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AVYAKT MURLI

15 / 02 / 83

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15-02-83       ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा       मधुबन

विश्व शांति सम्मलेन के समाप्ति समारोह पर प्राण अव्यक्त बापदादा के मधुर अनमोल महावाक्य

आज बेहद का बाप सेवा के निमित्त बने हुए सेवाधारी बच्चों को देख रहे हैं। जिस भी बच्चे को देखें, हरेक, एक दो से श्रेष्ठ आत्मा है। तो बापदादा हरेक श्रेष्ठ आत्मा की, सेवाधारी आत्मा की विशेषता को देख रहे हैं। बापदादा को हर्ष है कि हरेक बच्चा इस विश्व परिवर्तन के कार्य में आधारमूर्त, उद्धारमूर्त है। सभी बच्चे बापदादा के कार्य में सदा सहयोगी आत्मा हैं। ऐसे सहयोगी, सहजयोगी, श्रेष्ठ विशेष आत्माओं को वा सेवा के निमित्त बने हुए बच्चों को देख बापदादा अति स्नेह के सुनहरी पुष्पों से बच्चों का स्वागत और मुबारक की सैरीमनी मना रहे हैं। बापदादा हर बच्चे को मस्तकमणि, सन्तुष्टमणि, ह्दयमणि जैसे चमकते हुए स्वरूप में देखते हैं। बापदादा भी सदा एक गीत गाते रहते हैं, कौन सा गीत गाते हैं, जानते हो ना? यही गीत गाते- वाह मेरे बच्चे, वाह! वाह मीठे बच्चे, वाह! वाह प्यारे ते प्यारे बच्चे, वाह! वाह श्रेष्ठ आत्मायें वाह! ऐसा ही निश्चय और नशा सदा रहता है ना। सारे कल्प में ऐसा भाग्य प्राप्त नहीं हो सकता जो भगवान बच्चों के गीत गाये। भक्त, भगवान के गीत बहुत गाते हैं। आप सब ने भी बहुत गीत गाये हैं। लेकिन ऐसे कब सोचा कि कब भगवान भी हमारे गीत गायेंगे! जो सोचा नहीं था वह साकार रूप में देख रहे हो। विश्व शान्ति की कांफ्रेंस कर ली। सभी बच्चों ने मुख द्वारा बहुत अच्छी अच्छी बातें सुनाई और मन द्वारा सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना के शुभ संकल्प के वायब्रेशन भी चारों ओर, ज्ञान सूर्य बन फैलाए। लेकिन बापदादा सभी भाषण करने वालों का सार सुना रहे हैं। । आप लोगों ने तो चार दिन भाषण किये और बापदादा एक सेकण्ड का भाषण करते हैं। वह दो शब्द हैं - रियलाइजेशन और सॉल्युशन। जो भी आप सबने बोला उसका सार रियलाइजेशन ही है। आत्मा को नहीं भी समझें लेकिन मानव के मूल्य को जानें तो भी शान्ति हो जाए। मानव विशेष शक्तिशाली स्वरूप है। अगर यह भी रियलाइज कर लें तो मानव के हिसाब से भी मानव धर्म स्नेह है, न कि लड़ाई झगड़ा। इससे आगे चलो  - मानव जीवन का व मानवता का आधार आत्मा पर है। मैं कौन सी आत्मा हूँ, क्या हूँ, यह रियलाइज कर लें तो शान्ति तो स्वधर्म हो जायेगा। फिर आगे चलो - ‘‘मै श्रेष्ठ आत्मा हूँ, सर्वशक्तिवान की सन्तान हूँ’’, यह रियलाइजेशन निर्बल से शक्ति स्वरूप बना देगी। शक्ति स्वरूप आत्मा वा मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा जो चाहे, जैसे चाहे वह प्रैक्टिकल में कर सकती है, इसलिए सुनाया कि सारे भाषणों का सार एक ही है -’’रियलाइजेशन’’। तो बापदादा ने सभी भाषण सुने हैं ना।! बापदादा सदा बच्चों के साथ हैं ही। अच्छा

