30-11-10 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘हर घण्टे मन की एक्सरसाइज कर उसे शक्तिशाली बनाओ जब बाबा ही संसार है तो संस्कार भी बाप जैसे बनाओ’’
आज बापदादा सभी बच्चों को एक देशी जो ओरीज्नल सबका देश है जानते हो ना एक देश कितना प्यारा है! बापदादा भी उसी देश से सर्व बच्चों से मिलने आये हैं। बच्चों को बाप से मिलने की खुशी है और बाप को बच्चों से मिलने की खुशी है। आज बापदादा सभी बच्चों के स्वरूपों को विशेष 5 रूपों को देख रहे हैं इसलिए 5 मुखी ब्रह्मा का भी गायन है। तो अपने 5 रूपों को जानते हो ना! पहला सभी का ज्योति बिन्दु रूप आ गया आपके सामने! कितना चमकता हुआ प्यारा रूप है। दूसरा देवता रूप वह रूप भी कितना प्यारा और न्यारा है। तीसरा रूप मध्य में पूज्यनीय रूप चौथा रूप ब्राह्मण रूप संगमवासी वह भी कितना महान है और पांचवा रूप फरिश्ता रूप। यह 5 ही रूप कितने प्यारे हैं। बापदादा आज बच्चों को मन की एक्सरसाइज सिखाते हैं क्योंकि मन बच्चों को कभी-कभी अपने तरफ खींच लेता है। तो आज बापदादा मन को एकरस बनाने की एक्सरसाइज सिखा रहा है। सारे दिन में इन 5 रूपों की एक्सरसाइज करो और अनुभव करो जो रूप सोचो उसका मन में अनुभव करो। जैसे ज्योतिबिन्दू कहने से ही वह चमकता रूप सामने आ गया! ऐसे 5 ही रूप सामने लाओ और उस रूप का अनुभव करो। हर घण्टे में 5 सेकण्ड इस ड्रिल में लगाओ। अगर सेकण्ड नहीं तो 5 मिनट लगाओ। हर एक रूप सामने लाओ अनुभव करो। मन को इस रूहानी एक्सरसाइज में बिजी करो तो मन एक्सरसाइज से सदा ठीक रहेगा। जैसे शरीर की एक्सरसाइज शरीर को तन्दरूस्त रखती है ऐसे यह एक्सरसाइज मन को शक्तिशाली रखेगा। एक सेकण्ड भी मन में उस रूप को लाओ समझते हो सहज है ना यह कि मुश्किल लगता है? मुश्किल नहीं लगेगा क्यां कि यह एक्सरसाइज आपने अनेक बार की हुई है। हर कल्प की है। अपना ही रूप सामने लाना यह मुश्किल नहीं होता। एक-एक रूप के सामने आते ही हर रूप की विशेषता का अनुभव होगा। कभी-कभी कई बच्चे कहते हैं कि हम इन्हीं रूप में अनुभव करने चाहते लकिन मन दूसरे तरफ चला जाता। जितना समय जहाँ मन लगाते चाहते हैं उतना समय के बजाए व्यर्थ अयथार्थ संकल्प भी आ जाते हैं। कभी मन में अलबेलापन भी आ जाता तो बापदादा हर घण्टे 5 सेकण्ड या 5 मिनट इस एक्सरसाइज में अनुभव कराने चाहते हैं। 5 मिनट करके मन को इस तरफ चलाओ। चलना तो अच्छा होता है ना! फिर अपने काम में लग जाओ क्योंकि कार्य तो करना ही है। कार्य के बिना तो चलना नहीं है। यज्ञ सेवा विश्व सेवा तो सभी कर रहे हो और करनी ही है। यह 5 मिनट की ड्रिल करने के बाद जो अपना कार्य है उसमें लग जाओ। ऐसा कोई है जिसको चाहे 5 सेकण्ड लगाओ चाहे 5 मिनट लगाओ लेकिन कोई ऐसा है जिसको इतना टाइम भी नहीं मिलता है! है कोई