30-11-15   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘सदा फखुर में रह बेफिक्र बादशाह बनो, तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सम्पन्न और समान बन साथ चलने की तैयारी करो’’

आज बापदादा बेफिक्र बादशाहों की सभा देख रहे हैं। यह सभा इस समय ही लगती है क्योंकि सभी बच्चों ने अपने फिकर बाप को देकर बाप से फखुर ले लिया है। यह सभा अभी ही लगती है। आप भी हर एक सवेरे से उठते कर्म करते भी बेफिक्र और बादशाह बन चलते हो ना! यह बेफिक्र का जीवन कितना प्यारा लगता है। बेफिक्र की निशानी क्या दिखाई देती है? हर एक के मस्तक में लाइट, आत्मा चमकती हुई दिखाई देती है। यह बेफिक्र जीवन कैसे बनी? बाप ने सभी बच्चों के जीवन से फिकर लेकर फखुर दे दिया है। जिनके जीवन में फखुर नहीं फिकर है उनके मस्तक में लाइट नहीं चमकती है। उनके मस्तक में बोझ की रेखायें देखने में आती हैं। तो बताओ आपको क्या पसन्द है? लाइट या बोझ? अगर कोई बोझ भी आता है तो बोझ अर्थात् फिकर बाप को देकर फखुर ले सकते हैं। आप सबको बेफिक्र लाइफ पसन्द है ना! देखने वाले भी बेफिक्र लाइफ पसन्द करते हैं।

तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों के चाहे सम्मुख हैं, चाहे जहाँ भी बैठे हैं, बच्चों के मस्तक बीच चमकती हुई लाइट ही देख रहे हैं। तो सदा बेफिक्र रहते हैं या कभी कोई फिक्र भी आता है? है कोई फिकर? जब बाप ने प्रकृतिजीत, विकारों जीत बना दिया तो फिकर कैसे आ सकता है? तो हाथ उठाओ बेफिकर बने हो? बने हो सदा? सदा बने हो या कभी-कभी? कभी-कभी वाले भी हैं? हाथ तो नहीं उठाते, बापदादा भी नहीं देखने चाहते हैं। बापदादा हर बच्चे को बेफिक्र बादशाह देखने चाहते हैं। अगर कभी-कभी वाले भी हैं तो बहुत सहज विधि है जो भी थोड़ा बहुत फिकर आता है तो मेरे को तेरे में बदल लो। यह हद के मेरेपन को, मेरे को तेरे में बदलने की बहुत सहज विधि है। आप तो कहते ही हो मेरा बाबा, तो अब मेरा क्या रहा? हद का मेरा तो समाप्त हुआ ना! मेरा बाबा हो गया। सभी दिल से कहते हो ना मेरा बाबा! प्यारा बाबा! मीठा बाबा! तो मेरे में तेरे को समाना मुश्किल है क्या? फर्क क्या है? ते और मैं, इतना छोटा सा फर्क है। संकल्प कर लिया सब तेरा और मेरा क्या रहा? मेरा बाबा।

