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AVYAKT MURLI

07 / 02 / 80

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    07-02-1980       ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा       मधुबन

"विचित्र राज्य दरबार"

बाप-दादा सभी बच्चों के रूप-बसन्त, दोनों के बैलन्स (balance) देख रहे हैं। बसन्त बनना और रूप में स्थित होना। दोनों की समानता है?जैसे बसन्त अर्थात् वाणी में आने की बहुत प्रैक्टिस है ऐसे वाणी से परे जाने का अभ्यास है? सर्व कर्मेंइन्द्रियों के कर्म की स्मृति से परे एक ही आत्मिक स्वरूप में स्थित हो सकते हो? कर्म खींचता है या कर्मातीत अवस्था खींचती है! देखना, सुनना, सुनाना - ये विशेष कर्म जैसे सहज अभ्यास में आ गये हैं, ऐसे ही कर्मातीत बनने की स्टेज अर्थात् कर्म को समेटने की शक्ति से अकर्मा अर्थात् कर्मातीत बन सकते हो? एक है कर्म-अधीन स्टेज, दूसरी है कर्मातीत अर्थात् कर्म-अधिकारी स्टेज। ज्यादा समय कौन-सी स्टेज रहती है? बाप-दादा हरेक संगमयुगी कर्मेन्द्रियों-जीत स्वराज्यधारी, राज्य अधिकारी राजाओं से पूछते है कि हरेक की राज्य कारोबार ठीक चल रही है? हरेक राज्य-अधिकारी रोज अपनी राज-दरबार लगाते हैं? राज्य दरबार में राज्य कारोबारी अपने कार्य की रिजल्ट देता है? हरेक कारोबारी आप राज्य अधिकारी के ऑर्डर में है? कोई भी कारोबारी ख्यानत व मिलावट (अमानत में ख्यानत) व किसी भी प्रकार की खिटखिट तो नहीं करते हैं? कभी आप राज्य अधिकारी को धोखा तो नहीं देते हैं? चलने के बजाए चलाने तो नहीं लग जाते हैं? आप राज्य-अधिकारियों का राज्य है या प्रजा का राज्य है? ऐसी चेकिंग करते हो या जब दुश्मन आता है तब होश आता है? रोज अपनी दरबार लगाते हो या कभी-कभी दरबार लगाते हो? क्या हाल है आपके राज्य-दरबारियों का? राज्य-कारोबार ठीक है? इतना अटेन्शन देते हो? अभी के राजा ही जन्म-जन्मान्तर के राजा बनेंगे। आपकी दासी ठीक कार्य कर रही है? सबसे बड़े-से-बड़ी दासी है - प्रकृति। प्रकृति रूपी दासी ठीक कार्य कर रही है? प्रकृतिजीत के ऑर्डर प्रमाण अपना कार्य कर रही है? प्रकृतिजीत - प्रकृति के ऑर्डर में तो नहीं आ जाते? आपके राज्य-दरबार की मुख्य 8 सहयोगी शक्तियाँ आपके कार्य में सहयोग दे रही हैं? राज्य कारोबार की शोभा हैं - ये अष्ट शक्तियाँ अर्थात् अष्ट रतन, अष्ट सहयोगी - तो आठों ही ठीक हैं? अपनी रिजल्ट चेक करो। राज्य कारोबार चलाना आता है? अगर राज्य-अधिकारी अलबेलेपन की नींद में व अल्पकाल की प्राप्ति के नशे में व व्यर्थ संकल्पों के नाच में मस्त होंगे तो सहयोगी शक्तियाँ भी समय पर सहयोग नहीं देंगी। तो रिजल्ट क्या समझें? आजकल बाप-दादा हरेक बच्चे की भिन्नभिन्न रूप से रिजल्ट चेक कर रहे हैं। आप अपनी रिजल्ट भी चेक करते हो? पहले तो संकल्प शक्ति, निर्णय शक्ति और संस्कार शक्ति - तीनों ही शक्तियाँ ऑर्डर में है? फिर 8 शक्तियाँ आर्डर में हैं? यह तीन शक्तियाँ हैं महामन्त्री। तो मन्त्री-मण्डल ठीक है या हिलता है? आपके मन्त्री भी दलबदलू तो नहीं हैं? कभी माया के मुरीद तो नहीं बन जाते हैं?

