13-04-11 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘ज्वालामुखी अग्नि स्वरूप योग की शक्ति से संस्कारों का संस्कार करो अपने चलन चेहरे दृष्टि वृत्ति और संकल्प से बाप को प्रत्यक्ष करो’’
आज बच्चों के प्यार ने प्यार के सागर को भी अपने पास बुला लिया। बापदादा को खुशी है कि बच्चों का बाप से दिल का प्यार अच्छा है और सदा ही इस प्यार के आधार से बाप समान बन ही जायेंगे। वैसे भी बापदादा ने प्यार की सबजेक्ट में बच्चों को आगे रखा है। तो आज बच्चों ने अपने प्यार की तार में बांध प्यार के सागर को मधुबन में विशेष बुलाए लिया। ऐसा प्यार सदा इमर्ज रहे। दिलाराम बाप को भी बच्चों के दिल का प्यार सदा पहुंचता रहता है लेकिन नम्बरवार जरूर है। बाप यह चाहता है कि प्यार की निशानी है कि सदा हर एक के दिल में दिलाराम साथ रहे कोई भी बच्चा अकेला न हो कम्बाइण्ड हो। तो चेक करना सदा कम्बाइण्ड रहते हो वा कब कब अकेले भी बन जाते हो? अकेले में माया अपना चांस ले लेती है इसलिए बापदादा सदा कहते हैं दिलाराम को सदा दिल में बसा लो। इसको कहा जाता है सच्चा और सदा प्यार। तो कभी अकेले बनते हो कि सदा साथ रहते हो? वायदा क्या है हर बच्चे का? खास मधुबन निवासियों का नशा है कि साथ है साथ चलेंगे साथ राज्य करेंगे। ऐसे ही जो विशेष बहुत बहुत मीठे निमित्त बच्चे बैठे हैं उन्हों का तो बाप से दिल का वायदा है और मैजारिटी का प्रैक्टिकल भी है जो सदा कम्बाइण्ड रूप में रहते हैं लेकिन नम्बरवार हैं। बाप चाहते हैं हर बच्चा महारथी निमित्त बच्चे तो औरों को भी अपने चेहरे द्वारा बाप का साक्षात्कार कराने वाले हैं। उन्हों के चेहरे और चलन से बाप का प्रकाशमय चेहरा और साथ में बाप जैसी न्यारी और प्यारी चलन का साक्षात्कार होता रहता है।
ब्रह्मा बाप को देखा ब्रह्मा बाप ने अन्त तक बाप की श्रीमत प्रमाण हर मुरली में कितना बारी बाबा-बाबा कहा गिनती करना। हर मुरली में बाबा-बाबा कितने बारी कहते हैं। और बाप जैसे सूरत से मूरत से वचन से विशेष नयन और मस्तक से बाप को प्रत्यक्ष किया आप बच्चे तो अनुभवी हो कि ब्रह्मा बाप को देखते क्या अनुभव होता? बापदादा। सिर्फ बाप शब्द कोई नहीं कहता सदा हर एक के मुख से बापदादा बापदादा इकठ्ठा निकलता और अनुभव होता। ऐसे फालो फादर। आपके चेहरे से बोल से चलन से दृष्टि से बाप की याद स्वत: ही देखने वाले को आवे। आप सबका अभी बाप ने देखा कि मैजारिटी का यही संकल्प है कि हम अपने चेहरे या बोल या कर्म द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करें। तो फालो फादर। जैसे ब्रह्मा बाप ने अपने चलन चेहरे से दृष्टि से वृत्ति से संकल्प से सदा बाप को प्रत्यक्ष किया आप सबको तो अनुभव है ना! अकेला ब्रह्मा बाप नहीं देखते थे बापदादा ही देखते थे। कारण? ब्रह्मा बाप ने सदा अपने नयनों में मस्तक में बाप को समाया। तो आपके विशेष नयन मुख चलन बापदादा को समाया हुआ प्रत्यक्ष करें। हर बोल में सिखाने वाला अनुभव हो यह जो भी बोल रही है बोल रहा है इसको सिखाने