15-12-13 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
प्राणप्यारे अव्यक्त मूर्त मात पिता बापदादा के अति लाडले, सदा बापदादा के प्यार में समाये हुए देश विदेश के सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न याद स्वीकार करना जी।
बाद समाचार- आप सभी आज विशेष बापदादा का आह्वान करने निमित्त अपने-अपने स्थानों पर चात्रक बन साकार में अव्यक्त मिलन मनाने की आश लगाकर बैठे होंगे। लेकिन ड्रामा की भावी, बापदादा समय प्रति समय हम बच्चों की स्थिति को अचल अडोल बनाने और अव्यक्त वतनवासी बन अव्यक्त रूप से मिलन मनाने का विशेष इशारा देते आ रहे हैं तो उसी प्रमाण आज हम सब अनुभव कर रहे हैं। दादी गुल्लार का स्वास्थ्य ठीक होते भी काफी कमज़ोरी महसूस कर रही थी, फिर भी बहुत हिम्मत करके सभा के बीच में पधारी और बापदादा के आह्वान का गीत भी बजा, लेकिन थोड़े समय में दादी ने उस आलमाइटी को स्वयं में धारण करने की असमर्थी महसूस की, तो दादी को स्टेज से कमरे में लेकर गये। फिर हम सभी बापदादा के अवतरण का पिछला वीडियो देखते रहे। जो आप डायरेक्ट देखने, सुनने वालों ने भी देखा होगा। सभी दादियाँ और मुख्य भाई स्टेज पर योग कराते रहे। गुजरात के भाई बहिनों की सेवा का टर्न था, देश विदेश से करीब 20-21 हजार भाई बहिनें शान्तिवन में पहुंचे हुए थे। दोनों हॉल फुल थे। सभी बहुत एकाग्रचित हो, पावरफुल वायुमण्डल में बापदादा के अव्यक्त महावाक्य वीडियो द्वारा सुन रहे थे। थोड़ी देर के बाद फिर से सन्देश आया कि दादी जी सभा में आ रही हैं। दादी जी फिर से जब सभा में पधारी तो सारा हाल तालियों से गूंजने लगा। सभी खुशी में झूमने लगे। फिर दादी ने बापदादा को भोग स्वीकार कराया और बापदादा सभा के बीच आ गये और बहुत प्यार से हाथ लहराते सभी को वरदानी दृष्टि दी। उसके बाद मधुर महावाक्य उच्चारण किये।
"सदा खुशनुमा रहने वाले खुशकिस्मत बच्चों को बहुत-बहुत-बहुत-बहुत यादप्यार। सदा खुश रहना और खूब खुशी बांटना। एक एक को बापदादा विशेष प्यार दे रहे हैं और सदा सर्व के प्यारे देहभान से न्यारे बाप को दिल में समाते हर कदम उठाना। देश चाहे विदेश सबके, एक एक बच्चे को बापदादा का यादप्यार स्वीकार हो। सर्व के साथ गुजरात निवासियों को भी सारे विश्व की आत्माओं के साथ यादप्यार।"
ओम् शान्ति।