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AVYAKT MURLI
06 / 12 / 69
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06-12-69 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“सरल स्वभाव से बुद्धि को विशाल और दूरांदेशी बनाओ”
आज की सभा में कौनसी विशेष खुशबू भी है और विशेष आकर्षण भी है? स्नेह तो सभी का है ही। आप को किसलिए बुलाया है? ऐसे समझे कि यह जो भी सभी आये हैं वह वापस जाने के लिए तैयार होकर आये हैं। एवररेडी जो होते हैं वह सदैव तैयार ही होते हैं। बुलावा हुआ और एक सेकेण्ड में अपना रहा हुआ सभी कुछ समेट भी सकते और जम्प भी दे सकते। प्रैक्टिकल में देखा भी ना कि ड्रामा के बुलावे पर कितना टाइम लगा? एक तरफ समेटना दूसरे तरफ हाई जम्प देना। यह दोनों सीन देखी - यह ड्रामा में किसलिए हुआ? सिखलाने के लिए। तो ऐसे एवररेडी बनना पड़ेगा। अभी एवररेडी की लाइन चालू हो गई है। इस लाईन के अन्दर किसका भी नम्बर आ सकता है। जो सभी के संकल्प में है वह कभी नहीं होना है। होगा फिर भी अनायास ही। यह ब्राह्मण कुल की रीति-रस्म चालू हो चुकी है। यह रीति-रस्म भी ड्रामा में क्यों बनी हुई है, उसका भी बहुत गुप्त रहस्य है। तो ऐसा पुरुषार्थ पहले से ही कर लो जो फौरन समेट भी सको और जम्प भी के सको। समेटने की शक्ति किसमें हो सकती है? जो सरल स्वभाव वाले होंगे उसमें समेटने की शक्ति सहज आ सकती है। जो सरल स्वभाव वाला होगा वह सभी का सहयोगी भी होगा। जो सभी का स्नेही होता है उनको सभी द्वारा सहयोग प्राप्त होता है। इसलिए सभी बातों का सामना करना वा समेंना सहज ही कर सकता है। और जितना सरल स्वभाव वाले होंगे उतना माया कम सामना करेगी। वह सभी को प्रिय लगता है। सरल स्वभाव वाले का व्यर्थ संकल्प कभी नहीं चलता। समय व्यर्थ नहीं जाता। व्यर्थ संकल्प न चलने के कारण उनकी बुद्धि विशाल और दूरांदेशी रहती है। इसलिए उनके आगे कोई भी समस्या सामना नहीं कर सकती। जितनी सरलता होगी उतनी स्वच्छता भी होगी। स्वच्छता सभी को अपने तरफ आकर्षित करती है। स्वच्छता अर्थात् सच्चाई और सफाई। सच्चाई और सफाई तब होगी जब अपने स्वभाव को सरल बनायेंगे। सरल स्वभाव वाला बहुरूपी भी बन सकता है। कोमल चीज़ को जैसे भी रूप में लाओ आ सकती है। तो अब गोल्ड बने हो लेकिन गोल्ड को अब अग्नि में गलाओ तो मोल्ड भी हो सके। इस कमी के कारण सर्विस की सफलता में कमी पड़ती है। अपने को कैसे मोल्ड करे इसके लिए भट्ठी में आये हो। एक है मोड़ने की शक्ति और दूसरी है ब्रेक लगाने की शक्ति। मोड़ना भी है तो कितने समय में? भल मोड़ना आता भी है लेकिन कहाँ-कहाँ समय बहुत लग जाता है। समय न लगे वह संकल्प करना है। संकल्प किया और सिद्ध हुआ। भट्ठी से ऐसा बनकर के निकलना है जो हर संकल्प हर शब्द सिद्ध हो। वह लोग रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करते हैं लकिन यहाँ योग की रिद्धि-सिद्धि है। याद की रिद्धि-सिद्धि क्या होती है, वह सीखना है। जो सिद्धि को प्राप्त होते है उनके संकल्प, शब्द और हर कर्म सिद्ध होता है। एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं उठेगा। संकल्प वह उठेंगे जो सिद्ध होंगे। सर्विस-एबुल उसको कहा जाता है जिसका एक भी संकल्प बिना सिद्धि के न जाये। अथवा ऐसा कोई संकल्प न उठना चाहिए जो सिद्ध होने वाला न हो। आप के एक-एक संकल्प की वैल्यू