वाला इसमें शक्ति भरने वाला सर्वशक्तिवान बाप है भगवान है। यह भगवान के बच्चे हैं भगवान के स्टूडेन्ट हैं भगवान को फालो करने वाले फालोअर्स नहीं लेकिन कदम में पदम बनाने वाले हैं। अब समय भी आपका सहयोगी बनने के लिए तैयार है। हालतें बदल रही हैं। जो हालतें न चाहते भी भगवान की याद दिलाती हैं। तो एक समय और दूसरा आप निमित्त बने हुए दोनों ग्रुप की विशेषता है एक विशेष निमित्त बन बना बनाया ग्रुप मीटिंग में आये हो।
बापदादा ने देखा मैजारिटी आने वाले बच्चों की दिल में उमंग-उत्साह है कि हमें बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। चाहे सूरत से सूरत की सीरत से चाहे वाणी से चाहे कोई भी आत्मायें सम्बन्ध-सम्पर्क में हैं आजकल आपकी मन्सा आत्माओं के कल्याण की भावना से आपके कनेक्शन में आ रही हैं और आने भी चाहती हैं। और जो बापदादा ने मन्सा सेवा का कार्य दिया है उसमें भी देखा कि जो योगयुक्त होकर मन्सा सेवा का अभ्यास करते हैं तो अभी यह वायबे्रशन चारों ओर किसी न किसी को पहुंच रहा है कि हमें कहाँ से लाइट की किरणें सुख शान्ति की लहर आ रही है लेकिन कहाँ से आ रही है अभी वह स्पष्ट नहीं हुआ है। आ रही है लेकिन भारत के बापदादा के बच्चों से आ रही है वह स्पष्ट नहीं हुआ है। नहीं तो भागेंगे। अभी और शक्तिशाली किरणें ऐसी आत्माओं पर डालो जो उन्हों को स्पष्ट हो जाए पहुंच रही है शुरू हुआ है अभी लेकिन थोड़ा-थोड़ा कोई-कोई की किरणें पहुंचने लगी हैं अभी इसको और शक्तिशाली बनाओ। इसके लिए जो विघ्न पड़ता है पहुंचने में स्पष्ट होने में कारण बनता है योग लगाते हो अमृतवेले बैठते हो लेकिन ज्वालामुखी योग उसकी कमी है। इसके कारण एक तो जिन भक्तों को या आत्माओं को आप किरणें भेजते हो वह इतनी स्पष्ट नहीं होती हैं। और दूसरा ज्वालामुखी अग्नि स्वरूप योग की शक्ति न होने में या कमी होने में संस्कार जो बीच में विघ्न डालते हैं वह संस्कार भी समाप्त नहीं होते हैं। पुरूषार्थ करते हो संस्कार परिवर्तन हो जाये लेकिन मरते हैं जलते नहीं हैं। जैसे रावण को सिर्फ मारते नहीं हैं मारने के बाद जलाते हैं क्योंकि मारने के बाद शरीर तो रह जाता है ना! तो ऐसे ही आप अमृतवेले याद में बैठते हो लेकिन योग अग्नि रूप में ज्वाला रूप में कम है। मिलन मनाते हो रूहरिहान करते हो अपने जीवन की बातें भी करते हो। लगातार योग अग्नि रूप हो संस्कार को मारते जरूर हो लेकिन वह मरता है लेकिन बीच-बीच में उठ जाता है। जल जायेगा तो नाम रूप खत्म हो जायेगा।
अभी सभी बच्चे रूहरिहान में भी कहते हैं जितना चाहते हैं उतना नहीं है तो बापदादा आज यह इशारा दे रहे हैं क्योंकि स्पेशल महावीर बच्चे मीटिंग में आये हैं और मधुबन निवासी अर्थात् मधुबन में है क्या मधुबन अर्थात् बाबा। मधुबन कहने से सबको क्या याद आता है? मधुबन का बाबा। तो मधुबन वालों को विशेष यह अटेन्शन रखना चाहिए कि मधुबन कहने से मधुबन का बाबा याद आता है!