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AVYAKT MURLI
08 / 01 / 82
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08-01-82 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
"लंदन ग्रुप के साथ अव्यक्त बापदादा की मुलाकात"
अति मीठे, अति प्यारे बापदादा बोले:-
‘‘आज विशेष लंदन निवासी बच्चों से मिलन मनाने के लिए आये हैं। वैसे तो सभी बापदादा के लिए सदा प्रिय हैं, सभी को विशेष मिलने का चांस मिला है लेकिन आज निमित्त लंदन निवासियों से मिलना है। लंदन निवासी बच्चों ने सेवा में दिल व जान, सिक व प्रेम से अपना सहयोग दिया है और देते ही रहेंगे। स्व की उड़ती कला में भी अच्छा अटैन्शन है। नम्बरवार तो जहाँ-तहाँ हैं ही। फिर भी पुरूषार्थ की रफ्तार अच्छी है। (एक पक्षी उड़ता हुआ क्लास में आ गया) सभी उड़ना देखकर के खुश हो रहे हो। ऐसे ही स्वयं की भी उड़ती कला कितनी प्रिय होगी। जब उड़ते हो तो फ्री हो, स्वतन्त्र हो। और उड़ने के बजाए नीचे आ जाते हो तो बन्धन में आ जाते हो। उड़ती कला अर्थात् बन्धनमुक्त, योगयुक्त। तो लंदन निवासी क्या समझते हैं? उड़ती कला है ना? नीचे तो नहीं आते हो? अगर नीचे आते भी हो तो नीचे वालों को ऊपर ले जाने के लिए आते हो, वैसे नहीं आते। जो नीचे की स्टेज पर स्थित हैं उन्हों को हिम्मत और उल्लास दिला के उड़ाने के लिए सेवा के प्रति नीचे आये और फिर ऊपर चले गये, ऐसी प्रैक्टिस है? क्या समझते हो? लंदन निवासी ग्रुप सदा देह और देह की दुनिया की आकर्षण से न्यारे और सदा बाप के प्यारे हैं। इसको कहा जाता है - कमल-पुष्प समान। सेवा अर्थ रहते हुए भी ‘न्यारे और प्यारे'। तो न्यारा प्यारा ग्रुप है ना? लंदन से सारे विदेश के सेवा केन्द्रों का सम्बन्ध है। तो लंदन निवासी इस सेवा के वृक्ष का फाउण्डेशन हो गये। फाउण्डेशन कमजोर तो सारा वृक्ष कमजोर हो जायेगा। इसलिए फाउण्डेशन को सदा अपने ऊपर सेवा की जिम्मेवारी सहित अटेन्शन रखना है। वैसे तो हरेक के ऊपर अपनी और विश्व के सेवा की जिम्मेवारी है। उस दिन सुनाया था कि सब जिम्मेवारी के ताजधारी हैं। फिर भी आज लंदन निवासी बच्चों को विशेष अटैन्शन दिला रहे हैं। यह जिम्मेवारी का ताज सदा के लिए डबल लाइट बनाने वाला है। बोझ वाला ताज नहीं है। सर्व प्रकार के बोझ को मिटाने वाला है। अनुभवी भी हो कि जब तन-मन-धन, मंसा-वाचा-कर्मणा सब रूप से सेवाधारी बन, सेवा में बिजी रहते हो तो सहज ही मायाजीत जगतजीत बन जाते हो। देह का भान स्वत: ही, सहज ही भूला हुआ होता है? मेहनत नहीं करनी पड़ती। अनुभव है ना? सेवा के समय बाप और सेवा के सिवाए और कुछ नहीं सूझता। खुशी में नाचते रहते हो। तो यह जिम्मेवारी का ताज हल्का है ना? अर्थात् हल्का बनाने वाला है। इसलिए बापदादा सभी बच्चों को ‘रूहानी सेवाधारी' का टाइटल विशेष याद दिलाते हैं। बापदादा भी रूहानी सेवाधारी बन कर के आते हैं। तो जो बाप का स्वरूप वह बच्चों का स्वरूप। तो सभी डबल विदेशी ताजधारी हो ना? बाप समान सदा रूहानी सेवाधारी। आँख खुली, मिलन मनाया और सेवा के क्षेत्र पर