16-03-11 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘मन्सा द्वारा प्रकृति को सतोगुणी बनाने की सेवा करो शुभ भावना शुभकामना रख संस्कार मिलन की रास करो और अपने पुराने संस्कारों को जलाकर प्रभु के संग का रंग लगाते सच्ची होली मनाओ’’
आज होलीएस्ट बाप अपने बच्चों से होली मनाने आये हैं। आप सभी भी होली मनाने आये हैं। चारों ओर के दूर बैठे हुए बच्चे भी दूर बैठे भी होली मनाने बैठे हैं। आप सभी कौन से रंग की होली मनाने आये हैं! जानते हैं सबसे श्रेष्ठ रंग है परमात्म संग का रंग। यह रंग सदा श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाने वाला है। जैसे बाप ऊंचे ते ऊंचा है ऐसे यह परमात्म संग ऊंचे ते ऊंचा बनाने वाला है। हर एक बच्चे के मस्तक में चमकता हुआ भाग्य का सितारा देख रहे हैं। यह भाग्य का सितारा सारे कल्प में आप भाग्यशाली बच्चों के सिवाए और कोई प्राप्त नहीं कर सकता। वह श्रेष्ठ भाग्य है कि आप बच्चे ही डबल पवित्र अर्थात् होली बनते हो। वैसे धर्मात्मायें भी हैं लेकिन वह शरीर से पवित्र नहीं बनते हैं। आप ब्राह्मण आत्माओं का भविष्य में आत्मा भी पवित्र बनती और शरीर भी पवित्र बनता है। इनकी निशानी डबल पवित्र तो डबल ताज प्राप्त होता है। सारे कल्प में डबल ताजधारी आप संगमयुग में बाप के संग के रंग से डबल पवित्र बनते हो। संगमयुग का परमात्म संग डबल पवित्र बना देता है। तो आपकी होली बाप के साथ रहने से बाप को कम्बाइन्ड बनाने से डबल पवित्र बन जाते हो। सदा दिल में बाप का संग रहता है। यह रंग कितना श्रेष्ठ है जो इतना श्रेष्ठ बना देता है। लोग तो स्थूल रंग से होली मनाते हैं लेकिन आप बाप के संग के रंग से होली बन जाते हो। वह भी डबल होली। तो आपकी होली दुनिया से न्यारी परमात्मा की प्यारी है। तो नशा रहता है ना कि हमारी होली प्रभु संग के रंग के कारण आधाकल्प ऐसा पवित्र बनाती है जो अब तक भी आपके चित्र कायदे प्रमाण पूजे जाते हैं और कोई के भी चित्र ऐसे प्रेम पूर्वक पूजे नहीं जाते हैं। आप स्वयं अपने चित्रों को देख रहे हो। और भी पूजे जाते हैं लेकिन इतना समय और ऐसे विधिपूर्वक पूजा नहीं होती। आप सदा उमंग और उत्साह में रहते हो। रहते हो ना! उमंग- उत्साह में रहते हो? हाथ उठाओ। रहते हो कभी कभी या सदा? जो कहते हैं हम सदा उमंग-उत्साह में रहते भी हैं और दूसरे को भी उमंग-उत्साह दिलाते हैं वह हाथ उठाओ। कभी कभी नहीं सदा। सदा शब्द को अण्डरलाइन करते हो ना! लेकिन आपका यादगार जो भी आपकी स्थिति रही है उसका यादगार आपके भक्त उत्सव के रूप में मनाते हैं। आपने प्रभू के संग का रंग लगाया तो वह भी रंग लगाते हैं लेकिन बॉडीकान्सेस हैं ना तो स्थूल रंग लगा देते हैं। जिस रंग में खर्चा भी बहुत और फिर रिजल्ट भी कुछ अच्छी कुछ नहीं अच्छी ऐसे मनाते हैं। लेकिन आपके उत्साह का यादगार उत्सव जरूर मनाया है। आप परमात्मा का बनने के लिए पहले अपने पुराने संस्कारों को जलाते हो और फिर प्रभु के संग का रंग लगने से सदा मनाते रहते हो। वह भी पहले जलाते हैं फिर मनाते हैं लेकिन आपका मनाना और उन्हों के मनाने में रात दिन का अन्तर है। वह बॉडीकान्सेस आप आत्म अभिमानी। वह देह भान में आप आत्मिक भान में।