मधुबन में रहने वाले को किस दृष्टि से देखते हैं? मधुबन वाले हाथ उठाओ। बहुत हैं। चाहे नीचे चाहे ऊपर लेकिन आज की सभा में सबसे ज्यादा मधुबन निवासी हैं। बापदादा खुश है कि मधुबन निवासी यह कमाल अवश्य दिखायेंगे कि हर मधुबन निवासी के सूरत और सीरत से बाबा बाबा ही दिखाई दे। बात से बाप दिखाई दे क्योंकि मधुबन में यज्ञ सेवा का बल और फल बहुत मिलता है। लेने वाला लेवे लेकिन मिलता है। संस्कार को देखने या संस्कार मिलाने में और सदा अटेन्शन देने की आवश्यकता है। बापदादा को हर मधुबन के बच्चों से विशेष प्यार है क्यों? बाप के स्थापन किये यज्ञ की सेवा में स्वयं को समर्पण किया है। मधुबन निवासियों को एक तो अपने पुरूषार्थ का फल मिल रहा है और दूसरा जो मधुबन में आने वाले चाहे ब्राह्मण चाहे नई आत्मायें आती हैं उन्हों की सेवा का यज्ञ सेवा है साधारण सेवा नहीं है यज्ञ सेवा का एकस्ट्रा पुण्य भी मिलता है। अगर कोई भी मधुबन निवासी अपने बापदादा के श्रीमत पर अमृतवेले से रात तक श्रीमत प्रमाण चलता है तो उनको एकस्ट्रा मधुबन वाले खुद जाने नहीं जाने अलबेले रहें तो भी मधुबन का सेवा का पुण्य मिलता जरूर है। मधुबन निवासी बनना साधारण बात नहीं है। चाहे कोई कैसा भी काम कर रहा है चलो सफाई करा रहा है। लेकिन ऐसे साधारण काम का भी पुण्य बहुत है क्योंकि बाप का रचा हुआ यज्ञ है। इस यज्ञ से ही मधुबन में ही सभी को परमात्म प्यार प्राप्त होता है इसलिए सिवाए मधुबन के बाप कहाँ भी नहीं आता है। यह मधुबन को बाप का आने का मिलने का मिलाने का पार्ट नूंधा हुआ है। तो हर एक मधुबन वाले अपने पुण्य के खाते को जानो पहचानो और उस महान प्राप्ति स्वरूप बनो। कुछ भी हो आपका काम है बड़ों तक पहुंचाना पहुंचाया अर्थात् दिल से निकाला आपकी जिम्मेवारी पूरी हुई। अगर आप समझते हो कुछ हो नहीं रहा है तो आपका इसमें पाप नहीं बनेगा। जो जिम्मेवार है उन्हों का बनेगा। आप निश्चिंत रहो। देना आपका काम है लेकिन सोचना क्या हुआ क्या नहीं हुआ यह क्यों नहीं हुआ वह क्यों नहीं हुआ इसकी आपको आवश्यकता नहीं है और ही व्यर्थ संकल्प चलेंगे। आपकी जो जिम्मेवारी है वह आप करो पहुंचाओ। लेकिन पहुंचाने के बाद पहुंचाना भी रीति प्रमाण मधुबन निवासी ब्राह्मण हो ऊंच हो अपने मर्तबे को जान ऐसा कर्तव्य करो जो आपको सब आपके कर्तव्य को सुनकर और भी सीखें। मधुबन निवासी के ऊपर सभी को भावना है। तो ऐसे भावना वालों को भावना का फल दिखाओ। मधुबन वालों में बापदादा जानते हैं कि कोई कोई बच्चे बहुत मर्यादापूर्वक स्व पुरूषार्थी बाप से स्नेही बन सहयोग देने वाले भी बच्चे हैं। लेकिन बापदादा यही चाहता है बापदादा की चाहना क्या है मधुबन निवासियों के प्रति? मधुबन निवासी हर बाप का बच्चा यज्ञ स्नेही सहयोगी बन अपने चलन द्वारा सभी को बाप का परिचय दे कि हम मधुबन निवासियों का कितना बड़ा भाग्य है भाग्य को प्रसिद्ध करो क्योंकि यज्ञ निवासी हो परमात्मा ने क्या रचा पहले? यज्ञ रचा। और यज्ञ की धरनी निमित्त मधुबन है। जानते हो ना मधुबन की महिमा जो जानते हैं मधुबन की महिमा वह हाथ उठाओ। बापदादा यहाँ देखते हैं। अच्छा बहुत अच्छा।
