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AVYAKT MURLI

26 / 11 / 84

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26-11-84   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

सच्चे सहयोगी ही सच्चे योगी

सर्व समर्थ सर्वशक्तिवान शिव बाबा बोले-

 

आज बच्चों के मिलन स्नेह को देख रहे हैं। एक बल एक भरो - इसी छत्रछाया के नीचे मिलन के उमंग उत्साह से जरा भी हलचल, लगन को हिला न सकी। रूकावट, थकावट बदलकर स्नेह का सहज रास्ता अनुभव कर पहुँच गये हैं। इसको कहा जाता है - हिम्मते बच्चे मददे बाप। जहाँ हिम्मत है वहाँ हुल्लास भी है। हिम्मत नहीं तो हुल्लास भी नहीं। ऐसे सदा हिम्मत हुल्लास में रहने वाले बच्चे एकरस स्थिति द्वारा नम्बरवन ले लेते हैं। कैसे भी कड़े ते कड़ी परिस्थिति हो लेकिन हिम्मत और हुल्लास के पंखों द्वारा सेकण्ड में उड़ती कला की ऊँची स्थिति से हर बड़ी और कड़ी परिस्थिति - छोटी और सहज अनुभव होगी। क्योंकि उड़ती कला के आगे सब छोटे-छोटे खेल के खिलौने अनुभव होंगे। कितनी भी भयानक बातें, भयानक के बजाए स्वाभाविक अनुभव होंगी। दर्दनाक बातें दृढ़ता दिलाने वाली अनुभव होंगी। कितने भी दुखमय नजारे बजते रहेंगे। इसलिए खुशी के नगाड़े, दुख के नजारों का प्रभाव नहीं डालेंगे और ही शान्ति और शक्ति से औरों के दुख दर्द की अग्नि को शीतल जल के सदृश्य सर्व के प्रति सहयोगी बनेंगे। ऐसे समय पर तड़पती हुई आत्माओं को सहयोग की आवश्यकता होती है। इसी सहयोग द्वारा ही श्रेष्ठ योग का अनुभव करेंगे। सभी आपके इस सच्चे सहयोग को ही सच्चे योगी मानेंगे। और ऐसे ही हाहाकार के समय ‘‘सच्चे सहयोगी सो सच्चे योगी’’। इस प्रत्यक्षता से प्रत्यक्षफल की प्राप्ति से ही जय-जयकार होगी। ऐसे समय का ही गायन है - एक बूँद के प्यासे.यह शान्ति की शक्ति की एक सेकण्ड की अनुभूति रूपी बूँद तड़पती हुई आत्माओं को तृप्ती का अनुभव करायेगी। ऐसे समय पर एक सेकण्ड की प्राप्ति उन्हें ऐसे अनुभव करायेगी - जैसे कि सेकण्ड में अनेक जन्मों की तृप्ती वा प्राप्ति हो गई। लेकिन वह एक सेकण्ड की शक्तिशाली स्थिति की बहुत काल से अभ्यासी आत्मा, प्यासे की प्यास बुझा सकती है। अब चेक करो - ऐसे दुख दर्द, दर्दनाक भयानक वायुमण्डल के बीच सेकण्ड में मास्टर विधाता, मास्टर वरदाता, मास्टर सागर बन ऐसी शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करा सकते हो? ऐसे समय पर यह क्या हो रहा है, यह देखने वा सुनने में लग गये तो भी सहयोगी नहीं बन सकेंगे। यह देखने और सुनने की जरा भी नाम मात्र इच्छा भी सर्व की इच्छायें पूर्ण करने की शक्तिशाली स्थिति बनाने नहीं देगी। इसलिए सदा अपने अल्पकाल की इच्छा मात्रम् अविद्या की शक्तिशाली स्थिति में अब से अभ्यासी बनो। हर संकल्प, हर श्वास के अखण्ड सेवाधारी, अखण्ड सहयोगी सो योगी बनो। जैसे खण्डित मूर्ति का कोई मूल्य नहीं, पूज्यनीय बनने की अधिकारी नहीं। ऐसे खण्डित सेवाधारी खण्डित योगी ऐसे समय पर अधिकार प्राप्त कराने के अधिकारी नहीं बन सकेंगे। इसलिए ऐसे शक्तिशाली सेवा का समय समीप आ रहा है। समय घण्टी बजा रहा है। जैसे भक्त लोग अपने ईष्ट देव वा देवियों को घण्टी बजाकर उठाते हैं, सुलाते हैं, भोग लगाते हैं। तो अभी समय घण्टी बजाए ईष्ट देव, देवियों को अलर्ट कर रहे हैं। जगे हुए तो हैं ही लेकिन पवित्र प्रवृत्ति में ज्यादा बिजी हो गये हैं। प्यासी आत्माओं की प्यास मिटाने की, सेकण्ड में अनेक जन्मों की प्राप्ति वाली शक्तिशाली स्थिति के अभ्यास के लिए तैयारी करने की समय घण्टी बजा रहा है। प्रत्यक्षता के पर्दे खुलने का समय आप सम्पन्न ईष्ट आत्माओं का आह्वान कर रहा है। समझा। समय की घण्टी तो आप सबने सुनी ना। अच्छा

