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AVYAKT MURLI

18 / 11 / 87

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  18-11-87   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

साइलेंस पावर जमा करने का साधन - ‘अंतर्मुखी और एकान्तवासी स्थिति'

चैतन्य शान्ति देव आत्माओं को शान्ति का स्टॉक जमा करने की प्रेरणा देते हुए सर्वशक्तिवान बापदादा बोले

आज सर्वशक्तिवान बापदादा अपने शक्ति सेना को देख रहे हैं। यह रूहानी शक्ति सेना विचित्र सेना है। नाम रूहानी सेना है लेकिन विशेष साइलेन्स की शक्ति हैशान्ति देने वाली अहिंसक सेना है। तो आज बापदादा हर एक शान्ति देवा बच्चे को देख रहे हैं कि हर एक ने शान्ति की शक्ति कहाँ तक जमा की हैयह शान्ति की शक्ति इस रूहानी सेना के विशेष शस्त्र हैं। हैं सभी शस्त्रधारी लेकिन नम्बरवार हैं। शान्ति की शक्ति सारे विश्व को अशान्त से शान्त बनाने वाली हैन सिर्फ मनुष्य आत्माओं को लेकिन प्रकृति को भी परिवर्तन करने वाली है। शान्ति की शक्ति को अभी और भी गुह्य रूप से जानने और अनुभव करने का है। जितना इस शक्ति में शक्तिशाली बनेंगेउतना ही शान्ति की शक्ति का महत्त्वमहानता का अनुभव ज्यादा करते जायेंगे। अभी वाणी की शक्ति से सेवा के साधनों की शक्ति अनुभव कर रहे हो और इस अनुभव द्वारा सफलता भी प्राप्त कर रहे हो। लेकिन वाणी की शक्ति वा स्थूल सेवा के साधनों से ज्यादा साइलेन्स की शक्ति अति श्रेष्ठ है। साइलेन्स की शक्ति के साधन भी श्रेष्ठ हैं।

जैसे वाणी की सेवा के साधन चित्रप्रोजेक्टर वा वीडियो आदि बनाते होऐसे शान्ति की शक्ति के साधन - ‘शुभ संकल्पशुभ-भावना और नयनों की भाषा है'। जैसे मुख की भाषा द्वारा बाप का वा रचना का परिचय देते होऐसे साइलेन्स की शक्ति के आधार पर नयनों की भाषा से नयनों द्वारा बाप का अनुभव करा सकते हो। जैसे प्रोजेक्टर द्वारा चित्र दिखाते होवैसे आपके मस्तक के बीच चमकता हुआ आपका वा बाप का चित्र स्पष्ट दिखा सकते हो। जैसे वर्तमान समय वाणी द्वारा याद की यात्रा का अनुभव कराते होऐसे साइलेन्स की शक्ति द्वारा आपका चेहरा (जिसको मुख कहते हो) आप द्वारा भिन्न-भिन्न याद की स्टेजस का स्वत: ही अनुभव करायेगा। अनुभव करने वालों को यह सहज महसूस होगा कि इस समय बीजरूप स्टेज का अनुभव हो रहा है वा फरिश्ते-रूप का अनुभव हो रहा है वा भिन्न-भिन्न गुणों का अनुभव आपके इस शक्तिशाली फेश से स्वत: ही होता रहेगा। जैसे वाणी द्वारा आत्माओं को स्नेह के सहयोग की भावना उत्पन्न कराते होऐसे आपकी शुभ भावना और स्नेह के भावना की स्थिति में स्वयं भी स्थित होंगे। तो जैसी आपकी भावना होगी वैसी भावना उन्हों में भी उत्पन्न होगी। आपकी शुभ भावना उन्हों की भावना को प्रज्वलित करेगी। जैसे दीपकदीपक को जगा देता हैऐसे आपकी शक्तिशाली शुभ भावना औरों में भी सर्वश्रेष्ठ भावना सहज ही उत्पन्न करायेगी। जैसे वाणी द्वारा अभी सारा स्थूल कार्य करते रहते होऐसे साइलेन्स के शक्ति के श्रेष्ठ साधन - शुभ संकल्प की शक्ति से स्थूल कार्य भी ऐसे ही सहज कर सकते हो वा करा सकते हो। जैसे साइन्स की शक्ति के साधन टेलीफोनवायरलेस हैंऐसे यह शुभ संकल्प सम्मुख बात करने वा टेलीफोनवायरलेस द्वारा कार्य कराने का अनुभव करायेगा। ऐसे साइलेन्स की शक्ति में विशेषतायें हैं। साइलेन्स की शक्ति कम नहीं है। लेकिन अभी वाणी की शक्ति कोस्थूल साधनों को ज्यादा कार्य में लगाते होइसलिए यह सहज लगते हैं। साइलेन्स की शक्ति के साधनों को प्रयोग में नहीं लाया हैइसलिए इनका अनुभव नहीं है। वह सहज लगता हैयह मेहनत का लगता है। लेकिन समय परिवर्तन प्रमाण यह शान्ति की शक्ति के साधन प्रयोग में लाने ही होंगे।