तो बापदादा ने देखा मैजारिटी बच्चों ने हद के मेरे को तेरा बनाया है इसलिए क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। तो आज बापदादा बच्चों को बेफिक्र बादशाह स्वरूप में देख रहे हैं। देखो, भक्ति मार्ग में भी आपके चित्र बनाते हैं तो डबल ताज दिखाते हैं। एक तो लाइट का ताज है ही क्योंकि बेफिक्र आत्मा की निशानी है मस्तक में लाइट चमकती है और दूसरा ताज विकारों पर विजयी बने हो इसलिए ताज दिखाया है इसलिए यह अटेन्शन रखो कि जब बापदादा ने फिकर लेकर फखुर दे दिया तो क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। बादशाह बने हैं तो तख्त भी चाहिए ना! तो बापदादा ने तीन तख्त के मालिक बनाया है। जानते हो तीन तख्त कौन से हैं? एक तख्त भ्रकुटी का, यह तो सबको है ही। दूसरा तख्त है बापदादा का दिलतख्त और तीसरा है विश्व का तख्त, राज्य का तख्त। तो आप सबको यह तीन तख्त प्राप्त हैं ना! सबसे श्रेष्ठ है बापदादा का दिलतख्त। तो चेक करो तख्त पर रहते हो? क्योंकि बापदादा के दिलतख्त पर कौन बैठता है? जिसने सदा स्वयं भी बापदादा काे अपने दिलतख्त में बिठाया है, जो सदा श्रेष्ठ स्थिति में मास्टर सर्वशक्तिवान है। तो चेक करो कि सदा तख्तनशीन हैं? या कभी मिट्टी में भी आ जाते हैं। यह देहभान मिट्टी है। बहुत समय मिट्टी में रहे हैं तो कभी-कभी मिट्टी में तो नहीं चले जाते?

तो बापदादा सभी बच्चों को समय का ईशारा दे रहे हैं। अचानक का पाठ पक्का करा रहे हैं, इसके लिए इस संगम के समय का बहुत-बहुत महत्व रखना है क्योंकि इस एक जन्म में अनेक जन्मों की प्रालब्ध बनानी है इसलिए बापदादा ने इशारा दिया था तो संगम के समय में दो बातों का हर समय अटेन्शन देना है। वह दो बातें तो याद होंगी - समय और संकल्प। बापदादा को सभी ने व्यर्थ संकल्प, संकल्प द्वारा देने की हिम्मत रखी थी। तो चेक करो हिम्मत सदा कायम है? क्योंकि हिम्मते बच्चे, एक बार तो बाप हजार बार मददगार है। तो अभी क्या समझते हो? व्यर्थ संकल्प का जो हिम्मत रख बाप के आगे संकल्प किया वह कायम है? क्योंकि इस व्यर्थ संकल्पों में समय बहुत जाता है और आपका इस समय के प्रमाण कार्य है विश्व की आत्माओं को सन्देश देने का। तो व्यर्थ संकल्प को समाप्त करना है तब दु:खी, अशान्त आत्माओं को सुख शान्ति का अनुभव करा सकेंगे। बापदादा को दु:खी बच्चों को देख तरस पड़ता है। आपको भी अपने भाई-बहिनों को देख तरस तो पड़ता है ना!

बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय सभी को रूचि है, प्लैन बनाया भी है, प्रैक्टिकल किया भी है, इस 75 वर्ष की जुबिली मनाने का। बापदादा यही चाहते हैं, प्रोग्राम तो सब अच्छे किये हैं, इसकी मुबारक भी दे रहे हैं। लेकिन अभी समय के प्रमाण जल्दी-जल्दी उन्हों को वारिस बनाओ, जो कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बन जायें। अच्छा- अच्छा बहुत कहते हैं, बापदादा ने भी बच्चों के सेवा की यह रिजल्ट तो देखी है और बाप बच्चों पर खुश भी है। दिल से कर रहे हैं और अभी समय प्रमाण सुनते भी रूचि से हैं। इतना अन्तर तो आया है। अच्छा-अच्छा लगता है लेकिन अच्छा बनाके कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बनाओ। इसके लिए बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है कि अभी समय अनुसार तीव्र पुरूषार्थी बनने की आवश्यकता है। तीव्र पुरूषार्थी बनने के लिए मुख्य पुरूषार्थ है सेकण्ड में बिन्दी लगाना। सेकण्ड और बिन्दी, दोनों समान। तो अब बापदादा बच्चों का तो बेफिक्र बादशाह का रूप देख रहा है। अभी इसी रूप को सदा अनुभव करो। कोई भी कुछ भी आवे तो मेरे को तेरे में समा दो।