 

ऐसे हर परिस्थिति को उड़ती कला द्वारा सहज पार करने वाले, बहुत काल की सेकण्ड में प्राप्ति द्वारा तृप्ती कराने वाले अखण्ड सेवाधारी, अखण्ड योगी, सदा मास्टर दाता,वरदाता स्वरूप, सदा इच्छा मात्रम् अविद्या की स्थिति से सर्व की इच्छायें पूर्ण करने वाले - ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान समर्थ बच्चों को बापदादा का याद प्यार और नमस्ते।’’

 

(कानपुर का समाचार गंगे बहन ने बापदादा को सुनाया) - सदा अचल अडोल आत्मा। हर परिस्थिति में बाप की छत्रछाया के अनुभवी हैं ना? बापदादा बच्चों को सदा सेफ रखते हैं। सेफ्टी का साधन सदा ही बाप द्वारा मिला हुआ है। इसलिए सदा ही बाप का स्नेह का हाथ और साथ है। ‘‘नथिंग न्यु’’ - इसके अभ्यासी हो गये हैं ना! जो बीता नथिंग-न्यु। जो हो रहा है - नथिंग न्यु। स्वत: ही टचिंग होती रहती है। यह रिहर्सल हो रही है। ऐसे समय पर सेफ्टी का, सेवा का क्या साधन हो? क्या स्वरूप हो? इसकी रिहर्सल होती है। फाइनल में हाहाकार के बीच जय-जयकार होनी है। अति के बाद अन्त और नये युग का आरम्भ हो जायेगा। ऐसे समय पर न चाहते भी सबके मन से यह प्रत्यक्षता के नगाड़े बजेंगे। नजारा नाजुक होगा लेकिन बजेंगे प्रत्यक्षता के नगाड़े। तो रिहर्सल से पार हो गई। बेफिकर बादशाह बन, पार्ट बजाया। बहुत अच्छा किया। पहुँच गई यही स्नेह का स्वरूप है। अच्छा - सोच से तो असोच है ही। जो हुआ वाह- वाह! इससे भी कईयों का कुछ कल्याण ही होगा। इसलिए जलने में भी कल्याण, तो बचने में भी कल्याण। हाय नहीं कहेंगे, हाय जल गया, नहीं। इसमें भी कल्याण! बचने के टाइम जैसे वाह-वाह करते हैं, वाह बच गया, ऐसे ही जलने के समय भी वाह-वाह। इसी को ही एकरस स्थिति कहा जाता है। बचाना अपना फर्ज़ है लेकिन जलने वाली चीज़ जलनी ही है। इसमें भी कई हिसाब-किताब है।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- कड़ी परिस्थिति को सहज अनुभव करने की बाबा ने क्या युक्ति ?

