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AVYAKT MURLI

13 / 11 / 69

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13-11-69 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन

 

बापदादा की उम्मीदें

अशरीरी होकर फिर शरीर में आने का अभ्यास पक्का होता जाता है। जैसे बापदादा अशरीरी से शरीर में आते है वैसे ही तुम सभी बच्चों को भी अशरीरी होकर के शरीर में आना है। अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर फिर व्यक्त में आना है। ऐसा अभ्यास दिन-प्रतिदिन बढ़ाते चलते हो? बापदादा जब आते है तो किससे मिलने आते है? (आत्माओं से) आत्माएं कौन सी? जो सारे विश्व में श्रेष्ठ आत्माएं है। उन श्रेष्ठ आत्माओं से बापदादा का मिलन होता है। इतना नशा रहता है हम ही सारे विश्व में श्रेष्ठ आत्मायें है। श्रेष्ठ आत्माओं को ही सर्वशक्तिमान के मिलन का सौभाग्य प्राप्त होता है। तो बापदादा भृकुटी के बीच में चमकते हुए सितारे को ही देखते हैं। तुम सितारों को किस-किस नाम से बुलाया जाता है? एक तो लक्की सितारे भी हो और नयनों के सितारे भी और कौनसे सितारे हो? जो कार्य अब बच्चों का रहा हुआ है उस नाम के सितारे को भूल गये हो। जो मेहनत का कार्य है वह भूल गये हो। याद करो अपने कर्तव्य को। बापदादा के उम्मीदों के सितारे। बापदादा के जो गाये हुए हैं वही कार्य अब रहा हुआ है? बापदादा जो उम्मीदें बच्चों से रखते है वह कार्य पूरा किया हुआ है? बापदादा एक-एक सितारे में यही उम्मीद रखते हैं कि एक-एक अनेकों को परिचय देकर लायक बनाये। एक से ही अनेक बनने हैं। यह चेक करो कि हम ऐसे बने हैं। अनेकों को बनाया है? उसमें भी क्वान्टिटी तो बन रहे है। क्वालिटी बनाना है। क्वान्टिटी बनाना सहज है लेकिन क्वालिटी वाले बनाना - यह उम्मीद बापदादा सितारों में रखते हैं। अभी यह कार्य रहा हुआ है। क्वालिटी बनाना है। क्वान्टिटी बनाना यह तो चल रहा है। लेकिन अभी ऐसी क्वालिटी वाली आत्मायें बनाने की सर्विस रही हुई है। क्वालिटी वाली एक आत्मा क्वान्टिटी को आपेही लायेगी। एक क्वालिटी वाला अनेकों को ला सकते है। क्वालिटी, क्वान्टिटी को ला सकती है। अभी यही कार्य जो रहा हुआ है उसको पूरा करना हे। अपनी सर्विस की क्वालिटी से आप खुद सन्तुष्ट रहते हो? क्वान्टिटी को देख खुश तो होते हो लेकिन क्वालिटी को देख सर्विस से सन्तुष्ट होना है। क्वालिटी कैसे लायेंगे? जितनी-जितनी जिसमें डिवाइन क्वालिटी होगी उतना ही क्वालिटी वालों को लायेगी। कई बच्चों को सभी प्रकार की मेहनत बहुत करनी पड़ती है। अपने पुरुषार्थ में भी तो सर्विस में भी। कोई को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है कोई को कम। इस कारण क्या है? कभी उसी को ही मेहनत लगती है कभी फिर उन्हीं को ही सहज लगता है। यह क्यों? धारणा की कमी के कारण मेहनत लगती है? कई कर्तव्यों में तो लोग कह देते हैं कि इनके भाग्य में ही नहीं है। यहाँ तो ऐसे नहीं कहेंगे। किस विशेष कमी के कारण मेहनत लगती है? श्रीमत पर चलना है। फिर भी क्यों नहीं चल पाते? कोई भी कार्य में चाहे पुरुषार्थ, चाहे सर्विस में मेहनत लगने का कारण यह है कि बातें तो सभी बुद्धि में हैं लेकिन इन बातों की महीनता में नहीं जाते। महीन बुद्धि को कभी मेहनत नहीं लगती। मोटी बुद्धि कारण बहुत मेहनत लगती है। श्रीमत पर चलने के लिए भी महीन बुद्धि चाहिए। महीनता में जाने का अभ्यास करना है। दूसरे शब्दों में यह कहेंगे कि जो सुना है वह करना है अर्थात् उसकी महीनता में जाना है। जैसे दही को बिलोरकर महीन करते हैं तब उसमें मक्खन निकलता है। तो यह भी महीनता में जाने की बात है। महीनता की कमी के कारण मेहनत होती है। महीनता में जाने की बजाए उस बात को मोटे रूप में देखते हैं। सर्विस के समय भी महीन बुद्धि हो, ज्ञान की महीनता में जाकर उसको सुनायें और उसज्ञा न की महीनता में ले जाये तो उनको भी मेहनत कम लगे। और अपने को भी कम लगे। इस महीनता की ही कमी है। अब यही पुरुषार्थ करना है।