इसलिएहे शान्ति देवा श्रेष्ठ आत्मायें! इस शान्ति की शक्ति को अनुभव में लाओ। जैसे वाणी की प्रैक्टिस करते-करते वाणी के शक्तिशाली हो गये होऐसे शान्ति की शक्ति के भी अभ्यासी बनते जाओ। आगे चल वाणी वा स्थूल साधनों के द्वारा सेवा का समय नहीं मिलेगा। ऐसे समय पर शान्ति की शक्ति के साधन आवश्यक होंगे। क्योंकि जितना जो महान शक्तिशाली शस्त्र होता है वह कम समय में कार्य ज्यादा करता है। और जितना जो महान शक्तिशाली होता है वह अति सूक्ष्म होता है। तो वाणी से शुद्ध-संकल्प सूक्ष्म हैंइसलिए सूक्ष्म का प्रभाव शक्तिशाली होगा। अभी भी अनुभवी होजहाँ वाणी द्वारा कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है तो कहते हो - यह वाणी से नहीं समझेंगेशुभ भावना से परिवर्तन होंगे। जहाँ वाणी कार्य को सफल नहीं कर सकतीवहाँ साइलेन्स की शक्ति का साधन शुभ-संकल्पशुभ-भावना,नयनों की भाषा द्वारा रहम और स्नेह की अनुभूति कार्य सिद्ध कर सकती है। जैसे अभी भी कोई वाद-विवाद वाला आता है तो वाणी से और ज्यादा वाद-विवाद में आ जाता है। उसको याद में बिठाए साइलेन्स की शक्ति का अनुभव कराते हो ना। एक सेकण्ड भी अगर याद द्वारा शान्ति का अनुभव कर लेते हैं तो स्वयं ही अपनी वाद-विवाद की बुद्धि को साइलेन्स की अनुभूति के आगे सरेन्डर कर देते हैं। तो इस साइलेन्स की शक्ति का अनुभव बढ़ाते जाओ। अभी यह साइलेन्स की शक्ति की अनुभूति बहुत कम है। साइलेन्स की शक्ति का रस अब तक मैजारिटी ने सिर्फ अंचली मात्र अनुभव किया है। हे शान्ति-देवा। आपके भक्त आपके जड़ चित्रों से शान्ति का अल्पकाल का अनुभव करते हैंज्यादा करके मांगते भी शान्ति है क्योंकि शान्ति में सुख समाया हुआ है। तो बापदादा देख रहे थे शान्ति की शक्ति के अनुभवी आत्मायें कितनी हैंवर्णन करने वाली कितनी हैं और प्रयोग करने वाली कितनी हैं। इसके लिए - ‘अन्तर्मुखता और एकान्तवासी'बनने की आवश्यकता है। बाहरमुखता में आना सहज है लेकिन अन्तर्मुखी का अभ्यास अभी समय प्रमाण बहुत चाहिए। कई बच्चे कहते हैं - एकान्तवासी बनने का समय नहीं मिलताअन्तर्मुखी-स्थिति का अनुभव करने का समय नहीं मिलता क्योंकि सेवा की प्रवृत्तिवाणी के शक्ति की प्रवृत्ति बहुत बढ़ गई है। लेकिन इसके लिए कोई इकट्ठा आधा वा एक घण्टा निकालने की आवश्यकता नहीं है। सेवा की प्रवृत्ति में रहते भी बीच-बीच में इतना समय मिल सकता है जो एकान्तवासी बनने का अनुभव करो।

