18-01-16 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन


‘‘रूचि से पढ़ाई पढ़ने वाले स्टूडेन्ट कभी किसी सबजेक्ट में फेल नहीं हो सकते, फेल होना माना फील करना’’

ओम् शान्ति। सभी ने बापदादा द्वारा पहले तो दृष्टि प्राप्त की, भले देखा तो आपने इन स्थूल नेत्रों द्वारा लेकिन इन नेत्रों में भी बाप की दृष्टि पड़ने से यह दृष्टि भी परिवर्तन हो जाती है। सभी को सारी सभा में कौन दिखाई देते हैं? सभी नम्बरवार ब्राह्मण दिखाई देते हैं। थोड़ा बहुत बीच-बीच में मिक्स तो होता है लेकिन सभी की बुद्धि में बापदादा ही है। हर एक यही सोचते हैं हमारा बाबा आ गया। सभी की बुद्धि में मेरा बाबा, मेरा बाबा आ गया। हर एक के नयनों में यही खुशी की झलक समा गई हैं, मेरा बाबा आ गया। सबके नयनों में कौन? मेरा बाबा। नयनों में भी बाबा दिखाई देता, बुद्धि में भी बाबा ही दिखाई देता इसीलिए आप सबकी आंखों में प्यारा बाबा, मीठा बाबा, मेरा बाबा समा गया है। बाप भी बच्चों को उसी रूप में देखते मेरे बच्चे और बच्चे भी उसी रूप से देख रहे हैं मेरा बाबा। सभी के दिल में क्या दिखाई दे रहा है? मेरा बाबा आ गया। मेरा बाबा, मेरा कहने में कितनी खुशी होती है। मेरा बाबा, भले कितना भी कहें - यह लण्डन के हैं, यह इन्डिया के हैं। कितना भी कहें लेकिन सबसे पहले क्या आता? मेरा बाबा आ गया। बाबा और बच्चे का मिलन हो रहा है। यह मिलन भी विचित्र मिलन है। स्थूल में कोई किस ए॰ज का है, कोई किस ए॰ज का है लेकिन कौन है, तो शार्ट में कहेंगे बाप और बच्चे बैठे हैं। चाहे 100 वर्ष वाला हो, चाहे डेढ़ सौ वर्ष वाला हो लेकिन क्या कहेंगे? सब बाबा के बच्चे बैठे हुए हैं। जब यहाँ बैठते हो आके तो परिचय क्या देंगे? भले किस भी रूप में आये हो लेकिन यहाँ आने से किस रूप में बैठते हो? स्टूडेन्ट रूप में। बाबा के आगे स्टूडेन्ट के रूप में बैठे हैं और बाबा के बच्चे पूरे वर्ल्ड के चारों तरफ के कोई न कोई आये हुए हैं। भले कोई किस देश के, कोई किस देश के हैं लेकिन यहाँ बैठे हुए क्या फील कर रहे हो? गॉडली स्टूडेन्ट हैं और टीचर भी कौन है? स्वयं भगवान हमारे लिए विशेष मिलने आये हैं। भगवान हमसे मिलने आये हैं या हम भगवान से मिलने आये हैं। जो भी आये, पहचानते हैं तो क्या कहेंगे? बाबा के पास जा रहे हैं, बाबा के पास जा रहे हैं और हर एक की शक्ल में मिलने की भावना कितनी दिखाई देती है। सभी की शक्ल में बाप और बच्चों के भावना की सूरत है। सभी की शक्ल में कितना प्यार है, वाह बाबा वाह! सबकी दिल यही गीत गा रही है और कितना प्यार, कैसा बाप और बच्चे के रूप में मिलन, आज की सभा में देखो तो और कोई सम्बन्ध नहीं, बाप और बच्चा। चाहे बुजुर्ग हो, चाहे कोई भी सम्बन्ध में हो लेकिन हैं सब स्टूडेन्ट के रूप में। सभी की बुद्धि में स्टूडेन्ट की भावना समाई हुई है। सभी की बुद्धि में एम आबजेक्ट यही है, अनेक देश अनेक आत्मायें, लेकिन इस ब्राह्मण जीवन में सभी स्टूडेन्ट के रूप में हैं। चाहे बुजुर्ग है, चाहे छोटा बच्चा भी है। वह तो है ही बच्चा लेकिन फिर भी स्टडी करने वाले सब स्टूडेन्ट बैठे हैं।

