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AVYAKT MURLI

09 / 10 / 71

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09-10-71  ओम शान्ति  अव्यक्त बापदादा  मधुबन

 

पावरफुल वृत्ति से सर्विस में वृद्धि

 

आज यह संगठन किस लक्ष्य से इकठ्ठा हुआ है? संगठन में प्राप्ति तो होती है, लेकिन आपस में मिलने का भी लक्ष्य क्या रखा है? कुछ नया प्लैन सोचा है? क्योंकि यह संगठन है सर्वश्रेष्ठ आत्माओं का वा समीप आत्माओं का। सभी की नज़र समीप और श्रेष्ठ आत्माओं के ऊपर है। तो श्रेष्ठ आत्माओं को ‘‘सर्विस में वा अपने संगठन में श्रेष्ठता और नवीनता कैसे लायें’’-यह सोचना है। नवीनता किसको कहा जाता है? नवीनता अर्थात् ऐसा कोई सहज लेकिन पावरफुल प्लैन बनाओ जो वह पावरफुल प्लैन पावर द्वारा आत्माओं को आकर्षित करे। ऐसा प्लैन बनाओ जो दूर से ही आत्माओं को आकर्षण हो। जैसे परवाने होते हैं, तो शमा की आकर्षण परवानों को, चाहे कितना भी दूर हो, खैंच लेती है। वा कोई तेज अग्नि जगी हुई होती है तो दूर से ही उसका सेक अनुभव होता है। समझते हैं - यहाँ कोई अग्नि है। वा कोई बिल्कुल ठण्डी चीज़ कहीं भी होती है तो दूर से ही उसकी शीतलता का अनुभव और आकर्षण होता है। इसी रीति से ऐसा अपना रूप और सर्विस की रूप-रेखा बनाओ जो दूर से ही आकर्षण होती आत्मायें समीप आती जाएं। जैसे वायुमण्डल में कोई चीज़ फैल जाती है तो सारे वायुमण्डल में काफी दूर तक उनका प्रभाव छाया होता है। इसी रीति से इतने सब सहज योगी वा श्रेष्ठ आत्मायें अपने वायुमण्डल को ऐसा रूहानी बनायें जो आसपास का वायुमण्डल रूहानियत के कारण आत्माओं को अपनी तरफ खैंच ले।

