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AVYAKT MURLI

23 / 01 / 76

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23-01-76   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

लास्ट स्टेज का पुरूषार्थ

न्यारी ड्रिल सिखाने वाले, सुख-शान्ति के दाता, सर्व की मन की इच्छा पूर्ण करने वाले, दिव्य-ज्योतिर्बिन्दु-स्वरूप शिव बाबा बोले

प्रत्यक्षता वर्ष मनाने के लिये सभी ने बाप-दादा को अखबारों और कार्डस द्वारा विशेष रूप से प्रत्यक्ष करने का प्रयत्न किया है। यह भी सेवा के आवश्यक साधन हैं। लेकिन यह अखबार व कार्डस आदि तो उस दिन देखा, पढ़ा व सुना; फिर स्मृति में समा जाते हैं। समाप्त तो नहीं कहेंगे क्योंकि समय पर यही स्मृति, जो अब समा गई, वह स्वरूप में आयेगी। इसलिये समाप्त नहीं कहेंगे। लेकिन समा गई कहेंगे। इससे भी धरनी में थोड़ा बहुत स्नेह का और परिचय का जल पड़ा। लेकिन इस बीज से प्रत्यक्षता का फल कैसे निकले? पानी तो डाला, किस लिये डाला? फल के लिये। वह फल कैसे निकलेगा अर्थात् संकल्प प्रैक्टिकल स्वरूप में कैसे आयेगा? इसके लिये सदैव तो कार्डस नहीं छपवाते रहेंगे?

आजकल मैजॉरिटी आत्माओं की इच्छा क्या है? सुख-शान्ति की प्राप्ति की इच्छा तो है, लेकिन विशेष जो भक्त आत्माएँ हैं उन्हों की इच्छा क्या है? मैजॉरिटी भक्तों की इच्छा सिर्फ एक सेकेण्ड के लिये भी लाइट देखने की है। तो वह इच्छा कैसे पूर्ण होगी? वह इच्छा पूर्ण करने के साधन ब्राह्मणों के नयन हैं। इन नयनों द्वारा बाप के ज्योतिस्वरूप का साक्षात्कार हो। यह नयन, नयन नहीं दिखाई देंगे अपितु लाइट का गोला दिखाई देंगे। जैसे आकाश में चमकते हुए सितारे दिखाई देते हैं, वैसे यह आंखों के तारे सितारे-समान चमकते हुए दिखाई दें। लेकिन वह तब दिखाई देंगे जब स्वयं लाइट-स्वरूप में स्थित रहेंगे। कर्म में भी लाइट अर्थात् हल्कापन और स्वरूप भी लाइट-स्टेज भी लाइट हो। जब ऐसा पुरूषार्थ व स्थिति व स्मृति-स्वरूप विशेष आत्माओं का रहेगा, तो विशेष आत्माओं को देख सर्व पुरूषार्थियों का भी यही पुरूषार्थ रहेगा। बार-बार कर्म करते हुए चेक करो कि कर्म में लाइट और हल्कापन है? कर्म का बोझ तो नहीं है? कर्म का बोझ अपने तरफ खींचेगा। अगर कर्म में बोझ नहीं तो अपने तरफ खिंचाव नहीं करेंगे बल्कि कर्मयोग में परिवर्तन हो जायेंगे।

तो प्रत्यक्षता वर्ष मनाने का स्वरूप और साधन यही सबकी बुद्धि में है ना? ऐसा प्लैन बनाया है ना? जैसे साकार में देखा कि जितना ही अति कर्म में आना, विस्तार में आना, रमणीकता में आना, सम्बन्ध और सम्पर्क में आना, उतना ही अभी-अभी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते भी न्यारा बन जाना। जैसे सम्बन्ध व कर्म में आना सहज, वैसे ही न्यारा होना भी सहज। ऐसी प्रैक्टिस चाहिये। अति के समय एक सेकेण्ड में अति हो जाये। अभी-अभी अति, अभी-अभी अन्त। यह है लास्ट वर्ष का व लास्ट स्टेज का पुरूषार्थ। ऐसे प्लैन बनाओ। यह रिहर्सल (Rehearsal) करो और ड्रिल करो अति और अन्त की ड्रिल। अभी-अभी अति सम्बन्ध में और अभी-अभी जितना सम्पर्क में उतना न्यारा। जैसे लाइट हाउस में समा जाए! लाइट-हाउस अर्थात् अपना ज्योति देश। अभी-अभी कर्म-क्षेत्र, अभी-अभी परमधाम। अच्छा!