आपको बापदादा का डायरेक्शन है होली अर्थात् बीती सो बीती। यह भी कहते हैं हो ली लेकिन अर्थ को प्रैक्टिकल में नहीं ला सकते। आप सब हो ली अर्थात् बीती सो बीती करते हो। करते हो ना! कि कभी कभी करते हो? क्योंकि बीती को याद करने से व्यर्थ संकल्प बहुत चलते हैं। समय भी व्यर्थ जाता है। जो बहुत समय के संस्कार हैं वह न चाहते भी जब चलते हैं तो इस संगमयुग का एक-एक मिनट जो एक जन्म में 21 जन्म की प्रालब्ध बनाता है वह एक-एक संकल्प एक-एक मिनट कितना वैल्युबुल है। एक सेकण्ड नहीं गया लेकिन अनेक जन्म की प्रालब्ध में फर्क पड़ जाता है। बापदादा ने पहले भी कहा है कि संगम समय का समय और संकल्प कभी भी व्यर्थ नहीं गंवाना है। अगर सदा प्रभु रंग में रंगे हुए हो अर्थात् बाप को सदा का साथी बनाके रहते हो तो संगमयुग के एक-एक संकल्प और समय माना एक-एक मिनट को सफल कर सकते हो। तो चेक करो अपने को कि एक- एक मिनट एक-एक संकल्प सफल होता है? या व्यर्थ भी जाता है? क्योंकि एक मिनट नहीं 21 जन्म का कनेक्शन हर मिनट और हर संकल्प का है। इतनी वैल्यु है। तो अपनी दिल में सोचो कि इतनी वैल्यु सदा रहती है! इस संगम के समय के लिए कहा हुआ है - ‘‘अब नहीं तो कब नहीं।’’ इतनी वैल्यु सदा स्मृति में रहे। तो आप सभी ने आज होली मनाई अर्थात् सदा बाप के संग का रंग लगाया। तो सारा दिन चेक किया कि बाप का रंग लगा हुआ रहा? परमात्म संग में रहे या और भी कहाँ समय वा संकल्प गया? चेक किया? कांध हिलाओ हाथ नहीं ऐसे करो।
बापदादा सदा ही इशारा देते हैं कि अपने मन के शुभ सतोगुणी संकल्प द्वारा प्रकृति को भी सतोगुणी बनाते रहो। तो वह मन्सा सेवा याद रहती है? क्योंकि अभी प्रकृति बड़े रूप में अपना कार्य करने वाली है। यह तो छोटी सी बात है लेकिन प्रकृति को मनुष्यात्मायें तंग करती हैं तो वह भी तंग करना शुरू करती है इसलिए बाप कहते हैं जैसे मायाजीत बनने का अटेन्शन रखते हो। रखते हो ना! माया से वायदा है आपका काम है आना और हमारा काम है विजय प्राप्त करना। किया है ना वायदा सभी ने? किया है? मायाजीत बनना है ना! ऐसे ही प्रकृति जीत भी बनना है क्योंकि आपको राज्य करना है ना। आपका राज्य आ रहा है ना! नशा है ना! लोग तो बिचारे सोचते हैं क्या होगा डरते हैं। लेकिन आप को पता है तो अभी संगमयुग अमृतवेला चल रहा है। तो अमृतवेले के बाद क्या आता है? सवेरा। उस सवेरे में ही हमारा राज्य आना है। है ना नशा! हमारा राज्य है कि केवल महारथियों के लिए राज्य है? आप सबका राज्य है। आपको ाचिंता नहीं क्या होगा? अच्छे ते अच्छा होगा। तो आपके राज्य में प्रकृति भी सतोप्रधान होनी है। तो प्रकृति को तमोगुणी से सतोगुणी कौन बनायेगा? कि प्रकृति जैसी भी हो चलेगी? आपके राज्य में चलेगा? चलेगा? हाँ करो या ना करो। नहीं चलेगी? तो प्रकृति को सतोगुणी कौन बनायेगा? आप ही बनायेंगे ना! इसलिए अभी अचानक का पहला दृश्य छोटा है यह शुरू हुआ है। अभी तो बड़े-बड़े आने हैं और अचानक ही आने हैं। जो सोच में नहीं होगा वही होना है।
