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AVYAKT MURLI
27 / 02 / 83
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27-02-83 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
संगमयुग पर श्रृंगारा हुआ मधुर अलौकिक मेला
स्नेह का जादू लगाने वाले बच्चों प्रति बाप दादा बोले :-
आज बाप और बच्चे मिलन मेला मना रहे हैं। मेले में बहुत ही वैरायटी और सुन्दर-सुन्दर वस्तु बहुत सुन्दर सजावट और एक दो में मिलना होता है। बापदादा इस मधुर मेले में क्या देख रहे हैं, ऐसा अलौकिक शृंगारा हुआ मेला सिवाय संगमयुग के कोई मना नहीं सकता। हरेक, एक दो से विशेष शृंगारे हुए अमूल्य रतन हैं। अपने श्रृंगार को जानते हो ना। सभी के सिर पर कितना सुन्दर लाइट का ताज चमक रहा है। इसी लाइट के क्राउन के बीच आत्मा की निशानी कितनी चमकती हुई मणि मुआफिक चमक रही है। अपना ताजधारी स्वरूप देख रहे हो! हरेक दिव्य गुणों के शृंगार से कितने सुन्दर सजी-सजाई मूर्त हो। ऐसा सुन्दर शृंगार, जिससे विश्व की सर्व आत्मायें आपके तरफ न चाहते हुए भी स्वत: ही आकर्षित होती हैं। ऐसा श्रेष्ठ अविनाशी शृंगार किया है? जो इस समय के शृंगार का यादगार आपके जड़ चित्रों को भी सदा ही भक्त लोग सुन्दर से सुन्दर सजाते रहेंगे। अभी का शृंगार, आधा कल्प चैतन्य देव-आत्मा के रूप में शृंगारे जायेंगे और आधा कल्प जड़ चित्रों के रूप में शृंगारे जायेंगे। ऐसा अविनाशी शृंगार बापदादा द्वारा सर्व बच्चों का अभी हो गया है! बापदादा आज हर बच्चे के तीनों ही स्वरूप वर्तमान और अपने राज्य का देव आत्मा का और फिर भक्ति मार्ग में यादगार चित्र, तीनों ही स्वरूप हरेक बच्चे के देख हर्षित हो रहे हैं। आप सब भी अपने तीनों रूपों को जान गये हो ना! तीनों ही अपने रूप नालेज के नेत्र द्वारा देखे हैं ना!
आज तो बापदादा मिलने का उल्हाना पूरा करने आये हैं। कमाल तो बच्चों की है जो निर्बन्धन को भी बन्धन में बाँध देते हैं। बापदादा को भी हिसाब सिखा देते कि इस हिसाब से मिलो। तो जादूगर कौन हुए - बच्चे वा बाप? ऐसा स्नेह का जादू बच्चे बाप को लगाते हैं जो बाप को सिवाए बच्चों के और कुछ सूझता ही नहीं। निरन्तर बच्चों को याद करते हैं। तुम सब खाते हो तो भी एक का आह्वान करते हो। तो कितने बच्चों के साथ खाना पड़े। कितने बारी तो भोजन पर ही बुलाते हो। खाते हैं, चलते हैं, चलते हुए भी हाथ में हाथ देकर चलते, सोते भी साथ में हैं। तो अब इतने अनेक बच्चों साथ खाते,सोते,चलते तो और क्या फुर्सत होगी! कोई कर्म करते तो भी यही कहते कि काम आपका है, निमित्त हम हैं। करो कराओ आप, निमित्त हाथ हम चलाते हैं। तो वह भी करना पड़े ना। और फिर जिस समय थोड़ा बहुत तूफान आता तो भी कहते - आप जानो। तूफानों को मिटाने का कार्य भी बाप को देते। कर्म का बोझ भी बाप को दे देते। साथ भी सदा रखते, तो बड़े जादूगर कौन हुए? भुजाओ के सहयोग बिना तो कुछ हो नहीं सकता। इसलिए ही तो माला जपते हैं ना। अच्छा –