वायुमण्डल को बनाने के लिए मुख्य कौनसी युक्ति है? वायुमण्डल कैसे बन सकता है? वृत्ति से वायुमण्डल बनाना है। जैसे देखो, कोई के अन्दर किसके प्रति वृत्ति में कोई बात जाती है तो आप लोग क्या कहते हो? वायुमण्डल में मेरे प्रति यह बात है। वायुमण्डल का फाउन्डेशन वृत्ति है। तो वृत्तियों को जब तक पावरफुल नहीं बनाया है तब तक वायुमण्डल में रूहानियत वा सर्विस में वृद्धि जो चाहते हैं वह नहीं हो सकती। अगर बीज पावरफुल होता तो वृक्ष भी पावरफुल होता है। तो बीज है वृत्ति, उससे ही अपनी वा सर्विस की वृद्धि कर सकते हो। वृद्धि का आधार वृत्ति है। और वृत्ति में क्या भरना है, जिससे वृत्ति पावरफुल हो जाए? तो वह एक ही बात है कि वृत्ति में हर आत्मा के प्रति रहम वा कल्याण की वृत्ति रहे। तो ऑटोमेटिकली आत्माओं के प्रति यह वृत्ति होने के कारण उन आत्माओं को आप लोगों के रहम वा कल्याण का वायब्रेशन पहुँचेगा। जैसे रेड़िओ का आवाज़ कैसे आता है? वायुमण्डल में जो वायब्रेशन होते हैं उनको कैच करते हैं। वायरलेस द्वारा वायब्रेशन कैच करते हैं। तो यह सब साइंस द्वारा एक-दो के आवाज़ को कैच कर सकते हैं वा सुन सकते हैं। तो वह है वायरलेस द्वारा और यह है रूहानी पावर द्वारा। यह भी अगर वृत्ति पावरफुल है, तो वृत्ति द्वारा वायब्रेशन जो होगा वह उस आत्मा को ऐसे ही स्पष्ट अनुभव होगा जैसे रेडियो का स्वीच खोलने से स्पष्ट आवाज़ सुनने में आता है। आजकल टेलिवीज़न द्वारा भी एक्ट, आवाज़ को स्पष्ट जान सकते हैं। ऐसे ही अब वृत्तियों द्वारा बहुत सर्विस कर सकते हो। जैसे टेलिवीज़न वा रेडियो की स्टेशन एक ही स्थान पर होते हुए भी कहाँ-कहाँ वह पहुंचता है! ऐसे ही वृत्ति में इतनी पावर होनी चाहिए जो कहाँ भी बैठें, लेकिन जितनी पावरफुल स्टेज उतना दूर तक पहुँच जाता है। इसी रीति से जिस आत्मा की वृत्ति जितनी पावरफुल है उतना एक स्थान पर चारों ओर वृत्ति द्वारा आत्माओं को आकर्षण करेंगे। अभी यह सर्विस चाहिए। वाणी और वृत्ति - दोनों साथ-साथ चाहिए। होता क्या है-जब वृत्ति द्वारा सर्विस करते हो तो वाणी नहीं चलती और जब वाणी द्वारा सर्विस करते हो तो वृत्ति की पावर कम होती। लेकिन होना क्या चाहिए? जैसे आजकल सिनेमा अथवा टी0वी0 में एक्ट भी, आवाज़ भी - दोनों साथ-साथ चलता है। दोनों कार्य साथ-साथ चलते हैं ना। इसमें भी प्रैक्टिस हो तो वृत्ति और वाणी - दोनों की इकट्ठी-इकट्ठी सर्विस हो। ज्यादा वाणी में आने के कारण जो वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को पावरफुल बना सकते हैं वह नहीं कर पाते। सिर्फ वाणी होने के कारण उसकी पावर इतने समय तक चलती है जितना समय सम्मुख वा समीप हैं। वृत्ति वाणी से सूक्ष्म है ना। तो सूक्ष्म का प्रभाव जास्ती पड़ेगा। मोटे रूप का प्रभाव कम होगा। तो सूक्ष्म पावर भी हो और स्थूल भी हो। दोनों पावर्स से वृत्ति हो, ऐसा कुछ अनोखापन दिखाई दे।

