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AVYAKT MURLI

20 / 11 / 85

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20-11-85   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

ब्राह्मणों का संगमयुगी न्यारा, प्यारा श्रेष्ठ संसार

सदा न्यारे और प्यारे शिव बाबा बोले

 

आज ब्राह्मणों के रचयिता बाप अपने छोटे से अलौकिक सुन्दर संसार को देख रहे हैं। यह ब्राह्मण संसार सतयुगी संसार से भी अति न्यारा और अति प्यारा है। इस अलौकिक संसार की ब्राह्मण आत्मायें कितनी श्रेष्ठ हैं विशेष हैं! देवता रूप से भी यह ब्राह्मण स्वरूप विशेष है। इस संसार की महिमा है, न्यारापन है। इस संसार की हर आत्मा विशेष है। हर आत्मा ही स्वराज्यधारी राजा है। हर आत्मा स्मृति की तिलकधारी, अविनाशी तिलकधारी, स्वराज्य तिलकधारी, परमात्म दिल-तख्तनशीन है। तो सभी आत्मायें इस सुन्दर संसार की ताज, तख्त और तिलकधारी हैं! ऐसा संसार सारे कल्प में कभी सुना वा देखा! जिस संसार की हर ब्राह्मण आत्मा का एक बाप, एक ही परिवार, एक ही भाषा, एक ही नॉलेज अर्थात् ज्ञान, एक ही जीवन का श्रेष्ठ लक्ष्य, एक ही वृत्ति, एक ही दृष्टि, एक ही धर्म और एक ही ईश्वरीय कर्म है। ऐसा संसार जितना छोटा उतना प्यारा है। ऐसे सभी ब्राह्मण आत्मायें मन में गीत गाती हो कि हमारा छोटा-सा यह संसार अति न्यारा, अति प्यारा है। यह गीत गाती हो? यह संगमयुगी संसार देख-देख हर्षित होते हो? कितना न्यारा संसार है। इस संसार की दिनचर्या ही न्यारी है। अपना राज्य, अपने नियम, अपनी रीति-रसम, लेकिन रीति भी न्यारी है तो प्रीति भी प्यारी है। ऐसे संसार में रहने वाली ब्राह्मण आत्मायें हो ना! इसी संसार में रहते हो ना? कभी अपने संसार को छोड़ पुराने संसार में तो नहीं चले जाते हो! इसलिए पुराने संसार के लोग समझ नहीं सकते कि आखिर भी यह ब्राह्मण हैं क्या! कहते हैं ना! ब्रह्माकुमारियों की चलन ही अपनी है! ज्ञान ही अपना है। जब संसार ही न्यारा है तो सब नया और न्यारा ही होगा ना। सभी अपने आप को देखो कि नये संसार के नये संकल्प, नई भाषा, नये कर्म, ऐसे न्यारे बने हो! कोई भी पुरानापन रह तो नहीं गया है। जरा भी पुरानापन होगा तो वह पुरानी दुनिया के तरफ आकर्षित कर देगा। और ऊँचे संसार से नीचे के संसार में चले जायेंगे। ऊँचा अर्थात् श्रेष्ठ होने के कारण स्वर्ग को ऊँचा दिखाते हैं और नर्क को नीचे दिखाते हैं। संगमयुगी स्वर्ग सतयुगी स्वर्ग से भी ऊँचा है। क्योंकि अभी दोनों संसार के नॉलेजफुल बने हो। यहाँ अभी देखते हुए जानते हुए न्यारे और प्यारे हो। इसलिए मधुबन को स्वर्ग अनुभव करते हो। कहते हो ना - स्वर्ग देखना हो तो अभी देखो। वहाँ स्वर्ग का वर्णन नहीं करेंगे। अभी फलक से कहते हो कि हमने स्वर्ग देखा है। चैलेन्ज करते हो कि स्वर्ग देखना हो तो यहाँ आकर देखो। ऐसे वर्णन करते हैं ना। पहले सोचते थे, सुनते थे कि स्वर्ग की परियाँ बहुत सुन्दर होती हैं। लेकिन किसने देखा नहीं। स्वर्ग में यह यह होता, सुना बहुत लेकिन अब स्वयं स्वर्ग के संसार में पहुँच गये। खुद ही स्वर्ग की परियाँ बन गये। श्याम से सुन्दर बन गये ना! पंख मिल गये ना! इतने न्यारे पंख - ज्ञान और योग के मिले हैं जिससे तीनों ही लोकों का चक्कर लगा सकते हो। साइंस वालों के पास भी ऐसा तीव्रगति का साधन नहीं है। सभी को पंख मिले हैं? कोई रह तो नहीं गया है। इस संसार का ही गायन है - अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के संसार में। इसलिए गायन है - एक बाप मिला तो सब कुछ मिला। एक दुनिया नहीं लेकिन तीनों लोकों का मालिक बन जाते। इस संसार का गायन है - ‘सदा सभी झूलों में झूलते रहते’। झूलों में झूलना भाग्य की निशानी कहा जाता है। इस संसार की विशेषता क्या है? कभी अतीन्द्रिय सुख के झूलों के झूलते, कभी खुशी के झूले में झूलते, कभी शान्ति के झूले में, कभी ज्ञान के झूले में झूलते। परमात्म गोदी के झूले में झूलते। परमात्म गोदी है - याद की लवलीन अवस्था में झूलना। जैसे गोदी में समा जाते हैं। ऐसे परमात्म-याद में समा जाते, लवलीन हो जाते। यह अलौकिक गोद सेकण्ड में अनेक जन्मों के दु:ख दर्द भूला देती है। ऐसे सभी झूलों में झूलते रहते हो!

