03-03-07 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘परमात्म संग में, ज्ञान का गुलाल, गुण और शक्तियों का रंग लगाना ही सच्ची होली मनाना है’’
आज बापदादा अपने लकीएस्ट और होलीएस्ट बच्चों से होली मनाने आये हैं। दुनिया वाले तो कोई भी उत्सव सिर्फ मनाते हैं लेकिन आप बच्चे सिर्फ मनाते नहीं, मनाना अर्थात् बनना। तो आप होली अर्थात् पवित्र आत्मायें बन गये। आप सभी कौन सी आत्मायें हो? होली अर्थात् महान पवित्र आत्मायें। दुनिया वाले तो शरीर को स्थूल रंग से रंगते हैं लेकिन आप आत्माओं ने आत्मा को कौन से रंग में रंगा है? सबसे अच्छे ते अच्छा रंग कौनसा है? अविनाशी रंग कौनसा है? आप जानते हो, आप सबने परमात्म संग का रंग आत्मा को लगाया जिससे आत्मा पवित्रता के रंग में रंग गई। यह परमात्म संग का रंग कितना महान और सहज है इसलिए परमात्म संग का महत्व अभी अन्त में भी सतसंग का महत्व होता है। सतसंग का अर्थ ही है परमात्म संग, जो सबसे सहज है। संग में रहना और ऊंचे ते ऊंचे संग में रहना क्या मुश्किल है क्या? और इस संग के रंग में रहने से जैसे परमात्मा ऊंचे ते ऊंचा है वैसे आप बच्चे भी ऊंचे ते ऊंचे पवित्र महान आत्मायें पूज्य आत्मायें बन गई। यह अविनाशी संग का रंग प्यारा लगता है ना! दुनिया वाले कितना प्रयत्न करते हैं परम आत्मा का संग तो छोड़ो सिर्फ याद करने में भी कितनी मेहनत करते हैं। लेकिन आप आत्माओं ने बाप को जाना, दिल से कहा मेरा बाबा। बाप ने कहा ‘‘मेरे बच्चे’’ और रंग लग गया। बाप ने कौन सा रंग लगाया? ज्ञान का गुलाल लगाया, गुणों का रंग लगाया, शक्तियों का रंग लगाया, जिस रंग से आप तो देवता बन गये लेकिन अब कलियुग अन्त तक भी आपके पवित्र चित्र देव आत्माओं के रूप में पूजे जाते हैं। पवित्र आत्मायें बहुत बनते हैं, महान आत्मायें बहुत बनते हैं, धर्म आत्मायें बहुत बनते हैं लेकिन आपकी पवित्रता देव आत्माओं के रूप में आत्मा भी पवित्र बनती और आत्मा के साथ शरीर भी पवित्र बनता है। इतनी श्रेष्ठ पवित्रता बनी कैसे? सिर्फ संग के रंग से। आप सभी फलक से कहते हो, अगर कोई आप बच्चों से पूछे, परमात्मा कहाँ रहता है? परमधाम में तो है ही लेकिन अभी संगम में परमात्मा आपके साथ कहाँ रहता है? आप क्या जवाब देंगे? परमात्मा को अभी हम पवित्र आत्माओं का दिलतख्त ही अच्छा लगता है। ऐसे है ना? आपके दिल में बाप रहता, आप बाप के दिल में रहते। रहते हैं? हाथ उठाओ जो रहता है? रहते हैं? अच्छा। बहुत अच्छा। फलक से कहते हो परमात्मा को मेरे दिल के सिवाए और कहाँ अच्छा नहीं लगता है क्योंकि कम्बाइण्ड रहते हो ना! कम्बाइण्ड रहते हो ना! कई बच्चे कम्बाइण्ड कहते हुए भी सदा बाप की कम्पनी का लाभ नहीं लेते हैं। कम्पैनियन तो बना लिया है, पक्का है। मेरा बाबा कहा तो कम्पैनियन तो बना लिया लेकिन हर समय कम्पनी का अनुभव करना, इसमें अन्तर पड़ जाता है। इसमें बापदादा देखते हैं नम्बरवार फायदा उठाते हैं। कारण क्या होता, आप सभी अच्छी तरह से जानते हो।