अमानत में ख्यानत

अगर अभी तक भी कन्ट्रोलिंग पावर नहीं होगी तो फाइनल रिजल्ट में क्या होगा? फाइन भरने के लिए धर्मराज पुरी में जाना पड़ेगा। यह सजायें फाइन हैं। रिफाइन बन जाओ तो फाइन नहीं भरना पड़ेगा। जिसकी अभी से राज्य दरबार ठीक है वह धर्मराज की दरबार में नहीं जायेंगे। धर्मराज भी उनका स्वागत करेगा। स्वागत करानी है या बार-बार सौगन्ध खानी है। अभी नहीं करेंगे, अभी नहीं करेंगे - यह बार-बार कहना पड़ेगा। अपना फाइनल फैसला कर लिया है कि अभी फाइलों के भण्डार भरे हुए हैं? खाता क्लियर हो गया है या मस्तक के टेबल पर यह नहीं किया है, यह नहीं किया है - ये फाइलें रही हुई है? यह करना चाहिए, यह चाहिए की फाइलें तो नहीं भरी पड़ी हैं? पुराने वर्ष के साथ पुराना खाता खत्म किया! या नये साल में भी पुराने खाते को जमा करके लम्बा किया है? क्या किया है? वर्ष परिवर्तन हुआ तो संस्कार भी परिवर्तन हुआ? अगर अब तक भी पुराने खाते का हिसाब-किताब चुक्ता न कर बढ़ाते चलेंगे तो रिजल्ट क्या होगी! जितना पुराना खाता चलाते रहेंगे उतना ही चिल्लाना पड़ेगा। यह चिल्लाना बड़ा दर्दनाक है। एक-एक सेकण्ड एक वर्ष के समान अनुभव होगा। इसलिए अभी भी `शिव-मन्त्र' द्वारा समाप्ति कर दो। अभी कईयों के खाते भस्म नहीं हुए हैं। अभी पुराने खाते ही चला रहे हैं। सुनाया ना - कईयों की तीन शक्तियाँ अभी भी बाप के सर्व खज़ानों में ख्यानत कर रही हैं। बाप ने खज़ानें दिये हैं, स्व-कल्याण और विश्व-कल्याण के प्रति, लेकिन व्यर्थ तरफ लगाना, अकल्याण के कार्य में लगाना - यह अमानत में ख्यानत हो रही है। श्रीमत के साथ परमत और जनमत की मिलावट हो रही है। मिलावट करने में होशियार भी बहुत हैं। रूप ऐसा ही रखते हैं जैसे कि श्रीमत है। शब्द मुरली के ही लेंगे लेकिन अन्तर इतना होगा जैसे शिव और शव। शिव बाप के बजाए शव में अटकेंगे। उनकी भाषा बड़ी रायल रूप की होती है। सदैव अपने को बचाने के लिए, किसने किया है, कौन देखता है, ऐसे दिलासे से स्वयं को चलाते रहते हैं। समझते हैं दूसरों को धोखा देते हैं, लेकिन स्वयं का दु:ख जमा कर रहे हैं। एक का सौ गुणा होकर जमा होता रहता है। इसलिए ख्यानत और मिलावट को समाप्त करो। रूहानियत और रहम को धारण करो। अपने ऊपर और सर्व के ऊपर रहमदिल बनो। स्व को देखो। बाप को देखो औरों को नहीं देखो। `हे अर्जुन' बनो। जो ओटे सो अर्जुन। सदा यह स्लोगन याद रखो - `कहकर नहीं सिखाना है, करके सिखाना है।' श्रेष्ठ कर्म करके सिखाना है। उल्टा नहीं सिखाना है। मैं बदल करके सबको बदल के दिखाऊँगा। व्यर्थ बातें सुनते हुए, देखते हुए, होली हँस बन, व्यर्थ छोड़ समर्थ धारण करो। सदा चमकीली ड्रैस में सजे-सजाये सदा सुहागिन। बाप और मैं, तीसरा न कोई। सदा झूले में झूलो। बाप की गोदी के झूलो या सर्व प्राप्तियों के झूले में झूलो। संकल्प रूपी नाखून भी मिट्टी में न जाए। समझा, इस वर्ष क्या करना है? नहीं तो मिट्टी पोंछते रहेंगे, साजन पहुँच जायेगा। वह मंजिल पर पहुँच जायेगा और आप पोंछते हुए रह जायेंगे। बरातियों की लिस्ट में आ जायेंगे। समय का इंतज़ार नहीं करना। सदा स्वयं को ऑफर करो कि मैं एवररेडी हूँ। समझा, अब क्या करना है?