हाथ उठाओ। जिसको 5 मिनट भी नहीं हैं। कोई नहीं है। है कोई? सब निकाल सकते हैं। तो बार-बार यह एक्सरसाइज करो तो कार्य करते भी यह नशा रहेगा क्योंकि बाप का मन्त्र भी है मनमनाभव। इसी मन्त्र को मन के अनुभव से मन यन्त्र बन जायेगा मायाजीत बनने में क्योंकि बापदादा ने बता दिया है कि जितना समय आगे बढ़ेगा उस अनुसार एक सेकण्ड में स्टॉप लगाना होगा। तो यह एक्सरसाइज करने से मनमनाभव होने में मदद मिलेगी क्योंकि बापदादा ने देखा कि जो भी भाषण करते हो या किसको भी सन्देश देते हो तो क्या कहते हो? हम विश्व को परिवर्तन करने वाले हैं । तो जब विश्व को परिवर्तन करना है तो पहले अपने मन को ऐसा शक्तिशाली बनाओ जो जिस समय जो संकल्प करने चाहे वही मन संकल्प कर सकता है। सेकण्ड में आर्डर करो जैसे इस शरीर की और कर्मेन्द्रियों को आर्डर करते हो ऊपर हो नीचे हो तो करती हैं ना! ऐसे मन व्यर्थ अयथार्थ से बच जाये मन के मालिक हो मेरा मन कहते हो ना! तो मेरा मन इतना आर्डर में रहे उसके लिए यह मन की एक्सरसाइज बताई।
बापदादा ने देखा हर एक बच्चा यही चाहता है कि हमें मन जीत जगतजीत बनना है इसलिए आने वाले समय के पहले यह अभ्यास जहाँ चाहे वहां मन सहज टिक जाए। ता आज बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा ऐसा शक्तिशाली बने जो जो संकल्प करे वही मन बुद्धि संस्कार आर्डर में हो। जिसका यह अभ्यास होगा वह जगतजीत अवश्य बनेगा। बापदादा से परिवार से प्यार तो सबका है। जितना बच्चों का बाप से प्यार है उससे ज्यादा बाप का बच्चों से प्यार है। तो बच्चों ने चतुराई अच्छी की है मेरा बाबा मेरा बाबा कहकर मेरा बना लिया है। हर एक बच्चा यही निश्चय से कहता ‘‘मेरा बाबा’’। और बाप भी कहता मेरा बच्चा। इस मेरे शब्द ने कमाल कर दिया। हर एक के दिल में कितना उमंग आता है मेरा बाबा प्यारा बाबा और बाप भी बार-बार कहते मेरे बच्चे। कोई भी माया का वार हो क्योंकि आधाकल्प माया को अपना बनाया है ना! तो माया का भी आप लोगों से प्यार तो होगा ना! तो वह बार-बार आने की कोशिश करती है लेकिन जो दिल से मेरा बाबा कहता है तो बाप का सहयोग मिलता है। एक बार दिल से कहा मेरा बाबा तो हजार बार बाप बंधा हुआ है शक्तिशाली सहयोग देने के लिए। अनुभव है ना! सिर्फ समय पर इस अनुभव को प्रैक्टिकल में लाओ।
बापदादा बच्चों की एक बात देखकर दिल में बच्चों के ऊपर मुस्कराता है। जानते हो कौन सी बात? सभी कहते हैं कि बाबा ही मेरा संसार है कहते हैं ना बाप ही हमारा संसार है! कहते हो जो कहता है बाप ही मेरा संसार है वह हाथ उठाओ। अच्छा बाप ही संसार है। दूसरा तो कोई संसार नहीं है ना! संसार दूसरा नहीं है लेकिन दूसरा क्या है! संस्कार। जब बाप ही मेरा संसार है दूसरा कोई संसार है ही नहीं। संसार नहीं है लेकिन