बापदादा बहुत बहुत शक्तिशाली दिल का प्यार दिल की दुआयें हर मधुबन निवासियों को दे रहा है। और महारथियों को मीटिंग वालों को देख तो बहुत वाह बच्चे वाह! का दिल में गीत गा रहे हैं। लेकिन जो भी मीटिंग में आये हैं उन्हों को एक बात में आगे बढ़ना है। जो भी जितने भी आपके सेवा साथी हैं उन्हों को सदा अपने खुशी और प्राप्ति द्वारा सन्तुष्ट रखना अगर शिक्षा भी देते हो तो शिक्षा के साथ स्नेह भी देना। जिससे वह स्नेह के आधार से अपने को आगे बढ़ा सके। ऐसा स्नेह नहीं देना जो वह स्नेह का लाभ उठावे जो भी करो माफ है। ऐसा स्नेह नहीं देना। बापदादा खुश है जो निमित्त बने हैं अटेन्शन देते भी हैं लेकिन और अटेन्शन देके सन्तुष्ट भी करो और विश्व को सन्तुष्टी की किरणें पहुंचे यह भी कार्य निमित्त वालों को करना है। उसका कारण कि जो निमित्त हैं उन्हों को अपने अपने हैण्डस के संस्कार परिवर्तन कराने में थाेडी मेहनत करनी पड़ेगी। सेवा कराते हो रहने खाने का प्रबन्ध मैजारिटी सेन्टर देते हैं लेकिन उन्हों में शक्ति ऐसी भरो जो बाप से शक्ति ले आपके सेवास्थान का वायुमण्डल ऐसा बनाये जो भी आवे वह पहले तो वायुमण्डल की आकर्षण में आ जाये क्योंकि आजकल सब यही चाहते हैं कि ऐसे कोई कार्य हो जो आने से ही अनुभव हो कुछ। देखने से ही अनुभव हो कुछ। सुनने का अनुभव होता है योग का अनुभव होता है लेकिन वायुमण्डल का भी अनुभव हो यह अटेन्शन निमित्त बनी हुई आत्माओं को रखना उनकी विशेष सेवा है। स्वयं अगर योगयुक्त बन वायुमण्डल में ठीक स्थिति में रहते हैं तो उनका प्रभाव सेवास्थान पर आटोमेटिकली पड़ता है। जैसे बापदादा वा बड़े निमित्त आत्मायें का वायुमण्डल वायबे्रशन पड़ता है ना। बापदादा का वायुमण्डल बदलता है ना। तो हर बच्चे को वायुमण्डल बनाने का क्योंकि अभी अपने सेन्टर्स का वायुमण्डल बदलेंगे तब संसार का वायुमण्डल बदलेगा। निमित्त आपके सेवास्थान से। पुरूषार्थ है लक्ष्य है लेकिन इस लक्ष्य को और पावरफुल बनाओ। जिसको देखें लोग शक्ल से वायबे्रशन से जान जाते हैं आजकल क्योंकि आसुरी शक्ति का भी प्रभाव उन्हों की बुद्धि में है नॉलेज का भी प्रभाव है इसलिए जो भी मीटिंग में आये हो हर एक जिम्मेवार हो। नहीं तो मीटिंग में नाम क्यों डाला। हिम्मत है ना तब आपका नाम हुआ ना इसलिए अपना फर्ज प्रत्यक्ष करो। करने चाहते भी हो बापदादा जानते हैं करने का प्रयत्न भी कर रहे हो लेकिन थाेडा प्रयत्न को बढ़ाओ। समझा।
आज खास बुलाया है प्यार के पाठ में तो जीत लिया। चाहे मधुबन वालों का संकल्प था तो उन्हों के संकल्प की शक्ति आपके बुलाने की प्रैक्टिकल शक्ति प्यार से हुज्जत से बोला मधुबन वालों का भी कहना था लेकिन आपके मिलने से डबल हो गया। अच्छा। अभी और कुछ कहना है अभी बापदादा सबकी रिजल्ट देखने चाहते हैं। मधुबन वाले या मीटिंग वाले दोनों की रिजल्ट देखने चाहते हैं। जो जगत अम्बा का विशेष पुरूषार्थ रहा बाप का कहना और जगत अम्बा का करना। आपकी दीदी का यही शब्द था अब घर