वह बैठ जाओ। और जो समझते हैं 6 मास चाहिए, अगर 6 मास पूरा लगे भी तो कम करना, इस बात को छोड़ना नहीं क्योंकि यह बहुत ज़रूरी है। यह डिस-सर्विस दिखाई देती है। मुख से नहीं बोलो, शक्ल बोलती है। इसलिए जिन्होंने हिम्मत रखी है उन सब पर बापदादा ज्ञान, प्रेम, सुख, शान्ति के मोतियों की वर्षा कर रहे हैं। अच्छा।

बापदादा रिटर्न सौगात में यह विशेष सभी को वरदान दे रहे हैं - जब भी गलती से भी, न चाहते हुए भी कभी क्रोध आ भी जाए तो सिर्फ दिल से - ``मीठा बाबा'' शब्द कहना, तो बाप की एक्स्ट्रा मदद हिम्मत वालों को अवश्य मिलती रहेगी। मीठा बाबा कहना, सिर्फ बाबा नहीं कहना, ``मीठा बाबा'' तो मदद मिलेगी, ज़रूर मिलेगी क्योंकि लक्ष्य रखा है ना। तो लक्ष्य से लक्षण आने ही हैं। मधुबन वाले हाथ उठाओ। अच्छा - करना ही है ना! (हाँ जी) मुबारक हो। बहुत अच्छा। आज खास मधुबन वालों को टोली देंगे। मेहनत बहुत करते हैं। क्रोध के लिए नहीं देते हैं, मेहनत के लिए देते हैं। सभी समझेंगे हाथ उठाया है, इसलिए टोली देते हैं। मेहनत बहुत अच्छी करते हैं। सबको सेवा से सन्तुष्ट करना, यह तो मधुबन का एक्जैम्पुल है। इसलिए आज मुख मीठा करायेंगे। आप सब इन्हों का मुख मीठा देख, मीठा मुख कर लेना, खुशी होगी ना। यह भी एक ब्राह्मण परिवार का कल्चर है। आजकल आप लोग `कल्चर आफ पीस' का प्रोग्राम बना रहे हो ना। तो यह भी फर्स्ट नम्बर का कल्चर है -``ब्राह्मण कुल की सभ्यता''। बापदादा ने देखा है, यह दादी जब सौगात देती है ना, उसमें एक बोरी का थैला होता है। उसमें लिखत होती है -``कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो''। तो आज बापदादा यह सौगात दे रहे हैं, बोरी वाला थैला नहीं देते, वरदान में यह शब्द देते हैं। हर एक ब्राह्मण के चेहरे और चलन में ब्राह्मण कल्चर प्रत्यक्ष हो। प्रोग्राम तो बनायेंगे, भाषण भी करेंगे लेकिन पहले स्व में यह सभ्यता आवश्यक है। हर एक ब्राह्मण मुस्कराता हुआ हर एक से सम्पर्क में आये। कोई से कैसा, कोई से कैसा नहीं। किसको देखकर अपना कल्चर नहीं छोड़ो। बीती बातें भूल जाओ। नये संस्कार सभ्यता के जीवन में दिखाओ। अभी दिखाना है, ठीक है ना! (सभी ने कहा - हाँ जी)

यह बहुत अच्छा है, डबल फॉरेनर्स मैजारिटी `हाँ जी' करने में बहुत अच्छे हैं। अच्छा है - भारतवासियों की तो एक मर्यादा ही है - ``हाँ जी करना।'' सिर्फ माया को `ना जी' करो, बस और आत्माओं को हाँ जी, हाँ जी करो। माया को ना-जी, ना-जी करो। अच्छा। सभी ने जन्म दिवस मना लिया? मनाया, गिफ्ट दे दी, गिफ्ट ले ली।

अच्छा - आपके साथ-साथ और भी जगह-जगह पर सभायें लगी हुई हैं। कहाँ छोटी सभायें हैं, कहाँ बड़ी सभायें हैं, सभी सुन रहे हैं, देख रहे हैं। उन्हों को भी बापदादा यही कहते कि आज के दिन की आप सबने भी सौगात दी या नहीं? सब कह रहे हैं, हाँ जी बाबा। अच्छे हैं, दूर बैठे भी जैसे सामने ही सुन रहे हैं क्योंकि साइन्स वाले जो इतनी मेहनत करते हैं, मेहनत तो बहुत करते हैं ना। तो सबसे ज्यादा फायदा ब्राह्मणों को होना चाहिए ना! इसलिए जब से संगमयुग आरम्भ हुआ है तब से यह साइन्स के साधन भी बढ़ते जा रहे हैं। सतयुग में तो आपके देवता रूप में यह साइन्स सेवा करेगी लेकिन संगमयुग में भी साइन्स के साधन आप ब्राह्मणों को मिल रहे हैं और सेवा में भी, प्रत्यक्षता करने में भी यह साइन्स के साधन बहुत विशाल रूप से सहयोगी बनेंगे। इसलिए साइन्स के निमित्त बनने वाले बच्चों को भी बापदादा मेहनत की मुबारक देते हैं।

