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AVYAKT MURLI
20 / 09 / 71
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20-09-71 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
रूहानी स्नेही बनो
व्यक्त से अव्यक्त होने में कितना समय लगता है? आप किसको अज्ञानी से ज्ञानी कितने समय में बना सकते हो? अभी की स्टेज प्रमाण कितने समय में बना सकते हो? अपने लिए क्या समझते हो, कितने समय में बना सकते हो? बनने वाले की बात दूसरी रही, लेकिन जो बनने वाला अच्छा हो, उनको आप अपने पावर अनुसार कितने समय में बना सकते हो? अभी अपनी स्पीड का मालूम तो होता है ना। समय प्रमाण अभी अज्ञानी को ज्ञानी बनाने में कुछ समय लगता है। वह भी इसलिए, क्योंकि बनाने वाले अपने को अव्यक्त रूप बनाने में अभी तक बहुत समय ले रहे हैं। जैसे-जैसे बनाने वाले स्वयं एक सेकेण्ड में व्यक्त से अव्यक्त रूप में स्थित होने के अभ्यासी बनते जायेंगे, वैसे ही बनने वालों को भी इतना जल्दी बना सकेंगे। कोई देवता धर्म की आत्मा न भी हो, लेकिन एक सेकेण्ड में किसको मुक्ति, किसको जीवन्मुक्ति का वरदान देने के निमित्त बन जायेंगे। सर्व आत्माओं को मुक्ति का वरदान आप ब्राह्मणों द्वारा ही प्राप्त होना है। जैसे मशीनरी में कोई चीज़ डाली जाती है तो जो जिस तरफ जाने की चीज़ होती है वह उस रूप में और उसी तरफ आटोमेटिकली एक सेकेण्ड में बनती जाती है और निकलती जाती है, क्योंकि मशीनरी की स्पीड तेज होने के कारण एक सेकेण्ड में जो जहाँ की होती है, वहाँ की हो जाती है। जिसको जो रूप लेना होता है वह रूप लेते जाते हैं। यह रूहानी मशीनरी फिर कम है क्या? इस मशीनरी द्वारा आप एक सेकेण्ड में मुक्ति वालों को मुक्ति, जीवन्मुक्ति वालों को जीवन्मुक्ति का वरदान नहीं दे सकते हो? जबकि आप हो ही महादानी और महाज्ञानी, महायोगी भी हो, जबकि लिखते भी हो एक सेकेण्ड में अपना जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त कर सकते हो, क्या ऐसे ही लिखते हो वा बोलते हो? यथार्थ बात है तब तो लिखते वा बोलते हो ना। तो एक सेकेण्ड में आत्मा को मुक्ति, जीवन्मुक्ति का मार्ग दिखा सकती हो वा वरदान दे सकती हो ना। वरदान को प्राप्त करवाना, अपने को वरदान द्वारा भरपूर बनाना वह दूसरी बात है, लेकिन आप तो वरदान दे सकती हो ना। एक सेकेण्ड के वरदानीमूर्त हो? अपने को एक सेकेण्ड में व्यक्त से अव्यक्त बना सकते हो? कितने समय के लिए? अल्पकाल के लिये बना सकते हो, इसी कारण ही बनने वालों को भी अल्प समय का नशा, अल्प समय की खुशी होती है। वे अल्प समय के लिए परिवर्तन में आते हैं। जैसे बनाने वाले मास्टर रचयिता, वैसे ही रचना भी ऐसे ही अब तक बन रही है। जैसे आप लोग बाप से अल्प समय के लिए रूह-रूहान करते हो, मिलन का, मगन का, गुणों का, स्वरूप का अनुभव करते हो, ऐसे ही रचना भी अल्पकाल के लिए आप लोगों की महिमा करती है, अल्प समय के लिए मिलने-जुलने का सम्बन्ध रखते हैं। अल्प समय के लिए खुद अनुभव करते हैं, गुणगान करते हैं वा कभी-कभी इस प्राप्त हुए अनुभव को वर्णन करते हैं। तो इसका कारण कौन? मीटिंग में अनेक कारण को मिटाने का प्रोग्राम बनाया? अगर इस कारण का निवारण कर लो तो और सभी कारण ऐसे समाप्त हो जायेंगे जैसे कि थे ही नहीं। तो मूल कारण यही है। सदा बाप