30-11-05 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
"समय की समीपता प्रमाण स्वयं को हद के बन्धनों से मुक्त कर सम्पन्न और समान बनो"
आज चारों ओर के सम्पूर्ण समान बच्चों को देख रहे हैं। समान बच्चे ही बाप के दिल में समाये हुए हैं। समान बच्चों की विशेषता है वह सदा निर्विघ्न, निर्विकल्प, निमार्कण और निर्मल होंगे। ऐसी आत्मायें सदा स्वतन्त्र होती हैं, किसी भी प्रकार के हद के बन्धन में बंधायमान नहीं होती। तो अपने आप से पूछो ऐसी बेहद की स्वतन्त्र आत्मा बने हैं! सबसे पहली स्वतन्त्रता है देहभान से स्वतन्त्र। जब चाहे तब देह का आधार ले, जब चाहे देह से न्यारे हो जाए। देह की आकर्षण में नहीं आये। दूसरी बात - स्वतन्त्र आत्मा कोई भी पुराने स्वभाव और संस्कार के बन्धन में नहीं होगी। पुराने स्वभाव और संस्कार से मुक्त होगी। साथ-साथ किसी भी देहधारी आत्मा के सम्बन्ध-सम्पर्क में आकर्षित नहीं होगी। सम्बन्ध-सम्पर्क में आते न्यारे और प्यारे होंगे। तो अपने को चेक करो - कोई भी छोटी सी कर्मेन्द्रियाँ बन्धन में तो नहीं बांधती? अपना स्वमान याद करो - मास्टर सर्वशक्तिवान, त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री, स्वदर्शन चक्रधारी, उसी स्वमान के आधार पर क्या सर्वशक्तिवान के बच्चे को कोई कर्मेन्द्रिय आकर्षित कर सकती? क्योंकि समय की समीपता को देखते अपने को देखो - सेकण्ड में सर्व बन्धनों से मुक्त हो सकते हो? कोई भी ऐसा बन्धन रहा हुआ तो नहीं है? क्योंकि लास्ट पेपर में नम्बरवन होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है, सेकण्ड में जहाँ, जैसे मन-बुद्धि को लगाने चाहो वहाँ सेकण्ड में लग जाये। हलचल में नहीं आये। जैसे स्थूल शरीर द्वारा जहाँ जाने चाहते हो, जा सकते हो ना। ऐसे बुद्धि द्वारा जिस स्थिति में स्थित होने चाहो उसमें स्थित हो सकते हो? जैसे साइंस द्वारा लाइट हाउस, माइट हाउस होता है, तो सेकण्ड में स्विच आन करने से लाइट हाउस चारों ओर लाइट देने लगता है, माइट देने लगते हैं। ऐसे आप स्मृति के संकल्प का स्विच आन करने से लाइट हाउस, माइट हाउस होके आत्माओं को लाइट, माइट दे सकते हो? एक सेकण्ड का आर्डर हो अशरीरी बन जाओ, बन जायेंगे ना। कि युद्ध करनी पड़ेगी? यह अभ्यास बहुतकाल का ही अन्त में सहयोगी बनेगा। अगर बहुतकाल का अभ्यास नहीं होगा तो उस समय अशरीरी बनना, मेहनत करनी पड़ेगी। इसलिए बापदादा यही इशारा देते हैं - कि इस अभ्यास को सारे दिन में कर्म करते हुए भी अभ्यास करो। इसके लिए मन के कन्ट्रोलिंग पावर की आवश्यकता है। अगर मन कन्ट्रोल में आ गया तो कोई भी कर्मेन्द्रिय वशीभूत नहीं कर सकती। अभी सर्व आत्माओं को आपके द्वारा शक्ति का वरदान चाहिए। आत्माओं की आप मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं के प्रति यही शुभ इच्छा है कि बिना मेहनत के वरदान द्वारा, दृष्टि द्वारा, वायब्रेशन द्वारा हमें मुक्त करो। अभी मेहनत करके सब थक गये हैं। आप सब तो मेहनत से मुक्त हो गये हो ना! कि अभी भी मेहनत करनी पड़ती है? सुनाया था - मेहनत से मुक्त होने का सहज साधन है दिल से बाप के अति स्नेही बन जाना। आप ब्राह्मण आत्माओं