बीते हुए वर्ष की रिजल्ट में अभी कईयों के खाते क्लियर नहीं हैं। अब तक पुराने-पुराने दाग भी कईयों के रहे हुए हैं। रबड़ भी लगाते हैं, फिर दाग लगा देते हैं। कईयों का तो पहले छोटा दाग है लेकिन छिपाते-छिपाते बड़ा कर दिया है। कई छिपाते हैं और कई चालाकी से अपने को चलाते हैं। इसलिए गहरा दाग होता जाता है। जैसे बहुत गहरा दाग होता है तो जिस चीज़ पर दाग होता है, वही फट जाती है, चाहे कागज पर हो, चाहे कपड़े पर हो। वैसे यहाँ भी गहरे दाग वाले को दिल फाड़ कर रोना पड़ेगा। यह मैंने किया - यह मैंने किया। ऐसे दिल फाड़ करके रोना पड़ेगा। अगर एक सेकण्ड भी वह दृश्य देखो तो विनाशकाल से भी दर्दनाक है, इसलिए सच्चे बनो, साफ बनो। बाप-दादा को अभी भी रहम आता है इसलिए रोज अपनी राज-दरबार लगाओ। कचहरी करो। चेक करने से चेन्ज हो जायेंगे।

ऐसे स्व-परिवर्तन द्वारा विश्व-परिवर्तन करने वाले सदा राज्य अधिकारी, सदा रूहानियत और रहम की वृत्ति वाले, विश्व में सदा सुखी, शान्त वायुमण्डल बनाने वाले, भटकती हुई आत्माओं के लिए लाइट हाउस और माइट हाउस - ऐसे दृढ़ संकल्प करने वाले, पुरानी दुनिया के आकर्षण से दूर रहने वाले, ऐसी श्रेष्ठ आत्माओं को बाप-दादा का याद, प्यार और नमस्ते।

सेवाधारी भाई-बहनों से - सेवाधारी अर्थात् बाप-समान। बाप भी सेवाधारी बन करके आते हैं। सेवाधारी बनना अर्थात् बाप-समान बनना। तो ये भी समझो ड्रामा में लॉटरी में नाम निकला है। सेवा का चान्स मिलना अर्थात् लॉटरी का नाम निकलना। सदा सेवा का चान्स लेते रहना। सभी की रिजल्ट अच्छी है - मुबारक हो।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- राज्य अधिकारी कैसे अपने राज्य कारोबार की संम्भाल करते है?

 

 प्रश्न 2 :- फाइनल रिजल्ट में क्या होगा?

 

 प्रश्न 3 :- अभी तक के पुराने खातों को न क्लियर करने के क्या कारण है? और उन खातों को समाप्त करने का क्या मंत्र है?

 

 प्रश्न 4 :- जो ओटे सो अर्जुन' इसका क्या अर्थ है? स्पष्ट करो?