अभी महान् अन्तर दिखाई नहीं देता है। एक ही स्टेज पर दोनों प्रकार की आत्मायें इकट्ठी विराज़मान हों तो जनता को महान् अन्तर दिखाई दे। साक्षी होकर देखो तो महान् अन्तर दिखाई देता है? जैसे कोई बहुत पावरफुल चीज़ होती है तो दूसरी चीज़ों का इफेक्ट उसके ऊपर नहीं होता है। यहाँ भी अगर स्थूल स्टेज पर अपनी सूक्ष्म पावरफुल स्टेज है; तो दूसरे भले कितना भी पावरफुल बोलें लेकिन वायुमण्डल में उनका प्रभाव नहीं पड़ सकता। जैसे यादगार रूप में दिखाते हैं - स्थूल युद्ध का रूप, एक तरफ तीर आया और रास्ते में उसको कट दिया। तीर निकला और वहाँ ही खत्म कर दिया। यह वृत्ति से ही वायुमण्डल को पावरफुल बना सकते हो। अभी कहाँ-कहाँ अपनी स्टेज की कमी होने के कारण अपनी स्टेज पर अन्य आत्माओं का प्रभाव वायुमण्डल पर पड़ता है, क्यों? कारण क्या है? वृत्ति द्वारा आत्माओं को रूहानियत का घेराव नहीं डाल सकते हो। जैसे कोई भी आत्मा को पकड़ना होता है तो घेराव ऐसा डालते हैं जो निकल ही नहीं सकें। वृत्ति द्वारा रूहानियत का घेराव वायुमण्डल में डालने से कोई भी आत्मा रूहानी आकर्षण से बाहर नहीं निकल सकती। अभी ऐसी सर्विस चाहिए। क्योंकि वह करामात देखने को हिरे हुए हैं ना, तो सब सोचते हैं - कोई करामात दिखावे। लेकिन यहाँ करामात के बजाय कमालियत दिखानी है। उन्हों की है ऋद्धि सिद्धि द्वारा करामात और आप लोगों का है वृत्ति द्वारा कमालियत दिखाना। अभी कोई कमालियत दिखाते हैं, उन्हों को विशेषता का अनुभव ज़रूर होना चाहिए। होता क्या है कि आत्माओं का अल्पकाल का प्रभाव कहाँ-कहाँ पड़ जाता है-उन्हों को नोट करते हो यह कैसे करते हैं, यह कैसे बोलते हैं। इसी कारण अपनी अथॉरिटी का जो फोर्स होना चाहिए वह दूसरे तरफ दृष्टि जाने से कमज़ोर हो जाता है। क्योंकि यह भी बड़ा सूक्ष्म नियम है। जबकि वायदा है कि वृत्ति में, सुनने में, देखने में, सोचने में एक के सिवाय और कोई नहीं। आत्माओं के प्रभाव को बुद्धि में रखते हुए वा आत्माओं के प्रभाव को देखते हुए करना - यह भी सूक्ष्म में लिंक टूट जाती है। जैसे शुरू-शुरू में मस्त फकीर रमतायोगी थे। अपनी नॉलेज की पावर को प्रत्यक्ष करने में समर्थ थे। वह समर्थी होने के कारण फर्स्ट रचना भी समर्थ हुई। और अबकी रचना फर्स्ट रचना के माफिक समर्थ है? चाहे कितने भी उमंग आते हैं लेकिन पहली रचना जो समर्थ थी अब वह नहीं है। नॉलेज के अनुभवी तो आप दिन-प्रतिदिन बन रहे हो लेकिन पावरफुल स्टेज जो पहले थी वह है? वह निर्भयता है? वह अथॉरिटी के बोल पहले जैसे अभी हैं?