आज बापदादा ने देखा, गुरूवार का दिन है बहुत बच्चे बापदादा के पास पहुंचे, तो बापदादा ने कहा सप्ताह के दो दिन विशेष हैं। एक गुरूवार दूसरा इतवार, सण्डे। तो गुरूवार के दिन गुरू का दिन है, गुरू से क्या मिलता है? वरदान। तो गुरूवार के दिन वरदान का दिन विशेष है, इस रूप से गुरूवार को मनाओ। कोई न कोई विशेष वरदान अमृतवेले से अपने बुद्धि में इमर्ज रखो। वरदान तो अनेक हैं लेकिन विशेष एक वरदान अपने लिए बुद्धि में रख चेक करो कि वरदानी दिन में वरदान स्वरूप बन, वरदान को रिपीट नहीं करना है लेकिन वरदान स्वरूप बनना है और चेक करते रहो तो आज कितना समय वरदान स्वरूप रहे? सण्डे का दिन विशेष दुनिया में छुट्टी का दिन होता है। तो सण्डे के दिन मनाओ जो भी कुछ अपने जीवन में संकल्प मात्र भी कमज़ोरी हो, स्वप्न मात्र भी कमज़ोरी हो उसको छुट्टी देना है। तो जैसे लोग यह दोनों ही दिन अच्छा बिताते हैं, ऐसे आप भी इन दोनों दिन में विशेष यह लक्ष्य और लक्षण सिर्फ लक्ष्य नहीं लेकिन लक्ष्य के साथ लक्षण को अटेन्शन में रखो। बापदादा ने सभी बच्चों को साथ ले चलने का वायदा किया है। इसके लिए साथ चलने की तैयारी क्या करनी है? बाप तो सेकण्ड में अशरीरी बन जायेंगे लेकिन आपने जो वायदा किया है, बाप ने भी वायदा किया है साथ चलेंगे, तो चेक करो उसकी तैयारी है? सेकण्ड में बिन्दी लगाई, सम्पन्न और सम्पूर्ण बन चला। तो ऐसी तैयारी है? साथ तो चलना है ना! चलना है? कांध हिलाओ। चलना है, अच्छा। पक्का? हाथ में हाथ देना, इसका अर्थ है समान बनना। तो चेक करो समय तो अचानक आना है, तो इतनी तैयारी है जो साथ में चलें?

बाप का बच्चों से प्यार है ना! तो बाप एक को भी साथ चलने में पीछे छोड़ने नहीं चाहते। साथ है, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ राजधानी में राज घराने में आयेंगे। मंजूर है ना! मंजूर है? तैयारी है? मंजूर है में तो हाथ उठा लेंगे, यह हाथ नहीं उठाओ। तैयारी है, इसमें हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। कल भी विनाश हो जाए तो तैयार हो? लेकिन अपनी सेवा को समाप्त किया है? सेवा तो अभी रही हुई है? सेवा समाप्त हो गई है? सन्देश सबको पहुंच गया है? सिर्फ अपने मोहल्ले में ही देखो, आपने हर एक को बाप आ गया है, वर्सा लेना हो तो ले लो, यह सन्देश दिया है? अभी प्लैन बना रहे हैं। बापदादा ने सुना कि घर-घर में सन्देश देने का प्लैन बना रहे हैं। अच्छा है, सन्देश तो देना ही है, नहीं तो उल्हना मिलेगा। प्रोग्राम बनाया है ना! उठो, बाप को प्लैन बताया है ना! उठो। (मीडिया वालों को उठाया) अच्छा है उल्हना पूरा कर लो क्योंकि होना तो अचानक ही है। तो आपस में मिलकर इसी प्लैन को प्रैक्टिकल में लाओ। आपस में राय सलाह जल्दी करो, समय लग जाता है ना तो उमंग भी थोड़ा कम हो जाता है। बाकी बापदादा को तो पसन्द है कि घर-घर में यह उल्हना पूरा हो जाए तो हमको तो पता नहीं पड़ा, बाप आया और चला भी गया, वंचित रह गये। सभी को उमंग है ना! सबको उमंग है? सेवा करके उल्हना पूरा करना है। उमंग है तो बापदादा का सहयोग भी है। अच्छा।

