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AVYAKT MURLI

06 / 07 / 69

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06-07-69 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन

 

टीचर्स के मति अव्यकत बापदादा के महावाक्य” 

 

सभी किसकी याद में बैठे हो? एक की याद थी या दो की? जो एक की याद में थे वह हाथ उठायें। और जो दो की याद में थे वह भी हाथ उठायें। अब वह दो कौन? अव्यक्त-वतन वासी वा व्यवत्त-वतन वासी?

आप सब टीचर्स हैं ना। आपके पास कोई जिज्ञासू आवे तो उनको कौन-सा ठिकाना देंगे? सबको टीचिंग क्या देंगे! आप टीचर्स हो ना। टीचर्स अपने टीचर का शो निकालते हैं। जिज्ञासू को जिस रीति परवरिश करेंगे और ठिकाना देंगे, वह टीचर का शो निकलता है। अगर आप जिज्ञासू को आने से ही अव्यक्त वतन का ठिकाना देंगे जो रास्ता कब देखा ही नहीं तो पहुँचेगा कैसे? पहले एड्रेस कौन-सी दी जाती है? आप संग्रहालय में क्या समझाते हो? जिज्ञासू को क्या परिचय दते हो? उनको कौन-सा रास्ता कौन-सा ठिकाना देते हो? बीज किसने बोया? बीज तो बीज ही है। वह बीज भल सड़ भी जाए तो भी समय पर कुछ न कुछ टालियॉ आदि निकलती रहती हैं। बरसात पड़ती है तो निकल आता है। आप बीज को भूल जायेंगे तो फिर रास्ता कैसे बतायेंगे। बीज कौन-सा है?

टीचर्स को युक्तियुक्त बोलना चाहिए। छोटे बच्चे तो नहीं हो ना। छोटे बच्चों को पहले से सिख- लाया जाता है। आप तो सीखकर इतनी परवरिश लेकर यही इम्तहान देने आये हो। पढेंगे भी साथ में, इम्तहान भी देंगे। दोनों कार्य इक्ट्ठे चलेगें। बाप अव्यक्त वतन वासी बना तो आप सबको भी अव्यक्त-वतन वासी बनना है। वह किस सृष्टि पर खड़े होकर अव्यक्त बने? आपको कहाँ बनना है? (साकार सृष्टि में तो सृष्टि है।) सृष्टि तो आलराउन्ड गोल है। सृष्टि में सारा झाड़ समाया हुआ है। परन्तु सृष्टि का ठिकाना संगम है। संगम की बलिहारी है, जिसने आप सबको यहाँ पहुँचाया। आप अपने ठिकाने को भूल जायेंगे तो फिर क्या होगा? ठिकाना देने वाला ही भूल जायेगा। ठिकाना पक्का याद करो। और बापदादा की जो पढ़ाई मिली है उनको धारण करो। धारण से धीर्यवत, अन्तर्मुख होंगे। धीर्यता होगी। उससे कलियुगी रावण राज्य को खत्म कर देंगे। तो अब पढ़ाई का समय और साथ-साथ इम्तहान देने का भी समय है। यह हुई एक बात। दूसरी बात-जरा ध्यान में रखो इतना समय जो बापदादा की गोद में पले और उसमें जो भी कुछ कर्तव्य किया। ऐसे भी हैं कोई ने लज्जा के मारे बापदादा से छिपाया है। ऐसे नहीं बाप को पहचान कर सब बाप के आगे रखा है। नहीं। जो समझते हैं ऐसी भी भूल हुई है, जैसे कोई अपनी दिल से भूल नहीं करते हैं, परन्तु अलबेलाई से हो जाती है। तो यह सबको लिखना है। बापदादा से जिन्होंने बात की है, उन्हों को भी लिखना है। सारी जन्म-पत्री। यह अन्त का समय है ना 84 का हिसाब-किताब यहाँ ही चूक्तू होता है। सच्चाई और सफाई-अक्षर तो कहते हैं परन्तु सच्चाई और सफाई में भी अन्तर क्या है, उस अर्थ को नहीं समझा है। अब उसकी गहराई में जाकर सारा लिखना है।