माताओं से मधुर मुलाकात करते समय उच्चारे हुए अव्यक्त बाप-दादा के मधुर महावाक्य:-

दु:ख अथवा गाली में भी कल्याण

बाप-दादा का माताओं से आदि से विशेष स्नेह है। यज्ञ की स्थापना में भी विशेष किसका पार्ट रहा, निमित्त कौन बने? और अन्त में भी प्रत्यक्षता और विजय का नारा लगाने में निमित्त कौन बनेंगे? मातायें। संगम पर गोपिकाओं का विशेष पार्ट है, गोपी-वल्लभ गाया हुआ है। मातायें सदैव यह इच्छा रखती हैं - ऐसा हमें अपना बनावे जो श्रेष्ठ हो, अच्छा वर मिले, अच्छा घर मिले। जब बाप ने अपना बनाया तो और क्या चाहिए? कोई भी इस कल्याणकारी युग में परिस्थिति आती है तो उस परिस्थिति को न देख, वर्तमान को न देख, वर्तमान में भविष्य को देखो। मानो कोई दु:ख देता है व गाली देता है, तो उसमें भी यह देखो कि मेरा कल्याण है। कल्याण यह है कि वह दु:ख अथवा गाली ही सुखदाता की याद के नजदीक लायेगी। बाहर के रूप से न देखो, कल्याण के रूप से देखो तो कोई भी परिस्थिति, कठिन परिस्थिति नहीं लगेगी। इससे अपनी उन्नति कर सकोगे। अच्छा!

09-02-76   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

बिन्दु-रूप स्थिति से प्राप्ति

 

सेवाधारी ग्रुप के साथ मुलाकात करते समय जो प्रश्नोत्तर के रूप में वार्तालाप हुआ, वह यहाँ प्रस्तुत है:-

प्रश्न:- सर्व प्वॉइन्ट्स का सार एक शब्द में सुनाओ?

उत्तर:- प्वाइन्ट्स का सार - प्वाइन्ट रूप अर्थात् बिन्दु रूप हो जाना।

प्रश्न : - बिन्दु रूप स्थिति होने से कौन-सी डबल प्राप्ति होती है?

उत्तर:- बिन्दु रूप अर्थात् पॉवरफुल स्टेज, जिसमें व्यर्थ संकल्प नहीं चलते हैं और बिन्दु अर्थात् बीती सो बीती। इससे कर्म भी श्रेष्ठ होते हैं और व्यर्थ संकल्प न होने के कारण पुरूषार्थ की गति भी तीव्र होगी। इसलिए बीती सो बीती को सोच-समझ कर करना है। व्यर्थ देखना, सुनना व बोलना सब बन्द। समर्थ आंखें खुली हों अर्थात् साक्षीपन की स्टेज पर रहो।

प्रश्न:- कमल-पुष्प समान न्यारा बनने की युक्ति क्या है?

उत्तर:- कोई की भी कमी देखकर के उनके वातावरण के प्रभाव में न आये, तो इसके लिए उस आत्मा के प्रति रहम की दृष्टि-वृत्ति हो और सामना करने की नहीं, अर्थात् यह आत्मा भूल के परवश है, इसका दोष नहीं है - इस संकल्प से उस वातावरण का व बात का प्रभाव आप आत्मा पर नहीं होगा। इसी को कहते हैं कमलपुष् प समान न्यारा।

प्रश्न:- सफलतामूर्त्त बनने के लिए क्या करना है?

उत्तर:- बदला नहीं लेना, बल्कि स्वयं को बदलना है। महावीर बनना है, मल्ल- युद्ध नहीं करना है। मल्ल-युद्ध करना माना अगर कोई ने कोई बात कही तो उसके प्रति संकल्प चलने लगें - यह क्या किया, यह क्यों कहा उसको कहा जाता है मन्सा से व वाचा से मल्ल-युद्ध करना। नमना अर्थात् झुकना। तो जब नमेंगे तब ही नमन योग्य होंगे। ऐसे नहीं समझो कि हम तो सदैव झुकते ही रहते हैं लेकिन हमारा कोई मान नहीं। जो झुकते नहीं व झूठ बोलते हैं उनका ही मान है - नहीं। यह अल्पकाल का है। लेकिन अब दूरन्देश बुद्धि रखो। यहाँ जितनों के आगे झुकेंगे अर्थात् नम्रता के गुण को धारण करेंगे तो सारा कल्प ही सर्व आत्मायें मेरे आगे नमन करेंगी। सतयुग त्रेता में राजा के रिगार्ड से काँध से नहीं लेकिन मन से झुकेंगे और द्वापर, कलियुग में काँध झुकायेंगे।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :-  आज की मुरली में शिवबाबा की महिमा किन किन शब्दों में किया हुआ हैं?

 प्रश्न 2 :-  आजकल मैजॉरिटी भक्तों की इच्छा क्या है? वह इच्छा कैसे पूर्ण होगी?