तो बापदादा के दिल की आश को तो सभी जानते ही हो। समान और सम्पूर्ण, यह दो शब्द सदा चेक करो तो क्या बाप की यह आशा पूर्ण की? क्योंकि बापदादा हर बच्चे को बाप के आशाओं का सितारा समझते हैं। हर एक बच्चे का बाप से प्यार है, यह तो बापदादा भी जानते हैं। इन सभी को मधुबन में लाने वाला क्या है? यह प्यार की ट्रेन में आते हैं। प्यार के प्लेन में आते हैं। तो बाप भी बच्चों के प्यार की सबजेक्ट में बच्चों से खुश है। लेकिन जो दो शब्द बाप चाहते हैं समान और सम्पूर्ण, इसको भी सम्पन्न करना ही है।

तो आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को दिल से स्नेह से देख एक-एक बच्चे को दिल के प्यारे की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर और भोपाल का है:- मुबारक हो। यह भी चांस अच्छा लगता है ना! सेवा का भण्डार सहज मिल जाता है। दोनों ॰जोन उमंग-उत्साह से पुरूषार्थ में भी बढ़ रहे हैं और आगे भी हर एक अपने पुरूषार्थ को तीव्र कर आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा खुश होते हैं, यह चांस भी एक तो सेवा का फल भी मिलता है और बल भी मिलता है। सबकी न॰जर कहाँ जाती है? अभी किस ॰जोन का टर्न है, वह न॰जर जाती है और सेवा, मधुबन की सेवा अर्थात् सेवा का फल और बल मिलना। तो बहुत अच्छा किया। निर्विघ्न सेवा की, सबको सन्तुष्टता का फल खिलाया। बापदादा को खुशी होती है क्योंकि विशेष चांस मिलता है ना और बच्चे मधुबन में पहुंचते हैं, मधुबन में आना, इतने बड़े परिवार से मिलना और इतने बड़े परिवार की सेवा के निमित्त बनना, यह भी बहुत बड़ा भाग्य बन जाता है। तो निर्विघ्न सन्तुष्टता का फल खाया इसलिए बापदादा विशेष दोनों ॰जोन को मुबारक दे रहे हैं। अच्छा है, हर एक के ऊपर बाप की भी न॰जर जाती और परिवार की भी न॰जर जाती। प्रत्यक्ष आत्माओं को खुशी भी मिलती, खुश करते भी और मिलती भी खुशी, दोनों ही। तो मुबारक हो दोनों को।

