ओम् शान्ति 28-10-18 ''दिनचर्या'' मधुबन
प्राणेश्वर अव्यक्त बापदादा के अति स्नेही, सदा सच्चे और साफ दिल के स्नेह से भोलानाथ बाप को राज़ी करने वाले, सभी राज़युक्त, योगयुक्त और युक्तियुक्त बन सदा निश्चित भावी को जान, निश्चिंत स्थिति में रहने वाले निमित्त टीचर्स बहिनें तथा सर्व ब्रह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,
ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद के साथ आज इनएडवांस आने वाले सभी उत्सवों की सबको बहुत-बहुत बधाई हो।
धनतेरस, दीपावली, नया वर्ष, भैया दूज... कितने सुन्दर यादगार त्योहार भारत में सभी खूब धूमधाम से मनाते हैं। उसकी कितनी तैयारियां करते, हर घर के कोने-कोने की सफाई करते, श्रीलक्ष्मी की विशेष पूजा करते, दीपमाला के साथ-साथ खूब खुशियों में पटाके आदि जलाते, फिर भाई-भाई की स्मृति का तिलक दे एक दो का मुख मीठा कराते... यह सभी त्योहार अनेक आध्यात्मिक रहस्यों को स्वयं में समाये हुए संगमयुग के ही यादगार हैं। अपने यज्ञ इतिहास में भी इन सभी त्योहारों का बहुत बड़ा महत्व है। तो सभी को इन उमंग-उत्साह भरे त्योहारों की बधाई हो।
देखो, भारतवासी भाई बहिनों के लिए प्यारे अव्यक्त बापदादा से मंगल मिलन मनाने का यह पहला टर्न है। पहले डबल विदेशी भाई बहिनें खूब रिफ्रेश होकर गये। अभी इन्दौर ज़ोन (कमला बहन), की सेवाओंका टर्न है। साथ में अन्य कई ग्रुप्स भी आये हुए हैं। करीब 16-17 हजार भाई बहिनों का बहुत प्यारा संगठन है।
प्यारे अव्यक्त बापदादा वतन से ही डायरेक्ट अपने बच्चों को सर्व शक्तियों, सर्व वरदानों से भरपूर कर रहे हैं। साकार में अव्यक्त मिलन की जिज्ञासा तो हर बच्चे के दिल में सदा रहती ही है। लेकिन ड्रामा की भावी, जो अभी तक प्यारे बापदादा का रथ हमारी मीठी दादी गुल्जार जी हम सबके बीच मधुबन में नहीं पहुंच सकी हैं। सबके योग की सूक्ष्म सकाश, शुभ भावनाओंकी शक्ति दादी जी को शीघ्र ही शान्तिवन में लेकर आयेगी, ऐसी हम सबकी शुभ आशायें हैं।
बाकी बापदादा के अवतरण दिन पर सवेरे से ही सभी भाई बहिनें अव्यक्त स्थिति द्वारा अव्यक्त वतन की सैर करते अव्यक्त मिलन की अनुभूतियां कर रहे हैं। चारों ओर साइलेन्स का बहुत अच्छा वातावरण है। नियम प्रमाण सभी प्यारे अव्यक्त बापदादा की दृष्टि, उनके मधुर महावाक्य सभी वीडियो द्वारा सुन और देख रहे हैं। ऐसे अनुभव हो रहा है जैसे बापदादा डायरेक्ट अपने बच्चों को सर्व शक्तियों, सर्व वरदानों से भरपूर कर रहे हैं। बापदादा के महावाक्य जो हम सबने वीडियो द्वारा सुने हैं वह आपको भी भेज रहे हैं। क्लास में सबको रिफ्रेश करना जी। अच्छा - सभी को याद...ओम् शान्ति।
28-10-18 ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज वीडियो 15-11-08 मधुबन
''सच्ची साफ दिल से परमात्म स्नेही बन हर प्राप्ति के अनुभव की अथॉरिटी बनो''
