ओम् शान्ति 02-04-19 मधुबन
प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति स्नेही, अपने दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा तीनों लोकों की सैर करने वाले, सदा अव्यक्त मिलन की अनुभूतियों में रहने वाले, डायरेक्ट वरदाता बाप के दिव्य वरदानों से पलने वाली निमित्त टीचर्स बहिनें तथा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें
ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद स्वीकार करना जी।
बाद समाचार - प्यारे अव्यक्त बापदादा की इस सीजन का आज यह लास्ट टर्न भोपाल ज़ोन की सेवाओं का है। इस टर्न में भी देश विदेश से करीब 16-17 हजार भाई बहिनें अपने प्यारे मधुबन घर में पहुचे हुए हैं। गर्मी की सीजन प्रारम्भ हो गई है। इस बार इस अलौकिक मिलन मेले के 12 ही टर्न में जो भी भाई बहिनें अपने बेहद घर मधुबन में आये, सभी ने बहुत अच्छे अच्छे अनुभव किये। भले साकार रूप द्वारा अव्यक्त मिलन नहीं हो सका, फिर भी साइन्स के साधन वीडियो द्वारा परोक्ष अपरोक्ष सभी को बहुत अच्छी भासना मिली है। बापदादा के हर अवतरण दिन पर सभी ने विशेष अपनी अव्यक्त स्थिति बनाने तथा अव्यक्त मिलन का अनुभव करने के लिए मन और मुख का मौन रखा, बहुत अच्छा वायुमण्डल रहा। हर ग्रुप में महारथी भाई बहिनों के अनुभवों की बहुत सुन्दर क्लासेज द्वारा भी सब खूब रिफ्रेश हुए।
इस ग्रुप में प्यारे अव्यक्त बापदादा हम बच्चों को सर्व खजानों से सम्पन्न बनाने के लिए 3 मुख्य विधिया बता रहे हैं - एक स्वयं के पुरुषार्थ से प्रालब्ध का खजाना जमा करना। दूसरा - सदा सन्तुष्ट रह, सबको सन्तुष्ट करके पुण्य का खाता जमा करना और तीसरा सदा अथक, नि:स्वार्थ और बड़ी दिल से सेवा करके दुआओं का खाता जमा करना।
बोलो, हमारे मीठे भाई बहिनें यह तीनों खाते सभी जमा कर रहे हो ना। मीठे बापदादा ने आज हम सबका विशेष ध्यान खिचवाया है कि जैसे ड्रामा का अटेन्शन रहता, आत्मिक स्वरूप का, धारणाओं का अटेन्शन रहता है, ऐसे ही कर्मों की गुह्य गति का भी अटेन्शन आवश्यक है। अब कोई भी संकल्प, बोल वा कर्म साधारण न हो, इतना अटेन्शन रख पुरुषार्थ की रेस करनी है। हलचल की परिस्थितियों में भी अचल-अडोल स्थिति बनानी है। अभी तो विशेष योग तपस्या के कार्यक्रम द्वारा स्वयं को और सर्व को शक्तिशाली बनाकर मन्सा सकाश देने की सेवा करनी है।
बापदादा ने जो भी होमवर्क दिये हैं, जो भी शिक्षायें मिली हैं, उन्हें प्रैक्टिकल जीवन में उतारना है। बाकी 2019-20 में स्व-उन्नति और विश्व सेवा के लिए भारत और नेपाल के भाई बहिनों की वार्षिक मीटिंग 9 अप्रैल से शुरू हो रही है। इस वर्ष में स्व-उन्नति और सेवाओं की कोई नई थीम अवश्य निकलेगी, जो समाचार तो आप सबके पास पहुँच ही जायेंगे। मीटिंग के पश्चात शान्तिवन में राजयोग शिविर तथा योग भट्टियों के कार्यक्रम चलेंगे। अच्छा। सभी को बहुत-बहुत याद ओम् शान्ति।
15-12-07 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“समय के महत्व को जान, कर्मों की गुह्य गति का अटेन्शन रखो, नष्टोमोहा, एवररेडी बनो”
