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AVYAKT MURLI

28 / 05 / 70

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28-05-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन

हाई-जम्प देने के लिए हल्का बनो

कौन-सा समर्पण है? समर्पण समारोह तो नहीं है ना। इस समारोह का नाम कबो है? यह है इन्हों का अपने जीवन का फ़ैसला करने का समारोह। फ़ैसला किया नहीं है, करने का है। अभी एग्रीमेन्ट करनी होगी फिर होगी इंगेजमेट। उसके बाद फिर सम्पूर्ण होने का समारोह होगा। अभी यहाँ पहली स्टेज पर आई हो। अभी एग्रीमेन्ट करनी है इसलिये सभी आये हैं ना। जीवन का फ़ैसला करने आई हो वा नहीं? बापदादा भी हरेक का साहस देख रहे हैं। अब कोई बात का साहस रखा जाता है तो साहस के साथ और क्कुह भी करना पड़ता है कई बातें सामना करने लिए आती है। साहस रखा और माया का सामना करना शुरू हो जाता है। इसलिए सामना करने के लिए हिम्मत भी पहले से ही अपने में रखनी है। यह सभी सामना करने के लिए तैयार हैं? कोई भी परीक्षा किसभी रूप में आये, परीक्षा को पास करने के लिए अगर हाई जम्प देने का अभ्यास होगा तो कोई भी परीक्षा को पास कर लेंगे। तो यह हाई जम्प लगाने वाला का ग्रुप है। जो समझते हैं हम हाई जम्प देने वाले हैं वह हाथ उठायें। यह तो सभी साहस रखने में नम्बरवन हैं। इन्हों को बताना हाई जम्प किसको कहा जाता है, उसका पहला लक्षण कौन सा है? उसको अन्दर बाहर हल्कापन महसूस होगा। एक है अन्दर अपनी अवस्था का हल्कापन। दूसरा है बाहर का हल्कापन। बाहर में सभी कनेक्शन में आना पड़ता है। एक दो के सम्बन्ध-सम्पर्क में आना होता है, तो अन्दर भी हल्कापन, बाहर भी हल्कापन। हल्कापन होगा तो हाई जम्प दे सकेंगे। इस ग्रुप को ऐसा हल्का बनाना जो वहाँ भी जाये तो हिल मिल जाये। इतना साहस है? अगर इतनी सभी कुमारियाँ समर्पण हो जाये तो क्या हो जायेगा?

इस भट्ठी से ऐसा होकर निकलना है जो जैसा भी कोई हो, जहाँ भी हो, जैसी भी परिस्थिति हो उन सभी का सामना का सकें। क्योंकि समस्याओं को मिटाने वाले बनकर निकलना है। न कि खुद समस्या बन जाना है। कोई तो समस्याओं को मिटाने वाले होते हैं कोई फिर खुद ही समस्या बन जाते हैं। तो खुद समस्या न बनना लेकिन समस्याओं को मिटाने वाले बनना है। फिर बापदादा इस ग्रुप का नाम क्या रखेंगे? कर्म करने के पहले नाम रखते है इसलिए कि जैसा नाम वैसा काम कर दिखायेंगे। इतने उम्मीदवार हो ना। कहते हैं ना बड़े तो बड़े छोटे बाप समान... यह ग्रुप भी बहुत लाडला है। उम्मीदवार है। साहस के कारण ही बापदादा इस ग्रुप का नाम रखते हैं - शूर-वीर ग्रुप। जैसा नाम है वैसा ही सदैव हर कार्य शूरवीर समान करना। कब कायर नहीं बनना। कमज़ोरी नहीं दिखाना। काली का पूजन देखा है? जैसे का काली दल है ना। वैसे इस सारे ग्रुप को फिर काली दल बनना है। एक-एक काली रूप जब बनेंगी तब समस्याओं का सामना कर सकेंगी। विशेष कुमारियों को शीतला नहीं बनना है, काली बनना है। शीतला भी किस रूप में बनना है वह अर्थ भी तो समझती हो। लेकिन जब सर्विस पर हो, कर्तव्य पर हो तो काली रूप चाहिए। काली रूप होगी तो काली भी किस पर बलि नहीं चढेगी। लेकिन अनेकों को अपने ऊपर बलि चढायेंगी। कोई पर भी स्वयं बलि नहीं चढ़ना। लेकिन उसको अपने ऊपर अर्थात् जिसके ऊपर आप सभी बलि चढ़ी हो उन पर ही सभी को बलि चढ़ाना है। ऐसी काली अगर बन गई तो फिर अनेकों की समस्याओं को हल कर सकेंगी। बहुत कड़ा रूप चाहिए। माया का कोई विघ्न सामने आने का साहस न रख सके। जब कुमारियाँ काली रूप बन जाये तब सर्विस की सफ़लता हो। तो इन सभी कालीपन का लक्षण सुनाना। सदैव एकरस स्थिति रहे और विघ्नों को भी हटा सकें इसके लिए सदैव दो बातें अपने सामने रखनी है। जैसे एक आँख में मुक्ति टूसरी आँख में जीवनमुक्ति रखते हैं। वैसे एक तरफ़ विनाश के नगाड़े सामने रखो और दूसरे तरफ़ अपने राज्य के नज़ारे सामने रखो, दोनों ही साथ में बुद्धि में रखो। विनाश भी, स्थापना भी। नगाड़े भी नज़ारे भी। तब कोई भी विघ्न को सहज पार कर सकेंगी।