 

कभी स्वप्न में भी सोचा था कि ऐसे संसार के अधिकारी बन जायेंगे! बापदादा आज अपने प्यारे संसार को देख रहे हैं। यह संसार पसन्द है? प्यारा लगता है? कभी एक पाँव उस संसार में, एक पाँव इस संसार में तो नहीं रखते? 63 जन्म उस संसार को देख लिया, अनुभव कर लिया। क्या मिला? कुछ मिला वा गँवाया? तन भी गँवाया, मन की सुख-शान्ति गँवायी और धन भी गँवाया! सम्बन्ध भी गँवाया। जो बाप ने सुन्दर तन दिया, वह कहाँ गँवाया! अगर धन भी इकठ्ठा करते हैं तो काला धन। स्वच्छ धन कहाँ गया? अगर है भी तो काम का नहीं है। कहने में करोड़पति है लेकिन दिखा सकते हैं? तो सब कुछ गँवाया फिर भी अगर बुद्धि जाए तो क्या कहेंगे! समझदार? इसलिए अपने इस श्रेष्ठ संसार को सदा स्मृति में रखो। इस संसार के इस जीवन की विशेषताओं को सदा स्मृति में रख समर्थ बनो। स्मृति स्वरूप बनो तो ‘नष्टोमोहा’ स्वत: ही बन जायेंगे। पुरानी दुनिया की कोई भी चीज़ बुद्धि से स्वीकार नहीं करो। स्वीकार किया अर्थात् धोखा खाया। धोखा खाना अर्थात् दु:ख उठाना। तो कहाँ रहना है? श्रेष्ठ संसार में या पुराने संसार में? सदा अन्तर स्पष्ट इमर्ज रूप में रखो कि वह क्या और यह क्या! अच्छा-

 

ऐसे छोटे से प्यारे संसार में रहने वाली विशेष ब्राह्मण आत्माओं को, सदा तख्तनशीन आत्माओं को, सदा झूलों में झूलने वाली आत्माओं को, सदा न्यारे और परमात्म प्यारे बच्चों को परमात्म-याद, परमात्म-प्यार और नमस्ते।’’

 