जैसे कभी-कभी कोई चीज़ को ज्यादा रिफाइन करते हैं - तो रिफाइन भले हो जाती है, लेकिन पावरलेस हो जाती है। आजकल की चीज़ों में रिफाइन होते भी फोर्स है? तो यह भी नॉलेज का रूप रिफाइन हो गया है, टैक्ट रिफाइन हो गई है लेकिन फोर्स कम है। पहली बातें अगर स्मृति में लाओ तो वह खुमारी कितनी थी! नॉलेज की आकर्षण नहीं थी लेकिन मस्तक और नयनों में आकर्षण थी। नयनों से सब अनुभव करते थे कि यह कोई अल्लाह लोग आए हैं। अभी मिक्स होने के कारण मिक्सड दिखाई देते हैं। बहुत मिक्स वाली चीज़ जो होती है वह अल्पकाल के लिए रसना बहुत देती है लेकिन उसमें ताकत नहीं होती। जैसे चटनी कितनी चटपटी होती है लेकिन उसमें पावर है? सिर्फ अल्पकाल के लिए जीभ का रस आकर्षण करता है। तो यह भी बहुत मिक्स करने से अल्पकाल के लिए सुनने में बहुत अच्छा लगता है, परन्तु पावर नहीं। जैसे ताकत की चीज़ एनर्जा को बढ़ाती है और एनर्जा सदाकाल का साथी बन जाती है। इसी रीति से जो अथॉरिटी और ओरीजनल्टी के बोल हैं वह सदाकाल के लिए शक्ति रूप बना देता है और जो रमणीक रूप वा मिक्स रूप करते हैं तो वह सिर्फ अल्पकाल के लिए रूचि में लाते हैं। आत्माओं को रूचि में लाना है वा शक्ति भरनी है? क्या करना है? शक्ति उन्हों को सदाकाल के लिए आकर्षित करती रहेगी। और रूचि अभी है, फिर दूसरी कोई बात सुनी तो उस तरफ रूचि होने के कारण वहाँ ही खत्म हो जायेगी। तो ऐसा अभी रमतायोगी बनो। ऐसे अनुभव होने चाहिए - जैसे कोई बड़े-बड़े महात्माएं होते हैं बहुत समय गुफाओं में रहने के बाद सृष्टि पर आते हैं सेवा के लिए। ऐसे जब स्टेज पर आते हो तो यह अनुभव होना चाहिए कि यह आत्माएं बहुत समय के अन्तर्मुखता, रूहानियत की गुफा से निकल कर सेवा के लिए आई हैं। तपस्वी रूप दिखाई दे। बेहद के वैराग की रेखायें सूरत से दिखाई दें। कोई थाडा-सा वैरागी होता है तो उनकी झलक सिद्ध करती है ना कि यह वैरागी हैं। तो बेहद की वैराग वृत्ति दिखाई देनी चाहिए। स्टेज पर जब सर्विस पर आते हो तो आपकी सूरत ऐसे अनुभव होनी चाहिए जैसे प्रोजेक्टर की मशीन होती है - उसमें स्लाइड्स चेन्ज होती जाती हैं। कितना अटेन्शन से देखते हैं! वह सीन स्पष्ट दिखाई देती है। वैसे जब सर्विस की स्टेज पर आते हो - एक-एक की सूरत प्रोजेक्टर-शो की मशीन माफिक दिखाई दे। रहमदिल का गुण सूरत से दिखाई देना चाहिए। बेहद के वैरागी हो तो बेहद वैराग्य की रेखायें सूरत से दिखाई देनी चाहिए। आलमाइटी अथॉरिटी द्वारा निमित्त बने हुए हो तो अथॉरिटी का रूप दिखाई देना चाहिए। जैसे उसमें भी स्लाइड्स भर लेते हैं, फिर एक-एक स्पष्ट दिखाई देता है। इसी रीति से आत्मा में जो सर्व गुणों के वा सर्व शक्तियों के संस्कार भरे हुए हैं वह एक-एक संस्कार सूरत से स्पष्ट दिखाई दें। इसको कहा जाता है सर्विस। जैसे साकार रूप का इग्जैम्पल देखा, सूरत से हर गुण का प्रत्यक्ष साक्षात्कार किया। फालो फादर। कैसी भी अथॉरिटी वाला आये वा कैसे भी मूड वाला आये लेकिन गुणों की पर्सनैलिटी, रूहानियत की पर्सनैलिटी, सर्व शक्तियों की पर्सनैलिटी के सामने क्या करेंगे? झुक जायेंगे। अपना प्रभाव नहीं डाल सकेंगे।

