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AVYAKT MURLI
18 / 05 / 69
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18-05-69 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
"रूहानी ज्ञान-योग की ज्योतिषी"
आप सभी ने बुलाया या बापदादा ने आप सभी को बुलाया है? किसने किसको बुलाया है? जो बच्चे बाप के कन्तव्य में निमित्त बने हुये हैं - उन्हों को यह बात हर वक्त याद रखनी है कि हमें हर समय हर हालत में एवररेडी और आलराउन्ड होना है। अगर यह दो बातें सभी में आ जाये तो सर्विस का सबूत श्रेष्ठ निकल सकता है। लेकिन नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार यह बातें हैं। आप निमित्त बने हुए बच्चों को यह सलोगन याद रखना चाहिये कि हम जो कर्म करेंगे मुझे देख और सभी करेंगे। हर समय अपने को ऐसा समझो। जैसे ड्रामा के स्टेज पर सभी के सामने हम पार्ट बजा रहे हैं। एक होता है अपने आप से रिहर्सल। एक होता है स्टेज पर सभी के सामने पार्ट बजाना। तो स्टेज पर एक्ट करने वाले का अपने ऊपर कितना ध्यान रहता है। एक-एक एक्ट पर हर समय अटेन्शन रहता है। हाथों पर, पावों पर, आँखों पर सभी पर ध्यान रहता है। अगर कोई भी बात नीचे ऊपर होती है तो एक्टर के एक्ट में शोभा नहीं देती। तो ऐसे अपने को समझकर चलना है।
तीन मिनट का रिकार्ड जब भरते हैं तो कितना ध्यान देते हैं। आप सभी भी अपने 21 जन्मों का रिकार्ड भर रहे हो तो भरते समय बहुत ध्यान रखना है। रिकार्ड में जरा भी नीचे-ऊपर हो जाता है तो वह रिकार्ड हमेशा के लिये रद्धी हो जाता है। तुम्हारा भी 21 जन्मों के लिये सतयुगी राज- धानी का जो रिकार्ड भरता है तो वह रद्द न हो जाये। रद्द हुआ तो फिर दूर हो जाते हैं। तो यह सोचना चाहिए - हमारे हर कर्म के ऊपर सभी की आँख है। एक्टर्स जब देखते हैं, हमको सभी देख रहे हैं तो खास अटेन्शन रहता है। कोई देखने वाला नहीं होता है तो अलबेलापन रहता है। तो हमेशा समझना चाहिए हम भले अकेलेपन में कुछ करते, तो भी सृष्टि के सामने हैं। सारी सृष्टि की आत्मायें चारों ओर से हमें देख रही हैं। अगर एक-एक फूल ऐसा सम्पूर्ण और सुन्दर हो जाये तो इस बगीचे की खुशबू कितनी फैल जाती! लेकिन क्यों नहीं फैलती, उसका कारण क्या? खुशबू के साथ-साथ कहाँ-कहाँ बीच में और बात भी आ जाती है। भले खुशबू कितनी हो लेकिन खुशबू से भी जल्दी फ़ैलने वाली बदबू होती है, जो जरा सी बात सारी खुशबू को समाप्त कर देती है। अविनाशी खुशबू जिसको सदा गुलाब कहते हैं। एक होता है सदा गुलाब, दूसरा होता गुलाब, तीसरा होता है रूहें गुलाब। पहला नम्बर है रूहें गुलाब। वह रूह की स्थिति में रहता है और रूहानी रूह के हमेंशा नजदीक है। ऐसे है रूहे गुलाब। और दूसरी क्वालिटी जो है वह फिर सर्विस में बहुत अच्छे रहते हैं बाकी रूहानी स्थिति में कमी है। सर्विस में, धारणा में अच्छे हैं, संस्कार शीतल हैं। खुद अपने को क्या समझते हो? किस नम्बर का फूल समझते हो? कांटे तो यहाँ हो भी न सके। हैं तो सभी गुलाब। लेकिन गुलाब में भी फर्क है। जो रूहे गुलाब होंगे उनकी निशानी क्या होगी? आप लोगों को मस्तक की रेखा परखने आती