18-01-15 ओम्
शान्ति “अव्यक्त
बापदादा”
मधुबन
“स्मृति
दिवस पर कोई न कोई विशेषता स्वयं में धारण कर कमियों को समाप्त
करना,
भारत
में भारत का पिता गुप्तवेष में आ गया है,
इस आवाज को चारों ओर स्पष्ट फैलाना”
सभी
चैतन्य दीपकों को मुबारक हो,
मुबारक हो,
मुबारक हो । हर एक चैतन्य दीपक अपनी- अपनी चमक से विश्व को
चमका रहे हैं । एक-एक चैतन्य दीपक कितना अच्छे ते अच्छा चमक
रहा है । यह देखकर बापदादा एक-एक दीपक को देखकर खुश हो रहे हैं
। वाह दीपकों वाह! सच्ची दीवाली अगर देखनी हो तो इन चैतन्य
दीपकों के बीच में देख सकते हैं । बापदादा भी एक-एक दीपक को
देख खुश हो रहे हैं । वाह! एक-एक दीपक वाह! क्योंकि आप एक-एक
दीपक बाप के अति लाडले हो । इतनी बड़ी विश्व में से आप सिकीलधे
दीपकों को बाप देख खुश हो रहे हैं और दिल में गीत गा रहे हैं,
हर एक दीपक परमात्म प्यारे और दिल में समाने
वाले हैं । सच्ची दीपमाला तो बाप सन्मुख देख रहे हैं और एक-एक
दीपक के लिए वाह वाह के गीत दिल में गा रहे हैं । हर एक दीपक
की अपनी-अपनी विशेषता बाप भी देख रहे हैं और आप सभी तो देखते
ही रहते हैं । आप दीपकों द्वारा विश्व चमक रहा है और हर एक
दीपक अपनी रोशनी से विश्व को रोशन बना रहे हैं । बापदादा
रिजल्ट को देख खुश हैं कि हर एक दीपक अपनी रोशनी से चारों ओर
चमकाना,
यह
कार्य बहुत अच्छा दिल से कर रहे हैं ।
अभी
इस दिव्य रोशनी को देख दुनिया वालों की भी नजर में आ रहा है कि
विश्व में यह अलौकिक रोशनी कहाँ से आई है! सबकी नजर आप सबकी
तरफ जा रही है ।
आज
स्मृति दिवस पर बापदादा आप स्मृति के दीपकों को देखकर हर्षित
हो रहे हैं । कितना एक-एक दीपक अपनी झलक दिखा रहे हैं,
जिससे विश्व परिवर्तन हो रहा है । अंधकार बदल रोशनी में आ रहा
है और अभी दिल में सभी आत्माओं को यह संकल्प है कि कहाँ से
रोशनी आ रही है! धीरे-धीरे इस रोशनी को देख वा आप दीपकों को
देख खुश भी बहुत हो रहे हैं । यह रोशनी चारों ओर फैलनी ही है ।
अच्छा ।
दिल्ली - आगरा जोन की सेवा का टर्न है :-
ऐसे
हाथ उठाओ । भले पधारे । देहली वालों को बापदादा एक-एक को विशेष
यादप्यार दे रहे हैं । देहली वालों को देहली को परिस्तान बनाए
अपना राज्य दिल्ली में स्थापन करना है । सेवा कर रहे हैं,
अभी
और जोर से आवाज हो कि देहली अभी परिस्तान बनना है । सबको पता
पड़े,
सेवा
अच्छी कर रहे हो लेकिन अभी सभी तक आवाज नहीं गया है ।
कोने-कोने में यह तो पता पड़ना चाहिए कि हमारे सतयुगी राज्य
अधिकारी गुप्तवेष में आ गये हैं । अभी सेवा द्वारा यह तो
परिवर्तन आया है कि ब्रह्माकुमारियां जो बताती हैं वह अच्छा
बताती हैं,
अभी
यह आवाज हो कि सत्य बताती हैं । वह भी दिन आ जायेगा क्योंकि
अभी आवाज पहुँचा है लेकिन अभी आवाज में फोर्स चाहिए । सबकी नजर
परिवर्तन हो रही है,
यह
समझते हैं लेकिन करने वाले कौन,
वह
अभी पूरा प्रत्यक्ष नहीं हुआ है । धार्मिक लोग समझते हैं कि
कुछ होने वाला है लेकिन अभी यह आवाज प्रसिद्ध हो कि परमात्मा
द्वारा यह नई दिल्ली बनाने वाले आ गये हैं । यह अभी स्पष्ट
रीति से आना चाहिए । आप लोग सेवा कर रहे हो,