का जन्म का वायदा है, याद है वायदा? जब बाप ने अपना बनाया, ब्राह्मण जीवन दी तो ब्राह्मण जीवन का आप सबका वायदा क्या है? एक बाप दूसरा न कोई। याद है वायदा? याद है? कांध हिलाओ। अच्छा हाथ हिला रहे हैं। याद है पक्का या कभी-कभी भूल जाता है? देखो 63 जन्म तो भूलने वाले बने, अब यह एक जन्म स्मृति स्वरूप बने हो। तो बाप बच्चों से पूछ रहे हैं बचपन का वायदा याद है? कितना सहज करके दिया है - एक बाप में संसार है। एक बाप से सर्व सम्बन्ध हैं। एक बाप से सर्व प्राप्तियां हैं। एक ही पढ़ाने वाला भी है और पालना करने वाला भी है। सबमें एक है। चाहे परिवार भी है, ईश्वरीय परिवार लेकिन परिवार भी एक बाप का है। अलग-अलग बाप का परिवार नहीं है। एक ही परिवार है। परिवार में भी एक दो में आत्मिक स्नेह है, स्नेह नहीं आत्मिक स्नेह। बापदादा याद दिला रहे हैं, जन्म के वायदे। और क्या वायदा किया? सभी ने बड़े उमंग-उत्साह से बाप के आगे दिल से कहा, सबकुछ आपका है। तन-मन-धन सब आपका है। तो दी हुई चीज़ बाप की अमानत के रूप में बाप ने कार्य में लगाने के लिए दिया है, आपने बाप को दे दी, दे दी है ना? या वापस थोड़ा-थोड़ा ले लेते हो? वापस लेते हो तो अमानत में ख्यानत हो जाती है। कोई-कोई बच्चे कहते हैं, रूहरिहान करते हैं ना तो कहते हैं मेरा मन परेशान रहता है, मेरा मन आया कहाँ से? जब मेरा तेरे को अर्पण किया, तो मेरा मन आया कहाँ से? आप सभी तो बिन कौड़ी बादशाह हो गये, अभी आपका कुछ नहीं रहा, बिन कौड़ी हो गये लेकिन बादशाह हो गये। क्यों? बाप का खज़ाना वह आपका खज़ाना हो गये, तो बादशाह हो गये ना। परमात्म खज़ाना वह बच्चों का खज़ाना। तो बापदादा वायदे याद दिला रहे हैं। तेरे में मेरा नहीं करो। बाप कहते हैं - जब बाप ने आप सबको परमात्म खज़ानों से मालामाल कर दिया, जिम्मेवारी बाप ने ले ली, किन शब्दों में? आप मुझे याद करो तो सर्वप्राप्ति के अधिकारी हो ही। सिर्फ याद करो। और आपने कहा हम आपके, आप हमारे। यह वायदा है ना! तो बाप कहते हैं खज़ानों को सदा स्व प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति कार्य में लगाओ। जितना कार्य में लगायेंगे उतना ही खज़ाना बढ़ता जायेगा। सर्वशक्तियों का खज़ाना, सर्व शक्तियाँ कार्य में लगाओ। सिर्फ बुद्धि में नॉलेज नहीं रखो मैं सर्वशक्तिवान हूँ, लेकिन सर्व शक्तियों को समय प्रमाण कार्य में लगाओ और सेवा में लगाओ।
बापदादा ने मैजॉरिटी बच्चों के पोतामेल में देखा है दो शक्तियाँ अगर सदा याद रहें और कार्य में समय पर लगाओ तो सदा ही निर्विघ्न रहो। विघ्न की ताकत नहीं है आपके आगे आने की। यह बाप की गैरन्टी है। वैसे तो सर्वशक्तियाँ चाहिए लेकिन मैजारिटी देखा गया कि सहनशक्ति और रियलाइजेशन की शक्ति, रियलाइज करते भी हो लेकिन उसको प्रैक्टिकल में स्वरूप में लाने में अटेन्शन कम है। इसलिए जिस समय रियलाइज करते हो उस समय चलन और चेहरा बदल जाता है। बहुत अच्छे उमंग-उत्साह में आते हो। हाँ रियलाइज किया लेकिन फिर क्या हो जाता है? अनुभवी तो सभी हैं ना ! फिर क्या हो जाता है? उसको हर समय स्वरूप में लाना, उसकी कमी हो जाती है। क्योंकि यहाँ स्वरूप बनना है। सिर्फ बुद्धि से जानना अलग चीज़ है, लेकिन उसको स्वरूप में लाना, इसकी आवश्यकता है। कभी-कभी बापदादा को कोई-कोई बच्चों पर रहम भी आता है, बाप समझते हैं बच्चे से मेहनत नहीं होती है तो बच्चे के बजाए बाप ही कर ले। लेकिन ड्रामा का राज़ है जो करेगा वह पायेगा। इसलिए बापदादा सहयोग जरूर देता है लेकिन करना फिर भी बच्चे को ही पड़ता है।
