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AVYAKT MURLI

22 / 01 / 71

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   22-01-71 ओम शान्ति  अव्यक्त बापदादा  मधुबन

 

दिलतख्त-नशीन आत्मा की निशानी

 

आज इस संगठन को कौनसा संगठन कहेंगे? इस संगठन का क्या नाम देंगे? यह संगठन है ब्रह्मा बाप की भुजाएं। इसलिए इस संगठन को बापदादा के मददगार, वफादार, बापदादा के दिलतख्त-नशीन, मास्टर सर्वशक्तिवान कहेंगे। अब समझा, इतने अनेक टाइटिल्स इस ग्रुप के नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार हैं। जो दिल के तख्त नशीन होंगे उन्हों की निशानी क्या होती है? टीचर्स हैं इसलिए प्रश्न-उत्तर कर रहे हैं। तख्तनशीन की निशानी क्या है? जो तख्तनशीन हुए हैं उनकी निशानी है - एक तो जब भी कोई तख्त पर बैठते हैं तो तिलक और ताज दोनों तख्तनशीन की निशानी होती है। इस रीति दिलतख्त पर विराजमान आत्माओं की निशानी यही होती है। उनके मस्तक पर सदैव अविनाशी आत्मा की स्थिति, तिलक दूर से ही चमकता हुआ नज़र आयेगा। दूसरी बात -- और सर्व आत्माओं के कल्याण की शुभ भावना उनके नयनों में वा मुख से, मुख अर्थात् मुखड़ा, फेस से दिखाई दे। मुखड़े से यह सब स्पष्ट दिखाई दे यह निशानी है। तीसरी बात -- उनका संकल्प, वचन और कर्म बाप के समान हो। चौथी बात - जिन आत्माओं की सर्विस करे उन आत्माओं में स्नेह, सहयोग और शक्ति तीनों ही गुण धारण कराने की उसमें शक्ति हो। यह चार बातें उनकी निशानी है। अभी आप अपनी रिजल्ट को चेक करो कि यह चार ही निशानियाँ कहाँ तक दिखाई देती हैं। जैसे जो स्वयं होता है वैसे ही समान बनाता है। आज टीचर्स संगठन में हैं इसलिए यह सुना रहे हैं, जिन्हों की आप सेवा करती हो वा कर रही हो उन्हों में यह सब बातें भरनी चाहिए। अब तक रिजल्ट क्या है? हरेक अपनी रिजल्ट को तो देखते ही हैं। मैजारिटी क्या दिखाई देती है? कोई में स्नेहीपन की विशेषता है, कोई में सहयोगीपन की, लेकिन शक्ति रूप की धारणा कम है। इसकी निशानी फिर क्या दिखाई देती है, मालूम है? शक्तिपन के कमी की निशानी क्या है? परखने की शक्ति कम की निशानी क्या है? एक बात तो सुनाई - सर्विस की सफलता नहीं। उनकी स्पष्ट निशानी दो शब्दों में यह दिखाई देगी - उनका हर बात क्यों’, ‘क्या’, ‘कैसे’ ....? क्वेश्चन मार्क बहुत होगा। ड्रामा का फुल-स्टॉप देना उनके लिए बड़ा मुश्किल होगा। इसलिए स्वयं ही क्यों, क्या कैसे की उलझन में होगा। दूसरी बात -- वह कभी भी समीप आत्मा नहीं बना सकेगा। सम्बन्ध में लायेंगे लेकिन समीप सम्बन्ध में नहीं लायेंगे। समझा? ब्राह्मण कुल की जो मर्यादाएं हैं उन सर्व मर्यादाओं स्वरूप नहीं बना सकेंगे। क्योंकि स्वयं में शक्ति कम होने के कारण औरों में भी इतनी शक्ति नहीं ला सकते जो सर्व मर्यादाओं को पालन कर सकें। कोई न कोई मर्यादा की लकीर उल्लंघन कर देते हैं। समझते सभी होंगे, समझने में कमी नहीं होगी। मर्यादाओं की समझ पूरी होगी। परन्तु मर्यादाओं में चलना यह शक्ति कम होगी। इस कारण जिन्हों की वह सेवा करते हैं उन्हों में भी शक्ति कम होने कारण हाई जम्प नहीं दे सकते। संस्कारों को मिटाने में समय बहुत वेस्ट करते हैं। अब इन बातों से अपने स्वरूप को चेक करो। जैसे बहुत बढ़िया और मीठा फल तब निकल सकता है जब उस वृक्ष में सब बातों का ध्यान दिया जाता है। धरती उखाड़ने का भी ख्याल, बीज डालने का, जल का, सभी का ध्यान देना पड़ता है। ऐसे श्रेष्ठ फल तैयार करने के लिए संस्कार मिटाने की शक्ति, यह हुई धरती उखाड़ने की शक्ति। उसके साथ जैसे सभी चीजें बीच डालने वाले देखते हैं, वैसे स्नेही भी बनावें, सहयोगी भी बनावें और शक्ति-स्वरूप भी बनावें। अगर कोई एक की भी कमी रह जाती है तो क्या होता? जो शुरू में सुनाया कि दिल के तख्त नशीन नहीं बन सकते। इसलिए टीचर्स को यह ध्यान एक-एक के ऊपर देना चाहिए।

