“दिलाराम को दिल में बिठाकर मिलन मनाते सदा खुश रहना,
अमृतवेला दिन का आरम्भ है इसलिए अमृतवेले
का अमृत अवश्य पीना”
आज यह बच्चों का मेला देख बापदादा खुश हो रहे हैं और यही
मन कह रहा है वाह बच्चे वाह!
यह बाप और बच्चों का मिलन कितना प्यारा है
। हर एक बच्चा स्नेह और उमंग से मिलन मना रहे हैं । यह
स्नेह सब दुःखों को भूल बाप के स्नेह और सम्बन्ध में वाह
बाप और बच्चों का मिलन वाह! बाप
बच्चों को देख खुश हो रहे हैं और बच्चे बाप को देख खुश हो
रहे हैं । एक-एक बच्चा मुस्करा रहे
हैं और बाप भी चाहे नजदीक, चाहे
दूर वाले बच्चे को भी देख हर्षित हो रहे हैं । यह बाप और
बच्चों का मिलन अलौकिक मिलन है । बाप एक-एक
बच्चे को देख खुश हो रहे हैं और बच्चे भी साकार रूप में
बाप को देख खुश हो रहे हैं । यह अलौकिक मिलन कितना न्यारा
और प्यारा है । हर एक के मैजाँरिटी चेहरे मुस्करा रहे हैं
और बापदादा एक-एक बच्चे को चारों
ओर देख मन में गीत गा रहे हैं वाह मीठे बच्चे वाह । बच्चों
के दिल का गीत भी सुनाई दे रहा है । यह बाप और बच्चों का
मिलन न्यारा और प्यारा है । हर एक के दिल में मिलन की खुशी
इस सूरत से दिखाई दे रही है । एक-एक
बच्चे को देख बापदादा एक-एक बच्चे
को वाह बच्चे वाह! कहते हुए मिलन
मना रहे हैं । चाहे लास्ट में भी बैठे हैं लेकिन बाप के
दूर बैठे भी नजदीक हैं ।
आज सीजन का पहला दिन कितना सुहावना है । बच्चों के दिल में
भी वाह बाबा वाह है और बाप के दिल में भी हर एक बच्चे के
लिए चाहे आगे बैठे हैं चाहे पीछे,
लेकिन पीछे वाले भी बाप के सामने है । आज
के मिलन दिन को याद करते-करते अब
सम्मुख मिलन मना रहे हैं । बाप भी हर एक बच्चे के भाग्य को
देख क्या गीत गा रहे हैं? एक-एक
बच्चा आगे वाले या लास्ट बच्चा बाप के दिल में सम्मुख है ।
बाप भी बच्चों का मिलन देख बच्चों के गीत गा रहे हैं ।
सारे विश्व से कितने बच्चों ने अपना दिल का सम्बन्ध,
दिल का सम्बन्ध शक्ल से दिखाई दे रहा है
और बाप यही गीत गा रहे हैं वाह सिकीलधे बच्चे,
लाडले बच्चे वाह!
इतना समय भी दिल में मिलते रहते हैं,
बाप को भी बच्चों के बिना दिल नहीं लगती
और बच्चों को भी सदा दिल में बाप याद रहता ही है । आप सबके
दिल में कौन याद है? बाबा कहेंगे
ना! और बाबा के दिल में कौन?
क्या एक-एक बच्चे
को बाबा भूल सकता है! चाहे
नम्बरवार हैं लेकिन बच्चा तो है ना!
तो आज दिल में याद करने वालों को सन्मुख देख बापदादा को
कितनी खुशी है । एक-एक
बच्चे को देख वाह बच्चे वाह! यही
दिल कहती है । बच्चे भी कहेंगे हमारे दिल में कौन?
बाप भी कहते हमारे दिल में कौन?
सभी जानते ही हैं,
कहने की जरूरत नहीं । बाप को भी बच्चे भूल नहीं सकते और
बच्चों को भी बाप भूल नहीं सकता,
दिल में सदा बाप की याद है, हाजिर
है । सूक्ष्म में तो मिलन होता रहता है लेकिन साकार में एक-एक
बच्चे को देख चाहे दूर है चाहे नजदीक है लेकिन बापदादा के
दिल में हर बच्चा नम्बरवार याद है । तो आज एक-एक
बच्चे को साकार रूप में देख, समीप
देख, सम्मुख देख वाह बच्चे वाह का
गीत गा रहे हैं । सभी के दिल में कौन रहता,
कौन है? कहेंगे
मेरा बाबा । और बाप भी क्या कहेंगे?