अव्यक्त वतन से बापदादा बच्चों की सर्विस करने और साफ बनाने लिए आये हैं। बाप सेवा करते हैं। आप सब बच्चों का शुरू से लेकर अन्त तक बाप सेवक है। सेवा करने लिए सदैव तैयार है। बाप को कितना फखुर रहता है -हमारे बच्चे सिरमोर हैं, आँखों के सितारे हैं। जिन्हों के लिए स्वर्ग स्थापन हो रहा है। उस स्वर्ग के वासी बनाने के लिए तैयार कर रहे हैं। जो सम- झते हैं हम लक्ष्मी-नारायण बनेंगे इतना लक्ष्य पकड़कर फिर भी गफलत करते रहते हैं तो इस- लिए बापदादा फिर भी सेवा करने आये हैं।

अन्त मती सो गति। समय नहीं है। समय बहुत नजदीक आने वाला है। आप शेरनी शक्तियों को भुजायें तैयार करनी है। तब तो दुश्मन से लड़ सकेंगे। अगर अपने में फैथ नहीं, बापदादा का पूरा परिचय नहीं तो न शक्ति सेना बन सकेंगे न वह शक्तिपने के अलंकार आयेंगे। अगर शक्ति अपने में धारण की तो फिर आने वालों को भी पूरा ठिकाना मिलेगा। और वह सब शक्ति सेना में दाखिल हो जायेंगे, तो अपने को सच्चा जेवर बनाने, खामियों सब निकाल स्वच्छ बनना है। सोना कितने किस्म का होता है! कोई 9 कैरेट कोई 12... प्युअर तो प्युअर ही है। कैरेट अक्षर निकल जाना चाहिए। अपने को करेक्ट करना है। अब करेक्शन करने का समय मिला है। यह बात अच्छी रीति ध्यान पर रखना।

धरत परिये धर्म न छोड़िये। कौन-सा धर्म, कौन-सा धरत? मालूम है? एक बार वायदा कर लिया, बापदादा को हाथ दे दिया फिर धर्म को नहीं छोड़ना है। पवित्रता नारी जो होती है वह अपने धर्म में बहुत पक्की रहती है। आप सच्ची-सच्ची सीता, सच्ची लक्ष्मी हो जो महालक्ष्मी बनने वाली हो। उन्हों का लक्ष्य क्या है? अपने लक्ष्य से अगर उतर गये हो तो फिर जम्प मार लक्ष्य पर बैठ जाओ।

बापदादा आप बच्चों की सेवा करने के लिए सेवक बनकर शिक्षा दे रहे हैं। फरमान नहीं करते हैं परन्तु शिक्षा देते हैं। क्योंकि बाप टीचर भी है, सतगुरू भी है। अगर बच्चों को फरमान करे और न माने तो वह भी अच्छा नहीं इसलिए शिक्षा देते हैं।

आज फाउंडेशन पड़ता है। छोटे बच्चों को तो टीका लगाया जाता है, उनको रास्ता बताना होता है, क्या करना है, कैसे बनना है। आप सब को रास्ता तो मिल ही गया है। आप औरों को रास्ता बताने निमित्त बने हो। अगर उस रास्ते में कोई गड़बड़ है, अगर-मगर है तो वह निकालनी है। अब भी नहीं निकलेगी तो आगे के लिए जो शक्तियों को बल मिला है, वह खलास समझो। ऐसा बापदादा को कहाँ-कहाँ दिखाई दे रहा है। तब संगठन में सबके दिलों को एक दिल बनाने, पूरा रास्ता बताने लिए आप को बुलाया है। आप सबको खुशी होगी। छोटे-छोटे बच्चों को कहाँ फंक्शन आदि पर ले जाना होता है तो बहुत खुशी होती है ना। वहाँ जायेंगे, नया कपड़ा पहनेंगे। आप सबको नया कपड़ा श्रृंगार आदि कौन-सा करना है? एक तरफ सेवक भी बनना है। सेवक अर्थात् पतित आत्माओं का उद्धार करना। उस सेवा को कायम रखो। आप सबको आने वाली आत्माओं का कैसे उद्धार करना है? कैसे विघ्नों को हटाना है? तीर में जौहर भरा हुआ होगा तो एक ही बार में पूरा तीर लग जायेगा। उस आत्मा का भी उद्धार हो जायेगा। छोटी-छोटी बच्चियों किसका उद्धार करेंगी। कौन-सा पहाड़ उठाया है? पहाड़ उठाने कौन निमित्त हैं? गोप-गोपिकायें। गोपिका भी तब हो सकती जब पूरा कर्तव्य करे। पहाड़ भी तब उठा सकते जब इतना बल हो। तो इन सब बातों की रोशनी देने लिए बाप को आना पड़ा है।