सभी सेवा में समर्पित बच्चों को, सभी जोन से आये हुए बच्चों को, एक- एक यही समझे कि बापदादा मेरे को कह रहे हैं। एक एक से बात कर रहे हैं। सभी बच्चों ने जो प्रत्यक्ष सबूत दिखाया, उसके रिटर्न में बापदादा हरेक बच्चे को नाम सहित, रूप तो देख रहे हैं, नाम सहित मुबारक दे रहे हैं। अब तो जब आप समय परिवर्तन की सूचना दे रहे हो, तो बापदादा के मिलने का भी परिवर्तन होगा ना। आप सबका संकल्प है हमारा परिवार वृद्धि को पाए तो पुरानों को त्याग करना पड़ेगा। लेकिन यह त्याग ही भाग्य है। दूसरों को आगे बढ़ाना ही स्वयं को आगे बढ़ाना है। ऐसे नहीं समझना - क्यों बाप दादा को विदेशी बच्चे प्रिय हैं, देश वाले नहीं हैं। वा कोई विशेष बच्चे प्रिय है। बापदादा का तो हरेक बच्चा दिल का सहारा, मस्तक के ताज की मणी है। इसलिए बापदादा सबसे पहले अपने राइट हैण्ड्स सहयोगी बच्चों को अति दिल व जान, सिक व प्रेम से याद दे रहे हैं। यह तो जरूर है दूर से आने वाले, सम्पर्क में आने वालों को सम्बन्ध में लाने के लिए आप सभी खुशी-खुशी उन्हीं को आगे बढ़ा रहे हो और बढ़ाते रहेंगे।

इस समय सब सेवा के प्रति आये हो। इसलिए यह भी सेवा हो गई। हरेक जोन का नाम लेवे क्या? अगर एक-एक नाम लेंगे तो कोई रह जाए तो? इसलिए सभी जोन समझें कि बापदादा मुझे पहला नम्बर रख रहे हैं। सर्व देश के वा विदेश के, अब तो सभी मधुबन निवासी हैं, इसलिए सर्व विश्व शान्ति हाल में उपस्थित बच्चों को, ओम् शान्ति भवन निवासी बच्चों को बाप दादा, सदा याद में रहो, याद दिलाते रहो, हर कदम यादगार चरित्र बनाते चलते चलो। हर सेकण्ड अपने प्रैक्टिकल लाइफ के आइने द्वारा सर्व आत्माओं को स्व का, बाप का साक्षात्कार कराते चलो, ऐसे वरदानी महादानी सदा सम्पन्न बच्चों को बापदादा का याद प्यार और नमस्ते।

राबर्ट मूलर (असिस्टेंट सेके्रट्री जनरल यू.एन.ओ.) के प्रति महावाक्य

सेवा में श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ पार्टधारी आत्मा हो। जैसे मन में यह श्रेष्ठ संकल्प रखा कि जिस कार्य के लिए निमित्त बने हो वह करके ही दिखायेंगे। यह संकल्प बाप दादा और सारे ब्राह्मण परिवार के सहयोग से साकार में आता ही रहेगा। संकल्प बहुत अच्छा है। प्लैन भी बहुत अच्छे-अच्छे सोचते हो। अभी इसी प्लैन के बीच में जब यह स्प्रिचुअल पावर एड हो जायेगी तो यह प्लैन साकार रूप लेते रहेंगे। बाप दादा के पास बच्चों के सभी उमंग पहुँचते रहते हैं। सदा अटल रहना। हिम्मतवान बनकर आगे बढ़ते जाना। वह दिन भी इन आँखों से दिखाई देगा कि विश्व शान्ति का झण्डा विश्व के चारों ओर लहरायेगा। इसलिए आगे बढ़ते चलो। दुनिया वाले दिलशिकस्त बनायेंगे। आप मत बनना। एक बल एक भरोसा, इसी निश्चय से चलते रहना। जिस समय कोई भी परिस्थिति आये तो बाप को साथी बना लेना। तो ऐसा अनुभव करेंगे कि मैं अकेला नहीं हूँ, मेरे साथ विशेष शक्ति है। स्वप्न पूरा हो जायेगा। जहाँ बाप है, वहाँ कितने भी चाहे तूफान हों, वह तोहफा बन जायेंगे। निश्चय बुद्धि विजयन्ति’ - यह टाइटल याद रखना कि मैं निश्चय बुद्धि विजयी रत्न हूँ। अच्छा ।