बापदादा ने पहले भी सुनाया है अगर दिल में रावण की कोई पुरानी जायदाद, पुराने संस्कार के रूप में रह गये है तो रावण की चीज़ पराई चीज़ हो गई ना! पराई चीज़ को कभी भी अपने पास रखा नहीं जाता है। निकाल दिया जाता है। लेकिन बापदादा ने देखा है, रूहरिहान में सुनते भी हैं कि क्या कहते बच्चे, बाबा मैं क्या करूं, मेरे संस्कार ही ऐसे हैं। क्या यह आपके हैं, जो कहते हो मेरे संस्कार? यह कहना राइट है कि मेरे पुराने संस्कार हैं, मेरी नेचर है, राइट है? राइट है? जो समझते हैं राइट है वह हाथ उठाओ। कोई नहीं उठाता। तो कहते क्यों हो? गलती से कह देते हो? जब मरजीवा बन गये, आपका अभी सरनेम क्या है? पुराने जन्म का सरनेम है वा बी.के. का सरनेम है। क्या अपना लिखते हो? बी.के. या फलाना, फलाना..? जब मरजीवा बन गये तो पुराने संस्कार मेरे संस्कार कैसे हुए? यह पुराने तो पराये संस्कार हुए। मेरे तो नहीं हुए ना! तो इस होली में कुछ तो जलायेंगे ना! होली जलाते भी हैं और रंग लगाते भी हैं तो आप सभी इस होली पर क्या जलायेंगे? मेरे संस्कार, यह अपने ब्राह्मण जीवन की डिक्शनरी से समाप्त करना। जीवन भी एक डिक्शनरी है ना! तो अभी कभी स्वप्न में भी यह नहीं सोचना, संकल्प की तो बात ही छोड़ो लेकिन पुराने संस्कार को मेरे संस्कार मानना, यह स्वप्न में भी नहीं सोचना। अब तो जो बाप के संस्कार वह आपके संस्कार, सभी कहते हो ना हमारा लक्ष्य है बाप समान बनना। तो सभी ने अपने दिल में यह दृढ़ संकल्प का अपने से प्रतिज्ञा की? गलती से भी मेरा नहीं कहना। मेरा मेरा कहते हो ना, तो जो पुराने संस्कार हैं ना वह फायदा उठाते हैं। जब मेरा कहते हैं तो वह बैठ जाते हैं, निकलते नहीं हैं।
बापदादा सभी बच्चों को किस रूप में देखना चाहते हैं? जानते तो हो, मानते भी हो। बापदादा हर एक बच्चे को भ्रकुटी के तख्तनशीन, स्वराज्य अधिकारी राजा बच्चा, अधीन बच्चा नहीं, राजा बच्चा, कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर, मास्टर सर्वशक्तिवान स्वरूप में देख रहे हैं। आप अपना कौन सा रूप देखते? यही ना, राज्य अधिकारी हो ना! अधीन तो नहीं हैं ना? अधीन आत्माओं को आप सभी अधिकारी बनाने वाले हो। आत्माओं के ऊपर रहमदिल बन अधीन से उन्हों को भी अधिकारी बनाने वाले हो। तो आप सभी भी होली मनाने आये हो ना? बापदादा को भी खुशी है कि सभी स्नेह के विमान द्वारा, सभी के पास विमान है ना! है विमान? बापदादा ने हर ब्राह्मण को जन्मते ही गिफ्ट दी मन के विमान की। तो मन का विमान है सभी के पास? अच्छा हाथ उठा रहे हैं। ठीक है? पेट्रोल ठीक है? पंख ठीक हैं? स्टार्ट करने का आधार ठीक है? चेक करते हो? ऐसा विमान जो तीनों लोकों में सेकण्ड में जा सकता है। अगर हिम्मत और उमंग उत्साह के दोनों पंख यथार्थ हैं तो एक सेकण्ड में स्टार्ट हो सकता है। स्टार्ट करने की चाबी क्या है? मेरा बाबा। मेरा बाबा कहो तो मन जहाँ पहुंचना चाहे वहाँ पहुंच सकता है। दोनों पंख ठीक होने चाहिए। हिम्मत कभी नहीं छोड़नी है। क्यों? बापदादा का वायदा है, वरदान है, एक कदम हिम्मत का आपका और हजार कदम मदद बाप की। चाहे कैसा भी कड़ा संस्कार हो, हिम्मत कभी नहीं हारो। कारण? सर्वशक्तिवान