ओम शान्ति 02-02-2019 मधुबन
प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति स्नेह।, सदा अपनी श्रेष्ठ अव्यक्त स्थिति द्वारा साकार वतन को अव्यक्त वतन बनाने वाले, परमात्म स्नेह। सर्व निमित्त टीचर्स बहिनें तथा देश विदेश के सभी स्वराज्य अधिकारी ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,
ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद स्वीकार करना जी।
बाद समाचार - आप सभी ने अव्यक्त मास में बहुत अच्छी तपस्या की है, कई स्थानों पर अखण्ड योग की भट्टियाँ चली। आज बापदादा से मंगल मिलन मनाने, अव्यक्त अनुभूतियां करने के लिए शान्तिवन के विशाल प्रागण में ईस्टर्न (आसाम, कमल, बिहार, उड़ीसा) तामिलनाडु और नेपाल के भाई बहिनें 19 हजार से अधिक संख्या में पहुंचे हुए हैं। सभी अमृतवेले से ही अपनी अव्यक्त स्थिति द्वारा अव्यक्त वतन की सैर कर रहे हैं। बहुत अच्छी साइलेन्स की लहर है। प्यारे अव्यक्त बापदादा वतन से अपने बच्चों की अलौकिक पालना भिन्न -भिन्न स्वरूपों से कर रहे हैं। सभी मधुबन बेहद घर में आकर खबू रिफ्रेश होकर जाते हैं। अभी तो सभी के अन्दर प्यारे अव्यक्त बापदादा की 50 वर्षो से मिली हुई अव्यक्त पालना का रिटर्न देने का उमंग है। बापदादा की सब बच्चों से यही आश है कि हर एक कारण शब्द से मुक्त रह अपनी चलन और चेहरे द्वारा सबको मुक्ति देने वाले मुक्तिदाता बनें। सेवाओं के उमंग-उत्साह के साथ-साथ बेहद की वैराग्य वृत्ति में रहें। यह वैराग्य वृत्ति ही स्व परिवर्तन और विश्व परिवर्तन का आधार बनेंगी।
हमारी मीठी दादी गुल्ज़ार जी भी अभी मुम्बई गामदेवी सेवाकेन्द्र पर हैं। स्वास्थ्य में सुधार होता जा रहा है। उम्मींद है ठण्डी पूरी होते ही वे अपने मधुबन घर में आ जायेंगी। इतने सब ब्राह्मण बच्चों के शुभ सकल्पों की, श्रेष्ठ भावनाओं की शक्ति दादी जी को उड़ाकर अपने मधुबन घर ले आयेगी।
बाकी अभी पूरे विश्व से डबल विदेशी भाई बहिनों के आने की रिमझिम है। कई रिट्रीटस, मीटिंग्स आदि के लिए चारों ओर से बाबा के बच्चे पहुच रहे हैं। मधुबन घर सदा ही बच्चों का स्वागत करता है।
देखो, एक ओर तपस्या की लहर है तो दूसरी ओर भारत में विशेष त्रिवेणी काम पर विशाल कुम्भ मेला चल रहा है। वहाँ भी बापदादा भिन्न-भिन्न प्रकार से अपनी सेवायें कराता रहता है। मेले में विशेष दो स्थानों पर अलग-अलग बहुत आकर्षक पण्डाल लगे हुए हैं। एक ओर अपना आध्यात्मिक मेला बहुत सुन्दर मॉडल्स एव चैतन्य देवियों की झाकी के साथ-साथ सजा हुआ है, जहाँ हजारों भक्त आत्मायें ईश्वरीय सन्देश लेकर जाती हैं। दूसरी ओर सरकार की ओर से विराट किसान मेला लगाया गया है, जिसमें स्वर्णिम भारत का आधार शाश्वत यौगिक खेती विषय पर अपना भी बहुत सुन्दर पण्डाल बनाया गया है, जिसे वहाँ के अनेक अधिकारीगण, मंत्रीगण तथा चारों ओर के किसान भाई लाभ ले रहे हैं। प्यारे बापदादा ने यह भी सेवाओं के भिन्न-भिन्न साधन दिये हैं। अच्छा!