उपस्थित हुए। गुडमार्निंग से सेवा शुरू होती है और गुडनाइट तक सेवा ही सेवा है। जैसे निरन्तर योगी ऐसे ही निरन्तर रूहानी सेवाधारी। चाहे कर्मणा सेवा भी करते हो तो कर्मणा द्वारा भी रूहों को रूहानियत की शक्ति भरते हो क्योंकि कर्मणा के साथ-साथ मंसा सेवा भी करते हो। तो कर्मणा सेवा में भी रूहानी सेवा। भोजन बनाते हो तो रूहानियत का बल भोजन में भर देते हो, इसलिए भोजन ‘ब्रह्मा भोजन' बन जाता है। शुद्ध अन्न बन जाता है। प्रसाद के समान बन जाता है। तो स्थूल सेवा में भी रूहानी सेवा भरी है। ऐसे निरन्तर सेवाधारी, निरन्तर मायाजीत हो जाते हैं। विघ्न विनाशक बन जाते हैं। तो लंदन निवासी क्या हैं? - ‘निरन्तर सेवाधारी'। लंदन में माया तो नहीं आती है ना कि माया को भी लंदन अच्छा लगता है? अच्छा—
लंदन निवासी अभी क्या करना चाहते हैं? अच्छे-अच्छे रतन हैं लंदन के। जगह-जगह पर गये हैं। वैसे सभी विदेश के सेवाकेन्द्र एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे, ऐसे खुलते हैं। अभी टोटल कितने सेवाकेन्द्र हैं? (50) तो 50 जगह का फाउण्डेशन लंदन है। तो वृक्ष सुन्दर हो गया ना। जिस तना से 50 टाल टालियाँ निकले वह वृक्ष कितना सुन्दर हुआ। तो विदेश का वृक्ष भी विस्तार वाला अच्छा फलीभूत हो गया है। बापदादा भी बच्चों के, सिर्फ लंदन नहीं सभी बच्चों के सेवा का उमंग उत्साह देख खुश होते हैं। विदेश में लगन अच्छी है। याद की भी और सेवा की भी, दोनों की लगन अच्छी है। सिर्फ एक बात है कि माया के छोटे रूप से भी घबराते जल्दी हैं। जैसे यहाँ इंडिया में कई ब्राह्मण जो हैं, वे चूहे से भी घबराते हैं, काकरोच से भी घबराते हैं। तो सिर्फ विदेशी बच्चे इससे घबरा जाते हैं। छोटे को बड़ा समझ लेते हैं। लेकिन है कुछ नहीं। कागज के शेर को सच्चा शेर समझ लेते हैं। जितनी लगन है ना उतना घबराने के संस्कार थोड़ा-सा मैदान पर आ जाते हैं। तो विदेशी बच्चों को माया से घबराना नहीं चाहिए, खेलना चाहिए। कागज के शेर से खेलना होता है या घबराना होता है? खिलौना हो गया ना? खिलौने से घबराने वाले को क्या कहेंगे? जितनी मेहनत करते हो उस हिसाब से, डबल विदेशी सभी नम्बरवन सीट ले सकते हो क्योंकि दूसरे धर्म के पर्दे के अन्दर, डबल पर्दे के अन्दर बाप को पहचान लिया है। एक तो साधारण स्वरूप का पर्दा और दूसरा धर्म का भी पर्दा है। भारतवासियों को तो एक ही पर्दे को जानना होता है लेकिन विदेशी बच्चे दोनों पर्दे के अन्दर जानने वाले हैं। हिम्मत वाले भी बहुत हैं, असम्भव को सम्भव भी किया है। जो क्रिश्चियन या अन्य धर्म वाले समझते हैं कि हमारे धर्म वाले ब्राह्मण कैसे बन सकते, असम्भव है। तो असम्भव को सम्भव किया है, जानने में भी होशियार, मानने में भी होशियार हैं। दोनों में नम्बर वन हो। बाकी चल करके चूहा आ जाता है तो घबरा जाते हो। है सहज मार्ग लेकिन अपने व्यर्थ संकल्पों को मिक्स करने से सहज भी मुश्किल हो जाता है। तो इसमें भी जम्प लगाओ। माया को परखने की आँख तेज करो। मिसअन्डरस्टैन्ड कर लेते हो। कागज को रीयल समझ लेना मिसअन्डरस्टैडिंग