एकान्तवासी अर्थात् कोई भी एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित होना। चाहे बीजरूप स्थिति में स्थित हो जाओचाहे लाइट-हाउसमाइट-हाउस स्थिति में स्थित हो जाओ अर्थात् विश्व को लाइट-माइट देने वाले - इस अनुभूति में स्थित हो जाओ। चाहे फरिश्तेपन की स्थिति द्वारा औरों को भी अव्यक्त-स्थिति का अनुभव कराओ। एक सेकण्ड वा एक मिनट अगर इस स्थिति में एकाग्र हो स्थित हो जाओ तो यह एक मिनट की स्थिति स्वयं आपको और औरों को भी बहुत लाभ दे सकती है। सिर्फ इसकी प्रैक्टिस चाहिए। अब ऐसा कौन है जिसको एक मिनट भी फुर्सत नहीं मिल सकतीजैसे पहले ट्रैफिक कन्ट्रोल का प्रोग्राम बना तो कई सोचते थे - यह कैसे हो सकतासेवा की प्रवृत्ति बहुत बड़ी हैबिजी रहते हैं। लेकिन लक्ष्य रखा तो हो रहा है ना। प्रोग्राम चल रहा है ना। सेन्टर्स पर यह ट्रैफिक कन्ट्रोल का प्रोग्राम चलाते हो वा कभी मिस करतेकभी चलातेयह एक ब्राह्मण कुल की रीति हैनियम है। जैसे और नियम आवश्यक समझते होऐसे यह भी स्व-उन्नति के लिए वा सेवा की सफलता के लिएसेवाकेन्द्र के वातावरण के लिए आवश्यक है। ऐसे अन्तर्मुखीएकान्तवासी बनने के अभ्यास के लक्ष्य को लेकर अपने दिल की लगन से बीच-बीच में समय निकालो। महत्व जानने वाले को समय स्वत: ही मिल जाता है। महत्व नहीं है तो समय भी नहीं मिलता। एक पावरफुल स्थिति में अपने मन कोबुद्धि को स्थित करना ही एकान्तवासी बनना है। जैसे साकार ब्रह्मा बाप को देखासम्पूर्णता की समीपता की निशानी - सेवा में रहतेसमाचार भी सुनते-सुनते एकान्तवासी बन जाते थे। यह अनुभव किया ना। एक घण्टे के समाचार को भी 5 मिनट में सार समझ बच्चों को भी खुश किया और अपनी अन्तर्मुखीएकान्तवासी स्थिति का भी अनुभव कराया। सम्पूर्णता की निशानी - अन्तर्मुखीएकान्तवासी स्थिति चलते-फिरतेसुनतेकरते अनुभव किया। तो फॉलो फादर नहीं कर सकते होब्रह्मा बाप से ज्यादा जिम्मेवारी और किसकी है क्याब्रह्मा बाप ने कभी नहीं कहा कि मैं बहुत बिजी हूँ। लेकिन बच्चों के आगे एग्जाम्पल बने। ऐसे अभी समय प्रमाण इस अभ्यास की आवश्यकता है। सब सेवा के साधन होते हुए भी साइलेन्स की शक्ति के सेवा की आवश्यकता होगी क्योंकि साइलेन्स की शक्ति अनुभूति कराने की शक्ति है। वाणी की शक्ति का तीर बहुत करके दिमाग तक पहुँचता है और अनुभूति का तीर दिल तक पहुँचता है। तो समय प्रमाण एक सेकण्ड में अनुभूति करा लो - यही पुकार होगी। सुनने-सुनाने के थके हुए आयेंगे। साइलेन्स की शक्ति के साधनों द्वारा नजर से निहाल कर देंगे। शुभ संकल्प से आत्माओं के व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर देंगे। शुभभावना से बाप की तरफ स्नेह की भावना उत्पन्न करा लेंगे। ऐसे उन आत्माओं को शान्ति की शक्ति से सन्तुष्ट करेंगेतब आप चैतन्य शान्ति देव आत्माओं के आगे ‘शान्ति देवाशान्ति देवाकह करके महिमा करेंगे और यही अंतिम संस्कार ले जाने के कारण द्वापर में भक्त आत्मा बन आपके जड़ चित्रों की यह महिमा करेंगे। यह ट्रैफिक कन्ट्रोल का भी महत्व कितना बड़ा है और कितना आवश्यक है - यह फिर सुनायेंगे। लेकिन शान्ति की शक्ति के महत्व को स्वयं जानो और सेवा में लगाओ। समझा?