यह वृत्ति द्वारा वायुमण्डल पावरफुल बनाने के कारण उन्हों की वृत्ति वा उन्हों के अन्दर के वायब्रेशन बदल जायेंगे। सबके मुख से वृत्ति की पावर का वर्णन होता था ना। तो वृत्ति और वाणी की अथॉरिटी का प्रत्यक्ष सबूत देखा, तो फालो करना चाहिए ना। अब स्नेह रूप में तो पास हो गये। अब किसमें पास होना है? क्योंकि अन्तिम स्वरूप है ही शक्ति का। कोई भी आत्मा आप लोगों के पास आती है तो पहले जगत्-माता का स्नेह रूप धारण करते हो, लेकिन जब वह चलना शुरू करता है और माया का सामना करना पड़ता है, तो सामना करने में सहयोगी बनने के लिए शक्ति रूप भी धारण करना पड़े।

जहाँ देखेंगे निमित्त बनी हुई आत्माएं सिर्फ स्नेह मूर्त हैं, तो उन्हों की रचना में भी समस्याओं को सामना करने की शक्ति कम होगी। यज्ञ वा दैवी परिवार के स्नेही, सहयोगी होंगे लेकिन सामना नहीं कर सकेंगे। कारण? रचता का प्रभाव रचना पर पड़ता है। अभी जो भी आत्माएं आगे बढ़ते-बढ़ते अब जहाँ तक पहुँच गई हैं, उससे आगे बढ़ाने के लिए विशेष आत्माओं को विशेष क्या करना है? जिन आत्माओं के निमित्त बने हो उन आत्माओं में भी शक्ति रूप से शक्ति भरने की आवश्यकता है। वर्तमान समय के मैजारिटी आत्माओं की रिजल्ट क्या दिखाई देती है? पीछे हटेंगे भी नहीं और आगे बढ़ेंगे भी नहीं। अटके हुए भी नहीं हैं, लटके हुए भी नहीं हैं लेकिन शक्ति नहीं है जो जम्प दे सकें। एक्स्ट्रा फोर्स चाहिए। जैसे राकेट में फोर्स भरकर इतना ऊपर भेजते हैं ना, तो अभी आत्माओं को परवरिश चाहिए। अपनी यथा शक्ति से जम्प नहीं दे सकते। विशेष आत्माओं को विशेष शक्ति भरकर के हाई जम्प दिलाना है। चाहते हैं, पुरूषार्थ भी करते हैं लेकिन अभी फोर्स चाहिए। वह फोर्स कैसे देंगे? जब पहले अपने में इतना फोर्स हो जो अपने को तो आगे बढ़ा सको लेकिन शक्ति का दान भी कर सको। जैसे ज्ञान का दान करते हो वैसे अभी चाहिए शक्ति का बल। अभी वरदातापन का कर्त्तव्य करना है। ज्ञानदाता बन बहुत किया, अब शक्तियों का वरदाता बनना है। इसलिए शक्तियों के आगे सदैव वर मांगते हैं। सिद्धि कैसे मिलेगी शक्तियों द्वारा? अभी कौनसी सर्विस करनी है? वरदानी बनकर सर्वशक्तियों का अपनी निमित्त बनी हुई रचना को वरदान देना है। विशेष आत्मायें जो निमित्त बनी हुई हों, वो ही ज्यादा यह सर्विस कर सकती हैं। यह ग्रुप विशेष आत्माओं का है ना। जैसे सुनाया - माइक बनना बहुत सहज है लेकिन आप लोगों की सर्विस, माइक तो बहुत बन जायेंगे लेकिन माइट भरने वाले आप हो। अभी यह आवश्यकता है। अभी अपने ही पुरूषार्थ में रहने का समय नहीं है, अब अपने पुरूषार्थ द्वारा प्रत्यक्ष होकर प्रभाव निकालने का समय है और वह प्रभाव ही आत्माओं को ऑटोमेटिकली आकर्षण करेगा।

पाण्डवों का गायन क्या है? गुप्त रहने के बाद प्रत्यक्ष हुए ना। अभी प्रत्यक्ष होना चाहिए। जैसे स्थूल स्टेज पर प्रत्यक्ष होते जा रहे हो, अब अपनी सूक्ष्म स्टेज को प्रत्यक्ष करो। गर्जना की रचना करो। अगर कमजोर रचना करेंगे तो कमजोर रचना को सम्भालने में भी समय लगेगा। पावरफुल रचना होने से सहयोगी बनेंगे। अभी ललकार करनी चाहिए। देवियों के पूजन में ललकार का ही पूजन होता है। यह पावर की निशानी यादगार रूप में है - जोर-जोर से चिल्लाते हैं। अपने अन्दर के फोर्स को इस रीति प्रसिद्ध करते हैं। देवियों का पूजन चुपचाप नहीं करेंगे, जोर-शोर से करते हैं। तो अब शक्तियों को ललकार और गर्जना करनी चाहिए-अपने सिद्धान्तों को सिद्ध करने में, तब सिद्धि को प्राप्त करेंगे। जब रिवाजी आत्मायें भी निर्भय होकर अपने सिद्धान्त को सिद्ध करने का कितना पुरूषार्थ करती हैं, तो आप लोगों को सिद्धान्तों को सिद्ध करने का कितना जोश होना चाहिए! आप वायुमण्डल के होश में जाते हो। आदि का पार्ट फिर से अन्त में गुह्य और गोपनीय रूप से रिपीट करना है। रिवाजी करामात दिखाने वालों की देखो - खुमारी कितनी होती है! अन्दर में समझते हैं कि यह अल्पकाल का है, फिर भी खुमारी कितनी रखते हैं! लेकिन जो सत्य खुमारी है वह कितनी कमालियत दिखा सकती है? उसके आगे उन्हों की खुमारी क्या है? अभी लास्ट कोर्स कौनसा रहा है? फोर्स रूप बनना है। अभी जगत्-माता बहुत बने, अब शक्तिरूप से स्टेज पर आना है। शक्तियां आसुरी संस्कारों को एक धक से खत्म करती हैं और स्नेही मां जो होती है वह धीरे-धीरे प्यार से पालना करती है। पहले वह आवश्यकता थी लेकिन अभी आवश्यकता है शक्ति रूप बन आसुरी संस्कारों को एक धक से खत्म करना। जैसे वह बलि चढ़ाते है तो पहले श्रृंगार करते हैं, उसमें समय लगता है। लेकिन जब बलि चढ़ती है तो एक सेकेण्ड में। श्रृंगार बहुत किया, अब एक धक से वायुमण्डल से भी आसुरी संस्कारों को खत्म करने का फोर्स होना चाहिए। रहमदिल के साथ-साथ शक्तिरूप का रूहाब भी होना चाहिए। सिर्फ रहमदिल भी नहीं। जितना ही अति रूहाब उतना ही अति रहम। शब्दों में भी रहमदिल का भाव हो, ऐसी सर्विस का अभी समय है। यह जो गायन है नज़र से निहाल करने का, वह किसका गायन है? शक्तियों के चित्रों में सदैव नयनों की शोभा आप देखेंगे। और कोई इतनी आकर्षण वाली चीज़ नहीं होती है। नयनों द्वारा ही सब भाव प्रसिद्ध करते हैं। तो यह नज़र से निहाल करना - यह सर्विस भी शक्तियों की गाई हुई है। नयनों की आकर्षण हो, नयनों में रूहानियत हो, नयनों में रूहाब हो, नयनों में रहमदिली हो - ऐसा प्लैन बनाना है।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- बाबा ने सर्विस संगठन में श्रेष्ठता और नवीनता लाने के लिये क्या समझनी दी है?