बाकी टीका तो एक ही बार बापदादा ने लगा दिया है। लाल टीका है या चन्दन का? लाल टीका है सूरत की शोभा। चन्दन है आत्मा की शोभा। तुमको जेवर भी सूरत की शोभा के लिए नहीं पहनने हैं। वस्त्र भी दुनिया को दिखाने लिए नहीं पहनने हैं। परन्तु आन्तरिक अपने को ऐसा श्रृंगारना है, जेवर ऐसा पहनना है जो लोकपसन्द हो वा दिल पसन्द हो। लोक पसन्द है बाहर मुख। दिल पसन्द है अन्तर्मुख। तो अन्तर्मुख होकर अपने को सजाना है। लोकपसन्द भाषण किया। खुश किया परन्तु भाषा का जो रहस्य, तन्त है वह एक-एक अपनी कर्मेन्द्रियों में बस जाए, तब ही शोभा हो। कर्तव्य से दैवी गुणों का शो हो। दैवी गुणों का क्लास होता है -सजने के लिए। ऐसे ही सज-सज कर संगम से पार होना है। फिर अपने घर जाना है। फिर घर से कहाँ जाना है? ससुरघर। कन्या ससुरघर जाती है अगर पढ़ी लिखी अक्लमंद नहीं होती तो सासु-ससुर कहते हैं इनमें चलने, उठने, बैठने का अक्ल नहीं है। अब तुमको ससुरघर चलना है। तो बाप कदम-कदम को नहीं देखते। परन्तु एक-एक कर्मेन्द्रियों को देखेंगे। कदम अक्षर मोटा है। कदम से पदम मिलता है। वह अपने कल्याण के लिए है। परन्तु कर्मेन्द्रियों को सजाना है। गहना पहनकर चलना है। अब सजने के लिए किसके पास आये हो? बापदादा के घर सो अपने घर आये। सजाने वाले कौन है? जब सगाई होती है तो गहना बनाने वाला एक होता है, पहनाने वाला दूसरा होता है। तो अब सजकर चलना है। समझा। समझू, सयानी टीचर तो हो ही। 15 दिन की रिजल्ट मानो अन्त की रिजल्ट है। इतना पुरुषार्थ कर प्रवीण टीचर सबको बनना है। फिर जब अपना सेन्टर जाकर सम्भालेंगे तो आने वाले को दृष्टि से सतयुगी सृष्टि दिखा सकेंगे। वह तब होगा जब गहने अच्छी रीति पहनेगे। अगर लापरवाही से कोई गहना गिर गया तो नुक- सान भी होगा और सजावट की शोभा भी चली जायेगी। इसलिए न शोभा को हटाना है, न गहनों को उतारना है। बड़ी बात नहीं है। छोटी समझेंगे तो सहज समझ आयेगी। अगर कहेंगे बहुत बड़ा ऊँचा ज्ञान है, तो कोई नहीं आयेगा। कहेंगे 7 दिन में जीवन मुक्ति की प्राप्ति होती है तो लाटरी लेने सब आयेंगे। लाटरी सब डाल देते हैं, फिर लाटरी में किसको कुछ मिल जाता है तो नसीब मानते हैं। चांस है देखे नसीब किसका लगता है। किसको बड़ी लाटरी मिलती है, किसको छोटी। पेपर लास्ट में होगा। 3 नम्बर निकलेंगे। जितना जो पुरुषार्थ करेंगे उतना नम्बर मिलेगा। नसीब को बनाना खुद के हाथ में है। तो अब लाटरी की इन्तजार में नहीं रहना, इन्तजाम करते रहना। तो कैसे योग से एम पूरा होगा। परन्तु निरसंकल्प जो होता है उनको ही सच्चा योगी कहा जाता हैं। उनमें जो लक्ष्य है वह धारण करना है। अच्छा - बहुत कुछ खजाना मिला। अब उसको अपने पास जमा करो। और गऊ मिसल उगारना है। आप सब गायें भी हो। गोपियां भी हो। पहाड़ को कैसे उठाना है। गऊ बन कैसे उगारना है, यह कर्तव्य इस भट्टी में करना है। बहु रूप धारण कर बहु कर्तव्य बजाना है। भट्टी के अन्दर सब अनुभव करना है। जितना पुरुषार्थ करेंगे उतनी रिजल्ट निकलेगी। सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त करने का लक्ष्य क्या है? साधन क्या है? उसको जानना है। साधन मिल जायेंगे तो लक्ष्य को पकड़ लेंगे।