संस्कार कैसे पैदा हो जाता? आजकल बापदादा समय प्रमाण संस्कार शब्द को मिटाने चाहते हैं। मिट सकता है? मिट सकता है? जो समझते हैं कि संस्कार विघ्न रूप नहीं बन सकता यह दृढ़ संकल्प कर सकते हैं दृढ़ पुरूषार्थ द्वारा आज भी दृढ़ पुरूषार्थ कर सकते हैं कि खत्म करना ही है। करेंगे सोचेंगे देखेंगे.. यह नहीं। करना ही है। संस्कार का काम है आना और बच्चों का काम है समाप्त करना ही है। है हिम्मत? है हिम्मत? पहले भी हाथ उठाया था लेकिन चेक करो जो संकल्प किया वह हो रहा है? जो समझते हैं कि बाप ने कहा बाप का कार्य है लक्ष्य देना और बच्चों का कार्य है जो बाप ने कहा वह करना ही है। इसकी भी एक डेट फिक्स करो जैसे भक्त लोगों ने डेट फिक्स की है शिवरात्रि तो मनानी है। तो इसकी डेट भी फिक्स करो। अच्छा सबकी इकठ्ठा नहीं हो तो पहले एक-एक अपने लिए तो डेट फिक्स कर सकते हैं ना! कर सकते हैं! कर सकते हैं तो हाथ उठाओ। तो किया! कर सकते हैं तो किया? डबल विदेशी डेट फिक्स किया! अच्छा सामने वाले किया फिक्स! जो डेट फिक्स की ना वह बापदादा को लिखके देना। बापदादा भी बच्चों को पेपर पास करने की बहादुरी तो देंगे ना। फिर गीत गायेंगे वाह बच्चे वाह! सेरीमनी मनायेंगे जिसने संकल्प किया और उसी अनुसार प्रैक्टिकल किया उसकी सेरीमनी मनायेंगे क्योंकि फर्क तो आता रहेगा ना! जो डेट फिक्स करेंगे उसमें आगे बढ़ने के लिए समीप तो आयेंगे ना। फर्क तो होना शुरू होगा। तो जिसका डेट अनुसार सम्पन्न होगा उसकी बापदादा सेरीमनी मनायेंगे। अन्दर जो करेंगे तो देखने वाले भी वेरीफाय करेंगे क्योंकि सम्पर्क में तो आयेंगे ना! संस्कार किसी न किसी के साथ निकलता है ना! क्योंकि बापदादा ने देखा कि हर एक बच्चे को यह शुद्ध नशा तो है कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। मास्टर तो हो ना? जब सर्वशक्तिवान हैं तो संकल्प को पूरा करना यह भी शक्ति है ना! अच्छा। जो आज पहली बारी आये हैं वह उठो। देखो कितने आये हैं। बापदादा मुबारक देते हैं। मधुबन में आने की मुबारक है मुबारक है मुबारक है। बापदादा फिर भी ऐसे समझते हैं कि टूलेट का बोर्ड लगने के पहले आ गये हो इसलिए सारे परिवार की बापदादा की तो है सारे परिवार की भी आप सभी में यही शुभ आशा है कि सदा डबल पुरूषार्थ कर लास्ट आते हुए भी फास्ट जा सकते हो। है हिम्मत! जो आज आये हैं उन्हों में यह हिम्मत है! कि लास्ट आते भी फास्ट जाकर फर्स्ट आ जाओ। फर्स्ट नम्बर में। एक फर्स्ट नहीं फर्स्टक्लास में फर्स्ट आओ हो सकता है! जो समझते हैं हम फास्ट जाके फर्स्ट हो सकते हैं वह हाथ उठाओ। अपने में निश्चय है? अच्छा। पीछे वाले हाथ ऊंचा करो हो सकता है तो! अच्छा। थोड़े हैं। फिर भी सारा परिवार और बापदादा आपको सहयोग देके आगे बढ़ाने चाहते हैं इसलिए जिस