जो कार्य कोई ग्रुप ने नहीं किया वह कार्य इस ग्रुप को करके दिखाना है। कमाल करके दिखाना है। सदैव एक दो के स्नेही और सहयोगी भी बनकर चलेंगे तो सफ़लता का सितारा आप सभी के मस्तिष्क पर चमकता हुआ दिखाई पड़ेगा। वहाँ भी स्नेह वा सहयोग देने में कमी नहीं करना। स्नेह और सहयोग दोनों जब आपस में मिलते हैं तो शक्ति की प्राप्ति होती है। जिस शक्ति से फिर सफ़लता प्राप्त होती है। इसलिए इन दोनों बातों का ध्यान रखना, जो आपके जड़ चित्रों का गायन है कि देवियाँ एक नज़र से असुरों का संहार कर देती। वैसे एक सेकेण्ड में कोई भी आसुरी संस्कार का संहार काने वाली संहारकारी मूर्त बनना है। अब यह बात देखना कि जहाँ संहार करना है वहाँ रचना नहीं रच लेना, और जहाँ रचना रचनी है वहाँ संहार नहीं का लेना। जहाँ मास्टर ब्रह्मा बनना है वहाँ मास्टर शंकर नहीं बनना। यह बुद्धि में ज्ञान चाहिए। कहाँ मास्टर ब्रह्मा बनना है, कहाँ मास्टर शंकर बनना है। अगर रचना करने बदली विनाश कर देते तो भी रांग और अगर विनाश के बदली रचना रच लेते तो भी रांग। कहानी सुनी हैं ना जब उल्टा कार्य किया तो तो बिच्छू टिन्डन पैदा हुए। तो यही भी अगर संहार के बजाए उल्टी रचना रच ली तो व्यर्थ संकल्प बिच्छू टिन्डन मिसल बन पड़ेंगे। तो ऐसी रचना नहीं रचना जो स्वयं को भी काटें और दूसरों को भी काटें। ऐसी रचना रचने से सावधान रहना। जिस समय जिस कर्तव्य की आवश्यकता है उस समय वह कर्तव्य करना है। समय चला गया तो फिर सम्पूर्ण बन नहीं सकेंगे। तो इस ग्रुप को बहुत जल्दी-जल्दी एग्रीमेन्ट बाद इंगेजमेन्ट करना है। सेवा केन्द्रों पर सर्विस में लग जाना यह इंगेजमेन्ट होती है फिर सर्विस में सफ़लता पूरी हुई, तो तीसरा समारोह है सम्पूर्ण सम्पन्न बनने का। तीनों समारोह जल्दी का दिखाना है। छोटे जास्ती तेज जा सकते हैं। सिकीलधे, लाडले भी छोटे होते हैं ना। इसलिए इस ग्रुप को प्रैक्टिकल में दिखाना है। हिम्मत है ना। हिम्मत के साथ उल्लास भी रखना है। कभी हार नहीं खाना। लेकिन अपने को हार बनाकर गले में पिरोना है। अगर गले में पिरोये जायेंगे तो फिर कभी हार नहीं खायेंगे। जब हार खाने का मौका आये तो यह याद रखना कि हार खाने वाले नहीं हैं लेकिन बापदादा के गले का हार हैं। छोटे-छोटे कोमल पत्ते जो होते है, उन्हों को चिड़ियाएँ बहुत खाती हैं। क्योंकि कोमल होते हैं तो खाने में मज़ा आता है। इसलिए संभाल रखनी है। जब अपने को एक के आगे अर्पण कर लिया तो और कोई के आगे संकल्प से भी अर्पण नहीं होना है। संकल्प भी बहुत धोखा देता है। जो बहुत प्यारे बच्चे होते हैं तो उनको क्या करते हैं? काला टीका लगा देते है। इसलिए इस ग्रुप को भी टीका लगाना है। जो कोई की भी नज़र न लग सके। तिलक का अर्थ तो समइाते हो, जैसे तिलक मस्तक में टिक जाता है वैसे जो भी बातें निकलीका सभी सदैव स्थिति में स्थित रहे इसका यह तिलक है। यह सभी बात स्थिति में स्थित हो जाये तब राजतिलक मिलेगा। स्थिति कौन सी चाहिए? वह तो समझते हो ना। इस ग्रुप को यह स्लोगन याद रखना है 'सफ़लता हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है' असफ़लता नहीं। सफ़लता का ही श्रंगार करना है। नयनों में भी, मुख से भी, मस्तक से भी सफ़लता का स्वरूप देखने में आये। संकल्प भी सफ़लता का। और दूसरे जो भी कार्य हो उसमें सफ़लता हो। सफ़लता ही जन्मसिद्ध अधिकार हो। यह है इस ग्रुप का स्लोगन। भट्ठी में पड़ने से सभी कुछ बदल जाता है। सबसे छोटी और ही शो करती है। (पूनम बापदादा के आगे बैठी है) जिसमें कोई उम्मीद नहीं होती है वह और ही उम्मीदवार हो दिखलाते हैं। यह कमाल कर दिखायेगी। बाल भवन का एक ही यादगार है। यादगार को हमेशा शो केस में रखा जाता है। तो अपने को सदैव शो केस में रखना है। अगर एक छोटी ने कमाल की तो इस सारे ग्रुप का नाम बाला हो जायेगा।