हो गई ना। नहीं तो डबल विदेशियों की विशेषता भी बहुत हैं। सिर्फ एक यह कमज़ोरी है - बस। फिर अपने ऊपर हँसते भी बहुत हैं, जब जान लेते हैं कि यह कागज का शेर है, रीयल नहीं है तो हँसते हैं। चेक भी कर लेते, चेन्ज भी कर लेते लेकिन उस समय घबराने के कारण नीचे आ जाते हैं या बीच में आ जाते हैं। फिर ऊपर जाने के लिए मेहनत करते तो सहज के बजाए मेहनत का अनुभव होता है। वैसे जरा भी मेहनत नहीं है। बाप के बने, अधिकारी आत्मा बने, खजाने के, घर के, राज्य के मालिक बने और क्या चाहिए? तो अभी क्या करेंगे? घबराने के संस्कारों को यहाँ ही छोड़कर जाना। समझा! बापदादा भी खेल देखते रहते हैं, हँसते रहते हैं। बच्चे गहराई में भी जाते हैं लेकिन गहराई के साथ-साथ कहाँ-कहाँ घबराते भी हैं। लास्ट सो फास्ट के भी संस्कार हैं। पहले विदेशियों में विशेष फँसने के संस्कार थे अभी हैं फास्ट जाने के संस्कार। एक में नहीं फँसते हैं लेकिन अनेकों में फँस जाते हैं। एक ही लाइफ में कितने पिंजरे होते हैं? एक पिंजरे से निकलते दूसरे में फँसते, दूसरे से निकलते तीसरे में फँसते। तो जितना ही फँसने के संस्कार थे उतना ही फास्ट जाने के संस्कार हैं। सिर्फ एक बात है, छोटी चीज को बड़ा नहीं बनाओ। बड़े को छोटा बनाओ। यह भी होता है क्या? यह क्वेश्चन नहीं। यह क्या हुआ? ऐसे भी होता है? इसके बजाए जो होता है, कल्याणकारी है। क्वेश्चन खत्म होने चाहिए। फुलस्टाप। बुद्धि को इसमें ज्यादा नहीं चलाओ नहीं तो एनर्जी वेस्ट चली जाती है और अपने को शक्तिशाली नहीं अनुभव करते। क्वेश्चन मार्क ज्यादा होते हैं। तो अब मधुबन की वरदान भूमि में क्वेश्चन मार्क खत्म करके, फुलस्टाप लगा के जाओ। क्वेश्चन मार्क मुश्किल है, फुलस्टाप सहज है। तो सहज को छोड़कर मुश्किल को क्यों अपनाते हो! उसमें एनर्जी वेस्ट है और फुलस्टाप में लाइफ ही बेस्ट हो जायेगी। वहाँ वेस्ट वहाँ बेस्ट। तो क्या करना चाहिए? अभी वेस्ट नहीं करना। हर संकल्प बेस्ट, हर सेकण्ड बेस्ट। अच्छा लंदन निवासियों के साथ-साथ की रूह- रूहान हो गई।
लंदन के सभी सिकीलधे बच्चों को बापदादा का पद्मापद्मगुणा यादप्यार स्वीकार हो। साकार में मधुबन में नहीं पहुँचे हैं लेकिन बापदादा सदा बच्चों को सम्मुख देखते हैं।
जो भी सर्विसएबुल बच्चे हैं, एक-एक का नाम क्या लें, जो भी सभी हैं, सभी सहयोगी आत्मायें हैं, सभी बेफिकर बन फखुर में रहना क्योंकि सबका साथी स्वयं बाप है। अच्छा- सभी को यादप्यार स्वीकार।
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- उड़ती कला के अनुभव और स्थिति के प्रति बाप दादा ने क्या कहा है?
प्रश्न 2 :- बापदादा बच्चों को रूहानी सेवाधारी का टाइटल याद दिलाते हुए क्या कह रहे हैं?
प्रश्न 3 :- माया रूपी कागज के शेर को देख बच्चों में क्या हलचल हो जाती है? यह हलचल ना हो इसके लिए क्या युक्तियां हैं?
प्रश्न 4 :- डबल विदेशी बच्चों की होशियारी और हिम्मत देख बापदादा के क्या महावाक्य हैं?
प्रश्न 5 :- क्वेश्चन मार्क खत्म कर फुल स्टॉप लगाने के लिए बाप दादा की क्या समझानी है?