ईस्टर्न जोन के टर्न में वीडियो द्वारा जो हम सब महावाक्य सुने हैं, वह आपको भी भेज रहे हैं। सबको रिफ्रेश करना जी। अच्छा - सर्व को याद ओम् शान्ति।
07-04-09 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“कारण शब्द से मुक्त रह चलन और चेहरे से मुक्ति देने वाले मुक्तिदाता बनो सेवा के उमंग-उत्साह के साथ सदा बेहद की वैराग्य वृत्ति में रहो”
आज बापदादा चारों ओर के बच्चे जो डबल मालिक हैं उन हर एक बच्चे को देख रहे हैं। एक तो बाप के सर्व खज़ानों के मालिक हैं और दूसरा स्वराज्य के मालिक हैं। दोनों मालिकपन हर बच्चे को बाप द्वारा मिला हुआ है। बालक भी हैं और मालिक भी हैं। मेरा बाबा कहा और बाप ने भी मेरा बच्चा कहा तो बालक और मालिक दोनों अनुभव है।
आज बहुत-बहुत बच्चे आये हैं इस वर्ष का लास्ट टर्न है। तो आज बापदादा ने हर एक का पुरूषार्थ चेक किया। तो बताओ क्या देखा होगा? हर एक अपने से पूछे मेरा पुरूषार्थ क्या? बापदादा सभी बच्चों को देख खुश भी हुए लेकिन एक आश बाप की है बतायें वह क्या है! बाप की आश को पूर्ण करेंगे ना! एक ही आश थी बतायें! हाथ उठाओ जो आश पूर्ण करेंगे। बहुत अच्छा। छोटी सी आश है वह है आज से एक शब्द बदली करो कौन सा शब्द? जो बार-बार नीचे ले आता है वह शब्द है - ‘‘कारण’’। इस कारण शब्द को परिवर्तन कर निवारण शब्द सदा धारण करो क्योंकि आपकी सेवा भी अभी कौन सी है? विश्व के आत्माओं की सबकी समस्या का कारण निवारण कर निवारण करते ही निर्वाणधाम में ले जाना है क्योंकि आप सभी मुक्तिदाता हो। तो जब औरों को भी मुक्ति दिलाने वाले हो तो स्वयं भी कारण को निवारण करेंगे तब औरों को मुक्ति दिला सकेंगे। निर्वाण में भेज सकेंगे। तो यह एक शब्द का अन्तर करना मुश्किल है कि सहज है? सोचो।
आज बापदादा जो भी आये हैं वा अपने अपने स्थान पर देख रहे हैं सुन रहे हैं उन सभी से एक शब्द का परिवर्तन चाहते हैं क्योंकि कारण नीचे ले आता है। कारण में तो आधाकल्प रहे अभी निवारण करने का समय है। निवारण और निर्वाण मुक्ति। तो हिम्मत है आज बाप को देने की। लास्ट टर्न है ना सभी उमंग-उत्साह से आये हैं और बापदादा एक एक को मुबारक दे रहे हैं। सोने की खाना खाने की मुश्किल भी है लेकिन सब स्नेह से स्नेह के प्लेन ने आप सबको मधुबन में पहुंचा दिया है। बापदादा हर एक का स्नेह देख हर एक को पदमगुणा दिल का स्नेह दे रहे हैं। लेकिन स्नेह में आप क्या करते हो? जिससे स्नेह होता है ना उसको स्नेह में सौगात भी दी जाती है। तो आज बापदादा सौगात में यह कारण शब्द लेना चाहते हैं। यह आश बापदादा की पूर्ण करनी है ना! फिर हाथ उठाओ यहाँ ही छोड़कर जाना है। यहाँ गेट से निकलो तो कारण शब्द समाप्त हो। गलती से आ भी जाए तो बाप को दी हुई चीज़ अमानत है। तो अमानत में क्या किया जाता है? वापस लिया जाता है? तो सभी ने दृढ़ संकल्प किया? किया? किया? हाथ उठाओ फिर से। फिर वाले हाथ हिलाओ। अच्छा। बहुत अच्छा। क्योंकि अभी समय अनुसार आपके पास क्यू लगेगी। किसलिए क्यू लगेगी? हे मुक्तिदाता मुक्ति दो। तो देने वाले मुक्तिदाता पहले आप इस एक शब्द से मुक्त बनेंगे तब तो मुक्ति दे सकेंगे।