रत्नों की भी परख चाहिए ना। पूरी वैल्यु रखनी है। जेवर की वैल्यु जवाहरी ही परख सकेगा। जिनको परख नहीं उनके पास वैल्यु नहीं रहेगी। आप सबकी परख तब होगी जब जेवर पर पालिश हो, चमक हो, तब वैल्यु भी होगी और पहचानने वाले पहचान लेंगे। चमत्कार नहीं होगा तो खरीद कौन करेंगे? समझेंगे पता नहीं सच्चा है वा झूठा जेवर है। पैसा भी देवें, जेवर भी काम का न हो इससे क्या फायदा। तो आप सबकी पूरी सजावट हो जायेगी, तो खरीददार भी निकलेंगे और आप वतनवासी बनते जायेंगे।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- अव्यक्त वतन से बापदादा किसलिए आये है ? बाप को किस बात का फखुर रहता है ?

 

 प्रश्न 2 :- बाबा ने वतन वासी बनने के लिए संपूर्ण अवस्था को प्राप्त करने के लक्ष्य और साधन के बारे में क्या बताये है ?

 

 प्रश्न 3 :- एक ही बार बापदादा ने कौन सा टीका लगा दिया है? उससे अपने को सजाने के लिए बाबा ने क्या समझानी दी है?

 

 प्रश्न 4 :- बाप समान अव्यक्त वतन-वासी बनने के लिए बाबा ने कौन सी समझानी दी है ?

 

 प्रश्न 5 :- पुरुषार्थ कर प्रवीण टीचर सबको बनना है। इस संदर्भ में बाबा ने कौन सी बातें समझायी है।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(कर्तब्य, बल, रौशनी, सेवक, फरमान, शिक्षक, सड़, टालियाँ, बरसात, टीचर, जिज्ञासु, ठिकाना, सफाई, सच्चाई, गहराई)

 

1        'सच्चाई' और ______ अक्षर तो कहते हैं परन्तु ______ और सफाई में भी अन्तर क्या है - उस अर्थ को नहीं समझा है। अब उसकी ______ में जाकर सारा लिखना है।

 

2        टीचर्स अपने _____ का शो निकालते हैं। _____ को जिस रीति परवरिश करेंगे और _____ देंगे, वह टीचर का शो निकलता है।

 

3        बीज तो बीज ही है। वह बीज भल _____ भी जाए तो भी समय पर कुछ न कुछ _____ आदि निकलती रहती हैं। _____ पड़ती है तो निकल आता है।

 

4        बापदादा आप बच्चों की सेवा करने के लिए _____ बनकर शिक्षा दे रहे हैं। _____ नहीं करते हैं परन्तु _____ देते हैं। क्योंकि बाप टीचर भी है, सतगुरू भी है।

 

 5  गोपिका भी तब हो सकती जब पूरा _____ करे। पहाड़ भी तब उठा सकते जब इतना _____ हो। तो इन सब बातों की _____ देने लिए बाप को आना पड़ा है।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

1      :- सेवक अर्थात् पतित आत्माओं का उद्धार करना। उस सेवा को कायम रखो।

 

2      :- तीर में जहर भरा हुआ होगा तो एक ही बार में पूरा तीर लग जायेगा।

 

3      :- आप रास्ते को भूल जायेंगे तो फिर रास्ता कैसे बतायेंगे।

 

4      :- अब पढ़ाई का समय और साथ-साथ इम्तहान देने का भी समय है।

 

 5   :- अपने को सच्चा जेवर बनाने के लिए सब खामियां निकाल स्वच्छ बनना है।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- अव्यक्त वतन से बापदादा किसलिए आये है ? बाप को किस बात का फखुर रहता है ?