FILL IN THE BLANKS:-
(गहराई, जिम्मेवारी, ताज, प्यारे, लगन, हल्का, सेवाधारी, खेल, सहज, जगतजीत, कमल, न्यारे, घबराते, सेवा, याद)
1 अनुभवी भी हो कि जब तन-मन-धन, मंसा-वाचा-कर्मणा सब रूप से _____ बन, सेवा में बिजी रहते हो तो _____ ही मायाजीत _____ बन जाते हो।
2 सेवा के समय बाप और सेवा के सिवाए और कुछ नहीं सूझता। खुशी में नाचते रहते हो। तो यह _____ का _____ हल्का है ना? अर्थात् _____ बनाने वाला है।
3 इसको कहा जाता है - _____-पुष्प समान। सेवा अर्थ रहते हुए भी ‘ _____ और प्यारे'।
4 बापदादा भी बच्चों के, सिर्फ लंदन नहीं सभी बच्चों के _____ का उमग उत्साह देख खुश होते हैं। विदेश में लगन अच्छी है। _____ की भी और सेवा की भी, दोनों की _____ अच्छी है।
5 बापदादा भी _____ देखते रहते हैं, हँसते रहते हैं। बच्चे _____ में भी जाते हैं लेकिन गहराई के साथ-साथ कहाँ-कहाँ _____ भी हैं।
सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】
1 :- फाउण्डेशन कमजोर तो सारा वृक्ष मज़बूत हो जायेगा।
2 :- यह जिम्मेवारी का ताज सदा के लिए डबल लाइट बनाने वाला है। बोझ वाला ताज नहीं है।
3 :- ऐसे अल्पकाल के सेवाधारी, निरन्तर मायाजीत हो जाते हैं। विघ्न विनाशक बन जाते हैं।
4 :- अभी बेस्ट नहीं करना। हर संकल्प वेस्ट, हर सेकण्ड वेस्ट।
5 :- साकार में मधुबन में नहीं पहुँचे हैं लेकिन बापदादा सदा बच्चों को सम्मुख देखते हैं।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- उड़ती कला के अनुभव और स्थिति के प्रति बाप दादा ने क्या कहा है?
उत्तर 1 :- उड़ती कला के अनुभव और स्थिति के प्रति बाप दादा निम्नलिखित बातें कहते हैं:
❶ स्व की उड़ती कला में भी अच्छा अटेन्शन है। नम्बरवार तो जहाँ-तहाँ हैं ही। फिर भी पुरूषार्थ की रफ्तार अच्छी है।
❷ (एक पक्षी उड़ता हुआ क्लास में आ गया) सभी उड़ना देखकर के खुश हो रहे हो। ऐसे ही स्वयं की भी उड़ती कला कितनी प्रिय होगी।
❸ जब उड़ते हो तो फ्री हो, स्वतन्त्र हो। और उड़ने के बजाए नीचे आ जाते हो तो बन्धन में आ जाते हो।
❹ उड़ती कला अर्थात् बन्धनमुक्त, योगयुक्त। तो लंदन निवासी क्या समझते हैं? उड़ती कला है ना? नीचे तो नहीं आते हो?
❺ अगर नीचे आते भी हो तो नीचे वालों को ऊपर ले जाने के लिए आते हो, वैसे नहीं आते। जो नीचे की स्टेज पर स्थित हैं उन्हों को हिम्मत और उल्लास दिला के उड़ाने के लिए सेवा के प्रति नीचे आये और फिर ऊपर चले गये, ऐसी प्रैक्टिस है?
प्रश्न 2 :- बापदादा बच्चों को रूहानी सेवाधारी का टाइटल याद दिलाते हुए क्या कह रहे हैं?
उत्तर 2 :- बापदादा सभी बच्चों को ‘रूहानी सेवाधारी' का टाइटल विशेष याद दिलाते हैं और कहते हैं कि:
❶ बापदादा भी रूहानी सेवाधारी बन कर के आते हैं। तो जो बाप का स्वरूप वह बच्चों का स्वरूप। बाप समान सदा रूहानी सेवाधारी।
❷ आँख खुली, मिलन मनाया और सेवा के क्षेत्र पर उपस्थित हुए। गुडमार्निंग से सेवा शुरू होती है और गुडनाइट तक सेवा ही सेवा है।
❸ जैसे निरन्तर योगी ऐसे ही निरन्तर रूहानी सेवाधारी।
❹ चाहे कर्मणा सेवा भी करते हो तो कर्मणा द्वारा भी रूहों को रूहानियत की शक्ति भरते हो क्योंकि कर्मणा के साथ-साथ मंसा सेवा भी करते हो। तो कर्मणा सेवा में भी रूहानी सेवा।
❺ भोजन बनाते हो तो रूहानियत का बल भोजन में भर देते हो, इसलिए भोजन ‘ब्रह्मा भोजन' बन जाता है। शुद्ध अन्न बन जाता है। प्रसाद के समान बन जाता है। तो स्थूल सेवा में भी रूहानी सेवा भरी है।
प्रश्न 3 :- माया रूपी कागज के शेर को देख बच्चों में क्या हलचल हो जाती है? यह हलचल ना हो इसके लिए क्या युक्तियां हैं?