बापदादा यही चाहते हैं कि अभी इस वर्ष का होमवर्क यही रहे कि मुझे मुक्त बन मुक्ति दिलाना है क्योंकि समस्यायें दिनप्रतिदिन बहुत बढ़नी है। तो समस्या समाधान रूप में बदल जाए। मेहनत और समय समस्या मिटाने में नहीं लगे। क्या आपको अपने भक्तों की और समय की पुकार सुनाई नहीं देती! तो अभी समय अनुसार क्या परिवर्तन करना आवश्यक है? क्योंकि अभी हर एक को अनुभवी मूर्त बन कोई न कोई अनुभव कराने की आवश्यकता है। तो बाबा अभी चाहता है कि आप सबका चेहरा चलन ऐसा स्पष्ट दिखाई दे कि यह मुक्तिदाता के बच्चे मुक्ति देने वाले हैं। आपके मस्तक से चमकते हुए सितारे का अनुभव हो। सिर्फ सुनाने से नहीं लेकिन चेहरे से ही अनुभव हो क्योंकि अनुभव नजदीक ले आता है। तो यह अनुभव चेहरे और चलन से दिखाओ। जैसे देखो साइन्स के साधन अनुभव कराते हैं ना अभी गर्मी की सीजन है तो गर्मी का और सर्दी का अनुभव करा रहे हैं ना। जब साइन्स के साधन अनुभवी बनाते हैं तो क्या साइलेन्स की पावर शक्ति का अनुभव नहीं करा सकती! तो बापदादा अभी बच्चों से यही चाहते हैं कि अनुभव की स्थिति में स्थित रह नयनों से मस्तक से कोई न कोई शक्ति का अनुभव कराओ। सुनी हुई बात सुनने के समय अच्छी लगती है लेकिन फिर कोई समस्या आती तो भूल भी जाते हैं। लेकिन अनुभव जीवन भर तक भूलता नहीं है।
बापदादा ने एक कारण देखा। रिजल्ट भी देखी एक रिजल्ट देख बहुत-बहुत मुबारक दी। कौन सी रिजल्ट? आज तक सेवा का उमंग-उत्साह अच्छा है। तो बापदादा मुबारक भी देते हैं सेवा बढ़ाते भी हैं और प्लैन भी अच्छे बनाते हैं रिजल्ट भी यथा शक्ति मिलती है लेकिन एक बात अनुभव कराने के लिए अपने में अटेन्शन देना पड़ेगा। जैसे सेवा आपकी अभी प्रसिद्ध होती जाती है। खुश भी होते रहते हैं और आजकल इन्ट्रेस्ट भी बढ़ता जाता है। अभी बाकी अनुभव कराने की विधि क्या है? वह है उमंग-उत्साह सहित जितना उमंग उतना ही समय अनुसार अभी बेहद की वैराग्य वृत्ति भी चाहिए। पुरूषार्थ में कोई समस्या रूप बनता है तो उसका कारण है बेहद के वैराग्य वृत्ति में कमी। अब बेहद का वैराग्य चाहिए। बेहद का वैराग्य सदाकाल चलता है। अगर समय पर होता है तो समय नम्बरवन हो जाता है और आप नम्बर टू में हो जाते हो। समय ने आपको वैराग्य दिलाया। बेहद का वैराग्य सदाकाल होता है। एक तरफ उमंग-उत्साह खुशी और दूसरे तरफ बेहद का वैराग्य। बेहद का वैराग्य सदा न रहने का कारण? बापदादा ने देखा कि कारण है देह अभिमान। देह शब्द सब तरफ आता है - जैसे देह