आज बाबा ने यह कहा, आज बाबा ने यह कहा, आज बाबा ने अशरीरी बनने की बात सुनाई, कितनी अच्छी बातें बाबा सुना रहे हैं। सभी के मन में इस समय अपना रूप भी कौन सा दिखाई दे रहा है? स्टूडेन्ट। चाहे बुजुर्ग है, चाहे छोटा है। काम भी वही कर रहे हैं पढ़ाई और इस पढ़ाई में शक्ति कितनी भरी हुई है। हैं कितने साधारण लेकिन पढ़ाई द्वारा क्या बन रहे हैं? कोई से भी पूछेंगे आज क्या पढ़ने आये हो? तो सब कहेंगे हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं और कितने प्यार से पढ़ाई पढ़ते हैं। हर एक ऐसे रूचि से पढ़ रहे हैं लेकिन अगर दूसरी बात बीच में आ गई तो मुख्य बात जो चल रही है वह तो मिस हो जायेगी ना। लेकिन देखा गया मैजारिटी मिक्स तो होता है सबमें लेकिन आये सब पढ़ने के लिए हैं, स्टूडेन्ट रूप में और देखा गया है कि जब सभी स्टडी करने के रूप में आते हैं तो इनकी शक्ल से ही लगता है यह कोई बहुत पढ़ाई में बिजी है और इन्हों को पढ़ाने वाला कौन है? वह अगर ध्यान में रहे तब तो बेड़ा पार हो गया। परमात्मा पढ़ाने वाला है, यह कभी सुना है क्या कि परमात्मा पढ़ाता भी है लेकिन इस पढ़ाई में मैजारिटी सब पास हो जाते हैं क्यों? यहाँ का जो टीचर है, ऐसी विधि से पढ़ाता है जो सुना वह जैसे छपाई हो रही है। भूलता नहीं है। सब खुशी खुशी से पढ़ रहे हैं। अभी भी तो देख रहे हैं ना बहुत थोड़े हैं जो कोई न कोई सरकमस्टांश अनुसार आये पढ़ने के लिए हैं लेकिन कहाँ पढ़ाई के बजाए और कोई सबजेक्ट में अटेन्शन चला जाता है। सबको विशेष जो होमवर्क दिया गया है, कई तो अभी भी उसकी तरफ अटेन्शन दे रहे हैं, अब भी वही याद कर रहे हैं। पढ़ाई से प्यार है, लास्ट टाइम तक भी पढ़ाई में अटेन्शन है। ऐसे स्टूडेन्ट हाल में पौने से भी ज्यादा हैं। यह बापदादा देख रहे हैं कि इस क्लास में बैठे हुए स्टूडेन्ट की विशेषता है और कमाल यह है कि पढ़ाई के तरफ अटेन्शन देने वाले हैं। तो आप कौन हो? वह तो हर एक खुद जानते हैं। लेकिन देखा गया तो अभी के स्टूडेन्ट जो हा॰जर हैं, उन्हों में मैजारिटी पढ़ने के शौकीन हैं। यह देखकरके बाप को भी अच्छा लग रहा है। पढ़ाई के तरफ अटेन्शन अच्छा है। यह रिजल्ट अच्छी है। अभी इसको आगे बढ़ाना है। पढ़ाई में शौक बढ़ाना है। पढ़ने में अटेन्शन देने वाले अच्छे हैं। तो जैसे आज की रिजल्ट में पढ़ाई वाले ज्यादा है और अपनी पढ़ाई शौक से पढ़ रहे हैं। संख्या भी अधिक है। तो देखा गया पढ़ाई पढ़ने वाले भी रूचि वाले हैं और टीचर भी पढ़ाने के शौकीन अच्छे हैं। वह भी हमेशा समझते हैं कि स्टूडेन्ट ज्यादा किसी कारण से फेल न हों, कम मार्क्स न लेवें। यहाँ तो सबने पढ़ाई का फल ले लिया है। सभी पढ़ाई का फल लेने वाले हैं इसीलिए अभी तक बैठे हैं, नहीं तो आधा क्लास तो चला जाता। रूचि की बात होती है, पढ़ाई में रूचि हो तो पढ़ाई छोड़ना बहुत बुरा लगता है। लेकिन देखा गया फिर भी रिजल्ट में यह जो क्लास आया है, इसमें रिजल्ट अनुसार रूचि है पढ़ाई में। ताली