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AVYAKT MURLI

11 / 09 / 71

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11-09-71  ओम शान्ति  अव्यक्त बापदादा  मधुबन

 

डबल रिफाइन स्टेज

 

आज बोलना है क्या? वा देखना है? क्या देखना ही बोलना नहीं है? ऐसा अनुभव है कि जो-कुछ बोलना हो वह मुंह से न बोल नयनों से बोलें? ऐसे हो सकता है? ऐसे होता भी है? आज यह मास्टर नॉलेजफुल, पावरफुल, सक्सेसफुल, सर्विसएबल की सभा है। तो क्या नयनों से नहीं जान सकेंगे? अपने मन की भावना वा बुद्धि के संकल्पों को नैनों से प्रकट नहीं कर सकते। यह भी तो पढ़ाई का पाठ है। तो बताओ, आज बापदादा क्या बोलने चाहते हैं? जानते हो ना। मास्टर नॉलेजफुल हो ना!

 

तो यह पाठ जब पढ़ चुके हो, तो इसी पाठ का पेपर देने के लिये तैयार हो? महावीर तो हो ही। यह महावीरों का ग्रुप है ना। औरों की बैटरी को चार्ज करने वाले इन्चार्ज हैं। बापदादा तो देख रहे हैं कि यह सभी नम्बरवार पास हुए ग्रुप हैं। कई बातों को, कई अनुभवों को देखते, पास करते-करते पास नहीं हो गये हो? तीन प्रकार के पास हैं। तो इन तीनों प्रकार के पास शब्द में पास होना है। एक होता है कोई बात वा रास्ते को पास करना, एक होता है पढ़ाई में पास होना और नज़दीक को भी पास कहते हैं। नजदीक अर्थात् समीप रत्न। तो तीनों प्रकार के पास शब्द में पास हो? त्रिशूल का तिलक अर्थात् तीनों ही प्रकार के पास शब्द में पास। यह तिलक नहीं दिखाई देता है? इस ग्रुप के मस्तक पर यह त्रिशूल का तिलक आप लोगों को दिखाई देता है? बापदादा को आज की सभा क्या दिखाई दे रही है, यह जानती हो? अपना साक्षात्कार तो होता ही है ना। अभी-अभी का अपना साक्षात्कार हो रहा है? (दादी को) देखो, यह है साक्षात्कारमूर्त और आप हो साक्षी। तो बताओ, इन्हों के ग्रुप का कौनसा एक साक्षात्कार हो रहा है? यह (दादी) माइक है, आप (दीदी) माइट हो। ऐसे? यह माइट देती है, वह माइक बोलता है। बापदादा को क्या साक्षात्कार हो रहा है? क्यों, अभी डबल ताज नहीं है क्या? अगर डबल क्राउन धारण नहीं करेंगे तो भविष्य में भी डबल क्राउन तो मिल ही नहीं सकता। तो आज डबल ताजधारी, तिलकधारी, तख्तनशीन, राजऋषि दरबार देख रहे हैं। भविष्य की दरबार तो इस दरबार के आगे फीकी लगती है। अगर अभी-अभी अपना संगमयुगी ताज, तिलक और तख्तनशीन पुरूषोत्तम, मर्यादा सम्पन्न स्वरूप देखो और साथ-साथ अपना भविष्य स्वरूप भी देखो; तो दोनों से कौनसा रूप स्पष्ट, आकर्षणमूर्त, अलौकिक, दिव्य वा रूहानी देखने में आयेगा? अभी का वा भविष्य का? तो अपने स्वरूपों का सदा साक्षात्कार करते और कराते रहते हो कि अभी पर्दे के अन्दर तैयार हो रहे हो? स्टेज पर नहीं आये हो? वर्तमान समय स्टेज पर किस रूप में रहते हो? अभी की अपनी स्टेज को कहां तक समझते हो?

 

