ओम् शान्ति 15-11-18 मधुबन


प्राणप्यारे अव्यक्तमूर्त मात-पिता बापदादा के अति स्नेही, सदा अव्यक्त स्वरूप द्वारा अव्यक्त मिलन की अनुभूतियों में मग्न रहने वाले, स्वराज्य तख्त नशीन, सो बापदादा के दिलतख्त नशीन निमित्त टीचर्स बहिनें तथा देश विदेश के सर्व बाबा के नूरे रत्न, सदा उमंग उत्साह से सम्पन्नता और सम्पूर्णता की मंजिल को समीप अनुभव करने वाले सभी ब्रह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,

ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद स्वीकार करना जी।
बाद समाचार - आज प्यारे अव्यक्त बापदादा से मंगल मिलन का यह तीसरा टर्न है। सेवा में उत्तरप्रदेश, बनारस तथा पश्चिम नेपाल के भाई बहिनें काफी संख्या में पहुंचे हुए हैं। इस ग्रुप में देश विदेश के करीब 18 हजार भाई बहिनों का संगठन है। जैसे अव्यक्त बापदादा ने हमारी मीठी गुल्जार दादी जी के द्वारा सभी बच्चों को इतना समय पालना दी है। ऐसे ही अव्यक्तवतन वासी बापदादा अभी भी अपने बच्चों को अव्यक्त वतन से बहुत सुन्दर अलौकिक अनुभूतियां करा रहे हैं। सवेरे से ही सभी अन्तर्मुखी बन अव्यक्त स्थिति द्वारा अव्यक्त मिलन मना रहे हैं। शाम के समय तो विशेष सभी डायमण्ड हाल में उसी लगन के साथ उपस्थित हुए हैं। बहुत शक्तिशाली वातावरण है। ऐसे अनुभव हो रहा है जैसे सबके दिलों में बाबा का प्यार समाया हुआ है। दादी जी को भी सब याद करते, वीडियो द्वारा जो अव्यक्त महावाक्य सुन रहे हैं, उनसे ऐसा ही अनुभव कर रहे हैं जैसे साकार में बापदादा बच्चों के बीच में उपस्थित हैं। सभी नये पुराने भाई बहिनें उसी लहर में अनुभूतियों के सागर में समाये हुए हैं। ड्रामा की यह विचित्र सीन जो सभी बाबा के बच्चे देखते, संकल्पों को ब्रेक देकर वाह मीठा बाबा वाह! वाह आपकी प्रभु लीला वाह के गीत गा रहे हैं। शाम को विशेष अव्यक्त मिलन की विधियों पर क्लास सुनने के पश्चात प्यारे बापदादा को भोग लगाया गया। अव्यक्त महावाक्य सुनने के पश्चात बाबा की स्नेह भरी टोली सबको मिली, दादियों तथा वरिष्ठ भाईयों ने भी अपनी शुभ कामनायें दी।
प्यारे बापदादा के महावाक्य जो हम सबने सुने हैं वह आपके पास भेज रहे हैं। सभी को रिफ्रेश करना जी। अच्छा - सभी को बहुत-बहुत याद... ओम् शान्ति।
15-11-18 अव्यक्त महावाक्य रिवाइज वीडियो - 15-11-09 मधुबन
''स्वराज्य की रिजल्ट चेक करके स्वयं को चेंज करो और अखण्ड राज्य के अधिकारी बनो''
आज दिलाराम बाप अपने राजदुलारे बच्चों से मिलने आये हैं। दुलारे क्यों हैं? जानते हो कि आप हर एक बच्चा तीन तख्त के मालिक हो? एक स्वराज्य का तख्त, दूसरा है बापदादा के दिल का तख्त और तीसरा है भविष्य का तख्त। तीनों तख्त के अधिकारी हो। अपने भविष्य तख्त का भी यहाँ ही अभ्यास कर रहे हो। भविष्य की तैयारी वा पुरुषार्थ अभी ही कर रहे हो। अब का पुरुषार्थ अनेक जन्म का राज्य भाग्य दिलाने वाला है। इस समय ही अपने राज्य भाग्य के संस्कार धारण कर रहे हो क्योंकि अब का पुरुषार्थ भविष्य के राज्य का अधिकारी बनाता है। तो चेक करो कि इस समय अपना पुरुषार्थ यथार्थ है? जैसे भविष्य में एक राज्य होगा तो अभी चेक करो कि हमारा एक राज्य मन में चलता है? पुरुषार्थ में एक राज्य है? या माया राज्य में विघ्न डालती है? एक राज्य के बजाए माया का प्रभाव तो नहीं पड़ता? दो राज्य तो नहीं होते हैं? भविष्य की विशेषता है ही एक राज्य की। तो अभी का अभ्यास भविष्य में चलता है। तो चेक करो कि अभी स्वराज्य है? स्वराज्य में कहाँ माया दखल तो नहीं करती है? दो राज्य तो नहीं हैं? अगर दो राज्य चलता है तो एक राज्य के संस्कार कब भरेंगे? भविष्य की विशेषता है ही एक राज्य और एक धर्म। धर्म कौन सा है? आपकी विशेष धारणा कौन सी है? सम्पूर्ण पवित्रता। तो चेक करो कि एक धर्म है? बीच में दूसरा धर्म अपवित्रता का दखल तो नहीं देता? साथ में यह भी चेक करो कि लाॅ एण्ड आर्डर एक का है या माया भी बीच में दखल करती है? एक का राज्य निर्विघ्न चलता है? और बात - राज्य में सदा सुख और शान्ति नेचुरल रहती है। तो अभी देखो अपने राज्य में सदा सुख शान्ति है? कोई दखल तो नहीं होता? स्वराज्य में माया अपना दखल देकर अशान्ति तो नहीं फैलाती है? स्वराज्य में कोई सैलवेशन, कोई प्रशन्सा का प्रभाव तो माया नहीं डालती है? सदा सुख, शान्ति, आनंद, प्रेम, अतीन्द्रिय सुख कायम रहता है? क्योंकि जानते हो कि भविष्य राज्य में सर्व प्राप्ति हैं, सम्पन्नता है, इस कारण सन्तुष्टता भी है। तो अभी भी स्वराज्य सम्पन्न रहता है कि कोई कमी रहती? क्योंकि अभी के पुरुषार्थ में अगर कमी रह गई तो भविष्य अखण्ड राज्य के अधिकारी कैसे बनेंगे! सारा आधार अभी के पुरुषार्थ पर है। अभी की कोई भी कमी भविष्य के सम्पूर्ण राज्य के अधिकारी नहीं बन सकते। बहुतकाल का यह स्वराज्य का अभ्यास भविष्य राज्य के अधिकारी बनाता है। तो यह अपनी चेकिंग सदा रहे क्योंकि अभी अगर बहुतकाल का पुरुषार्थ नहीं होगा तो प्रालब्ध भी कम मिलती है इसलिए बापदादा समय प्रति समय यह अटेन्शन खिंचवा रहा है कि इसके लिए अभी अपने को सम्पन्न और सम्पूर्ण बनाओ। अगर अभी बीच-बीच में कह देते हैं कि पुरुषार्थ चल रहा है लेकिन पुरुषार्थ के बीच में तो-तो तो नहीं आता! यह तो हो जायेगा, यह तो कर लेंगे, यह संस्कार अविनाशी 21 जन्म का, अखण्ड राज्य का अधिकारी नहीं बनायेगा।
तो बापदादा सदा के लिए अटेन्शन दिला रहा है, चेक करो कि अगर कोई भी विघ्न आता है, तूफान आता है तो तूफान तोहफा बन जाता है? तूफान, तूफान नहीं लेकिन तोहफा बन जाये। कोई भी माया का वार होता है, अनुभव कराती है माया, तो वह अनुभव भी ऐसे अनुभव हो कि हमको यह अनुभव की सीढ़ी आगे बढ़ाती है। इसके लिए बापदादा कहते सदा अपना चार्ट आपेही चेक करो। जितना अपना चार्ट चेक करेंगे उतना ही चेक करके चेंज करेंगे। तो हर एक अपने चार्ट को चेक करते हो? करते हो? जो रोज़ करता है वह हाथ उठाओ। जो रोज़ करता है, कभी कभी नहीं? रोज़ चार्ट चेक करो और चेंज करो क्योंकि समय का इशारा बापदादा ने काफी समय से दिया है। समय को देख भी रहे हो, मनुष्यों के मन में चिंता बढ़ रही है और आपके मन में चिंता नहीं लेकिन प्रभु चिंतन है। प्रभु चिंतन होने के कारण आप सदा जानते हो कि हम निमित्त हैं, निर्मान हैं क्योंकि करावनहार बाप है। इसके कारण आपके मन में चिंता नहीं है, करावनहार करा रहा है, यह स्मृति सदा आगे बढ़ा रही है।