आज सर्व खज़ानों के दाता, ज्ञान का खज़ाना, शक्तियों का खज़ाना, सर्व गुणों का खज़ाना, श्रेष्ठ संकल्पों का खज़ाना देने वाला बापदादा अपने चारों ओर के खज़ाने के बालक सो मालिक अधिकारी बच्चों को देख रहे हैं। अखण्ड खज़ानों के मालिक बाप सभी बच्चों को सर्व खज़ानों से सम्पन्न कर रहा है। हर एक को सर्व खज़ाने देते हैं। किसको कम, किसको ज्यादा नहीं देते क्योंकि अखण्ड खज़ाना है। चारों ओर के बच्चे बापदादा के नयनों में समाये हुए हैं। सभी खज़ानों से भरपूर हर्षित हो रहे हैं।
आजकल के समय प्रमाण सबसे अमूल्य श्रेष्ठ खज़ाना है - पुरूषोत्तम संगम का समय क्योंकि इस संगम पर ही सारे कल्प की प्रालब्ध बना सकते हो। इस छोटे से युग का एक सेकण्ड प्राप्तियों और प्रालब्ध के प्रमाण एक सेकण्ड की वैल्यु एक वर्ष के समान है। इतना यह अमूल्य समय है। इस समय के लिए ही गायन है - अब नहीं तो कब नहीं क्योंकि इस समय ही परमात्म पार्ट नूंधा हुआ है। इसलिए इस समय को हीरे तुल्य कहा जाता है। सतयुग को गोल्डन एज कहा जाता है। लेकिन इस समय, समय भी हीरे तुल्य है और आप सब बच्चे भी हीरे तुल्य जीवन के अनुभवी आत्मायें हो | इस समय ही बहुतकाल की बिछुड़ी हुई आत्मायें परमात्म मिलन, परमात्म प्यार, परमात्म नॉलेज, परमात्म खज़ानों के प्राप्ति के अधिकारी बनते हैं। सारे कल्प में देव आत्मायें, महान आत्मायें हैं लेकिन इस समय परमात्म ईश्वरीय परिवार है। इसलिए जितना इस वर्तमान समय का महत्व है, इस महत्व को जान, जितना अपने को श्रेष्ठ बनाने चाहे उतना बना सकते हैं। आप सब भी इस महान युग के परमात्म भाग्य को प्राप्त करने वाले पदमापदम भाग्यवान हो ना! ऐसे अपने श्रेष्ठ भाग्य के रूहानी नशे और भाग्य को जानते, अनुभव कर रहे हो ना! खुशी होती है ना! दिल में क्या गीत गाते हो? वाह मेरा भाग्य वाह! क्योंकि इस समय के श्रेष्ठ भाग्य के आगे और कोई भी युग में ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त हो नहीं सकता।
तो बोलो, सदा अपने भाग्य को स्मृति में रखते हर्षित होते हो ना! होते हो? जो समझते हैं कि सदा हर्षित होते हैं, कभी-कभी वाले नहीं, जो सदा हर्षित रहते हैं वह हाथ उठाओ। सदा, सदा....। अण्डरलाइन करना सदा। अभी टी.वी. में आपका फोटो आ रहा है। सदा वालों का फोटो आ रहा है। मुबारक हो। मातायें उठायें, शक्तियां उठायें, डबल फारेनर्स...। क्या शब्द याद रखेंगे? सदा। कभी-कभी वाले तो पीछे आने वाले हैं।
बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि समय की रफ्तार बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। समय की गति को जानने वाले अपने को चेक करो कि मास्टर सर्वशक्तिवान हमारी गति तीव्र है? पुरूषार्थ तो सब कर रहे हैं लेकिन बापदादा क्या देखने चाहते? हर बच्चा तीव्र पुरूषार्थी, हर सबजेक्ट में पास विद आनर है वा सिर्फ पास है? तीव्र पुरूषार्थी के लक्षण विशेष दो हैं - एक - नष्टोमोहा, दूसरा - एवररेडी। सबसे पहले नष्टोमोहा, इस देहभान, देह-अभिमान से है तो और बातों में नष्टोमोहा होना कोई मुश्किल नहीं है। देह-भान की निशानी है