02-04-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘इस वर्ष चारों ही सबजेक्ट में अनुभव की अथॉरिटी बनो, लक्ष्य और लक्षण को समान बनाओ’’
आज बापदादा अपने चारों ओर के सन्तुष्ट रहने वाले, सन्तुष्ट मणियों को देख रहे हैं। हर एक के चेहरे पर सन्तुष्टता की चमक दिखाई दे रही है। सन्तुष्ट मणियां स्वयं को भी प्रिय हैं, बाप को भी प्रिय हैं और परिवार को भी प्रिय हैं क्योंकि सन्तुष्टता महान शक्ति है। सन्तुष्टता तब धारण होती है जब सर्व प्राप्तियां प्राप्त होती हैं। अगर प्राप्तियां कम तो सन्तुष्टता भी कम होती है। सन्तुष्टता और शक्तियों को भी आह्वान करती है। सन्तुष्टता का वायुमण्डल औरों को भी यथा शक्ति सन्तुष्टता का वायब्रेशन देता है। जो सन्तुष्ट रहता है उसकी निशानी सदा प्रसन्नचित दिखाई देता है। सदा चेहरा हर्षितमुख स्वत: ही रहता है। सन्तुष्ट आत्मा के सामने कोई भी परिस्थिति स्व स्थिति को हिला नहीं सकती। कितनी भी बड़ी परिस्थिति हो लेकिन सन्तुष्ट आत्मा के लिए कार्टून शो का मनोरंजन दिखाई देता है।इसा लिए वह परिस्थिति में परेशान नहीं होता आरै परिस्तिथितियाँ उसके ऊपर वार नहीं कर सकती, हार जाती है। इसलिए अतीन्द्रिय सुखमय मनोरंजन की जीवन अनुभव करता है। मेहनत नहीं करनी पड़ती। मनोरंजन अनुभव होता है। तो हर एक अपने को चेक करे। चेक करना तो आता है ना! आता है? जिसको चेक करना आता है अपने को, दूसरे को नहीं अपने को चेक करना आता है, वह हाथ उठाओ। चेक करना आता है? अच्छा। मुबारक हो।
बापदादा का वरदान भी हर बच्चे को रोज अमृतवेले भिन्न-भिन्न रूपों से यही मिलता है, खुश रहो आबाद रहो। रोज का वरदान मिलता सभी को है, बापदादा सभी को एक ही जैसा एक ही साथ वरदान देता है। लेकिन फर्क क्या हो जाता है? नम्बरवार क्यों बन जाते? दाता एक है, और देन भी एक है, किसको थोड़ा किसको बहुत नहीं देते हैं, फ्राकदिली से देते हैं लेकिन फर्क क्या पड़ जाता है? इसका अनुभव भी सभी को है क्योंकि अभी तक बापदादा के पास यह आवाज पहुंचता है। जानते हो ना क्या? कभी-कभी थोड़ा-थोड़ा, यह आवाज अभी तक भी आता है - बापदादा ने कहा है कि ब्राह्मण आत्माओं के जीवन रूपी डिक्शनरी में यह दोनों शब्द निकल जाना चाहिए। अविनाशी बाप है, अविनाशी खज़ाने हैं, आप सब भी अविनाशी श्रेष्ठ आत्मायें हो। तो कौन सा शब्द होना चाहिए? कभी-कभी कि सदा? हर खज़ाने के आगे चेक करो - सर्व शक्तियां सदा है? सर्व गुण सदा है? आप सबके भक्त जब आपके गुण गाते तो क्या कहते हैं? कभी-कभी गुणदाता, ऐसे कहते हैं? बापदादा ने हर वरदान में सदा शब्द कहा है। सदा सर्वशक्तिवान, कभी शक्तिवान, कभी सर्वशक्तिवान नहीं कहा है। हर समय दो शब्द आप भी कहते हो, बाप भी कहते हैं, समान बनो। यह नहीं कहते थोड़ा-थोड़ा समान बनो। सम्पन्न और सम्पूर्ण, तो बच्चे कभी-कभी क्या करते हैं? बापदादा भी खेल तो देखते हैं ना! बच्चों का खेल तो देखते ही रहते हैं। बच्चे क्या करते, कोई-कोई, सब नहीं। जो वरदान मिला उस वरदान को सोचकर, वर्णन कर कापी में नोट करते, याद भी करते लेकिन वरदान रूपी बीज को फलीभूत नहीं करते। बीज से फल नहीं निकाल सकते। सिर्फ वर्णन करते खुश होते बहुत अच्छा वरदान है। वरदान है बीज लेकिन बीज को जितना फलीभूत करते हैं उतना ही वह वृद्धि को पाता है। फलीभूत करने का रहस्य क्या है? समय पर कार्य में लगाना। कार्य में लगाना भूल जाते, सिर्फ कापी में देख, वर्णन करते बहुत अच्छा, बहुत अच्छा। बाबा ने वरदान बहुत अच्छा दिया है। लेकिन किसलिए दिया है? उसको फलीभूत करने के लिए दिया है। बीज से फल का विस्तार होता है। वरदान को सिमरण करते हैं, लेकिन वरदान स्वरूप बनने में नम्बरवार बन जाते हैं। और बापदादा हर एक के भाग्य को देख हर्षित होते रहते हैं लेकिन बापदादा की दिल की आश पहले भी सुनाया है। सभी ने हाथ उठाया था, याद है कि हम कारण को समाप्त कर समाधान स्वरूप बनेंगे | याद है होमवर्क? कई बच्चों ने रूहारिहान में या पत्रों द्वारा, ईमेल द्वारा रिजल्ट लिखा भी है। अच्छा है, अटेन्शन गया है लेकिन जो बापदादा को शब्द अच्छा लगता है, सदा। वह है? आप सभी जो भी आये हैं, चाहे सुना है, चाहे पढ़ा है लेकिन एक मास के होम वर्क में, एक मास हुआ है बस, ज्यादा नहीं हुआ है तो एक मास में लक्ष्य तो रखा है। एक दो में वर्णन भी किया है लेकिन जो एक मास में होमवर्क में अच्छी मार्क्स लेने वाले बने हैं वह हाथ उठाओ। जो पास हुए हैं, पास हुए हैं। पास विद ऑनर। पास विद ऑनर, उठो। पास विद ऑनर का दर्शन करना चाहिए ना। मातायें नहीं। बहिनों में, टीचर्स ने हाथ नहीं उठाया। कोई नहीं। मधुबन वाले? यह तो बहुत कम रिजल्ट है। (बहुत थोड़े उठे हैं) अच्छा सेन्टर में भी होंगे। मुबारक हो, ताली तो बजाओ। बापदादा मुस्कराता है कि जब बापदादा पूछते हैं कि बापदादा से प्यार किसका है? और कितना है? तो क्या जवाब देते हैं? बाबा, इतना है जो कह नहीं सकते। जवाब बहुत अच्छा देते हैं | बापदादा भी खुश हो जाते हैं | लेकिन प्यार का सबूत क्या ? जिससे प्यार होता है, आजकल की दुनिया वालों का बॉडीकान्सेस का प्यार तो जान कुर्बान कर देते हैं। परमात्म प्यार उनके पीछे बाप ने कहा और बच्चों को करना मुश्किल क्यों? गीत बहुत अच्छे-अच्छे गाते हो। बाबा हम न्योछावर करने वाले परवाने हैं, शमा पर फिदा होने वाले हैं। तो यह कारण शब्द को स्वाहा नहीं कर सकते?