   उत्तर 1 :- बापदादा कहते है :-

          ..❶ अव्यक्त वतन से बापदादा बच्चों की सर्विस करने और साफ बनाने लिए आये हैं। बाप सेवा करते हैं। आप सब बच्चों का शुरू से लेकर अन्त तक बाप सेवक है। सेवा करने लिए सदैव तैयार है।

          ..❷ अन्त मती सो गति। समय नहीं है। समय बहुत नजदीक आने वाला है। आप शेरनी शक्तियों को भुजायें तैयार करनी है। तब तो दुश्मन से लड़ सकेंगे।

          ..❸ अगर अपने में फैथ नहीं, बापदादा का पूरा परिचय नहीं तो न शक्ति सेना बन सकेंगे न वह शक्तिपने के अलंकार आयेंगे। अगर शक्ति अपने में धारण की तो फिर आने वालों को भी पूरा ठिकाना मिलेगा। और वह सब शक्ति सेना में दाखिल हो जायेंगे, तो अपने को सच्चा जेवर बनाने के लिए सब खामियाँ निकाल स्वच्छ बनना है।

     बाप को कितना फखुर रहता है :-

          ..❶ हमारे बच्चे सिरमोर हैं, आँखों के सितारे हैं। जिन्हों के लिए स्वर्ग स्थापन हो रहा है। उस स्वर्ग के वासी बनाने के लिए तैयार कर रहे हैं।

          ..❷ धरत परिये धर्म न छोड़िये। कौन-सा धर्म, कौन-सा धरत? मालूम है? एक बार वायदा कर लिया, बापदादा को हाथ दे दिया फिर धर्म को नहीं छोड़ना है।

          ..❸ पतिव्रता नारी जो होती है वह अपने धर्म में बहुत पक्की रहती है। आप सच्ची-सच्ची सीता, सच्ची लक्ष्मी हो जो महालक्ष्मी बनने वाली हो।

 

 प्रश्न 2 :- बाबा ने वतन वासी बनने के लिए संपूर्ण अवस्था को प्राप्त करने के लक्ष्य और साधन के बारे में क्या बताये है ?

   उत्तर 2 :- बाबा कहते है सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त करने का लक्ष्य क्या है? साधन क्या है? उसको जानना है। साधन मिल जायेंगे तो लक्ष्य को पकड़ लेंगे।

          ..❶ बहुत कुछ खजाना मिला। अब उसको अपने पास जमा करो। और गऊ मिसल उगारना है।

          ..❷ आप सब गायें भी हो। गोपियां भी हो। पहाड़ को कैसे उठाना है। गऊ बन कैसे उगारना है, यह कर्तव्य इस भट्टी में करना है।

          ..❸ बहु रूप धारण कर बहु कर्तव्य बजाना है। भट्टी के अन्दर सब अनुभव करना है। जितना पुरुषार्थ करेंगे उतनी रिजल्ट निकलेगी।

          ..❹ रत्नों की भी परख चाहिए ना। पूरी वैल्यु रखनी है। जेवर की वैल्यु जवाहरी ही परख सकेगा। जिनको परख नहीं उनके पास वैल्यु नहीं रहेगी। आप सबकी परख तब होगी जब जेवर पर पालिश हो, चमक हो, तब वैल्यु भी होगी और पहचानने वाले पहचान लेंगे। चमत्कार नहीं होगा तो खरीद कौन करेंगे? समझेंगे पता नहीं सच्चा है वा झूठा जेवर है। पैसा भी देवें, जेवर भी काम का न हो इससे क्या फायदा। तो आप सबकी पूरी सजावट हो जायेगी, तो खरीददार भी निकलेंगे और आप वतनवासी बनते जायेंगे।

 

 प्रश्न 3 :- एक ही बार बापदादा ने कौन सा टीका लगा दिया है? उससे अपने को सजाने के लिए बाबा ने क्या समझानी दी है?