बजाओ। पढ़ाई की तरफ अटेन्शन है इसकी बधाई क्योंकि हैं तो स्टूडेन्ट। स्टूडेन्ट और पढ़ाई में रूचि न हो तो यह नहीं शोभता, इसलिए कहा कि सभी स्टूडेन्ट पढ़ाई तरफ अटेन्शन देने वाले हैं। तो जितने हैं उसके अनुसार रिजल्ट अच्छी है इसीलिए इस क्लास को फिर भी कहेंगे पास है और सभी की शक्लें देखो, सभी मुस्करा रहे हैं। हमेशा जो भी करो टाइम तो देते हो ना, चाहे घण्टा हो, चाहे आधा घण्टा हो लेकिन टाइम तो देते हो ना। तो टाइम की वैल्यु है इसलिए आपकी नेचर है जो काम करते होंगे ना, वह पूरा लगाकर ही करते होंगे। तो अभी का क्लास जो है वह अच्छी रिजल्ट देने वाला है और टीचर को कौन से स्टूडेन्ट अच्छे लगते हैं? आप जैसे। भले कहेंगे आज ही हम रेग्युलर हुए हैं लेकिन हुए तो सही ना। रेग्युलर की लिस्ट में आये तो सही ना, एक दिन भी आये। लेकिन यह नहीं सीखना तो एक दिन भी चलेगा, वह तो देखते हैं तो सभी खुश होते हैं। ज्यादा रिजल्ट देख करके खुश होते हैं कि हम भी पास में आ गये। इससे सभी समझ ही गये होंगे। बाकी अटेन्शन देना हमारा फर्ज है क्योंकि देखो टीचर भी मेहनत तो करते हैं ना। तो टीचर्स या स्टूडेन्टस दोनों को ज्यादा पास होने की मुबारक हो, मुबारक हो। अभी कभी भी कोई भी पेपर हो उसमें फेल नहीं होना। यह जो आपको सबक सिखाया, वह यह सिखाया, आज आप पास हो गये हो तो शक्लें देखो और जो फेल हुए हैं वह जैसे कांध नीचे कर लेते, नेचरल हो रहा है। कितना भी चाहें तो भी कांध नीचे हो जाता है। तो जब भी पेपर देने बैठो तो सदा यह दिन याद रखना कि पास होना ही है। टोटल रिजल्ट भी देखी गई, तो हिसाब से भी अच्छी रिजल्ट है। कभी भी जब भी पेपर देने बैठो तो हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि फेल कभी नहीं होना है। फेल होना माना फील करने वाले। सारा साल आपको याद रहेगा कि मैं फेल हुआ, फेल हुआ इसलिए कायदे अनुसार तो बदली हो जायेगी लेकिन यह संकल्प कभी भी नहीं रखना कि जो हुआ सो अच्छा, कभी फेल, कभी पास तो होंगे ही! हमेशा पास तो नहीं होंगे! लेकिन यह शिक्षा तो सबको मिली कि जो पास हुए इसमें, वह कितने हैं और कितने निकले। वह हाथ उठाओ जो पास हुए। हाथ उठाने वाले कम हैं। सभा के हिसाब से कम हैं। हमेशा जब भी पढ़ाई पढ़ते हैं ना, उसमें यह भी लक्ष्य हो कि मुझे पास होके ही दिखाना है। अभी तक जो भी आप लोग पढ़े हैं। पहली से लेकर अब तक जितना भी दर्जे पढ़े हैं उसमें समझो अभी आठवीं का चल रहा है, तो आप कितने पास हुए? पास कितने होने चाहिए? चलो फुल पास नहीं तो थोड़ा कम, एक दो मार्क्स कम हुआ तो ठीक है लेकिन अगर ज्यादा मार्क्स में फेल हुआ तो ठीक नहीं, इसलिए अभी एम क्या रखेंगे? फेल हुआ तो भी एक ही बात है क्या! आप में से भी कोई समझते हैं कि एक दो मार्क्स से पास हुआ तो यह राइट है, या यह भी चलता है...। लक्ष्य यह रखो कि एक भी क्लास मिस नहीं हो क्योंकि स्टूडेन्ट की सदा एम यही रहती है कि मैं पास हो जाऊं। कोशिश करूंगा नहीं, हो जाऊं।

