10-04-15 ओम्
शान्ति “अव्यक्त
बापदादा”
मधुबन
प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति लाडले, सदा अव्यक्त स्थिति
में रह अव्यक्त मिलन का अनुभव करने वाले, साकार सो अव्यक्त
पालना के अनुभवी सर्व निमित्त टीचर्स बहिनें एवं सर्व ब्राह्मण
कुल भूषण भाई बहिनें, ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद स्वीकार
करना जी।
बाद समाचार - ड्रामा की बनी बनाई नूंध प्रमाण बापदादा का रथ
दादी गुल्लार जी का स्वास्थ्य वार्षिक मीटिंग के समय ठीक नहीं
था इसलिए मुम्बई में इलाज के लिए दादी जी गई थी। कुछ समय
हॉस्पिटल में रहने के बाद अभी दादी जी पारला सेवाकेन्द्र पर
स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। शरीर थोड़ा कमजोर होने कारण साकार
रूप में दादी जी मधुबन नहीं पहुंच सकी, यह बापदादा की इस सीजन
का लास्ट टर्न था, इसलिए शान्तिवन में 25 हजार भाई बहिनें
बापदादा से मिलन के लिए पहुंचे हुए हैं। महाराष्ट्र आंध्र
प्रदेश की सेवाओं का टर्न है। अत: अव्यक्त मिलन के अनुभवों के
लिए 9 तारीख को रात 11 बजे से 5 बजे तक सभी ने अखण्ड योग भट्ठी
की। फिर सवेरे से ही सभी विशेष अन्तर्मुखी बन अव्यक्त वतन की
सैर करते दोपहर 2 बजे से ही डायमण्ड हाल में पहुँच गये।
6:00 से 8:00 बजे तक पावरफुल योग तपस्या के बीच पहले
अव्यक्त मिलन की श्रेष्ठ विधि पर सूर्य भाई ने क्लास कराया।
6:30 बजे से 7:30 बजे तक सभी ने वीडियो द्वारा अव्यक्त मिलन,
शक्तिशाली दृष्टि एव वरदानों की दिव्य अनुभूति की। फिर दादी
जानकी जी, दादी रतनमोहिनी जी तथा मुख्य बड़े भाई, बड़ी बहिनें
स्टेज पर पधारे, पहले बापदादा को भोग लगाया गया। फिर गुल्लार
दादी जी ने बापदादा को पारला में भोग स्वीकार कराया, अव्यक्त
बापदादा दादी जी के तन में पधारे और मधुर महावाक्य उच्चारण किये
तथा निर्वेर भाई से भी मिलन मनाया।
अव्यक्त बापदादा की पधरामणी तथा मधुर महावाक्य
अपने स्व स्वरूप में, भविष्य स्वरूप में और संगम का महान
स्वरूप तीनों रूपों को जानते हो? और सदा तीनों ही स्वरूप एक
सेकण्ड में सामने आ जाते हैं? इस समय बापदादा बच्चों की
वर्तमान ब्राह्मण स्वरूप की महिमा देख रहे हैं। हर एक की महिमा
बहुत महान है क्योंकि सारे कल्प में सबसे भाग्यवान स्वरूप इस
समय यह संगमयुग के समय का है और संगमयुग के भाग्य को हर एक
अनुभव कर रहे हैं। वाह संगमयुग का वरदानी समय वाह! ठीक है।
बापदादा तो देख रहे हैं, हर एक बच्चा भी अपने भविष्य स्वरूप को
जानकर हर्षित हो रहे हैं। अच्छा है।
दादी जानकी जी ने गुल्लार दादी को और पारला निवासियों को
बहुत-बहुत यादप्यार और बधाई दी। ड्रामा में जो हुआ सो अच्छा।
सभी खुशी से बाबा से मिले। कुछ मिस नहीं किया ना! क्योंकि बाबा
और हम बच्चे सभी साथ-साथ बैठे हैं। सभी ने बाबा से दृष्टि लिया।
दादी हमेशा मुझे अपने साथ सभा में ले आती थी, आज मिस कर रही
थी। आज दादी पारला में है, हम सबको बापदादा से मिलाया, सब
बहुत-बहुत खुश हो गये। ड्रामा की ऐसी नॉलेज है, जो शान्त बना
देती है। अभी सभी खुश हुए ना! सभी को बाबा की भासना आ गई। भासना
और भावना, हमारे को जो भासना चाहिए बाबा के मिलन की, वह मिलन
की भासना मिस नहीं हुई। बाबा के हम बच्चे हैं, बाबा ने आप हम
सबको कहाँ बिठाया है। बाबा ने सूक्ष्म में हम सबको कितनी सकाश
दी है, बाबा की सकाश हम सबको मिल रही है। बाबा का हमारे लिए
कितना प्यार है।
पारला में निर्वेर भाई ने बापदादा को गुलदस्ता दिया :- (बापदादा
ने निर्वेर भाई के मस्तक पर हाथ रखा)
बापदादा ने बहुत स्नेह से सभी को फल दिखाते हुए कहा कि सभी
महसूस करो कि यह फल हमारे मुख में आ रहा है। बापदादा को एक-एक
बच्चा प्यारा है। ऐसे नहीं पहले नम्बर में बहिनें हैं, या भाई
हैं, सभी हैं। जिसकी दिल बाबा के साथ है उसके दिल में बाबा है,
बाबा के दिल में वह है।
निर्वेर भाई ने सभी को याद देते हुए कहा कि आज बापदादा का
विशेष मिलन दिवस है और हम सभी देश विदेश के भाई बहिनें खास
सम्मुख आये हुए हैं। बापदादा हम सबकी दिल पूरी करते हैं और हम
सबसे मिलने के लिए सम्मुख पहुंचे हैं। आप सबको इसकी बहुत-बहुत
मुबारक हो, मुबारक हो। बापदादा के आने से हर एक ब्राह्मण बच्चे
का निश्चय और परिपक्व होता है। बापदादा हमेशा संगमयुग पर अपने
रथ द्वारा हमारे साथ होंगे। हम ज्ञान रत्नों से और धारणाओं से
अपनी झोली भरते, विश्व महाराजा महारानी का भविष्य ताज पहनेंगे
और बापदादा खुद हम सबको यह ताज पहनायेंगे।
योगिनी बहन :-
ड्रामानुसार हमें बहुत खुशी है कि हम पारला में बैठे हुए फील
कर रहे हैं कि हम डायमण्ड हाल में ही बैठे हैं। हमारे साथ देश
विदेश के सभी पधारे हुए भाई बहिनें, टीचर्स बहिनें हैं। आज
बापदादा ने सबको बहुत प्यार भरी दृष्टि देकर वरदानों से सबकी
झोली भर दी है।
हमारी नीलू बहन भी बापदादा के रथ की बहुत प्यार से सेवा कर रही
हैं और हमारे निर्वेर भाई भी हमारे साथ हैं, हमें बहुत खुशी
है, निर्वेर भाई भी ठीक होते जा रहे हैं।