आस्ट्रेलिया निवासी बच्चों ने भी बहुत अच्छा त्याग किया है और हर बार त्याग करते हैं। सदा ही लास्ट सो फास्ट जाते और फर्स्ट आते हैं। जितना ही वह त्याग करते हैं, औरों को आगे करते हैं उतना ही जितने भी मिलते रहते उन सब का थोड़ा-थोड़ा शेयर आस्ट्रेलिया वालों को भी मिल जाता है। तो त्याग किया या भाग्य लिया! और फिर साथ-साथ यू.के. का भी बड़ा ग्रुप है। यह दोंनों ही पहले-पहले के निमित्त बने हुए सेन्टर्स हैं और विशाल सेन्टर्स हैं। एक से अनेक स्थानों पर बाप को प्रत्यक्ष करने वाले बच्चे हैं। इसलिए दोनों ही (आस्ट्रेलिया और यू.के.) बड़ों को, औरों को आगे तो रखना पड़ेगा ना। दूसरों की खुशी में आप सब खुश हो ना। जहाँ तक देखा गया है दोनों ही स्थान के सेवाधारी, सहयोगी, स्नेही बच्चे सब बात में फराखदिल हैं। इस बात में भी सहयोगी बनने में महादानी हैं। बापदादा को सब बच्चे याद है। सबसे मिल लेंगे, बापदादा को तो खुशी होती है, कितना दूर-दूर से बच्चे मिलने के उमंग से अपने स्वीट होम में पहुँच जाते हैं। उड़ते-उड़ते पहुँच जाते हो। भले स्थूल में किसी भी देश के हैं लेकिन हैं तो सब एक देशी। सब ही एक हैं। एक बाप, एक देश, एक मत और एक रस स्थिति में स्थित रहने वाले। यह तो निमित्त मात्र देश का नाम लेकर थोड़ा समय मिलने के लिए कहा जाता है। हो सब एक देशी। साकार के हिसाब में भी इस समय तो सब मधुबन निवासी हैं। मधुबन निवासी अपने को समझना अच्छा लगता है ना।
नये स्थान पर सेवा की सफलता का आधार :- जब भी किसी नये स्थान पर सेवा शुरू करते हो तो एक ही समय पर सर्व प्रकार की सेवा करो। मंसा में शुभ भावना, वाणी में बाप से सम्बन्ध जुड़वाने और शुभ कामना के श्रेष्ठ बोल और सम्बन्ध सम्पर्क में आने से स्नेह और शान्ति के स्वरूप से आकर्षित करो। ऐसे सर्व प्रकार की सेवा से सफलता को पायेंगे। सिर्फ वाणी से नहीं लेकिन एक ही समय साथ-साथ सेवा हो। ऐसा प्लैन बनाओ। क्योंकि किसी भी सर्विस करने के लिए विशेष स्वयं को स्टेज पर स्थित करना पड़ता है। सेवा में रिजल्ट कुछ भी हो लेकिन सेवा के हर कदम में कल्याण भरा हुआ है, एक भी यहाँ तक पहुँच जाए यह भी सफलता है। इसी निश्चय के आधार पर सेवा करते चलो। सफलता तो समाई हुई है ही। अनेक आत्माओं के भाग्य की लकीर खींचने के निमित्त हैं। ऐसी विशेष आत्मा समझकर सेवा करते चलो।
अच्छा - ओम् शान्ति।
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- संगमयुग पर श्रृंगारे हुए आलोकिक मेले की विशेषताये बताइये ?
प्रश्न 2 :- संगमयुग का श्रृंगार अविनाशी श्रृंगार है स्पष्ट कीजिए ?
प्रश्न 3 :- बापदादा ने बड़े ते बड़ा जादूगर किसे कहा है ऒर क्यों ?
प्रश्न 4 :- पहले-पहले बाप को प्रत्यक्ष करने वाले कौन से देश है ? बापदादा ने इन देशों की महिमा किन शब्दो में की है ?
प्रश्न 5 :- नये स्थान पर सेवा की सफलता का मुख्य आधार क्या है स्पष्ट कीजिए ?