आज बापदादा अपने चारों ओर के अपनी सच्ची दिल, साफ दिल के स्नेह से भोलानाथ बापदादा को अपना बनाने वाले बच्चे, स्नेही बच्चे देख रहे हैं। ऐसे दिल के स्नेही बच्चों को देख बापदादा भी गीत गाते वाह! मेरे स्नेही बच्चे वाह! यह परमात्म स्नेह सिर्फ इस संगम पर ही अनुभव कर सकते हैं। तो ऐसे स्नेही बच्चे जो दिल से बाप को याद करते हैं, वह सदा ही बाप की याद में, बाप के दिलतख्तनशीन बनते हैं। बापदादा ऐसे स्नेही बच्चों को विशेष अमृतवेले कोई न कोई विशेष वरदान देते हैं क्योंकि स्नेह देने वाले दिल के स्नेही बच्चे बापदादा को भी अपने तरफ खींच लेते हैं क्योंकि दिल का सच्चा स्नेह है और जीवन में अगर स्नेह नहीं तो जीवन मौज में नहीं रहती। आप सभी अनुभवी हैं कि बाप का नि:स्वार्थ अविनाशी स्नेह हर एक बच्चे को कितना प्यारा है। तो परमात्म स्नेह इस ब्रह्मण जीवन का फाउण्डेशन है इसलिए आप सब स्नेह के पात्र और स्नेह के अनुभवी बच्चे हैं। ज्ञान है लेकिन ज्ञान के साथ परमात्म स्नेह भी आवश्यक है क्योंकि जहाँ स्नेह है वहाँ सब कुछ अनुभव करना सहज हो जाता है। स्नेह की शक्ति बाप के बहुत ही नजदीक ले आती है। स्नेह की शक्ति सदा ऐसे अनुभव कराती है जैसे बाप के वरदान का हाथ सदा अपने सिर पर अनुभव करते। बाप का स्नेह सदा ही छत्रछाया बन जाता है। स्नेही सदा अपने को बाप के साथी समझते हैं। स्नेही आत्मा सदा रमणीक रहती है। सूखे नहीं रहते, रमणीक रहते हैं। स्नेही आत्मा सदा निश्चित और निश्चिंत रहती है। स्नेही सदा बाप को याद करने में अपने को सहज योगी अनुभव करते हैं। ज्ञान बीज है लेकिन बीज के साथ स्नेह पानी है, अगर बीज में पानी नहीं मिलता तो फल की प्राप्ति का अनुभव नहीं हो सकता। ज्ञान के साथ-साथ यह परमात्म स्नेह सदा सर्व प्राप्तियों का फल अनुभव कराता है। स्नेह में प्राप्तियों का अनुभव बहुत सहज होता है। सिर्फ ज्ञान है लेकिन स्नेह नहीं है तो फिर भी क्यों, क्या के क्वेश्चन्स उठ सकते हैं लेकिन स्नेह है तो सदा स्नेह के सागर में लवलीन रहते हैं। स्नेही आत्मा को एक बाप ही संसार है, सदा श्रीमत का हाथ मस्तक में अनुभव करते हैं। अविनाशी स्नेह सारा कल्प स्नेही बना देता है। तो हर एक अपने आपको चेक करो कि सदा दिल के स्नेह के अनुभवी हैं? स्नेह के बीच में कोई लीकेज तो नहीं है? अगर कोई भी आत्मा की तरफ प्रभावित हैं - चाहे उनकी विशेषता पर, चाहे विशेष गुण पर प्रभावित हैं तो परमात्म प्यारके अन्दर अविनाशी के बदले लीकेज हो जाता है। इसलिए हर एक अपने आपको चेक करे कि सदा के स्नेही, सदा बाप के साथी, सदा बाप के वरदान का हाथ माथे पर अनुभव होता है या कोई लीकेज है जिस कारण यह अनुभव नहीं कर सकते? ज्ञानी तू आत्मा बाप को प्रिय हैं लेकिन ज्ञान के साथ-साथ सच्ची दिल, अविनाशी बाप का स्नेह आवश्यक है। अगर ज्ञान के साथ, सच्ची दिल साफ दिल का स्नेह थोड़ा भी कम है तो कहाँ-कहाँ मेहनत करनी पड़ती है। पुरुषार्थ में युद्ध करनी पड़ती है। इसलिए निरन्तर याद, निरन्तर लव में लीन होने वाली आत्मा सदा ही पहाड़ को भी राई बनाने वाली होती है क्योंकि स्नेह में प्राप्तियां स्पष्ट अनुभव होती हैं और जहाँ मुहब्बत है वहाँ मेहनत कम, अगर मुहब्बत अथवा स्नेह कम तो मेहनत लगती है।
तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों को सच्ची दिल से बाप के स्नेही, मेहनत से मुक्त सदा ही स्नेह के सागर में समाये हुए कहाँ तक हैं, वह चेक कर रहे थे। ज्ञान बीज है लेकिन बीज को स्नेह का पानी आवश्यक है। नहीं तो सहज फल, प्राप्तियों का फल, अनुभवों का फल कम अनुभव होता। तो आजकल बापदादा हर बच्चे 1को, हर प्राप्ति के अनुभवी मूर्त देखने चाहते हैं। अपने आपको चेक करो हर शक्ति का, हर प्राप्ति का, हर गुण का अनुभव है? अगर अनुभव की अथॉरिटी है तो कोई भी परिस्थिति अनुभव की अथॉरिटी के आगे कुछ भी प्रभाव नहीं डाल सकती। सभी बच्चे जानते हैं, ज्ञान की समझ से मैं आत्मा हूँ, जानते भी हैं, बोलते भी है लेकिन चलते फिरते हर समय आत्मा स्वरूप की अनुभूति है? ज्ञान की हर प्वांइट अनुभव कर रहे हैं? अनुभवी मूर्त कभी भी किसी भी परिस्थिति में अचल अडोल रहते हैं। हलचल में नहीं आते क्योंकि अथॉरिटीज़ तो बहुत हैं लेकिन सबसे बड़े में बड़ी अथॉरिटी अनुभव है। अगर अनुभव की अथॉरिटी है तो हर शक्ति, हर ज्ञान की प्वाइंट, हर गुण अपने आर्डर में होंगे। आह्वान करो जिस समय जिस शक्ति का वो सेकण्ड में सहयोगी बनेगी। अगर अनुभव की अथॉरिटी कम है तो मेहनत करनी पड़ती है। अनुभवी मास्टर सर्वशक्तिवान है। तो मास्टर आर्डर करे और शक्ति समय पर काम में नहीं आवे, मेहनत करनी पड़े, समय लगाना पड़े तो मास्टर सर्वशक्तिवान कैसे हुए! तो हर सबजेक्ट, ज्ञान की हर प्वाइंट का अनुभवी हूँ, याद की शक्ति का ऐसा अनुभव है जो एक सेकण्ड में मेरा बाबा, मीठा बाबा याद किया और समा गये? जिस समय जो धारणा आवश्यक है उस समय वह धारणा कार्य में लगा सकते हैं कि कार्य समाप्त हो जाए फिर सोच में आवे, इसको अनुभव के अथॉरिटी मूर्त नहीं कहेंगे। मालिक शक्तिवान है तो हर शक्ति, हर गुण आर्डर में है? तो हर एक अपने आपको देखो कि अनुभव की अथॉरिटी के तख्त पर वा सीट पर सदा रहते हैं? अनुभव की सीट पर सेट रहने वाले अर्थात् संकल्प किया और हुआ, मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। समय नहीं लगाना पड़ेगा। हर श्रीमत से जीवन नेचुरल सहज सम्पन्न होगा क्योंकि पहले सुनाया कि बापदादा भी सच्ची दिल साफ दिल पर, स्नेही आत्मा पर, लवलीन आत्मा पर हाज़िर हो जाते हैं। जो हर श्रीमत पर हाजिर होता है तो बाप भी कहते हैं मैं भी हज़ूर हाजिर हूँ। आप जी हज़ूर करो तो हज़ूर सदा हाजिर है। सहज याद तो ब्रह्मण जीवन का नेचरल गुण है।
तो सभी जो पहली बार भी आये हैं या बहुतकाल से बाप के बन गये हैं, तो हर शक्ति, हर गुण नेचरल नेचर बनी है? जैसे हर एक में कोई न कोई नेचर नेचरल होती है। जो कभी-कभी कोई-कोई बच्चे, कुछ भी हो जाता है, जो ब्रह्मण जीवन के योग्य नहीं है तो क्या कहते हैं? मेरा भाव नहीं था लेकिन नेचर है। जैसे वह कमजोर नेचर, नेचरल हो गई है, ऐसे हर शक्ति ब्रह्मण आत्मा की नेचरल नेचर है। यह जो कमजोर नेचर बनी है वह तो देह-अभिमान की निशानी है। तो समझा ज्ञानी तू आत्मा के साथ बाप से दिल का स्नेह सब सहज कर देता है। स्नेह भी ब्रह्मण जीवन में सहयोग देता है और स्नेह याद मुश्किल नहीं कराता, भूलना मुश्किल होता है। स्नेही को भूलना मुश्किल होता है, याद करना नेचर होती है।