के सम्बन्ध देह के पदार्थ देह के संस्कार देह शब्द सबमें आता है और विशेष देह अभिमान किस बात में आता है? देही अभिमान से देह अभिमान में ले ही आता है वह अब तक बापदादा ने चेक किया कि मूल कारण पुराने संस्कार नीचे ले आते हैं। संस्कार मिटाये हैं लेकिन कोई न कोई संस्कार नेचर के रूप में अभी भी काम कर लेता है। जैसे देह अभिमान की नेचर नेचरल हो गई है ऐसे देही अभिमानी की नेचर नेचरल नहीं हुई है। कहते हैं हमने खत्म किया है लेकिन एकदम बीज को भस्म नहीं किया है। इसलिए समय आने पर फिर वह देहभान के संस्कार इमर्ज हो जाते हैं। तो अभी आवश्यकता है इस देह भान की नेचर को पावरफुल देही अभिमानी की शक्ति से वंश सहित नाश करने की क्योंकि बच्चे कहते हैं चाहते नहीं हैं लेकिन कभी कभी निकल आता है। क्यों निकलता? अंश है तो वंश होके निकल जाता। तो अभी आवश्यकता है शक्ति स्वरूप बनने का आधार है अपने आपको चेक करो कि किसी भी स्वरूप में अंशमात्र भी पुराना देह भान का संस्कार रहा हुआ तो नहीं है? और वह खत्म होगा बेहद की वैराग्य वृत्ति से। सर्विस देख सुन बापदादा खुश है लेकिन अब बाप की यही चाहना है कि जैसे सर्विस की फलक झलक अब लोगों को दिखाई देती है। अनुभव होता है सेवा का ऐसे बेहद की वैराग्य वृत्ति का प्रभाव हो क्योंकि आजकल सेवा द्वारा आपकी प्रशन्सा बढ़ेगी आपकी प्रकृति दासी होगी। आपको अनुभव करेंगे साधन बढ़ेंगे लेकिन बेहद की वैराग्य वृत्ति से साधन और साधना का बैलेन्स रहेगा। जैसे आप लोगों को प्रवृत्ति में रहने वालों को दृष्टान्त देते हो कि सब कुछ करते कर्मयोगी कमल पुष्प के समान रहो। ऐसे आप सभी को भी सेवा करते साधन मिलते साधना और साधन का बैलेन्स रहेगा। तो आजकल एडीशन सेवा के साथ बेहद की वैराग्य वृत्ति भी आवश्यक है। चलते फिरते भी अनुभव करे कि यह विशेष आत्मायें हैं। सिर्फ योग में बैठने के टाइम नहीं भाषण करने के टाइम नहीं लेकिन चलते फिरते भी आपके मस्तक से शान्ति शक्ति खुशी की अनुभूति हो क्योंकि समय प्रति समय अभी समय बदलता जायेगा।
तो बापदादा ने समय प्रति समय इशारा तो दे दिया है लेकिन आज विशेष बापदादा एक तो बेहद के वैराग्य तरफ इशारा दे रहा है इसके लिए अभी अपने को चेक करके देही अभिमानी का जो विघ्न है देह अभिमान अनेक प्रकार के देह अभिमान का अनुभव है इसका परिवर्तन करो। और दूसरी बात बहुत समय का भी अपना सोचो। बहुत समय का अभ्यास चाहिए। बहुत समय पुरूषार्थ बहुत समय का प्रालब्ध। अगर अभी बहुतकाल का अटेन्शन कम देंगे तो अन्तिम काल में बहुतकाल जमा नहीं कर सकेंगे। टूलेट का बोर्ड लग जायेगा इसलिए बापदादा आज दूसरे वर्ष के लिए होमवर्क दे रहे हैं। यह देह अभिमान सब समस्याओं का कारण बनता है और फिर बच्चे रमणीक हैं ना तो बाप को भी दिलासा दिलाते हैं कि समय पर हम ठीक हो जायेंगे। बापदादा कहते हैं कि क्या समय आपका टीचर है? समय पर ठीक हो जायेंगे तो आपका टीचर कौन हुआ? आपकी क्रियेशन समय आपका टीचर हो यह अच्छा लगेगा? इसलिए समय को आपको नजदीक लाना है। आप समय को नजदीक लाने वाले हैं। समय पर रहने वाले नहीं। समय को टीचर नहीं बनाओ।