ग्राम विकास, सिक्युरिटी और बिजनेस विंग की मीटिंग है:- अच्छा। हर एक अपनी निशानी ले आये हैं। सभी को खुशी होती है और बापदादा को भी एक-एक वर्ग को देख खुशी होती है। बापदादा ने देखा कि हर एक वर्ग कोई न कोई इन्वेन्शन कर अपने वर्ग की सेवा को वृद्धि में ला रहे हैं। और बापदादा तीनों की अलग-अलग रिजल्ट को देख खुश है। जैसे यह जो योगबल के खेती की सेवा बढ़ा रहे हैं और गवर्मेन्ट तक आवाज पहुंच रहा है, गवर्मेन्ट भी खुश हो रही है कि इस द्वारा आत्माओं को फायदा मिल रहा है। हर एक वर्ग देखा गया, कि सेवा में हर एक नम्बरवन है। यह खेती वालों की भी रिपोर्ट देखी, उन्होंने जो अभी बाप ने कहा था तो लिस्ट निकालो, कौन कौन नजदीक सम्बन्ध में आये हैं। तो यह पहला ही वर्ग है जिन्होंने लिस्ट दी है। बापदादा ने देखा कि भिन्नभिन्न प्रकार के कनेक्शन में आये हैं और समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां अभी गवर्मेन्ट के साथी बन रही हैं क्योंकि प्रैक्टिकल देखते हैं ना कि कितने प्यार से मेहनत करते हैं। तो तीनों वर्ग अच्छी मुबारक योग्य सेवा कर रहे हैं इसलिए मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा यह जो बनाया है, छोटे-छोटे बच्चे, यह सबको दिखाओ। (ग्राम विकास वालों ने कठपुतली का डांस दिखाया) बापदादा ने देखा सभी खुश हो रहे हैं बहुत। अपनी खुशी बच्चों के रूप में दिखा रहे हैं। अच्छा। तो ग्राम विकास का डिटेल अच्छा आया है। वह लिखत में ले आये हैं लेकिन और दो भी हैं वह भी कम नहीं हैं। ऐसे ही बढ़ते रहो बढ़ाते रहो और विश्व में यह आवाज फैलाते रहो कि हम सेवाधारी बन विश्व को, इसमें भी भारत को स्वर्ग सुखमय जरूर बनायेंगे। अभी समझने लगे हैं कि ब्रह्माकुमारियों का यह वायदा, ब्रह्माकुमारियां पूरा कर भी रही हैं और करके ही छोड़ेंगी। तो बापदादा तीनों को अलग-अलग मुबारक दे रहे हैं।

(बिजनेस वालों की सिल्वर जुबिली है) अभी बिजनेस वाले उठो, अच्छा। हिम्मत रखके जो मेहनत की है, उसमें सफलता भी मिली है और आगे भी सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है। बापदादा को अच्छा लगता है, यह वर्ग में एक-एक वर्ग में देखा है, टर्न चाहे तीन का हो, चार का हो लेकिन हर एक वर्ग जब से बने हैं तब से सर्विस में वृद्धि हुई है और आगे भी होगी। यह बापदादा देख रहे हैं और एडवांस में मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

1500 टीचर्स आई हैं:- टीचर्स को तो बापदादा सदा ही याद करते, प्यार करते क्योंकि टीचर्स निमित्त बनती हैं हर भाई और बहिनों को आगे बढ़ाने के लिए। टीचर को बापदादा गुरूभाई कहते हैं। गुरूभाई का अर्थ है समान क्योंकि जैसे बाप का कर्तव्य है सदा सेवा में बिजी रहना, ऐसे योग्य टीचर्स बाप समान सदा सेवाधारी और सदा सफलता स्वरूप बन सफल स्वरूप बनाने वाली हैं। बापदादा को टीचर्स प्रति सदा ही दिल में प्यार है। क्यों? टीचर अर्थात् सदा सेवाधारी, सदा बाप समान बनाने वाली और नयों नयों को बाप का परिचय दे अनुभवी बनाके बाप के वर्से के अधिकारी बनाने वाला। तो बापदादा टीचर्स पर खुश है और यही दिल का प्यार, बाप का प्यार स्टूडेन्ट में भी भरकर उन्हों को भी बाप के पूरे वर्से के अधिकारी बनाने वाली हैं। बाप की हर एक टीचर में उम्मींद रहती है कि यह हर एक टीचर जो बाप की आशायें हैं, जो बाप चाहते हैं वह प्रत्यक्ष करने और कराने वाली हैं इसलिए एक- एक टीचर को बापदादा पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनों से:- डबल विदेशी भी बापदादा ने देखा सेवा में भारत की आत्माओं से कम नहीं हैं। बापदादा खुश होते हैं कि हर एक अपने-अपने स्थान में सेवा की वृद्धि भी कर रहे हैं और स्वयं को भी अच्छे उमंग उत्साह में चला रहे हैं। डबल विदेशियों का यह संस्कार है कि जो करेंगे वह उमंग उत्साह से करके पूरा करेंगे और पुरूषार्थ के तरफ भी अटेन्शन है। तो सभी हाथ उठाओ कि सभी तीव्र पुरूषार्थी हैं? तीव्र पुरूषार्थी हैं? अच्छा। सबके तरफ से भी बहुत-बहुत मुबारक है क्यों? तीव्र पुरूषार्थी अर्थात् बापदादा की आशाओं को पूर्ण प्रैक्टिकल करने वाले। तो बापदादा तीव्र पुरूषार्थ की मुबारक दे रहे हैं। तीव्र पुरूषार्थी हैं और सदा तीव्र पुरूषार्थी बन औरों को भी तीव्र पुरूषार्थी बनायेंगे। तो सारा विदेश तीव्र पुरूषार्थी की लिस्ट में आ जाये। ऐसा रिकार्ड कुछ है और कुछ दिखाना है। लेकिन बापदादा पुरूषार्थ की मुबारक दे रहे हैं। मुरली के ऊपर भी अटेन्शन है, यह बापदादा को मुरली का स्नेह अच्छा लगता है। मधुबन से भी प्यार, मुरली से भी प्यार, परिवार से भी प्यार और मेरा बाबा से भी प्यार। अभी सूक्ष्म पुरूषार्थ के तरफ भी अटेन्शन अच्छा है और बापदादा ने देखा कि जनक बच्ची का भी बहुत ध्यान है। यहाँ रहते भी हर क्लास पहले फारेन को पहुंचता है। तो पालना भी अच्छी मिल रही है। यह भी आपका लक है। लकीएस्ट और स्वीटेस्ट दोनों ही हैं। अच्छा।