अभी विशेष हर एक को यह चेक करना है कि इस संगमयुग का एक एक सेकण्ड समय और संकल्प शुभ चलता है? इस समय के महत्व को जान एक सेकण्ड, सेकण्ड नहीं लेकिन एक सेकण्ड की वैल्यु है, महत्व है। कभी कभी बच्चे कहते हैं कि संकल्प चला लेकिन दो चार सेकण्ड चला। लेकिन संगम समय की वैल्यु है, अभी एक सेकण्ड एक घण्टे के बराबर है। इतना इस समय की वैल्यु है क्योंकि बापदादा ने कह दिया है कि अचानक किसी भी समय आपका फाइनल पेपर होगा। बापदादा भी बतायेगा नहीं इसलिए इस समय का अटेन्शन स्वयं को सम्पूर्ण और सम्पन्न बनाना है। बापदादा ने जो सर्व खजाने दिये हैं उस एक एक खजाने को समय पर कार्य में लगाना है। खजानों के मालिक हो, मालिक की विशेषता यह है कि जिस समय जिस खजाने की आवश्यकता है उस समय वह खजाना कार्य में लगता है! आप आर्डर करो समाने की शक्ति को तो समाने की शक्ति कार्य में लगती है? क्योंकि मालिक उसको कहा जाता है जो समय पर अपने खजाने कार्य में लगा सके। तो अभी सभी को इतना स्व पर अटेन्शन देना है। सबके अन्दर खुशी का खजाना सदा ही चेहरे और चलन में दिखाई दे। खुशी अविनाशी बाप की देन है। तो अविनाशी बाप की देन को अविनाशी रखो। खुशी के लिए कहा जाता है - खुशी जैसी कोई खुराक नहीं, खुशी जैसा कोई खजाना नहीं। तो जिसके अन्दर सदा खुशी है उनके नयनों से, चेहरे से, चलन से आटोमेटिक दिखाई देती है। बापदादा का वरदान है कि सदा खुश रहो और सदा खुशी बांटो क्योंकि खुशी बांटने से खुशी बढ़ेगी और कोई भी खजाना बांटने से कम होता है लेकिन खुशी का खजाना जितना बांटेंगे उतना बढ़ेगा। तो चेक करो खुशी का खजाना सदा कायम है?
अभी सभी बच्चों को चाहे देश, चाहे विदेश सभी बच्चों को बापदादा एक बात की विशेष मुबारक दे रहे हैं। कौन सी बात? जो सभी ने चाहे देश में, चाहे विदेश में अपने उमंग-उत्साह से आत्माओंको बाप का सन्देश दे दिया। सभी ने अपनी खुशी से जो कार्य किया उस कार्य में प्रोग्राम एक किया, हर जगह एक प्रोग्राम किया लेकिन उसका फल हजार गुणा प्राप्त किया। बापदादा को यही संकल्प है कि अब के समय प्रमाण जो सरकमस्टांश हैं वह आगे आगे नाज़ुक होते जायेंगे इसलिए चाहे गांव है, चाहे कोई भी कोना है, ऐसे उल्हना नहीं रह जाए कि हमारा बाप आया और हमको आपने सन्देश नहीं दिया इसलिए सभी ने जो उमंग-उत्साह से कार्य किया, बापदादा खुश है और ऐसे ही आपस में मिलकर ऐसे प्रोग्राम बनाते रहना। बापदादा ने देखा कि उमंग-उत्साह और हिम्मत सभी ने अपने-अपने विधि से कार्य में लगाया है लेकिन अभी तो सबने बहुत अच्छा किया, आगे भी समय प्रमाण यह लक्ष्य रखो कि कोई भी कोना बिना सन्देश के रह नहीं जाए। इसमें अपना भी पुरुषार्थ अच्छा चलता और आत्माओंका भी कल्याण होता है। सभी को यह प्रोग्राम अच्छे लगे ना! अच्छा लगा! तो बापदादा सभी बच्चों को यही बार-बार कहते कि आत्माओंके प्रति रहमदिल बनो। आजकल दु:ख अशान्ति के कारण सभी दिल से कहते हैं रहम करो, दया करो। तो बाप के साथी आप बच्चे हो, तो बाप बच्चों द्वारा अभी हर एक बच्चे का रहमदिल का पार्ट देखना चाहते हैं। आपका उमंग है कि दु:खमय संसार बदलकर सुखमय संसार आना ही है। तो सुखमय संसार आने के लिए यह दु:ख अशान्ति का विनाश होने के लिए हालतें बदल रही हैं। तो आज का यही बाप का सन्देश याद रखो कि अब चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे चेहरे और चलन से सेवा की गति बढ़ाते चलो। अपना राज्य समीप लाते चलो। अच्छा।