बापदादा ने तो बहुत समय से अचानक का पाठ पढ़ाया है। लेकिन अभी प्रत्यक्ष रूप में देख करके अभी अपना काम शुरू करो। घबराओ नहीं। कहानी सुनाते हैं ना - चारों ओर आग लगी लेकिन परमात्मा के बच्चे सेफ रहे। तो अभी भी बच्चे तो सेफ हैं ना! पेपर तो आने ही हैं लेकिन आपका डबल काम है। एक तो निर्भय होके सामना करो दूसरा अपने भक्त और अपने दु:खी भाई-बहिनों की सेवा भी कौन करेगा? आप प्रभु के संग में रंग लगे हुए हो तो जो परमात्मा के संग के रंग में प्राप्त किया है वह अपने भाई बहिनों को भक्तों को खूब प्यार से दिल से बांटो। दु:ख के समय कौन याद आता है? फिर भी परमात्मा चाहे समझें चाहे नहीं समझें लेकिन मजबूरी से भी हे बाप हे परमात्मा कहेंगे जरूर। तो आप परमात्म बच्चों को अभी दु:खियों का सहारा बनना है। उन्हों को शुभ भावना शुभ कामना द्वारा बाप द्वारा प्राप्त हुई किरणों द्वारा सहारा बनो। फिर भी आपका परिवार है ना! तो परिवार में एक दो को सहयोग देते हैं ना! तो नाम ही है सह योग श्रेष्ठ योग। वही साधन है सहारा देने का। सन्देश भी भेजा था कि समय फिक्स करो। ऐसे नहीं हो जायेगा जैसे ट्राफिक कन्ट्रोल अमृतवेला निश्चित है तो करते हो ना। ऐसे अपने कार्य प्रमाण यह मन्सा सेवा भी अभी के समय प्रमाण अति आवश्यक है। तो समय निकाला े रहमदिल बनो। कल्याणकारी बनो। आपका स्वमान क्या है? विश्व कल्याणकारी। तो रहम आता है? कि हो जायेगा? इसमें अलबेले नहीं बनना क्योंकि जिन्हों को आप सकाश देंगे वही आपके भक्त बनेंगे इसलिए क्या करना है? है अटेन्शन है? जो समझते हैं हमारा अटेन्शन है और बढ़ेगा वह हाथ उठाओ। नीचे-ऊपर कर रहे हैं। यहाँ देखने आ रहे हैं। (टी.वी. में) अगर इतने सभी ने अपने स्वमान को प्रैक्टिकल में लाया तो आत्मायें अभी भी संगम पर आपके दिल से गीत गायेंगे वाह परमात्म बच्चे वाह! हमें सहारा दिया। आपके लिए अभी का सहारा आधाकल्प आपके गीत गाते रहेंगे। आप उसके पूर्वज हो जायेंगे। पूर्वज हो। झाड़ में कहाँ बैठे हैं ब्राह्मण। नीचे बैठे हैं ना! तो पूर्वज हो ना! आवाज सुनने आता है भक्तों का? थोड़ा अपने को सावधान करो दु:खियों का सहारा बनना ही है तो आवाज सुनने आयेगी।
तो सभी ने होली तो मनाई आपकी तो सारा संगम ही होली है। परमात्मा के संग के रंग में ही रहते हो। यादगार मनाते हैं एक दो दिन लेकिन आप तो पूरा संगम प्रभु के संग में रहने वाले हो। नशा है ना! लोग बिचारे मांगते रहते हैं हे प्रभु यह कर दो वह कर दो लेकिन आपको 21 जन्म की गैरन्टी मिली है कभी दु:ख का स्वप्न में भी कोई दृश्य नहीं आयेगा। संकल्प में भी दु:ख की लहर नहीं आयेगी। तो सदा हर एक को अगर राज्य लेना है तो अभी अपने परिवार सतयुग का साथी और रॉयल प्रजा साधारण प्रजा सब अभी बना सकते हो। 21 जन्म की गैरन्टी है। थोड़ी सी सेवा करो समय निकालो क्योंकि आपके पास संकल्प शक्ति तो है ही। सिर्फ जो बाप से मिला है वह अपने भाई-बहिनों को भी दो।
बापदादा ने पहले भी कहा था तो अपना सदा यह चेक करो कि मुझे ब्राह्मण परिवार के बीच संस्कार मिलन की रास करनी है। बापदादा ने कहा था वह रास कब करेंगे उसकी डेट भी फिक्स करो। फिक्स हो सकती है? हो सकती है? पहली लाइन बताओ। हाथ उठाओ। हो सकती है? पाण्डव भी उठाओ। पाण्डवों के बिना गति नहीं है। अच्छा। तो अभी लास्ट टर्न है एक टर्न रहा हुआ है। उसमें हर एक अपने लिए क्या दृढ़ संकल्प है वह फिक्स करके लिखना। कितना समय लगेगा जो ब्राह्मण परिवार में कहाँ भी कभी भी संस्कार