तो अभी तो इस वर्ष का लास्ट टर्न आ गया। दूसरे वर्ष में क्या होता वह तो आप और बाप देख रहे हैं, देखेंगे लेकिन क्या यह एक शब्द समय को देख, आप लोग कहते हो ना, समय की पुकार है। भक्तों की पुकार, समय की पुकार, दु:खी आत्माओं की पुकार, आपके स्नेही, सहयोगी आत्माओं की पुकार आप ही पूर्ण करेंगे ना! आपका टाइटल क्या है? आपका कर्तव्य क्या है? किस कर्तव्य के लिए ब्राह्मण बनें? विश्व परिवर्तक आपका टाइटल है। विश्व परिवर्तन आपका कार्य है और साथी कौन है? बापदादा के साथ-साथ इस कार्य में निमित्त बने हो। तो क्या करना है? अभी भी हाथ उठवायेंगे, करेंगे तो हाथ तो सभी उठा देते हैं। लक्ष्य रखा है, बापदादा ने देखा, टोटल इस वर्ष की सीजन में सभी ने संकल्प किया लेकिन सफलता की चाबी दृढ़ता - करना ही है, उसके बजाए कभी-कभी कर रहे हैं, चल रहे हैं, कर ही लेंगे। यह संकल्प दृढ़ता को साधारण बना देता है। दृढ़ता में कारण शब्द आता ही नहीं है। निवारण हो जाता है। कारण आते भी हैं लेकिन चेकिंग होने के कारण, कारण निवारण में बदल जाता है।
बापदादा ने रिजल्ट में चेक किया तो क्या देखा? ज्ञानी, योगी, धारणा स्वरूप, सेवाधारी, चार ही सबजेक्ट में हर एक यथाशक्ति ज्ञानी भी है, योगी भी है, धारणा भी कर रहा है, सेवा भी कर रहा है। लेकिन चार ही सबजेक्ट में अनुभव स्वरूप, अनुभव के अथॉरिटी - उसकी कमी दिखाई दी। अनुभवी स्वरूप, ज्ञान स्वरूप में भी अनुभवी स्वरूप अर्थात् ज्ञान को नॉलेज कहा जाता है तो अनुभवी मूर्त आत्मा में नॉलेज अर्थात् समझ क्या करना है, क्या नहीं करना है, नॉलेज की लाइट और माइट, तो अनुभवी स्वरूप का अर्थ ही है ज्ञानी तू आत्मा के हर कर्म में लाइट और माइट नेचुरल होना चाहिए। ज्ञानी माना ज्ञान, नॉलेज को जानना, वर्णन करना, उसके साथ-साथ हर कर्म में लाइट माइट हो। अनुभवी स्वरूप से हर कर्म नेचुरल श्रेष्ठ और सफल होगा। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि ज्ञान के अनुभवीमूर्त हैं। अनुभव की अथॉरिटी सब अथॉरिटी से श्रेष्ठ है। ज्ञान को जानना और ज्ञान के अनुभव स्वरूप के अथारिटी में हर कर्म करना, उसमें अन्तर है | तो अनुभवी स्वरूप हैं ? चेक करो। चार ही सबजेक्ट में, आत्मा हूँ लेकिन अनुभवी स्वरूप होके हर कर्म करते हैं? अनुभव की अथॉरिटी की सीट पर सेट हैं तो श्रेष्ठ कर्म, सफलता स्वरूप कर्म अथॉरिटी के सामने नेचुरल नेचर दिखाई देगी। सोचते हैं लेकिन अनुभवी स्वरूप बनना, योगयुक्त राज़युक्त नेचर हो जाए, नेचुरल हो जाए। धारणा में भी सर्व गुण स्वत: ही हर कर्म में दिखाई दें। ऐसे अनुभवी स्वरूप में सदा रहना, अनुभव की सीट पर सेट होना इसकी आवश्यकता का अटेन्शन रखना, यह आवश्यक है | अनुभव के अथॉरिटी की सीट बहुत महान है। अनुभवी को माया भी मिटा नहीं सकती क्योंकी माया की अथॉरिटी से अनुभव की अथॉरिटी पदमगुणा ऊंची है। सोचना अलग है, मनन करना अलग है, स्वरूप अनुभवी स्वरूप बनकर चलना, अभी इसकी आवश्यकता है।
तो अभी इस वर्ष में क्या करेंगे? बापदादा ने देखा एक सबजेक्ट में मैजारिटी पास हैं। कौन सी सबजेक्ट? सेवा की सबजेक्ट। चारों ओर से बापदादा के पास सेवा के रिकार्ड बहुत अच्छे अच्छे आये हैं। और सेवा का उमंग उत्साह इस वर्ष के सेवा समाचारों के हिसाब से अच्छा दिखाई दिया। हर एक वर्ग ने, हर एक जोन ने भिन्न-भिन्न रूप से सेवा में सफलता प्राप्त की है। इसकी बापदादा हर एक जोन, हर एक वर्ग को पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो। प्लैन भी अच्छे-अच्छे बनाये हैं। लेकिन अभी समय के प्रमाण अचानक की सीजन है। आपने देखा सुना होगा कि इस वर्ष में कितने ब्राह्मण अचानक गये हैं। तो अचानक की घण्टी अभी तेज हो रही है। उसी अनुसार अभी इस वर्ष मैं चार ही सबजेक्ट में अनुभवी स्वरूप कहाँ तक बना हूँ, क्योंकि चार ही सबजेक्ट में अच्छी मार्क्स चाहिए, अगर एक भी सबजेक्ट में पास मार्क्स से कम होंगी तो पास विद ऑनर माला का मणका, बापदादा के गले का हार कैसे बनेगा! किसी भी