उत्तर 3 :- माया रूपी कागज के शेर को देख बच्चों में निम्नलिखित हलचल हो जाती है:
❶ सिर्फ एक बात है कि माया के छोटे रूप से भी घबराते जल्दी हैं। जैसे यहाँ इंडिया में कई ब्राह्मण जो हैं, वे चूहे से भी घबराते हैं, काकरोच से भी घबराते हैं। तो सिर्फ विदेशी बच्चे इससे घबरा जाते हैं।
❷ छोटे को बड़ा समझ लेते हैं। लेकिन है कुछ नहीं। कागज के शेर को सच्चा शेर समझ लेते हैं।
❸ जितनी लगन है ना उतना घबराने के संस्कार थोड़ा-सा मैदान पर आ जाते हैं। तो विदेशी बच्चों को माया से घबराना नहीं चाहिए, खेलना चाहिए। कागज के शेर से खेलना होता है या घबराना होता है?
❹ सिर्फ एक यह कमज़ोरी है - बस। फिर अपने ऊपर हँसते भी बहुत हैं, जब जान लेते हैं कि यह कागज का शेर है, रीयल नहीं है तो हँसते हैं।
❺ चेक भी कर लेते, चेन्ज भी कर लेते लेकिन उस समय घबराने के कारण नीचे आ जाते हैं या बीच में आ जाते हैं। फिर ऊपर जाने के लिए मेहनत करते तो सहज के बजाए मेहनत का अनुभव होता है।
हलचल से बचने की निम्नलिखित युक्तियां हैं:
❶ है सहज मार्ग लेकिन अपने व्यर्थ संकल्पों को मिक्स करने से सहज भी मुश्किल हो जाता है। तो इसमें भी जम्प लगाओ।
❷ माया को परखने की आँख तेज करो। मिसअन्डरस्टैन्ड कर लेते हो। कागज को रीयल समझ लेना मिसअन्डरस्टैडिंग हो गई ना। नहीं तो डबल विदेशियों की विशेषता भी बहुत हैं।
❸ वैसे जरा भी मेहनत नहीं है। बाप के बने, अधिकारी आत्मा बने, खजाने के, घर के, राज्य के मालिक बने और क्या चाहिए? तो अभी क्या करेंगे? घबराने के संस्कारों को यहाँ ही छोड़कर जाना। समझा!
प्रश्न 4 :- डबल विदेशी बच्चों की होशियारी और हिम्मत देख बापदादा के क्या महावाक्य हैं?
उत्तर 4 :- डबल विदेशी बच्चों की होशियारी और हिम्मत देख बापदादा कहते हैं कि:
❶ जितनी मेहनत करते हो उस हिसाब से, डबल विदेशी सभी नम्बरवन सीट ले सकते हो क्योंकि दूसरे धर्म के पर्दे के अन्दर, डबल पर्दे के अन्दर बाप को पहचान लिया है।
❷ एक तो साधारण स्वरूप का पर्दा और दूसरा धर्म का भी पर्दा है। भारतवासियों को तो एक ही पर्दे को जानना होता है लेकिन विदेशी बच्चे दोनों पर्दे के अन्दर जानने वाले हैं।
❸ हिम्मत वाले भी बहुत हैं, असम्भव को सम्भव भी किया है।
❹ जो क्रिश्चियन या अन्य धर्म वाले समझते हैं कि हमारे धर्म वाले ब्राह्मण कैसे बन सकते, असम्भव है। तो असम्भव को सम्भव किया है, जानने में भी होशियार, मानने में भी होशियार हैं। दोनों में नम्बर वन हो।
❺ पहले विदेशियों में विशेष फँसने के संस्कार थे अभी हैं फास्ट जाने के संस्कार। एक में नहीं फँसते हैं लेकिन अनेकों में फँस जाते हैं। एक ही लाइफ में कितने पिंजरे होते हैं?