अपना कार्य नहीं करे। चाहे मेरा संस्कार चाहे दूसरे का संस्कार भी मेरे को प्रभाव नहीं डाले। यह डेट फिक्स हो सकती है? हो सकती है? हाथ उठाओ। अच्छा सभी का फोटो निकाला! क्योंकि जैसे यह अचानक सीन देखी ना। ऐसे सब अचानक ही होना है इसलिए बापदादा तैयारी तो देखेंगे ना! जब दूसरों को शुभ भावना शुभ कामना देते हो बापदादा ने देखा यह दूसरों की सेवा का प्रोग्राम भी बनाया था तो अगर हर आत्मा के प्रति स्ादा शुभ भावना और शुभ कामना रखो नम्बरवार तो होना ही है। आपकी माला यादगार एक नम्बर सब हैं क्या? नम्बरवार हैं लेकिन माला में तो पिरोये हैं ना! नम्बर क्यों मिला? भिन्न-भिन्न संस्कार हैं लेकिन हमको संस्कार देखने के बजाए शुभ भावना शुभ कामना रखनी है। आखिर भी ब्राह्मण परिवार है ना। कैसा भी है परिवार तो मेरा है ना! जैसे मेरा बाबा कहते हो वैसे मेरा परिवार भी है। तो अच्छा है मैजारिटी ने हाथ उठाया है। तो सभी का उमंग-उत्साह है तब तो हाथ उठाया है ना! तो एक दो को सहयोगी बन शुभ भावना शुभ कामना की दृष्टि वृत्ति स्मृति रखने से यह रास होना कोई बड़ी बात नहीं। इस पर जो बहुत अच्छा नम्बर लेगा डेट पर प्रैक्टिकल करके दिखायेगा उनको न्यारा और प्यारा इनाम मिलेगा। इनाम अभी नहीं बतायेंगे। लेकिन बापदादा इनाम देंगे। क्यों? सेवा करने का टाइम निकालना है ना। तो यह संस्कार की खिटखिट समय अपने तरफ खींच लेती है इसलिए समय की अभी आवश्यकता है। ठीक है ना! यह सभी मधुबन वाले हैं ना! पसन्द है ना! क्योंकि मधुबन वासी विशेष हैं। बापदादा का भी मधुबन निवासियों प्रति दिल का प्यार है। और मधुबन वालों का भी है। यह भी बाबा कहते बाप से प्यार है और रहेगा। मिट नहीं सकता है। अमर है इसमें। तब तो मधुबन वासी बने हैं ना! कहाँ भी मधुबन वासी जाते हैं तो किस रिगार्ड से देखते हैं? मधुबन का है मधुबन का है। इसलिए यह अटेन्शन रखना लास्ट टर्न के पहले सभी मधुबन में कोई स्थान मुकरर करना जहाँ अपनी चिटकी डालें। लेकिन लास्ट टर्न के पहले।
सभी ने होली मनाई? आपकी तो रोज होली है। अभी भी यह तो बाहर का थोड़ा मनाना होता है। कहाँ मनाने जायें। यहीं तो मनायेंगे। लेकिन वो हुई रीति रसम। तो सभी चारों ओर के बापदादा के अति स्नेही अति प्यारे लाडले सिकीलधे स्वमानधारी हर बच्चे को बापदादा पदमगुणा यादप्यार भी दे रहे हैं और दिल का दुलार भी दे रहे हैं।
बापदादा देख रहे हैं चारों ओर सब सुनके देख के हर्षित हो रहे हैं। अच्छा। आज पहली बारी कौन आये हैं? उठो। यह सभी पहली बारी आये हैं। अच्छा। पहले बारी मधुबन निवासी बनने का भाग्य प्राप्त हुआ है। सभी आपके भाई-बहिनें और बापदादा भी आप सभी को पहले बारी आने की मुबारक दे रहे हैं। अभी बापदादा देखेंगे क्योंकि चांस है कि थोड़ी देरी से आये हैं लेकिन जो चाहे वह अभी भी लास्ट सो फास्ट जाकरके फर्स्ट नम्बर लेकर फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हो। यह बापदादा का जो भी आज आये हैं उन सभी बच्चों को वरदान है। सिर्फ जो बाप के महावाक्य हैं उस श्रीमत पर चलते रहेंगे तो श्रीमत आपको श्रेष्ठ डिवीजन में ला सकती है लायेगी। इतने सारे परिवार द्वारा आप सभी को वरदान तो बाप का होता है लेकिन शुभ भावना शुभ कामना है कि आप जितना आगे बढ़ने चाहो उतना बढ़ सकते हो। सभी आपको दिल से दुआयें देंगे। जहाँ भी आते हो वहाँ आपको दुआयें मिलती रहेंगी और वह दुआयें आपको तीव्र पुरूषार्थी बनाके आगे बढ़ायेंगी यह निश्चय रखो। अच्छा।