अब जो स्लोगन बताया का वह करके दिखाना है। छोटों को बड़ा कर्तव्य कर दिखाना है। इनसे सभी से एग्रीमेन्ट लिखवाना कोई भी विघ्न आए, कैसी भी समस्या आये लेकिन और कोई पर भी बलि नहीं चढ़ेंगे। सच्चा पक्का वायदा है ना। जैसे बीज बोने के बाद उसको जल दिया जाता है तब वृक्ष रूप में फलीभूत होता है। इस रीति यह भी जो प्रतिज्ञा करते हैं फिर इसको जल कौन सा देना है? प्रतिज्ञा को पूर्ण करने के लिए संग भी चाहिए और साथ-साथ अपनी हिम्मत भी। संग और हिम्मत दोनों के आधार से पार हो जायेंगे। ऐसा पक्का ठप्पा लगाना जो सिवाए वाया परमधाम, बैकुण्ठ और कहाँ न चली जाएँ। जैसे गवर्नमेन्ट सील लगाती है तो उसको कोई खोल नहीं सकता वैसे आलमाइटी गवर्नमेन्ट की सील हरेक को लगाना है। इस ग्रुप से कोई भी कमज़ोर हुआ तो इन सभी के पत्र आयेगें। समझा।

अच्छा !!!

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- कोई भी परीक्षा किसी भी रूप में आये उसे पास करने के लिए बाबा ने कौन सा अभ्यास बताये है?