बाप मददगार है और कम्बाइण्ड है, सदा हाजर है। आप हिम्मत से सर्वशक्तिवान कम्बाइण्ड बाप के ऊपर अधिकार रखो और दृढ़ रहो, होना ही है, बाप मेरा, मैं बाप की हूँ, यह हिम्मत नहीं भूलो। तो क्या होगा? जो कैसे करूं, यह संकल्प उठता है वह कैसे शब्द बदल ऐसे हो जायेगा। कैसे करूं, क्या करूं, नहीं। ऐसे हुआ ही पड़ा है। सोचते हो, करते तो हैं, होगा, होना तो चाहिए, बाप मदद तो देगा...। हुआ ही पड़ा है, बाप बंधा हुआ है, दृढ़ निश्चयबुद्धि वाले को मदद देने के लिए। सिर्फ रूप थोड़ा चेंज कर देते हो, हक रखते हो बाप के ऊपर, लेकिन रूप चेंज कर देते हो। बाबा आप तो मदद करेंगे ना! आप तो बंधे हुए हो ना! तो ना लगा देते हो। निश्चयबुद्धि, निश्चित विजय हुई पड़ी है क्योंकि बापदादा ने हर बच्चे को जन्मते ही विजय का तिलक मस्तक में लगाया है। दृढ़ता को अपने तीव्र पुरूषार्थ की चाबी बनाओ। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो। बापदादा जब रूहरिहान सुनते हैं, रूहरिहान बहुत हिम्मत की करते हो, प्लैन भी बड़े पावरफुल बनाते हो लेकिन प्लैन को जब प्रैक्टिकल में करते हो तो प्लेन बुद्धि होके नहीं करते हो। उसमें थोड़ा सा करते तो हैं, होना तो चाहिए...यह स्वयं में निश्चय के साथ संकल्प नहीं, लेकिन वेस्ट संकल्प मिक्स कर देते हो।
अभी समय के प्रमाण प्लेन बुद्धि बन संकल्प को साकार रूप में लाओ। जरा भी कमज़ोर संकल्प इमर्ज नहीं करो। स्मृति रखो कि अभी एक बार नहीं कर रहे हैं, अनेक बार किया हुआ सिर्फ रिपीट कर रहे हैं। याद करो कितनी बार कल्प-कल्प विजयी बने हैं! अनेक बार के विजयी हैं, विजय अनेक कल्प का जन्म सिद्ध अधिकार है। इस अधिकार से निश्चयबुद्धि बन दृढ़ता की चाबी लगाओ, विजय आप ब्राह्मण आत्माओं के बिना कहाँ जायेगी! आप ब्राह्मणों का विजय जन्म सिद्ध अधिकार है, गले की माला है। है ना नशा? नशा है? होगा, नहीं होगा, नहीं। हुआ ही पड़ा है। इतने निश्चयबुद्धि बन हर कार्य करो, विजय निश्चित है ही। ऐसे निश्चयबुद्धि आत्मायें, है ही, यह नहीं बापदादा कहते है या नहीं, है ही। यही नशा रखो। थे, हैं और होंगे। तो ऐसे होली हो ना! होलीएस्ट तो हो। तो बापदादा के ज्ञान के गुलाल की होली तो खेल ली, अभी और क्या खेलेंगे?
बापदादा ने देखा कि सभी को मैजॉरिटी उमंग-उत्साह बहुत अच्छा आता है, यह कर लेंगे, यह कर लेंगे, यह हो जायेगा। बापदादा भी बड़े खुश होते हैं लेकिन यह उमंग-उत्साह सदा इमर्ज रहे, कभी-कभी मर्ज हो जाता है, कभी इमर्ज हो जाता है। मर्ज नहीं हो जाए, इमर्ज ही रहे क्योंकि आपका उत्सव पूरा संगमयुग ही उत्सव है। वह तो कभी-कभी उत्सव इसीलिए मनाते हैं, क्योंकि बहुत समय टेन्शन में रहते हैं ना, तो समझते हैं उत्साह में नाचें, गायें, खायें, तो चेंज हो जाए। लेकिन आप लोगों के पास तो नाचना और गाना है ही, हर सेकण्ड। आप सदा मन में खुशी से नाचते रहते हो ना! कि नहीं! नाचते हैं, नाचना आता है खुशी में? नाचना आता है! जिसको आता है वह हाथ उठाओ। नाचना आता है, अच्छा, मुबारक हो, आता है तो। तो सदा नाचते रहते हो या कभी कभी?