बापदादा ने देखा है बच्चे संकल्प बहुत अच्छे-अच्छे करते हैं। अमृतवेले बापदादा के पास अच्छे-अच्छे संकल्पों की बहुत-बहुत मालायें आती हैं। यह करेंगे, यह करेंगे, यह करेंगे...., बापदादा भी खुश हो जाते हैं, वाह! बच्चे वाह! फिर करने में कमज़ोर क्यों बन जाते हैं? इसका कारण देखा गया - ब्राह्मण परिवार में संगठन का वायुमण्डल। कहाँ-कहाँ वायुमण्डल कमज़ोर भी होता है, उसका असर जल्दी पड़ जाता है। फिर उन्हों की भाषा बतायें क्या होती है? भाषा बड़ी मीठी होती है, भाषा होती है यह तो चलता है, यह तो होता है.. ऐसे समय पर क्या संकल्प करो! यह होता है, यह चलता है, यह अलबेलापन लाता है लेकिन उस समय इस भाषा को परिवर्तन करो कि बाप का फरमान क्या है? बाप की पसन्दी क्या है? बाप किस बात को पसन्द करता है? बाप ने यह कहा है? किया है? अगर बाप याद आ गया तो अलबेलापन समाप्त हो, उमंग-उत्साह आ जायेगा। अलबेलापन भी कई प्रकार का आता है। आप लोग आपस में क्लास करना, लिस्ट निकालना, एक है साधारण अलबेलापन, एक है रॉयल अलबेलापन। तो अलबेलापन दृढ़ता नहीं लाता है और दृढ़ता सफलता का साधन है। इसलिए संकल्प तक रह जाता है लेकिन स्वरूप में नहीं आता। तो आज क्या सुना? वायदे याद कराये हैं ना! वायदे इतने अच्छे अच्छे करते, बापदादा इतना खुश हो जाते वायदे सुनके। लेकिन जितने वायदे करते हो ना उतना फायदा नहीं उठाते। तो बापदादा यही चाहते हैं, पूछते हैं ना बाप क्या चाहते हैं हमसे? तो बापदादा यही चाहते हैं कि समय से पहले सब एवररेडी बन जाओ। समय आपका मास्टर नहीं बने। समय के मास्टर आप हो इसलिए यही बापदादा चाहता है कि समय के पहले सम्पन्न बन विश्व की स्टेज पर बाप के साथ-साथ आप बच्चे भी प्रत्यक्ष हो। अच्छा।
जो नये नये बच्चे आये हैं मिलने के लिए, वह हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ, लम्बा। अच्छा - बापदादा नय नये बच्चों को देख खुश होते हैं कि भाग्यवान बच्चे अपना भाग्य लेने के लिए पहुँच गये हैं। इसलिए मुबारक हो, मुबारक हो। अभी जो भी नये बच्चे आये हैं उनमें से देखेंगे कमाल कौन करके दिखाता है? भले आये पीछे हैं लेकिन आगे जाके दिखाओ। बापदादा के पास तो सब रिजल्ट पहुंचती है। अच्छा।
सेवा का टर्न दिल्ली-आगरा का है:- अच्छा दिल्ली वाले उठो, हाथ हिलाओ। बहुत अच्छा किया है, चांस लिया है। टीचर्स भी बहुत आई हैं। अच्छा है। टीचर्स को देखकर बापदादा खुश होते हैं। क्यों? बाप की गद्दी के अधिकारी बने हो। बापदादा टीचर्स को सदा भाई कहते हैं। बाप समान सेवाधारी बने और प्रवृत्ति में रहने वाले जो भी आये हैं, कुमारियाँ भी आई हैं, कुमार भी आये हैं। अभी देहली में कोई नवीनता करके दिखाओ। मेगा प्रोग्राम भी हो गये, कानफरेन्स भी बहुत हुई, वर्गों के प्रोग्राम भी बहुत हुए हैं, अभी नवीनता