भी सेन्टर के तरफ से आये हो उस सेन्टर पर यह अपना वायदा बार-बार याद करना। हो सकता है असम्भव नहीं है है सम्भव लेकिन डबल अटेन्शन। अगर लास्ट और फास्ट जाके दिखायेंगे तो सेन्टर पर आपका तीव्र पुरूषार्थ का दिन मनायेंगे। फंक्शन करेंगे। सभी के दिल में उमंग तो है कि जल्दी से जल्दी बाप समान बनके ही दिखायें। बापदादा भी अमृतवेले जब बच्चे बाप से बातें करते हैं तो खुश होते हैं। वाह बच्चे वाह! और बाप हर बच्चे को चाहे पुराना है चाहे नया है हर बच्चे को बहुत-बहुत दिल की दुआयें देते हैं। एक कदम आपका हजार कदम बाप की मदद का क्योंकि अब समय का परिवर्तन फास्ट गति में जा रहा है। अच्छा।
सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा जोन का है:- बापदादा ने सुना कि देहली शुरू से लेके सेवा की नई-नई बातें करती आई है। की है ना! देहली ने की है। तो अभी कोई नई इन्वेन्शन निकालो सेवा की। जो भाषण चलते हैं प्रोग्राम चलते हैं वह भी अच्छे हैं क्योंकि उससे वृद्धि होती है और सम्बन्ध में आते हैं। जो अभी चल रहे हैं वह भी अच्छे हैं लेकिन अभी यह प्रोग्राम्स बहुत समय चले हैं। अभी कोई नई बात निकालो जो सेवा में करने वालों को नया उमंग नया उत्साह आये। करेंगे ना! अच्छा है। सभी उत्साह में लाकर सभी को उसमें बिजी करो। यह जो बड़े प्रोग्राम होते हैं उसमें भाषण करने वाले तो बिजी होते हैं लेकिन दूसरे सिर्फ साथ देते हैं। वह भी है जरूरी लेकिन ऐसा कोई कार्य निकालो जिसमें हर एक क्वालिटी वाले खुद करके बिजी रहें क्योंकि देहली को ही राजधानी बनना है। तो देहली वालों को ऐसी कोई इन्वेन्शन निकालनी चाहिए। ठीक है! ठीक है सभी करेंगे? हाथ उठाओ। अच्छा है। कोई भी निकाल सकते हैं। नये भी निकाल सकते हैं। अगर दूसरे कोई को भी कोई संकल्प आवे तो वह भी यहाँ हेड आफिस में मधुबन आफिस में लिख सकते हैं। सबको चांस है। अच्छा। देहली वाले पुरूषार्थ में भी नम्बरवन लें। बापदादा ने बहुत समय से यह कहा है कि कोई भी सेन्टर चाहे देश चाहे विदेश सेन्टर उसके कनेक्शन में सेन्टर निर्विघ्न 6 मास रह कोई भी विघ्न नहीं आये। निर्विघ्न। अगर नम्बरवन बनेगा तो उसकी भी निर्विघ्न भव की डे मनायेंगे। अभी 6 मास कह रहे हैं 6 मास का अभ्यास होगा तो आगे भी आदत हो जायेगी। लेकिन इनाम लेने के लिए 6 मास का टाइम देते हैं। तो देहली क्या नम्बर लेगा? पहला नम्बर। बापदादा को खुशी है। सारे पारि वार को भी खुशा है। सन्तष्टुता का बोलबाला हो। चाहे सेवा में चाहे जो नियम बने हुए हैं उस नियम में तो देखेंगे बापदादा ने कहा है लेकिन अभी तक नाम नहीं आया है। जोन नहीं तो जो भी बड़े सेन्टर हैं उसके कनेक्शन वाले सेन्टर इतना भी करेंगे तो बापदादा देखेंगे। अभी जल्दी जल्दी कदम को आगे करना क्यों? अचानक क्या भी हो सकता है। तारीख नहीं बतायेंगे। अच्छा देहली वाले बैठ जाओ।