 

 प्रश्न 2 :- आसुरी संस्कार का संहार करने वाली संहारकारी मूर्त बनने के लिए बाबा ने कौन सी विधि बतायी है ?

 

 प्रश्न 3 :- जैसा भी कोई हो, जहाँ भी हो, जैसी भी परिस्थिति हो, समस्याओं को मिटाने वाला बनना है - इस विषय पर बाबा ने कौन सी समझानी दी है ?

 

 प्रश्न 4 :- सदैव एकरस स्थिति रहे और विघ्नों को भी हटा सके इसके लिए बाबा ने कौन सी बातें अपने सामने रखने के लिए कही है ?

 

 प्रश्न 5 :- बाबा ने कौन सा एक स्लोगन याद रखने की बात कही है जिससे राजतिलक मिलेगा ?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(हार, शोकेस, यादगार, आलमाइटी, एग्रीमेन्ट, हार, काला, सम्पूर्ण, इंगेजमेंट, संकल्प, उल्लास, अपने, सील, खोल, टीका )

 

1      अभी ______ करनी होगी फिर होगी ______। उसके बाद फिर _____ होने का समारोह होगा।

 

2      हिम्मत के साथ _____ भी रखना है। कभी _____ नहीं खाना। लेकिन अपने को _____ बनाकर गले में पिरोना है।

 

3      ______ को हमेशा _____ में रखा जाता है। तो _____  को सदैव शोकेस में रखना है।

 

4      जैसे गवर्नमेन्ट _____ लगाती है तो उसको कोई _____ नहीं सकता वैसे ______ गवर्नमेन्ट की सील हरेक को लगाना है।

 

 5  ______ भी बहुत धोखा देता है। जो बहुत प्यारे बच्चे होते हैं तो उनको क्या करते हैं? ______ टीका लगा देते है। इसलिए इस ग्रुप को भी _____ लगाना है।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

1      :- जब अपने को सब के आगे अर्पण कर लिया तो और सब के आगे मन से भी अर्पण नही होना है।

 

2      :- प्रतिज्ञा को पूर्ण करने के लिए संग भी चाहिए और साथ-साथ अपनी हिम्मत भी।

 

3      :-  ______ को हमेशा _____ में रखा जाता है। तो _____  को सदैव शोकेस में रखना है।

 

4      :-  अगर रचना करने बदली विनाश कर देते तो भी सही और अगर विनाश के बदली रचना रच लेते तो भी सही।

 

 5 :-  ऐसी रचना नहीं रचना जो स्वयं को भी काटें और दूसरों को भी काटें। ऐसी रचना रचने से सावधान रहना।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- कोई भी परीक्षा किसी भी रूप में आये उसे पास करने के लिए बाबा ने कौन से अभ्यास बताये हैं?

 उत्तर 1 :- कोई भी परीक्षा किसी भी रूप में आये, परीक्षा को पास करने के लिए अगर हाई जम्प देने का अभ्यास होगा तो कोई भी परीक्षा को पास कर लेंगे।

          ..❶ हाई जम्प का पहला लक्षण है - उसको अन्दर बाहर हल्कापन महसूस होगा। एक है अन्दर अपनी अवस्था का हल्कापन।

          ..❷ दूसरा है बाहर का हल्कापन। बाहर में सभी कनेक्शन में आना पड़ता है। एक दो के सम्बन्ध-सम्पर्क में आना होता है, तो अन्दर भी हल्कापन, बाहर भी हल्कापन। हल्कापन होगा तो हाई जम्प दे सकेंगे।

          ..❸ बापदादा भी हरेक का साहस देख रहे हैं। अब कोई बात का साहस रखा जाता है तो साहस के साथ और कुछ भी करना पड़ता है कई बातें सामना करने लिए आती है। साहस रखा और माया का सामना करना शुरू हो जाता है। इसलिए सामना करने के लिए हिम्मत भी पहले से ही अपने में रखनी है।

 

 प्रश्न 2 :- आसुरी संस्कार का संहार करने वाली संहारकारी मूर्त बनने के लिए बाबा ने कौन सी विधि बतायी है ?