   उत्तर 3 :- टीका तो एक ही बार बापदादा ने लगा दिया है। लाल टीका है या चन्दन का? लाल टीका है सूरत की शोभा। चन्दन है आत्मा की शोभा।

बाबा समझानी देते है -

          ..❶ तुमको जेवर भी सूरत की शोभा के लिए नहीं पहनने हैं। वस्त्र भी दुनिया को दिखाने लिए नहीं पहनने हैं।

          ..❷ परन्तु आन्तरिक अपने को ऐसा श्रृंगारना है, जेवर ऐसा पहनना है जो लोकपसन्द हो वा दिल पसन्द हो। लोक पसन्द है बाहर मुख। दिल पसन्द है अन्तर्मुख। तो अन्तर्मुख होकर अपने को सजाना है।     

          ..❸ लोकपसन्द भाषण किया। खुश किया परन्तु भाषा का जो रहस्य, तन्त है वह एक-एक अपनी कर्मेन्द्रियों में बस जाए, तब ही शोभा हो। कर्तव्य से दैवी गुणों का शो हो। दैवी गुणों का क्लास होता है -सजने के लिए। ऐसे ही सज-सज कर संगम से पार होना है। फिर अपने घर जाना है।

          ..❹ फिर घर से कहाँ जाना है? ससुरघर। कन्या ससुरघर जाती है अगर पढ़ी लिखी अक्लमंद नहीं होती तो सासु-ससुर कहते हैं इनमें चलने, उठने, बैठने का अक्ल नहीं है। अब तुमको ससुरघर चलना है।  

          ..❺ तो बाप कदम-कदम को नहीं देखते। परन्तु एक-एक कर्मेन्द्रियों को देखेंगे। कदम अक्षर मोटा है। कदम से पदम मिलता है। वह अपने कल्याण के लिए है। परन्तु कर्मेन्द्रियों को सजाना है। गहना पहनकर चलना है।

 

 प्रश्न 4 :- बाप समान अव्यक्त वतन-वासी बनने के लिए बाबा ने कौन सी समझानी दी है ?

   उत्तर 4 :- बाप समान अव्यक्त वतन-वासी बनने के लिए बाबा ने समझानी इस प्रकार दी है कि :-

          ..❶ टीचर्स को युक्तियुक्त बोलना चाहिए। छोटे बच्चे तो नहीं हो ना। छोटे बच्चों को पहले से सिखलाया जाता है। आप तो सीखकर इतनी परवरिश लेकर यही इम्तहान देने आये हो। पढेंगे भी साथ में, इम्तहान भी देंगे। दोनों कार्य इक्ट्ठे चलेगें।

          ..❷ बाप अव्यक्त वतन वासी बना तो आप सबको भी अव्यक्त-वतन वासी बनना है। वह किस सृष्टि पर खड़े होकर अव्यक्त बने? आपको कहाँ बनना है? (साकार सृष्टि में तो सृष्टि है।)

          ..❸ सृष्टि तो आलराउन्ड गोल है। सृष्टि में सारा झाड़ समाया हुआ है। परन्तु सृष्टि का ठिकाना संगम है। संगम की बलिहारी है, जिसने आप सबको यहाँ पहुँचाया।

          ..❹ आप अपने ठिकाने को भूल जायेंगे तो फिर क्या होगा? ठिकाना देने वाला ही भूल जायेगा। ठिकाना पक्का याद करो। और बापदादा की जो पढ़ाई मिली है उनको धारण करो। धारणा से धैर्यवत, अन्तर्मुख होंगे।

 

 प्रश्न 5 :- पुरुषार्थ कर प्रवीण टीचर सबको बनना है। इस संदर्भ में बाबा ने कौन सी बातें समझायी है।

   उत्तर 5 :- पुरुषार्थ कर प्रवीण टीचर सबको बनना है। इस संदर्भ में बाबा ने समझानी दी है :-