आप लोग जब एम-आब्जेक्ट सुनाते हो तो क्या सुनाते हो? देवता बनना यह तो लक्ष्य देते हो। देवताओं की महिमा सर्व गुण सम्पन्न। तो वह लक्ष्य रखना चाहिए। सर्व गुण एक-एक आत्मा में भरने का प्रयत्न करना चाहिए। आप टीचर्स को हरेक से मेहनत इतनी करनी चाहिए जो कोई आत्मा भी यह उलहना न दे कि हमारी निमित्त बनी हुई टीचर ने हमको इस बात के ऊपर ध्यान नहीं खिंचवाया। वह करे न करे, वह हुई उनकी तकदीर। परन्तु आप लोगों को सभी के ऊपर मेहनत करनी है। नहीं तो अब तक की रिजल्ट में कोई उलहनें अभी तक मिल रहे हैं। यह सर्विस की कमी है। इसलिए कहा कि सर्व बातें उन्हों में भरने से वह फल भी ऐसा लायक बनेगा। आप सोचो, जितना कोई बड़ा आदमी होता है, उनके सामने कौनसा फल रखेंगे? बड़ा भी हो और बढ़िया भी हो। साकार में भी कोई चीज़ लाते थे तो क्या देखते थे? तो अब बापदादा के आगे भी ऐसे जो फल तैयार करते हैं वही सामने ला सकते हैं। इसलिए यह ध्यान रखना है। जितना जो स्वयं जितने गुणों से सम्पन्न होता है उतना औरों में भी भर सकता है। हरेक रचयिता की सूरत रचना से दिखाई देती है। सर्विस आप लोगों के लिए एक दर्पण है, जिस दर्पण द्वारा अपने अन्दर की स्थिति को देख सकते हो। जैसे दर्पण में अपनी सूरत सहज और स्पष्ट दिखाई देती है। ऐसे सर्विस के दर्पण द्वारा अपनी फीचर्स-सूरत नहीं, सीरत का सहज स्पष्ट साक्षात्कार होता है। वह है सूरत का आइना, यह है सीरत का आइना। हरेक को अपना साक्षात्कार स्पष्ट होता है? होना चाहिए। अगर अब तक स्पष्ट साक्षात्कार नहीं होगा तो अपने को सम्पूर्ण कैसे बना सकेंगे। जब अपनी कमज़ोरियों का मालूम होगा तब तो शक्ति भर सकेंगे। इसलिए अगर स्वयं के साक्षात्कार में कोई स्पष्टीकरण न हो तो निमित्त बनी हुई बहनों द्वारा मदद ले अपना स्पष्ट साक्षात्कार करने का प्रयत्न ज़रूर करना। यह बापदादा का काम नहीं है, बापदादा का कर्त्तव्य है इशारा देना। टीचर्स के फीचर्स कैसे होने चाहिए? टीचर्स को अपने फरिश्तेपन के फीचर्स द्वारा सर्विस करनी चाहिए। टीचर्स द्वारा यह शब्द अब तक नहीं निकलने चाहिए कि यह मेरी नेचर है। यह कहना शक्तिहीनता की निशानी है। पुरूषार्थ शब्द, पुरूषार्थ शब्द से यूज़ नहीं करते हैं। परन्तु पुरूषार्थ शब्द पुरूषार्थ से छुड़ाने का साधन बना दिया है। इसलिए आप लोगों के शब्द रचना द्वारा भी आपके सामने आते हैं। इसलिए सदैव ऐसे समझो जैसे कोई गुम्बज़ में जो आवाज़ किया जाता है वह लौटकर अपने पास आ जाता है। इतना अटेन्शन अपने संकल्पों पर भी रखना है। कहाँ-कहाँ से यह समाचार आते हैं, कौनसे? कि आजकल स्टूडेन्ट्स सुनते नहीं हैं। मेहनत करते हैं लेकिन आगे नहीं बढ़ते हैं, वहाँ के वहाँ खड़े हैं। यह रिजल्ट क्यों? यह भी अपनी स्थिति का रिटर्न है। क्योंकि स्टूडेन्ट भी चलते- चलते निमित्त बनी हुई टीचर्स की कमज़ारियों को परख कर उसका एडवान्टेज उठाते हैं। अच्छा।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :-  बापदादा ने दिल के तख्त नशीन बच्चों की क्या क्या निशानियाँ बताई है?