आज पंजाब आया है ना। पंजाब में सेवा का महत्व भी साइलेन्स की शक्ति का है। साइलेन्स की शक्ति से हिंसक वृत्ति वाले को अहिंसक बना सकते हो। जैसे स्थापना के आदि के समय में देखा - हिंसक वृत्ति वाले रूहानी शान्ति की शक्ति के आगे परिवर्तन हो गये ना। तो हिंसक वृत्ति को शान्त बनाने वाली शान्ति की शक्ति है। वाणी सुनने के लिए तैयार ही नहीं होते। जब प्रकृति की शक्ति से गर्मी वा सर्दी की लहर चारों ओर फैल सकती है तो प्रकृतिपति की शान्ति की लहर चारों ओर नहीं फैल सकतीसाइन्स के साधन भी गर्मी को सर्दी के वातावरण में बदल सकते हैं तो रूहानी शक्ति रूहों को नहीं बदल सकतीतो पंजाब वालों ने क्या सुनासभी को वायब्रेशन आवे कि कोई शान्ति का पुंजशान्ति की किरणें दे रहे हैं। ऐसी सेवा करने का समय पंजाब को मिला है। फंक्शनप्रदर्शनी आदिवह तो करते ही हो लेकिन इस शक्ति का अनुभव करो और कराओ। सिर्फ अपने मन की एकाग्र वृत्तिशक्तिशाली वृत्ति चाहिए। लाइट हाउस जितना शक्तिशाली होता हैउतना दूर तक लाइट दे सकता है। तो पंजाब वालों के लिए यह समय है इस शक्ति को प्रयोग में लाने का। समझा?अच्छा।

आन्ध्र प्रदेश का भी ग्रुप है। वह क्या करेंगेतूफान को शान्त करेंगे। आन्ध्रा में तूफान बहुत आते हैं ना। तूफानों को शान्त करने के लिए भी शान्ति की शक्ति चाहिए। तूफानों में मनुष्य आत्मायें भटक जाती हैं। तो भटकी हुई आत्माओं को शान्ति का ठिकाना देना - यह आन्ध्रा वालों की विशेष सेवा है। अगर शरीर से भी भटकते हैं तो पहले मन भटकता हैफिर शरीर भटकता है। मन के ठिकाने से शरीर के ठिकाने के लिए भी बुद्धि काम करेगी। अगर मन का ठिकाना नहीं होता तो शरीर के साधनों के लिए भी बुद्धि काम नहीं करती। इसलिए,सबके मन को ठिकाने पर लगाने के लिए इस शक्ति को कार्य में लगाओ। दोनों को तूफानों से बचाना है। वहाँ हिंसा का तूफान हैवहाँ समुद्र का तूफान है। वहाँ व्यक्तियों का हैवहाँ प्रकृति का है। लेकिन है दोनों तरफ तूफान। तूफान वालों को शान्ति का तोहफा दो। तोहफा तूफान को बदल लेगा। अच्छा।

चारों ओर के शान्ति देवा श्रेष्ठ आत्माओं कोचारों ओर के अन्तर्मुखी महान आत्माओं कोसदा एकान्तवासी बन कर्म में आने वाले कर्मयोगी श्रेष्ठ आत्माओं कोसदा शान्ति की शक्ति को प्रयोग करने वाले श्रेष्ठ योगी आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