सेवाधारी (टीचर्स) बहिनों से - सेवाधारी अर्थात् त्यागी तपस्वी आत्मायें। सेवा का फल तो सदा मिलता ही है लेकिन त्याग और तपस्या से सदा ही आगे बढ़ती रहेंगी। सदा अपने को विशेष आत्मायें समझ कर विशेष सेवा का सबूत देना है। यही लक्ष्य रखो। जितना लक्ष्य मजबूत होगा उतनी बिल्डिंग भी अच्छी बनेगी। तो सदा सेवाधारी समझ आगे बढ़ो। जैसे बाप ने आपको चुना वैसे आप फिर प्रजा को चुनो। स्वयं सदा निर्विघ्न बन सेवा को भी निर्विघ्न बनाते चलो। सेवा तो सभी करते हैं लेकिन निर्विघ्न सेवा हो, इसी में नम्बर मिलते हैं। जहाँ भी रहते हो वहाँ हर स्टूडेन्ट निर्विघ्न हो, विघ्नों की लहर न हो। शक्तिशाली वातावरण हो। इसको कहते हैं - निर्विघ्न आत्मा। यही लक्ष्य रखो - ऐसा याद का वातावरण हो जो विघ्न आ न सके। किला होता है तो दुश्मन आ नहीं सकता। तो निर्विघ्न बन निर्विघ्न सेवाधारी बनो। अच्छा!

 

विश्व के राजनेताओं के प्रति अव्यक्त बापदादा का मधुर सन्देश - विश्व के हर एक राज्य नेता अपने देश को वा देशवासियों को प्रगति की ओर ले जाने की शुभ भावना, शुभ कामना से अपने-अपने कार्य में लगे हुए हैं। लेकिन भावना बहुत श्रेष्ठ हैं, प्रत्यक्ष प्रमाण जितना चाहते हैं उतना नहीं होता - यह क्यों? क्योंकि आज की जनता वा बहुत से नेताओं के मन की भावनायें सेवा भाव, प्रेम भाव के बजाए स्वार्थ भाव, ईर्ष्या भाव में बदल गई हैं। इसलिए इस फाउण्डेशन को समाप्त करने के लिए प्राकृतिक शक्ति, वैज्ञानिक शक्ति, वर्ल्डली नॉलेज की शक्ति, राज्य के अथॉरिटी की शक्ति द्वारा तो अपने प्रयत्न किये हैं लेकिन वास्तविक साधन स्प्रिच्युअल पावर है, जिससे ही मन की भावना सहज बदल सकती है, उस तरफ अटेन्शन कम है। इसलिए बदली हुई भावनाओं का बीज नहीं समाप्त होता। थोड़े समय के लिए दब जाता है। लेकिन समय प्रमाण और ही उग्र रूप में प्रत्यक्ष हो जाता है। इसलिए स्प्रिच्युअल बाप का स्प्रिच्युअल बच्चों, आत्माओं प्रति सन्देश है कि सदा अपने को स्प्रिट (सोल) समझ स्प्रिच्युअल बाप से सम्बन्ध जोड़ स्प्रिच्युअल शक्ति ले अपने मन के नेता बनो तब राज्य नेता बन औरों के भी मन की भावनाओं को बदल सकेंगे। आपके मन का संकल्प और जनता का प्रैक्टिकल कर्म एक हो जायेगा। दोनों के सहयोग से सफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण अनुभव होगा। याद रहे कि सेल्फ रूल अधिकारी ही सदा योग्य राजनेता के रूल अधिकारी बन सकते हैं। और स्वराज्य आपका स्प्रिच्युअल फादरली बर्थ राइट है। इस बर्थ राइट की शक्ति से सदा राइटियस की शक्ति भी अनुभव करेंगे और सफल रहेंगे।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- यह ब्राह्मण संसार अर्थात संगमयुग सतयुगी संसार से भी अति न्यारा और प्यारा क्यों है?

 प्रश्न 2 :- संगमयुगी स्वर्ग सतयुगी स्वर्ग से भी ऊंचा है, कैसे? स्पष्ट कीजिए।

 प्रश्न 3 :- "अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के संसार में" - इस वाक्य का गायन क्यों है, स्पष्ट कीजिए?

 प्रश्न 4 :- सेवाधारी(टीचर्स) बहनों के प्रति बापदादा ने क्या महावाक्य उच्चारण किये?