 प्रश्न 2 :- आजकल स्टूडेन्ट्स सुनते नहीं हैं। मेहनत करते हैं लेकिन आगे नहीं बढ़ते हैं, वहाँ के वहाँ खड़े हैं। यह रिजल्ट क्यों?

 प्रश्न 3 :- परखने की शक्ति की कमी की क्या- क्या निशानियाँ बापदादा ने बताई है?

 प्रश्न 4 :- निमित्त बनी आत्माओं को उलाहना न मिले इसके लिए बापदादा ने क्या सावधानी दी है?

 प्रश्न 5 :-  बापदादा के अनुसार टीचर्स के फीचर्स कैसे होने चाहिए?

   

   FILL IN THE BLANKS:-    

( मास्टर सर्वशक्तिवान, पुरूषार्थ, भुजाएं, मददगार, ग्रुप, ध्यान, बढ़िया, शक्ति, मालूम, शक्ति-स्वरूप, सहयोगी, स्नेही )

 

1   यह संगठन है ब्रह्मा बाप की ______। इसलिए इस संगठन को बापदादा के मददगार, वफादार, बापदादा के दिलतख्त-नशीन, ______ कहेंगे।

 2  अब समझा, इतने अनेक टाइटिल्स इस ____ के नम्बरवार _______ अनुसार हैं।

 3  बहुत ____ और मीठा फल तब निकल सकता है जब उस वृक्ष में सब बातों का _____ दिया जाता है।

 4  जब अपनी कमज़ोरियों का ______होगा तब तो ____ भर सकेंगे।

 5  उसके साथ जैसे सभी चीजें बीज डालने वाले देखते हैं, वैसे _____ भी बनावें, ____ भी बनावें और ______ भी बनावें।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- जैसे दर्पण में अपनी सूरत सहज और स्पष्ट दिखाई देती है। ऐसे सर्विस के दर्पण द्वारा अपनी फीचर्स-सूरत नहीं, सर्वसम्बन्ध का सहज स्पष्ट साक्षात्कार होता है

 2  :- जितना जो स्वयं जितने गुणों से सम्पन्न होता है उतना औरों में भी भर सकता है।

 3  :- हरेक को अपना साक्षात्कार स्पष्ट होता है? होना चाहिए। अगर अब तक स्पष्ट साक्षात्कार नहीं होगा तो अपने को ब्राह्मण कैसे बना सकेंगे।

 4  :- कोई में स्नेहीपन की विशेषता है, कोई में सहयोगीपन की, लेकिन शक्ति रूप की धारणा कम है।

 5   :- सर्विस आप लोगों के लिए एक दर्पण है, जिस दर्पण द्वारा अपने अन्दर की स्थिति को देख सकते हो।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- बापदादा ने दिल के तख्त नशीन बच्चों की क्या क्या निशानियाँ बताई है?  