शारीरिक शक्ति भी कब आती है? जब भोजन महीन रूप से खाओ, तो उस भोजन की शक्ति बनती है। भोजन का महीन रूप क्या बनता है? खून। जब खून बन जाता है तब शक्ति आ जाती है। तो अब सिर्फ बाहर के, ऊपर के रूप को न देखते हुए अन्दर जाने की कोशिश करो।

 

जितना हर बात में अन्दर जायेंगे, तब रत्न देखने में आयेंगे। और हर एक बात की वैल्यूका पता पड़ेगा। जितना ज्ञान की वैल्यू, सर्विस की वैल्यू का मालूम होगा उतना आप वैल्यूबल रत्न बनेंगे। ज्ञान रत्नों की वैल्यू कम करते हो तो खुद भी वैल्यूबल नहीं बन सकते। एक-एक रत्न की वैल्यू को परखने की कोशिश करो। आप बापदादा के वैल्यूबल रत्न हो ना! वैल्यूबल रत्न को क्या किया जाता हे? (छिपाकर रखना होता है) बापदादा के जो वैल्यूबल रत्न हैं उन्हो को बापदादा छिपाकर रखते हैं। माया से छिपाते हैं। माया से छिपाकर फिर कहाँ रखते हैं? जितना-जितना जो अमूल्य रत्न होंगे उतना-उतना बापदादा के दिल तख्त पर निवास करेंगे। जब दिल तख्तनशीन बनेंगे तब राज्य के तख्तनशीन बनेंगे। तो संगमयुग का कौन सा तख्त है? तख्त है वा बेगर हो? संगमयुग पर कौनसा तख्त मिलता है। बापदादा के दिल का तख्त। यह सारे जहान के तख्तों से श्रेष्ठ है। कितना भी बड़ा तख्त सतयुग में मिले लेकिन इस तख्त के आगे वह क्या है? इस तख्त पर रहने से माया कुछ नहीं कर सकती। इस पर उतरना चढ़ना नहीं पड़ेगा। इस पर रहने से माया के सर्व बन्धनों से मुक्त रहेंगे।

अच्छा !!!

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- अशरीरी अवस्था के पुरुषार्थ को पक्का करने के लिये हमें कौन से अभ्यास को बढ़ाते जाना है?

 

 प्रश्न 2 :- बापदादा बच्चों की भृकुटी के बीच में क्या देखते हैं तथा उन को किस नाम से बुलाया जाता है?

 

 प्रश्न 3 :- बापदादा एक-एक सितारे में कौनसी उम्मीद रखते हैं?

 

 प्रश्न 4 :- कई बच्चों को सभी प्रकार की मेहनत बहुत करनी पड़ती है। अपने पुरुषार्थ में भी तो सर्विस में भी। कोई को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है कोई को कम। इस का कारण क्या है?

 

 प्रश्न 5 :- संगमयुग पर कौन सा तख्त मिलता है?