एक है फाइनल स्टेज। तो फाइनल है? फाइन है? रिफाइन है? आजकल मालूम है कि रिफाइन भी डबल रिफाइन होता है? तो अभी रिफाइन है? डबल रिफाइन होना है वा रिफाइन होना है? एक बार का रिफाइन तो पूरा हो गया ना। अभी डबल रिफाइन होने आये हो। फाइनल की डेट कौनसी है? अगर पहले से नहीं होगी तो आप लोगों के भक्त और प्रजा आपके सम्पूर्ण स्वरूपों का साक्षात्कार कैसे करेंगे? फिर नहीं तो आप के चित्र भी टेढ़े-बांके बनायेंगे! अगर आपके सम्पूर्णता का, फाइनल स्टेज का साक्षात्कार नहीं करेंगे तो चित्र क्या बनायेंगे? चित्र भी रिफाइन नहीं बनायेंगे। तो पहले से ही अपना सम्पूर्ण साक्षात्कार कराना है। अभी आपके भक्तों में गुणगान करने के संस्कार भरेंगे तो द्वापरयुग में उतरते ही आपके चित्रों के आगे गुणगान करेंगे। सब आत्माओं में सर्व रीति-रस्म के संस्कार तो अभी से ही भरने हैं ना, भरने का समय है। फिर है प्रैक्टिकल करने का समय। जैसे-जैसे आप आत्मा में सारे कल्प के पूज्य और पुजारीपन के दोनों ही संस्कार अभी भर रहे हैं। जितना पूज्य बनेंगे उसी प्रमाण पुजारीपन की स्टेज भी आटोमेटिकली बनती जायेगी। तो जैसे आप आत्माओं में सारे कल्प के संस्कार भरते हैं। वैसे ही आपके भक्तों में भी अभी ही संस्कार भरेंगे। तो जैसे आपका स्वरूप होगा वैसे ही संस्कार भरेंगे। इसलिए अभी जल्दी-जल्दी अपने को फाइनल स्टेज पर ले जाओ। ऐसी फाइनल स्टेज बनाओ जो अब भी फाइन न पड़े। जो डबल रिफाइन हो जायेंगे उनको फाइन नहीं पड़ेगा। फाइनल वाले का कोई फाइल नहीं रह जाता। इसलिए जो भी कुछ फाइल रहा हुआ है उसको खत्म करो। अगर महावीरों को भी फाइन भरना पड़े तो महावीर ही क्या? इसलिए सुनाया कि आज बाेलना नहीं है। इशारे से ही समझने वाले हैं। यह तो ताज, तख्तनशीन ग्रुप है, तो वह सुनने से कैसे समझेंगे। अगर अभी भी कहने से करेंगे तो कहने से करने वाले तो मनुष्य होते हैं। आप लोग तो देवताओं से भी श्रेष्ठ हो। ब्राह्मण कहो वा फरिश्ते कहो। फरिश्ते ईशारे से समझते हैं। फर्श निवासी कहने से समझते हैं। अच्छा।

 

बापदादा इस ग्रुप को सारे विश्व के सामने क्या समझते हैं? जो हो वही बताना है। यह तो सारी सृष्टि को शरणागत करने वाली हैं, न कि होने वाली। बापदादा के सामने भी शरणागत होने वाली नहीं हैं। बाप को सर्वेन्ट बनाने वाली हैं। तो शरणागत हुई वा शरणागत करने वाली हुई? सारी सृष्टि में जो भी महिमा करने योग्य शब्द हैं वह सभी हो। आज बापदादा सम्पूर्ण रूप देख रहे हैं। सदा फरमानबरदार उसको कहते हैं जो एक संकल्प भी बिगर फ़रमॉं के न करे। यह ग्रुप तो इसमें पास है ना। सदैव अपने को फरमानबरदार के स्वरूप में स्थित कर फिर कोई संकल्प करो। ऐसे जो सम्पूर्ण फरमानबरदार हैं वही सम्पूर्ण वफादार भी होते हैं। यह ग्रुप तो सम्पूर्णता के समीप है ना। सम्पूर्ण वफादारी किसको कहते हैं? वफादार का मुख्य गुण क्या होता है? उनका मुख्य गुण होता है जो अपनी भले जान चली जाये लेकिन हर वस्तु की सम्भाल करेंगे। तो कोई भी चीज़ व्यर्थ नुकसान नहीं करेंगे। अगर संकल्प, समय, शब्द और कर्म - इन चारों में से कोई को भी व्यर्थ गंवाते हो वा नुकसान के खाते में जाता है तो उसको क्या सम्पूर्ण वफादार कहेंगे? क्योंकि जब से जन्म लिया अर्थात् फरमानबरदार, आज्ञाकारी बने, ईमानदार बने हैं? एक छोटे से पैसे में भी ईमानदार होता है। तो जब से जन्म लिया है तब से मन अर्थात् संकल्प, समय और कर्म जो भी करेंगे वह बाप के ईश्वरीय सेवा अर्थ करेंगे। यह प्रतिज्ञा की? सर्व समर्पण हुए हो? तो यह सभी बाप के ईश्वरीय सेवा अर्थ हो गई। अगर ईश्वरीय सेवा की बजाय कहाँ संकल्प वा समय वा तन द्वारा व्यर्थ कार्य होता है तो उनको क्या कहेंगे? उनको सम्पूर्ण वफादार कहेंगे? यह नहीं समझना कि एक वा एक सेकेण्ड क्या बड़ी बात है। अगर एक नये पैसे की भी वफादारी नहीं तो उसको सम्पूर्ण वफादार नहीं कहेंगे। यह ग्रुप तो सम्पूर्ण फरमानबरदार, सम्पूर्ण वफादार है ना। ऐसे सम्पूर्ण वफादार, फरमानबरदार, ईमानदार, आज्ञाकारी ग्रुप को क्या कहेंगे? नमस्ते। नमस्ते के बाद फिर क्या होता है? बाप तो सम्पूर्ण आज्ञाकारी है। एक-दो को देख हर्षित हो रहे हो ना। संगमयुग के दरबार का यह श्रृंगार है। अच्छा।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- 'पास' शब्द के कितने प्रकार है एवं उनके अर्थ क्या है?