FILL IN THE BLANKS:-
( मधुबन, स्वीट, कुछ, निमित्त, सजावट, मेले, कर्म, साकार, खुशी, भुजाओ, उमंग, समय, सहयोग, वैरायटी, आपका )
1 ______ में बहुत ही _____ और सुन्दर-सुन्दर वस्तु बहुत सुन्दर _____ और एक दो से मिलना होता है।
2 कोई ______ करते तो भी यही कहते कि काम _____ है, _____ हम है।
3 _____ के _____ बिना तो _____ हो नहीं सकता।
4 बापदादा को तो ______ होती है, कितना दूर-दूर से बच्चे मिलने के ____ से अपने _____ होम में पहुँच जाते हैं।
5 _____ के हिसाब में भी इस _____ तो सब _______ निवासी हैं।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- बापदादा आज हर बच्चे के तीनों ही स्वरूप देख हर्षित हो रहे है।
2 :- किसी भी सर्विस करने के लिए विशेष स्वयं को स्टेज पर स्थित करना पड़ता है।
3 :- सदा ही लास्ट सो फास्ट जाते और लास्ट आते हैं।
4 :- भले स्थूल में किसी भी देश के हैं लेकिन हैं तो सब एक देशी।
5:- निश्चय के आधार पर सेवा करते चलो, असफलता तो समाई हुई है ही।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- संगमयुग पर श्रृंगारे हुए आलोकिक मेले की विशेषताये बताइये ?
उत्तर 1 :- संगमयुग पर श्रृंगारे हुए आलोकिक मेले की निम्न विशेषताये है:-
❶ ऐसा अलौकिक शृंगारा हुआ मेला सिवाय संगमयुग के कोई मना नहीं सकता। हरेक, एक दो से विशेष शृंगारे हुए अमूल्य रतन हैं।
❷ सभी के सिर पर कितना सुन्दर लाइट का ताज चमक रहा है। इसी लाइट के क्राउन के बीच आत्मा की निशानी कितनी चमकती हुई मणि मुआफिक चमक रही है।
❸ हरेक दिव्य गुणों के शृंगार से कितने सुन्दर सजी-सजाई मूर्त हो। ऐसा सुन्दर शृंगार, जिससे विश्व की सर्व आत्मायें आपके तरफ न चाहते हुए भी स्वत: ही आकर्षित होती हैं।
प्रश्न 2 :- संगमयुग का श्रृंगार अविनाशी श्रृंगार है स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर 2 :- बापदादा संगमयुग में सभी बच्चो का ज्ञान रत्नों से अविनाशी श्रृंगार करने आये है।
❶ इस समय के शृंगार का यादगार आपके जड़ चित्रों को भी सदा ही भक्त लोग सुन्दर से सुन्दर सजाते रहेंगे।
❷ अभी का शृंगार, आधा कल्प चैतन्य देव-आत्मा के रूप में शृंगारे जायेंगे और आधा कल्प जड़ चित्रों के रूप में शृंगारे जायेंगे।
प्रश्न 3 :- बापदादा ने बड़े ते बड़ा जादूगर किसे कहा है ऒर क्यों ?
उत्तर 3 :- बापदादा ने बड़े ते बड़ा जादूगर बच्चो को कहा है क्योकि कमाल तो बच्चों की है जो निर्बन्धन को भी बन्धन में बाँध देते हैं।
❶ ऐसा स्नेह का जादू बच्चे बाप को लगाते हैं जो बाप को सिवाए बच्चों के और कुछ सूझता ही नहीं। निरन्तर बच्चों को याद करते हैं।
❷ तुम सब खाते हो तो भी एक का आह्वान करते हो,चलते हुए भी हाथ में हाथ देकर चलते, सोते भी साथ में हैं। तो अब इतने अनेक बच्चों साथ खाते,सोते,चलते तो और क्या फुर्सत होगी!
❸ फिर जिस समय थोड़ा बहुत तूफान आता तो भी कहते - आप जानो। तूफानों को मिटाने का कार्य भी बाप को देते। कर्म का बोझ भी बाप को दे देते। साथ भी सदा रखते, तो बड़े जादूगर बच्चे हुए.
प्रश्न 4 :- पहले-पहले बाप को प्रत्यक्ष करने वाले कौन से देश है ? बापदादा ने इन देशों की महिमा किन शब्दो में की है ?