है। लेकिन जब अपनी वैल्यू को खुद रखेंगे तब अनेक आत्मायें भी आप रत्नों की वैल्यू को परखेगी। इस भट्ठी से हरेक का चेहरा चैतन्य म्यूज़ियम बनकर निकले। और म्यूज़ियम तो बहुत बनाये लेकिन अब एक-एक को अपने चेहरे को चैतन्य म्यूजियम बनाना है। इस चैतन्य चेहरे के म्यूज़ियम में कितने चित्र है? इस चेहरे के म्यूज़ियम में कौन-कौन से चित्र फिट करेंगे? म्यूज़ियम में पहले चित्रों की फिटिंग करते हैं, बाद में डेकोरेशन होता है फिर उद्घाटन कराना होता है फिर ओपीनियन लेना होता है। तो आप के इस चैतन्य म्यूज़ियम में तीन मुख्य चित्र हैं। भृकुटी, नयन और मुख। इन द्वारा ही आपकी स्मृति, वृत्ति दृष्टि और वाणी का मालूम पड़ता है। जैसे त्रिमूर्ति, लक्ष्मी नारायण और सीढ़ी यह तीन मुख्य चित्र हैं ना। इसमें सारा ज्ञान आ जाता है। वैसे ही इस चेहरे के अन्दर यह चित्र अनादि फिट हैं। इनकी ऐसी डेकोरेशन हो जो दूर से यह चित्र अपने तरफ आकर्षण करे। आकर्षण होने के बिना रह नहीं सकेंगे। आप लोग म्यूज़ियम बनाते हो तो कोशिश करते हो ना कि चित्र ऐसे डेकोरेट हो जो दूर से आकर्षण करे। किसको बुलाना भी न पड़े। वैसे ही आप हरेक को अपना म्यूज़ियम ऐसा तैयार करना है। जो कुछ सुना है उसको गहराई से सोचकर के एक-एक रंग में समा देना है। जिन्होंने जितना गहराई से सुना है उतना अपने चलन में प्रत्यक्ष रूप में लाया है? उन संस्कारों को प्रत्यक्ष करने के लिए एक-एक बात की गहराई में जाओ और अपने एक-एक रग में वह संस्कार समाओ। कोई भी चीज़ को किसमें समाना होता है तो क्या करना होता है? एक तो गहराई में जाना होता है और अन्दर दबाना होता है। कूटना पड़ता है। कूटना अर्थात् हरेक बात को महीन बनाना। इस भट्ठी से संस्कारों को प्रत्यक्ष रूप में लाने की प्रतिज्ञा कर के निकलना है। जितना बाप को प्रत्यक्ष करेंगे उतना खुद को प्रत्यक्ष करेंगे। बाप को प्रत्यक्ष करने से आप की प्रत्यक्षता बाप के साथ ही है। ऐसा बनना और फिर बनाना है। समझा।
इस संगठन में ऐसी शक्ति है जो चाहे वह कर सकते हैं। सिर्फ संकल्प करे तो सृष्टि बदल सकती है। ऐसी शक्तिशाली आत्मायें हैं। लेकिन अब संकल्प कौनसा पावरफुल करना है? उसको फिर से रिफ्रेश करना है।
इस मधुबन के लिए ही गायन है कि कोई ऐसा-वैसा पाँव नहीं रख सकता। मधुबन है सौभाग्य की लकीर। उसके अन्दर और कोई पाँव नहीं रख सकता। आप सभी को बापदादा समझाते हैं कि यह स्नेह की लकीर है जिस स्नेह के घेराव के अन्दर बापदादा निवास करते हैं। इसके अन्दर कोई आ नहीं सकता। चाहे भल अपना शीश भी उतार कर रखे। साकार रूप में स्नेह मिलना कोई छोटी बात नहीं है। उसके लिए तो आगे चलकर जब रोना देखेंगे तब आप लोगों को उसकी वैल्यू का मालूम होगा। रो-रोकर आप के चरणों में गिरेंगे। स्नेह की एक बूँद की प्यासी हो चरणों में गिरेंगे। आप लोगों ने स्नेह के सागर को अपने में समाया है। वह एक बूँद के भी प्यासे रहेंगे। ऐसा सौभाग्य किसका हो सकता है? सर्व सम्बन्धों का सुख, रसना जो आप आत्माओं में भरी हुई है वह और कोई में नहीं हो सकती। तो ड्रामा में अपने इतने ऊँच भाग्य को सदैव सामने रखना। सामने रखने से रिटर्न देना आप ही याद आयेगा।
अच्छा !!!
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- जो सरल स्वभाव वाला होता है उसकी निशानी क्या होती है ?
प्रश्न 2 :-सर्विसएबुल किसको कहा जाता है ?
