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AVYAKT MURLI

23 / 03 / 70

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23-03-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन

 

*सच्ची होली मनाना अर्थात् बीती को बीती करना*

 

बापदादा क्या देखते हैं और आप सब क्या देखते हो? देख तो आप भी रहे हो और बापदादा भी देख रहे हैं। लेकिन आप क्या देखते हो और बापदादा क्या देखते हैं? फर्क है वा एक ही है। रूहानी बच्चों को देखते आज विशेष क्या बात देख रहे हैं? हर चलन की विशेषता होती है ना। तो आज मुलाक़ात में विशेष कौन सी बात देख रहे हैं? आज तो विशेष बात देख रहे हैं उसको देख हर्षित हो रहे हैं। बापदादा हरे क के पुरुषार्थ की स्पीड और स्थिति की स्पिरिट देख रहे हैं। जितनी जितनी स्पिरिट होगी उतनी स्पीड भी होगी। तो यह देखकर हर्षा रहे हैं। स्पीड तेज़ होने से सर्विस की सफलता तेज़ होगी। आज होली कैसे मनायी? (सूक्ष्मवतन में मनायी) वतन में भी कैसे मनायी? सिर्फ वतन में मनायी या यहाँ भी मनाई? सिर्फ अव्यक्त रूप से ही मनाई? होली मनाना अर्थात् सदा के लिए आज के दिन बीती सो बीती का पाठ पक्का करना, यही होली मनाना है। आप लोग भी अर्थ सुनाते हो ना। होली अर्थात् जो बात हो गयी, बीत गयी उसको बिलकुल ख़त्म कर देना। बीती को बीती कर आगे बढ़ना यह है होली मनाना अर्थात् होली के अर्थ को जीवन में लाना। हर दिवस पर पुरुषार्थ को बदल देने लिए कोई न कोई बात ऐसे महसूस हो जैसे बहुत पुरानी कोई जन्म की बात है। ऐसी बीती हुयी महसूस हो। जब ऐसी स्थिति हो जाती है तब पुरुषार्थ की स्पीड तेज़ होती है। पुरुषार्थ की स्पीड को ढीला करने वाली मुख्य बात यह होती है बीती हुई बात को चिंतन में लाना। अपनी बीती हुयी बातें या दूसरों की बीती हुयी बातों को चिंतन में लाना और चित्त में भी रखना। एक होता है चित्त में रखना दूसरा होता है चिंतन में लाना। जो चित्त में भी न हो। चिंतन में भी न आये। तीसरी होता है वर्णन करना। तो आज के दिन बापदादा होली मनाने के लिए आये हैं। होली मनाने लिए बुलाया है ना। तो इस रंग को पक्का लगाना यही होली मनाना है। होली के दिन एक तो रंग लगाते हैं और दूसरा क्या करते हैं? एक दिन पहले जलाते हैं दुसरे दिन मनाते हैं। जलाने के बाद मनाना है और मनाने में मिठाई खाते हैं। यहाँ आप कौन सी मिठाई खायेंगे? रंग तो बताया कौन सा लगाना है। अब मिठाई क्यों खाते हैं? जब यह रंग लग जाता है तो फिर मधुरता का गुण स्वतः ही आ जाता है। अपने वा दुसरे की बीती को न देखने से सरल चित्त हो जाते हैं और जो सरलचित्त बनता है उसका प्रत्यक्ष रूप में गुण क्या देखने में आता है? मधुरता। उनके नयनों से मधुरता मुख से मधुरता, और चलन से मधुरता प्रत्यक्ष रूप में देखने में आती है। तो इस रंग से मधुरता आती है इसलिए मिठाई का नियम है। होली पर और क्या करते हैं? (मंगल-मिलन) मंगल मिलन का अर्थ क्या हुआ? यहाँ मंगल मिलन कैसे मनाएंगे? मधुरता आने के बाद मंगल मिलन क्या होता है? संस्कारों का मिलन होता है। भिन्न-भिन्न संस्कारों के कारण ही एक दो से दूर होते हैं, तो जब यह रंग लग जाता है, मधुरता आ जाती है तो फिर कौन सा मिलन होता है? आप लोग सम्मेलन करके आये हो ना। बापदादा ने यह जो भट्ठी बनाई है वह फिर संस्कार मिलन की बनाई है। जब संस्कार मिलन हो, यह सम्मेलनहो तब उस सम्मेलन की प्रत्यक्षता देखने में आएगी। आप लोगों ने सम्मेलन किया और बापदादा संस्कारों का मिलन कर रहे हैं। तो इस मिलन का यादगार यह मंगल मिलन है। बापदादा का बच्चों से मिलन तो है ही लेकिन आपस में सभी से बड़े ते बड़ा मिलाना है संस्कारों का मिलना। जब यह संस्कार मिलन हो जायेगा तब जयजयकार