के स्नेह और सहयोग में रहने से सर्व आत्माएं आपके स्नेह में सहयोगी स्वत: ही बन जायेंगी। सुनाया था ना कि आज आत्माओं को सर्व अल्पकाल के सुख-शान्ति के साधन हैं लेकिन सच्चा स्नेह नहीं है। स्नेह की भूखी आत्माएं हैं। अन्न और धन शरीर के तृप्ति का साधन है, लेकिन आत्मा की तृप्ति रूहानी स्नेह से हो सकती है। वह भी अविनाशी हो। तो स्नेही ही स्नेह का दान दे सकते हैं। अगर स्वयं भी सदा स्नेही नहीं होंगे तो अन्य आत्माओं को भी सदाकाल का स्नेह नहीं दे सकेंगे। इसलिए सदा स्नेही बनने से, स्नेही स्नेह में आकर स्नेही के प्रति सभी-कुछ न्योछावर वा अर्पण कर ही देते हैं। स्नेही को कुछ भी समर्पण करने लिए सोचना वा मुश्किल होना नहीं होता है। तो इतनी जो बहुत बातें सुनते हो, बहुत मर्यादाएं वा नियम सुनते-सुनते यह भी सोचने लगते हो कि इतना सभी करना पड़ेगा, लेकिन यह सभी करने के लिए सभी से सहज युक्ति वा सर्व कमजोरियों से मुक्ति की युक्ति यही है कि ‘सदा स्नेही बनो’। जिसके स्नेही हैं, उस स्नेही के निरन्तर संग से रूहानियत का रंग सहज ही लग जाता है।
अगर एक-एक मर्यादा को जीवन में लाने का प्रयत्न करेंगे तो कहॉं मुश्किल कहॉं सहज लगेगा और इसी प्रैक्टिस में वा इसी कमज़ोरी को भरने में ही समय बीत जायेगा। इसलिए अब एक सेकेण्ड में मर्यादा पुरूषोत्तम बनो। कैसे बनेंगे? सिर्फ सदा स्नेही बनने से। बाप का सदैव स्नेही बनने से, बाप द्वारा सदा सहयोग प्राप्त होने से मुश्किल बात सहज हो जाती है। जो सदा स्नेही होंगे उनकी स्मृति में भी सदा स्नेह ही रहता है, उनकी सूरत से सदा स्नेही की मूर्त प्रत्यक्ष दिखाई देती है। जैसे लौकिक रीति से भी अगर कोई आत्मा किस आत्मा के स्नेह में रहती है तो फौरन ही देखने वाले अनुभव करते हैं कि यह आत्मा किसके स्नेह में खोई हुई है। तो क्या रूहानी स्नेह में खोई हुई आत्माओं की सूरत स्नेही मूर्त्त को प्रत्यक्ष नहीं करेगी? उनके दिल का लगाव सदैव उस स्नेही से लगा हुआ रहता है। तो एक ही तरफ लगाव होने से अनेक तरफ का लगाव सहज ही समाप्त हो जाता है। और तो क्या लेकिन अपने आप का लगाव अर्थात् देह-अभिमान, अपने आपकी स्मृति से भी सदैव स्नेही खोया हुआ होता है। तो सहज युक्ति वा विधि जब हो सकती है, तो क्यों नहीं सहज युक्ति, विधि से अपनी स्टेज की स्पीड में वृद्धि लाती हो! सदा स्नेही, एक सर्वशक्तिमान् के स्नेही होने कारण सर्व आत्माओं के स्नेही स्वत: बन जाते हैं। इस राज़ को जानने से राजयुक्त, योगयुक्त वा दिव्य गुणों से युक्तियुक्त बनने के कारण राज़युक्त आत्मा सर्व आत्माओं को अपने आप से सहज ही राज़ी कर सकती है। जब राज़युक्त नहीं होते हो, तब कोई को राज़ी नहीं कर सकते हैं। अगर उसकी सूरत वा साज़ द्वारा उसके मन के राज़ को जान जाते हैं, तो सहज ही उसको राज़ी कर सकते हैं। लेकिन कहाँ-कहाँ सूरत को देखते, साज़ को सुनते उनके मन के राज़ को न जानने के कारण अन्य को अभी भी नाराज़ करते हो वा स्वयं नाराज होते हो। सदा स्नेही के राज़ को जान राज़युक्त बनो। अच्छा। भविष्य में विश्व के मालिक बनना है, यह तो पता है ना। मगर अभी क्या हो? अभी विश्व के मालिक हो वा सेवाधारी हो? अच्छा।
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- ब्राह्मण आत्मायें कैसे अन्य आत्माओं को आप समान बना सकती हैं?