 प्रश्न 2 :- आप लोगों के भक्त व प्रजा आपके सम्पूर्ण स्वरूप का साक्षात्कार करें, यह क्यों आवश्यक है ?

 प्रश्न 3 :-  बापदादा इस ग्रुप की सारे विश्व के सामने महिमा योग्य कौन सा स्वरूप देख रहे है ?

 प्रश्न 4 :- सम्पूर्ण वफादारी किसको कहते है ?

 प्रश्न 5 :- वफादार का मुख्य गुण क्या होता है ?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( संकल्प, ताज, अनुभव, भविष्य, फाइल, सक्सेसफुल, सर्विसेबल, डबल क्राउन, स्पष्ट, दिव्य, तिलक, डबल रिफाइन, नयनों, खत्म फरमानबरदार )

 

 1  ऐसा ______ है कि जो कुछ बोलना हो वह मुंह से न बोल ______ से बोलें ? आज  यह मास्टर नॉलेजफुल, पावरफुल, ______, ______ की सभा है। 

 2  अगर ______ ______ धारण नही करेंगे तो ______ में भी डबल क्राउन तो मिल ही नही सकता।

 3  अगर अभी-अभी अपना संगमयुगी ______, ______, तख्तनशीन पुरुषोत्तम, मर्यादा सम्पन्न स्वरूप देखो और साथ-साथ अपना भविष्य स्वरूप भी देखो; तो दोनों से कौन सा रूप ______, आकर्षणमूर्त, अलौकिक, ______ वा रूहानी देखने मे आयेगा।

 4  जो ______ ______ हो जाएंगे उनको फाइन नही पड़ेगा। फाइनल वाले का कोई ______ रह नही जाता। इसलिए जो भी कुछ फाइल रहा हुआ है उसको ______ करो।

 5  सदैव अपने को ______ के स्वरूप में स्थित कर फिर कोई ______ करो।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :-  क्या नयनों से नही जान सकेंगे ? अपने मन की भावना वा बुद्धि के संकल्पों को नैनों से प्रकट नही कर सकते। यह भी तो पढ़ाई का पाठ है।

 2  :-  यह महावीरों का ग्रुप है ना। औरों की बैटरी को डिस्चार्ज करने वाले इंचार्ज है   ।

 3  :-  आज डबल ताजधारी, तिलकधारी, तख्तनशीन, राजऋषि दरबार देख रहे है। भविष्य की दरबार तो इस दरबार के आगे रमणीक लगती है ।

 4  :-  इसलिए अभी जल्दी-जल्दी अपने को फाइनल स्टेज पर ले आओ। ऐसी फाइनल स्टेज बनाओ जो अब भी फाइन पड़े ।

 5   :-  बाप तो सम्पूर्ण आज्ञाकारी है। एक-दो को देख हर्षित हो रहे हो ना। संगमयुग के दरबार का यह श्रृंगार है।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- 'पास' शब्द के कितने प्रकार है एवं उनके अर्थ क्या है ?

उत्तर 1 :- पास शब्द के तीन प्रकार है । इन तीनो प्रकार के पास शब्द में पास होना है । तीनो प्रकार के पास शब्द के अर्थ है :-

          ..❶ एक होता है कोई बात व रास्ते को पास करना।

          ..❷ एक होता है पढ़ाई में पास होना ।

          ..❸  एक होता है नज़दीक व समीप होना ।

 

 प्रश्न 2 :- आप लोगों के भक्त व प्रजा आपके सम्पूर्ण स्वरूप का साक्षात्कार करें, यह क्यों आवश्यक है?

उत्तर 2 :- बाबा कहते है :-

          ..❶ नही तो आपके चित्र टेढ़े-बांके बनाएंगे। सम्पूर्णता का साक्षात्कार नही करेंगे तो चित्र रिफाइन नही बनाएंगे।

          ..❷ भक्तों में गुणगान करने के संस्कार भरेंगे तो द्वापरयुग में आपके चित्रों के आगे गुणगान करेंगे।

          ..❸ जैसे आप आत्मा में सारे कल्प के पूज्य व पुजारीपन के संस्कार भर रहे है , वैसे ही आपके भक्तों में भी अभी ही संस्कार भरेंगे।

 

 प्रश्न 3 :- बापदादा इस ग्रुप की सारे विश्व के सामने महिमा योग्य कौन सा स्वरूप देख रहे है ?