 प्रश्न 2 :- बाबा ने मुरली में वायुमंडल बनाने की कौन सी युक्ति बताई है?

 प्रश्न 3 :- अभी जो आत्माएं आगे तक नही पहुंची हैं उन आत्माओ को आगे बढ़ाने के लिये बाबा ने विशेष आत्माओं को विशेष क्या डायरेक्शन दिए हैं?

 प्रश्न 4 :- बाबा ने मुरली में आत्माओ को आकर्षित करने के लिये कौन सा रूप धारण करने को कहा है?

 प्रश्न 5 :- चेहरे द्वारा सर्विस कैसे हो सकती है ? इस बारे में बाबा ने क्या समझनी दी है?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( नयनों, रुचि, वाणी, कमालियत, वृत्ति, पावर, मस्त फकीर, प्रत्यक्ष, मस्तक, नॉलेज, ऑथॉरिटी, वृत्ति, ऋद्धि सिद्धि , अल्लाह, ओरिजनल्टी )

 

 1   शुरू शुरू में _______ रमतायोगी थे अपनी ______ की पावर को _______ करने मे  समर्थ थे।

 2  नॉलेज की आकर्षण नही थी लेकिन ______ और  _______ में आकर्षण थी नयनो से सब अनुभव करते थे कि यह कोई  _______ लोग आए हैं।

 3  _______ और ________ के बोल हैं वह सदा काल के लिये _____ में लाते हैं।

 4  जब  _______ द्वारा सर्विस करते हो तो ________ नही चलती और वाणी द्वारा सर्विस करते हो तो  वृत्ति की  ________ कम हो जाती है।

 5  उन्हों की है _______ द्वारा करामात और आज लोगो को है _______ द्वारा ______ दिखानी है

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- सभी की नजर समीप और श्रेष्ठ आत्माओ के ऊपर है

 2  :- अगर स्थूल स्टेज पर अपनी सूक्ष्म पावरफुल स्टेज है तो दूसरे भले कितना भी पावरफुल बोले लेकिन वायुममंडल पर उनका प्रभाव नही पड़ सकता

 3  :- वृत्ति द्वारा रूहानियत का घेराव डालने से कोई भी आत्मा रूहानी आकर्षण से बाहर नही निकल सकती

 4  :- माइक बनना बहुत सहज है लेकिन आप लोगो की सर्विस में माइक तो बहुत बन जाएंगे लेकिन माइट भरने वाला कोई नही है  

 5   :- यह वृत्ति द्वारा वायुमण्डल साधारण बनने के कारण उन्हों की वृत्ति उन्हों के वायब्रेशन बदल जाएंगे  

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- बाबा ने सर्विस व संगठन में श्रेष्ठता और नवीनता लाने के लिये क्या समझानी दी है?