है? ज्योतिषी बने हो वा नहीं? बापदादा जो ज्ञान और योग की ज्योतिषी दिखाते हैं उनसे क्या देखते हो? हरेक के मुखड़े से, नयनों से, मस्तक से मालूम पड़ता है। इसमें भी विशेष मस्तक और नयनों से मालूम पड़ता है। आप ज्योतिष बनकर हरेक को परख सकते हो? नयनों में और मस्तक में वह रेखायें जरूर रहती हैं। किसको परखना यह भी ज्योतिष विद्या है। तो यह जो विद्या है परखने की यह कईयों में कम है। ज्ञान और योग सीखते हैं लेकिन यह परखने की ज्योतिष विद्या भी जाननी है। कोई भी व्यक्ति सामने आए तो आप लोगों को तो एक सेकेण्ड में उनके तीनों कालों को परख लेना चाहिए। एक तो पास्ट में उनकी लाइफ क्या थी और वर्तमान समय उनकी वृत्ति, दृष्टि और भविष्य में कहाँ तक यह अपनी प्रालब्ध बना सकते हैं। यह जानने की प्रैक्टिस चाहिए। यह परखने की जो नालेज है वह बहुत कम है। यह कमी अभी भरनी चाहिए। वर्तमान समय जो आने वाला है उसमें अगर यह गुण नहीं होगा, कमी होगी तो धोखे में आ जायेंगे। कई ऐसी आत्माएं आप के सामने आयेंगी जो अन्दर एक और बाहर से दूसरी होगी। परीक्षा के लिए आयेंगी। क्योंकि कई समझते हैं कि यह सिर्फ रटे हुए हैं। तो कई रंग रूप से आर्टिफीसियल रूप में भी परखने लिए आयेंगे, भिन्न-भिन्न रूप से। इसलिये यह ध्यान रखना है कि यह किसलिये आया है? उनकी वृत्ति क्या है? और अशुद्ध आत्माओं की भी बड़ी सम्भाल करनी है। ऐसे-ऐसे केस भी बहुत होंगे दिन प्रतिदिन पाप आत्मायें तो बहुत होते हैं। आपदायें, अकाले मृत्यु, पाप कर्म बढ़ते जाते हैं तो उन्हों की वासनायें जो रह जाती हैं वह फिर अशुद्ध आत्माओं के रूप में भटकती हैं। इसलिये यह भी बहुत बड़ी सम्भाल रखनी है। कोई में अशुद्ध आत्मा की प्रवेशता होती है तो उनको भगाने लिए एक तो धूप जलाते हैं और आग में चीज को तपाकर लगाते हैं और लाल मिर्ची भी खिलाते हैं। तो आप सभी को फिर योग की अग्नि से काम लेना है। हर कर्मेन्द्रियों को योगाग्नि में तपाना है तो फिर कोई वार नहीं कर सकेंगे। थोड़ा भी कहाँ ढीलापन हुआ, कोई भी कर्मेन्द्रियाँ ढीली हुई तो फिर प्रवेशता हो सकती है। वह अशुद्ध आत्माएं भी बड़ी पावरफुल होती हैं। वह माया की पावर भी कम नहीं होती। यह बहुत ध्यान रखना है। और कई प्राकृतिक आपदायें भी अपना कन्तव्य करेगी। उसका सामना करने लिये अपने में ईश्वरीय शक्ति धारण करनी है। उस समय स्नेह नहीं रखना है। उस समय शक्ति- रूप की आवश्यकता है। किस समय स्नेहमूर्त, किस समय शक्तिरूप बनना है यह भी सोचना है। इन सभी बातों में शक्तिरूप की आवश्यकता है। अगर कोई ऐसा आया और उनको ज्यादा स्नेह दिखाया तो कहाँ नुकसान भी हो सकता है। स्नेह बापदादा और दैवी परिवार से करना है। बाकी सभी से शक्तिरूप से सामना करना है। कई बच्चे गफलत करते हैं जो उन्हों के स्नेह में आ जाते हैं। वह स्नेह वृद्धि होकर कमजोर कर देता है, इसलिये अब शक्तिरूप की आवश्यकता है। अन्तिम नारा भी भारत माता शक्ति अवतार का गायन है। गोपी माता थोड़ेही कहते हैं। अब शक्ति रूप का पार्ट है। गोपीकाओं का रूप साकार में था। अब अव्यक्त रूप से शक्ति का पार्ट है। हरेक जब अपने शक्तिरूप में स्थित होंगे तो इतने