प्रश्न 2 :- अज्ञानी को ज्ञानी बनाने में समय क्यों लगता है? इसके विषय में बाबा ने क्या कारण बताया है?
प्रश्न 3 :- सदा रूहानी स्नेह में रहने से क्या लाभ है?
प्रश्न 4 :- जो आत्मा बाप के स्नेह में समाई हुई होगी उसकी निशानी क्या होगी?
प्रश्न 5 :- कौन सी आत्मा सहज ही सर्व आत्माओं को राज़ी कर सकती है?
FILL IN THE BLANKS:-
( वरदान, रूहानियत, प्रयत्न, रंग, अल्पकाल, सच्चा, स्नेही, निरन्तर, मुश्किल, स्वयं, साधन, सदाकाल, मर्यादा, भरपूर, बात )
1 आज आत्माओं को सर्व_______के सुख-शान्ति के_______ हैं लेकिन _______ स्नेह नहीं है। स्नेह की भूखी आत्माएं हैं।
2 अगर _____भी सदा ______ नहीं होंगे तो अन्य आत्माओं को भी _______ का स्नेह नहीं दे सकेंगे।
3 जिसके स्नेही हैं, उस स्नेही के ______ संग से _______ का _____ सहज ही लग जाता है।
4 अगर एक-एक ______ को जीवन में लाने का ______ करेंगे तो कहाँ ______कहाँ सहज लगेगा।
5 अपने को वरदान द्वारा______ बनाना वह दूसरी _____ है, लेकिन आप तो _______ दे सकती हो ना।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- अभी अपनी स्पीड का मालूम तो होता है ना।
2 :- एक सेकेण्ड के अनुभवीमूर्त हो? अपने को एक सेकेण्ड में व्यक्त से अव्यक्त बना सकते हो?
3 :- एक सेकेण्ड में आत्मा को मुक्ति, जीवन्मुक्ति का मार्ग दिखा सकती हो।
4 :- इतनी जो बहुत बातें सुनते हो, बहुत मर्यादाएं वा नियम सुनते-सुनते यह भी सोचने लगते हो कि इतना सभी करना पड़ेगा।
5 :- जैसे बनाने वाले मास्टर रचयिता, वैसे ही रचना भी ऐसे ही अब तक बन रही है।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- ब्राह्मण आत्मायें कैसे अन्य आत्माओं को आप समान बना सकती हैं?
उत्तर 1 :- अन्य आत्माओं को आप समान बनाने के लिए बाबा ने बताया कि :-
❶ जैसे-जैसे बनाने वाले स्वयं एक सेकेण्ड में व्यक्त से अव्यक्त रूप में स्थित होने के अभ्यासी बनते जायेंगे, वैसे ही बनने वालों को भी इतना जल्दी बना सकेंगे।
❷ कोई देवता धर्म की आत्मा न भी हो, लेकिन एक सेकेण्ड में किसको मुक्ति, किसको जीवनमुक्ति का वरदान देने के निमित्त बन जायेंगे।
❸ सर्व आत्माओं को मुक्ति का वरदान आप ब्राह्मणों द्वारा ही प्राप्त होना है।
प्रश्न 2 :- अज्ञानी को ज्ञानी बनाने में समय क्यों लगता है? इसके विषय में बाबा ने क्या कारण बताया है?
उत्तर 2 :- समय प्रमाण अभी अज्ञानी को ज्ञानी बनाने में कुछ समय लगता है। वह भी इसलिए :-
❶ क्योंकि बनाने वाले अपने को अव्यक्त रूप बनाने में अभी तक बहुत समय ले रहे हैं।
❷ इसी कारण ही बनने वालों को भी अल्प समय का नशा, अल्प समय की खुशी होती है। वे अल्प समय के लिए परिवर्तन में आते हैं।
❸ जैसे आप लोग बाप से अल्प समय के लिए रूह-रूहान करते हो, मिलन का, मगन का, गुणों का, स्वरूप का अनुभव करते हो, ऐसे ही रचना भी अल्पकाल के लिए आप लोगों की महिमा करती है, अल्प समय के लिए मिलने-जुलने का सम्बन्ध रखते हैं।
प्रश्न 3 :- सदा रूहानी स्नेह में रहने से क्या लाभ है?