इस बारी जो पहली बार आये हैं बापदादा से मिलने, वह हाथ उठाओ। अच्छा बहुत हैं। सभी उठो। मुबारक हो। फिर भी समाप्ति के पहले पहुंच गये हो। नया जन्म ले लिया, इसकी सभी के तरफ से अभी आने वाले बच्चों को बापदादा और चारों ओर के बच्चों द्वारा मुबारक हो, मुबारक हो। ब्रह्मण परिवार को देख खुशी होती है ना! लेकिन जो अभी आये हो उन्हों को बापदादा यही कहते तो अभी बहुत समय बीत गया, बहुत थोड़ा रहा इसलिए पुरुषार्थ तीव्र करना है। तीव्र पुरुषार्थी आगे बढ़ेंगे, चलना नहीं उड़ना। उड़ती kाÀला का पुरुषार्थ करेंगे तो बाप का वर्सा देर से आते हुए भी पूरा अपना हक ले सकते हो। हर सेकण्ड खुश रहना और सभी को पैगाम देना, सन्देश देना। अच्छा।
सेवा का टर्न यू.पी. बनारस और पश्चिम नेपाल का है:- जो सेवा प्रति आये हैं वह उठो। अच्छा चांस लिया है। यू.पी. में आपकी सेवा का यादगार बहुत है। भक्तिमार्ग के मन्दिर भी बहुत हैं, नदियां भी बहुत हैं। तो यू.पी. वाले चारों ओर सेवा बढ़ा भी रहे हैं और बढ़ाते रहेंगे। अभी बापदादा सभी ज़ोन को कहते हैं कि हर एक अपने ज़ोन में एक ऐसा ग्रुप बनाओ जिस ग्रुप में सभी वर्ग के हों। जो आपके वर्ग बने हुए हैं, सेवा के लिए और हर एक ज़ोन अपने एरिया में हर वर्ग की सेवा कर रहे हो, करते भी रहेंगे लेकिन हर ज़ोन में ऐसा ग्रुप सर्विस का हो जिसमें हर वर्ग का एक एक हो। और जहाँ भी प्रोग्राम करो वहाँ वह ग्रुप अपने अपने वर्ग को विशेष निमन्त्रण दे। कोई भी वर्ग उल्हना नहीं दे कि हमें तो सन्देश नहीं मिला। और हर एक जो वैरायटी ग्रुप बने वह सेवा भी बढ़ाये, अपने वर्ग की और साथ में हर एक अपना-अपना अनुभव सुनावे कि हमारे को इस नाॅलेज से क्या मिला और क्या अनुभव कर रहे हैं। तो हर ज़ोन में ऐसा सेवा का ग्रुप तैयार करो। चाहे भाषण करने का टाइम इतना न भी मिले लेकिन उन्हों को फंक्शन के समय पीछे लाइन में बिठाके उनका परिचय स्टेज सेक्रेट्री देवे। एक दो का अनुभव भी रख सकते हो और परिवार में रहते अपना कार्य करते हुए हमारी जीवन कैसे बीती, कैसे बदली, वह अनुभव चांस लेके टाइम हो तो सुनावे। अच्छा।
तो आज जो बापदादा ने कहा कि स्वराज्य अधिकारी बन स्वराज्य की रिजल्ट चेक करो, वह चेक करने से कोई भी कमी को बहुत समय से चेंज करना है क्योंकि बहुत समय अखण्ड राज्य चले इसकी आवश्यकता है, बहुत समय का पुरुषार्थ, बहुत समय की प्रालब्ध के स्वत: ही अधिकारी बनते हैं इसीलिए अन्डरलाइन बहुत समय का पुरुषार्थ हो। चेकिंग करो और चेंज करो।
चारों ओर के बापदादा के दिलतख्तनशीन हर एक बच्चे को बापदादा रोज़ अमृतवेले विशेष शक्ति बांटते हैं। अमृतवेले विशेष वरदान, शक्ति बांटते हैं। जो अमृतवेले की शक्ति विशेष वरदान स्वीकार करते हैं वह विशेष तीव्र पुरुषार्थी बनते हैं। अमृतवेले का महत्व रखना अर्थात् बापदादा के सदा तख्तनशीन बनना। तो कई बच्चों का अटेन्शन है और बापदादा रोज़ उन्हों को खास सर्टीफिकेट देते हैं वाह बच्चा वाह!