रूप में हार खाने वाला बाप के गले का हार नहीं बन सकता। और यहाँ हाथ उठवाते हैं तो सभी क्या कहते हैं? लक्ष्मी नारायण बनेंगे। चलो लक्ष्मी-नारायण वा लक्ष्मी-नारायण के परिवार में साथी वह भी बनना श्रेष्ठ पद है। इसलिए बापदादा सिर्फ एक शब्द कहते हैं, अभी तीव्र गति से उड़ती कला में उड़ते रहो और अपने उड़ती कला के वायब्रेशन से वायुमण्डल में सहयोग का वायुमण्डल फैलाओ। क्या जब प्रकृति के लिए आप सबने चैलेन्ज की है, कि प्रकृति को भी परिवर्तन करके ही छोड़ेंगे। है ना वायदा? वायदा किया है? किया है। कांध हिलाओ, हाथ नहीं। तो क्या अपने हमजिन्स मनुष्यात्माओं को दु:ख और अशान्ति से परिवर्तन नहीं कर सकते? एक तो आपने चैलेन्ज किया है और दूसरा बापदादा को भी वायदा किया है, हम सभी अभी भी आपके कार्य में साथी हैं, परमधाम में भी साथी हैं और राज्य में भी ब्रह्मा बाप के साथी रहेंगे। यह वायदा किया है ना! तो साथ चलेंगे, साथ रहेंगे, और अभी भी साथ हैं। तो बाप का इशारा समय प्रति समय प्रैक्टिकल देख रहे हो - अचानक एवररेडी। क्या दादी के लिए सोचा था कि जा सकती है? अचानक का खेल देखा ना।
तो इस वर्ष एवररेडी। बाप के दिल की आशाओं को पूर्ण करने वाले आशाओं के दीपक बनना ही है। बाप की आशाओं को तो जानते ही हो। बनना है? कि बन जायेंगे, देख लेंगे... जो समझते हैं बनना ही है, वह हाथ उठाओ। देखो कैमरे में आ रहा है। बापदादा को खुश तो बहुत अच्छा करते हो। बापदादा भी बच्चों के बिना अकेला जा नहीं सकता। देखो ब्रह्मा बाबा भी आप बच्चों के लिए मुक्ति का गेट खोलने के लिए इन्तजार कर रहे हैं। एडवांस पार्टी भी इन्तजार कर रही है। आप इन्तजाम करने वाले हैं। आप इन्तजार करने वाले नहीं, इन्तजाम करने वाले हैं। तो इस वर्ष लक्ष्य रखो लेकिन लक्ष्य आरै लक्षण को समान रखना। ऐसे नहीं हो लक्ष्य बहुत ऊंचा और लक्षण में कमज़ोरी, नहीं। लक्ष्य और लक्षण समान हो। जो आपके दिल की आश है समान बनने की, वह तब पूर्ण होगी जब लक्ष्य और लक्षण समान होंगे। अभी थोड़ा-थोड़ा अन्तर पड़ जाता है, लक्ष्य और लक्षण में। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, आपस में रूहरिहान भी बहुत अच्छी-अच्छी करते हो। एक दो को अटेन्शन भी दिलाते हो। अभी दृढ़ता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है, इस संकल्प को अनुभव के स्वरूप में लाओ। चेक करो - जो कहते हैं उसका अनुभव भी करते हैं? पहला शब्द मैं आत्मा हूँ, इसी को ही चेक करो। इस आत्मा स्वरूप के अनुभव की अथॉरिटी हूँ, क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी नम्बरवन है। अच्छा।
(हाल में कुछ हलचल हुई) आप सब किस स्थिति में हो? हलचल में हो। अटेन्शन देने वाले दे रहे हैं, आपको क्या करना है? शुभ भावना के वायब्रेशन।
तो सोचो हर बात सामने लाओ। चाहे आत्मा, चाहे परमात्मा, चाहे चक्र सभी में अनुभव मूर्त कहाँ तक बने हैं? अच्छा। अभी किसी भी परिस्थिति में स्व-स्थिति पर स्थित रह सकते हो? मन की एकाग्रता (ड्रिल) अच्छा। तीन बिन्दियों का स्मृति स्वरूप बन सकते हो ना! बस फुलस्टाप। अच्छा।
सेवा का टर्न पंजाब जोन का है, (पंजाब हिमाचल, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराचंल):- अच्छा जो कहा हुआ है ना पंजाब शेर, वह संख्या भी बहुत अच्छी लाये हैं। सभी को मालूम पड़ गया तो पंजाब शेर है इसलिए सभी उमंग-उत्साह से पहुंच गये हैं और पंजाब का कितना बड़ा पुण्य बन गया। एक ब्राह्मण की सेवा करते वह भी कैसा ब्राह्मण, और आपने कितने ब्राह्मणों की, सच्चे ब्राह्मणों की सेवा की। रोज अपना पुण्य का खाता जमा किया। यह भी ड्रामा में एक पुण्य के खाते में सहज वृद्धि का साधन है। जो इस उमंग उत्साह से आता है वह थोडे दिनों में बहुत अपना पुण्य का खाता जमा कर सकता है। और अब संगमयुग के समय का पुण्य का खाता बहुत समय काम में आयेगा बाकी पंजाब के सेवा की रिपोर्ट भी देखी। बापदादा पहले ही मुबारक दे चुके हैं। सेवाकेन्द्र भी हैं, गीता पाठशालायें