सभी की शक्ति मिलाकर कमाल कर दिखायेगी। यादगार रूप में अन्तिम चित्र कौन सा दिखाया हुआ है? पहाड़ को अंगुली देने का। अंगुली, यह शक्ति की देनी है। इससे ही कलियुगी पहाड़ खत्म होगा। इसमें हरेक की अंगुली की दरकार है। अभी वह अंगुली पुरी रीति नहीं है। उठाते जरूर हैं परन्तु कोई की कभी सीधी कोई की कभी टेढ़ी हो जाती है। जब पूरी अंगुली होगी तब प्रभाव निकलेगा। एक जैसे अंगुली देनी है। इस कलियुगी पहाड़ को जल्दी अंगुली देकर फिर सतयुगी दुनिया को लाना है।
साकार के साथ स्नेह है तो जल्दी-जल्दी इस पुरानी दुनिया से चलने की तैयारी करो। आप कहेंगे अभी सर्विस कहाँ हुई है लेकिन सर्विस भी किसके लिये रुकी है? अगर आप हरेक शक्तिरूप में स्थित हो जाओ तो आप के जो भूले भटके भक्त हैं, न चाहते भी चकमक (चुम्बक) के आगे आ जायेंगे, देरी नहीं लगेगी।
अच्छा !
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- निमित्त बने हुए बच्चों को कौन सा स्लोगन याद रखना चाहिये?
प्रश्न 2 :- 21 जन्मों के रिकार्ड के बारे मे बाबा ने क्या बताया है?
प्रश्न 3 :- बाबा हम बच्चों को गुलाब के फुल के माध्यम से क्या समझाते है?
प्रश्न 4 :- बाबा ने परखने की ज्योतिष विद्या सिखने के लिए क्यों कहा है ?
प्रश्न 5 :- अशुद्ध आत्माएं और प्राकृतिक आपदायें का सामना करने के लिए किस विशेष शक्ति रुप की आवश्यकता है?
FILL IN THE BLANKS:-
(कर्मेन्द्रियाँ, अलबेलापन, शक्तिरूप, योगाग्नि, सृष्टि, हरेक, सम्पूर्ण, चकमक, कमाल, बगीचे)
1 अगर आप हरेक _______ में स्थित हो जाओ तो आप के जो भूले भटके भक्त हैं, न चाहते भी _______ (चुम्बक) के आगे आ जायेंगे, देरी नहीं लगेगी।
2 अगर एक-एक फूल ऐसा _______ और सुन्दर हो जाये तो इस _______ की खुशबू कितनी फैल जाती!
3 कोई देखने वाला नहीं होता है तो _______ रहता है। तो हमेशा समझना चाहिए हम भले अकेलेपन में कुछ करते, तो भी _____ के सामने हैं।
4 हर कर्मेन्द्रियों को _______ में तपाना है तो फिर कोई वार नहीं कर सकेंगे। थोड़ा भी कहाँ ढीलापन हुआ, कोई भी _________ ढीली हुई तो फिर प्रवेशता हो सकती है।
5 _______ जब अपने शक्तिरूप में स्थित होंगे तो इतने सभी की शक्ति मिलाकर _______ कर दिखायेगी।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】【✖】
1 :- निराकार के साथ स्नेह है तो जल्दी-जल्दी इस पुरानी दुनिया से चलने की तैयारी करो।
2 :- जो बच्चे बाप के कर्तव्य में निमित्त बने हुये हैं - उन्हों को यह बात हर वक्त याद रखनी है कि हमें हर समय हर हालत में एवररेडी और आलराउन्ड होना है।
3 :- किसको परखना यह भी साइंस विद्या है। तो यह जो विद्या है परखने की यह कईयों में कम है।
4 :- कोई में अशुद्ध आत्मा की प्रवेशता होती है तो उनको भगाने लिए एक तो धूप जलाते हैं और आग में चीज को तपाकर लगाते हैं और लाल मिर्ची भी खिलाते हैं। तो आप सभी को फिर योग की अग्नि से काम लेना हैं।
5 :- ब्राह्मण जब देखते हैं, हमको सभी देख रहे हैं तो खास अटेन्शन रहता है।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- निमित्त बने हुए बच्चों को कौन सा स्लोगन याद रखना चाहिये?