होगी। देवियों का गायन है ना कि वह सभी को सिद्धि प्राप्त कराती हैं। कोई को भी रिद्धि सिद्धि प्राप्त करनी होती है तो कीन्हों से प्राप्त करते हैं? रिद्धि सिद्धि प्राप्त कराने वाली कौन हैं? देवियाँ। जब पुरुषार्थ की विधि सम्पूर्ण हो जाती है तब यह सिद्धि भी प्राप्त होती है। कभी भी सिद्धि को प्राप्त करने के लिए बापदादा के पास नहीं आयेंगे। देवियों के पास जायेंगे। देवियाँ स्वयं सिद्धि प्राप्त की हुई हैं। तब दूसरों को रिद्धि सिद्धि दे सकती हैं। तुम्हारे पुरुषार्थ की सिद्धि तब होगी जब संस्कारों का मिलन होगा। सबसे जास्ती भक्तों की क्यू बड़ी कहाँ लगती हैं? (देवियों के पास) जैसे हनुमान के मंदिर में व् देवियों के मंदिर में ज्यादा भीड़ लगती है। इससे क्या सिद्ध होता है? साकार रूप में भी क्यू कौन देखेगा? प्रत्यक्षता के बाद जो क्यू लगेगी वह कौन देखेंगे? बच्चे ही देखेंगे। बापदादा गुप्त है प्रत्यक्ष रूप में बच्चे ही देखेंगे। तो उसका यादगार प्रत्यक्ष रूप में बड़ी ते बड़ी क्यू भक्तों की, बच्चों के यादगार रूप पर ही लगती है। लेकिन यह क्यू लगेगी कब? जब संस्कार न मिलने का एक शब्द निकल जायेगा तब वह क्यू भी लगेगी। इस भट्ठी में और पढाई नहीं करनी है लेकिन अंतिम सिद्धि का स्वरुप बनकर दिखाना है। यह संगठन संस्कारों को मिलाने के लिए है। कोई भी चीज़ को जब मिलाया जाता है तो क्या करना होता है? संस्कारों को मिलाने के लिए दिलों का मिलन करना पड़ेगा। दिल के मिलन से संस्कार भी मिलेंगे तो संस्कारों को मिलाने के लिए भुलाना, मिटाना और समाना यह तीनों ही बातें करनी पड़ेंगी। कुछ मिटाना पड़ेगा, कुछ भुलाना पड़ेगा, कुछ समाना पाएगा तब यह संस्कार मिल ही जायेंगे। यह है अंतिम सिद्धि का स्वरुप बनना। अब अंतिम स्थिति को समीप लाना है। एक दो की बातों को स्वीकार करना और सत्कार देना। अगर स्वीकार करना और सत्कार देना यह दोनों ही बातें आ जाती हैं तो फिर सम्पूर्णता और सफलता दोनों ही समीप आ जाती हैं। सिर्फ इन दो बातों को ध्यान देना, दोनों ही बातों को समीप लाना है। एक दो को सत्कार देना ही भविष्य का अधिकार लेना है। यह कीन्हों की भट्ठी है, मालूम हैं? इस भट्ठी का नाम क्या है? आप लोगों को तिलक के बजाय और चीज़ देते हैं। औरों को तिलक लगाया। इस भट्ठी को लगानी है चिन्दी। तिलक छोटा होता है, चिन्दी बड़ी होती है। बडेपन की निशानी चिन्दी है। तिलक तो छोटे भी लगाते हैं लेकिन चिन्दी बड़े लगाते हैं। जब से जिम्मेवारी अपने ऊपर रखने की हिम्मत रखते हैं तब से चिन्दी को धारण करते हैं। तो तिलक अच्छा वा चिन्दी अच्छी? आप सभी सर्व के शुभ चिन्तक हो, सर्विसेबुल अर्थात् शुभ चिन्तक। तो इस शुभ चिन्तक की निशानी चिन्दी है और नाम है शुभ चिन्तक ग्रुप। आपके शुभ चिन्तक बन्ने से सभी की चिंताएं मिटती हैं। आप सभी की चिंताओं को मिटानेवाली शुभ चिन्तक हो। और स्लोगन कौन सा है? जैसे वो लोग कहते हैं आत्मा सो परमात्मा वैसे इस ग्रुप का स्लोगन कौन सा है? बालक सो मालिक। यह स्लोगन विशेष इस ग्रुप का है। अब नाम भी मिला, स्लोगन भी मिला, काम भी मिला और इस भट्ठी में क्या करना है? भाषण भी यह करना है कि संस्कार मिलन कैसे हो। इस भट्ठी में कमाल यही करनी है जो एक अनेकों को संस्कारों में आप समान बना सके। सम्पूर्ण संस्कार, अपने संस्कार नहीं। एक अनेकों को सम्पूर्ण संस्कार वाली बना ले तो क्या होगा? समाप्ति। समाप्ति करनेवाला यह ग्रुप है। और फिर स्थापना करने वाला भी यह ग्रुप है। समाप्ति क्या करनी है? पालना क्या करनी है और स्थापना क्या करनी है? यह तीनों ही टॉपिक्स इस भट्ठी में स्पष्ट करनी है। इसलिए त्रिमूर्ति चिन्दी लगा रहे हैं। स्थापना, पलना, समाप्ति अर्थात् विनाश।