बापदादा ने इस वर्ष का होमवर्क दिया था, दो शब्द कभी नहीं सोचना, समटाइम, समथिंग। वह किया है? कि अभी भी समटाइम है? समटाइम, समथिंग खत्म। इस नाचने में थकने की तो कोई बात ही नहीं है। चाहे लेटे रहे, चाहे काम करो, चाहे पैदल करो, चाहे बैठो, खुशी का डांस तो कर ही सकते हो और बाप के प्राप्तियों का गीत भी गा सकते हो। गीत भी आता है ना, यह गीत तो सभी को आता है, मुख का गीत तो किसको आता है किसको नहीं आता है लेकिन बाप के प्राप्तियों का, बाप के गुणों का गीत वह तो सबको आता है ना। तो बस हर दिन उत्सव है, हर घड़ी उत्सव है, और सदा नाचो और गाओ और काम तो दिया ही नहीं है। यही तो दो काम हैं ना, नाचो और गाओ। तो इन्ज्वाय करो। बोझ क्यों उठाते? इन्ज्वाय करो, नाचो गाओ बस। अच्छा। होली तो मना ली ना! अभी रंग की होली भी मनायेंगे? अच्छा आपको ही तो भक्त कापी करेंगे ना! आप भगवान के साथ होली खेलते हो तो भक्त भी होली कोई न कोई आप देवताओं के साथ खेलते रहते हैं।
अच्छा, तो आज कई बच्चों के ईमेल भी आये हैं, पत्र भी आये हैं, फोन भी आये हैं, जो भी साधन हैं उससे होली की मुबारक भेजी है। बापदादा के पास तो जब संकल्प करते हैं ना तभी पहुंच जाता है। लेकिन चारों ओर के बच्चे विशेष याद करते हैं और किया है, बापदादा भी हर बच्चे को पदम पदम दुआयें और पदमगुणा दिल की यादप्यार रिटर्न में हर एक को नाम सहित विशेषता सहित दे रहे हैं। जब सन्देशी जाती है ना तो हर एक अपने अपने तरफ की यादें देते हैं। जिन्होंने नहीं भी दी हो ना, बापदादा के पास पहुंच गई है। यही तो परमात्म प्यार की विशेषता है। यह एक एक दिन कितना प्यारा है। चाहे गांव में हैं, चाहे बहुत बड़े-बड़े शहरों में हैं, गांव वालों की भी याद साधन न होते हुए भी बाप के पास पहुंच जाती है क्योंकि बाप के पास स्प्रीचुअल साधन तो बहुत हैं ना!
अच्छा - सभी ने दादी की याद भी बहुत-बहुत दी है। सभी का एक ही संकल्प है कि दादी जल्दी से जल्दी अपने मधुबन में पहुंच जाए। बापदादा भी यही चाहते हैं। दादी बोलती नहीं है लेकिन दिल में संकल्प द्वारा मधुबन की याद, ब्राह्मणों की याद, अपनी बेहद सेवा के जिम्मेवारी की याद रहती ही है। अभी प्यार से याद तो आप सभी बहुत करते हो। बापदादा देखते हैं कि बापदादा से तो सभी का प्यार है लेकिन दादी से भी कम नहीं है। प्यार की याद तो दादी तक पहुंचती है लेकिन अभी ऐसे शक्तिशाली, जैसे पावरफुल दवाई देते हैं ना, दवाई में भी पावर का फर्क होता है ना! तो आप सबने स्नेह की दवाई तो भेजी है लेकिन अभी सब मिलकर शक्तिशाली तन्दरूस्त भव के दृढ़ संकल्प की किरणें ऐसी भेजो जो वह किरणें अपना काम शुरू कर दें। टाइम तो थोड़ा लगेगा लेकिन यह आप सब ब्राह्मणों के दिल के सहयोग की किरणें अपना काम दिखायेंगी। वहाँ कमरे का वायुमण्डल भी दिल के शक्तिशाली वायब्रेशन क्या हुआ, क्या हो रहा है, नहीं। हो रहा है। होना ही है। इस उमंग-उत्साह का, सर्व ब्राह्मण चाहे कोई भी सेवाधारी का वायुमण्डल ऐसा शक्तिशाली हो, आप सबके दिल के प्यार का वायब्रेशन बापदादा के पास भी पहुंचता है। जो भी सेवाधारी सेवा के निमित्त बनते हैं, उन्हों का सदा यही वायब्रेशन हो, निश्चयबुद्धि बन शक्तिशाली किरणों की स्प्रीचुअल शक्ति सदा देते रहो। सेवा दिल से कर रहे हैं, भावना बहुत अच्छी है, अभी शक्तिशाली संकल्प की दुआ दो। कोई भी व्यर्थ संकल्प दिल में लाना नहीं, क्या होगा नहीं, अच्छा होना ही है। अच्छा।