 प्रश्न 2 :- दुखमय नज़ारे भी सहज और दृढ़ता दिलाने वाले अनुभव होंगे यह प्रसंग बाबा ने कैसे समझाया ?

 प्रश्न 3 :- किस स्थिति द्वारा बच्चे नम्बर वन ले सकते हैं?

 प्रश्न 4 :- तड़पती हुई आत्माओं को सहयोग देने के लिए बाबा ने क्या समझाया ?

 प्रश्न 5 :- कौन सी बातें हमारी शक्तिशाली स्थिति बनाने में बाधक हैं ?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

(सेकण्ड में, तृप्ति, शक्तिशाली, दुख दर्द, वायुमण्डल, मास्टर विधाता, समय पर, सहयोगी, इच्छाएं, इच्छा मात्रम अविद्या, अखण्ड, योगी, ईष्ट, अलर्ट, पवित्र, प्रवृत्ति, प्यासी )

 1   जैसे की ______ अनेक जन्मों की ______ वा प्राप्ति हो गई। लेकिन वह एक सेकण्ड की ______ स्थिति की बहुत काल से अभ्यासी आत्मा, प्यासे की प्यास बुझा सकती है।

 2  ऐसे _______ यह क्या हो रहा है, यह देखने वा सुनने में लग गये तो भी ______ नहीं बन सकेंगे। यह देखने और सुनने की जरा भी नाम मात्र इच्छा भी सर्व की ______ पूर्ण करने की शक्तिशाली स्थिति बनाने नहीं देगी।

 3   अब चेक करो ऐसे _______ दर्दनाक भयानक _______ के बीच सेकण्ड में ______- मास्टर वरदाता, मास्टर सागर बन ऐसी शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करा सकते हो?

 4  सदा अपने अल्पकाल की _______ की शक्तिशाली स्थिति में अब से अभ्यासी बनो। हर संकल्प, हर श्वास के ______ सेवाधारी, अखण्ड सहयोगी सो _______बनो।

 5   तो अभी समय घण्टी बजाए _______ देव, देवियों को ______ कर रहे हैं। जगे हुए तो हैं ही लेकिन _______ में ज्यादा बिजी हो गये हैं। ________ आत्माओं की प्यास मिटाने की।

 

सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】

 1  :-  सेकण्ड में अनेक शक्तियों की प्राप्ति वाली बलहीन स्थिति के अभ्यास के लिए तैयारी करने की समय घण्टी बजा रहा है।

 2  :-  ऐसे हर परिस्थिति को चढ़ती कला द्वारा सहज पार करने वाले, कम समय की अधिकार में प्राप्ति द्वारा तृप्ती कराने वाले।

 3  :- सदा अचल अडोल आत्मा। हर परिस्थिति में बाप की छत्रछाया के अधिकारी हैं ना? बापदादा बच्चों को सदा खुश रखते हैं। सेफ्टी का साधन सदा ही पुरुषार्थ द्वारा मिला हुआ है।

 4  :-   प्रत्यक्षता की भी वण्डरफुल चित्र अनुभव करके जायेंगे ना! यह भी क्यों रह जाए!

 5   :-  इसकी हाहाकार होती है। फाइनल में साक्षात्कार के बीच जय-जयकार होनी है।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- कड़ी परिस्थितियों को सहज अनुभव कराने की बाबा ने क्या युक्ति बताई ?