सेवा
अच्छी कर रहे हो । पहले जो सुनने नहीं चाहते थे,
अभी
सुनने चाहते हैं लेकिन सुनने वाले क्या बनने वाले हैं,
हो
रहा है । बापदादा बच्चों की सेवा पर खुश है,
कर
रहे हो लेकिन आवाज अभी बुलन्द नहीं है,
चारों ओर नहीं फैलता । फैल रहा है लेकिन ऐसी रफ्तार से फैले जो
सबके मुख से निकले विश्व पिता आ गये,
विश्व पिता के बच्चे गुप्तवेष में अपना कार्य कर रहे हैं । अभी
थोड़ा थोड़ा आवाज फैल रहा है लेकिन अभी थोड़ा जोर से फैलना चाहिए
। शुरू हुआ है लेकिन कोने कोनों में अब चारों ओर आवाज करने
वाले स्पष्ट बोलें कि परिवर्तन होना ही है,
हो
रहा है ।
कलकत्ता का ग्रुप आया है,
पूरा
फूलों का श्रृंगार किया है :-
कलकत्ता वाले सभी भाई बहिनों को चाहे यहाँ आये हैं,
चाहे
वहाँ हैं लेकिन यह आवाज कलकत्ता से चारों ओर फैला है कि कुछ हो
रहा है लेकिन सोच रहे हैं,
अन्दर-अन्दर समझ रहे हैं कुछ परिवर्तन दिखाई तो देता है लेकिन
अभी जोर से धूम मचाके बोले परिवर्तन करने वाले हमारे साथी अब
अपना कर्तव्य कर रहे हैं और आगे चलके यही कर्तव्य स्पष्ट हो
जायेगा । लेकिन समझते हैं कुछ परिवर्तन हो रहा है । अभी पहले
जैसे वह नहीं है कि होना मुश्किल है,
कैसे
होगा,
क्या
होगा,
यह
क्वेश्चन नहीं है । अभी समझते हैं हो रहा है लेकिन कहाँ कैसे
कभी-कभी समझ में भी आता है लेकिन अभी स्पष्ट बुद्धि में यह
नहीं आया है कि यहाँ आबू तरफ इशारा करें,
आबू
में यह कार्य हो रहा है,
यह
आवाज से स्पष्ट नहीं कर सकते लेकिन अभी पहले जो समझते थे तो यह
कर्तव्य ब्रह्माकुमारियां कहती हैं लेकिन हो गुप्त रहा है,
अभी
समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां कुछ परिवर्तन करने का कार्य कर
तो रही हैं लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है । यही समझे
ब्रह्माकुमारियां ही निमित्त हैं,
कोई-कोई समझने लगे हैं लेकिन प्रत्यक्ष रूप में नहीं है वह भी
समय आ जायेगा । अभी आप लोगों का जो परिवर्तन हो रहा है,
उसका
प्रभाव पड़ रहा है और पड़ते पड़ते आखिर स्पष्ट हो जायेगा ।
दादी
जानकी से :-
(मेरा बाबा) मेरी बच्ची । बहुत अच्छा चला रही हो,
चलता
रहेगा । आपको निमित्त बनने की बहुत-बहुत मुबारक हो ।
डबल
विदेशी - 400 आये हैं :-
अच्छा है,
बधाई
हो । आप सब निमित्त बने हैं बाप के कर्तव्य को प्रसिद्ध करने
के लिए । तो बापदादा खुश है । कर रहे हैं,
बढ़
भी रहे हैं लेकिन अभी स्पीड थोड़ी बढ़ाओ । बाकी शुरू हुआ है,
समझते हैं कुछ होने वाला है,
आसार
सभी के पास पहुँच रहे हैं लेकिन अभी कोई निमित्त बने कहने के
लिए,
वह
अभी निकलेगा । गुप्त है । हो जायेगा । अभी आप लोग भी यह दृढ़
संकल्प रखो तो बाबा को प्रत्यक्ष करना ही है । है संकल्प है,
लेकिन अभी दृढ़ता लाओ संकल्प में । होना ही है,
होना
है लेकिन इस तरफ थोड़ा अटेंशन दो । कर रहे हैं,
अपने
अपने तरफ से,
अपना
कर रहे हैं । ऐसे भी नहीं,
नहीं
कर रहे हैं लेकिन मिलकर यह आवाज बुलन्द हो । जो होना है,
वह
हो रहा है । वह हो जायेगा ।
सभी
खुश हैं! खुश हैं सभी,
हाथ
उठाओ । तैयार हो?