 उत्तर 1 :- बाबा ने सर्विस संगठन में श्रेष्ठता और नवीनता लाने के लिये समझानी दी है :-     

          नवीनता अर्थात ऐसा कोई सहज लेकिन पावरफुल प्लेन जो वह पावरफुल प्लेन पावर द्वारा आत्माओं को आकर्षित करे। जैसे परवाने होते हैं, तो शमा की आकर्षण परवानो को चाहे कितना भी दूर हो खींच लेती हैं।

         जैसे वायुमंडल में कोई चीज फैल जाती है तो सारे वायुमंडल में काफी दूर तक उनका प्रभाव छाया होता है। इसी रीति से इतने सब सहज योगी श्रेष्ठ आत्मायें अपने वायुमंडल को ऐसे रूहानी बनाये जो आसपास रूहानियत के कारण आत्माओं को अपनी तरफ खींच लें।

 

प्रश्न 2 :- बाबा ने मुरली में वायुमंडल बनाने की कौन सी युक्ति बताई है?

उत्तर 2 :- बाबा ने वायुमण्डल बंनाने की युक्तियां बताई :-

          वृत्ति से वायुमंडल बनाना है।वायुमंडल का फॉउंडेशन वृत्ति है। तो वृत्तियों को जब तक पावरफुल नही बनाया है। तब तक वायुमंडल मे रूहानियत सर्विस में वृद्धि जो चाहते हैं वह नही हो सकती।

          अगर बीज पावरफुल हो तो वृक्ष भी पावरफुल होता है। तो बीज है वृत्ति। उससे ही अपनी सर्विस की वृद्धि कर सकते हो। वृद्धि का आधार है वृत्ति।

           वृत्ति में हर आत्मा के प्रति रहम कल्याण की वृत्ति रहे। तो ऑटोमैटिकली आत्माओं के प्रति यह वृत्ति होने के कारण उन आत्माओ को आप लोगो के रहम कल्याण के वाइब्रेशन पहुँचेंगे।

 

 प्रश्न 3 :- अभी जो आत्माएं आगे तक नही पहुंची हैं उन आत्माओं को आगे बढ़ाने के लिये बाबा ने विशेष आत्माओं को विशेष क्या डायरेक्शन दिए हैं?

 उत्तर 3 :- आत्माओ को आगे बढ़ाने के लिये बाबा ने विशेष यह डायरेक्शन्स दीं :-

          अभी वरदातापन का कर्तव्य करना है, ज्ञानदाता बन बहुत किया, अब शक्तियों का वरदाता बनना है।

         वरदानी बनकर सर्वशक्तियों का अपनी निम्मित बनी हुई रचना को वरदान देना है। विशेष आत्मायें जो निम्मित बनी हुई हैं वो ही यह सर्विस कर सकती हैं।

 

प्रश्न 4 :- बाबा ने मुरली में आत्माओं को आकर्षित करने के लिये कौन सा रूप धारण करने को कहा है?

उत्तर 4 :-  बाबा ने आत्माओं को आकर्षित करने के लिये अंतिम स्वरूप शक्तिस्वरूप धारण कर शक्तियां फैलाकर आत्माओ को आकर्षित करना है। अभी अपने पुरुषार्थ द्वारा प्रत्यक्ष होकर प्रभाव निकलने का समय है और वह प्रभाव ही आत्माओ को ऑटोमैटिकली आकर्षण करेगा।

 

 प्रश्न 5 :- चेहरे द्वारा सर्विस कैसे हो सकती है ? इस बारे में बाबा ने क्या समझनी दी है?