सेवा का टर्न पंजाब जोन का है:- (पंजाब हिमाचल हरियाणा जम्मू कश्मीर उतराचंल): पंजाब तो है ही शेरे पंजाब। तो पंजाब तो शेर अर्थात् वारिस निकालने वाले। हर एक सेन्टर अपने वारिस क्वालिटी की लिस्ट भेजना। शुरू से लेके अभी तक हर एक सेन्टर से कितने वारिस क्वालिटी निकले? और वारिस क्वालिटी तो कहाँ भी छिप नहीं सकती है। वैसे तो बापदादा आज वह भी देखने चाहते हैं कि बुलन्द स्वरूप के माइक कितने हैं? जिसका आवाज दिल का सुनके औरों की दिल भी दिलाराम के तरफ आकर्षित हो लेकिन बापदादा ने सुना है कि वर्ग बहुत मिलने हैं वह वर्गो से पूछेंगे। लेकिन पंजाब वाले सभी सेन्टर चाहे छोटा है या बड़ा है वारिस क्वालिटी कितने निकले हैं? कब से निकले हैं? क्योंकि पंजाब भी पहले पहले निकला है। पंजाब में भी बहुत महावीर महारथी सेवा के अधिकारी बने हैं पालना मिली है। कई पूर्वज भी सेवा करके गये हैं। बापदादा का भी पंजाब से प्यार है क्यों? क्यों प्यार है? क्योंकि पंजाब में नदियां भी बहुत हैं तो जैसे पंजाब की नदियां मशहूर हैं ऐसे ही बापदादा की तरफ से पंजाब के सेवाधारी भी प्रसिद्ध हैं। त्याग करने और कराने में भी होशियार हैं इसलिए वारिस क्वालिटी निकालना भी सहज है। बापदादा हर जोन को नम्बरवन देने चाहते हैं। बापदादा ने देखा है कि जब जोन आते हैं तो अभी तक कोई भी जोन कम नहीं आया है। एक दो से आगे आये हैं इसलिए पंजाब को जो निकले हुए सेवा से हैं उन्हों को खास सेवा करके वारिस क्वालिटी में लाना है। ला सकते हैं। ध्यान देंगे तो निकल जायेंगे। सिर्फ क्वालिटी को समझकर उनके ऊपर थोड़ा शुभ भावना शुभ कामना की विशेष मेहनत करना थोड़ा सा विशेष मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन क्वालिटी है। अभी समय भी थोड़ा सा वैराग्य का है चारों ओर अल्पकाल का वैराग्य आया हुआ है। ऐसे समय पर हर जोन ऐसी क्वालिटी को समझ आगे सहज बढ़ा सकते हो। यज्ञ स्नेही यज्ञ रक्षक बना सकते हो। अभी ताजा वैराग्य है। तो पहले आज पंजाब का टर्न है तो पंजाब पहला नम्बर आरम्भ करे। अच्छा है। बापदादा सबका मुखड़ा देख रहे हैं। चाहे दूर हैं लेकिन टी.वी. में नजदीक हैं। देख रहे हैं। अच्छा।
8 विंग्स वाले आये हैं:- समाज सेवा विंग दो ट्रांसपोर्ट मीडिया प्रशासक साइंस एण्ड इंजीनियर मेडिकल सिक्युरिटी आई.टी. (सभी विंग के भाई बहिनों को खड़ा किया) मैजारिटी तो विंग वाले ही दिखाई देते हैं और बापदादा जो भी सभी विंग्स आये हैं और सेवा कर रहे हैं तो बापदादा ने देखा विंग्स के सेवा की रिजल्ट अच्छे ते अच्छी हो रही है क्योंकि चारों ओर सेवा करने से अलग-अलग हो गये हैं ना तो हर एक अपने-अपने विंग में दिनप्रतिदिन उन्नति कर और आत्माओं को नजदीक ला रहे हैं इसलिए बापदादा हर एक विंग के ऊपर सेवा के ऊपर खुश है। ताली तो बजाओ।