उत्तर 4 :- पहले-पहले बाप को प्रत्यक्ष करने वाले देश आस्ट्रेलिया और यू.के है ।
❶ आस्ट्रेलिया निवासी बच्चों ने भी बहुत अच्छा त्याग किया है और हर बार त्याग करते हैं।
❷ जितना ही वह त्याग करते हैं, औरों को आगे करते हैं उतना ही जितने भी मिलते रहते उन सब का थोड़ा-थोड़ा शेयर आस्ट्रेलिया वालों को भी मिल जाता है।
❸ साथ-साथ यू.के. का भी बड़ा ग्रुप है। यह दोंनों ही पहले-पहले के निमित्त बने हुए सेन्टर्स हैं और विशाल सेन्टर्स हैं। एक से अनेक स्थानों पर बाप को प्रत्यक्ष करने वाले बच्चे हैं।
❹ जहाँ तक देखा गया है दोनों ही स्थान के सेवाधारी, सहयोगी, स्नेही बच्चे सब बात में फराखदिल हैं।
प्रश्न 5 :- नये स्थान पर सेवा की सफलता का मुख्य आधार क्या है स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर 5 :- नये स्थान पर सेवा की सफलता का मुख्य आधार है:-
❶ जब भी किसी नये स्थान पर सेवा शुरू करते हो तो एक ही समय पर सर्व प्रकार की सेवा करो।
❷ मंसा में शुभ भावना, वाणी में बाप से सम्बन्ध जुड़वाने और शुभ कामना के श्रेष्ठ बोल और सम्बन्ध सम्पर्क में आने से स्नेह और शान्ति के स्वरूप से आकर्षित करो।ऐसे सर्व प्रकार की सेवा से सफलता को पायेंगे।
❸ सिर्फ वाणी से नहीं लेकिन एक ही समय साथ-साथ सेवा हो। ऐसा प्लैन बनाओ।
❹ सेवा में रिजल्ट कुछ भी हो लेकिन सेवा के हर कदम में कल्याण भरा हुआ है, एक भी यहाँ तक पहुँच जाए यह भी सफलता है।
❺ अनेक आत्माओं के भाग्य की लकीर खींचने के निमित्त हैं। ऐसी विशेष आत्मा समझकर सेवा करते चलो।
FILL IN THE BLANKS:-
( मधुबन, स्वीट, कुछ, निमित्त, सजावट, मेले, कर्म, साकार, खुशी, भुजाओ, उमंग, समय, सहयोग, वैरायटी, आपका )
1 ______ में बहुत ही _____ और सुन्दर-सुन्दर वस्तु बहुत सुन्दर _____ और एक दो से मिलना होता है।
मेले / वैरायटी / सजावट
2 कोई ______ करते तो भी यही कहते कि काम _____ है, _____ हम है।
कर्म / आपका / निमित्त
3 _____ के _____ बिना तो _____ हो नहीं सकता।
भुजाओ / सहयोग / कुछ
4 बापदादा को तो ______ होती है, कितना दूर-दूर से बच्चे मिलने के ____ से अपने _____ होम में पहुँच जाते हैं।
खुशी / उमंग / स्वीट
5 _____ के हिसाब में भी इस _____ तो सब _______ निवासी हैं।
साकार / समय / मधुबन
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- बापदादा आज हर बच्चे के तीनों ही स्वरूप देख हर्षित हो रहे है।【✔】
2 :- किसी भी सर्विस करने के लिए विशेष स्वयं को स्टेज पर स्थित करना पड़ता है।【✔】
3 :- सदा ही लास्ट सो फास्ट जाते और लास्ट आते हैं। 【✖】
सदा ही लास्ट सो फास्ट जाते और फर्स्ट आते हैं।
4 :- भले स्थूल में किसी भी देश के हैं लेकिन हैं तो सब एक देशी।【✔】
5 :- निश्चय के आधार पर सेवा करते चलो, असफलता तो समाई हुई है ही। 【✖】
निश्चय के आधार पर सेवा करते चलो, सफलता तो समाई हुई है ही।