उत्तर 1 :- आप निमित्त बने हुए बच्चों को यह स्लोगन याद रखना चाहिये कि हम जो कर्म करेंगे मुझे देख और सभी करेंगे। हर समय अपने को ऐसा समझो। जैसे ड्रामा के स्टेज पर सभी के सामने हम पार्ट बजा रहे हैं।
प्रश्न 2 :- 21 जन्मों के रिकार्ड के बारे मे बाबा ने क्या बताया है?
उत्तर 2 :- 21 जन्मों के रिकार्ड के बारे में बाबा ने बताया है :-
..❶ तीन मिनट का रिकार्ड जब भरते हैं तो कितना ध्यान देते हैं। आप सभी भी अपने 21 जन्मों का रिकार्ड भर रहे हो तो भरते समय बहुत ध्यान रखना है। रिकार्ड में जरा भी नीचे-ऊपर हो जाता है तो वह रिकार्ड हमेशा के लिये रद्धी हो जाता है।
..❷ तुम्हारा भी 21 जन्मों के लिये सतयुगी राजधानी का जो रिकार्ड भरता है तो वह रद्द न हो जाये। रद्द हुआ तो फिर दूर हो जाते हैं। तो यह सोचना चाहिए - हमारे हर कर्म के ऊपर सभी की आँख है।
प्रश्न 3 :- बाबा हम बच्चों को गुलाब के फूल के माध्यम से क्या समझाते है?
उत्तर 3 :- बाबा हम बच्चों को गुलाब के फुल के माध्यम से समझाते हैं कि:-
..❶ अविनाशी खुशबू जिसको सदा गुलाब कहते हैं। एक होता है सदा गुलाब, दूसरा होता गुलाब, तीसरा होता है रूहें गुलाब। पहला नम्बर है रूहें गुलाब। वह रूह की स्थिति में रहता है और रूहानी रूह के हमेंशा नजदीक है। ऐसे है रूहे गुलाब।
..❷ और दूसरी क्वालिटी जो है वह फिर सर्विस में बहुत अच्छे रहते हैं बाकी रूहानी स्थिति में कमी है। सर्विस में, धारणा में अच्छे हैं, संस्कार शीतल हैं।
..❸ खुद अपने को क्या समझते हो? किस नम्बर का फूल समझते हो? कांटे तो यहाँ हो भी न सके। हैं तो सभी गुलाब। लेकिन गुलाब में भी फर्क है।
प्रश्न 4 :- बाबा ने परखने की ज्योतिष विद्या सीखने के लिए क्यों कहा है ?
उत्तर 4 :- बाबा ने परखने की ज्योतिष विद्या सिखने के लिए इसलिए कहा है क्योंकि :-
..❶ ज्ञान और योग सीखते हैं लेकिन यह परखने की ज्योतिष विद्या भी जाननी है। कोई भी व्यक्ति सामने आए तो आप लोगों को तो एक सेकेण्ड में उनके तीनों कालों को परख लेना चाहिए।
..❷ एक तो पास्ट में उनकी लाइफ क्या थी और वर्तमान समय उनकी वृत्ति, दृष्टि और भविष्य में कहाँ तक यह अपनी प्रालब्ध बना सकते हैं। यह जानने की प्रैक्टिस चाहिए।
..❸ यह कमी अभी भरनी चाहिए। वर्तमान समय जो आने वाला है उसमें अगर यह गुण नहीं होगा, कमी होगी तो धोखे में आ जायेंगे। कई ऐसी आत्माएं आप के सामने आयेंगी जो अन्दर एक और बाहर से दूसरी होगी।
प्रश्न 5 :- अशुद्ध आत्माएं और प्राकृतिक आपदायें का सामना करने के लिए किस विशेष शक्ति रुप की आवश्यकता है?