तो चारों ओर के तीव्र पुरुषार्थी, हर समय बापदादा को अपना साथी बनाकर कम्बाइन्ड रहने के अभ्यासी बच्चों को बापदादा विशेष वरदान दे रहे हैं कि सदा उड़ते चलो और दूसरों को भी उड़ाने का सहयोग देकर उड़ाते चलो। सभी विजयी हैं और विजय का फल बापदादा की हर समय दुआयें प्राप्त होती हैं। तो अमर बन सबको अमृत पिलाते रहो। चारों ओर के बच्चे बापदादा के सामने हैं। हर बच्चे से बापदादा को दिल का प्यार है क्योंकि हर बच्चे में कोई न कोई विशेषता है। अभी सर्व विशेषताओंसे अपने को विशेष आत्मा बनाए आगे बढ़ते चलो। बापदादा का हर एक बच्चे को पर्सनल पदमगुणा यादप्यार स्वीकार हो। अच्छा - अभी तो मिलते रहेंगे। नमस्ते।
दादी जानकी जी के वरदानी बोल:- ओम् शान्ति।
देखो आज कितना सुन्दर दृश्य हैं। बापदादा के महावाक्य सुनते-सुनते हर एक की दिल को देख रहे थे। बाबा ने हमारा चेहरा चलन कैसा बनाया है, वन्डर है बाबा का। बाबा ने हम सबको तीन तख्त पर बिठा दिया। बाबा अव्यक्त होकर हम सबकी कितनी अच्छी पालना कर रहे हैं। बाबा कहते हैं सदा ही अपने समय को सफल करना है।
बाबा ने वतन से सभी से हाथ उठवाया। सभी ने बाबा के आगे हाथ उठाया। बाबा की हम सबको भासना मिल गयी। हमारी भावना तो है, बाबा ने ऐसी भासना दी है। हमने सुना 17-18 हजार लोग बैठे हैं। बाहर गार्डन में, कान्फ्रेन्स हाल में भी बैठे हैं। हर एक समझता है हम कितने भाग्यशाली तो क्या पदमापदम भाग्यशाली हैं। जहाँ कदम वहाँ कमाई ही कमाई है। मुझे साकार बाबा की एक सीन सामने आती है। बाबा सीढ़ी पर खड़ा था, हम नीचे बैठे थे। बाबा ने कहा पांव ऐसे करो। हमने पांव ऐसे किया, बाबा ने कहा बच्चे फरिश्तों के पांव धरनी पर नहीं होते। हम फरिश्ता समान बनने वाली आत्मायें हैं। देवता तो सतयुग में बनेंगे। अभी धरती पर पांव नहीं हैं। बाबा जैसे चला रहा है, सब बहुत अच्छा चल रहा है। सारी लाइफ में लाइट माइट और एवरीथिंग राइट है। लाइट के दो अर्थ हैं, एक है लाइट (हल्का) और दूसरा लाइट (रोशनी)। चारों ओर लाइट लाइट नज़र आ रही है। बाबा की माइट काम कर रही है। अच्छा। ओम् शान्ति।