सेवा का टर्न गुजरात का है, गुजरात के 6500 आये हैं:- गुजरात दर पर है ना। गुजरात के साढ़े छ: हजार आ गये हैं, अच्छा है भले आये। गुजरात में बापदादा ने देखा है कि मैजॉरिटी एक तो गीता पाठशालायें बहुत हैं और गीता पाठशालायें चलाने वाले हैण्डस भी बहुत हैं। और साथ में गुजरात में सेवा भी बहुत है, सेवाधारी हैण्डस भी बहुत हैं। अभी गुजरात क्या करेगी? सेवाधारी भी बहुत हैं, सेवा भी बहुत है, अभी नई सेवा क्या करेंगे? जो किसने नहीं की हो, ऐसा कोई प्लैन बनाया है? जो किसने नहीं की हो, वह गुजरात करके दिखावे। प्लैन बनाया है? (थोड़ा सोचा है, आपस में मिलकर करेंगे) वैसे बापदादा सभी जोन को कहते हैं कि ऐसा कोई स्पीकर तैयार करो, आप स्पीच करो वह नहीं, लेकिन आपकी तरफ से कोई ऐसा स्पीकर तैयार हो जिसका आवाज बड़ा हो, बुलन्द हो। जिसको देख करके अनेकों का कल्याण हो जाए। ऐसे हैं, हर एक जोन में ऐसे हैं लेकिन स्टेज पर नहीं आये हैं। बापदादा अभी यह चाहते हैं कि ब्राह्मण बैकबोन हों और सामने ऐसी आत्मायें निमित्त हों जिसका सुन करके अनेकों के दिल में वह आवाज लग जाए। क्योंकि समय के अनुसार हर जोन ने, जिस भी विधि से सेवा की है, वह अच्छी की है, बापदादा सेवा के निमित्त बने हुए बच्चों का उमंग-उत्साह देख करके भी खुश होते हैं लेकिन अभी कोई नवीनता हो। कोई स्वयं ही निमित्त बने और प्लैन देवे कि यह यह कर सकते हैं। क्योंकि वर्गीकरण की सेवा को भी काफी समय हो चुका है। हर एक वर्ग से ऐसे कोई स्पीकर तैयार हो, आप टापिक देते हो उस पर भाषण करते हैं, नहीं। खुद उमंग आवे मुझे यह करना है। ऐसा कुछ प्लैन बनाओ। उसका आधार है, स्वयं निमित्त बनने वाले सेकण्ड में वेस्ट को खत्म कर बेस्ट का प्रभाव वायुमण्डल में फैलायें। वेस्ट अभी भी है इसलिए मन्सा द्वारा सेवा का रेसपान्ड प्रैक्टिकल रूप में कम है। जैसे शुरू-शुरू में स्थापना के समय में देखा ब्रह्मा बाप का मन्सा वायब्रेशन कईयों को घर बैठे साक्षात्कार होने लगा, आवाज गया कोई आया है जाओ। ऐसे बेस्ट थॉट्स का वायुमण्डल नजदीक ला सकता है। कोई भी विस्तार में नहीं जाओ, शार्ट। जो भी कारोबार की बातें करनी तो पड़ती हैं लेकिन जहाँ तक हो सके विस्तार से शार्ट करते मन्सा शक्तिशाली सेवा को बढ़ाओ। जैसे शिकारी जो होशियार होते हैं वह ऐसा तीर लगाते जो पंछी तीर सहित आके पांव में पड़ता। यहाँ मन्सा सेवा ऐसी पावरफुल हो, जो आत्माओं को प्राप्ति की अनुभूति हो, रह नहीं सके। मन्सा शक्तिशाली से मन्सा सेवा की सिद्धि प्राप्त होनी है। तो गुजरात क्या करेगा? मन्सा सेवा में नम्बरवन होके दिखाओ। सभी के लिए है। लेकिन गुजरात का टर्न है तो गुजरात को कह रहे हैं लेकिन अभी मन्सा स्वयं की पावरफुल होने से मन्सा सेवा की रिजल्ट सामने आयेगी। जैसे वाचा की पहले नहीं थी, अभी वाचा सेवा की रिजल्ट सामने आ रही है। मेहनत तो अच्छी की है। बापदादा मेहनत, निमित्त मेहनत की मुबारक भी देते हैं लेकिन समय फास्ट है, अभी भी समय बहुत फास्ट जा रहा है। अच्छा। मुबारक हो, गुजरात को टाइटल है कि बिल्कुल नजदीक जैसे देश के हिसाब से हैं वैसे बाप के दिल में भी नजदीक हैं। अच्छे अच्छे हैं, शुरू से देखो तो निकले भी अच्छे अच्छे, पाण्डव या शक्तियां अच्छे निकले हैं। अभी ऐसे स्पीकर तैयार करो। आप सकाश दो और वह भाषण करें। अच्छा। बहुत अच्छा। पदमगुणा मुबारक है।