 प्रश्न 5 :- विश्व के राजनेताओं के प्रति अव्यक्त बापदादा ने क्या मधुर सन्देश दिये?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

(वर्णन, विशेष, सेवा, निर्विघ्न, तीव्रगति, श्रेष्ठ, नम्बर, ब्राह्मण, न्यारे, फलक, अलौकिक, चैलेंज, चक्कर, स्मृति, नष्टोमोहा)

 1   यह _______ संसार सतयुगी संसार से भी अति न्यारा और अति प्यारा है। इस _________ संसार की ब्राह्मण आत्मायें कितनी श्रेष्ठ हैं, ______ हैं।

 2  कहते हो ना - स्वर्ग देखना हो तो अभी देखो। वहाँ स्वर्ग का ______ नहीं करेंगे। अभी _______ से कहते हो कि हमने स्वर्ग देखा है। _________ करते हो कि स्वर्ग देखना हो तो यहाँ आकर देखो।

 3  इतने ______ पंख - ज्ञान और योग के मिले हैं जिससे तीनों ही लोकों का ______ लगा सकते हो। साइंस वालों के पास भी ऐसा ________ का साधन नहीं है।

 4  अपने इस _______ संसार को सदा स्मृति में रखो। इस संसार के इस जीवन की विशेषताओं को सदा _______ में रख समर्थ बनो। स्मृति स्वरूप बनो तो '_______' स्वतः ही बन जायेंगे।

 5  सदा ________ बन सेवा को भी निर्विघ्न बनाते चलो। ______ तो सभी करते हैं लेकिन निर्विघ्न सेवा हो, इसी में ______ मिलते हैं। जहाँ भी रहते हो वहाँ हर स्टूडेंट निर्विघ्न हो, विघ्नों की लहर न हो।

 

सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】

 1  :- जरा भी पुरानापन होगा तो वह पुरानी दुनिया की तरफ आकर्षित कर देगा।

 2  :- समझदार बनो तो 'नष्टोमोहा' स्वतः ही बन जायेंगे।

 3  :- यह अलौकिक गोद एक मिनट में अनेक जन्मों के दुःख दर्द भुला देती है।

 4  :- ऊंचा अर्थात ऊपर होने के कारण स्वर्ग को ऊंचा दिखाते हैं और नर्क को नीचे दिखाते हैं।

 5   :- धोखा खाना अर्थात दुःख उठाना।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- यह ब्राह्मण संसार अर्थात संगमयुग सतयुगी संसार से भी अति न्यारा और प्यारा क्यों है?

 उत्तर 1 :- यह ब्राह्मण संसार सतयुगी संसार से भी अति न्यारा और अति प्यारा है क्योंकि :-

          .. इस अलौकिक संसार की ब्राह्मण आत्मायें कितनी श्रेष्ठ हैं, विशेष हैं।

          .. यह ब्राह्मण स्वरूप देवता रूप से भी विशेष है।

          .. इस संसार की महिमा है, न्यारापन है। इस संसार की हर आत्मा विशेष है।

          .. हर आत्मा ही स्वराज्यधारी राजा है। हर आत्मा स्मृति की तिलकधारी, अविनाशी तिलकधारी, स्वराज्य तिलकधारी, परमात्म दिल-तख्तनशीन है।

          .. सभी आत्मायें इस सुंदर संसार की ताज, तख्त और तिलकधारी हैं।

          .. इस संसार में हर ब्राह्मण आत्मा का एक बाप, एक ही परिवार, एक ही भाषा, एक ही नॉलेज अर्थात ज्ञान, एक ही जीवन का श्रेष्ठ लक्ष्य, एक ही वृति, एक ही दृष्टि, एक ही धर्म और एक ही ईश्वरीय कर्म है।

 

 प्रश्न 2 :- संगमयुगी स्वर्ग... सतयुगी स्वर्ग से भी ऊंचा है, कैसे? स्पष्ट कीजिए।

   उत्तर 2 :- संगमयुगी स्वर्ग सतयुगी स्वर्ग से भी ऊंचा है क्योंकि :-

          .. ऊंचा अर्थात श्रेष्ठ होने के कारण स्वर्ग को ऊंचा दिखाते हैं और नर्क को नीचे दिखाते हैं। 