 उत्तर 3 :-  बापदादा देख रहे है कि :-

          ..❶ यह ग्रुप तो सारी सृष्टि को शरणागत करने वाली है, न कि होने वाली।

          ..❷ बापदादा के सामने भी शरणागत होने वाली नही , बाप को सर्वेंट बनाने वाली है।

          ..❸ सारी सृष्टि में जो भी महिमा करने योग्य शब्द है वह सभी है, बापदादा सम्पूर्ण रूप देख रहे है।

 

प्रश्न 4 :- सम्पूर्ण वफादारी के संदर्भ  मे बाबा के महावाक्य क्या है ?

उत्तर 4 :- बाबा सम्पूर्ण वफादारी के संदर्भ में कहते है कि :-

          ..❶ जो एक संकल्प भी बिगर फरमान के न करे उसे फरमानबरदार कहते है। सम्पूर्ण फरमानबरदार को सम्पूर्ण वफादार कहते है।

          ..❷ मन अर्थात संकल्प, समय और कर्म जो भी करेंगे वह बाप के ईश्वरीय सेवा अर्थ करेंगे।

          ..❸ बाप के ईश्वरीय सेवा में सर्व समर्पित होंगे।

 

 प्रश्न 5 :-  वफादार का मुख्य गुण क्या होता है ?

उत्तर 5 :- वफादार का मुख्य गुण है :-

          ..❶ फरमानबरदार हो।

          ..❷ आज्ञाकारी हो।

          ..❸ ईमानदार हो।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( संकल्प, ताज, अनुभव, भविष्य, फाइल, सक्सेसफुल, सर्विसेबल, डबल क्राउन, स्पष्ट, दिव्य, तिलक, डबल रिफाइन, नयनों, खत्म फरमानबरदार )

 

 1   ऐसा ______ है कि जो कुछ बोलना हो वह मुंह से न बोल ______ से बोलें ? आज  यह मास्टर नॉलेजफुल, पावरफुल, ______, ______ की सभा है।

   ..   अनुभव /  नयनों /  सक्सेसफुल /  सर्विसेबल

 

 2  अगर ______ ______ धारण नही करेंगे तो ______ में भी डबल क्राउन तो मिल ही नही सकता।

  ..   डबल क्राउन /  भविष्य

 

 3   अगर अभी-अभी अपना संगमयुगी ______, ______, तख्तनशीन पुरुषोत्तम, मर्यादा सम्पन्न स्वरूप देखो और साथ-साथ अपना भविष्य स्वरूप भी देखो; तो दोनों से कौन सा रूप ______, आकर्षणमूर्त, अलौकिक, ______ वा रूहानी देखने मे आयेगा।

  ..   ताज /  तिलक /  स्पष्ट /  दिव्य

 

 4  जो ______ ______ हो जाएंगे उनको फाइन नही पड़ेगा। फाइनल वाले का कोई ______ रह नही जाता। इसलिए जो भी कुछ फाइल रहा हुआ है उसको ______ करो।

  ..   डबल रिफाइन /  फाइल /  खत्म

 

 5  सदैव अपने को ______ के स्वरूप में स्थित कर फिर कोई ______ करो ।

  ..    फरमानबरदार /  संकल्प

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :-  क्या नयनों से नही जान सकेंगे ? अपने मन की भावना वा बुद्धि के संकल्पों को नैनों से प्रकट नही कर सकते। यह भी तो पढ़ाई का पाठ है।

 

 2  :-  यह महावीरों का ग्रुप है ना। औरों की बैटरी को डिस्चार्ज करने वाले इंचार्ज है 

 ..  यह महावीरों का ग्रुप है ना।  औरों की बैटरी को चार्ज करने वाले इंचार्ज है ।

 

3  :-  आज डबल ताजधारी, तिलकधारी, तख्तनशीन, राजऋषि दरबार देख रहे है। भविष्य की दरबार तो इस दरबार के आगे रमणीक लगती है          

..  आज डबल ताजधारी, तिलकधारी, तख्तनशीन, राजऋषि दरबार देख रहे है। भविष्य की दरबार तो इस दरबार के आगे फीकी लगती हैे।

 

 4  :-  इसलिए अभी जल्दी-जल्दी अपने को फाइनल स्टेज पर ले आओ। ऐसी फाइनल स्टेज बनाओ जो अब भी फाइन पड़े।

 ..  इसलिए अभी जल्दी-जल्दी अपने को फाइनल स्टेज पर ले आओ। ऐसी फाइनल स्टेज बनाओ जो अब भी फाइन न पड़े।

 

5   :-   बाप तो सम्पूर्ण आज्ञाकारी है। एक-दो को देख हर्षित हो रहे हो ना। संगमयुग के दरबार का यह श्रृंगार है।