          ..❶ समझू, सयानी टीचर तो हो ही। 15 दिन की रिजल्ट मानो अन्त की रिजल्ट है। इतना पुरुषार्थ कर प्रवीण टीचर सबको बनना है।

          ..❷ फिर जब अपना सेन्टर जाकर सम्भालेंगे तो आने वाले को दृष्टि से सतयुगी सृष्टि दिखा सकेंगे। वह तब होगा जब गहने अच्छी रीति पहनेगे।

          ..❸ अगर लापरवाही से कोई गहना गिर गया तो नुकसान भी होगा और सजावट की शोभा भी चली जायेगी। इसलिए न शोभा को हटाना है, न गहनों को उतारना है।

          ..❹ बड़ी बात नहीं है। छोटी समझेंगे तो सहज समझ आयेगी। अगर कहेंगे बहुत बड़ा ऊँचा ज्ञान है, तो कोई नहीं आयेगा। कहेंगे 7 दिन में जीवन मुक्ति की प्राप्ति होती है तो लाटरी लेने सब आयेंगे। लाटरी सब डाल देते हैं, फिर लाटरी में किसको कुछ मिल जाता है तो नसीब मानते हैं। चांस है देखे नसीब किसका लगता है। किसको बड़ी लाटरी मिलती है, किसको छोटी।

           ..❺ पेपर लास्ट में होगा। 3 नम्बर निकलेंगे। जितना जो पुरुषार्थ करेंगे उतना नम्बर मिलेगा। नसीब को बनाना खुद के हाथ में है। तो अब लाटरी की इन्तजार में नहीं रहना, इन्तजाम करते रहना।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(कर्तब्य, बल, रौशनी, सेवक, फरमान, शिक्षक, सड़, टालियाँ, बरसात, टीचर, जिज्ञासु, ठिकाना, सफाई, सच्चाई, गहराई)

 

1        'सच्चाई' और ______ अक्षर तो कहते हैं परन्तु ______ और सफाई में भी अन्तर क्या है - उस अर्थ को नहीं समझा है। अब उसकी ______ में जाकर सारा लिखना है।

सफाई / सच्चाई / गहराई

 

 2  टीचर्स अपने _____ का शो निकालते हैं। _____ को जिस रीति परवरिश करेंगे और _____ देंगे, वह टीचर का शो निकलता है।

टीचर / जिज्ञासु / ठिकाना

 

3  बीज तो बीज ही है वह बीज भल _____ भी जाए तो भी समय पर कुछ कुछ _____ आदि निकलती रहती हैं_____ पड़ती है तो निकल आता है

सड़ / टालियाँ / बरसात

 

 4  बापदादा आप बच्चों की सेवा करने के लिए _____ बनकर शिक्षा दे रहे हैं। _____ नहीं करते हैं परन्तु _____ देते हैं। क्योंकि बाप टीचर भी है, सतगुरू भी है।

 सेवक / फरमान / शिक्षक

 

 5  गोपिका भी तब हो सकती जब पूरा _____ करे। पहाड़ भी तब उठा सकते जब इतना _____ हो। तो इन सब बातों की _____ देने लिए बाप को आना पड़ा है।

कर्तव्य / बल / रौशनी

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

 1  :- सेवक अर्थात् पतित आत्माओं का उद्धार करना। उस सेवा को कायम रखो। 【✔】

 

 2  :- तीर में जहर भरा हुआ होगा तो एक ही बार में पूरा तीर लग जायेगा। 【✖】

  तीर में जौहर भरा हुआ होगा तो एक ही बार में पूरा तीर लग जायेगा।

 

 3  :- आप रास्ते को भूल जायेंगे तो फिर रास्ता कैसे बतायेंगे। 【✖】

  आप बीज को भूल जायेंगे तो फिर रास्ता कैसे बतायेंगे।

 

4  :- अब पढ़ाई का समय और साथ-साथ इम्तहान देने का भी समय है।【✔】

 

 5   :- अपने को सच्चा जेवर बनाने के लिए सब खामियां निकाल स्वच्छ बनना है। 【✔】