क्या करनी है? कोई नया प्लैन बनाया है दिल्ली वालों ने? बनाया है? बना रहे हैं? बापदादा के पास वर्गों की सेवा की रिपोर्ट आती है लेकिन हर एक वर्ग ने जो इतना वर्ष सेवा की है, उसमें फास्ट तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप कितना निकला हर वर्ग का, वह नहीं लाया है। गुलदस्ता नहीं लाया है अभी। चलो बड़ी माला को छोड़ो, गुलदस्ता तो लाओ। हर एक वर्ग के कोई ऐसे एक्जैम्पुल चाहिए जो माइक भी हो और माइट भी हो सिर्फ माइक नहीं, माइट भी हो माइक भी हो। जिसका अनुभव सुनकर औरों में भी उमंग आ जाए। बापदादा हर वर्ग का चाहता है। जो ग्रुप वर्ल्ड में सेवा के योग्य बन जाये। अच्छा है, दिल्ली वाले दिल्ली को राजधानी बनाना है, तो पहले तो दिल्ली में ऐसा वायुमण्डल पैदा करो। दिल्ली का आवाज तो चारों ओर सहज ही फैलता है, यह तो बात है ही। अच्छा किया है, चांस लिया है। आधा क्लास तो दिल्ली दिखाई दे रहा है। अभी नवीनता, दूसरे बारी कोई नवीनता लेके ही आना, सिर्फ दिल्ली को ही नहीं कह रहे हैं, कोई भी जोन कोई नया प्लैन बनाके आये उसको बापदादा एक्स्ट्रा स्नेह शक्ति का वरदान देंगे। जो कर रहे हैं वह तो कर रहे हैं, नया कोई प्लैन हो। यह यात्रा निकालना, फार्म भराना, यह बहुत हो चुका। अभी कोई नया प्लैन बनाओ। कान्रेन्सफ भी बहुत हो गई, प्रोग्राम भी बहुत हो गये। सोचो। दिल्ली को नम्बरवन होना चाहिए क्योंकि दिल्ली में सबकी नजर है। और देखो ड्रामानुसार सेवा का आदि स्थान दिल्ली रहा। चाहे जमुना किनारा ही था लेकिन आरम्भ तो हुआ ना। जमुना किनारे पर राज्य करना है, तो जमुना किनारे पर ही सेवा आरम्भ की। अभी इसमें भी नम्बरवन लो। हैं, अच्छे अच्छे हैं, नया प्लैन बनाने वाले हैं, बापदादा देखते हैं, है। देख रहे हैं। तो मुबारक हो दिल्ली वालों को, लेकिन नया प्लैन लगायेंगे तो पदमगुणा मुबारक देंगे।
950 यूथ आये हैं:- अच्छा, बड़ा ग्रुप आया है। बापदादा ने समाचार तो सुना। यात्रा का प्लैन बना रहे हैं। लेकिन बापदादा यह चाहते हैं कि जो भी सब जोन हैं, जहाँ तहाँ जोन हैं, और सारे ब्राह्मण परिवार के यूथ कितने हैं, और क्या-क्या उन्हों में परिवर्तन आया है, वह प्रैक्टिकल नाम, स्थान और परिवर्तन, उसका प्रैक्टिकल लिखित हो जो गवर्मेन्ट को दिया जाए। गवर्मेन्ट तो खुद यूथ को बुलायेगी लेकिन पहले चारों ओर के यूथ के नाम स्थान और परिवर्तन शार्ट में, लम्बा चौड़ा नहीं, परिवर्तन का बुक, नाम स्थान का बुक हो, जो उन्हों को दिखाया जाए। फिर वह यूथ को आपेही निमन्त्रण देंगे। तो ऐसा प्लैन बनाओ। अभी कितने आये हैं? (950) तो थोड़े हैं ना! हजारों के करीब यूथ होंगे। उनका एक बुक बनाओ अच्छा, परिवर्तन सहित क्योंकि लोग सिर्फ यह नहीं देखते परिवर्तन क्या हुआ और उसमें परिपक्व हैं? यह रिजल्ट चाहिए। क्योंकि गवर्मेन्ट यूथ के पीछे खर्चा भी बहुत कर रही है। परिवर्तन की कोई कमाल दिखाओ। अच्छा है, फिर भी बापदादा ने देखा है कि यूथ वर्ग कुछ न कुछ कार्य करता रहता है। अटेन्शन है सेवा का। इसलिए परिवर्तन करके दिखाओ। ट्रेनिंग की है ना! यह सब ट्रेनिंग में आये हैं ना! तो ट्रेनिंग को प्रैक्टिकल में रिजल्ट में दिखाना फिर सारा परिवार आपको मुबारक देगा। अच्छा।