स्टीव नारायण (वाइस प्रेजीडेन्ट, ग्याना) के प्रति महावाक्य

अपने को बाप के दिलतख्तनशीन समीप रत्न अनुभव करते हो? दूरदेश में रहते भी दिल से दूर नहीं हो। बच्चों का सर्विस में उमंग उल्लास देख बापदादा हर्षित होते हैं और नम्बरवन देते हैं। सदा उड़ती कला में रहने वाले, बाप दादा के नूरे रत्न हो। इसलिए बाप दादा मुबारक देते हैं।

(आन्टी बेटी से) - आपको नया जन्म लेते ही आशीर्वाद मिली हुई है कि आप सर्विसएबुल हो। अनुभवी मूर्त हो। ग्याना में रहते हुए भी विश्व सेवा अर्थ निमित्त मूर्त हो और रहेंगी। याद द्वारा बाप के सहयोग और वरदानों का अनुभव होता है ना! आपकी याद बाप को पहुँचती रहती है। सर्व संकल्प सिद्ध होते रहते हैं ना! आप एक श्रेष्ठ आत्मा के एक ही श्रेष्ठ संकल्प से सारा परिवार श्रेष्ठ पद को पा रहा है। पद्मापद्म भाग्यशाली हो।

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"विश्व शांति सम्मेलन में सम्मिलित होने वाले भाई-बहनो के प्रति अव्यक्त बापदादा का मधुर सन्देश"

(गुलजार बहन द्वारा)

सदा की रीति प्रमाण आज जैसे ही मैं वतन में पहुँची तो बाप दादा बहुत मीठी नजर से दृष्टि द्वारा सर्व बच्चों को यादप्यार दे रहे थे। बाबा की दृष्टि से आज ऐसे अनुभव हो रहा था जैसे अति शान्ति, शक्ति, प्रेम और आनन्द की किरणें निकल रही हों। ऐसी रूहानी दृष्टि जिससे चारों ही बातों की प्राप्ति हो रही थी। ऐसे लग रहा था जैसे हम बहुत कुछ पा रहे हैं। ऐसे बाप दादा ने हम सभी बच्चों का स्वागत किया और बोले - ‘‘बच्ची, सभी की याद लाई हो?’’ मैनें कहा -’’याद तो लाई हूँ लेकिन सबके आह्वान का संकल्प भी लाई हूँ’’ तो बाबा बोले - ‘‘इस समय तो मेरे इतने प्यारे बच्चे, जो भी आये हैं, जानने के लिए आए हैं, ऐसा भी दिन आएगा जो फिर मिलने के लिए आयेंगे। बापदादा तो सभी बच्चों का दृश्य वतन में रहते हए भी सदा देखते रहते हैं।’’ ऐसा कहते बाबा ने एक दृश्य दिखाया - जैसे भारत देश में भक्त लोग मन्दिरों में शिवलिंग की प्रतिमा बनाते हैं। ऐसे वतन में भी एक प्रतिमा दिखाई दी लेकिन उस प्रतिमा का गोल आकार था। और उस गोल आकार में अनेक चमकते हुए हीरे चारों ओर नजर आ रहे थे। उन चमकते हुए हीरों पर चार प्रकार की लाइट पड़ रही थी। एक रंग था सफेद, दूसरा हरा, तीसरा हल्का ब्ल्यु और चौथा गोल्ड। थोड़े समय में वह लाइट शब्दों में बदल गई। सफेद लाइट के अक्षरों से लिखा था शान्ति। दूसरे पर उमंग’, तीसरे पर उत्साह और चौथी लाइट से सेवा