 उत्तर 1 :- जो तख्तनशीन हुए हैं उनकी निशानी बताते हुए बापदादा कहते है-

         ..❶ एक तो जब भी कोई तख्त पर बैठते हैं तो तिलक और ताज दोनों तख्तनशीन की निशानी होती है। इस रीति दिलतख्त पर विराजमान आत्माओं की निशानी यही होती है। उनके मस्तक पर सदैव अविनाशी आत्मा की स्थिति तिलक दूर से ही चमकता हुआ नज़र आयेगा।

          ..❷ दूसरी बात -- सर्व आत्माओं के कल्याण की शुभ भावना उनके नयनों में वा मुख से, मुख अर्थात् मुखड़ा, फेस से दिखाई दे। मुखड़े से यह सब स्पष्ट दिखाई दे यह निशानी है।

          ..❸ तीसरी बात -- उनका संकल्प, वचन और कर्म बाप के समान हो।

          ..❹ चौथी बात - जिन आत्माओं की सर्विस करे उन आत्माओं में स्नेह, सहयोग और शक्ति तीनों ही गुण धारण कराने की उसमें शक्ति हो। यह चार बातें उनकी निशानी है।

 

 प्रश्न 2 :- आजकल स्टूडेन्ट्स सुनते नहीं हैं। मेहनत करते हैं लेकिन आगे नहीं बढ़ते हैं, वहाँ के वहाँ खड़े हैं। यह रिजल्ट क्यों?

   उत्तर 2 :- स्टूडेन्ट्स के आगे न बढने का कारण बताते हुए बापदादा कहते है-

          ..❶ आजकल स्टूडेन्ट्स सुनते नहीं हैं। मेहनत करते हैं लेकिन आगे नहीं बढ़ते हैं, वहाँ के वहाँ खड़े हैं। यह अपनी(निमित्त की) स्थिति का रिटर्न है। 

          ..❷ क्योंकि स्टूडेन्ट भी चलते- चलते निमित्त बनी हुई टीचर्स की कमज़ारियों को परख कर उसका एडवान्टेज उठाते हैं।  

          ..❸  पुरूषार्थ शब्द, पुरूषार्थ शब्द से यूज़ नहीं करते हैं। परन्तु पुरूषार्थ शब्द पुरूषार्थ से छुड़ाने का साधन बना दिया है। इसलिए आप लोगों के शब्द रचना द्वारा भी आपके सामने आते हैं।

           ..❹ सदैव ऐसे समझो जैसे कोई गुम्बज़ में जो आवाज़ किया जाता है वह लौटकर अपने पास आ जाता है। इतना अटेन्शन अपने संकल्पों पर भी रखना है।                  

 

प्रश्न 3 :- परखने की शक्ति की कमी की क्या- क्या निशानियाँ बापदादा ने बताई है?

 उत्तर 3 :- परखने की शक्ति कम होने की निशानी बताते हुए बापदादा कहते है-

          ..❶ एक बात तो सुनाई - सर्विस की सफलता नहीं। उनकी स्पष्ट निशानी दो शब्दों में यह दिखाई देगी - उनका हर बात क्यों’, ‘क्या’, ‘कैसे’ ....? क्वेश्चन मार्क बहुत होगा।

          ..❷ ड्रामा का फुल-स्टॉप देना उनके लिए बड़ा मुश्किल होगा। इसलिए स्वयं ही क्यों, क्या कैसे की उलझन में होगा।

          ..❸ वह कभी भी समीप आत्मा नहीं बना सकेगा। सम्बन्ध में लायेंगे लेकिन समीप सम्बन्ध में नहीं लायेंगे।

          ..❹ ब्राह्मण कुल की जो मर्यादाएं हैं उन सर्व मर्यादाओं स्वरूप नहीं बना सकेंगे। क्योंकि स्वयं में शक्ति कम होने के कारण औरों में भी इतनी शक्ति नहीं ला सकते जो सर्व मर्यादाओं को पालन कर सकें।

          ..❺ कोई न कोई मर्यादा की लकीर उल्लंघन कर देते हैं। समझते सभी होंगे, समझने में कमी नहीं होगी। मर्यादाओं की समझ पूरी होगी। परन्तु मर्यादाओं में चलना यह शक्ति कम होगी।

          ..❻  जिन्हों की वह सेवा करते हैं उन्हों में भी शक्ति कम होने कारण हाई जम्प नहीं।

           ..❼ संस्कारों को मिटाने समय बहुत वेस्ट करते हैं।

 

 प्रश्न 4 :- निमित्त बनी आत्माओं को उलाहना न मिले इसके लिए बापदादा ने क्या सावधानी दी है?