 

       FILL IN THE BLANKS:-

 

(बिलो, मक्खन, महीनता, बुद्धि, सुनायें, ज्ञान, मेहनत, कमी पुरुषार्थ, शक्ति, भोजन, रुप, बात, अन्दर, रत्न)

 

1         जैसे दही को ____ कर महीन करते हैं तब उसमें ____ निकलता है। तो यह भी ____ में जाने की बात है।

 

2         सर्विस के समय भी महीन ____ हो, ज्ञान की महीनता में जाकर उसको ____ और उस ____ की महीनता में ले जाये।

 

3         उनको भी ____ कम लगे। और अपने को भी कम लगे। इस महीनता की ही ____ है। अब यही ____ करना है।

 

4         शारीरिक ____ भी कब आती है? जब ____ महीन रूप से खाओ, तो उस भोजन की शक्ति बनती है। भोजन का महीन ____ क्या बनता है? खून।

 

5         जितना हर ____ में ____ जायेंगे, तब ____ देखने में आयेंगे।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

1      :- श्रेष्ठ आत्माओं को ही सर्वशक्तिमान के मिलन का दुर्भाग्य प्राप्त होता है।

 

2      :- क्वान्टिटी को देख खुश तो होते हो लेकिन क्वालिटी को देख सर्विस से असन्तुष्ट होना है।

 

3      :- ज्ञान रत्नों की वैल्यू कम करते हो तो खुद भी वैल्यूबल बन सकते।

 

4      :- बापदादा के जो वैल्यूबल रत्न हैं उन्हो को बापदादा सामने रखते हैं।

 

 5   :- जब दिल तख्तनशीन बनेंगे तब नरक के तख्तनशीन बनेंगे।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- अशरीरी अवस्था के पुरुषार्थ को पक्का करने के लिये हमें कौन से अभ्यास को बढ़ाते जाना है?

 उत्तर 1 :-✎.. बाबा कहते हैं कि...

          ✎..❶ अशरीरी हो कर फिर शरीर में आने का अभ्यास पक्का करो।

          ✎..❷ जैसे बापदादा अशरीरी से शरीर में आते है वैसे ही तुम सभी बच्चों को भी अशरीरी होकर के शरीर में आना है।

          ✎..❸ अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर फिर व्यक्त में आना है। ऐसा अभ्यास दिन-प्रतिदिन बढ़ाते चलते रहो।

 

 प्रश्न 2 :- बापदादा बच्चों की भृकुटी के बीच में क्या देखते हैं तथा उनको किस नाम से बुलाते है?

 उतर 2 :-✎.. बापदादा बच्चों की भृकुटी के बीच में चमकते हुए सितारे को देखते हैं।

 उनको निम्न नाम से पुकारते हैं जैसे :-

          ✎..❶ एक तो लक्की सितारा

          ✎..❷ नयनों के सितारे

          ✎..❸ बापदादा के उम्मीदों के सितारे

 

 प्रश्न 3 :- बापदादा एक-एक सितारे में कौनसी उम्मीद रखते हैं?

 उत्तर 3 :-✎.. बापदादा एक-एक सितारे में यही उम्मीद रखते हैं कि...

          ✎..❶ एक-एक अनेकों को परिचय देकर लायक बनाये। एक से ही अनेक बनने हैं।

          ✎..❷ यह चेक करो कि हम ऐसे बने हैं। अनेकों को बनाया है? उसमें भी क्वान्टिटी तो बन रहे है। क्वालिटी बनाना है।

          ✎..❸ क्वान्टिटी बनाना सहज है लेकिन क्वालिटी वाले बनाना - यह उम्मीद बापदादा सितारों में रखते हैं। अभी यह कार्य रहा हुआ है। क्वालिटी बनाना है।

          ✎..❹ क्वान्टिटी बनाना यह तो चल रहा है। लेकिन अभी ऐसी क्वालिटी वाली आत्मायें बनाने की सर्विस रही हुई है।

          ✎..❺ क्वालिटी वाली एक आत्मा क्वान्टिटी को आपे ही लायेगी। एक क्वालिटी वाला अनेकों को ला सकते है।

          ✎..❻ क्वालिटी, क्वान्टिटी को ला सकती है। अभी यही कार्य जो रहा हुआ है उसको पूरा करना है।

 

 प्रश्न 4 :- पुरुषार्थ और सर्विस में बच्चो के मेहनत करने के संबंध में बापदादा ने क्या बताया है?