तो बापदादा आज यही बार-बार इशारा दे रहे हैं कि स्वयं को चेक करो बार-बार चेक करो और परिवर्तन करो। बहुतकाल का परिवर्तन बहुतकाल के प्रालब्ध का अधिकारी बनाता है। तो बापदादा चाहे अब तक ढीला-ढाला पुरूषार्थी हो लेकिन लास्ट नम्बर वाले बच्चे से भी बाप का स्नेह है। स्नेह है तब तो बाप का बना है बाप को पहचाना है मेरा बाबा तो कहता है इसलिए समय पर नहीं छोड़ो। समय आयेगा नहीं समय सम्पूर्णता का हमको लाना है। बापदादा के विश्व परिवर्तन के कार्य के आप सभी साथी हो। अकेला बाप कार्य नहीं कर सकता बच्चों का साथ है। बाप तो कहते हैं पहले बच्चे आगे बच्चे। तो अभी अगर दूसरे वर्ष में आना ही है तो यह होम वर्क करके रखेंगे! करेंगे? हाँ हाथ उठाओ। अच्छा। पीछे वाले भी हाथ उठा रहे हैं।
जो पहली बारी आये हैं पहले बारी बापदादा से मिलने आये हैं वह उठो। देखा आधा क्लास पहले बारी वाला है। पीछे वाले हाथ उठाओ। खड़े होकर देखो। जो भी पहले बारी आये हैं उन्हों को बापदादा नये बर्थ का बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं। लोग कहते हैं लाख-लाख बधाई हो बाप कहते हैं पदम पदमगुणा बधाई हो। और बापदादा अभी आने वालों को सदा एक चांस देते हैं वह चांस है कि अभी आने वाले भी अगर तीव्र पुरूषार्थ करें तो बापदादा वा ड्रामा उन्हों को लास्ट सो फास्ट फास्ट सो फर्स्ट यह भी आगे नम्बर दे सकता है। चांस है। चांसलर बनो। सिर्फ अटेन्शन देना पड़े। अच्छा।
सभी तरफ के बापदादा के दिलतख्तनशीन और भ्रकुटी के तख्तनशीन और भविष्य के भी राज्य तख्तनशीन ऐसे बापदादा के सिकीलधे पदम पदमगुणा भाग्यशाली बच्चों को सदा अपने नयनों द्वारा रूहानियत का अनुभव कराने वाले और चेहरे द्वारा सदा खुशकिस्मत मन सदा खुशी में नाचता रहे कोई भी सामने आवे अनुभव करे कि इन जैसी खुशी कहाँ भी नहीं है और सबक सीखके जाये। ऐसे हर बाप के बच्चे अपने द्वारा बाप का मुख द्वारा बाप का परिचय देते हो लेकिन नयनों और चेहरे द्वारा बाप का साक्षात्कार कराने वाले ऐसे चारों ओर के बच्चों को जिन्होंने पत्र भेजे हैं ईमेल किया है सभी के बापदादा के पास पहुंचे हैं आपने किया उसी समय बाप के पास पहुंच गया सामने बैठे हुए वालों से आप सबने जिस समय किया उसी समय पहुंच गया। इसीलिए बहुत-बहुत मुबारक हो। देश विदेश सब बच्चों को बाप दिल के स्नेह का रेसपान्ड दे रहे हैं। तो चारों ओर के बच्चों को बापदादा पदमगुणा दिल का दुलार दिल का प्यार दे रहे हैं और सभी को नमस्ते कह रहे हैं। अच्छा - आज टर्न किसका है?
