==============================================================================

AVYAKT MURLI

07 / 12 / 79

=============================================================================

     07-12-79   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

सर्व रिश्तों को समाप्त कर फरिश्ता बनो

पार्टियों के साथ

(महाराष्ट्र ज़ोन) संगमयुग है वरदानी युग - इस समय अपने को वरदानों से सम्पन्न करो :-

सभी संगमयुग के विशेष वरदानों से अपने को सम्पन्न बना रहे हो? संगमयुग को कहा ही जाता है वरदानी युग। संगमयुग पर ही असम्भव, सम्भव होता है। सर्व परिवर्तन का युग संगमयुग है। तो ऐसे युग पर श्रेष्ठ पार्ट बजाने वाले हीरो आर हीरोइन एक्टर हो। इतना नशा सदा रहता है? संगमयुग पर ही सदा सम्पन्न का वरदान मिलता है। द्वापर से कभी-कभी अल्पकाल का मिलता है, संगमयुग को सदाकाल का वरदान है। अगर अभी भी कभी-कभी का होगा तो सदाकाल का कब होगा? संगमयुग पर नाम ही है शिव-शक्ति। जैसे नाम कम्बाइन्ड है वैसे सदा कम्बाइन्ड रहो, तो मायाजीत बन जायेंगे। अभी भी कम्बाइन्ड शिव शक्ति, भविष्य लक्ष्य भी कम्बाइन्ड विष्णु रूप का। तो डबल कम्बाइन्ड रूप हो ना। पाण्डव तो सदा याद में रहते हैं ना। पाण्डव और शक्तियों का अभी भी गायन चल रहा है। जिनका अब तक गायन चल रहा है उनका प्रैक्टिकल स्वरूप क्या होगा? सदा श्रेष्ठ स्वरूप। नीचे आते ही क्यों हो?

जब किसी को ऊंची सीट मिलती है तो कोई छोड़ता है क्या? आजकल देखों काँटों की कुर्सी को भी कोई नहीं छोड़ता। आपको तो बाप-दादा सदा सुखदाई स्थिति् की सीट दे रहे हैं। पोज़ीशन पर बिठा रहे हैं फिर नीचे क्यों आते हो? वह लोग कुर्सी के पिछाड़ी, देखो कितना प्रयत्न करते हैं। मालूम भी है दुखदाई है, फिर भी नहीं छोड़ते। तो आप श्रेंष्ठ स्थिति की कुर्सी को कभी भी नहीं छोड़ो। सदा अपने फरिश्तेपन की सीट पर सैट रहो तो सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहेंगे। बाप द्वारा इतना सहज वर्सा प्राप्त हो तो और क्या चाहिए। अविनाशी वर्से को छोड़ क्यों देते हो? सिर्फ एक ही सहज बात तो याद करनी है हम बाप के और बाप हमारा। इसी एक बात में सब समाया हुआ है। यह है बीज। बीज को पकड़ना तो सहज होता है ना। वृक्ष के विस्तार को पकड़ना मुश्किल होता है। तो एक बात याद रखो। अब अभुल बनो। द्वापर कलियुग से भूलने वाले बने और इस समय अभुल बनते हो। इस वरदान भूमि से विशेष अभुल बनने का अर्थात् स्मृति-स्वरूप बनने का ही वरदान ले जाना। विस्मृति को यहाँ ही छोड़ करके जाना। विस्मृति के संस्कार समाप्त। कभी कोई बात हो तो यह वरदान याद करना।

बाप बच्चों से मिलने कहाँ से आते हैं? अगर बच्चों को आना पड़ता है तो बाप को भी आना पड़ता है। आप तो इसी साकारी लोक से आते हो, बाप तो इस लोक से भी परे से आता है। बाप का स्नेह बच्चों के साथ सदा है। सदा बच्चों की याद ही बाप को रहती है और कोई काम है क्या बाप को? बच्चों को याद करना, यही काम है ना। चाहे जाने या न जाने लेकिन बाप तो याद करते हैं। जैसे बाप का काम है बच्चों को याद करना वैसे बच्चों का भी काम है बाप को याद करना।

सदा लवलीन रहो। सदा सेफ्टी का साधन है - याद की भट्टी

ड्रामानुसार कलियुगी दुनिया का दु:ख और अशान्ति का नज़ारा देख बेहद के वैरागी बनते जायेंगे। कुछ भी होता है, अपनी सदा चढ़ती कला हो। दुनिया के लिए हाहाकार है और आपके लिए जय-जयकार है। आप जानते हो यह दुनिया हा-हाकार होने वाली है। हाहाकार होना अर्थात् जाना। किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं। हमारे लिए तैयारी हो रही है। साक्षी होकर सब प्रकार का खेल देखो। कोई रोता है, चिल्लाता है, साक्षी होकर देखने से मज़ा आता है। क्या होगा?’ यह क्वेश्चन भी नहीं उठता। यह होना ही है। ऐसे अटल हो ना? ‘क्या होगा?’ यह क्वेश्चन तो नहीं उठता। अनेक बार यह सब हलचल देखी है और अब भी देख रहे हो। क्या भी हो दुनिया में, लेकिन याद की भट्टी में रहने वाले सदा सेफ रहते हैं।