 उत्तर 1 :- बाबा ने कड़ी परिस्थितियों को सहज अनुभव करने की युक्ति बताई है उमंग और उल्लास।

              ❶ 'हिम्मते बच्चे मददे  बाप' इस बात को स्मृति में रखो तो हर परिस्थिति सहज अनुभव होगी।

               यहाँ हिम्मत और उल्लास है वहाँ बड़ी से बड़ी परिस्थिति भी सहज बन जाती है।

               जो बच्चे एकरस स्थिति में स्थित रहते हैं उनके आगे कड़ी से कड़ी और बड़ी से बड़ी परिस्थिति भी सहज हो जाती है। हिम्मत और उल्लास के पंख हर परिस्थिति से ऊपर उड़ा कर उड़ती कला में पहुंचा देते हैं, और बड़ी से बड़ी परिस्थिति को भी छोटा और सहज अनुभव कराते हैं।

                   

 प्रश्न 2 :- दुखमय नज़ारे भी सहज और दृढ़ता दिलाने वाले अनुभव होंगे यह प्रसंग बाबा ने कैसे समझाया ?

   उत्तर 2 :- बहुत समय का अभ्यास ही दुखमय नज़ारों सहज और दृढ़ता दिलाने वाला अनुभव कराएगा।

           अंत में तड़पती और दुखमय आत्माओं को शांति का अनुभव कराना ही सच्ची आत्माओं का सच्चा सहयोग होगा।

           एक बूंद के प्यासे हम यह इसी समय का गायन है जब अशांत एवं दुखी आत्माएं भयानक समय का अनुभव कर रही होंगी, तब अपनी संकल्प शक्ति से ही तुम्हें उन दर्दनाक भयानक स्थिति में फसी आत्माओं को अपनी ऊंची स्थिति से शांति का और शीतलता का अनुभव कराना होगा। इसलिए सदा अपनी अल्पकाल की स्थिति इच्छा मात्रम अविद्या की शक्तिशाली स्थिति में अब से आभासी बनों।

          ऐसी भयानक दर्दनाक वायुमण्डल के बीच सेकंड में मास्टर बन ऐसी शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करा सकते हो?

          हर संकल्प, हर श्वास के अखंड सेवाधारी, अखंड सहयोगी सो योगी बनों। जैसे खंडित मूर्ति का कोई मूल्य नही पूजनीय बनने की अधिकारी नही , ऐसे खंडित सेवाधारी खंडित योगी ऐसे समय पर अधिकार प्राप्त कराने के अधिकारी नहीं बन सकेंगे।

 

 प्रश्न 3 :- किस स्थिति द्वारा बच्चे नम्बर वन ले सकते हैं ?

   उत्तर 3 :- बाप की छत्रछाया में बच्चे नम्बर वन ले सकते हैं।

          बाप की छत्रछाया में बच्चे थकावट रुकावट बदलकर स्नेह का सहज रास्ता अनुभव करा सकते हैं। 

          जो बच्चे हिम्मत और उल्लास में रहते हैं, हिम्मत नहीं तो उल्लास भी नहीं। ऐसे सदा हिम्मत उल्लास में रहने वाले बच्चे एकरस स्थिति द्वारा नम्बर वन ले सकते हैं। 

 

  प्रश्न 4 :- तड़पती हुई आत्माओं को तृप्ति का अनुभव कराने प्रति बापदादा ने क्या इशारा किया ?

   उत्तर 4 :- तड़पती हुई आत्माओं को तृप्ति का अनुभव कराने के प्रति बापदादा के इशारे है कि :-

           तड़पती हुई आत्माओं को तृप्ति का अनुभव कराने के लिए मास्टर वरदाता, मास्टर सागर बन अपनी स्थिति को शक्तिशाली बनाना।

          अपनी एकरस स्थिति में  रहने वाली और बहुत काल की अभ्यासी आत्मा ही तड़पती हुई आत्माओं को सहयोग दे सकती है।

 

 प्रश्न 5 :- कौन सी बाधाएं हमारी शक्तिशाली स्थिति में बाधक हैं ?