ईस्टर्न ज़ोन नेपाल तामिलनाडु (बंगाल बिहार उड़ीसा आसाम):- (टीचर्स ने ताज पहने हैं) अच्छा -इस ज़ोन में और ज़ोन के भी एड हैं। तो अलग नेपाल वाले हाथ उठाओ। चेन्नई वाले तामिलनाडु वाले अच्छा है। सभी को मिलाकर ईस्टर्न ज़ोन कहते हैं।
अच्छा मुबारक हो ज़ोन को। जो सभी को देखो कितनों को यज्ञ सेवा का चांस दिया। अच्छा लगा ना। अच्छा लगा? यज्ञ सेवा का हजार गुणा पुण्य ज्यादा बनता है। तो आप जो सच्ची दिल बड़ी दिल से सेवा करने वाले बनें उन्हों का हजार गुणा ज्यादा पुण्य का खाता जमा हुआ। अच्छा है संख्या भी अच्छी है। बाकी कोई नया काम करके दिखाना। अच्छा। सभी को ज़ोन में आये हुए एक-एक भाग्यवान आत्मा को बापदादा पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
डबल विदेशी:-
(40 देशों के 300 भाई बहिनें आये हैं) आप विदेशी हो? लेकिन सबसे बड़ा विदेशी कौन?बापदादा तो आपसे भी बड़ा विदेशी है। कितना दूर से आते हैं। आपके एरिया तो माप सकते हैं लेकिन बाप की एरिया हिसाब निकाल सकते हैं? आपको विदेश से देश में आने में टाइम कितना लगता है? और बापदादा को आने में कितना टाइम लगता है? तो विदेश में भी सेवा और स्व परिवर्तन की लहर चल रही है। अच्छा।
दादी जानकी-
वंडरफुल हमारा बाबा, वंडरफुल बाबा के बच्चे। हम बाबा को सदा साथी देख और साक्षी होकर समय को पहचान यही लक्ष्य है कि विश्व मेरे बाबा को पहचाने, यह भावना बाबा हम बच्चों की पूरी करता है। अपने परिवर्तन से विश्व को परिवर्तन लाने के लिए कितना बाबा हम बच्चों को उमंग-उल्हास दिलाता है। उमंग उल्हास, खुशी ही हम सबकी खुराक है। खुश रहो आबाद रहो, पुरानी बातें कोई याद नहीं करो। तकदीर को ऐसा जगाकर रखें जो यह कलम लगता जाए। आज मीठे बाबा के उच्चारण किये हुए महावाक्य सुनें। बाबा ने कई बार सबको मुबारक दी। बाबा कहे बच्चे, बच्चे कहें मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा, शुक्रिया बाबा। आज ईस्टर्न लोन को हम भी दिल से प्यार से जो सेवा में हाजिर हैं, सबको मुबारक देते हैं।
निवैंर भाई-
दादी जानकी जी को अपने बीच हम पाकर, बापदादा के साथ-साथ उनको भी देखते हैं तो हृदय गदगद हो जाता है। दादी जी की हिम्मत, उमंग उत्साह वह इनके लिए सबसे बड़ा ईधन है जो उनको उड़ाता रहता है। दादी हमेशा उड़ती कला में रहकर, हंसा बहन को साथ लेकर कभी कहाँ उड़कर चली जाती, कभी कहाँ अभी अभी हाँगकाँग होकर आई है। साथ साथ दादी गुलजार जी के हम हमेशा ऋणी हैं, उनके द्वारा जैसे बापदादा ने सभी आत्माओं को, जो भी बाबा के बच्चे देश में है विदेश में हैं, नये हैं पुराने हैं सबको अपने स्वमान में स्थित किया है, सबको महान बनने का रास्ता बताया है। आज मुरली सुनते ऐसा नशा चढ़ रहा था जैसे आज ही बाबा सुना रहे हैं। दादी गुलजार को हम दिल से धन्यवाद देते हैं और नीलू बहन को भी, गामदेवी के भाई बहिनों को भी बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं। अभी ठण्डी पूरी होने पर है, दादी आप मधुबन में आ जाओ हम सब इन्तजार कर रहे हैं।
आज बापदादा ने जैसे कहा अपने नयनों से, चेहरे से चलन से बाबा के स्वरूप को प्रत्यक्ष करें और उसका आधार बाबा ने बताया कि अपने दिल में दृढ़ सकल्प करें कि हमें बाबा की श्रीमत पर पूरा 100 प्रतिशत चलना है। तो सभी चलेंगे ना। अच्छा - ओम शान्ति।