तो बापदादा वर्तमान समय आप एक-एक बच्चे को अभी किस रूप में देखने चाहते हैं? क्योंकि समय की रफ्लातार अचानक के खेल दिखा रही है, इसलिए बापदादा हर बच्चे को बाप समान देखने चाहते हैं। हर बच्चे की सूरत में बाप की मूर्त प्रत्यक्ष हो। हर बच्चे के नयनों में रूहानियत का नशा हो। हर चेहरे पर सर्व प्राप्तियों की मुस्कराहट हो, हर चलन में निश्चय का नशा हो। सभी आने वाले निश्चयबुद्धि हैं ना! निश्चयबुद्धि हैं, हाथ उठाओ। अच्छा। मुबारक हो। लेकिन निश्चय बुद्धि की निशानी क्या गाई जाती है? निश्चयबुद्धि के पीछे क्या कहा जाता है? निश्चयबुद्धि क्या? विजयी। निश्चयबुद्धि की निशानी विजयी। तो सदा निश्चयबुद्धि की निशानी क्या हुई? सदा विजयी वा कभी-कभी विजयी? सदा विजयी होगा ना! तो अभी समय प्रमाण निश्चयबुद्धि का प्रत्यक्ष प्रमाण सदा विजयी आत्मा, कोशिश शब्द नहीं, चाहता तो हूँ, कोशिश तो करता हूँ, होना तो चाहिए...नहीं, उसके मुख से सदा विजय का प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाई दे।
आज पहली बारी कौन आये हैं वह खड़े हो जाओ। अच्छा, आधा क्लास तो पहले बारी का है, बहुत अच्छा, बैठ जाओ। फिर भी बापदादा खुश होते हैं कि लेटका बोर्ड तो लग गया है लेकिन टूलेट का नहीं लगा है। इसलिए आये पीछे हैं लेकिन तीव्र पुरुषार्थी बन आगे जाना है। अगर इस संगम के समय को एक-एक सेकण्ड सफल करेंगे तो सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है लेकिन अटेन्शन प्लीज़, सेकण्ड भी व्यर्थ न जाये। अटेन्शन को भी अण्डरलाइन करके चलना पड़े। ऐसे उमंग है, जो पहले बारी आने वाले हैं वह हिम्मत रखते हैं कि हम आगे जायेंगे? वह हाथ उठाओ। टी.वी. में दिखा लो, हिसाब-किताब पूछेंगे। फिर भी बापदादा आप सभी के ऊपर यही शुभ संकल्प रखते हैं कि पीछे आते भी आगे जाकर दिखायेंगे। दिखायेंगे ना! जितने सारे उठे उतने ताली बजाओ। अच्छा उमंग है, उमंग में ही चलते रहना। अच्छा।
इन्दौर वाले उठो, हाथ हिलाओ। इन्दौर सर्विस तो कर रहे हैं लेकिन ऐसे साथी निकालो जो आपके मददगार होके सदा आपके साथ सेवा का पार्ट बजाते रहे। बीच-बीच में सहयोगी बनते हैं, सेवा में साथी भी बनते हैं, लेकिन सदा के साथी तैयार करो, जिससे आपके साथी बनकर जल्दी-जल्दी सबको सन्देश दे सकें। बाकी बापदादा खुश है, वृद्धि भी कर रहे हैं लेकिन विधि को और थोड़ा फास्ट करो। नई नई आत्मायें बढ़ भी रही हैं यह देखकर बाबा खुश भी होते हैं लेकिन रफ्लातार अभी और तेज करो, स्व पुरुषार्थ और सेवा का पुरुषार्थ और तीव्र गति में लाओ।
अच्छा। अभी एक सेकण्ड में अपने मन के, बुद्धि के मालिक बन, मन बुद्धि को परमधाम में एकाग्र कर सकते हो? अभी एक मिनट बापदादा देखने चाहते हैं सभी एकाग्र हो परमधाम निवासी बन जाओ। (ड्रिल)
ऐसी प्रैक्टिस समय पर बहुत काम में आयेगी। अभी नाज़ुक समय नजदीक आ रहा है इसलिए यह एकाग्रता का अभ्यास बहुत-बहुत-बहुत आवश्यक है। इसको हल्का नहीं करना। एक सेकण्ड में क्या से क्या हो जायेगा इसलिए बापदादा पहले से ही इशारा दे रहा है। अच्छा।
चारों ओर के तीव्र पुरुषार्थी आत्माओंको सदा सच्ची दिल के बाप के स्नेही दिलाराम के बच्चों को सदा स्वयं और सेवा में आगे से आगे उड़ने वाले उड़ती कला के बच्चों को, सदा अमृतवेले से रात तक हर श्रीमत को जीवन में लाने वाले बाप समान बच्चों को बापदादा का यादप्यार, दिल के वरदान स्वीकार हो, साथ साथ बापदादा की देश विदेश के सभी बच्चों को दिल में समाते हुए नमस्ते।