 उत्तर 2 :- आसुरी संस्कार का संहार करने वाली संहारी मूर्त बनने के लिए बाबा ने समझानी दी है कि :-

          ..❶ सदैव एक दो के स्नेही और सहयोगी भी बनकर चलेंगे तो सफ़लता का सितारा आप सभी के मस्तिष्क पर चमकता हुआ दिखाई पड़ेगा। कहाँ भी स्नेह वा सहयोग देने में कमी नहीं करना। 

          ..❷ स्नेह और सहयोग दोनों जब आपस में मिलते हैं तो शक्ति की प्राप्ति होती है। जिस शक्ति से फिर सफ़लता प्राप्त होती है। इसलिए इन दोनों बातों का ध्यान रखना, जो आपके जड़ चित्रों का गायन है कि देवियाँ एक नज़र से असुरों का संहार कर देती। वैसे एक सेकेण्ड में कोई भी आसुरी संस्कार का संहार करने वाली संहारकारी मूर्त बनना है।

          ..❸ अब यह बात देखना कि जहाँ संहार करना है वहाँ रचना नहीं रच लेना, और जहाँ रचना रचनी है वहाँ संहार नहीं कर लेना। जहाँ मास्टर ब्रह्मा बनना है वहाँ मास्टर शंकर नहीं बनना। यह बुद्धि में ज्ञान चाहिए। कहाँ मास्टर ब्रह्मा बनना है, कहाँ मास्टर शंकर बनना है।

 

 प्रश्न 3 :- जैसा भी कोई हो, जहाँ भी हो, जैसी भी परिस्थिति हो, समस्याओं को मिटाने वाला बनना है - इस विषय पर बाबा ने कौन सी समझानी दी है ?

 उत्तर 3 :- बापदादा कहते है- इस भट्ठी से ऐसा होकर निकलना है जो जैसा भी कोई हो, जहाँ भी हो, जैसी भी परिस्थिति हो उन सभी का सामना का सकें। क्योंकि समस्याओं को मिटाने वाले बनकर निकलना है। न कि खुद समस्या बन जाना है।   

          ..❶कोई तो समस्याओं को मिटाने वाले होते हैं कोई फिर खुद ही समस्या बन जाते हैं। तो खुद समस्या न बनना लेकिन समस्याओं को मिटाने वाले बनना है।

          ..❷ एक-एक काली रूप जब बनेंगी तब समस्याओं का सामना कर सकेंगी। विशेष कुमारियों को शीतला नहीं बनना है, काली बनना है।

          ..❸ शीतला भी किस रूप में बनना है वह अर्थ भी तो समझती हो। लेकिन जब सर्विस पर हो, कर्तव्य पर हो तो काली रूप चाहिए।

          ..❹ काली रूप होगी तो काली भी किस पर बलि नहीं चढेगी। लेकिन अनेकों को अपने ऊपर बलि चढायेंगी।        

          ..❺ कोई पर भी स्वयं बलि नहीं चढ़ना। लेकिन उसको अपने ऊपर अर्थात् जिसके ऊपर आप सभी बलि चढ़ी हो उन पर ही सभी को बलि चढ़ाना है।

          ..❻ ऐसी काली अगर बन गई तो फिर अनेकों की समस्याओं को हल कर सकेंगी।

          ..❼ बहुत कड़ा रूप चाहिए। माया का कोई विघ्न सामने आने का साहस न रख सके। जब कुमारियाँ काली रूप बन जाये तब सर्विस की सफ़लता हो।

 

 प्रश्न 4 :- सदैव एकरस स्थिति रहे और विघ्नों को भी हटा सके इसके लिए बाबा ने कौन सी बातें अपने सामने रखने के लिए कही है ?