 

 प्रश्न 5 :- बीते वर्ष को देख बाबा ने क्या रिजल्ट बताई? और आगे के लिए क्या समझानी दी?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( अल्पकाल, ऑफर, बसंत, तीन, मिलावट, रूप, समय, समानता, एवररेडी, बाप, रहम, सहयोग, ख्यानत, अलबेलेपन, रूहानियत )

 

1        ________ बनना और ________ में स्थित होना, दोनों में ______ है।

 

2        राज्य-अधिकारी ______ की नींद में व _______ की प्राप्ति के नशे में व व्यर्थ संकल्पों के नाच में मस्त होंगे तो सहयोगी शक्तियाँ भी समय पर ______ नहीं देंगी।

 

3        कईयों की _______ शक्तियाँ अभी बजी _____ के सर्व खजानों में _______ कर रही है।

 

4        ख्यानत और _______को समाप्त करो _______ और _______ को धारण करो।

 

5        _______ का इंतजार नही करना, सदा स्वयं को _______ करो कि मैं _______ हूँ।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

1      :- आपके मंत्री भी दलबदलू तो नही है, कभी माया के मुरीद तो नही बन जाते है।

 

2      :- राज्य कारोबार की शोभा हैं - ये अष्ट शक्तियाँ अर्थात् अष्ट रतन, अष्ट सहयोगी।

 

3      :- श्रीमत के साथ परमत और जनमत की सजावट हो रही है।

 

4      :- अपने ऊपर और सर्व के ऊपर रहमदिल बनो, स्वयं को देखो बाप को देखो औरों को नही देखो।

 

5      :- सेवा का चान्स मिलना अर्थार्त लॉटरी का नाम निकलना।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- राज्य अधिकारी कैसे अपने राज्य कारोबार की संम्भाल करते है?

 

 उत्तर 1 :- हरेक राज्य-अधिकारी अपने राज्य करोबार की संम्भाल के लिए बाबा ने कहा :-

          रोज अपनी राज-दरबार लगाए।

          राज्य-दरबार में राज्य कारोबारी अपने कार्य की रिजल्ट दे।

          हरेक कारोबारी आप राज्य अधिकारी के आर्डर में है।

          कोई भी कारोबारी ख्यानत व मिलावट व किसी भी प्रकार की खिट-खिट तो नही करते है, राज्य अधिकारी को धोखा तो नही देते।

          कारोबारी चलने की बजाए चलाने तो नही लगते।

          प्रकृति रूपी दासी ठीक कार्य कर रही है।

          ❼ 8 सहयोगी शक्तियां कार्य में सहयोग दे रही है।

 

 प्रश्न 2 :- फाइनल रिजल्ट में क्या होगा?

 

 उत्तर 2 :- अगर अभी तक भी कन्ट्रोलिंग पावर नही होगी तो फाइनल रिजल्ट में फाइन भरने के लिए धर्मराज पुरी में जाना पड़ेगा, यह सजाएं फाइन हैं। जिसकी अभी से राज्य दरबार ठीक है वह धर्मराज की दरबार में नहीं जायेंगे। धर्मराज भी उनका स्वागत करेगा। स्वागत करानी है या बार-बार सौगन्ध खानी है।

 

 प्रश्न 3 :- अभी तक के पुराने खातों को न क्लियर करने के क्या कारण है? और उन खातों को समाप्त करने का क्या मंत्र है?

 

 उत्तर 3 :- बार-बार सौगन्ध खानी है, अभी नहीं करेंगे, अभी नहीं करेंगे - यह बार-बार कहना, मस्तक के टेबल पर यह नहीं किया है, यह नहीं किया है - ये फाइलें रही हुई है, यह करना चाहिए, यह चाहिए की फाइलों को समाप्त कर, पुराने वर्ष के साथ पुराना खाता खत्म करना है। नये साल में भी पुराने खाते को जमा करके लम्बा नही करना है। अपनी चैकिंग करनी है, अगर अब तक भी पुराने खाते का हिसाब-किताब चुक्ता न कर बढ़ाते चलेंगे तो रिजल्ट क्या होगी! जितना पुराना खाता चलाते रहेंगे उतना ही चिल्लाना पड़ेगा। यह चिल्लाना बड़ा दर्दनाक है। एक-एक सेकण्ड एक वर्ष के समान अनुभव होगा। इसलिए अभी भी  `शिव-मन्त्र' द्वारा समाप्ति कर दो।

 

 प्रश्न 4 :- 'जो ओटे सो अर्जुन' इसका क्या अर्थ है? स्पष्ट करो?