 उत्तर 5 :- चेहरे द्वारा सर्विस प्रति बाबा समझानी देते है कि :-

           ऐसे अनुभव होने चाहिए - जैसे कोई बड़े-बड़े महात्माएं होते हैं बहुत समय गुफाओं में रहने के बाद सृष्टि पर आते हैं सेवा के लिए। ऐसे जब स्टेज पर आते हो तो यह अनुभव होना चाहिए कि यह आत्माएं बहुत समय के अन्तर्मुखता, रूहानियत की गुफा से निकल कर सेवा के लिए आई हैं। तपस्वी रूप दिखाई दे।

          बेहद के वैराग की रेखायें सूरत से दिखाई दें। कोई थाडा-सा वैरागी होता है तो उनकी झलक सिद्ध करती है ना कि यह वैरागी हैं। तो बेहद की वैराग वृत्ति दिखाई देनी चाहिए। स्टेज पर जब सर्विस पर आते हो तो आपकी सूरत ऐसे अनुभव होनी चाहिए जैसे प्रोजेक्टर की मशीन होती है वैसे जब सर्विस की स्टेज पर आते हो - एक-एक की सूरत प्रोजेक्टर-शो की मशीन माफिक दिखाई दे। रहमदिल का गुण सूरत से दिखाई देना चाहिए। बेहद के वैरागी हो तो बेहद वैराग्य की रेखायें सूरत से दिखाई देनी चाहिए।

          आलमाइटी अथॉरिटी द्वारा निमित्त बने हुए हो तो अथॉरिटी का रूप दिखाई देना चाहिए जैसे उसमें भी स्लाइड्स भर लेते हैं, फिर एक-एक स्पष्ट दिखाई देता है। इसी रीति से आत्मा में जो सर्व गुणों के वा सर्व शक्तियों के संस्कार भरे हुए हैं वह एक-एक संस्कार सूरत से स्पष्ट दिखाई दें। इसको कहा जाता है सर्विस।

 

      FILL IN THE BLANKS:-    

( नयनो, रुचि, वाणी, कमालियत, वृत्ति, पावर, मस्त फकीर, प्रत्यक्ष, मस्तक, नॉलेज , ऑथॉरिटी, वृत्ति, ऋद्धि सिद्धि, अल्लाह, ओरिजनल्टी )

 

 1   शुरू शुरू में _______ रमतायोगी थे । अपनी _______ की पावर को _______ करने मे  समर्थ थे।

  मस्त फकीर   नॉलेज   प्रत्यक्ष

 

 2  नॉलेज की आकर्षण नही थी लेकिन ________ और  _________ में आकर्षण थी नयनो से सब अनुभव करते थे कि यह कोई  ________ लोग आए हैं।

  मस्तक   नयनों   अल्लाह

 

3   _______ और _______ के बोल हैं वह सदा काल के लिये _______ में लाते हैं।

 अथॉरिटी   ओरिजनल्टी  /   रुचि

 

 4  जब _______ द्वारा सर्विस करते हो तो ________ नही चलती । और वाणी द्वारा सर्विस करते हो तो वृत्ति की  _______ कम हो जाती है ।

 वृत्ति   वाणी   पावर

 

  उन्हों की है _______ द्वारा करामात और आज लोगो को है ______ द्वारा _______ दिखानी है ।

 ऋद्धि सिद्धि   वृत्ति   कमालियत

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- सभी की नजर समीप और श्रेष्ठ आत्माओ के ऊपर  है।

 

 2  :- अगर स्थूल स्टेज पर अपनी सूक्ष्म पावरफुल स्टेज है तो दूसरे भले कितना भी पावरफुल बोले लेकिन वायुममंडल पर उनका प्रभाव नही पड़ सकता

 

 3  :- वृत्ति द्वारा रूहानियत का घेराव डालने से कोई भी आत्मा रूहानी आकर्षण से बाहर नही निकल सकती।

 

 4  :- माइक बनना बहुत सहज है लेकिन आप लोगो की सर्विस में माइक तो बहुत बन जाएंगे लेकिन माइट भरने वाला कोई नही है

   माइक बनना सहज है लेकिन आप लोगो की सर्विस में माइक तो बहुत बन जाएंगे लेकिन माइट भरने वाले आप हो।

 

5   :- यह वृत्ति द्वारा वायुमण्डल साधारण बनने के कारण उन्हों की वृत्ति उन्हों के वाइब्रेशन बदल जाएंगे

यह वृत्ति द्वारा वायुमंडल पावरफुल बनने के कारण उन्हों की वृत्ति उन्हों के वायब्रेशन बदल जायेंगे