कितने भी कहाँ भी बच्चे हैं लेकिन हर एक
दिल में है इसलिए बाप को कहते ही हो दिलाराम । बाप को एक-एक
बच्चे को साकार रूप में देखते हुए कितनी खुशी है,
वह तो बच्चे भी जानते,
बाप भी जानते । सभी दिल से खुश है?
हाथ उठाओ । दिल में खुश है । क्यों?
बाप जानते हैं अगर कोई भी बात आती तो भी
याद करते हैं और याद करने से इमर्ज हो जाती है । बाप भले
कितने भी बच्चे लेकिन बच्चे बाप को नहीं भूलते,
बाप बच्चों को नहीं भूलते । यह तो छोटा सा
हाल है, उसमें उस अनुसार साकार रूप
में बैठे हैं लेकिन आकारी रूप में इमर्ज करो तो कितने
बच्चे इमर्ज होते हैं और हर एक किसी न किसी समय याद तो
करते हैं । बापदादा के पास आकारी रूप में इमर्ज होते हैं ।
बच्चे भी अनुभव करते, बाप भी अनुभव
करते हैं क्योंकि बच्चे बाप से मिलन के बिना अकेले हो जाते
हैं और बाप भी बच्चों से मिलन के बिना अकेले हो जाते हैं ।
सूक्ष्म में इमर्ज सभी को कर सकते हैं लेकिन साकार और
सूक्ष्म रूप में मिलन में फर्क है । आप भी अनुभव करते हो
ना! तो आज सीजन का पहला दिन है,
बाई चांस कोई न कोई प्रोग्राम होता रहता
है इस कारण आज भी जितने बच्चे आये हैं उतनों से साकार मिलन
मना रहे हैं । तो सभी बच्चे सदा खुश रहते हैं या कभी-कभी?
जो सदा खुश रहते हैं,
कोई भी बात हो जाए,
क्योंकि कलियुग है लेकिन यह बाप और बच्चों
का सम्बन्ध ऐसा है जो बच्चा कहे बाबा,
बाबा कहे बच्चे मिलन होता ही रहता है,
होता है ना! हाथ
उठाओ, होता है?
यहाँ भी दिखाई दे रहा है । देखो बाप के
पार्ट के साथ यह साधन भी निकले हुए हैं । दूर बैठे भी
लास्ट वाला नजदीक दिखाई दे रहा है ।
शाम के समय जब बाप आते हैं तो साइंस भी अपना अच्छा मददगार
है । वहाँ बैठे भी मुरली सुनने चाहो तो सुन सकते हो ना ।
साधन चाहिए । जैसे आप बाप को याद करने के बिना नहीं रह
सकते वैसे बाप भी बच्चों को याद करने बिना नहीं रह सकते
हैं । बाप भी इमर्ज करके मिलते हैं,
रह नहीं सकते हैं । तो आज के दिन साकार
रूप में मिलन का दिन है । बाप बच्चों को देख रहे हैं और
बच्चे बाप को देख रहे हैं । सभी सदा खुश रहते हैं?
कोई कभी-कभी खुश
रहते हैं और कोई सदा खुश रहते हैं,
तो सदा खुश रहने वाले बाप के आखों के सामने घूमते रहते हैं
क्योंकि बाप भी बच्चों के बिना रह नहीं सकते हैं और बच्चों
को कभी भी कोई बात हो जाती है तो वह भी भूलता नहीं है,
बाप के पास पहुँचता है । यह नाता ही ऐसा
है जो भूल नहीं सकता । बाप कहते हैं मेरे लाडले बच्चे और
बच्चे कहते मेरा बाबा, एक दिन भी
भूल सकता है! भूल सकते हैं?
भूल सकते नहीं क्योंकि बाप और बच्चों का
ऐसा दिल का नाता है जो दिल में रहता ही है । बाप भी रह
नहीं सकता, बच्चे भी रह नहीं सकते
। जैसे आज स्थूल में सम्मुख मिलन हो रहा है ऐसे बाप बच्चों
को इमर्ज करते मिलते रहते हैं,
बच्चे भी तो मिलते रहते हैं ना ।
तो सभी आज से प्रोग्रेस क्या करेंगे?