वेस्ट, व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ समय, यह चेकिंग स्वयं ही अच्छी तरह से कर सकते हो। साधारण समय वह भी नष्टोमोहा होने नहीं देता। तो चेक करो हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर कर्म, सफल हुआ? क्योंकि संगमयुग पर विशेष बाप का वरदान है, सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है। तो अधिकार सहज अनुभूति कराता है। और एवररेडी, एवररेडी का अर्थ है- मन-वचन-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में समय का आर्डर हो अचानक तो एवररेडी और अचानक ही होना है। जैसे अपनी दादी को देखा अचानक एवररेडी। हर स्वभाव में, हर कार्य में इजी रहे हैं। सम्पर्क में इजी, स्वभाव में इजी, सेवा में इजी, सन्तुष्ट करने में इजी, सन्तुष्ट रहने में इजी। इसीलिए बापदादा समय की समीपता का बार-बार इशारा दे रहा है। स्व-पुरूषार्थ का समय बहुत थोड़ा है, इसलिए अपने जमा के खाते को चेक करो। तीन विधियां खज़ानों को जमा करने की पहले भी बताई हैं, फिर से सुना रहे हैं। उन तीनों विधियों को स्वयं चेक करो। एक है – स्वयं के पुरूषार्थ से प्रालब्ध का खज़ाना जमा करना। प्राप्तियों का खज़ाना जमा करना। दूसरा है- सन्तुष्ट रहना, इसमें भी सदा शब्द एड करो और सर्व को सन्तुष्ट करना, इससे पुण्य का खाता जमा होता है। और यह पुण्य का खाता अनेक जन्मों के प्रालब्ध का आधार रहता है। तीसरा है - सदा सेवा में अथक, नि:स्वार्थ और बड़ी दिल से सेवा करना, इससे जिसकी सेवा करते हैं उनसे स्वत: ही दुआयें मिलती हैं। यह तीन विधियां हैं, स्वयं का पुरूषार्थ, पुण्य और दुआ। यह तीनों खाते जमा हैं? तो चेक करो क्योंकि अगर अचानक कोई भी पेपर आ जाए, क्योंकि आजकल के समय अनुसार प्रकृति के हलचल की छोटी-छोटी बातें कभी भी आ सकती हैं। इसलिए कर्मो के गति का नॉलेज विशेष अटेन्शन में रहे। कर्मो की गति बड़ी गुह्य है। जैसे ड्रामा का अटेन्शन रहता, आत्मिक स्वरूप का अटेन्शन रहता, धारणाओं का अटेन्शन रहता, ऐसे ही कर्मो की गुह्य गति का भी अटेन्शन आवश्यक है। साधारण कर्म, साधारण समय, साधारण संकल्प इससे प्रालब्ध में फर्क पड़ जाता है। इस समय आप सभी जो पुरूषार्थी हैं वह श्रेष्ठ विशेष आत्मायें हैं, साधारण आत्मायें नहीं हो। विश्व कल्याण के निमित्त, विश्व परिवर्तन के निमित्त बनी हुई आत्मायें हो। सिर्फ अपने को परिवर्तन करने वाले नहीं हो, विश्व के परिवर्तन के जिम्मेवार हो। इसलिए अपने श्रेष्ठ स्वमान के स्मृति स्वरूप बनना ही है।
बापदादा ने देखा सभी का बापदादा और सेवा से अच्छा प्यार है। सेवा का वातावरण चारों ओर कोई न कोई प्लैन प्रमाण चल रहा है। साथ-साथ अभी समय के प्रमाण विश्व की आत्मायें जो दु:खी, अशान्त हो रही हैं उन आत्माओं को दु:ख अशान्ति से छुड़ाने के लिए अपनी शक्तियों द्वारा सकाश दो। जैसे प्रकृति का सूर्य सकाश से अंधकार को दूर कर रोशनी में लाता। अपनी किरणों के बल से कई चीजों को परिवर्तन करता। ऐसे ही मास्टरज्ञानसूर्य अपने प्राप्त हुए सुख-शान्ति की किरणों से, सकाश से दुख-अशान्ति से मुक्त करो | मन्सा सेवा से, शक्तिशाली वृत्ति