   उत्तर 5 :- हमारी शक्तिशाली स्थिति में बाधाएं है कि :-

           देखने और सुनने में लगना ही हमारी शक्तिशाली स्थिति बनाने में बाधक है।

           हमारी इच्छाएं भी हमारी शक्तिशाली स्थिति में बाधक हैं।

           नाममात्र इच्छाएं भी हमारी स्थिति को शक्तिशाली नहीं बनने देतीं।

                

 

     FILL IN THE BLANKS:-    

(सेकण्ड में, तृप्ति, शक्तिशाली, दुख दर्द, वायुमण्डल, मास्टर विधाता, समय पर, सहयोगी, इच्छाएं, इच्छा मात्रम अविद्या, अखण्ड, योगी, ईष्ट, अलर्ट, पवित्र, प्रवृत्ति,प्यासी )

 1    जैसे की ______ अनेक जन्मों की ______ वा प्राप्ति हो गई। लेकिन वह एक सेकण्ड की ______ स्थिति की बहुत काल से अभ्यासी आत्मा, प्यासे की प्यास बुझा सकती है।

    सेकंड में / तृप्ति / शक्तिशाली

 

 2  ऐसे _______ यह क्या हो रहा है, यह देखने वा सुनने में लग गये तो भी ______ नहीं बन सकेंगे। यह देखने और सुनने की जरा भी नाम मात्र इच्छा भी सर्व की ______ पूर्ण करने की शक्तिशाली स्थिति बनाने नहीं देगी।

      समय पर / सहयोगी / इच्छाएं

 

 3   अब चेक करो ऐसे _______ दर्दनाक भयानक _______ के बीच सेकण्ड में ______ - मास्टर वरदाता, मास्टर सागर बन ऐसी शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करा सकते हो?

      दुख दर्द / वायुमंडल / मास्टर विधाता

 4  सदा अपने अल्पकाल की _______ की शक्तिशाली स्थिति में अब से अभ्यासी बनो। हर संकल्प, हर श्वास के ______ सेवाधारी, अखण्ड सहयोगी सो _______ बनो।

    इच्छा मात्रम / अखण्ड / योगी

 

 5   तो अभी समय घण्टी बजाए _______ देव, देवियों को ______ कर रहे हैं। जगे हुए तो हैं ही लेकिन _______ में ज्यादा बिजी हो गये हैं, ________ आत्माओं की प्यास मिटाने की।

     ईष्ट / अलर्ट / पवित्र प्रवृत्ति / प्यासी

 

  सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】

 1  :-  सेकण्ड में अनेक जन्मों की प्राप्ति वाली बलहीन स्थिति के अभ्यास के लिए तैयारी करने की समय घण्टी बजा रहा है। 【✖】

  सेकण्ड में अनेक जन्मों की प्राप्ति वाली शक्तिशाली स्थिति के अभ्यास के लिए तैयारी करने की समय घण्टी बजा रहा है।

 

 2  :-  ऐसे हर परिस्थिति को चढ़ती कला द्वारा सहज पार करने वाले, कम समय की सेकंड में प्राप्ति द्वारा तृप्ती कराने वाले।

  ऐसे हर परिस्थिति को उड़ती कला द्वारा सहज पार करने वाले, बहुत काल की सेकंड में प्राप्ति द्वारा तृप्ती कराने वाले।

 

 3  :-  सदा अचल अडोल आत्मा। हर परिस्थिति में बाप की छत्रछाया के अनुभवी हैं ना? बापदादा बच्चों को सदा सेफ रखते हैं। सेफ्टी का साधन सदा ही बाप द्वारा मिला हुआ है।

 

 4  :-  प्रत्यक्षता की भी वण्डरफुल चित्र अनुभव करके जायेंगे ना! यह भी क्यों रह जाए!

    प्रत्यक्षता की भी वण्डरफुल सीन अनुभव करके जायेंगे ना! यह भी क्यों रह जाए!

 

 5   :-   इसकी हाहाकार होती है। फाइनल में साक्षात्कार के बीच जय-जयकार होनी है।