क्योंकि हर समय आगे बढ़ना है । तो आगे क्या
बढ़ेगें? आगे बढ़ना अर्थात् दिल में
बापदादा को समाना । दिल की बात कभी भी भूल नहीं सकती और
दिल में सदा याद रह सकती है । रहती है ना। दिल में रह सकती
है, सम्मुख की बात अलग है लेकिन
दिल में जब भी चाहो तब बाप से मिल सकते हो और बाप भी मिलन
मनाते रहते हैं, बाप को भी चैन
नहीं आता बच्चों के बिना । तो सदा बाप और बच्चों का इस
सगमयुग में मिलन मनाने का पार्ट बना हुआ है,
जो जितना याद करे उतना इमर्ज कर सकते हैं
। तो बापदादा भी खुश होते हैं जब सम्मुख मिलन का प्रोग्राम
बनाते तो बापदादा भी खुश होते हैं । बच्चे तो खुश होते ही
हैं लेकिन बापदादा भी खुश होते हैं । तो सभी सदा खुश रहे,
खुश रहे कि बीच-बीच
में कोई खुशी के बजाए और कुछ स्थिति रही?
जो सदा खुश रहे कोई भी माया के किसी भी
रूप से सेफ रहे क्योंकि भिन्न-भिन्न
रूप से माया आती है । सिर्फ खुशी के रूप से नहीं,
विचारों के रूप से भी माया अपना बनाती है
तो अभी इस मिलन के बाद मन में बाप को बिठाते रहना ।
दिलाराम को दिल ही पसन्द है । दिल में याद किया तो सब तरह
से याद आ ही जाती है । कम से कम हर एक अमृतवेला तो मनाते
हो ना! जो अमृतवेला रोज जरूर मनाते
हैं वह हाथ उठाओ । मैजॉरिटी है । हर जगह अमृतवेले का साधन
तो अपनाते हैं, कोशिश अच्छी कर रहे
हो, अमृतवेले को महत्व देते हो
लेकिन आगे भी जो अमृतवेले में कभी-कभी
हो, वह आगे बढ़ना क्योंकि अमृतवेला
दिन का आरम्भ है, तो उसमें जरूर
याद में रहना है । सारे दिन का प्रभाव पड़ता है । सभी खुश
हैं कि बीच में माया भी चांस लेती है?
खुशी नहीं गंवाना । माया आवे भी तो फौरन
बाप को सुनाके चेंज हो जाना । अगर बाप को नहीं पहुँच सको
तो अपने निमित्त बड़ी को जरूर सुनाओ । एक दिन से बढ़ाना नहीं,
नहीं तो आदत पड़ जायेगी । यह अमृतवेले का
अमृत पीना आवश्यक है, तो अवश्य इस
समय को सफल करते रहना । अच्छा ।
सभी खुश हैं और खुश रहेंगे,
पक्का! कोई भी
छोटी मोटी बात आवे लेकिन खुशी नहीं जाये । जब भी अचानक कोई
देखे तो सदा खुशनुमा दिखाई दे ।
सेवा का टर्न पंजाब और राजस्थान जोन का है
:-
(पजाब से 10 हजार
और राजस्थान से 5000 आये हैं)
हाथ उठाओ । बहुत अच्छा । (दोनों
ग्रुप को अलग- अलग उठाया,
दोनों जोन ने मिलकर अच्छी सेवा की है)
।
अच्छा है । सेवाधारी बहुत हैं । अभी उठके खड़े हुए हैं तो
आधा-आधा
तो होगा, अच्छा है । दोनों जोन को
मुबारक हो, मुबारक हो । अच्छा है ।
क्यों? यज्ञ सेवा का चांस मिलता है
। वैसे तो खास समय निकाल के नहीं आयेंगे । सेवा भल हो ।
लेकिन यह चांस है यज्ञ सेवा करने का । तो इसमें बहुत चांस
ले सकते हो और सब सबजेक्ट में चांस लेना चाहिए । आलराउण्ड
होना चाहिए । अच्छा है ।
डबलविदेशी
300 आये हैं :-
विदेशी तो यहाँ बहुत हैं,
विदेशियों का टर्न है क्या! (हर
टर्न में विदेशी आते हैं) अच्छा है
। सिस्टम ठीक बनाई है । हर एक को चांस मिलता है । अच्छा ।
बापदादा देखते हैं कि हर एक बच्चा अपने समय
(सेवा का समय)
फिक्स होने पर अच्छा साथ दे रहे हैं । तो सभी बच्चों को
समय पर साथ देने की बापदादा हजार बार यादप्यार दे रहे हैं
।
(दादियां बापदादा से मिलन मना रही हैं)
मोहिनी बहन ने न्यूयार्क से यादप्यार भेजी है
:-
मोहिनी को खास यादप्यार भेजना ।
मोहिनी बहन
:-
तबियत अच्छी है,
मुक्ति हो गई?
अच्छा ।