उत्तर 3 :- सदा रुहानी स्नेह में रहने से निम्न लाभ हैं :-
❶ सदा बाप के स्नेह और सहयोग में रहने से सर्व आत्माएं आपके स्नेह में सहयोगी स्वत: ही बन जायेंगी।
❷ अन्न और धन शरीर के तृप्ति का साधन है, लेकिन आत्मा की तृप्ति रूहानी स्नेह से हो सकती है। वह भी अविनाशी हो। तो स्नेही ही स्नेह का दान दे सकते हैं।
❸ सदा स्नेही बनने से, स्नेही स्नेह में आकर स्नेही के प्रति सभी-कुछ न्योछावर वा अर्पण कर ही देते हैं।
❹ स्नेही को कुछ भी समर्पण करने लिए सोचना वा मुश्किल होना नहीं होता है।
प्रश्न 4 :- जो आत्मा बाप के स्नेह में समाई हुई होगी उसकी निशानी क्या होगी?
उत्तर 4 :- जो आत्मा बाप के स्नेह में समाई हुई होगी उसकी निशानी होगी-
❶ जो सदा स्नेही होंगे उनकी स्मृति में भी सदा स्नेह ही रहता है, उनकी सूरत से सदा स्नेही की मूर्त प्रत्यक्ष दिखाई देती है।
❷ बाप का सदैव स्नेही बनने से, बाप द्वारा सदा सहयोग प्राप्त होने से मुश्किल बात सहज हो जाती है।
❸ जैसे लौकिक रीति से भी अगर कोई आत्मा किस आत्मा के स्नेह में रहती है तो फौरन ही देखने वाले अनुभव करते हैं कि यह आत्मा किसके स्नेह में खोई हुई है।
प्रश्न 5 :- कौन सी आत्मा सहज ही सर्व आत्माओं को राज़ी कर सकती है?
उत्तर 5 :- बाबा कहते है कि:-
❶ राजयुक्त, योगयुक्त वा दिव्य गुणों से युक्तियुक्त बनने के कारण राज़युक्त आत्मा सर्व आत्माओं को अपने आप से सहज ही राज़ी कर सकती है।
❷ जब राज़युक्त नहीं होते हो, तब कोई को राज़ी नहीं कर सकते हैं।
❸ अगर उसकी सूरत वा साज़ द्वारा उसके मन के राज़ को जान जाते हैं, तो सहज ही उसको राज़ी कर सकते हैं।
FILL IN THE BLANKS:-
( वरदान, रूहानियत, प्रयत्न, रंग, अल्पकाल, सच्चा, स्नेही, निरन्तर, मुश्किल, स्वयं, साधन, सदाकाल, मर्यादा, भरपूर, बात )
1 आज आत्माओं को सर्व _____ के सुख-शान्ति के ____ हैं लेकिन _____ स्नेह नहीं है। स्नेह की भूखी आत्माएं हैं।
अल्पकाल / साधन / सच्चा
2 अगर ______ भी सदा _____ नहीं होंगे तो अन्य आत्माओं को भी ______ का स्नेह नहीं दे सकेंगे।
स्वयं / स्नेही / सदाकाल
3 जिसके स्नेही हैं, उस स्नेही के _____ संग से _______ का _____ सहज ही लग जाता है।
निरंतर / रुहानियत / रंग
4 अगर एक-एक ______ को जीवन में लाने का ______ करेंगे तो कहाँ ______ कहाँ सहज लगेगा।
मर्यादा / प्रयत्न / मुश्किल
5 अपने को वरदान द्वारा _____ बनाना वह दूसरी ______ है, लेकिन आप तो _______ दे सकती हो ना।
भरपूर / बात / वरदान
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- अभी अपनी स्पीड का मालूम तो होता है ना। 【✔】
2 :- एक सेकेण्ड के अनुभवीमूर्त हो? अपने को एक सेकेण्ड में व्यक्त से अव्यक्त बना सकते हो? 【✖】
एक सेकेण्ड के वरदानीमूर्त हो? अपने को एक सेकेण्ड में व्यक्त से अव्यक्त बना सकते हो?
3 :- एक सेकेण्ड में आत्मा को मुक्ति, जीवन्मुक्ति का मार्ग दिखा सकती हो।【✔】
4 :- इतनी जो बहुत बातें सुनते हो, बहुत परम्पराएं वा नियम सुनते-सुनते यह भी सोचने लगते हो कि इतना सभी करना पड़ेगा। 【✖】
इतनी जो बहुत बातें सुनते हो, बहुत मर्यादाएं वा नियम सुनते-सुनते यह भी सोचने लगते हो कि इतना सभी करना पड़ेगा।
5 :- जैसे बनाने वाले मास्टर रचयिता, वैसे ही रचना भी ऐसे ही अब तक बन रही है। 【✔】