सभी सदा फरिश्तों के समान डबल लाइट स्थिति में स्थित रहते हो। फरिश्तों का जो गायन है, वह हमारा गायन है ऐसे अनुभव करते हो? इस पुरानी देह में रहते देह के भान से न्यारे, इसको कहते हैं - फरिश्ता जीवन। यह फरिश्ता जीवन सदा हल्का होने के कारण ऊंची स्थिति पर ही रहेंगे। क्योंकि हल्की चीज़ कभी नीचे नहीं आती। अगर नीचे की स्थिति पर आते तो जरूर बोझ है। फरिश्ता अर्थात् निर्बन्धन, कोई भी रिश्ता नहीं देह से रिश्ता नहीं। निमित्त मात्र कार्य के लिए आधार लिया फिर उपराम।

 

=============================================================================

QUIZ QUESTIONS

============================================================================

 

 प्रश्न 1 :- संगमयुग को वरदानी युग क्यों कहते हैं?

 

 प्रश्न 2 :- बाप-दादा बच्चों को ऊंची सीट पर स्थिति् होने की प्रेरणा किस प्रकार दे रहे हैं?

 

 प्रश्न 3 :- अभुल बनने का अर्थ क्या है?

 

 प्रश्न 4 :- कलियुगी दुनिया के दु:खो मे बच्चों को किस प्रकार की स्थिति बनानी  हैं?

 

 प्रश्न 5 :- फरिश्ता जीवन किस को कहते हैं?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( कम्बाइन्ड, साकारी, याद, सहज, समाया, कभी-कभी, विष्णु, बाप, काम, हम, डबल, सदाकाल )

 

1         अगर अभी भी _____ का होगा तो _____ का कब होगा?

 

2         अभी भी _____ शिव शक्ति, भविष्य लक्ष्य भी कम्बाइन्ड _____ रूप का। तो _____ कम्बाइन्ड रूप हो ना।

 

3         सिर्फ एक ही _____ बात तो याद करनी है ____ बाप के और बाप हमारा। इसी एक बात में सब _____ हुआ है।

 

4         आप तो इसी _____ लोक से आते हो, _____ तो इस लोक से भी परे से आता है।

 

5         सदा बच्चों की ____ ही बाप को रहती है और कोई _____ है क्या बाप को?

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

1      :- पाण्डव और शक्तियों का अभी भी चिंतन चल रहा है।

 

2      :- बीज को पकड़ना तो सहज होता है ना। वृक्ष के विस्तार को पकड़ना मुश्किल होता है।

 

3      :- बाप का वर्सा बच्चों के साथ सदा है।

 

4      :-  जैसे बाप का काम है बच्चों को याद करना वैसे बच्चों का भी काम है बाप को याद करना। 

 

5      :- सदा सेफ्टी का साधन है - फरिश्ता जीवन।

 

============================================================================

QUIZ ANSWERS

============================================================================

 

 प्रश्न 1 :- संगमयुग को वरदानी युग क्यों कहते हैं?

 

 उत्तर 1 :-संगमयुग को कहा ही जाता है वरदानी युग क्योंकि :-

          संगमयुग पर ही असम्भव, सम्भव होता है।

          सर्व परिवर्तन का युग संगमयुग है। संगमयुग पर ही सदा सम्पन्न का वरदान मिलता है।

          द्वापर से कभी-कभी अल्पकाल का मिलता है, संगमयुग को सदाकाल का वरदान है।

          संगमयुग पर नाम ही है शिव-शक्ति। जैसे नाम कम्बाइन्ड है वैसे सदा कम्बाइन्ड रहो, तो मायाजीत बन जायेंगे।

 

 प्रश्न 2 :- बाप-दादा बच्चों को ऊंची सीट पर स्थिति होने की प्रेरणा किस प्रकार दे रहे हैं?

 

 उत्तर 2 :-बाप-दादा बच्चों को ऊंची सीट पर स्थिति होने के लिए कहते है क्योंकि :-

          जब किसी को ऊंची सीट मिलती है तो कोई छोड़ता है क्या? आजकल देखों काँटों की कुर्सी को भी कोई नहीं छोड़ता।

          आपको तो बाप-दादा सदा सुखदाई स्थिति् की सीट दे रहे हैं। पोज़ीशन पर बिठा रहे हैं फिर नीचे क्यों आते हो?