से वायुमण्डल को परिवर्तन करो। तो अभी मन्सा सेवा करो। जैसे वाचा सेवा का विस्तार किया है, वैसे मन्सा सकाश द्वारा आत्माओं में, जो आपकी टॉपिक रखी है, हैप्पी और होप, यह फैलाओ, हिम्मत दिलाओ, उमंग-उत्साह दिलाओ। बाप का वर्सा, इन बातों से मुक्ति तो दिलाओ। अभी आवश्यकता सकाश देने की ज्यादा है। इस सेवा में मन को बिजी रखो तो मायाजीत विजयी आत्मा स्वत: ही बन जायेंगे | बाकी छाटी- छाटी बातें तो साइडसीन हैं | साइडसीन में कुछ अच्छा भी आता है, कुछ बुरी चीज़ें भी आती हैं। तो साइडसीन को क्रास कर मंज़िल पर पहुंचना होता है। साइडसीन देखने के लिए साक्षीदृष्टा की सीट पर सेट रहो, बस। तो साइडसीन मनोरंजन हो जायेगी।
तो एवररेडी हो ना? कल भी कुछ हो जाए, एवररेडी हैं? पहली लाइन एवररेडी है? कल भी हो जाए तो? टीचर्स तैयार हैं तो अच्छा। यह वर्ग वाले तैयार हैं। जितने भी वर्ग आये हो, एवररेडी। सोचना। देखना दादियां, देख रही हो सब हाथ हिला रहे हैं। अच्छा है, मुबारक हो। अगर नहीं भी हैं ना तो आज की रात तक हो जाना। क्योंकि समय आपका इन्तजार कर रहा है। बापदादा मुक्ति का गेट खोलने का इन्जार कर रहा है। एडवांस पार्टी आपका आह्वान कर रही है। क्या नहीं कर सकते हो? मास्टर सर्वशक्तिवान तो हो ही। दृढ़ संकल्प करो यह करना है, यह नहीं करना है, बस। नहीं करना है, तो दृढ़ संकल्प से ‘नहीं’ को ‘नहीं’ करके दिखाओ। मास्टर तो हो ही ना! अच्छा।
अभी पहली बार कौन आये हैं? जो पहली बार आये हैं वह हाथ उठाओ। ऊंचा हाथ उठाओ, हिलाओ। इतने आये हैं। अच्छा है। जो भी पहले बारी आये हैं उनको पदमगुणा मुबारक है, मुबारक है। बापदादा खुश होते हैं, कि कल्प पहले वाले बच्चे फिर से अपने परिवार में पहुंच गये। इसलिए अभी पीछे आने वाले कमाल करके दिखाना। पीछे रहना नहीं, पीछे आये हो लेकिन पीछे नहीं रहना। आगे से आगे रहना। इसके लिए तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा। हिम्मत है ना! हिम्मत है? अच्छा है। हिम्मते बच्चे मददे बापदादा और परिवार है। अच्छा है क्योंकि बच्चे घर का श्रृंगार हो। तो जो भी आये हैं वह मधुबन के श्रृंगार हैं। अच्छा।
सेवा का टर्न भोपाल जोन का है:-
अच्छा, बहुत आये हैं। (झण्डियां हिला रहे हैं) अच्छा है गोल्डन चांस तो मिला है ना। अच्छा जो भी सेवा के निमित्त आये हुए हैं इनमें से सभी ने सेवा का जो बल है, फल है, अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति का, वह अनुभव किया? किया? अभी भले हाँ के लिए झण्डी हिलाओ, जिसने किया हो। अच्छा अभी तो अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किया, यह सदा रहेगा? या थोड़ा समय रहेगा? जो दिल से प्रॉमिस करता है, देखा देखी हाथ नहीं उठाना, जो दिल से समझता है कि मैं इस प्राप्ति को सदा कायम रखूंगा, विघ्न विनाशक बनूंगा, वह झण्डी हिलाओ भले। अच्छा। देखो, आप टी.वी. में आ रहे हो फिर यह टी.वी. का फोटो भेजेंगे। अच्छा। यह चांस जो रखा है वह बहुत अच्छा है। चांस लेते भी खुशी से हैं और टर्न बाई टर्न सभी को खुली दिल से छुट्टी भी मिल जाती है आने की। अच्छा। बापदादा को भी खुशी है, अच्छा है। देखो कितनों को चांस मिलता है। आधा क्लास तो सेवा करने वालों की तरफ का होता है। अच्छा।