प्रश्न 3 :- बच्चों के चैतन्य चेहरे के म्यूजियम के डेकोरेशन प्रति बाबा ने क्या समझाया है ?
प्रश्न 4 :- कोई भी चीज़ को किसमें समाना होता है तो क्या करना होता है?
प्रश्न 5 :- बापदादा ने स्नेह की लकीर के लिए क्या समझानी दी है?
FILL IN THE BLANKS:-
(ऊंच, गोल्ड, सिद्धि, जम्प, भट्ठी, अग्नि, बुलावा, योग, सिद्ध, संकल्प, सामने, मोल्ड , याद , एवररेडी, सेकेण्ड )
1 _______ जो होते हैं वह सदैव तैयार ही होते हैं। _____ हुआ और एक _____ में अपना रहा हुआ सभी कुछ समेट भी सकते और _____ भी दे सकते।
2 ड्रामा में अपने इतने _____ भाग्य को सदैव ______ रखना। सामने रखने से रिटर्न देना आप ही ______ आयेगा।
3 अब _____ बने हो लेकिन गोल्ड को अब ______ में गलाओ तो _____ भी हो सके।
4 जो ______ को प्राप्त होते है उनके संकल्प, शब्द और हर कर्म _____ होता है।
5 _____ से ऐसा बनकर के निकलना है जो हर ______ हर शब्द सिद्ध हो। वह लोग रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करते हैं लेकिन यहाँ _____ की रिद्धि-सिद्धि है।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】【✖】
1 :- व्यर्थ संकल्प न चलने के कारण उनकी बुद्धि विशाल और दूरांदेशी रहती है।
2 :- इस मधुबन के लिए ही गायन है कि कोई भी पाँव रख सकता। मधुबन है पत्थर की लकीर।
3 :- सच्चाई और सफाई तब होगी जब अपने स्वभाव को सरल बनायेंगे।
4 :- सर्व सम्बन्धों का सुख, रसना जो आप आत्माओं में भरी हुई है वह और कोई में नहीं हो सकती।
5 :- जितना बाप को प्रत्यक्ष करेंगे उतना खुद को अप्रत्यक्ष करेंगे।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- जो सरल स्वभाव वाला होता है उसकी निशानी क्या होती है ?
उत्तर 1 :- जो सरल स्वभाव वाला होता है उसकी निशानी होती है :-
..❶ जो सरल स्वभाव वाला होता है उसमें समेटने की शक्ति सहज आ सकती है।
..❷ सरल स्वभाव वाला सभी का सहयोगी भी होगा।
..❸ जो सरल स्वभाव वाला होगा सभी का स्नेही होता है उनको सभी द्वारा सहयोग प्राप्त होता है।
..❹ सरल स्वभाव वाला सभी बातों का सामना करना वा समाना सहज ही कर सकता है।
..❺ जितना सरल स्वभाव वाले होंगे उतना माया कम सामना करेगी।
..❻ वह सभी को प्रिय लगता है।
..❼ सरल स्वभाव वाले का व्यर्थ संकल्प कभी नहीं चलता। समय व्यर्थ नहीं जाता।
प्रश्न 2 :-सर्विसएबुल किसको कहा जाता है ?
उत्तर 2 :- सर्विसएबुल उसको कहा जाता है जिसका एक भी संकल्प बिना सिद्धि के न जाये। अथवा ऐसा कोई संकल्प न उठना चाहिए जो सिद्ध होने वाला न हो। आप के एक-एक संकल्प की वैल्यू है।
प्रश्न 3 :- बच्चों के चैतन्य चेहरे के म्यूजियम के डेकोरेशन प्रति बाबा ने क्या समझाया है ?