भी हैं, वृद्धि भी हो रही है और सभी के मन में इस बारी शिवरात्रि के समय की बहुत सेवा के उमंग उत्साह की लहर है। अभी जहाँ जहाँ भी चाहे मीडिया द्वारा, चाहे फंक्शन्स द्वारा सेवा का उमंग उत्साह अच्छा दिखाया है। अभी क्या करना है? अभी जो हर एक ने संकल्प किया है, बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। उसकी डेट अपने परिवर्तन की कलम से सेट करो। पैन्सिल से सेट नहीं होगा, यह आपके परिवर्तन के तीव्र पुरूषार्थ की कलम से प्रत्यक्षता की डेट सहज ही फिक्स हो जायेगी। तो अभी बापदादा देखेंगे कि किस जोन की पहला नम्बर रिपोर्ट आती है कि सारा जोन मन्सा-वाचा-कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क में निर्विघ्न है और दृढ़ ही रहेगा। इसमें नम्बरवन कौन रहता है? सिर्फ सेन्टर नहीं, पहले सेन्टर को मजबूत करो फिर अपने कनेक्शन के सेन्टर को मजबूत करो, फिर जोन को मजबूत करो। विदेश वाले भी देश विदेश दोनों को बापदादा कार्य दे रहे हैं। नम्बरवन कौन आता है। भारत में जोन के रूप में है और विदेश में अपने रूप से बनाये हुए हैं ना। अमेरिका जोन, अफ्रीका जोन बना दिया है। कौन नम्बरवन आता है? निर्विघ्न। हो सकता है ना! सारा जोन निर्विघ्न हो जाए, हो सकता है? हो सकता है? बोलो, पहली लाइन बोले। हो सकता है? जयन्ती बोलो, हो सकता है? अच्छा - टीचर्स उठो। बापदादा इतनी टीचर्स को देख खुश हो रहे हैं। क्यों टीचर्स गुरूभाई हैं। (2100 टीचर्स आई हैं) अच्छा है टीचर्स निमित्त हैं। निर्विघ्न बन निर्विघ्न वायुमण्डल बनाने के लिए। तो टीचर्स लक्ष्य रखेंगी, लक्ष्य रखेंगी और डेट फिक्स आप करना, बाप नहीं करेगा। हर एक जोन एक दो में प्लैन बनाओ और एक दो को भी प्रेरणा दो। जिस भी जोन में कोई भी नया उमंग उत्साह का प्लैन बने, तो एक दो को भी उमंग उत्साह देकर सभी को निर्विघ्न बनाना है। हाथ उठे, अभी तो पुरूषार्थ के हाथ उठते हैं, प्रत्यक्षता के पहले सभी का हाथ उठे कि हम सदा के लिए निर्विघ्न है, निर्विघ्न रहेंगे। जब सभा में सभी का ऐसा हाथ उठेगा तो कितनी वाह! वाह! हो जायेगी। आपके भक्त भी खुश हो जायेंगे वह भी अपने अपने स्थान पर तालियां बजायेंगे। वाह मेरे ईष्ट देव वाह! तो करना है ना। करना है? मधुबन वाले, मधुबन वालों को पहला नम्बर आना है। आना नहीं है, करना है। क्योंकि मधुबन की तरफ सबकी आकर्षण है। मधुबन कहने से ही मधुबन का बाबा याद आता है। मधुबन की विशेषता यह है। तो बाप समान नम्बरवन बनना है। सिर्फ एक बात मधुबन वालों को बाबा कहे, कहे? हाथ उठाओ। करना पड़ेगा। करेंगे? करेंगे? इसमें हाथ कम उठाये। मधुबन निवासी एक-एक अपने को जिम्मेवारी दे तो मुझे बाप समान बनना ही है काई बने नहीं बने, मुझे बनना है | अपनी रेस्पोंसिबिलिटी तो उठा सकते हैं ना। दूसरे की छोड़ो, अपनी रेसपान्सिबिल्टी उठाये मुझे बनना है। मुझे करके दिखाना है। तो आप सबका वायुमण्डल अनेक आत्माओं को मदद देगा। यह नहीं देखो यह तो करते नहीं हैं, यह तो बदलते नहीं हैं, मैं बदलूं। दूसरा आपेही बदलेंगे, मैं अपनी जिम्मेवारी लूं। करेंगे? पीछे भी बैठे हैं मधुबन वाले। अच्छा कितना समय दें? रिजल्ट 6 मास के बाद पूछें। 6 मास ठीक है। जो समझते हैं मैं बदलूं, दूसरे को नहीं देखो। दूसरे को बापदादा देखेगा। न दूसरे का वर्णन करो, यह ऐसा है, यह ऐसा है, नहीं। वह बाप देखेगा, मुझे बदलना है। मधुबन की बहनें हैं, हाथ उठाओ मधुबन की बहनें। अच्छा। बहनें भी करेंगी ना। शक्ति सेना को तो आगे रहना ही है। 6 मास में दूसरे को नहीं देखना, कारण नहीं बताना इसने किया ना। करेंगे जरूर, परेशानी देंगे, क्योंकि माया सुन रही है ना। बातें आयेंगी। आप कहो बातें ही नहीं आवें, यह नहीं होगा, लेकिन मझ्ु ो बदलना है। ठीक है। अच्छा। टीचर्स, टीचर्स तो निमित्त हैं। सब टीचर चाहे छोटी चाहे बड़ी। इसमें छोटे नहीं हो ना, सब बड़े हैं। सभी टीचर्स भी हिम्मत रखती हो, हिम्मत है? 6 मास देते हैं। हाथ उठाओ जो करेंगी। बातें आयेंगी। यह नहीं कहना मैंने कोशिश की, कोशिश नहीं। बाप के प्यार की कशिश, कोशिश नहीं। ठीक है टीचर्स। टीचर्स हाथ उठाओ, दो-दो हाथ उठाओ। सभी देख रहे हो। हाथ उठाया है। मुबारक हो। टीचर्स और मधुबन निवासी नम्बरवन। जो ओटे सो अर्जुन। अर्जुन माना बाप समान। कारण नहीं बताना, कारण तो आयेंगे, पहाड़ जैसे कारण आयेंगे, हिम्मत नहीं हारना। वेलकम। कारणों को कहो वेलकम और सेकण्ड में विदाई दे दो। तीन बिन्दियों की चाबी, सफलता की चाबी तीन बिन्दियां। यह हमेशा साथ में रखना। अच्छा। अभी टीचर्स बैठ जाओ।