98 देशों से 1200 विदेशी भाई बहिनें आये हैं:- अच्छा। विदेशी उठो। अच्छा आप भी हाथ हिलाओ। बापदादा को जब विदेश के बच्चे आपस में इकट्ठे होके स्व-उन्नति और सेवा की वृद्धि दोनों साथ-साथ प्लैन बनाते हैं तो बापदादा को अच्छा लगता है क्योंकि विदेश में तो बहुत अलग अलग रहते हैं लेकिन यहाँ एक तो फ्री होके आते हैं दूसरा संगठन भी अच्छा होता है, तो स्व-उन्नति और भविष्य प्लैन अच्छा बनाते हैं। बापदादा के पास रिपोर्ट तो आती है। समाचार पहुंचता रहता है। तो जो भी अलग अलग ग्रुप बनके, क्योंकि छोटे ग्रुप में अटेन्शन जाता है, नजदीक आने का चांस मिलता है, तो यह ग्रुप बनाके जो सेवा की है, यह अच्छी की है। अभी डबल विदेशियों में पुरूषार्थ की रफ्तार भी अच्छी चल रही है लेकिन अभी भी थोड़ी थोड़ी कम्पलेन है, पुरूषार्थ की तरफ अटेन्शन अच्छा है, अटेन्शन दिलाते भी अच्छा है और अटेन्शन देते भी अच्छा है सिर्फ उसको अविनाशी बनाने के लिए कोई ऐसा प्लैन बनाओ जो रिफेशमेंट वहाँ जाने के बाद भी बढ़ती रहे। सेवा के साधन भी अच्छे निकालते हैं, वी.आई.पी. वा भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवाओं के जो प्लैन बनाते हो वह भी अच्छा बनाया है। अभी दूसरे साल जब आओ, अभी तो नजदीक आ गई है ना सीजन का। लेकिन जब दूसरी बार आओ तो यह रिजल्ट दिखाई दे कि सभी इतने मन्सा सेवा, वाचा सेवा, सम्बन्ध-सम्पर्क द्वारा सेवा कर्मणा हो गई ना यह, चेहरे और चलन द्वारा सेवा करने में इतने सब बिजी रहते जो वेस्ट बातों को आने के लिए मार्जिन ही नहीं है। फुल बिजी। बिजी रहते हैं लेकिन फुल बिजी। माया का आने का कोई मार्जिन ही नहीं रहे। चाहे संकल्प में, चाहे एक दो के साथ सहयोग में ऐसी रिजल्ट निकल सकती है। हो सकता है ऐसे! इतने बिजी हो सकते हो? हो सकते हो? कि टाइम चाहिए? एक साल है। बापदादा तो इण्डिया में भी यही चाहते, विदेश में भी यह चाहते यह आवाज हो कि माया आ नहीं सकती। मेहनत नहीं करनी पड़े। देखो कौन सा जोन करता है? बापदादा ने तो पहले ही कहा है, कि बापदादा डायमण्ड कप देने चाहते हैं लेकिन प्राब्लम प्रूफ हो। प्राब्लम क्या होती है यह नामनिशान नहीं हो। (बाबा ने कहा है तो हुआ ही पड़ा है) देखो होना तो है ही। आप नहीं होंगे तो कौन होंगे। होना तो है, सिर्फ नजदीक लाओ उसको। ठीक है ना। डबल फारेनर्स? डायमण्ड कप लेने वाले हो। बापदादा तो सदा आफर करते हैं। लेकिन एक दो के साथी भी हों, सिर्फ मैं ठीक हूँ, नहीं। साथी भी ठीक हों। (भारत और विदेश मिलकर ही डायमण्ड कप लेंगे) आपके मुख में गुलाबजामुन। होना ही है। सिर्फ समय को थोड़ा नजदीक लाओ। रिजल्ट अच्छी है। रिजल्ट पहले से काफी फर्क है, इसकी मुबारक है लेकिन अभी फुल नहीं है थोड़ी-थोड़ी फीलिंग है। अभी फुल हो जायेंगे। बापदादा वतन से बहुत बढ़िया फरिश्तेपन की सौगात देंगे। हर एक ऐसे अनुभव करेंगे मैं हूँ फरिश्ता, चमकता हुआ। होना ही है। अच्छा है, बैठ जाओ, थक जायेंगे। अच्छा।
बापदादा कहते हैं आजकल के जमाने में डाक्टर्स कहते हैं दवाई छोड़ो, एक्सरसाइज करो। तो बापदादा भी कहते हैं कि युद्ध करना छोड़ो, मेहनत करना छोड़ो, सारे दिन में 5-5 मिनट मन की एक्सरसाइज करो। वन मिनट में निराकारी, वन मिनट में आकारी, वन मिनट में सब तरह के सेवाधारी, यह मन की एक्सरसाइज 5 मिनट की सारे दिन में भिन्न-भिन्न टाइम करो। तो सदा तन्दरूस्त रहेंगे, मेहनत से बच जायेंगे। हो सकता है ना! हो सकता है? मधुबन वाले, मधुबन है फाउण्डेशन, मधुबन का वायब्रेशन चारों ओर न चाहते भी पहुंच जाता है। जो मधुबन में एक दिन कोई बात होती है ना, सारे भारत में, जगह जगह में दूसरे दिन पहुंच जाती है। इतना मधुबन में कोई साधन