उत्तर 5 :- अशुद्ध आत्माएं और प्राकृतिक आपदायें का सामना करने के लिए बाबा ने स्पष्ट किया है-
..❶ वह अशुद्ध आत्माएं भी बड़ी पावरफुल होती हैं। वह माया की पावर भी कम नहीं होती। यह बहुत ध्यान रखना है। और कई प्राकृतिक आपदायें भी अपना कर्तव्य करेगी। उसका सामना करने लिये अपने में ईश्वरीय शक्ति धारण करनी है।
..❷ उस समय स्नेह नहीं रखना है। उस समय शक्ति-रूप की आवश्यकता है। किस समय स्नेहमूर्त, किस समय शक्तिरूप बनना है यह भी सोचना है। इन सभी बातों में शक्तिरूप की आवश्यकता है।
..❸ अगर कोई ऐसा आया और उनको ज्यादा स्नेह दिखाया तो कहाँ नुकसान भी हो सकता है। स्नेह बापदादा और दैवी परिवार से करना है। बाकी सभी से शक्तिरूप से सामना करना है।
FILL IN THE BLANKS:-
(कर्मेन्द्रियाँ, अलबेलापन, शक्तिरूप, योगाग्नि, सृष्टि, हरेक, सम्पूर्ण, चकमक, कमाल, बगीचे)
1 अगर आप हरेक _______ में स्थित हो जाओ तो आप के जो भूले भटके भक्त हैं, न चाहते भी _______ (चुम्बक) के आगे आ जायेंगे, देरी नहीं लगेगी।
शक्तिरूप / चकमक
2 अगर एक-एक फूल ऐसा _______ और सुन्दर हो जाये तो इस _______ की खुशबू कितनी फैल जाती!
सम्पूर्ण / बगीचे
3 कोई देखने वाला नहीं होता है तो _______ रहता है। तो हमेशा समझना चाहिए हम भले अकेलेपन में कुछ करते, तो भी _____ के सामने हैं।
अलबेलापन / सृष्टि
4 हर कर्मेन्द्रियों को _______ में तपाना है तो फिर कोई वार नहीं कर सकेंगे। थोड़ा भी कहाँ ढीलापन हुआ, कोई भी _________ ढीली हुई तो फिर प्रवेशता हो सकती है।
योगाग्नि / कर्मेन्द्रियाँ
5 _______ जब अपने शक्तिरूप में स्थित होंगे तो इतने सभी की शक्ति मिलाकर _______ कर दिखायेगी।
हरेक / कमाल
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】【✖】
1 :- आकार के साथ स्नेह है तो जल्दी-जल्दी इस पुरानी दुनिया से चलने की तैयारी करो।【✖】
साकार के साथ स्नेह है तो जल्दी-जल्दी इस पुरानी दुनिया से चलने की तैयारी करो।
2 :- जो बच्चे बाप के कर्तव्य में निमित्त बने हुये हैं - उन्हों को यह बात हर वक्त याद रखनी है कि हमें हर समय हर हालत में एवररेडी और आलराउन्ड होना है।【✔】
3 :- किसको परखना यह भी साइंस विद्या है। तो यह जो विद्या है परखने की यह कईयों में कम है।【✖】
किसको परखना यह भी ज्योतिष विद्या है। तो यह जो विद्या है परखने की यह कईयों में कम है।
4 :- कोई में अशुद्ध आत्मा की प्रवेशता होती है तो उनको भगाने लिए एक तो धूप जलाते हैं और आग में चीज को तपाकर लगाते हैं और लाल मिर्ची भी खिलाते हैं। तो आप सभी को फिर योग की अग्नि से काम लेना हैं। 【✔】
5 :- ब्राह्मण जब देखते हैं, हमको सभी देख रहे हैं तो खास अटेन्शन रहता है। 【✖】
एक्टर्स जब देखते हैं, हमको सभी देख रहे हैं तो खास अटेन्शन रहता है।