चलना है अब घर चलना है। आपकी दादी का यही संकल्प रहा अब कर्मातीत होना है कर्मातीत होने के क्लास कराना कर्मातीत का उमंग दिलाना। आपके पाण्डव जो गये उन्हों का भी यही दिल में संकल्प रहा कि हमें जो पाण्डव पाण्डवों को विजयी कहा जाता है तो पाण्डवों का जो लक्ष्य रहा और है भी कि जो गायन है विजयी पाण्डव पाण्डव कहो तो क्या याद आता है विजय। चाहे अक्षोणी सेना थी तो भी पाण्डव शब्द कहने से विजय याद आती है। 5 पाण्डव लेकिन विजयी। कैसा भी वायुमण्डल हो अक्षोणी सेना का वायुमण्डल था लेकिन पाण्डव पाण्डवपति की श्रीमत से विजयी बने और विजय का नाम बाला किया। अभी वही पाण्डव विजयी बन औरों को भी विजय दिलाने वाले। तो पाण्डवों को देख करके बापदादा खुश होते हैं किस बात में खुश होते हैं? कि शक्तियों के साथी हैं। शक्तियों को सहयोग दे आगे बढ़ाने में साथी हैं। जैसे बाप ने शक्तियों को शिवशक्ति का मन्त्र दे कम्बाइन्ड बनाया ऐसे पाण्डव भी शक्तियों को जो पाण्डवों में विशेषता है उस विशेषताओं में शक्तियों को सहयोग देके आगे रखने वाले अच्छे हैं और सदा अच्छे ते अच्छे बन आगे बढ़ने वाले हैं। अच्छा।
बापदादा आज आपके स्नेह को देख आप सबको स्नेह का हार पहनाते हैं। बस आप भी हर एक को स्नेह सहयोग का हार पहनाओ। बांहों का हार नहीं दिल में सहयोग का हार पहनाओ। बापदादा ने पहले भी कहा है हर एक बच्चे के जेब में सहयोग के नोट होने चाहिए। तो गलतियां नोट नहीं लेकिन सहयोग के नोट से जेब भरा हुआ होना चाहिए। कहाँ भी देखो सहयोग चाहिए तो सहयोग का नोट दो। है जेब में? सहयोग के नोट हैं? भरा हुआ है। खीसा भरा हुआ है खाली तो नहीं है? आप सहयोग का नोट दो और वह आपको दुआओं का हार पहनायेंगे।
तो अगली सीजन में जब आयेंगे तो क्या खुशखबरी सुनायेंगे? संस्कार का संस्कार हो गया। रेडी? सब रेडी है? रेडी है? यह पहली लाइन हाथ नहीं उठाती है। हाथ उठाया। सभी ने उठाया। पीछे वालों ने उठाया। तो एडवांस में यह खुशखबरी सुनायेंगे ना! संस्कार मिटाते हो लेकिन जलाते नहीं हो इसलिए फिर निकल आते हैं। इसीलिए कहा कि संस्कार का संस्कार कर देना। दबाना नहीं संस्कार कर देना क्योंकि समय को आपको समीप लाना है। आपके एडवांस पार्टी की विशेष आत्मायें और बाप सूक्ष्मवतन निवासी इंतजार कर रहे हैं। आपको उन्हों का संकल्प पहुंचता है। वह डेट मांगते हैं? आपकी बड़ी बड़ी दादियां और दादायें दोनों डेट का इंतजार कर रहे हैं। तो उन्हों को डेट देंगे! देंगे? पहली लाइन बताओ। डेट देंगे? कि कहेंगे वेट एण्ड सी। हर एक इसमें क्या करना है? हर एक अपने रहे हुए संस्कारों का संस्कार कर लो समय समीप आ जायेगा। समय को समीप लाने का यही तरीका है। जो विघ्न डाल रहा है रहे हुए संस्कार। तो अभी जब दूसरे बारी सीजन शुरू होगा उसमें दिन हैं काफी दिन हैं। राज़ कोई न कोई संस्कार का संस्कार कर देना। एक एक का करते जाओ इतने दिन हैं। तो कौन कहता है अगले बारी जब बापदादा आये तो हम हाथ उठायेंगे संस्कार का संस्कार हो गया। हाथ उठाओ वह। हो गया?