          .. संगमयुगी स्वर्ग सतयुगी स्वर्ग से भी ऊंचा है क्योंकि अभी दोनों संसार के नॉलेजफुल बने हो।

          .. यहाँ अभी देखते हुए जानते हुए न्यारे और प्यारे हो। इसलिए मधुबन को स्वर्ग अनुभव करते हो।

          .. कहते हो ना - स्वर्ग देखना हो तो अभी देखो। सतयुग में स्वर्ग का वर्णन नही करेंगे।

          .. अभी फलक से कहते हो कि हमनें स्वर्ग देखा है। चैलेंज करते हो कि स्वर्ग देखना हो तो यहाँ आकर देखो।

          .. इस ऊंचे संसार में श्याम से सुंदर बन गये और ज्ञान और योग के पंख मिल गये जिससे तीनों ही लोकों का चक्कर लगा सकते हो।

 

 प्रश्न 3 :- "अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के संसार में" - इस वाक्य का गायन क्यों है, स्पष्ट कीजिए?

   उत्तर 3 :- "अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के संसार में"... यह इसलिए गायन है क्योंकि :-

          .. एक बाप मिला तो सब कुछ मिला

          .. ब्राह्मण बनते ही एक दुनिया के नहीं लेकिन तीनों लोकों का मालिक बन जाते।

          .. इस संसार का गायन है - 'सदा सभी झूलों में झूलते रहते'। झूलों में झूलना भाग्य की निशानी कहा जाता है।

          .. इस संसार की विशेषता है कभी अतीन्द्रिय सुख के झूलों में झूलते, कभी खुशी के झूले में झूलते, कभी शांति के झूले में, कभी ज्ञान के झूले में झूलते।

          .. कभी परमात्म गोदी अर्थात याद की लवलीन अवस्था में झूलते, जैसे गोदी में समा जाते।

          .. यह अलौकिक परमात्म प्यार की गोद सेकंड में अनेक जन्मों के दुःख दर्द भुला देती है।

 

 प्रश्न 4 :- सेवाधारी(टीचर्स) बहनों के प्रति बापदादा ने क्या महावाक्य उच्चारण किये?

   उत्तर 4 :- सेवाधारी अर्थात त्यागी तपस्वी आत्माओं के प्रति बापदादा ने कहा :-

          .. सेवा का फल तो सदा मिलता ही है लेकिन त्याग और तपस्या से सदा आगे बढ़ती रहेंगी।

          .. सदा अपने को विशेष आत्मायें समझ कर विशेष सेवा का सबूत देना है। यही लक्ष्य रखो।

          .. जितना लक्ष्य मजबूत होगा उतनी बिल्डिंग भी अच्छी बनेगी। तो सदा सेवाधारी समझ आगे बढ़ो।

          .. जैसे बाप ने आपको चुना वैसे आप फिर प्रजा को चुनो।

          .. सदा निर्विघ्न बन सेवा को भी निर्विघ्न बनाते चलो, इसी में नम्बर मिलते हैं।

          .. जहाँ भी रहते हो वहाँ हर स्टूडेंट निर्विघ्न हो, विघ्नों की लहर न हो। शक्तिशाली वातावरण हो।

          .. यही लक्ष्य रखो - ऐसा याद का वातावरण हो जो विघ्न आ न सकें। किला होता है तो दुश्मन आ नहीं सकते। तो निर्विघ्न बन निर्विघ्न सेवाधारी बनो।

 

 प्रश्न 5 :- विश्व के राजनेताओं के प्रति अव्यक्त बापदादा ने क्या मधुर सन्देश दिये?