कर्नाटक जोन वाले एक साल स्वार्णिम कनार्टक बनाने की सेवा करके आये हैं:- बापदादा ने देखा सर्विस अच्छी की है। जितना भी तन-मन-धन उमंग-उत्साह लगाया है। वह दिल से लगाया है | बापदादा जैसे स्वर्णिम कनार्टक मनाया है तो बापदादा भी दिल की दुआयें और दिल की मुबारक पदम पदमगुणा दे रहे हैं। प्लैन भी अच्छा बनाया और प्रैक्टिकल किया है। बापदादा ने आपके बोर्ड यहाँ दिखाने के पहले देख लिया। बैठ जाओ।
डबल विदेशी:- अभी डबल विदेशियों को सिर्फ डबल विदेही नहीं कहो, डबल तीव्र पुरूषार्थी। हैं ना डबल पुरूषार्थी? अच्छा है। बापदादा ने देखा कि स्व पुरूषार्थ के ऊपर जो भी ग्रुप टर्न बाई टर्न आये उन्हों का अटेन्शन अच्छा रहा है। टीचर्स ने भी मेहनत की है और स्वयं भी पुरूषार्थ अच्छा किया है। कईयों के पत्र भी बाप के पास पहुंचे हैं। तीव्र पुरूषार्थ की अनुभूति की है। इसलिए डबल पुरूषार्थी नहीं लेकिन डबल तीव्र पुरूषार्थी। बापदादा देख रहे हैं कि सेवा का लक्ष्य डबल तीव्र पुरूषार्थी बच्चों ने अपनी-अपनी एरिया में कोई गाँव भी रह नहीं जाए, यह अटेन्शन अच्छा दिया है। और प्लैन बनाया भी है। उल्हना तो नहीं रहेगा ना। कोई भी गांव वाला या शहर वाला आपको यह तो उल्हना नहीं देगा कि आपने बताया नहीं, हमारा बाप आया और आपने हमें बताया नहीं। उस समय तो चिल्लायेंगे ना! इसलिए सेवा का उमंग है और अटेन्शन भी है स्व उन्नति के प्रति।
तीव्र पुरूषार्थ का अर्थ ही है जो गलती एक बार करेक्ट किया, वह दुबारा नहीं हो। ऐसे नहीं कि एक ही गलती बार-बार होती रहे और कहो हम तीव्र पुरूषार्थी हैं | इसको तीव्र परूषार्थ नहीं कहेंगे। बापदादा ने सुना है कि मधुबन में भी तीव्र पुरुषार्थियों का ग्रुप है, वह हाथ उठाओ। उठो। तीव्र पुरूषार्थी। बहनें नहीं हैं। तो तीव्र पुरूषार्थ का अर्थ समझा, एक बार जो गलती हो जाए, जगदम्बा माँ ने शुरू-शुरू में सभी को यह अटेन्शन खिंचवाया। कहते तीव्र पुरूषार्थी हैं और एक गलती बार-बार होती रहे, तो करेक्शन क्या किया? इसीलिए तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप मधुबन निवासी वा मधुबन के पास रहने वाले जो भी हैं डबल फारेनर्स भी बापदादा ने टाइटल दिया है, डबल तीव्र पुरूषार्थी। तो बार-बार वही भूल होती रहे तो तीव्र पुरूषार्थी का नाम खराब हो जाता है। इसालिए आप तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप ध्यान देना। अच्छा है। आपस में ग्रुप बनाया है, अच्छा करते। अच्छा डबल विदेशी, बापदादा खुश है लेकिन खुश है एक और बात की खुशी लानी है, कभी भी अपने को कम्बाइण्ड रूप से अकेला नहीं करना। अकेला करना अर्थात् माया को वेलकम करना। इसलिए कम्बाइण्ड सर्वशक्तिवान का फायदा उठाना और समय पर ही माया अकेला करती है, यह अटेन्शन रखना। सदा कम्बाइण्ड, बापदादा ने पहले भी कहा है तो डबल विदेशियों को कम्पनी अच्छी लगती है, कम्पेनियन अच्छा लगता है। तो कभी भी अकेला नहीं बनना। जब बाप ऑफर कर रहा है, मैं साथ देने के लिए सदा साथ हूँ। अच्छी रिजल्ट है। रिजल्ट अच्छी है लेकिन और अच्छे ते अच्छी दिखानी ही है। अच्छा। हर टर्न में आना, यह बहुत अच्छी सिस्टम बनाई है। अभी तो विदेश ऐसे हो गया है जो इन्डिया और ही दूर लगता है, विदेश नजदीक लगता है। विदेशी चतुरसुजान हैं, अगले साल के लिए पहले ही टिकेट का इन्तजाम कर लेते हैं। बापदादा को यह विदेशियों की चतुराई अच्छी लगती है। अच्छा।