हाथ तो उठा रहे हैं। बापदादा एडवांस में बहुत बहुत बहुत मुबारक दे रहे हैं। अच्छा। बाप ने वायदा निभाया ना। तो आप भी वायदा निभाने में होशियार हैं। बाप को हर बच्चा प्यारा है। कोई भी अपने को यह नहीं समझे कि बापदादा को हम प्यारे कहाँ होंगे। हम तो पीछे हैं हम तो यह हैं। पीछे वाला भी बाप को अति अति अति प्यारा है क्योंकि बाप को मेरा बाबा तो कहा ना।
तो अभी चारों ओर के बच्चे जिन्हों को भी मालूम होगा वह दूर बैठे बच्चों को भी बापदादा मुबारक दे रहे हैं और इनएडवांस विजयी बनने की खुशखबरी का रेसपान्ड दिल में समा रहे हैं। अभी साकार में देखेंगे। अच्छा। आज तो और कुछ करना नहीं है। मिलना और खुश करने का ही आज का पार्ट है। बापदादा को खुशी है अच्छा मधुबन वाले जो मुख्य स्थान है उनका नाम लेते जाओ और हाथ उठावें।
(पाण्डव भवन ज्ञान सरोवर शान्तिवन निवासी हॉस्पिटल संगम भवन पीसपार्क म्युजियम आबू निवासी कालोनी सहित सभी को अलग-अलग ग्रुप में खड़ा किया) सबसे ज्यादा शान्तिवन में हैं।
नीलू बहन से:- अच्छा रथ को सम्भाल रही हो बहुत दिल से सेवा करती हो इसीलिए बाप की मदद और आपका निमित्त होना कार्य को चला रहा है। और सबकी प्यारी कितनी हो? सब आपको किस नज़र से देखते हैं? मिलाने वाली है।
मुन्नी बहन से:- आप भी बहुत अच्छा यज्ञ को सम्भालना एकानामी से चलना चलाना यह विशेषता है। यह विशेषता समय प्रति समय बापदादा देखते हैं अच्छा है।
मोहिनी बहन से:- आपने योगबल से और बाप की याद से अपने को ठीक किया है और ठीक रहेंगी यह आपकी बुद्धि में साधन आ गया है इसीलिए बाप आपके ऊपर खुश है कि अपने को आप सयंम में रख करके अपना पार्ट अच्छा बजाया और बजाती रहेंगी।
दादी रतनमोहिनी से :- आप भी अपना पार्ट चारों ओर सेवा का सम्भालने में सक्सेस हैं और सक्सेस रहेंगी। अच्छा।
ईशू दादी से:- आप तो शुरू से बाप के राज़ों को जानने वाली साकार बाबा के साथ में रह समझ गई हो। लेकिन गुप्त रहती हो। गुप्त रहना भी ठीक है लेकिन कभी कभी प्रत्यक्ष रूप में भी आओ। अच्छा।
दादी जानकी से:- यज्ञ को सफलता स्वरूप देखने में आपकी अच्छी रूचि और सेवा भी है। इस सेवा से बापदादा खुश है। जितना हो सके जितनों को भी आप समान बाप का प्यारा और न्यारा बना सकती हो उतना बनाती भी हो और आगे जिम्मेवारी समझ करके चल रही हो इसका बापदादा को नाज़ है। (40 साल का विदेश में मना रहे हैं) सन्देश भेज देंगे।
निर्मला दीदी से:- आपका काम है असम्भव को सम्भव करके दिखाओ। जो बापदादा चाहता है वह प्रत्यक्ष रूप में लाके दिखाओ।
परदादी से:- खुशकिस्मत और खुशनसीब हो। यह आपके चेहरे से दिखाई देता है यह विशेषता है।
तीनों भाईयों से:- अभी तीनों का अटेन्शन गया है तो मिलकर जो भी कोई बात होती है उसको स्पष्ट कर औरों को दादियों को भी साथी बना करके आदत डाली है लेकिन इसी आदत को बढ़ाते रहो। दादियों से बहुत समीप आकरके जो भी दिल में विचार हो वह देते जाओ। संकोच नहीं करो। दादियां भी संकोच नहीं करें आप भी संकोच नहीं करो। मिल करके यज्ञ के निमित्त बनना।
बृजमोहन भाई से:- आपका प्रोग्राम अच्छा हो जायेगा।
रमेश भाई से:- (रमेश भाई ने बाबा को सन्देश भेजा था कि सोमनाथ के पास कोई सेवास्थान बनाने के लिए जमीन मिल रही है इसके लिए बापदादा की क्या प्रेरणा हैं?) अभी क्या करो क्योंकि दो जोन हैं एक गुजरात एक बाम्बे। तो पहले गुजरात में मीटिंग करो पहले गुजरात वालों के आस पास जो सेवा चल रही है उनकी रिजल्ट देखो और इसकी रिजल्ट से उस मन्दिर की तरफ जो नजदीक है उनकी सेवा देखो तो मार्जिन है वहाँ उसको तो जानते हो जहाँ है मन्दिर वहाँ तो कर रहे हो लेकिन वहाँ इतनी बड़ी सेवा हो तो उसकी सरकमस्टांश देखो तो दोनों बाम्बे और गुजरात के 5-6 मिलकर आपस में राय करो। ज्यादा नहीं बुलाओ। मीटिंग करो। आप अपना बताओ वहाँ क्या हो रहा है और गुजरात भी बताये कि क्या रिजल्ट है जो सर्विस की है उसके आस पास की क्या रिजल्ट है पहले यह रिजल्ट निकालो।
(बापदादा की प्लेटेनियम जुबिली मनाई गई सभी ने बापदादा का श्रंगार किया फूल मालायें पहनाई केक काटा एवं गीत गाये)