पहली बार आने वालों से:- यह तो बहुत हैं। हाथ हिलाओ। तो सभी अपने मधुबन घर में पधारे हैं, उसकी बापदादा एक-एक बच्चे को मुबारक दे रहे हैं क्योंकि लास्ट समय के पहले पहुंच गये हो। लास्ट सो फास्ट जाने का चांस है। बापदादा बच्चों को देख खुश हो रहे हैं। आये, भले पधारे और आगे के लिए अब तीव्र पुरूषार्थ कर आगे से भी आगे जाने का दृढ़ संकल्प करो। दृढ़ता सफलता की चाबी है। तो बापदादा जो भी आज बच्चे आये हैं उन्हों को विशेष दृढ़ता के चाबी की सौगात दे रहे हैं। दृढ़ता को कभी भी हल्का नहीं करना। दृढ़ता आपको सदा सहज आगे बढ़ाती रहेगी। तो बापदादा खुश है भले पधारे, अपना वर्सा लेने के लिए आये, इसकी बहुत-बहुत मुबारक। अच्छा।

चारों ओर के सर्व ब्राह्मणों को बापदादा दिल का प्यार और सदा आगे बढ़ने का श्रेष्ठ संकल्प दे रहे हैं। एक-एक बच्चे को बाप देख भी रहे हैं और देख-देख दिल में समा रहे हैं। नजदीक वाले तो बापदादा को सामने देख रहे हैं और आप सब साधन द्वारा सामने ही देख रहे हो। बापदादा भी आप सभी को जहाँ भी बैठे हो तो ऐसे ही देख रहा है जैसे सम्मुख ही बैठे हैं और एक-एक को दिल का प्यार दे रहे हैं। बढ़ते चलो, तीव्र पुरूषार्थ कर आगे से आगे बढ़ते चलो। अच्छा।

सम्मुख बैठने वालों को भी बापदादा का यादप्यार और सदा आगे बढ़ने की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा।

दादी जानकी से:- (सभी क्रिसमस प्यार से मना रहे हैं, सभी ने यादप्यार भेजा है) सबको बापदादा की तरफ से पदमगुणा बधाईयां देना। अच्छा है, बापदादा ने कहा ना सेवा में भी आगे जा रहे हैं। अच्छी सेवा कर रहे हैं, बापदादा खुश है। जहाँ भी प्रोग्राम चलते हैं वहाँ सफलता ही सफलता है। अच्छा है। यहाँ बैठे आप भी उन्हों की सेवा करती हो ना, यह भी अच्छा है।