अभी मातायें उठो:- मातायें और कुमारियां। पौना हाल माताओं और कुमारियों का है। माताओं को कुमारियों को नशा है। संगमयुग की मातायें, शिव शक्तियां कम नहीं हैं। बापदादा तो माताओं को देख एक बात में खुश होते हैं, पाण्डवों को देखकर भी खुश होते हैं लेकिन मातायें अबला से शिव शक्ति बन गई। मातायें चैलेन्ज कर रही हैं, हम भारत को स्वर्ग बनाके ही छोड़ेंगे। तो माताओं में हिम्मत है। बापदादा भी माताओं को विशेष नमस्ते करते हैं। अच्छा। शिव शक्ति सेना हो। कमाल करके ही दिखानी है। नशा रखो हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा। अच्छा।
पाण्डव उठो:- पाण्डवों की विशेषता है। सदा पाण्डवपति के साथ-साथ साथी रहे हैं। विजय प्राप्त करने में भी यादगार में पाण्डव दिखाया हुआ है। तो पाण्डवों की विशेषता है पाण्डव, पाण्डवपति के प्यारे हैं। पाण्डवों का नाम ही है पाण्डवपति के साथी। शिव शक्तियों का पार्ट अपना है। पाण्डवों के बिना सेवा में वृद्धि का आधार कम हो जाता है। शिवशक्तियां हैं सकाश देने वाली और पाण्डव हैं वारिस और सहयोगी बनाने वाले। देखो, बड़े बड़े प्रोग्राम पाण्डवों के बिना हो नहीं सकते। इसीलिए चतुर्भुज रूप का यादगार है। शिव शक्तियां पाण्डवों के बिना नहीं कर सकती पाण्डव शक्तियों के बिना नहीं कर सकते। इसलिए हर एक पाण्डव के मस्तक में विजय का तिलक लगा हुआ है, उसको इमर्ज करो। बापदादा हर पाण्डव के मस्तक में विजयी पाण्डव का तिलक देखते हैं। तो अच्छा है, सभी समझते हैं इस वर्ष का लास्ट बारी है, तो इसीलिए सभी से मिले ना। मधुबन वालों से भी मिले। और बापदादा को छोटा सा संगम भवन भी याद है। बहुत मेहनत करते हैं और प्यार से मेहनत करते हैं। संगमभवन वाले उठो। अच्छा। चाहे सेवा में हैं। लेकिन दिल से सेवा करते हैं। दिन-रात मेहनत अच्छी करते हैं, प्यार से करते हैं इसलिए बापदादा भी, है छोटा लेकिन कार्य बड़ा करते हैं। और इन्हों के कार्य के प्यार के आधार से आप सभी को सैलवेशन मिली हैं। पहले यहाँ इतनी ट्रेनें नहीं आती थी, अभी कितनी ट्रेनें आती हैं तो इन्हों के सेवा के प्रभाव से आपको सैलवेशन अच्छी मिलती है। इसलिए सभी इन थोड़े से सेवाधारियों को दिल से मुबारक दो। अच्छा। अभी मिलन हो गया, किसकी शिकायत नहीं रहेगी मिले नहीं। सबसे मिले ना।
(बच्चे रह गये) बहुत बच्चे हैं। बहुत अच्छा। बच्चों के बिना तो रौनक नहीं होती है। और बच्चों को देखके सभी को बच्चों के प्रति बहुत प्यार पैदा होता है। बापदादा को भी खुशी होती है कि वाह! बच्चों का लक, जो बचपन से ही कितनी बातों से बच गये। बच्चे वह जो माया की बातों से बचे हुए हैं। ऐसे बच्चे हो ना। ऐसे हो? हाथ उठाओ। बचे हुए हो। बच्चा अर्थात् बचा हुआ। और बच्चे तो सिकीलधे होते हैं, तो आगे बढ़ते चलो। बच्चे भी कमाल करते हैं। जो बापदादा का स्लोगन है बड़े तो बड़े हैं लेकिन छोटे समान अल्लाह हैं। समान बनेंगे ना! बाप समान बनके विश्व के आगे निमित्त बनेंगे। सभी बच्चे तीव्र पुरूषार्थ करना। पुरूषार्थ नहीं तीव्र पुरूषार्थ। ऐसे अच्छे बच्चे हो ना। अच्छे हो। हाथ उठाओ जो अच्छे बच्चे हैं। कुमारियां भी हैं। अच्छा है। कई बार बापदादा ने देखा है, माँ बाप से भी बच्चे पुरूषार्थ में बहुत आगे होते। बच्चे माँ बाप को याद दिलाते हैं, माँ बाप थोड़ा नीचे ऊपर करते हैं ना तो बच्चे कहते हैं कि टीचर को सुनायेंगे। लेकिन प्यार से कहना, गुस्से से नहीं कहना, प्यार से कहना। अच्छा है। जनक, बच्चों की खास पार्टी करना। आप और निर्वैर दोनों मिलके पार्टी देना। खुश हो जायेंगे बच्चे। और सदा खुश रहना, रोना नहीं। कभी कभी भी नहीं, सदा खुश। रोना नहीं, रूसना नहीं। अच्छा पार्टी देना। अच्छा।
अभी तो सबसे मिल लिया, फिर लाइन में क्यों आयेंगे? अच्छा लगता है, मधुबन में मेला नहीं लगे तो सूना हो जाये। इसीलिए आप सभी मेले में आये हो, यह परमात्म प्यार आपको खींच के लाया है।