 प्रश्न 3 :-  प्रत्यक्षता वर्ष मनाने का कैसा प्लान बनाना है?

 प्रश्न 4 :- माताओं के लिए आज बाबा के महावाक्य क्या हैं?

 प्रश्न 5 :- बाबा ने आज कमल-पुष्प समान न्यारा बनने की क्या युक्ति बताई है?

 

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ पॉवरफुल, समर्थ, व्यर्थ, आंखें, रिगार्ड, गुण, संकल्प, काँध, मल्ल, साक्षीपन, राजा, नम्रता, मन्सा, नमन, युद्ध }

 1   बिन्दु रूप अर्थात् _____ स्टेज, जिसमें _____ _____ नहीं चलते हैं और बिन्दु अर्थात् बीती सो बीती।

 2  _____ _____ खुली हों अर्थात् _____ की स्टेज पर रहो।

 3  _____-_____ करना माना अगर कोई ने कोई बात कही तो उसके प्रति संकल्प चलने लगें - यह क्या किया, यह क्यों कहा उसको कहा जाता है _____ से व वाचा से मल्ल-युद्ध करना।

 4  यहाँ जितनों के आगे झुकेंगे अर्थात् _____ के _____ को धारण करेंगे तो सारा कल्प ही सर्व आत्मायें मेरे आगे _____ करेंगी।

 5  सतयुग त्रेता में _____ के _____ से _____ से नहीं लेकिन मन से झुकेंगे और द्वापर, कलियुग में काँध झुकायेंगे।

 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 1  :-  अगर कर्म में बोझ नहीं तो अपने तरफ खिंचाव नहीं करेंगे बल्कि कर्मयोग में परिवर्तन हो जायेंगे।

 2  :-  प्वाइन्ट्स का सार - प्वाइन्ट रूप अर्थात् बिन्दु रूप हो जाना।

 3  :-  दानी बनना है, मल्ल-युद्ध नहीं करना है।

 4  :-  नमना अर्थात् झुकना। तो जब नमेंगे तब ही नमन योग्य होंगे।

 5   :-  ऐसे समझो कि हम तो सदैव  मानते ही रहते हैं लेकिन हमारा कोई मान नहीं।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :-  आज की मुरली में शिवबाबा की महिमा किन किन शब्दों में किया हुआ हैं?

 उत्तर 1 :-  आज की मुरली में शिवबाबा की महिमा निम्न शब्दों में किया हुआ हैं -

          न्यारी ड्रिल सिखाने वाले,

          सुख-शान्ति के दाता,

          सर्व की मन की इच्छा पूर्ण करने वाले,

          दिव्य-ज्योतिर्बिन्दु-स्वरूप

       

 प्रश्न 2 :- आजकल मैजॉरिटी भक्तों की इच्छा क्या है? वह इच्छा कैसे पूर्ण होगी?

 उत्तर 2 :-  मैजॉरिटी भक्तों की इच्छा सिर्फ एक सेकेण्ड के लिये भी लाइट देखने की है।

     वह इच्छा पूर्ण करने के साधन ब्राह्मणों के नयन हैं। इन नयनों द्वारा बाप के ज्योतिस्वरूप का साक्षात्कार हो। यह नयन, नयन नहीं दिखाई देंगे अपितु लाइट का गोला दिखाई देंगे। जैसे आकाश में चमकते हुए सितारे दिखाई देते हैं, वैसे यह आंखों के तारे सितारे-समान चमकते हुए दिखाई दें।

 

 प्रश्न 3 :-  प्रत्यक्षता वर्ष मनाने का कैसा प्लान बनाना है?

 उत्तर 3 :-  प्रत्यक्षता वर्ष मनाने के लिए ऐसा प्लैन बनाना है :-    

          जैसे साकार में देखा कि जितना ही अति कर्म में आना, विस्तार में आना, रमणीकता में आना, सम्बन्ध और सम्पर्क में आना, उतना ही अभी-अभी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते भी न्यारा बन जाना।

          जैसे सम्बन्ध व कर्म में आना सहज, वैसे ही न्यारा होना भी सहज। ऐसी प्रैक्टिस चाहिये।

          अति के समय एक सेकेण्ड में अति हो जाये। अभी-अभी अति, अभी-अभी अन्त। यह है लास्ट वर्ष का व लास्ट स्टेज का पुरूषार्थ। ऐसे प्लैन बनाओ।

          यह रिहर्सल (Rehearsal) करो और ड्रिल करो अति और अन्त की ड्रिल।  

          अभी-अभी अति सम्बन्ध में और अभी-अभी जितना सम्पर्क में उतना न्यारा।

          जैसे लाइट हाउस में समा जाए! लाइट-हाउस अर्थात् अपना ज्योति देश।

          अभी-अभी कर्म-क्षेत्र, अभी-अभी परमधाम।

        

 प्रश्न 4 :-  माताओं के लिए आज बाबा के महावाक्य क्या हैं?