तो बाबा बोले - ‘‘सभी बच्चों ने बहुत ही उमंग उत्साह और शान्ति के संकल्प द्वारा विश्व की सेवा की। एक-एक आत्मा संगठित रूप में देखो कितनी चमक रही है।’’ फिर बाबा ने कहा - ‘‘मेरे बच्चे मुझे यथा शक्ति जान पाए हैं, फिर भी हैं तो मेरे ही बच्चे। मेरे सभी मीठे-मीठे बच्चों को यादप्यार देना। जो भी बच्चे आये हैं। सबके मुख से यह आवाज़ तो निकलती है कि हम अपने घर में आये हैं - बापदादा बच्चों की यह आवाज़ सुनकर मुस्कराते हैं। जब बच्चे घर में आए हैं तो पूरा अधिकार लेने आए हैं, या थोड़ा सा?’’ तो बाबा ने कहा - ‘‘सागर के किनारे पर आकर गागर भरकर नहीं जाना लेकिन मास्टर सागर बनकर जाना। खान पर आकर दो मुट्ठी भर कर नहीं जाना।’’ फिर बाप दादा ने तीन प्रकार के बच्चों को तीन प्रकार की सौगात दी

1. बाबा बोले - ‘‘मेरे कलमधारी बच्चे (प्रेस वाले) जो आये हैं उन्हें बाप दादा कमल पुष्प की सौगात देते हैं। मेरे कलमधारी बच्चों को कहना कि सदा कमल समान सारे विश्व के तमोगुणी वायब्रेशन से न्यारे और पिता परमात्मा के प्यारे बनें। अगर ऐसी स्थिति में स्थित हो कलम चलायेंगे तो आपका व्यवहार भी सिद्ध हो जायेगा और परमार्थ भी सिद्ध हो जायेगा।’’

2. वी.आई.पी. बच्चे जो भी आये हैं, उन्हों को बाबा ने सिंहासन नहीं लेकिन हंस-आसन दिया। बाबा बोले - ‘‘यह जो मेरे वी.आई.पी. बच्चे आये हैं उन्हों के मुख में शक्ति है। इन्हें मैं हंस-आसन देता हूँ। इस आसन पर बैठकर फिर कोई कार्य करना। हंस-आसन पर बैठने से आपकी निर्णय शक्ति श्रेष्ठ होगी और जो भी कार्य करेंगे उसमें विशेषता होगी। जैसे कुर्सी पर बैठकर कार्य करते हो वैसे बुद्धि इस हंस-आसन पर रहे तो लौकिक कार्य से भी आत्माओं को स्नेह और शक्ति मिलती रहेगी।’’

3. सरेन्डर सेवाधारी बच्चों को बाप दादा ने एक बहुत अच्छा लाइट के फूलों का बना हुआ हार दिया। हरेक लाइट पर कोई न कोई दिव्यगुण लिखा था तो बाबा बोले - ‘‘ये मेरे बच्चे सर्वगुण धारण करने वाले गुण मूर्त बच्चे हैं। सभी बच्चों ने एक बल एक मत होकर जो यह बेहद की सेवा की, उसके रिटर्न में बाप दादा यह दिव्यगुणों की माला सभी बच्चों को सौगात रूप में देते हैं। और लास्ट में कहा - ‘‘सभी बच्चों को बाप दादा के यही महावाक्य सुनाना - कि सदा खुश रहना, खुशनसीब बनना और सर्व को खुशी के वरदानों से, खज़ानों से सम्पन्न बनाते रहना।’’ ऐसे मधुर महावाक्य सुनते, यादप्यार देते और लेते मैं अपने साकार वतन में पहुँच गई।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- बापदादा सेवाधारी बच्चों की प्रशंसा में क्या कह रहे हैं?

 

 प्रश्न 2 :- विश्व शांति के भाषणों का सार बापदादा किन शब्दों में सुना रहे हैं?

 

 प्रश्न 3 :- संकल्पों की सिद्धि के लिए बापदादा के महावाक्य क्या हैं?

 

 प्रश्न 4 :- बापदादा ने बच्चों की सेवा का दृश्य वतन में कैसे दिखाया?

 

 प्रश्न 5 :- इस मिलन में बापदादा ने किन तीन प्रकार के बच्चों को क्या विशेष सौगातें दीं?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( सागर, मन, ज्ञानसूर्य, भक्त, गीत, वृद्धि, पुरानों, गागर, भाग्य, बुद्धि, लौकिक, शक्ति, मास्टर, भगवान, वायब्रेशन )

 

1        _____, भगवान के गीत बहुत गाते हैं। आप सब ने भी बहुत गीत गाये हैं। लेकिन ऐसे कब सोचा कि कब  _____  भी हमारे  _____  गायेंगे!