जो पहले बारी आये हैं वह हाथ उठाओ। तो पहले बारी आने वाले सिकीलधे बच्चों को पहले बारी की मुबारक है। और सभी को बापदादा विशेष वरदान दे रहा है, वरदान है कि जैसे अभी पुरूषार्थ कर आने के पात्र बने हो, यह भाग्य लिया है ऐसे ही अमर भव रहना। माया आवे तो माया का गेट बन्द कर देना। माया का गेट जानते हो? बॉडीकान्सेस का मैं और मेरा। इस गेट को बन्द कर देंगे तो अमर रहेंगे। तो अमर हैं ना। अमर हैं? माया आयेगी तो क्या करेंगे? तीव्र पुरूषार्थ करेंगे? अमर रहना और औरों को भी अमर बनाना। अच्छा।
अभी एक सेकण्ड में अपने श्रेष्ठ स्वमान बापदादा के दिलतख्त नशीन हैं, इस रूहानी स्वमान के नशे में स्थित हो जाओ। तख्तनशीन आत्मा हूँ, इस अनुभव में लवलीन हो जाओ। अच्छा।
चारों ओर के अति लवली सदा बाप के लव में लीन रहने वाले, सदा स्वमानधारी, स्वराज्यधारी विशेष आत्माओं को चारों आरे के उमंग-उत्साह के पखों से उडने वाले आरै अपने मन के वायब्रेशन से वायुमण्डल को शान्त श्रेष्ठ बनाने वाले सभी को बाप का सन्देश दे दु:ख से छुड़ाए मुक्ति का वर्सा दिलाने वाले, सदा दृढ़ता द्वारा सफलता प्राप्त करने वाले ऐसे चारों ओर के दिल के समीप रहने वाले और सम्मुख आने वाले सभी बच्चों को दिल का दुलार और दिल की दुआयें, यादप्यार और नमस्ते।
दादियों से:- आप लोगों को देख सभी खुश हो जाते हैं क्योंकि आदि रत्न हो ना और निमित्त बने हुए हो। आपस में मिलकर एक दो की राय को महत्व देते हुए यह परिवर्तन का कार्य कर रहे हो और करते रहेंगे। यह छोटा सा संगठन है ना। एक दो की राय को रिगार्ड देते हुए सभी को निमित्त और निर्माण बनाने वाले विशेष कार्य के निमित्त बने हुए हो। अच्छा है। आपस में संगठन बनाया है ना। तो इस संगठन को जितना अच्छी तरह से बढ़ायेंगे, समय देंगे उतना ही सबके दिल में उमंग उत्साह बढ़ायेंगे। ठीक चल रहा है ना! चलता रहेगा। बापदादा सब देखते रहते हैं। जितना आपका संगठन सैलवेशन देने के निमित्त बनेगा उतना ही चारों ओर का वायुमण्डल शक्तिशाली बनेगा। अभी मधुबन में जो विशेष इशारा दिया है कि हर एक अपने को चेक करे, अपने को बाप समान बनाये। तो एक-एक अपने को करने से संगठन स्वत: ही बदलता रहेगा। यह स्मृति बार-बार दिलाते रहो। स्व-परिवर्तन से औरों को भी परिवर्तन और विश्व भी परिवर्तन। पहले आपस में परिवर्तन फिर विश्व में परिवर्तन। तो सब ठीक चल रहा है ना! ठीक चल रहा है, सहज चल रहा है। एक-एक को वरदान स्वरूप बनने की स्थिति स्मृति में दिलाते रहो। वरदान अच्छा है नहीं, अच्छा बनना है। ठीक है। अच्छा।
रमेश भाई से:- एकाउन्ट सहज हो जाए उसके लिए एक दो की बात को इशारे से समझ और इशारा देते रहो क्योंकि बहनों को यह हिसाब-किताब कम आता है। लेकिन आपने फिर भी इतना लायक बनाया है। अभी औरों को भी अनुभवी बनाते चलो। कानून तो बदलेगी, इनका काम ही क्या है। ऐसे ही चलाते चलें तो क्या कहेंगे, यह गवर्मेन्ट ने क्या किया तो कुछ बदलेगी कुछ बनायेगी यह तो होगा ही। यह तो अभी सीखती जाती है, काफी सीख गई हैं और भी आप सिखाते रहेंगे तो होशियार हो जायेंगी।
उषा बहन से:- ठीक है। अच्छा है ना। सूली से कांटा तो है ना। हिम्मत है, हिम्मत रखने से सहज हो जाता है। सोचने से बड़ी बात हो जाती है और हिम्मत से छोटी बात हो जाती है। तो हिम्मत अच्छी रखी है | बापदादा भी मुबारक दे रहे हैं हिम्मत की।
डा.अनिला बहन से:- यह सदा एकरस रही है। झंझटों में नहीं फंसी है। अच्छा है, पार्ट अच्छा है। अभी हिम्मत है ना! पेपर तो आते हैं लेकिन आप पास विद ऑनर। ठीक है ना। सहज है ना, मुश्किल तो नहीं लगता। हिम्मत है और सबका प्यार भी है। सारे परिवार से प्यार है।