पार्टियों से अव्यक्त बापदादा की मुलाकात

सदा अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान समझते होघर बैठे भाग्यविधाता द्वारा श्रेष्ठ भाग्य मिल गया। घर बैठे भाग्य मिलना - यह कितनी खुशी की बात है! अविनाशी बापअविनाशी प्राप्ति कराते हैं। तो अविनाशी अर्थात् सदाकभीकभी नहीं। तो भाग्य को देखकर सदा खुश रहते हो?हर समय भाग्य और भाग्यविधाता - दोनों ही स्वत: याद रहें। सदा ‘वाहमेरा श्रेष्ठ भाग्य!' - यही गीत गाते रहो। यह मन का गीत है। जितना यह गीत गाते उतना सदा ही उड़ती कला का अनुभव करते रहेंगे। सारे कल्प में ऐसा भाग्य प्राप्त करने का यह एक ही समय है। इसलिये स्लोगन भी है ‘अब नहीं तो कब नहीं'। जो भी श्रेष्ठ कार्य करना हैवह अब करना है। हर कार्य में हर समय यह याद रखो कि ‘अब नहीं तो कब नहीं।जिसको यह स्मृति में रहता है वह कभी भी समयसंकल्प वा कर्म वेस्ट होने नहीं देंगेसदा जमा करते रहेंगे। विकर्म की तो बात ही नहीं है लेकिन व्यर्थ कर्म भी धोखा दे देते हैं। तो हर सेकण्ड के हर संकल्प का महत्त्व जानते हो ना। जमा का खाता सदा भरता रहे। अगर हर सेकण्ड वा हर संकल्प श्रेष्ठ जमा करते होव्यर्थ नहीं गँवाते हो तो 21 जन्म के लिए अपना खाता श्रेष्ठ बना लेते हो। तो जितना जमा करना चाहिए उतना कर रहे होइस बात पर और अण्डरलाइन करना - एक सेकण्ड भीसंकल्प भी व्यर्थ न जाए। व्यर्थ खत्म हो जायेगा तो सदा समर्थ बन जायेगा। अच्छा। आन्ध्रप्रदेश में गरीबी बहुत है ना। और आप फिर इतने ही साहूकार हो! चारों ओर गरीबी बढ़ती जाती है और आपके यहाँ साहूकारी बढ़ती जाती है क्योंकि ज्ञान का धन आने से यह स्थूल भी स्वत: ही दाल-रोटी मिलने जितना आ ही जाता है। कोई ब्राह्मण भूखा रहता हैतो स्थूल धन की गरीबी भी समाप्त हो जाती है क्योंकि समझदार बन जाते हैं। काम वरके स्वयं को खिलाने के लिए वा परिवार को खिलाने के लिए भी समझ आ जाती है। इसलिए डबल साहूकारी आ जाती है। शरीर को भी अच्छा और मन को भी अच्छा। दाल-रोटी आराम से मिल रही है ना। ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी बनने से रॉयल भी हो गयेसाहूकार भी हो गये और अनेक जन्म मालामाल रहेंगे। जैसे पहले चलते थेरहते थेपहनते थे... उससे अभी कितने रॉयल हो गये हो! अभी सदा ही स्वच्छ रहते हो। पहले कपड़े भी मैले पहनेंगेअभी अन्दर बाहर दोनों से स्वच्छ हो गये। तो ब्रह्माकुमार बनने में फायदा हो गया ना। सब बदल जाता हैपरिवर्तन हो जाता है। पहले की शक्लअक्ल देखो और अभी भी देखो तो फर्क का पता चलेगा। अभी रूहानियत की झलक आ गई हैइसलिए सूरत ही बदल गई है। तो सदा ऐसे खुशी में नाचते रहो। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनों से - डबल विदेशी होवैसे तो सभी ब्राह्मण आत्मायें इसी भारत देश की हैं। अनेक जन्म भारतवासी रहे हो। यह तो सेवा के लिए अनेक स्थानों पर पहुँचें हो। इसलिए यह निशानी है कि जब भारत में आते हो अर्थात् मधुबन धरनी में या ब्राह्मण परिवार में आते हो तो अपनापन अनुभव करते हो। वैसे विदेश की विदेशी आत्मायें कितने भी नजदीक सम्पर्क वाली होंसम्बन्ध वाली हों लेकिन जैसे यहाँ आत्मा को अपनापन लगता हैऐसे नहीं लगेगा! जितनी नजदीक वाली आत्मा होगी उतनी अपनेपन की ज्यादा महसूसता होगी। सोचना नहीं पड़ेगा कि मैं था या मैं हो सकता हूँ। हर एक स्थूल वस्तु भी अति प्यारी लगेगी। जैसे कोई अपनी चीज़ होती है ना। अपनी चीज़ सदा प्यारी लगती है। तो यह निशानियाँ हैं। बापदादा देख रहे हैं कि दूर रहते भी दिल से सदा नजदीक रहने वाले हैं। सारा परिवार आपको इस श्रेष्ठ भाग्यवान की नजर से देखते हैं। अच्छा।

विदाई के समय - सत्गुरूवार की यादप्यार (प्रात: 6 बजे)