क्या-क्या करना है इसको स्पष्ट और सरल रीति जो कि प्रैक्टिकल में आ सके, वर्णन तक नहीं। प्रैक्टिकल में आ सके औरों को भी करा सकें ऐसी बातें स्पष्ट करनी हैं। लेकिन बिंदी रूप बनकर के ही यह तीनों कर्त्तव्य सफल कर सकेंगे। इसलिए आपके इस कर्त्तव्य के यादगार में चिन्दी दे रहे हैं स्मृति भी, स्थिति भी और कर्त्तव्य भी तीनों ही इस यादगार में समाये हुए हैं। विशेष ग्रुप की विशेष बातें होती हैं। आप सभी होली मनाने आये हैं वा इस ग्रुप की सेरेमनी (celebration) देखने? यह भी सौभाग्य समझो की ऐसी श्रेष्ठ आत्माओं के समीप बनने का ड्रामा में पार्ट है। सेरेमनी (celebration) देखना अर्थात् अपने को ऐसा श्रेष्ठ बनाना। यह है सेरेमनी (celebration) ऐसा अपने को बनाओ जो इस ग्रुप के जैसे साकार में समीप आये हो ना, वैसे ही सम्बन्ध में भी समीप हो। देखने वाले भी कम नहीं। देखने वाली आत्माएं भी श्रेष्ठ और समीप है। बापदादा के दिल पसंद रत्न हैं। पहले कौन आएगा? बापदादा तो सभी को एक ही स्पीड में देख रहे हैं। इसलिए वन टू नहीं कह सकते। इस समय सभी वन की याद में नंबर वन ही है।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :-  आज बापदादा रूहानी बच्चों के विशेष क्या बात देख हर्षा रहे हैं?