तो आज सभी ने मेहनत की। कितने परसेन्ट ने हाथ उठाया। हाथ तो उठाया लेकिन पास किस नम्बर तक हुए, वह भी तो देखना है ना। पास तो हो गये लेकिन पास ना के बराबर ही हुए, एक दो नम्बर से या ठीक पास जिसको कहते हैं वह हुए। तो हमेशा यह ध्यान रखो किसी भी बात में पास माना पास। फेल का नम्बर आवे, यह अच्छा नहीं। जरूर कोई ऐसी आदत होगी जिसमें बिजी रहते होंगे। फिर भी कितने लोग बैठे हैं यहाँ, जो पास हुए हैं वह हाथ उठाओ। अच्छे हैं, या आगे आगे ही बैठे हैं पास वाले। अच्छा है, जब पास में हाथ उठाते हैं तो नशा कितना चढ़ता है।

सेवा का टर्न महाराष्ट्र ॰जोन का है, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मुम्बई के 15 हजार आये हैं, बाकी सब 22 हजार आये हैं महाराष्ट्र, तो बापदादा भी मुबारक देते हैं क्यों! इम्तहान दिया भी यहाँ हैं और यहाँ के पास भी ज्यादा हुए हैं। तो जो पास हुए हैं उन्हों को बहुत-बहुत बधाई। मेहनत की या लक है तो हो गये हैं। मेहनत किया है? जिसने मेहनत किया है वह हाथ उठाओ। मेहनत कम ने की है जितनी रिजल्ट है। लेकिन फिर भी इतने भी निकले हैं तो यह भी बापदादा को अच्छा लग रहा है। आधे से ज्यादा हैं। अच्छा है।

डबल विदेशी 50 देशों से 550 भाई बहिनें आये हैं:- अच्छा है फिर भी इतने तो निकले हैं। पुरूषार्थ फिर भी किया है अच्छा है। अच्छा, इन पास वालों के लिए ताली बजाओ। क्योंकि रिजल्ट मिलने से यह प्रभाव पड़ता है कि यह स्टूडेन्ट वैसे थे। पढ़ने के तरफ रूचि थी या और किसी बात में रूचि थी। फिर भी अच्छा है, (रतन दादा, रत्ना बहन, लण्डन के) एक ही घर में दोनों पास हैं! दोनों ही पास हो गये, यह तो बहुत अच्छा। अच्छा आप सबकी तरफ से बाप ही इनको मुबारक दे रहे हैं, इतने तो बोलेंगे नहीं इसलिए सभा के बीच में ही दे रहे हैं। अच्छा है रिजल्ट मिलने से उमंग आता है, तो इतनी रिजल्ट कम क्यों हुआ। हर एक समझेगा कि हम भी स्टडी करते तो नम्बर लेने में थोड़ा और आगे बढ़ जाते। और कर सकते हैं थोड़े अलबेले रहे हैं, हो जायेगा, हो जायेगा, नहीं। होना ही है।