उत्तर 3 :- बच्चो के चैतन्य चेहरे के म्यूजियम के डेकोरेशन प्रति बाबा ने समझाया है कि -
..❶जिस प्रकार म्यूज़ियम में पहले चित्रों की फिटिंग करते हैं, बाद में डेकोरेशन होता है फिर उद्घाटन कराना होता है फिर ओपीनियन लेना होता है। तो आप हरेक को भी अपना (चैतन्य चेहरे रूपी) म्यूज़ियम ऐसा तैयार करना है। जो कुछ सुना है उसको गहराई से सोचकर के एक-एक रंग में समा देना है।
..❷ आप के इस चैतन्य म्यूज़ियम में तीन मुख्य चित्र हैं। भृकुटी, नयन और मुख। इन द्वारा ही आपकी स्मृति, वृत्ति दृष्टि और वाणी का मालूम पड़ता है । जिस प्रकार त्रिमूर्ति, लक्ष्मी नारायण और सीढ़ी यह तीन मुख्य चित्र में सारा ज्ञान समा जाता है। वैसे ही इस चेहरे के अन्दर यह त्रिमूर्ति चित्र ( भृकुटी से स्मृति स्वरूप की, नयन से दृष्टि और वृत्ति की और मुख से वाणी की) अनादि फिट हैं।
..❸ आप लोग म्यूज़ियम बनाते हो तो कोशिश करते हो ना कि चित्र ऐसे डेकोरेट हो जो दूर से आकर्षण करे। तो आप के चैतन्य चेहरे के म्यूजियम की डेकोरेशन ऐसी हो जो दूर से यह चित्र ( भृकुटी से स्मृति स्वरूप की, नयन से दृष्टि और वृत्ति की और मुख से वाणी की) अपने तरफ आकर्षण करे।
प्रश्न 4 :- कोई भी चीज़ को किसमें समाना होता है तो क्या करना होता है?
उत्तर 4 :- कोई भी चीज को समाना होता है तो इसके लिए एक तो गहराई में जाना होता है और अन्दर दबाना होता है। कूटना पड़ता है। कूटना अर्थात् हरेक बात को महीन बनाना।
प्रश्न 5 :- बापदादा ने स्नेह की लकीर के लिए क्या समझानी दी है?
उत्तर 5 :- बापदादा ने स्नेह की लकीर के लिए समझानी दी है कि :-
..❶ यह स्नेह की लकीर है जिस स्नेह के घेराव के अन्दर बापदादा निवास करते हैं। इसके अन्दर कोई आ नहीं सकता।
..❷ चाहे भल अपना शीश भी उतार कर रखे। साकार रूप में स्नेह मिलना कोई छोटी बात नहीं है। उसके लिए तो आगे चलकर जब रोना देखेंगे तब आप लोगों को उसकी वैल्यू का मालूम होगा। रो-रोकर आप के चरणों में गिरेंगे।
..❸ स्नेह की एक बूँद की प्यासी हो चरणों में गिरेंगे। आप लोगों ने स्नेह के सागर को अपने में समाया है। वह एक बूँद के भी प्यासे रहेंगे। ऐसा सौभाग्य किसका हो सकता है?
FILL IN THE BLANKS:-
(ऊंच, गोल्ड, सिद्धि, जम्प, भट्ठी, अग्नि, बुलावा, योग, सिद्ध, संकल्प, सामने, मोल्ड , याद , एवररेडी, सेकेण्ड )
1 _______ जो होते हैं वह सदैव तैयार ही होते हैं। _____ हुआ और एक _____ में अपना रहा हुआ सभी कुछ समेट भी सकते और _____ भी दे सकते।
एवररेडी / बुलावा/ सेकेण्ड जम्प
2 ड्रामा में अपने इतने _____ भाग्य को सदैव ______ रखना। सामने रखने से रिटर्न देना आप ही ______ आयेगा।
ऊंच / सामने / याद
3 अब _____ बने हो लेकिन गोल्ड को अब ______ में गलाओ तो _____ भी हो सके।
गोल्ड / अग्नि / मोल्ड
4 जो ______ को प्राप्त होते है उनके संकल्प, शब्द और हर कर्म _____ होता है।
सिद्धि / सिद्ध
5 _____ से ऐसा बनकर के निकलना है जो हर ______ हर शब्द सिद्ध हो। वह लोग रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करते हैं लेकिन यहाँ _____ की रिद्धि-सिद्धि है।
भट्ठी / संकल्प / योग
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】【✖】
1 :- व्यर्थ संकल्प न चलने के कारण उनकी बुद्धि विशाल और दूरांदेशी रहती है।【✔】
2 :- इस मधुबन के लिए ही गायन है कि कोई भी पाँव रख सकता। मधुबन है पत्थर की लकीर।【✖】
इस मधुबन के लिए ही गायन है कि कोई ऐसा-वैसा पाँव नहीं रख सकता। मधुबन है सौभाग्य की लकीर।
3 :- सच्चाई और सफाई तब होगी जब अपने स्वभाव को सरल बनायेंगे।【✔】
4 :- सर्व सम्बन्धों का सुख, रसना जो आप आत्माओं में भरी हुई है वह और कोई में नहीं हो सकती।【✔】
5 :- जितना बाप को प्रत्यक्ष करेंगे उतना खुद को अप्रत्यक्ष करेंगे।【✖】
जितना बाप को प्रत्यक्ष करेंगे उतना खुद को प्रत्यक्ष करेंगे।