अभी आगे बढ़के क्या करना है? सेवा तो विस्तार को प्राप्त हो रही है लेकिन अभी जो सेवा से समीप आये हैं उन्हों को हर एक विंग इकठ्ठा करके उन्हों को यज्ञ स्नेही बनाओ। यज्ञ स्नेही बनने से एक बारी आये यज्ञ में वह अलग बात है लेकिन उन्हों को यज्ञ क्या चीज है यज्ञ के प्यार से क्या होता है नजदीक लाओ। थोड़ा घरू बनाओ। भाषण सुनते हैं भाषण करते हैं इसमें पास हैं लेकिन परिवार का साथी बन जायें वह भी लिस्ट निकालो। हर एक विंग से कितने यज्ञ के सम्पर्क में आये हैं। बापदादा को सुनाया था कि कई आत्मायें मुरली तक पहुंचे हैं। यह भी अच्छा है। जैसे मुरली तक पहुंचे हैं वैसे यज्ञ स्नेही क्या होता है यज्ञ स्नेही निमित्त आत्मा क्या-क्या कर स्वयं को आगे बढ़ा सकती हैं अभी ऐसे निमित्त आत्मायें निकालो। भाषण में मददगार बने हैं औरों को भी परिचय देने के निमित्त बने हैं इसकी तो बापदादा ने मुबारक दी मुरली तक भी पहुंचे हैं अभी उन्हों को आगे बढ़ाओ। जो अपने को सिर्फ सहयोगी नहीं लेकिन स्नेही भी अनुभव करें। यज्ञ स्नेही यज्ञ सहयोगी परिवार का भाती हूँ। चाहे वी.आई.पी है लेकिन परिवार का भाती है परिवार के समीप है ऐसे धीरे-धीरे उन्हें जैसे आप निमित्त हो सेवा करने वाले ऐसे वह भी अपने को जिम्मेवार समझें। तो वर्ग बनने के बाद सेवा में वृद्धि हुई है कई आत्माओं को पता ही नहीं था वह पता हुआ है। ब्रह्माकुमारियां क्या करती हैं कर्तव्य का भी परिचय पड़ा है। अभी आगे बढ़ाओ। एक तो रेग्युलर प्रेजन्ट मार्क चाहे सामने नहीं आ सकते लेकिन फोन द्वारा या किसी भी विधि द्वारा अपनी प्रेजन्ट मार्क करें क्योंकि घर का भाती है तो प्रेजन्ट मार्क तो करेगा ना। ऐसी लिस्ट बापदादा ने पहले भी कहा है तो हर जोन से निकालो और उन्हों का संगठन करके उन्हों को उमंग-उत्साह में लाओ। हर एक जोन वाला सिर्फ अपने रहने वाले सेन्टर का नहीं लेकिन जो वर्ग हैं जो हेड हैं वर्ग के वह सभी जोन में ऐसी निकालके तैयार करें। उन्हों का संगठन करे। तो एक दो को देखके भी उमंग में आते हैं। उस संगठन का समाचार नहीं आया है कि हमने अपने वर्ग का सभी जोन का इकठ्ठा संगठन किया और यह-यह क्वालिटी आई। बाकी बापदादा खुश है कि कॉमन रीति से अटेन्शन गया है अटेन्शन देके कर भी रहे हैं अभी सगंठन तैयार करो। जो भी कनेक्शन में आये हैं चाहे वी.आई.पी हैं चाहे आई.पी. हैं लेकिन उन्होंने सेवा कितनी की सन्देश कितनो को दिया यह समाचार लेना पड़ेगा। उन्हों को भी रूचि बढ़ेगी कि हमारी रिजल्ट मधुबन में जाती है। बाकी बापदादा ने पहले ही आप सबको सुनाया कि सेवा का उमंग है सेवा कर भी रहे हैं उसकी मुबारक तो बापदादा पहले ही दे चुके हैं। अच्छा।
हर एक वर्ग जैसे एक-एक उठे हो ना। तो हर एक वर्ग यह समझे कि बापदादा के सामने हर एक वर्ग है चाहे पीछे भी है तो भी सामने है। बापदादा आप एक-एक वर्ग को अपने नजदीक ही देख रहे हैं इसलिए पदम पदमगुणा मुबारक हो मुबारक हो।
600 डबल विदेशी भाई बहिनें 50 देशों से आये हैं:- बापदादा को विदेशी विशेष याद आते हैं। याद तो सब बच्चे आते ही हैं लेकिन विदेशियों का नाम सुनकर भारतवासियों को उमंग आता है कि जब विदेश वाले परमात्मा को जान वर्से के अधिकारी बने हैं तो हम वंचित नहीं रह जाएं उमंग आता है। इसलिए अभी सेवा में विदेशी और भारतवासी इकठ्ठा प्रोग्राम करने शुरू किया है। जानते हैं कि जब विदेश वाले पहचान गये तो हम रह नहीं जाएं उमंग आता है। तो आप