मोहिनी बहन से:- ठीक रहेंगी। ज्यादा भागदौड़ नहीं करो। बाकी ठीक रहेंगी, आगे चलकर सेवा करेंगी। वंचित नहीं रह सकते। (मुन्नी बहन से) यह भी साथी है, साथ अच्छा दे रही है। (ईशू दादी से) यह तो गुप्त यज्ञ रक्षक है। लेकिन बहुत अच्छा रा॰जयुक्त होके जो भी कार्य कर रही हो, बापदादा खुश है। अच्छा है।

परदादी से:- बहुत अच्छा प्रकृतिजीत बन प्रकृति को चला रही हो। खुश रहती है इसलिए इसकी खुशी भी सेवा करती है। (रूकमणि बहन से) आप भी सेवा में थकेंगी नहीं, क्योंकि इसकी खुशी है ना, वह थकावट को खत्म कर देगी। अच्छा।

(दादी जानकी ने पूछा कि बाबा जनवरी मास में लण्डन और जर्मनी में बुला रहे हैं, जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए?)

बापदादा यही कहते हैं कि हद नहीं रखो, नहीं जाना है। जहाँ आवश्यकता है वहाँ जरूर जाओ। (बाम्बे वाले भी बहुत बुला रहे हैं, क्या बाम्बे जाऊं?) हाँ जरूर जाओ। देखो, जहाँ आवश्यकता है वहाँ जाने में कोई हर्जा नहीं है। सभी जगह नहीं जाओ, जहाँ आवश्यकता है वहाँ जाओ। (भुवनेश्वर नहीं गई, वह बहुत याद कर रहे थे) वह तो बीत गया। अभी जहाँ आवश्यकता समझो कि जरूरी है वहाँ जाने की मना नहीं है। अपने को बंधन में नहीं रखो, स्वतन्त्र रहो। यह जो बंधन डाला है कि नहीं जाना है, वह ठीक नहीं है। एवररेडी। जहाँ जरूरत है वहाँ जाने में हर्जा नहीं है। (सभी सोचते हैं कभी हाँ करती है, कभी ना करती है) नहीं, यह तो बापदादा कह रहा है। एकदम अपने को बंधन में नहीं रखो, नहीं जाना है, नहीं जाना है। (संकल्प है, बंधन नहीं है) संकल्प पूरा हो जायेगा।

(निर्वैर भाई भी कहीं नहीं जाते हैं) यह तबियत के कारण नहीं जाता है। (दादी की तबियत अनुसार अभी नहीं जाना चाहिए), नहीं, यह जा सकती है, लेकिन अपने को बंधन में रखा है कि नहीं जाना है।

रमेश भाई से:- तबियत ठीक है? (अभी स्टूडियो बनकर तैयार हो रहा है) बहुत अच्छा, यह भी सेवा करेगा। तैयार करेंगे, प्रोग्राम होते रहेंगे। अच्छा है। तबियत को चलाने का कोई तरीका सोचो क्योंकि जिम्मेवारी बहुत है। (हम भी तबियत के कारण कहीं नहीं जाते हैं) कोई भी बंधन में, जाना न जाना, वह नहीं रखो। जाना है, आवश्यक है तो शरीर भी साथ देगा। जहाँ आवश्यकता है वहाँ मदद मिलेगी। जब देखो हो सकता है तो ना नहीं करो। चल सकता है शरीर तो जाना चाहिए। कभी तो एकदम खराब होता है, वह बात दूसरी है। बाकी चल सकता है तो सेवा से खुशी होती है, यह भी दवाई है। कितने खुश होते हैं, सबके खुशी की खुराक मिलती है।