आगरा सबजोन:- आगरा को ऐसा कोई कार्य या सेवा करनी है जो जैसे गवर्मेन्ट की लिस्ट में आगरा मशहूर है ऐसे आगरा वालों कोई न कोई ऐसी सेवा ढूंढो जो आलमाइटी गवर्मेन्ट में भी मशहूर हो। तो जैसे आगरा में ताज हैं वैसे कुछ करो। है उम्मींद है! उम्मींद है उसकी मुबारक हो। क्या करेंगे? लेकिन कितने समय में करेंगे। (मेला करेंगे मेगा प्रोग्राम करेंगे) मेगा प्रोग्राम तो सभी कर रहे हैं लेकिन कोई नई इन्वेन्शन निकालो जो किसी जोन ने नहीं किया हो। क्योंकि आगरा सभी का देखने लायक है। तो जैसे आजकल की गवर्मेन्ट का ताज है ना। अगर प्रोप्रोगण्डा होती है तो आगरा उसमें मशहूर है ना। ऐसा कोई कार्य करो। सोचना अमृतवेले बैठना और सोचना तो कोई न कोई टाचिंग आ जायेगी। ठीक है टीचर्स हाथ उठाओ। बहुत हैं। तो कमाल करना। बाकी बापदादा सभी बच्चों को यही कहते हैं कोई नवीनता करो अभी। जो चल रहा है समय अनुसार वह नवीनता है लेकिन अभी और नवीनता इन्वेन्शन करो कोई भी जोन करे लेकिन नया निकालो। बाकी बापदादा को हर एक बच्चा प्यारा भी है और बापदादा हर एक बच्चे की विशेषता भी जानते हैं। हर एक की विशेषता है जरूर लेकिन कोई कार्य में लगाते हैं कोई की छिप जाती है इसलिए बाप कहते हैं हर बच्चा बाप को प्यारा है सिकीलधा है और बाप यही चाहते कि उड़ते रहो उड़ाते रहो।
मीटिंग में आये हुए भाई बहिनों से:- मीटिंग वाले अर्थात् जिम्मेवार निमित्त आत्मायें। निमित्त आत्माओं की तरफ सबका प्यार है और आप सभी का आधार हैं। जो पुरूषार्थ की लहर निमित्त बनने वालों की होती है उसे सब फॉलो करते हैं। तो अभी निमित्त में बापदादा की एक आशा है और सभी आशा के दीपक हैं। तो बापदादा यही आशा रखते हैं कि अभी चेहरे और चलन से ऐसे लगना चाहिए कि यह आत्मायें सभी के आगे एक सैम्पुल हैं। जैसे अभी सभी मानते हैं कहते हैं अगर कदम पर कदम रखना है तो ब्रह्मा बाप के लिए इशारा करते हैं। ऐसे जो निमित्त हैं उन्हों के लिए इशारा करें अगर देखना हो तो इस आत्मा को देखो। बाप समान दृष्टान्त बनें। हो सकता है? हो सकता है कि अभी टाइम चाहिए? तो बापदादा की इस ग्रुप पर यह आशा है क्योंकि पहले जो लक्ष्य रखे बाप समान बनने का बापदादा ऐसा एक्जैम्पुल चाहते हैं। हो सकता है? करना ही है ना! तो यह इस ग्रुप को लक्ष्य रखना है जो हम करेंगे वह सब करेंगे यह आशीर्वाद लेनी है। निमित्त बनना है।