भारतवासियों को आगे बढ़ने का उमंग दिलाने वाले निमित्त आत्मायें हो। इसीलिए हर एक वर्ग वाले भी कोशिश करते हैं जैसे अभी दिल्ली में भी मिलके प्रोग्राम बनाया है ना चाहे छोटे रूप में हो चाहे बड़े रूप में हो लेकिन जो एक-दो भी विदेशी अपना दिल से उमंग से अनुभव सुनाते हैं वा टॉपिक पर बोलते हैं तो सुनके खुश होते हैं क्योंकि बापदादा ने पहले ही कहा है कि विदेश वाले भारत को जगाने के निमित्त बनेंगे। तो देखा गया है तो यह सेवा दिन प्रतिदिन विदेशी भी करते हैं और भारत वाले भी मिलाने की कोशिश करते हैं। कोई भी बड़ा प्रोग्राम कहाँ हो तो जैसे आदि में विदेश की तरफ से कोई न कोई विशेष वी.आई.पी आता रहा है शुरू में। ऐसे ही अभी भी यह कोशिश करो कि कोई भी ऐसा प्रोग्राम कहाँ भी हो तो कोई न कोई वी.आई.पी निमन्त्रण पर आवे। शुरू-शुरू में यह बहुत अच्छा पार्ट चला है। अभी भी एक तो ब्राह्मण आत्माओं व्ा अनुभव और दूसरा वी.आई.पी. कोई न कोई पार्टधारी बनें तो भारत और विदेश विदेश भारत को जगायेगा भारत विदेश को जगायेगा यह सेवा होते-होते आखिर भी विदेश में हमारे राज्य में कौन-कौन आने हैं यह प्रसिद्ध होता जायेगा क्योंकि गवर्मेन्ट जो विशेष आत्मायें आती हैं तो गवर्मेन्ट तक आवाज पहुंचता है। उन्हों को उनकी देखभाल करनी पड़ती है अखबार में नाम आता है। तो इससे सेवा बढ़ने का सहज साधन है। तो विदेश सेवा कर रहा है यह बापदादा के पास रिकॉर्ड है और अभी सभी वर्ग वाले भी चाहते हैं कि कोई भी प्रोग्राम हो तो प्रोग्राम प्रमाण जैसा प्रोग्राम है उसी अनुसार विदेश भारत को जगावे और भारतवासियों का इतना बड़ा रूप देख करके विदेशी भी जागें। तो बापदादा खुश है कि हर बात में विदेशी एवररेडी हैं। एवररेडी का पाठ अच्छा बजा रहे हैं ना नहीं करते हैं। तो भारत के वर्ग वाले भी ऐसे प्रोग्राम बनावें जोन वाले भी ऐसे प्रोग्राम बनावें जिसमें दोनों का मेल होता जाए। बापदादा ने देखा कि विदेशी भी एवररेडी हैं। भारतवासी भी एवररेडी हैं लेकिन प्रोग्राम ऐसे बनाओ। बाकी विदेशी बच्चों को देख बापदादा खुश होते हैं मेरे बच्चे बिछुड़कर कहाँ-कहाँ चले गये। बापदादा ने ढूंढ लिया ना आप लोगों को। कितने देशों के आते हैं। तो हर देश में अपने बच्चों को बाप ने ढूंढ लिया है। खुशी होती है ना। आप तो बाप को ढूंढ नहीं सके लेकिन बाप ने कोने-कोने से आपको ढूंढ लिया। क्योंकि कल्प-कल्प के अधिकारी हो। हर कल्प बापदादा आपको निकालते ही रहते हैं। मिस हो नहीं सकते हो। बाप के बच्चे बाप के पास आने ही हैं। तो बिछुड़े हुए बच्चों को देख बाप खुश तो होता है ना। वाह मेरे बच्चे वाह मेरे बच्चे! मधुबन को भी सजाते रहते हो। बापदादा ने देखा है विदेश की तरफ से बापदादा को बहुत सहयोग चाहे तन में चाहे मन में चाहे धन में सब रीति से यज्ञ स्नेही बापदादा के स्नेही हैं और आगे-आगे बढ़ते जा रहे हैं बढ़ते रहेंगे। अच्छा। एक-एक को बापदादा दिल का प्यार और दुलार दे रहे हैं। अच्छा।
दादी जानकी से:- अच्छा सभी खुश होते हैं। खुश करने के आपके दो तरीके हैं एक क्लास दूसरा टोली। अच्छा। अच्छा पार्ट बजा रही हो। बापदादा खुश है।