डबल विदेशी:- अच्छा है डबल विदेशी स्व पर और सेवा पर अटेन्शन अच्छा दे रहे हैं। लेकिन सिर्फ इसमें एक मात्रा लगानी है। अण्डरलाइन करनी है, जो परिवर्तन का संकल्प लेते हो और अच्छा उमंग-उत्साह, हिम्मत से लेते हो, सिर्फ इसको अण्डरलाइन करते जाओ, करना ही है। बदलना ही है। बदलकर विश्व को बदलना है। यह दृढ़ता की अण्डरलाइन बार-बार करते जाओ। बाकी बापदादा खुश है, वृद्धि भी कर रहे हैं और सेवा और स्व के ऊपर अटेन्शन भी है। लेकिन पूरा टेन्शन नहीं गया है, अटेन्शन है थोड़ा बीच-बीच में टेन्शन भी है, वह समाप्त करना ही है। बाकी हिम्मत अच्छी है। हिम्मत की मुबारक है, सभी जो भी बैठे हैं बाप सहित आपके हिम्मत की मुबारक दे रहे हैं। ताली बजाओ। अच्छा। आप तो यहाँ बैठे हो लेकिन बापदादा को दूर बैठे बहुत बच्चों का यादप्यार मिला है, और बापदादा एक-एक बच्चे को नयनों में समाते हुए बहुत-बहुत दिल की दुआयें दे रहे हैं। चाहे भारत से, चाहे विदेश से, बहुत बच्चों की याद आ रही है, पत्र आते हैं, ईमेल आते हैं, सब बाबा के पास पहुँच गये हैं। अच्छा।
बापदादा एक सेकण्ड में अशरीरी भव की ड्रिल देखने चाहते हैं, अगर अन्त में पास होना है तो यह ड्रिल बहुत आवश्यक है। इसलिए अभी इतने बड़े संगठन में बैठे एक सेकण्ड में देहभान से परे स्थिति में स्थित हो जाओ। कोई आकर्षण आकर्षित नहीं करे। (ड्रिल) अच्छा।
चारों ओर के तीव्र पुरूषार्थी बच्चों को, सदा स्व-परिवर्तन और विश्व परिवर्तन की सेवा में तत्पर रहनेवाले विशेष आत्माओं को, सदा ब्रह्मा बाप समान कर्मयोगी, कर्म की, कर्मेन्द्रियों की आकर्षण से मुक्त आत्माओं को, सदा दृढ़ता को हर संकल्प, हर बोल, हर कर्म में स्वरूप में लाने वाले बाप के समीप और समान बच्चों को बापदादा का दिल की दुआयें और दिल का यादप्यार स्वीकार हो और नमस्ते।
दादी जी से:- तन्दरूस्त हो गई। अभी बीमारी गई। बीमारियाँ महारथियों से विदाई लेने के लिए आती हैं। अन्दर ही अन्दर कमार्कतीत बनने का रिहर्सल कर रही है। (दादी जानकी कह रही हैं दादी बेफिकर बादशाह है) आप फिकर वाली हैं क्या? आप भी बेफिकर। दोनों ही पार्ट अच्छा बजा रही हैं। देखो, सबसे बड़े ते बड़ा जिम्मेवारी का ताज पहनने वाली निमित्त तो बनी ना। यह सब साथी हैं, पूँछ नहीं हैं। आप लोगों को देखके उमंग-उत्साह आता है ना। (अभी क्या नया करना है? बाबा ही कुछ प्रेरणा दे) बापदादा ने सुनाया कि हर वर्ग का गुलदस्ता जो माइक भी हो और माइट भी हो। सिर्फ माइक और सम्पर्क वाला नहीं, सम्बन्ध में भी नजदीक हो, ऐसा गुलदस्ता निकालो। फिर वह ग्रुप निमित्त बनेगा सेवा करने के। वह माइक बनेगा और आप माइट बनेंगी। उनके जिगर से निकले बाबा, तभी प्रभाव पड़ेगा। उन्हों को सम्बन्ध में नजदीक लाओ। कभी-कभी होता है ना, तो नशा थोड़ा कम हो जाता है। सम्बन्ध सम्पर्क में जहाँ भी आवें वहाँ सम्बन्ध और सम्पर्क रहे तो ठीक हो जायेंगे। अच्छा।
(मोहिनी बहन के घुटने का आपरेशन बहुत अच्छा हो गया है, आपको बहुत-बहुत दिल से याद दी है) उसको कहना कि बापदादा ने भी आपकी हिम्मत पर बहुत-बहुत दिल से दुआयें और यादप्यार दी है। सबका प्यार भी है। अच्छा।