डबल विदेशी भाई बहिनों से:- डबल विदेशी हमेशा अनुभव करते हैं कि हम ब्राह्मण परिवार और बापदादा के विशेष सिकिलधे हैं क्यों! जितना ही देश के हिसाब से दूर हैं उतना ही बापदादा के दिल के नजदिक हैं। यह विशषता है बाबा जब कहते हैं तो बाबा कहने में ही सबकी शक्ल ऐसी प्यार में लवलीन हो जाती है जो बाप भी देख-देख हर्षित होते हैं और एक बात की विशेषता है कि जो भी भारत के नियम हैं उसको पालन करने में हिम्मत रखते हैं। शुरू में भारत का कलचर है यह फील करते थे लेकिन अभी बापदादा ने देखा कि अभी यह कहते हैं कि हम भी पहले भारत के थे। भारत का नशा राजधानी है ना भारत वह अच्छा दिल में बैठ गया है। पूछते रहते हैं हम यह तो नहीं थे जो गये हैं उनके लिए पूछते हैं हम भी ऐसे थे क्या! भारत के बाप भारत के परिवार से प्यार है। सेवा भी अब तक अच्छी की है और आजकल देखा है कि अपने आसपास जहाँ सेवा नहीं है वहाँ भी करने का लक्ष्य रखा है और रिजल्ट में कई जगह सक्सेस भी हुए हैं। ऐसे है ना! कर रहे हैं ना सेवा? हाथ उठाओ जो सेवा आसपास की कर रहे हैं अच्छा है। बापदादा खुश है। अच्छा –
चारों ओर के बच्चे बाप के दिल के दुलारे हैं हर एक बच्चा यही लक्ष्य बार-बार स्मृति में लाते हैं और लाना है कि हमें तीव्र पुरूषार्थ कर बाप को प्रत्यक्ष करना है। जो सबकी दिल कहे मेरा बाबा आ गया। ऐसा उमंग और उत्साह का संकल्प आजकल बापदादा के पास पहुंच रहा है। यह उमंग उत्साह मैजारिटी के दिल में आ गया है। बापदादा की यही आश है कि अभी जल्दी से जल्दी सबको यह सन्देश पहुंचाना है कोई वंचित नहीं रहे। कुछ न कुछ वर्सा ले लें। च्ाहे जीवनमुक्ति का नहीं तो प्यार से मुक्ति का वर्सा तो ले लें क्योंकि बाप को सबको वर्सा देना है। जितनों को वर्सा दिलायेंगे उतना आपको भी अपने राज्य में राज्य अधिकारी बनने का वर्सा मिलेगा। सभी तरफ के हर बच्चे को बापदादा का बहुत-बहुत प्यार और दुआयें स्वीकार हो। अच्छा।
दादी जानकी:- (बाबा संस्कार बनाने पड़ेंगे क्या!) बने पड़े हैं। आपको दोनों तरफ देखना है। तबियत को भी देखना जरूरी है और सेवा को भी देखना जरूरी है। आप सेवा को देखते ज्यादा हो (बाबा करा रहे हैं) करा रहे हैं लेकिन आपको आगे चलके बहुत कुछ करना है। (बाबा मधुबन में ही बैठ जाऊं) वह भी टाइम आयेगा। दोनों तरफ देखो।
रमेश भाई से:- तबियत की सम्भाल करो अभी बहुत काम करना है । जितना गवर्नमेंट आगे जा रही है इतना आपका काम भी आगे जाना है इसलिए तबियत को ठीक रखो और बाप भी दादियां भी आपके साथ मददगार हैं। कोई भी बात हो मदद ले लो। (मीटिंग कम होती है) मीटिंग भले करो लेकिन जब सभी फ्री हों तब मीटिंग हो ना इसलिए सभी आपस में मिलके यह भी डेट बना दो। मधुबन में ग्रुप आने के पहले ग्रुप जाने के बाद सोच लो कब मीटिंग करनी है। एक दो में राय करके डेट बना दो कभी कुछ हो तो बदली कर लो।
परदादी से:- बीमारी को हजम कर लेती है। सभी को खुशी होती है। बहुत अच्छा है। शरीर को भी साक्षी होकर चला रही हो। अच्छा है। बापदादा खुश है। (रूकमणी बहन से) पार्ट अच्छा बजा रही है। कभी तंग नहीं होती है। यह विशेषता है भी सदा औरों को भी सिखाओ।