 

2        विश्व शान्ति की कांफ्रेंस कर ली। सभी बच्चों ने मुख द्वारा बहुत अच्छी अच्छी बातें सुनाई और  _____  द्वारा सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना के शुभ संकल्प के  _____  भी चारों ओर,  _____  बन फैलाए।

 

3        आप सबका संकल्प है हमारा परिवार  _____  को पाए तो  _____  को त्याग करना पड़ेगा। लेकिन यह त्याग ही  _____  है।

 

4        _____  के किनारे पर आकर  _____  भरकर नहीं जाना लेकिन  _____  सागर बनकर जाना।

 

5        जैसे कुर्सी पर बैठकर कार्य करते हो वैसे  _____  इस हंस-आसन पर रहे तो  _____  कार्य से भी आत्माओं को स्नेह और  _____  मिलती रहेगी।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

1      :- हर कल्प में ऐसा भाग्य प्राप्त हो सकता जो भगवान बच्चों के गीत गाये।

 

2      :- दूसरों के आगे बढ़ना ही स्वयं को आगे बढ़ाना है।

 

3      :- याद द्वारा बाप के सहयोग और वरदानों का अनुभव हो नहीं सकता!

 

4      :- आप एक श्रेष्ठ आत्मा के एक ही श्रेष्ठ संकल्प से सारा परिवार श्रेष्ठ पद को पा रहा है।

 

5      :- सदा खुश रहना, खुशनसीब बनना और सर्व को खुशी के वरदानों से, खज़ानों से सम्पन्न बनाते रहना।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- बापदादा सेवाधारी बच्चों की प्रशंसा में क्या कह रहे हैं?

 

 उत्तर 1 :- बापदादा प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि:

          आज बेहद का बाप सेवा के निमित्त बने हुए सेवाधारी बच्चों को देख रहे हैं। जिस भी बच्चे को देखें, हरेक, एक दो से श्रेष्ठ आत्मा है। तो बापदादा हरेक श्रेष्ठ आत्मा की, सेवाधारी आत्मा की विशेषता को देख रहे हैं।

          बापदादा को हर्ष है कि हरेक बच्चा इस विश्व परिवर्तन के कार्य में आधारमूर्त, उद्धारमूर्त है।

          सभी बच्चे बापदादा के कार्य में सदा सहयोगी आत्मा हैं। ऐसे सहयोगी, सहजयोगी, श्रेष्ठ विशेष आत्माओं को वा सेवा के निमित्त बने हुए बच्चों को देख बापदादा अति स्नेह के सुनहरी पुष्पों से बच्चों का स्वागत और मुबारक की सैरीमनी मना रहे हैं।

        बापदादा हर बच्चे को मस्तकमणि, सन्तुष्टमणि, ह्दयमणि जैसे चमकते हुए स्वरूप में देखते हैं।

          बापदादा भी सदा एक गीत गाते रहते हैं, कौन सा गीत गाते हैं, जानते हो ना? यही गीत गाते- वाह मेरे बच्चे, वाह! वाह मीठे बच्चे, वाह! वाह प्यारे ते प्यारे बच्चे, वाह! वाह श्रेष्ठ आत्मायें वाह!

 

 प्रश्न 2 :- विश्व शांति के भाषणों का सार बापदादा किन शब्दों में सुना रहे हैं?

 

 उत्तर 2 :- बापदादा निम्न शब्दों में सभी भाषण करने वालों का सार सुना रहे हैं:

          आप लोगों ने तो चार दिन भाषण किये और बापदादा एक सेकण्ड का भाषण करते हैं। वह दो शब्द हैं - रियलाइजेशन और सॉल्युशन। जो भी आप सबने बोला उसका सार रियलाइजेशन ही है।

          आत्मा को नहीं भी समझें लेकिन मानव के मूल्य को जानें तो भी शान्ति हो जाए। मानव विशेष शक्तिशाली स्वरूप है।

          अगर यह भी रियलाइज कर लें तो मानव के हिसाब से भी मानव धर्म स्नेह है, न कि लड़ाई झगड़ा।

          इससे आगे चलो  - मानव जीवन का व मानवता का आधार आत्मा पर है। मैं कौन सी आत्मा हूँ, क्या हूँ, यह रियलाइज कर लें तो शान्ति तो स्वधर्म हो जायेगा।

          फिर आगे चलो - ‘‘मै श्रेष्ठ आत्मा हूँ, सर्वशक्तिवान की सन्तान हूँ’’, यह रियलाइजेशन निर्बल से शक्ति स्वरूप बना देगी।

          शक्ति स्वरूप आत्मा वा मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा जो चाहे, जैसे चाहे वह प्रैक्टिकल में कर सकती है, इसलिए सुनाया कि सारे भाषणों का सार एक ही है -’’रियलाइजेशन’’

    तो बापदादा ने सभी भाषण सुने हैं ना।! 