          वह लोग कुर्सी के पिछाड़ी, देखो कितना प्रयत्न करते हैं। मालूम भी है दुखदाई है, फिर भी नहीं छोड़ते। तो आप श्रेंष्ठ स्थिति की कुर्सी को कभी भी नहीं छोड़ो।

          सदा अपने फरिश्तेपन की सीट पर सैट रहो तो सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहेंगे।

 

 प्रश्न 3 :- अभुल बनने का अर्थ क्या है?

 

 उत्तर 3 :- बाबा कहते एक बात याद रखो। अब अभुल बनो। द्वापर कलियुग से भूलने वाले बने और इस समय अभुल बनते हो। इस वरदान भूमि से विशेष अभुल बनने का अर्थात् स्मृति-स्वरूप बनने का ही वरदान ले जाना। विस्मृति को यहाँ ही छोड़ करके जाना। विस्मृति के संस्कार समाप्त। कभी कोई बात हो तो यह वरदान याद करना।

 

 प्रश्न 4 :- कलियुगी दुनिया के दु:खो मे बच्चों को किस प्रकार की स्थिति बनानी  हैं?

 

 उत्तर 4 :- कलियुगी दुनिया के दु:खो मे बच्चों को स्थिति बनाने के लिए समझानी देते है कि :-

          ड्रामानुसार कलियुगी दुनिया का दु:ख और अशान्ति का नज़ारा देख बेहद के वैरागी बनते जायेंगे।

          कुछ भी होता है, अपनी सदा चढ़ती कला हो। दुनिया के लिए हाहाकार है और आपके लिए जय-जयकार है।

          आप जानते हो यह दुनिया हा-हाकार होने वाली है। हाहाकार होना अर्थात् जाना। किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं। हमारे लिए तैयारी हो रही है।

          साक्षी होकर सब प्रकार का खेल देखो। कोई रोता है, चिल्लाता है, साक्षी होकर देखने से मज़ा आता है। क्या होगा?’ यह क्वेश्चन भी नहीं उठता। यह होना ही है। ऐसे अटल हो ना? ‘क्या होगा?’ यह क्वेश्चन तो नहीं उठता।

          अनेक बार यह सब हलचल देखी है और अब भी देख रहे हो। क्या भी हो दुनिया में, लेकिन याद की भट्टी में रहने वाले सदा सेफ रहते हैं।

 

 प्रश्न 5 :- फरिश्ता जीवन किस को कहते हैं?

 

 उत्तर 5 :-फरिश्ता जीवन उसे कहते हैं जिसमें :-

          इस पुरानी देह में रहते देह के भान से न्यारे, इसको कहते हैं - फरिश्ता जीवन। यह फरिश्ता जीवन सदा हल्का होने के कारण ऊंची स्थिति पर ही रहेंगे।                         क्योंकि हल्की चीज़ कभी नीचे नहीं आती। अगर नीचे की स्थिति पर आते तो जरूर बोझ है।                         

          फरिश्ता अर्थात् निर्बन्धन, कोई भी रिश्ता नहीं देह से रिश्ता नहीं। निमित्त मात्र कार्य के लिए आधार लिया फिर उपराम।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( कम्बाइन्ड, साकारी, याद, सहज, समाया, कभी-कभी, विष्णु, बाप, काम, हम, डबल, सदाकाल )

 

 1   अगर अभी भी _____ का होगा तो _____ का कब होगा?

   कभी-कभी / सदाकाल

 

  अभी भी _____ शिव शक्ति, भविष्य लक्ष्य भी कम्बाइन्ड _____ रूप का। तो _____ कम्बाइन्ड रूप हो ना।

  कम्बाइन्ड / विष्णु / डबल

 

  सिर्फ एक ही _____ बात तो याद करनी है ____ बाप के और बाप हमारा। इसी एक बात में सब _____ हुआ है।

  सहज / हम / समाया

 

 4  आप तो इसी _____ लोक से आते हो, _____ तो इस लोक से भी परे से आता है।

  साकारी / बाप 

 

 5  सदा बच्चों की ____ ही बाप को रहती है और कोई _____ है क्या बाप को?

  याद / काम

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- पाण्डव और शक्तियों का अभी भी चिंतन चल रहा है।

       पाण्डव और शक्तियों का अभी भी गायन चल रहा है।

 

 2  :- बीज को पकड़ना तो सहज होता है ना। वृक्ष के विस्तार को पकड़ना मुश्किल होता है। 】  

          

 3  :- बाप का वर्सा बच्चों के साथ सदा है।

     बाप का स्नेह बच्चों के साथ सदा है।

 

 4  :- जैसे बाप का काम है बच्चों को याद करना वैसे बच्चों का भी काम है बाप को याद करना।  】         

       

 5   :- सदा सेफ्टी का साधन है - फरिश्ता जीवन।

     सदा सेफ्टी का साधन है - याद की भट्टी।