 उत्तर 4 :- निमित्त बनी आत्माओं को उलाहना न मिले इसके लिए सावधानी देते हुए बापदादा कहते है कि-

          ..❶ आप लोग जब एम-आब्जेक्ट सुनाते हो तो क्या सुनाते हो? देवता बनना यह तो लक्ष्य देते हो। देवताओं की महिमा सर्व गुण सम्पन्न। तो वह लक्ष्य रखना चाहिए। सर्व गुण एक-एक आत्मा में भरने का प्रयत्न करना चाहिए।

          ..❷ आप टीचर्स को हरेक से मेहनत इतनी करनी चाहिए जो कोई आत्मा भी यह उलहना न दे कि हमारी निमित्त बनी हुई टीचर ने हमको इस बात के ऊपर ध्यान नहीं खिंचवाया।

          ..❸ वह करे न करे, वह हुई उनकी तकदीर। परन्तु आप लोगों को सभी के ऊपर मेहनत करनी है।

 

 प्रश्न 5 :- बापदादा के अनुसार टीचर्स के फीचर्स कैसे होने चाहिए?

   उत्तर 5 :- बापदादा कहते-

          ..❶ टीचर्स को अपने फरिश्तेपन के फीचर्स द्वारा सर्विस करनी चाहिए।

          ..❷  टीचर्स द्वारा यह शब्द अब तक नहीं निकलने चाहिए कि यह मेरी नेचर है। यह कहना शक्तिहीनता की निशानी है। 

                                     

       FILL IN THE BLANKS:-    

( मास्टर सर्वशक्तिवान, पुरूषार्थ, भुजाएं, मददगार, ग्रुप, ध्यान, बढ़िया, शक्ति, मालूम, शक्ति-स्वरूप, सहयोगी, स्नेही )

 

 1   यह संगठन है ब्रह्मा बाप की ______। इसलिए इस संगठन को बापदादा के ______  वफादार, बापदादा के दिलतख्त-नशीन, ______ कहेंगे।

..  भुजाएं  / मददगार /  मास्टर सर्वशक्तिवान

 

अब समझा, इतने अनेक टाइटिल्स इस ______ के नम्बरवार ______ अनुसार हैं।

..  ग्रुप /  पुरूषार्थ

 

 3   बहुत ____ और मीठा फल तब निकल सकता है जब उस वृक्ष में सब बातों का ____ दिया जाता है।

 ..  बढ़िया /  ध्यान

 

 4  जब अपनी कमज़ोरियों का ____ होगा तब तो ____ भर सकेंगे।

 ..  मालूम /  शक्ति

 

 5  उसके साथ जैसे सभी चीजें बीज डालने वाले देखते हैं, वैसे _____ भी बनावें, ______भी बनावें और _________ भी बनावें।

..  स्नेही   सहयोगी /  शक्ति-स्वरूप

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- जैसे दर्पण में अपनी सूरत सहज और स्पष्ट दिखाई देती है। ऐसे सर्विस के दर्पण द्वारा अपनी फीचर्स-सूरत नहीं, सर्वसम्बन्ध का सहज स्पष्ट साक्षात्कार होता है।

 ..  जैसे दर्पण में अपनी सूरत सहज और स्पष्ट दिखाई देती है। ऐसे सर्विस के दर्पण द्वारा अपनी फीचर्स-सूरत नहीं, सीरत का सहज स्पष्ट साक्षात्कार होता है। 

 

2  :- जितना जो स्वयं जितने गुणों से सम्पन्न होता है उतना औरों में भी भर सकता है।

 

3  :- हरेक को अपना साक्षात्कार स्पष्ट होता है? होना चाहिए। अगर अब तक स्पष्ट साक्षात्कार नहीं होगा तो अपने को ब्राह्मण कैसे बना सकेंगे।

 ..  हरेक को अपना साक्षात्कार स्पष्ट होता है? होना चाहिए। अगर अब तक स्पष्ट साक्षात्कार नहीं होगा तो अपने को सम्पूर्ण कैसे बना सकेंगे।

 

 4  :-  कोई में स्नेहीपन की विशेषता है, कोई में सहयोगीपन की, लेकिन शक्ति रूप की धारणा कम है।

 

 5   :- सर्विस आप लोगों के लिए एक दर्पण है, जिस दर्पण द्वारा अपने अन्दर की स्थिति को देख सकते हो।