 

 प्रश्न 2 :-  होली मनाने का अर्थ आज की मुरली द्वारा विस्तार कीजिए।

 

 प्रश्न 3 :-  पुरुषार्थ की स्पीड को ढीला करने वाली मुख्य बात कौन सी होती है?

 

 प्रश्न 4 :-  होली मनाने में मिठाई क्यों खाते हैं?

 

 प्रश्न 5 :-  संस्कारों को मिलाने के संबन्ध आज बाबा के महावाक्य क्या है? अब अंतिम स्थिति को समीप लाने के लिए क्या करना है?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(देवियाँ, पुरुषार्थ, रिद्धि, अनेकों, सिद्धि, भट्ठी, संस्कारों, दूसरों, श्रेष्ठ, सौभाग्य, चिन्दी, जिम्मेवारी, समीप, कमाल, हिम्मत)

 

1         तुम्हारे _____ की _____ तब होगी जब _____ का मिलन होगा।

 

2         _____ स्वयं सिद्धि प्राप्त की हुई हैं। तब _____ को _____ सिद्धि दे सकती हैं।

 

3         इस _____ में _____ यही करनी है जो एक _____ को संस्कारों में आप समान बना सके।

 

4         जब से _____ अपने ऊपर रखने की _____ रखते हैं तब से _____ को धारण करते हैं।

 

 5  यह भी _____ समझो की ऐसी _____ आत्माओं के _____ बनने का ड्रामा में पार्ट है।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

1      :-  कभी भी सिद्धि को प्राप्त करने के लिए देवियों के पास नहीं आयेंगे। बापदादा  के पास जायेंगे।

 

2      :-  एक दो को सत्कार देना ही भविष्य का अधिकार लेना है।

 

3      :-  बापदादा गुप्त है प्रत्यक्ष रूप में बच्चे ही देखेंगे।

 

4      :-  यह संगठन संस्कारों को मिलाने के लिए है।

 

 5   :-  बडेपन की निशानी तिलक है।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :-  आज बापदादा रूहानी बच्चों के विशेष क्या बात देख हर्षा रहे हैं?

 उत्तर 1 :-  आज  बापदादा हरेक के पुरुषार्थ की स्पीड और स्थिति की स्पिरिट देख रहे हैं। जितनी जितनी स्पिरिट होगी उतनी स्पीड भी होगी। तो यह देखकर हर्षा रहे हैं। स्पीड तेज़ होने से सर्विस की सफलता तेज़ होगी।

 

 प्रश्न 2 :- होली मनाने का अर्थ आज की मुरली द्वारा विस्तार कीजिए।

   उत्तर 2 :-  आज की मुरली में बाबा ने होली मनाने का अर्थ ऐसा कहा कि

          ..❶  होली मनाना अर्थात् सदा के लिए आज के दिन बीती सो बीती का पाठ पक्का करना, यही होली मनाना है।

          ..❷  आप लोग भी अर्थ सुनाते हो ना। होली अर्थात् जो बात हो गयी, बीत गयी उसको बिलकुल ख़त्म कर देना।

          ..❸  बीती को बीती कर आगे बढ़ना यह है होली मनाना अर्थात् होली के अर्थ को जीवन में लाना।

 

 प्रश्न 3 :- पुरुषार्थ की स्पीड को ढीला करने वाली मुख्य बात कौन सी होती है?

 उत्तर 3 :-  पुरुषार्थ की स्पीड को ढीला करने वाली मुख्य बात यह होती है

          ..❶  बीती हुई बात को चिंतन में लाना।

          ..❷  अपनी बीती हुयी बातें या दूसरों की बीती हुयी बातों को चिंतन में लाना और चित्त में भी रखना।

          ..❸  एक होता है चित्त में रखना दूसरा होता है चिंतन में लाना। जो चित्त में भी न हो। चिंतन में भी न आये।

          ..❹  तीसरी होता है वर्णन करना।

         

 प्रश्न 4 :- होली मनाने में मिठाई क्यों खाते हैं?