भूपाल भाई से: निर्विघ्न कारोबार। अच्छा। गोलक भाई से:- कार्य चल रहा है ना, चलाते चलो। वार्षिक मीटिंग के लिए विशेष:- मीटिंग में चार ही सबजेक्ट को हर एक स्थान में कवर कैसे करें, कभी सर्विस आगे हो जाती है, कभी स्व-उन्नति, धारणा आगे हो जाती है। तो चार ही सबजेक्ट में पास विद ऑनर बनना, यह अटेन्शन दिलाना है। एक सबजेक्ट में भी अगर पास विद ऑनर नहीं तो विजय माला का मणका बनना मुश्किल हो जायेगा। और एक दो के प्रति कैसे भी हो लेकिन ब्राह्मण परिवार का तो है, हर एक के प्रति शिक्षा भी हो और साथ में क्षमा भी हो। इसी विधि से संगठन को पक्का करें। क्योंकि अभी सेन्टर में, हर एक सेन्टर तो निर्विघ्न बनें। उसके लिए हर एक अपने विधि प्रमाण कोई नई नई बातें निकालें। सेन्टर पर क्या होता है, वह सब अनुभवी हैं और क्या करें, किस बात का अटेन्शन रखें जो पहले सेन्टर निर्विघ्न बनें, फिर जोन निर्विघ्न बनें। स्वभाव तो भिन्न भिन्न होंगे और पेपर भी आयेंगे लेकिन इनको पास कैसे करें, यह विधि पक्की ध्यान में रहे और बीच बीच में हर जोन भी आपस में रिजल्ट निकालते रहें। आगे क्या करें, आगे क्या करें..। यह हुआ, यह हुआ, इसको कम करें, आगे क्या करें उसका स्पष्टीकरण ज्यादा हो। (इस वर्ष के लिए टाइटल) आप निकालो फिर फाइनल करेंगे।
डबल विदेशी बड़ी बहिनों से:- इस बारी बापदादा ने भी देखा तो अटेन्शन बहुत अच्छा दिया है। लास्ट ग्रुप तक दिल से सेवा करके दिखाया और रिटर्न में रिजल्ट भी देखी। क्योंकि यह मधुबन का ही चांस मिलता है इकट्ठे होने का। चाहे ग्रुप ग्रुप हो लेकिन सब तरफ के इकट्ठे होते हैं, तो इस बारी यह रिजल्ट अच्छी दिखाई दी। मेहनत भी की। (जयन्ती बहन ने इटली वालों की याद दी) इटली वालों को कहना कि आपकी खुशी हिम्मत उमंग उत्साह कभी टलने वाली नहीं है। इटली का अर्थ है कभी टलेगी नहीं। (मीरा बहन से) यह भी साथी रही है। अच्छा है। अभी फारेन वाले भी समझ गये हैं सभी बातों को। पहले नये नये थे ना अभी सब जान गये हैं क्या करना है, क्या नहीं करना है। समझ भी गये हैं। अपने पुरूषार्थ को भी समझ गये हैं, अच्छा है। (मोहिनी बहन ने विदेश वालों की खास याद दी) सभी की याद पहुंच गई।
चन्द्रहास बाबू जी से: हिसाब किताब आया है। हिसाब किताब चुक्तू तो करना पड़ता है ना। आप अपने में हिम्मत समझते हो, आपरेशन कराने की हिम्मत समझते हो? (डाक्टर्स ने कहा है इस उम्र में आपरेशन न करायें तो ठीक है) यह तो अच्छा है। दवाई और दुआयें। दवा में दुआयें भरकर दवा लेना तो डबल काम हो जायेगा। तो मुक्त हो गये।
करसन भाई पटेल (निरमा ग्रुप के मालिक):- आपकी एक विशेषता है, जानते हो? विशेषता यह है कि मुरली से प्यार है। जिसका मुरली से प्यार है, उसका मुरलीधर से आटोमेटिक है। तो मुरली के कारण आगे बढ़ रहे हो। मुरली श्रीमत देती है। और श्रीमत मिलते ही उस पर चलने से आटोमेटिकली शक्ति मिलती है। तो बापदादा खुश है, दोनों पर। (सब बाबा के बन जाएं) बनेंगे कहाँ जायेंगे। यह जानता है, ग्रुप बनाओ, निमन्त्रण देकर सन्देश दे दो, उल्हना नहीं दें। यह होशियार है, देगा।
मेहमानों से:-
1- निमित्त समझकर चलो। अपने को सदा बेफिकर बादशाह रखो। फिकर कोई नहीं रखो। फिकर आवे ना, तो बहनों को बता दो, बाप को दे दो। आप तो ट्रस्टी हो ना, मालिक तो बाप है ना, तो कोई भी बात होती है, मालिक के ऊपर छोड़ो, आप ट्रस्टी बनके चलो। इसमें बेफिक्र रहेंगे। जो स्वयं को अनुभव होता है, वह औरों को देने के बिना रह नहीं सकते। खुशी है ना। तो खुशी बांटने के बिना रह नहीं सकेंगे। और आप भी खुशी देंगे। सब खुश होंगे ना यह खुश क्यों रहता है, तो सेवा हो जायेगी। यह भी सेवा करते।
2- जिसका मुरली से प्यार है ना, वह समझो निर्विघ्न हो जायेगा। आप मुरली पढ़ते हो, सुनते हो? घर में पढ़ो, एक प्वाइंट भी पढ़ो, लेकिन मुरली जरूर पढ़ो, फिर प्यार हो जायेगा फिर कोई कहेगा ना, नहीं करो तो भी करेंगे। अच्छे हैं, अभी सहयोगी भी हैं, स्नेही भी है, अभी सहजयोग में नम्बरवन। सारा ग्रुप सहजयोगी में नम्बरवन। इनको भी उमंग बहुत है। तीनों चारों को है। बापदादा उमंग उत्साह की मुबारक देते हैं।
3- अभी तो ब्राह्मण परिवार के हो गये ना। ब्राह्मण परिवार कितना ऊंचा परिवार है और कितना बड़ा परिवार है। तो ब्राह्मण बनना यह बहुत बड़ा भाग्य है। तो आपने अपना भाग्य ले लिया। ले लिया ना। हर कदम में अपने श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख आगे बढ़ते चलो। अच्छा है।