 उत्तर 4 :-✎.. बापदादा कहते हैं कि...

          ✎..❶ धारणा की कमी के कारण मेहनत लगती है। श्रीमत पर चलना है। फिर भी क्यों नहीं चल पाते?

          ✎..❷ कोई भी कार्य में चाहे पुरुषार्थ, चाहे सर्विस में मेहनत लगने का कारण यह है कि बातें तो सभी बुद्धि में हैं लेकिन इन बातों की महीनता में नहीं जाते। महीन बुद्धि को कभी मेहनत नहीं लगती।

          ✎..❸ मोटी बुद्धि कारण बहुत मेहनत लगती है। श्रीमत पर चलने के लिए भी महीन बुद्धि चाहिए। महीनता में जाने का अभ्यास करना है।

          ✎..❹ दूसरे शब्दों में यह कहेंगे कि जो सुना है वह करना है अर्थात् उसकी महीनता में जाना है।

 

 प्रश्न 5 :- संगमयुग पर कौन सा तख्त मिलता है?

 उत्तर 5 :-✎.. बापदादा कहते हैं कि...

          ✎..❶ संगमयुग पर बापदादा के दिल का तख्त मिलता है।  यह सारे जहान के तख्तों से श्रेष्ठ है।

          ✎..❷ *कितना भी बड़ा तख्त सतयुग में मिले लेकिन इस तख्त के आगे वह क्या है? इस तख्त पर रहने से माया कुछ नहीं कर सकती।

          ✎..❸ इस पर उतरना चढ़ना नहीं पड़ेगा। इस पर रहने से माया के सर्व बन्धनों से मुक्त रहेंगे।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(बिलो, मक्खन, महीनता, बुद्धि, सुनायें, ज्ञान, मेहनत, कमी पुरुषार्थ, शक्ति, भोजन, रुप, बात, अन्दर, रत्न)

 

 1   जैसे दही को ____ कर महीन करते हैं तब उसमें ____ निकलता है। तो यह भी ____ में जाने की बात है।

✎..    बिलो / मक्खन / महीनता

 

 2  सर्विस के समय भी महीन ____ हो, ज्ञान की महीनता में जाकर उसको ____ और उस ____ की महीनता में ले जाये।

✎..    बुद्धि / सुनायें / ज्ञान

 

 3  उनको भी ____ कम लगे। और अपने को भी कम लगे। इस महीनता की ही ____ है। अब यही ____ करना है।

✎..    मेहनत / कमी / पुरुषार्थ

 

 4  शारीरिक ____ भी कब आती है? जब ____ महीन रूप से खाओ, तो उस भोजन की शक्ति बनती है। भोजन का महीन ____ क्या बनता है? खून।

✎..    शक्ति / भोजन / रुप

 

 5  जितना हर ____ में ____ जायेंगे, तब ____ देखने में आयेंगे।

✎..    बात / अन्दर / रत्न

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

 1  :- श्रेष्ठ आत्माओं को ही सर्वशक्तिमान के मिलन का दुर्भाग्य प्राप्त होता है। 【✖】

✎.. श्रेष्ठ आत्माओं को ही सर्वशक्तिमान के मिलन का *सौभाग्य* प्राप्त होता है।

 

 2  :- क्वान्टिटी को देख खुश तो होते हो लेकिन क्वालिटी को देख सर्विस से असन्तुष्ट होना है। 【✖】

✎.. क्वान्टिटी को देख खुश तो होते हो लेकिन क्वालिटी को देख सर्विस से सन्तुष्ट होना है।

 

 3  :- ज्ञान रत्नों की वैल्यू कम करते हो तो खुद भी वैल्यूबल नहीं बन सकते। 【✔】

 

 4  :- बापदादा के जो वैल्यूबल रत्न हैं उन्हो को बापदादा सामने रखते हैं। 【✖】

✎..  बापदादा के जो वैल्यूबल रत्न हैं उन्हो को बापदादा *छिपा* कर रखते हैं।

 

 5   :- जब दिल तख्तनशीन बनेंगे तब राज्य के तख्तनशीन बनेंगे।【✔】