वृक्षपति दिवस पर वृक्ष के पहले आदि अमूल्य पत्तों को वृक्षपति बाप का यादप्यार और नमस्ते। बृहस्पति की दशा तो सभी श्रेष्ठ आत्माओं पर है ही। राहू की दशा और अनेक दशायें समाप्त हुई। अभी एक ही वृक्षपति कीबृहस्पति की दशा हर ब्राह्मण आत्मा की सदा रहती है। तो बृहस्पति की दशा भी है और दिन भी बृहस्पति का है और वृक्षपति अपने वृक्ष के आदि पत्तों से मिलन मना रहे हैं। तो सदा याद है और सदा याद रहेगी। सदा प्यार में समाये हुए हो और सदा ही प्यारे रहेंगे। समझा?

दादी जी एक दिन के राजपीपल (गुजरात) मेले में जाने की छुट्टी ले रही हैं

विशेष आत्माओं के हर कदम में पद्मों की कमाई है। बड़ों का सहयोग भी छत्रछाया बन चार चांद लगा देता है। जहाँ भी जाओ वहाँ सभी को एक-एक के नाम से यादप्यार स्वीकार कराना। नाम की माला तो भक्ति में बच्चों ने बहुत जपी। अभी बाप यह माला शुरू करेंगे तो बड़ी माला हो जायेगी। इसलिए जो भी जहाँ भी बच्चे (विशेष आत्मायें) जाते हैं - वहाँ विशेष उमंग-उत्साह बढ़ जाता है। विशेष आत्माओं का जाना अर्थात् सेवा में और विशेषता आना। यहाँ से शुरू होता है - सिर्फ धरनी में चरण घुमाकर जाना। तो चरण घुमाना माना चक्र लगाना। यहाँ सेवा में चक्र लगाते होवहाँ भक्ति में उन्होंने चरण रखने का महत्व बनाया है। लेकिन शुरू तो सब यहाँ से ही होता है। चाहे आधा घण्टाएक घण्टा भी कहाँ जाते हो तो सब खुश हो जाते हैं। लेकिन यहाँ सेवा होती है। भक्ति में सिर्फ चरण रखने से खुशी अनुभव करते हैं। सब स्थापना यहाँ से ही हो रही है। पूरा ही भक्ति मार्ग का फाउण्डेशन यहाँ से ही पड़ता हैसिर्फ रूप बदली जो जायेगा। तो जो भी मेला सेवा के निमित्त बने हैं अर्थात् मिलन मनाने की सेवा के निमित्त बने हैंउन सभी को बापदादामेले के पहले मिलन-मेला मना रहे हैं। यह बाप और बच्चों का मेला हैवह सेवा का मेला है। तो सभी को दिल से यादप्यार। अच्छा। दुनिया में नाइट क्लब होते हैं और यह अमृतवेला क्लब है। (दादियों से) आप सब अमृतवेले के क्लब की मेम्बर्स हो। सभी देख करके खुश होते हैं। विशेष आत्माओं को देख करके भी खुशी होती है। अच्छा।

 

 

 

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :-  साइलेंस की शक्ति के बारे में बाबा ने क्या कहा?

 प्रश्न 2 :-  अपने चेहरे द्वारा किस प्रकार सेवा कर सकते हो?

 प्रश्न 3 :-  आगे चल वाणी व स्थूल साधनों के द्वारा सेवा का समय नहीं मिलेगा..... कारण विस्तार में बताइए?

 प्रश्न 4 :- बाबा ने एकांतवासी को शक्तिशाली स्थिति में स्थित होने के लिए कौनसी स्थितियों का वर्णन किया है?

 प्रश्न 5 :-  घर बैठे भाग्य विधाता द्वारा श्रेष्ठ भाग्य मिल गया। अपने को भाग्यशाली समझते हो? स्पष्ट कीजिए?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( रूप, बदली, नजदीक, माला, माला, बृहस्पति, फाउंडेशन, बृहस्पति, बृहस्पति, अपनेपन, सोचना, माला, भक्ति, खुशी, स्थापना)

 1   जितनी _______ वाली आत्मा होगी इतनी _______ की ज्यादा महसूसता होगी। _______ नहीं पड़ेगा कि मैं था या मैं हो सकता हूँ।