 

 प्रश्न 3 :- संकल्पों की सिद्धि के लिए बापदादा के महावाक्य क्या हैं?

 

 उत्तर 3 :- संकल्पों की सिद्धि के लिए बापदादा के महावाक्य निम्नलिखित हैं:

          जैसे मन में यह श्रेष्ठ संकल्प रखा कि जिस कार्य के लिए निमित्त बने हो वह करके ही दिखायेंगे। यह संकल्प बाप दादा और सारे ब्राह्मण परिवार के सहयोग से साकार में आता ही रहेगा। संकल्प बहुत अच्छा है।

          प्लैन भी बहुत अच्छे-अच्छे सोचते हो। अभी इसी प्लैन के बीच में जब यह स्प्रिचुअल पावर एड हो जायेगी तो यह प्लैन साकार रूप लेते रहेंगे। बाप दादा के पास बच्चों के सभी उमंग पहुँचते रहते हैं।

          सदा अटल रहना। हिम्मतवान बनकर आगे बढ़ते जाना।

          वह दिन भी इन आँखों से दिखाई देगा कि विश्व शान्ति का झण्डा विश्व के चारों ओर लहरायेगा। इसलिए आगे बढ़ते चलो।

          दुनिया वाले दिलशिकस्त बनायेंगे। आप मत बनना।

          एक बल एक भरोसा, इसी निश्चय से चलते रहना।

          जिस समय कोई भी परिस्थिति आये तो बाप को साथी बना लेना। तो ऐसा अनुभव करेंगे कि मैं अकेला नहीं हूँ, मेरे साथ विशेष शक्ति है।

         स्वप्न पूरा हो जायेगा। जहाँ बाप है, वहाँ कितने भी चाहे तूफान हों, वह तोहफा बन जायेंगे।

          ❾ ‘निश्चय बुद्धि विजयन्ति’ - यह टाइटल याद रखना कि मैं निश्चय बुद्धि विजयी रत्न हूँ।

 

 प्रश्न 4 :- बापदादा ने बच्चों की सेवा का दृश्य वतन में कैसे दिखाया?

 

 उत्तर 4 :- बापदादा तो सभी बच्चों का दृश्य वतन में रहते हए भी सदा देखते रहते हैं।’' ऐसा कहते बाबा ने एक दृश्य दिखाया -

          जैसे भारत देश में भक्त लोग मन्दिरों में शिवलिंग की प्रतिमा बनाते हैं। ऐसे वतन में भी एक प्रतिमा दिखाई दी लेकिन उस प्रतिमा का गोल आकार था।

          और उस गोल आकार में अनेक चमकते हुए हीरे चारों ओर नजर आ रहे थे। उन चमकते हुए हीरों पर चार प्रकार की लाइट पड़ रही थी।

          एक रंग था सफेद, दूसरा हरा, तीसरा हल्का ब्ल्यु और चौथा गोल्ड। थोड़े समय में वह लाइट शब्दों में बदल गई। सफेद लाइट के अक्षरों से लिखा था शान्ति। दूसरे पर उमंग’, तीसरे पर उत्साह और चौथी लाइट से सेवा

          तो बाबा बोले - ‘‘सभी बच्चों ने बहुत ही उमंग उत्साह और शान्ति के संकल्प द्वारा विश्व की सेवा की। एक-एक आत्मा संगठित रूप में देखो कितनी चमक रही है।’’

 

 प्रश्न 5 :- इस मिलन में बापदादा ने किन तीन प्रकार के बच्चों को क्या विशेष सौगातें दीं?