प्रश्न 5 :- क्वेश्चन मार्क खत्म कर फुल स्टॉप लगाने के लिए बाप दादा की क्या समझानी है?
उत्तर 5 :-क्वेश्चन मार्क खत्म कर फुल स्टॉप लगाने के लिए बाप दादा की निम्नलिखित समझानी है:
❶ सिर्फ एक बात है, छोटी चीज को बड़ा नहीं बनाओ। बड़े को छोटा बनाओ।
❷ यह भी होता है क्या? यह क्वेश्चन नहीं। यह क्या हुआ? ऐसे भी होता है? इसके बजाए जो होता है, कल्याणकारी है।
❸ क्वेश्चन खत्म होने चाहिए। फुलस्टाप।
❹ बुद्धि को इसमें ज्यादा नहीं चलाओ नहीं तो एनर्जी वेस्ट चली जाती है और अपने को शक्तिशाली नहीं अनुभव करते। क्वेश्चन मार्क ज्यादा होते हैं। तो अब मधुबन की वरदान भूमि में क्वेश्चन मार्क खत्म करके, फुलस्टाप लगा के जाओ।
❺ क्वेश्चन मार्क मुश्किल है, फुलस्टाप सहज है। तो सहज को छोड़कर मुश्किल को क्यों अपनाते हो!
❻ उसमें एनर्जी वेस्ट है और फुलस्टाप में लाइफ ही बेस्ट हो जायेगी। वहाँ वेस्ट वहाँ बेस्ट।
FILL IN THE BLANKS:-
(गहराई, जिम्मेवारी, ताज, प्यारे, लगन, हल्का, सेवाधारी, खेल, सहज, जगतजीत, कमल, न्यारे, घबराते, सेवा, याद)
1 अनुभवी भी हो कि जब तन-मन-धन, मंसा-वाचा-कर्मणा सब रूप से _____ बन, सेवा में बिजी रहते हो तो _____ ही मायाजीत _____ बन जाते हो।
सेवाधारी / सहज / जगतजीत
2 सेवा के समय बाप और सेवा के सिवाए और कुछ नहीं सूझता। खुशी में नाचते रहते हो। तो यह _____ का _____ हल्का है ना? अर्थात् _____ बनाने वाला है।
जिम्मेवारी / ताज / हल्का
3 इसको कहा जाता है - _____-पुष्प समान। सेवा अर्थ रहते हुए भी ‘ _____ और _____।
कमल / न्यारे / प्यारे
4 बापदादा भी बच्चों के, सिर्फ लंदन नहीं सभी बच्चों के _____ का उमग उत्साह देख खुश होते हैं। विदेश में लगन अच्छी है। _____ की भी और सेवा की भी, दोनों की _____ अच्छी है।
सेवा / याद / लगन
5 बापदादा भी _____ देखते रहते हैं, हँसते रहते हैं। बच्चे _____ में भी जाते हैं लेकिन गहराई के साथ-साथ कहाँ-कहाँ _____ भी हैं।
खेल / गहराई / घबराते
सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】
1 :- फाउण्डेशन कमजोर तो सारा वृक्ष मज़बूत हो जायेगा। 【✖】
फाउण्डेशन कमजोर तो सारा वृक्ष कमजोर हो जायेगा।
2 :- यह जिम्मेवारी का ताज सदा के लिए डबल लाइट बनाने वाला है। बोझ वाला ताज नहीं है। 【✔】
3 :- ऐसे अल्पकाल के सेवाधारी, निरन्तर मायाजीत हो जाते हैं। विघ्न विनाशक बन जाते हैं। 【✖】
ऐसे निरन्तर सेवाधारी, निरन्तर मायाजीत हो जाते हैं। विघ्न विनाशक बन जाते हैं।
4 :- अभी बेस्ट नहीं करना। हर संकल्प वेस्ट, हर सेकण्ड वेस्ट। 【✖】
अभी वेस्ट नहीं करना। हर संकल्प बेस्ट, हर सेकण्ड बेस्ट।
5 :- साकार में मधुबन में नहीं पहुँचे हैं लेकिन बापदादा सदा बच्चों को सम्मुख देखते हैं। 【✔】