 उत्तर 4 :- सदैव एकरस स्थिति रहे और विघ्नों को भी हटा सकें इसके लिए सदैव दो बातें अपने सामने रखनी है। जैसे एक आँख में मुक्ति दूसरी आँख में जीवनमुक्ति रखते हैं। वैसे एक तरफ़ विनाश के नगाड़े सामने रखो और दूसरे तरफ़ अपने राज्य के नज़ारे सामने रखो, दोनों ही साथ में बुद्धि में रखो। विनाश भी, स्थापना भी। नगाड़े भी नज़ारे भी। तब कोई भी विघ्न को सहज पार कर सकेंगी।

 

 प्रश्न 5 :- बाबा ने कौन सा एक स्लोगन याद रखने की बात कही है जिससे राजतिलक मिलेगा ?

उत्तर 5 :- तिलक का अर्थ तो समझते हो, जैसे तिलक मस्तक में टिक जाता है वैसे जो भी बातें निकली वह सभी सदैव स्थिति में स्थित रहे इसका यह तिलक है। यह सभी बात स्थिति में स्थित हो जाये तब राजतिलक मिलेगा। इसके लिए यह स्लोगन याद रखना है -  

          ..❶ 'सफ़लता हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है' असफ़लता नहीं। सफ़लता का ही श्रंगार करना है। नयनों में भी, मुख से भी, मस्तक से भी सफ़लता का स्वरूप देखने में आये। संकल्प भी सफ़लता का। और दूसरे जो भी कार्य हो उसमें सफ़लता हो। सफ़लता ही जन्मसिद्ध अधिकार हो। यह है इस ग्रुप का स्लोगन।

          ..❷ जिस समय जिस कर्तव्य की आवश्यकता है उस समय वह कर्तव्य करना है। समय चला गया तो फिर सम्पूर्ण बन नहीं सकेंगे।

          ..❸ अब जो स्लोगन बताया का वह करके दिखाना है। छोटों को बड़ा कर्तव्य कर दिखाना है।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(हार, शोकेस, यादगार, आलमाइटी, एग्रीमेन्ट, हार, काला, सम्पूर्ण, इंगेजमेंट, संकल्प, उल्लास, अपने, सील, खोल, टीका )

 

 1  अभी ______ करनी होगी फिर होगी ______। उसके बाद फिर _____ होने का समारोह होगा।

    एग्रीमेन्ट / इंगेजमेंट / सम्पूर्ण

 

 2  हिम्मत के साथ _____ भी रखना है। कभी _____ नहीं खाना। लेकिन अपने को _____ बनाकर गले में पिरोना है।

    उल्लास / हार / हार

 

 3  ______ को हमेशा _____ में रखा जाता है। तो _____  को सदैव शोकेस में रखना है।

    यादगार / शोकेस / अपने

 

 4  जैसे गवर्नमेन्ट _____ लगाती है तो उसको कोई _____ नहीं सकता वैसे ______ गवर्नमेन्ट की सील हरेक को लगाना है।

    सील / खोल / आलमाइटी

 

 5  ______ भी बहुत धोखा देता है। जो बहुत प्यारे बच्चे होते हैं तो उनको क्या करते हैं? ______ टीका लगा देते है। इसलिए इस ग्रुप को भी _____ लगाना है।

    संकल्प / काला / टीका

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

 1  :- जब अपने को सब के आगे अर्पण कर लिया तो और सब के आगे मन से भी अर्पण नही होना है।

  जब अपने को एक के आगे अर्पण कर लिया तो और कोई के आगे संकल्प से भी अर्पण नहीं होना है।

 

 2  :- प्रतिज्ञा को पूर्ण करने के लिए संग भी चाहिए और साथ-साथ अपनी हिम्मत भी।

 

 3  :- साहस के कारण ही बापदादा इस ग्रुप का नाम रखते हैं - साहसी ग्रुप।

 साहस के कारण ही बापदादा इस ग्रुप का नाम रखते हैं - शूर-वीर ग्रुप।

 

 4  :-  अगर रचना करने बदली विनाश कर देते तो भी सही और अगर विनाश के बदली रचना रच लेते तो भी सही।

 अगर रचना करने बदली विनाश कर देते तो भी रांग और अगर विनाश के बदली रचना रच लेते तो भी रांग।

 

 5   :-  ऐसी रचना नहीं रचना जो स्वयं को भी काटें और दूसरों को भी काटें। ऐसी रचना रचने से सावधान रहना।