(तीनों स्थानों पर फूलों का श्रंगार कलकत्ता वालों ने किया है) अच्छा है, कलकत्ते वाले बहुत आये हैं। इनसे यह सीखो कि हम भी इसी लाइन में उठें। ऐसे ही सीखते जायेंगे। अच्छा है जिन्होंने हाथ उठाया उनकी तरफ से इनको 100 गुणा ज्यादा मुबारक है। अच्छा है। सब उमंग उत्साह में हैं तो दूसरी बारी फिर नम्बर और आगे होंगे। एक बारी किया है ना, तो अभी उमंग आ गया कि हम भी हो सकते हैं तो दुबारा फिर जीत जायेंगे। तो कोशिश करना नम्बर और आगे हो।

फर्स्ट टाइम बहुत आये हैं:- आधा क्लास तो है। इतनी सभा में इतने थोड़ों ने हाथ उठाया। अगर थोड़ा और ज्यादा हो जाते तो कितना अच्छा होता। हम तो कहेंगे कि यह बहुत उमंग-उत्साह होना चाहिए। यह नम्बर लेना कोई रिवाजी बात नहीं है। नाम तो हुआ ना। सारी क्लास उनके मित्र सम्बन्धी कितने खुश हुए। वह भी अगर गिनती करें तो कितने होंगे। उनके माँ बाप चाचा चाची कितने खुश होंगे। लेकिन अच्छा है जो आपने नम्बर तो ले लिया। फिर भी नम्बर में तो आ गये ना। यह भी अच्छा है। ना से अच्छा है।

अच्छा, जो पहले नम्बर वाले आये हैं उन सभी को, इतनी सारी सभा को मुबारक।

दादी जानकी से:- आपको देख करके सबको उमंग आयेगा, यह कर सकती हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं। (मोहिनी बहन,न्युयार्क ने बहुत याद दी, जयन्ती बहन ने भी बहुत याद दी।) याद दी लेकिन आ नहीं सके। (वहाँ भी 18 जनवरी बहुत प्यार से सभी मनाते हैं)

कलकत्ता वालों ने बापदादा को हार पहनाया:- (मुन्नी बहन को देखकर) आप भी तो कलकत्ता से निकली हो ना।

मोहिनी बहन:- (बाबा आपके वरदानों से ठीक हूँ) अभी आगे भी ठीक रहेंगी। वह तो अच्छा है बाबा सभी को वरदान में हाँ हाँ कहता है, सिर्फ याद रखें।

(मधु बहन 20 साल से 18 जनवरी को तीनों स्थान फूलों से सजाती हैं) इन्होंने कोशिश की है नम्बरवन जाने की। कोशिश में अभी थोड़े नम्बर आये फिर दूसरे आ जायेंगे। कोई बात नहीं। लेकिन उमंग आयेगा कि हम थोड़ा पीछे रह गये हैं।

नारायण दादा से:- अभी और आगे जाकर दिखाओ। जैसे अभी नजदीक आके दिखाया, ऐसे इसमें भी नम्बर आगे जाके दिखाओ। कर सकता है। अभी कोई बुढ़ा नहीं है, जवान है। यह करना चाहे तो कर सकता है। ले सकता है, बस सिर्फ थोड़ा जोश भरना अपने में। (सबका सपोर्ट है) आपकी सपोर्ट है! पहले आपकी सपोर्ट है? पहले आपकी सबको सपोर्ट चाहिए। अच्छा।