बाकी बापदादा ने देखा मधुबन में भी देश-विदेश से बहुत शोभनिक- शोभनिक कार्ड, पत्र और कोई द्वारा यादप्यार मैसेज भेजे हैं। बापदादा उन्हों को भी विशेष यादप्यार और जन्म दिवस की पदम-पदम-पदम-पदम-पदम गुणा मुबारक दे रहे हैं। सब बच्चे बापदादा के नयनों के सामने आ रहे हैं। आप लोगों ने तो सिर्फ कार्ड देखे, लेकिन बापदादा बच्चों को भी नयनों से देख रहे हैं। बहुत स्नेह से भेजते हैं और उसी स्नेह से बापदादा ने स्वीकार किया है। कईयों ने अपनी अवस्थायें भी लिखी हैं तो बापदादा कहते हैं - उड़ो और उड़ाओ। उड़ने से सब बातें नीचे रह जायेंगी और आप सदा ऊँचे ते ऊँचे बाप के साथ ऊँचे रहेंगे। सेकण्ड में स्टॉप और स्टॉक शक्तियों का, गुणों का इमर्ज करो। अच्छा।

चारों ओर के सर्व श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें, सदा बाप के कम्पनी में रहने वाले, बाप को कम्पैनियन बनाने वाले स्नेही आत्मायें, सदा बाप के गुणों के सागर में समाने वाले समान बापदादा की श्रेष्ठ आत्मायें, सदा सेकण्ड में बिन्दी लगाने वाले मास्टर सिन्धु स्वरूप आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और बहुत-बहुत मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। नमस्ते तो बापदादा हर समय, हर बच्चे को करते हैं, आज भी नमस्ते।

एज्युकेशन विंग - एज्युकेशन वाले हाथ उठाओ। एज्युकेशन वाले अपनी श्रेष्ठ एज्युकेशन समय प्रति समय प्रत्यक्ष कर रहे हैं और करते रहना क्योंकि ऐसी एज्युकेशन जो मानव को ऐसा श्रेष्ठ बनावे जो एक जन्म नहीं लेकिन अनेक जन्म के लिए आत्मा को कोई अप्राप्ति नहीं रहे। आजकल की एज्युकेशन, एज्युकेट तो बना देती लेकिन सर्व जीवन की प्राप्तियां एक जन्म के लिए भी नहीं करा सकती। कोई भी स्टूडेन्ट को यह गैरन्टी नहीं कि पढ़ाई के बाद भविष्य क्या! लेकिन आप उन्हों को स्पष्ट कर सकते हो कि इस एज्युकेशन से क्या गैरन्टी है, प्राप्तियों की। एक जन्म की नहीं लेकिन जन्म-जन्म के लिए। इसलिए स्टूडेन्ट्स को उमंग और हिम्मत की बातें बताकर इस एज्युकेशन के महत्त्व को स्पष्ट करो। वर्तमान क्या मिलता है और भविष्य क्या मिलता है - दोनों ही स्पष्ट कर सकते हैं और कितनी सरल एज्युकेशन है। कम खर्चा बालानशीन की एज्युकेशन है। ऐसे हिम्मत और खुशी की बातें बताओ। समझा। अच्छा।

यूथ विंग - यूथ विंग वाले हाथ उठाओ। आप लोग तो गीत गाते हो कि यूथ की क्या-क्या ज़िम्मेवारी है। गीत बना हुआ है ना! यूथ का विशेष विश्व-परिवर्तन में विशेष पार्ट है क्योंकि आलमाइटी गवर्मेन्ट और आज की गवर्मेन्ट दोनों को यूथ में बहुत उम्मीदें हैं। इसलिए यूथ परिवर्तन का स्तम्भ बन सकते हैं। बहुत करके यूथ जब कोई कार्य करते हैं तो मशाल आगे लेकर आरम्भ करते हैं। तो आप ब्राह्मण यूथ अपने चलन और चेहरे में ऐसा मशाल दिखाओ जो सबकी नज़र न चाहते भी आपके ऊपर ही आवे। अभी जहाँ-जहाँ भी यूथ ने सेवा की है, वहाँ के सहयोगी वा सम्पर्क वाले ग्रुप को इकट्ठे करो। पहले एक-एक शहर में करो, फिर ज़ोन में करो। फिर ऐसा ग्रुप आबू में लाना। तो सेवा का प्रत्यक्ष स्वरूप संगठन में दिखाई दे। समझा। अच्छा।