 

 उत्तर 4 :- 'जो ओटे सो अर्जुन' अर्थार्त कहकर नहीं सिखाना है, करके सिखाना है।' श्रेष्ठ कर्म करके सिखाना है। उल्टा नहीं सिखाना है। मैं बदल करके सबको बदल के दिखाऊँगा। व्यर्थ बातें सुनते हुए, देखते हुए, होली हँस बन, व्यर्थ छोड़ समर्थ धारण करो। सदा चमकीली ड्रैस में सजे-सजाये सदा सुहागिन। बाप और मैं, तीसरा न कोई। सदा झूले में झूलो। बाप की गोदी के झूलो या सर्व प्राप्तियों के झूले में झूलो। संकल्प रूपी नाखून भी मिट्टी में न जाए।

 

 प्रश्न 5 :- बीते वर्ष को देख बाबा ने क्या रिजल्ट बताई? और आगे के लिए क्या समझानी दी?

 

 उत्तर 5 :- बीते हुए वर्ष की रिजल्ट में अभी कईयों के खाते क्लियर नहीं हैं। अब तक पुराने-पुराने दाग भी कईयों के रहे हुए हैं। रबड़ भी लगाते हैं, फिर दाग लगा देते हैं। कईयों का तो पहले छोटा दाग है लेकिन छिपाते-छिपाते बड़ा कर दिया है। कई छिपाते हैं और कई चालाकी से अपने को चलाते हैं। इसलिए गहरा दाग होता जाता है। जैसे बहुत गहरा दाग होता है तो जिस चीज़ पर दाग होता है, वही फट जाती है, चाहे कागज पर हो, चाहे कपड़े पर हो। वैसे यहाँ भी गहरे दाग वाले को दिल फाड़ कर रोना पड़ेगा। यह मैंने किया - यह मैंने किया। ऐसे दिल फाड़ करके रोना पड़ेगा। अगर एक सेकण्ड भी वह दृश्य देखो तो विनाशकाल से भी दर्दनाक है, इसलिए सच्चे बनो, साफ बनो। बाप-दादा को अभी भी रहम आता है इसलिए रोज अपनी राज-दरबार लगाओ, कचहरी करो। चेक करने से चेन्ज हो जायेंगे।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( अल्पकाल, ऑफर, बसंत, तीन, मिलावट, रूप, समय, समानता, एवररेडी, बाप, रहम, सहयोग, ख्यानत, अलबेलेपन )

 

 1   ________ बनना और ________ में स्थित होना, दोनों में ______ है।

   बसंत / रूप / समानता

 

 2   राज्य-अधिकारी ______ की नींद में व _______ की प्राप्ति के नशे में व व्यर्थ संकल्पों के नाच में मस्त होंगे तो सहयोगी शक्तियाँ भी समय पर ______ नहीं देंगी

अलबेलेपन / अल्पकाल / सहयोग

 

 3  कईयों की _______ शक्तियाँ अभी बजी _____ के सर्व खजानों में _______ कर रही है।

  तीन / बाप / ख्यानत

 

  ख्यानत और _______को समाप्त करो _______ और _______ को धारण करो।

  मिलावट / रूहानियत / रहम

 

 5  _______ का इंतजार नही करना, सदा स्वयं को _______ करो कि मैं _______ हूँ।

  समय / ऑफर / एवररेडी

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:- 】【

 

1      :- आपके मंत्री भी दलबदलू तो नही है, कभी माया के मुरीद तो नही बन जाते है।【✔】

 

2      :-  राज्य कारोबार की शोभा हैं - ये अष्ट शक्तियाँ अर्थात् अष्ट रतन, अष्ट सहयोगी।【✔】

 

 3  :- श्रीमत के साथ परमत और जनमत की सजावट हो रही है।

    श्रीमत के साथ परमत और जनमत की मिलावट हो रही है।

 

4      :- अपने ऊपर और सर्व के ऊपर रहमदिल बनो, स्वयं को देखो बाप को देखो औरों को नही देखो।【✔】

 

 5   :- सेवा का चान्स मिलना अर्थार्त लॉटरी का नाम निकलना।