लगे हुए हैं, कोई बात नहीं छिपती, अच्छी भी तो पुरूषार्थ की भी। तो मधुबन जो करेगा वह वायब्रेशन स्वत: और सहज फैलेगा। पहले मधुबन निवासी वेस्ट थॉटस का स्टॉप करें, हो सकता है? हो सकता है? यह आगे-आगे बैठे हैं ना! मधुबन निवासी हाथ उठाओ। तो मधुबन निवासी आपस में कोई ऐसा प्लैन बनाओ वेस्ट खत्म। बापदादा यह नहीं कहते हैं कि संकल्प ही बन्द करो। वेस्ट संकल्प फिनिश। फायदा तो है नहीं। परेशानी ही है। हो सकता है? जो समझते हैं मधुबन निवासी, आपस में मीटिंग करके यह करेंगे, वह हाथ उठाओ। करेंगे करना है तो लम्बा हाथ उठाओ। दो-दो हाथ उठाओ। मुबारक हो। बापदादा दिल से दुआयें दे रहे हैं। मुबारक देते हैं। हिम्मत है मधुबन में, जो चाहे वह कर सकते हैं। करा भी सकते हैं। मधुबन की बहनें भी हैं, बहनें हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। मीटिंग करना। आप मीटिंग कराना दादियां। देखो हाथ सभी उठा रहे हैं। अभी हाथ की लाज रखना। अच्छा।
अभी अभी सेकण्ड में जो बाप ब्रह्मा ने लास्ट में वरदान दिया, निराकारी, निर्विकारी, निरंहकारी, यह ब्रह्मा बाप के लास्ट वरदान, एक बहुत बड़ी सौगात बच्चों के प्रति रही। तो क्या सेकण्ड में ब्रह्मा बाप की सौगात मन से स्वीकार कर सकते हैं? दृढ़ संकल्प कर सकते हो कि बाप की सौगात को सदा प्रैक्टिकल लाइफ में लाना है? क्योंकि आदि देव की सौगात कम नहीं है। ब्रह्मा ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ड फादर है। उसकी सौगात कम नहीं है। तो अपने-अपने पुरूषार्थ प्रमाण संकल्प करो कि आज के दिन होली अर्थात् जो बीत चुकी, हो ली, हो गई। लेकिन अब से सौगात को बार-बार इमर्ज कर ब्रह्मा बाप को सेवा का रिटर्न देंगे। देखो ब्रह्मा बाप ने अन्तिम दिन, अन्तिम समय तक सेवा की। यह ब्रह्मा बाप का बच्चों से प्यार, सेवा से प्यार की निशानी है तो ब्रह्मा बाप को रिटर्न देना अर्थात् बार-बार जीवन में दी हुई सौगात को रिवाइज कर प्रैक्टिकल में लाना। तो सभी अपने दिल में ब्रह्मा बाप से स्नेह के रिटर्न में संकल्प दृढ़ करो, यह है ब्रह्मा बाप के स्नेह की सौगात का रिटर्न। अच्छा।
चारों ओर के लकीएस्ट, होलीएस्ट बच्चों को सदा दृढ़ संकल्प की चाबी प्रैक्टकल में लाने वाले हिम्मत वाले बच्चों को, सदा अपने मन को भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवा में बिजी रखने वाले, कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाले बच्चों को, सदा हर दिन उत्साह में रहने वाले, हर दिन को उत्सव समझ मनाने वाले, सदा खुशनसीब बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
मोहिनी बहन, ईशू बहन से:- अभी वहाँ भी (हॉस्पिटल में भी) प्रोग्राम बनाना, जो भी कमरे में बैठो या बाहर भी बैठो वहाँ और कोई बात नहीं। ऐसा वायुमण्डल बनाना जैसे वह लोग साधनों द्वारा कमरे का वायुमण्डल बनाते हैं ना, तो वहाँ बिल्कुल ऐसा शक्तिशाली वायुमण्डल हो, जो आवे वह सेकण्ड में अशरीरी स्थिति का अनुभव करे। इससे यह दवाई शक्तिशाली है। (कुछ दिन तबियत ठीक रहती है, फिर कुछ न कुछ नीचे ऊपर हो जाता है) अभी तो खेल चल रहा है ना, अभी यह वायुमण्डल, दवाई और दुआ दोनों साथ-साथ हो। (चारों ओर सेन्टरों में भी योग चल रहा है) सब तरफ विशेष योग में बैठें या बिजी भी हों लेकिन लक्ष्य वह हो। समझें हमको यह सेवा करनी है। प्यार का रिटर्न तो यही है।
दादा विश्वरतन ने 26 फरवरी को अचानक अपना पुराना शरीर छोड़ दिया