पंजाब के सेवाधारी - अच्छा है यह सेवा का चांस, बेहद की कारोबार सिखाता है। सतयुग में राजधानी सम्भालेंगे तो सम्भालने का अभ्यास तो यहाँ ही डालना है ना। तो हर एक ज़ोन को यह अच्छा चांस मिलता है। ब्राह्मणों को सेवा से सन्तुष्ट करने का और सन्तुष्टता से दुआयें जमा करने का। तो अनुभव किया पंजाब वालों ने? सम्भालने का अनुभव होता जाता है ना! बेहद का सम्भालना। सेन्टर पर तो हद का हो जाता है ना। बेहद का राज्य सम्भालना है, उसके संस्कार भरते जाते हैं। सेवा के साथ-साथ राज्य चलाने की ट्रेनिंग भी मिलती रहती है। समीप भी आते हैं। सेवा से समीपता स्वत: ही आती है। तो बहुत अच्छा किया और सदा ही अच्छे ते अच्छा होना ही है। ठीक है ना - पंजाब वाले। टीचर्स हाथ उठाओ। अच्छा लगा ना। पंजाब के सेवाधारी हाथ उठाओ। सेवाधारी मातायें हाथ उठाओ। बहुत अच्छा।

डबल विदेशी - आज की सभा में डबल विदेशियों का ग्रुप भी बड़ा है और सामने भी बैठे हैं। नाम ही डबल विदेशी है। तो अपना ओरिजिनल विदेश, तो डबल विदेशी नाम सुनने से ही याद आता। जब और भी कोई आप सभी को डबल विदेशी कहते हैं तो उन्हों को भी याद आता और आप सबको तो है ही। डबल विदेशियों को बापदादा सदा मैजारिटी को हिम्मत में और साफ दिल में आगे रखते हैं। कुछ भी हो जाता लेकिन हिम्मत रख आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ते रहेंगे। बापदादा को सबसे समीप रत्न वही लगता है जिसमें सफाई और सच्चाई है। दिल साफ और सच्ची है तो वह बच्चे चाहे कितना भी दूर हों लेकिन वह सबसे समीप बापदादा के दिल पर रहते हैं। इसलिए इस विशेषता को सदा ही सामने रख अपनी विशेषता को बढ़ाते रहना। यह समीप आने का बहुत सहज साधन है। वैसे तो सभी के लिए है, भारतवासियों के लिए भी है। लेकिन डबल विदेशियों में मैजारिटी में यह विशेषता है, अब इसी विशेषता को अपने में भी बढ़ाओ और बढ़ाते-बढ़ाते समीप आते-आते समान बन ही जाना है। ठीक है ना!

बापदादा सदा अमृतवेले वरदानों की झोली ले चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। अच्छा। डबल विदेशी बच्चों को विशेष हिम्मत में आगे बढ़ने की और जन्म-दिन की डबल मुबारक।

(बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा लहराया, 64 वीं शिवजयन्ति निमित्त 64 मोमबत्ती जलाई तथा सभी बच्चों को शिव जयन्ती की बधाईयां दी)

सभी ने अपनी बर्थ डे भी मनाई, झण्डा भी लहराया। अभी हर एक आत्मा के दिल में यह झण्डा लहराना। आप सबके दिलों में तो बाप का झण्डा लहराता रहता है, अभी विश्व कहे - ``मेरा बाबा'', यह आवाज़, जैसे नगाड़ा बजता है तो बुलन्द आवाज़ से बजता है। ऐसे ही - ``मेरा बाबा'' यह नगाड़ा ज़ोर-शोर से बजे। यही सभी बच्चों के दिल की आश है। होना ही है। अनेक बार हुआ है, अब फिर से रिपीट होना ही है। उस दिन सभी मिलकर कौन सा गीत गायेंगे? - वाह बाबा वाह! और वाह ड्रामा वाह! सबके दिल में बाबा, बाबा और बाबा ही होगा। दिखाई दे रहा है ना - वह दिन! दिखाई देता है? वह दिन आया कि आया। सभी को मुबारक तो मिल गई है। आप सबको मुबारक है ही और सर्व को इस दिवस वी मुबारक दिलानी है। अवतरण-दिवस, जन्म-दिवस, परिवर्तन-दिवस, प्रत्यक्षता-दिवस आना ही है। अच्छा। सबको आज के दिवस की गोल्डन नाईट, डायमण्ड नाईट।

अच्छा - ओमशान्ति।