 उत्तर 4 :-  माताओं के लिए आज बाबा के महावाक्य निम्न है :-

          बाप-दादा का माताओं से आदि से विशेष स्नेह है।

          यज्ञ की स्थापना में भी विशेष किसका पार्ट रहा, निमित्त कौन बने? और अन्त में भी प्रत्यक्षता और विजय का नारा लगाने में निमित्त कौन बनेंगे? मातायें।

          संगम पर गोपिकाओं का विशेष पार्ट है, गोपी-वल्लभ गाया हुआ है।

          मातायें इच्छा रखती हैं - ऐसा हमें अपना बनावे जो श्रेष्ठ हो, अच्छा वर मिले, अच्छा घर मिले। जब बाप ने अपना बनाया तो और क्या चाहिए?

          कोई भी इस कल्याणकारी युग में परिस्थिति आती है तो उस परिस्थिति को न देख, वर्तमान को न देख, वर्तमान में भविष्य को देखो।

          मानो कोई दु:ख देता है व गाली देता है, तो उसमें भी यह देखो कि मेरा कल्याण है। कल्याण यह है कि वह दु:ख अथवा गाली ही सुखदाता की याद के नजदीक लायेगी।

          बाहर के रूप से न देखो, कल्याण के रूप से देखो तो कोई भी परिस्थिति, कठिन परिस्थिति नहीं लगेगी। इससे अपनी उन्नति कर सकोगे।

 

 प्रश्न 5 :-  बाबा ने आज कमल-पुष्प समान न्यारा बनने की क्या युक्ति बताई है?

 उत्तर 5 :-  बाबा ने कहा कि कोई की भी कमी देखकर के उनके वातावरण के प्रभाव में न आये, तो इसके लिए उस आत्मा के प्रति रहम की दृष्टि-वृत्ति हो और सामना करने की नहीं, अर्थात् यह आत्मा भूल के परवश है, इसका दोष नहीं है - इस संकल्प से उस वातावरण का व बात का प्रभाव आप आत्मा पर नहीं होगा। इसी को कहते हैं कमलपुष्प समान न्यारा।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ पॉवरफुल, समर्थ, व्यर्थ, आंखें, रिगार्ड, गुण, संकल्प, काँध, मल्ल, साक्षीपन, राजा, नम्रता, मन्सा, नमन, युद्ध }

 1   बिन्दु रूप अर्थात् _____ स्टेज, जिसमें _____ _____ नहीं चलते हैं और बिन्दु अर्थात् बीती सो बीती।

    पॉवरफुल / व्यर्थ / संकल्प

 

 2  _____ _____ खुली हों अर्थात् _____ की स्टेज पर रहो।

    समर्थ / आंखें / साक्षीपन

 

 3  _____-_____ करना माना अगर कोई ने कोई बात कही तो उसके प्रति संकल्प चलने लगें - यह क्या किया, यह क्यों कहा उसको कहा जाता है _____ से व वाचा से मल्ल-युद्ध करना।

    मल्ल / युद्ध / मन्सा

 

 4  यहाँ जितनों के आगे झुकेंगे अर्थात् _____ के _____ को धारण करेंगे तो सारा कल्प ही सर्व आत्मायें मेरे आगे _____ करेंगी।

    नम्रता / गुण / नमन

 

 5  सतयुग त्रेता में _____ के _____ से _____ से नहीं लेकिन मन से झुकेंगे और द्वापर, कलियुग में काँध झुकायेंगे।

    राजा/  रिगार्ड / काँध

 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:- 】【

 1  :-  अगर कर्म में बोझ नहीं तो अपने तरफ खिंचाव नहीं करेंगे बल्कि कर्मयोग में परिवर्तन हो जायेंगे। 【✔】

 

 2  :-  प्वाइन्ट्स का सार - प्वाइन्ट रूप अर्थात् बिन्दु रूप हो जाना।

 

 3  :-  दानी बनना है, मल्ल-युद्ध नहीं करना है।

  महावीर बनना है, मल्ल-युद्ध नहीं करना है।

 

 4  :-  नमना अर्थात् झुकना। तो जब नमेंगे तब ही नमन योग्य होंगे।

 

 5   :-  ऐसे नहीं समझो कि हम तो सदैव मानते ही रहते हैं लेकिन हमारा कोई मान नहीं।

  ऐसे नहीं समझो कि हम तो सदैव झुकते ही रहते हैं लेकिन हमारा कोई मान नहीं।