क्योंकि ड्रामा में कोई-कोई आत्मा को अचानक और एवररेडी का पाठ पक्का कराना है। देखो, जब चन्द्रमणी ने शरीर छोड़ा तो कुछ समय वह लहर अच्छी रही। सभी अचानक के पाठ में पक्के रहे, फिर धीरे-धीरे हल्का हो गया। फिर यह जो ड्रामा में पार्ट हुआ यह वायुमण्डल में अचानक और एवररेडी का पाठ फिर से पक्का कराने के निमित्त बनें। विश्वरतन का निराकारी स्थिति का ध्यान अच्छा रहा, गुप्त में यह पाठ पक्का था। इसीलिए जल्दी सेकण्ड में पार्ट पूरा हो गया। यह भी समय सभी को अटेन्शन खिंचाने के लिए निमित्त बनता है। सभी थोड़ा थोड़ा अभी समझते हैं, अभी तो टाइम पड़ा है, यह लहर अभी होनी नहीं चाहिए। एवररेडी रहना चाहिए क्योंकि बहुतकाल का भी अटेन्शन रहना चाहिए। अच्छा।
(दादियों से):- आपका ग्रुप तो अटेन्शन वाला है ही ना। अटेन्शन रहता है ना। अच्छा। आपका अटेन्शन तो रहता है ना, एवररेडी है? दादा के सेवाधारी मनोज से: ड्रामा को देखके खुश हो ना, ड्रामा में जो भी होता है अच्छा होता है। (दादा की बहुत याद आती है) याद भले आवे, उनके गुण और उनके कर्तव्य याद आवे और फिर फॉलो करो। याद तो आयेगा ही। बस आज्ञा यही है कि फॉलो करो, खुश रहो खुशी बांटो।
निर्वैर भाई ने दादी जी का समाचार सुनाया और सभी की याद दीः- सभी को सेवा की मुबारक और याद देना। (मुन्नी बहन ने याद दी है, दादी जी को जल्दी से जल्दी मधुबन लाने की इच्छा है) जल्दी नहीं करे, जल्दी का संकल्प नहीं, बस। वायुमण्डल को शक्तिशाली बनाये। अभी यह संकल्प करो ही नहीं। यह करो - अच्छा है, अच्छा है, अच्छा है। हो जायेगा कोई बात नहीं
रमेश भाई से:- बाम्बे क्या करेगी? कोई नया प्लैन निकालो। वर्गीकरण के प्रोग्राम तो होते ही रहते हैं कोई नया ऐसा हो जो प्रत्यक्ष दिखाई दे। किया और निकला और सेवा शुरू कर दे, ऐसे अभी तुरत दान महापुण्य।
भोपाल भाई, गोलक भाई से:- मधुबन के चारों ओर भी पावरफुल वायुमण्डल बनाओ। मीटिंग करना, सभी मिलके मीटिंग करना। (दादी जानकी से) मधुबन वालों की मीटिंग कराना।
चन्द्रहास दादा से:- तबियत अच्छी है। अच्छा है, अपनी तबियत को खुद ही समझके चलाते रहो। बड़े में बड़ाडाक्टर खुद हैं।
डा.करसन भाई पटेल (चेयरमैन निरमा ग्रुप):- अभी जैसे अपने लौकिक बिजनेस में उन्नति कर रहे हो ना, ऐसे अभी यह आध्यात्मिक बिजनेस भी करो। परमात्मा से बिजनेस करो, बहुत इजी। जो अविनाशी रहे। यह बिजनेस तो एक जन्म रहेगा ना लेकिन वह 21 जन्म की गैरन्टी है। तो 21 जन्म करना नहीं पड़ेगा। सिर्फ खाना पीना मौज करना पड़ेगा। तो ऐसा बिजनेस करो। करने चाहते हो? निमित्त बनो। आपको देखकर फिर औरों में भी उमंग आयेगा। यहाँ तक पहुंचे हो तो अवश्य कोई भाग्य छिपा हुआ था जो यहाँ पहुंच गये हो। जो भाग्य यहाँ ले आया है। निमित्त तो कोई बनेगा ना! कितने बारी सोचा जाना है, जाना है, आज ही कैसे पहुंचे? तो यह भाग्य आपको ले आया। बहुत अच्छा किया।
स्वामी समर्पणानंदगिरी जी, पुरी:- बहुत अच्छा है। साथ-साथ मिलके करेंगे ना तो आवाज बुलन्द होगा। बुलन्द आवाज बहुतों के कानों में जायेगा। अच्छा है। सब धर्म के नेतायें मिलके करें ना तो आवाज बहुत जल्दी फैले। यह भी होना है। थोड़ा टाइम लग रहा है लेकिन होना है। सब मिलकरके एक ही झण्डा लहरायेंगे।
राकेश मेहता, आई.ए.एस. बिजली बोर्ड दिल्ली:- यहाँ भी देखो आत्मा लाइट है और लाइट हाउस होके लाइट देनी है। तो डबल लाइट का ज्ञान लेने वाले भाग्यवान आत्मा हो। वह भी लाइट जरूरी है, यह भी लाइट जरूरी है। अभी निमित्त बनके दुःखी आत्माओं को सुखी करो। टेन्शन फ्री लाइफ बनाओ।