मोहिनी बहन से:- यज्ञ में हर एक का पार्ट अपना-अपना आवश्यक है। कोई भी एक्टर निमित्त सेवाधारी अगर मिस होता है तो ऐसे नहीं मालूम नहीं पड़ता है हर एक पार्ट अपना-अपना महत्व का है। कोई का भी पार्ट अगर मिस हो जाता है तो फर्क पड़ जाता है। यह बाप का वरदान एक-एक कॉमन पार्टधारी को भी है। जैसे भण्डारे वाले हैं। है तो कामन पार्ट लेकिन भण्डारे वाला नहीं हो तो काम नहीं चले। सफाई वाला नहीं हो तो भी काम नहीं चले क्लास कराने वाला नहीं हो तो भी काम नहीं चले। हर एक एक्टर को ड्रामानुसार जो पार्ट मिला हुआ है उसको समझना चाहिए कि मैं भी विशेष निमित्त हूँ। ड्रामा ने हर एक को चाहे छोटा सा कार्य है लेकिन वह भी जरूरी है। पांच अंगुलियां हैं एक अंगुली भी मिस हो जाए तो फर्क पड़ेगा ना। तो यज्ञ की यही विशेषता है जो भी जिसको पार्ट मिला है ना वह बहुत बहुत बहुत जरूरी है। अच्छा।
अच्छा यह है अभी डाक्टर नहीं होता तो तुम चलती यह जरूरी है ना। हर एक पार्टधारी यज्ञ के निमित्त है। यज्ञ की जरूरी आत्मा है। आज सफाई वाला नहीं आये तो आप लोगों को अच्छा लगेगा बैठना। जरूरी है ना।
परदादी से:- आपका भी पार्ट जरूरी है। आपकी शक्ल देख कुछ करो भी नहीं तो भी खुश हो जाते हैं। (होली परदादी का जन्म दिन है) वाह! जन्म दिन है परदादी का। मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो।
(तीनों भाईयों ने बापदादा को गुलदस्ता भेंट करते हुए होली की मुबारक दी) सभी होली आत्माओं को होली की मुबारक हो मुबारक हो।
विदेश की 4 बड़ी बहिनों से:- (मोहिनी बहन जयन्ती बहन सुदेश बहन निर्मला बहन) बाप कहते हैं बच्चों को बहुत-बहुत थैंक्स जो बाप को प्रत्यक्ष किया। (करनकरावनहार ने कराया) लेकिन बच्चों ने किया ना। तो बच्चों को थैंक्स बाप बच्चों के बिना क्या करेगा। (बाबा ने कराया) दोनों एक दो के साथी हैं। अच्छा। (बापदादा ने बहिनों को गुलदस्ता दिया) चारों ही लो हाथ लगाओ। (दादी जानकी को भी गुलदस्ता दिया) इसका भी पार्ट चल रहा है ना। विशेष पार्ट चल रहा है। बापदादा ने देखा अभी आप सबका अटेन्शन भी भारत तरफ है। कोई न कोई सहयोग देने के लिए एवररेडी हैं। भारत विदेश को विदेश भारत को सहयोग देते दोनों मिलके चलना और करना यह लक्ष्य अच्छा है।
(जयन्ती बहन कराची जा रही हैं) अभी रिजल्ट अच्छी है बढ़ रही है। कोई ऐसी क्वालिटी निकले।
(जापान में जो गैस निकल रही है वह अभी फिलीपिन्स अमेरिका तरफ भी फैल रही है) जो गैस निकलेगा वह कहाँ तो जायेगा। बाकी अपनी सम्भाल करनी है। गवर्मेन्ट जो डायरेक्शन देती है उसको थोड़ा पालन करते रहो। ऐसे नहीं कुछ नहीं है कुछ नहीं है। जो डायरेक्शन देते हैं उसका थोड़ा ध्यान रखो।
बापदादा ने बच्चों के संग होली खेली और सबको होली की मुबारक दी
सभी ने होली मनाई। आपकी तो सदा ही होली है अर्थात् बाप के साथ बाप की पालना में रहते हो। बाप के साथ उठते हो बाप के साथ बातें करते हो बाप वे साथ वरदान लेते हो और वरदान देते हो। तो जो आज होली पर वरदान लिया वह कभी भी बाप से अलग अकेले नहीं होना है। साथ है साथ चलेंगे और फिर साथ में ब्रह्मा बाप के साथ राज्य करेंगे। तो साथ शब्द निभाना है। एक सेकण्ड भी साथ नहीं छोड़ना है। साथ रहेंगे साथ चलेंगे अभी यही स्मृति सदा याद रखना। अच्छा - अभी बापदादा सभी से बहुत बढ़िया सुन्दर गुडनाइट कर रहे हैं। अच्छा।