तैयार हो ना! उमंग सबमें है,
कुछ
करना है,
कुछ
करना है,
हो
भी रहा है लेकिन स्पीड बढ़ाओ ।
बापदादा सभा को देख खुश भी हो रहे हैं क्योंकि सभी बच्चों के
अन्दर अभी यह संकल्प है कुछ करना है,
करना
है,
और
यह संकल्प आपका कोई न कोई जलवा दिखायेगा । संकल्प अच्छा है ।
सभी के दिल में है ना,
अब
कुछ नया हो,
नया
हो । तो सबने खुशी-खुशी से संगठन में यह संकल्प किया है कि अभी
भारत में कम से कम जो एरिया रही हुई है वहाँ अपना फर्ज निभाना
है । हर एक की एरिया में जो भी मुख्य शहर है,
वहाँ
अभी यह प्रसिद्ध हो तो ब्रह्माकुमारियां क्या चाहती हैं । अब
ब्रह्माकुमारियां जो चाहती हैं उसमें मददगार बन रहे हैं और
बनना है । अभी धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो रहा है,
हो
ही जायेगा इसलिए उमंग-उत्साह से आगे बढ़ते चलो । आप एक-एक
निमित्त हो,
ऐसे
नहीं जो बड़े करते हैं,
हम
भी करते हैं । करते हैं उसके लिए पास हो,
उसके
लिए मुबारक हो । परन्तु अभी आवाज थोड़ा बुलन्द हो । भारत में
भारत का पिता गुप्तवेष में आ गये हैं,
यह
आवाज थोड़ा स्पष्ट फैलाओ । दुख तो बढ़ रहा है । सब तंग तो हैं
लेकिन कहाँ-कहाँ अल्पकाल का सुख उन्हों को सुला देता है । तो
अब सेवा में भी चेक करो किस-किस तरफ किस-किस एरिया में करना है,
वह
हर एक सेंटर अपने-अपने एरिया को चेक करे और वहाँ सर्विस का
आवाज फैलाये । कहाँ-कहाँ अच्छे हैं लेकिन सारे भारत को जगाना
है तो अभी चेक करो और चांस लो । चारों ओर अभी आवाज फैलना चाहिए
कि अभी हमें खुद भी परिवर्तन होना है और विश्व को भी परिवर्तन
करने के कार्य में लगना है । तो सभी खुश हैं?
खुश
हैं?
दो-दो हाथ उठाओ ।
मोहिनी बहन से :-
अभी
तबियत अच्छी हो रही है,
हो
जायेगी इसीलिए सेवा में धीरे-धीरे पार्ट लेती जाओ । (आपके
वरदान से शक्ति मिलती है) सेवा का शौक भी है वह आपको आगे बढ़ा
रहा है और बढ़ाता रहेगा । (सेवा का उमंग है) हो जायेगा । आप
जैसे अपने को चला रही हो ना,
तो
सेवा भी चल रही है,
कोई
ऐसी बात नहीं है ।
तीनों भाइयों से :-
समय
की रफ्तार तो आप सब भी देख रहे हो । समय अभी स्पष्ट हो रहा है
कि कार्य जो गुप्तवेष में कर रही हैं ब्रह्माकुमारियां,
वह
पहले समझ नहीं सकते थे क्या करती हैं यह,
अभी
धीरे- धीरे यह समझते हैँ कि यह विश्व परिवर्तन करने के लिए
उमंग-उत्साह बढ़ा रहे हैं इसीलिए अभी वायुमण्डल में भी बहुत
फर्क है,
भावना धीरे-धीरे बढ़ रही है । अभी सेवा की धरनी बन गई है । अभी
जितना करना चाहो उतना फायदा ले सकते हो ।
आज
के स्मृति दिवस पर एक-एक बच्चे को इस दिन की स्मृति के साथ
समर्थी चाहिए । तो सभी बच्चे इस स्मृति दिवस पर आज अपने में
कोई न कोई विशेषता ध्यान में रख और अपने में धारण करे,
विशेष दिन पर विशेषता धारण करे । जो भी अपने में कमी समझते हो
उस कमी को आज के दिन समाप्त कर कोई न कोई उमंग उत्साह की धारणा
का संकल्प करना । सोने के पहले यह संकल्प करके सोना और
अमृतवेले उसी को दोहरा कर हमेशा के लिए अटेंशन देते-देते बाप
समान बन जाना ही है । सभी को बहुत-बहुत यादप्यार स्वीकार हो
क्योंकि सभी बहुत उमंग-उत्साह से आये हैं और सब मिल करके 18
जनवरी मना रहे हैं तो 18 जनवरी की विशेषता क्या है,
उस
विशेषता को अपने में धारण करके आगे बढ़ते रहना,
बढ़ना
ही है यह पक्का निश्चय करो कि जो भी कोई कमी है उसको आज रात तक
सोच करके और संकल्प लेके सोना । अच्छा ।
डबल
विदेशी उठो,
खड़े
हो जाओ । बहुत अच्छा । सभी को बहुत बहुत बहुत बहुत यादप्यार और
आगे के लिए बिल्कुल सम्पन्न,
यह
वरदान है ।
दादी
जानकी से विदाई के समय :-
बहुत
अच्छा पार्ट बजा रही हो ।