   उत्तर 5 :- विश्व के राजनेताओं के प्रति अव्यक्त बापदादा का मधुर सन्देश इस प्रकार है :-

          .. विश्व के हर एक राज्य नेता अपने देश को वा देशवासियों को प्रगति की ओर ले जाने की शुभ भावना, शुभ कामना से अपने-अपने कार्य में लगे हुए हैं परन्तु समय प्रमाण अभी ज्यादा अटेंशन की जरूरत है।

          .. सदा अपने को सोल समझ स्प्रिच्युअल बाप से सम्बन्ध जोड़ स्प्रिच्युअल शक्ति ले अपने मन के नेता बनो तब राज्य नेता बन औरों के भी मन की भावनाओं को बदल सकेंगे।

          .. आपके मन का संकल्प और जनता का प्रैक्टिकल कर्म एक हो जायेगा, तब दोनों के सहयोग से सफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण अनुभव होगा।

          .. सदा याद रखो कि सेल्फ अधिकारी ही सदा योग्य राजनेता के रूल अधिकारी बन सकते हैं।

          .. स्वराज्य आपका स्प्रिच्युअल फादरली बर्थ राइट है।

          .. इस बर्थ राइट की शक्ति से सदा राइटियस की शक्ति भी अनुभव करेंगे और सफल रहेंगे।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

(वर्णन, विशेष, सेवा, निर्विघ्न, तीव्रगति, श्रेष्ठ, नम्बर, ब्राह्मण, न्यारे, फलक, अलौकिक, चैलेंज, चक्कर, स्मृति, नष्टोमोहा)

 1   यह _______ संसार सतयुगी संसार से भी अति न्यारा और अति प्यारा है। इस _________ संसार की ब्राह्मण आत्मायें कितनी श्रेष्ठ हैं, _______ हैं।

    ब्राह्मण / अलौकिक / विशेष

 2  कहते हो ना - स्वर्ग देखना हो तो अभी देखो। वहाँ स्वर्ग का _______ नहीं करेंगे। अभी _______ से कहते हो कि हमने स्वर्ग देखा है। _________ करते हो कि स्वर्ग देखना हो तो यहाँ आकर देखो।

    वर्णन / फलक / चैलेंज

 

 3  इतने ______ पंख - ज्ञान और योग के मिले हैं जिससे तीनों ही लोकों का _______ लगा सकते हो। साइंस वालों के पास भी ऐसा _________ का साधन नहीं है।

      न्यारे / चक्कर / तीव्रगति

 

 4  अपने इस ________ संसार को सदा स्मृति में रखो। इस संसार के इस जीवन की विशेषताओं को सदा _______ में रख समर्थ बनो। स्मृति स्वरूप बनो तो '________' स्वतः ही बन जायेंगे।

      श्रेष्ठ / स्मृति / नष्टोमोहा

 

 5  सदा __________ बन सेवा को भी निर्विघ्न बनाते चलो। _______ तो सभी करते हैं लेकिन निर्विघ्न सेवा हो, इसी में ______ मिलते हैं। जहाँ भी रहते हो वहाँ हर स्टूडेंट निर्विघ्न हो, विघ्नों की लहर न हो।

    निर्विघ्न / सेवा / नम्बर

 

सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】

 1  :- जरा भी पुरानापन होगा तो वह पुरानी दुनिया की तरफ आकर्षित कर देगा।【✔】

 

 2  :- समझदार बनो तो 'नष्टोमोहा' स्वतः ही बन जायेंगे।【✖】

  स्मृति स्वरूप बनो तो 'नष्टोमोहा' स्वतः ही बन जायेंगे।

 

 3  :- यह अलौकिक गोद एक मिनट में अनेक जन्मों के दुःख दर्द भुला देती है।【✖】 

  यह अलौकिक गोद एक सेकंड में अनेक जन्मों के दुःख दर्द भुला देती है।

 

 4  :- ऊंचा अर्थात ऊपर होने के कारण स्वर्ग को ऊंचा दिखाते हैं और नर्क को नीचे दिखाते हैं।【✖】

  ऊंचा अर्थात श्रेष्ठ होने के कारण स्वर्ग को ऊंचा दिखाते हैं और नर्क को नीचे दिखाते हैं।

 5   :- धोखा खाना अर्थात दुःख उठाना।【✔】