 

 उत्तर 5 :- बापदादा ने निम्न तीन प्रकार के बच्चों को निम्न विशेष सौगातें दीं:

          मेरे कलमधारी बच्चे (प्रेस वाले) जो आये हैं उन्हें बाप दादा कमल पुष्प की सौगात देते हैं। मेरे कलमधारी बच्चों को कहना कि सदा कमल समान सारे विश्व के तमोगुणी वायब्रेशन से न्यारे और पिता परमात्मा के प्यारे बनें। अगर ऐसी स्थिति में स्थित हो कलम चलायेंगे तो आपका व्यवहार भी सिद्ध हो जायेगा और परमार्थ भी सिद्ध हो जायेगा।

          यह जो मेरे वी.आई.पी. बच्चे आये हैं उन्हों के मुख में शक्ति है। इन्हें मैं हंस-आसन देता हूँ। इस आसन पर बैठकर फिर कोई कार्य करना। हंस-आसन पर बैठने से आपकी निर्णय शक्ति श्रेष्ठ होगी और जो भी कार्य करेंगे उसमें विशेषता होगी।

          सरेन्डर सेवाधारी बच्चों को बाप दादा ने एक बहुत अच्छा लाइट के फूलों का बना हुआ हार दिया। हरेक लाइट पर कोई न कोई दिव्यगुण लिखा था तो बाबा बोले - ‘‘ये मेरे बच्चे सर्वगुण धारण करने वाले गुण मूर्त बच्चे हैं। सभी बच्चों ने एक बल एक मत होकर जो यह बेहद की सेवा की, उसके रिटर्न में बाप दादा यह दिव्यगुणों की माला सभी बच्चों को सौगात रूप में देते हैं।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( सागर, मन, ज्ञानसूर्य, भक्त, गीत, वृद्धि, पुरानों, गागर, भाग्य, बुद्धि, लौकिक, शक्ति, मास्टर, भगवान, वायब्रेशन )

 

 1    _____, भगवान के गीत बहुत गाते हैं। आप सब ने भी बहुत गीत गाये हैं। लेकिन ऐसे कब सोचा कि कब  _____  भी हमारे  _____  गायेंगे!

     भक्त / भगवान / गीत

 

 2  विश्व शान्ति की कांफ्रेंस कर ली। सभी बच्चों ने मुख द्वारा बहुत अच्छी अच्छी बातें सुनाई और  _____  द्वारा सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना के शुभ संकल्प के  _____  भी चारों ओर,  _____  बन फैलाए।

    मन / वायब्रेशन / ज्ञानसूर्य

 

 3  आप सबका संकल्प है हमारा परिवार  _____  को पाए तो  _____  को त्याग करना पड़ेगा। लेकिन यह त्याग ही  _____  है।

   वृद्धि / पुरानों / भाग्य

 

 4  _____  के किनारे पर आकर  _____  भरकर नहीं जाना लेकिन  _____  सागर बनकर जाना।

   सागर / गागर / मास्टर

 

  जैसे कुर्सी पर बैठकर कार्य करते हो वैसे  _____  इस हंस-आसन पर रहे तो  _____  कार्य से भी आत्माओं को स्नेह और  _____  मिलती रहेगी।

  बुद्धि / लौकिक / शक्ति

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

1      :- हर कल्प में ऐसा भाग्य प्राप्त हो सकता जो भगवान बच्चों के गीत गाये। 【✖】

  सारे कल्प में ऐसा भाग्य प्राप्त नहीं हो सकता जो भगवान बच्चों के गीत गाये।

 

2      :- दूसरों के आगे बढ़ना ही स्वयं को आगे बढ़ाना है। 【✖】

दूसरों को आगे बढ़ाना ही स्वयं को आगे बढ़ाना है।

 

 3  :- याद द्वारा बाप के सहयोग और वरदानों का अनुभव हो नहीं सकता!

 याद द्वारा बाप के सहयोग और वरदानों का अनुभव होता है ना!

 

3      :- आप एक श्रेष्ठ आत्मा के एक ही श्रेष्ठ संकल्प से सारा परिवार श्रेष्ठ पद को पा रहा है। 【✔】

 

 5   :- सदा खुश रहना, खुशनसीब बनना और सर्व को खुशी के वरदानों से, खज़ानों से सम्पन्न बनाते रहना।