अभी कोई नवीनता करके दिखायेंगे। अभी बहुत समय हो गया है, कोई नई इन्वेन्शन नहीं निकाली है। वरगीकरण भी अभी पुराना हो गया है। प्रदर्शनियां, मेला, कांफ्रेंस, स्नहे मिलन यह सब हो गये हैं | अभी कोई नई बात निकालो | शोर्ट और स्वीट , खर्चा कम आरै सेवा ज्यादा। रायबहादुर हो ना! तो रायबहादुर नई राय निकालो। जैसे प्रदर्शनी निकली, फिर मेला निकला, फिर वर्गीकरण निकला, ऐसे कोई नई इन्वेन्शन निकालो। देखेंगे कौन निमित्त बनता है। अच्छा है, हिम्मत वाले हैं इसीलिए बापदादा हिम्मत रखने वालों को सदा एडवांस में मदद की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
डबल विदेशी: आपका यह तो नाम प्रसिद्ध हो गया है, डबल फारेनर्स। अभी डबल पुरूषार्थी यह नाम रखें? डबल पुरूषार्थी, रखें? पक्का। डबल पुरूषार्थ करेंगे? करने वाले हैं। अच्छा। एक एक्साम्पल दिखाओ कि फारेन में कोई भी विघ्न नहीं आवे। न मन्सा संकल्प का, न वाणी का, न बोल का, न सम्बन्धसम्पर्क का। बापदादा सभी भारत के जोन को भी कहता है, डबल विदेशियों को तो कह रहा है लेकिन भारत के सभी जोन को भी कहते हैं कोई ऐसा एक्जैम्पुल बनाओ जो सभी जोन और सब डबल विदेशी निर्विघ्न, निरविकल्प, निरव्यर्थ संकल्प हों। करो रेस। हर एक जोन रेस करे, फारेन भी तो एक जोन हो गया ना। उसको बापदादा बहुत प्राइज देगा। पूरे जोन में विघ्न का नाम निशान न हो। एक-दो को सहयोग देंगे तो हो जायेगा। जहाँ भी कुछ हो वहाँ एक दो के सहयोगी बनके भी उन्हें निर्विघ्न बनाओ। हिम्मत दो। उमंग-उल्हास दो। ऐसा नक्शा बापदादा देखने चाहते हैं।
डबल फारेनर्स जब भी मधुबन के संगठन में आते हो तो मधुबन के संगठन में रौनक हो जाती है क्योंकि इन्टरनैशनल संगठन हो जाता है, नहीं तो सिर्फ भारत का संगठन होता है। तो बापदादा को अभी देख करके खुशी होती है कि हर सीजन के टर्न में डबल विदेशी होते ही हैं। यह प्रोग्रेस अच्छी की है। और बापदादा का विशेष प्यार तो है ही क्यों? भारतवासी त्याग करते हैं लेकिन आपका डबल त्याग है। आपका कल्चर भी अलग है। भारत का कल्चर तो वही होता है। इसीलिए बापदादा को खुशी होती है तो अभी अनुभव करते हैं कि हम भारत के थे, भारत के रहने वाले हैं।
अभी एक सेकण्ड में सभी बहुत मीठी मीठी स्वीट साइलेन्स की स्टेज के अनुभव में खो जाओ। (बापदादा ने ड्रिल कराई) अच्छा।
चारों ओर के सर्व तीव्र पुरूषार्थी, सदा दृढ़ संकल्प द्वारा सफलता को प्राप्त करने वाले, सदा विजय के तिलकधारी, बापदादा के दिल तख्तधारी, डबल ताजधारी, विश्व कल्याणकारी, सदा लक्ष्य और लक्षण को समान करने वाले परमात्म प्यार में पलने वाले ऐसे सर्व श्रेष्ठ बच्चों को बापदादा का यादप्यार, दिल की दुआयें और नमस्ते।
दादी जानकी- मेरे बाबा ने बहुत अच्छा सुनाया। बाबा का एक-एक अक्षर मुझे लग रहा था। बाबा जो कह रहा है, जो बात जरूरी है, वह बात हमारे ध्यान पर दे दी। अभी जो बाबा चाहता है वही प्रैक्टिकल लाइफ में करना है और करते रहेंगे। थैंक्यू बाबा।