 उत्तर 4 :-  बाबा कहते है अपने वा दुसरे की बीती को न देखने से सरल चित्त हो जाते हैं और जो सरलचित्त बनता है उसका प्रत्यक्ष रूप में गुण क्या देखने में आता है? मधुरता। उनके नयनों से मधुरता मुख से मधुरता, और चलन से मधुरता प्रत्यक्ष रूप में देखने में आती है। तो इस रंग से मधुरता आती है इसलिए मिठाई का नियम है।

 

 प्रश्न 5 :- संस्कारों को मिलाने के संबन्ध आज बाबा के महावाक्य क्या है? अब अंतिम स्थिति को समीप लाने के लिए क्या करना है?

 उत्तर 5 :-  संस्कारों को मिलाने के संबन्ध आज बाबा के महावाक्य निम्न है -

          ..❶  संस्कारों को मिलाने के लिए दिलों का मिलन करना पड़ेगा।

          ..❷  दिल के मिलन से संस्कार भी मिलेंगे तो संस्कारों को मिलाने के लिए भुलाना, मिटाना और समाना यह तीनों ही बातें करनी पड़ेंगी।

          ..❸  कुछ मिटाना पड़ेगा, कुछ भुलाना पड़ेगा, कुछ समाना पाएगा तब यह संस्कार मिल ही जायेंगे। यह है अंतिम सिद्धि का स्वरुप बनना।

     बाबा कहते है कि अब अंतिम स्थिति को समीप लाना है। एक दो की बातों को स्वीकार करना और सत्कार देना। अगर स्वीकार करना और सत्कार देना यह दोनों ही बातें आ जाती हैं तो फिर सम्पूर्णता और सफलता दोनों ही समीप आ जाती हैं। सिर्फ इन दो बातों को ध्यान देना, दोनों ही बातों को समीप लाना है।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(देवियाँ, पुरुषार्थ, रिद्धि, अनेकों, सिद्धि, भट्ठी, संस्कारों, दूसरों, श्रेष्ठ, सौभाग्य, चिन्दी, जिम्मेवारी, समीप, कमाल, हिम्मत)

 

 1  तुम्हारे _____ की _____ तब होगी जब _____ का मिलन होगा।

    पुरुषार्थ / सिद्धि / संस्कारों

 

 2  _____ स्वयं सिद्धि प्राप्त की हुई हैं। तब _____ को _____ सिद्धि दे सकती हैं।

   देवियाँ / दूसरों / रिद्धि

 

 3  इस _____ में _____ यही करनी है जो एक _____ को संस्कारों में आप समान बना सके।

   भट्ठी / कमाल / अनेकों

 

 4  जब से _____ अपने ऊपर रखने की _____ रखते हैं तब से _____ को धारण करते हैं।

    जिम्मेवारी / हिम्मत / चिन्दी

 

 5  यह भी _____ समझो की ऐसी _____ आत्माओं के _____ बनने का ड्रामा में पार्ट है।

   सौभाग्य / श्रेष्ठ / समीप

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

 1  :-  कभी भी सिद्धि को प्राप्त करने के लिए देवियों के पास नहीं आयेंगे। बापदादा  के पास जायेंगे।

 कभी भी सिद्धि को प्राप्त करने के लिए बापदादा के पास नहीं आयेंगे। देवियों के पास जायेंगे।

 

 2  :-  एक दो को सत्कार देना ही भविष्य का अधिकार लेना है।

 

 3  :-  बापदादा गुप्त है प्रत्यक्ष रूप में बच्चे ही देखेंगे।

 

 4  :-  यह संगठन संस्कारों को मिलाने के लिए है।

 

 5   :-  बडेपन की निशानी तलवार है।

          बडेपन की निशानी चिन्दी है।