 2  ________ की दशा भी है और दिन भी _______ का है और _______ अपनी वृक्ष के आदि पत्तों से मिलन मना रहे हैं।

 3  नाम की _______ तो भक्ति में बच्चों ने बहुत जपी। अभी बाप यह _______ शुरू करेंगे तो बड़ी ______ हो जाएगी।

 4  _______ में सिर्फ _______ रखने से खुशी अनुभव करते हैं। सब ________ यहां से ही हो रही है।

 5  पुरानी भक्ति मार्ग का ________ यहां से ही पड़ता है, सिर्फ ________  _______ जो जाएगा।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】【✖】

 1  :-  जैसे कोई अपनी चीज होती है ना। अपनी चीज सदा प्यारी लगती है।

 2  :- अभी एक वृक्ष पति की बृहस्पति की दशा हर ब्राह्मण आत्मा की सदा रहती है।

 3  :- विशेष आत्माओं के हर कदम में पद्मों की कमाई है।

 4  :- जहां भी जाओ वहां सभी को एक-एक के नाम से या प्यार स्वीकार कराना।

 5   :- दुनिया में नाइट क्लब होती है और यह अमृतवेला क्लब है।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- साइलेंस की शक्ति के बारे में बाबा ने क्या कहा?

  उत्तर 1 :- साइलेंस की शक्ति के बारे में बाबा ने कहा कि :-

          .. यह शांति की शक्ति इस रूहानी सेना के विशेष शास्त्र हैं। हैं सभी शस्त्रधारी लेकिन नंबरवार हैं। शांति की शक्ति सारे विश्व को अशांत से शांत बनाने वाली है, ना सिर्फ मनुष्य आत्माओं को लेकिन प्रकृति को भी परिवर्तन करने वाली है।

         .. शांति की शक्ति को अभी और भी गुह्य रूप से जानने और अनुभव करने का है। जितना इस शक्ति में शक्तिशाली बनेंगे, उतना ही शांति की शक्ति का महत्व, महानता का अनुभव ज्यादा करते जाएंगे।

         .. अभी वाणी की शक्ति से सेवा के साधनों की शक्ति अनुभव कर रहे हो और इस अनुभव द्वारा सफलता भी प्राप्त कर रहे हो। लेकिन वाणी की शक्ति व स्थूल सेवा के साधनों से ज्यादा साइलेंस की शक्ति अति श्रेष्ठ है। साइलेंस की शक्ति के साधन भी श्रेष्ठ हैं।

         .. जैसे वाणी की सेवा के साधन चित्र, प्रोजेक्टर वा वीडियो आदि बनाते हो, ऐसे शांति की शक्ति के साधन- 'शुभ संकल्प, शुभ-भावना और नैनों की भाषा है।'

         .. जैसे मुख की भाषा द्वारा बाप का वा रचना का परिचय देते हो, ऐसे साइलेंस की शक्ति के आधार पर नैनों की भाषा से नैनों द्वारा बाप का अनुभव करा सकते हो। जैसे प्रोजेक्टर द्वारा चित्र दिखाते हो, वैसे आपके मस्तक के बीच चमकता हुआ आपका वा बाप का चित्र स्पष्ट दिखा सकते हो।

 

 प्रश्न 2 :- अपने चेहरे द्वारा किस प्रकार सेवा कर सकते हो?

   उत्तर 2 :- बापदादा ने बताया कि :-

          .. जैसे वर्तमान समय वाणी द्वारा याद की यात्रा का अनुभव कराते हो ऐसे साइलेंस की शक्ति द्वारा आपका चेहरा (जिसको मुख कहते हो) आप द्वारा भिन्न-भिन्न याद की स्टेजस का स्वतः ही अनुभव कराएगा।

         .. अनुभव करने वालों को यह सहज महसूस होगा कि इस समय बीज रुप स्टेज का अनुभव हो रहा है, वा फरिश्ते रूप का अनुभव हो रहा है, वा  भिन्न भिन्न होने का अनुभव आपके इस शक्तिशाली फेश से स्वतः ही होता रहेगा।

         .. जैसे वाणी द्वारा आत्माओं को स्नेह के सहयोग की भावना उत्पन्न कराते हो, ऐसे आपकी शुभ भावना और स्नेह के भावना की स्थिति में स्वयं भी स्थित होंगे। तो जैसी आपकी भावना होगी वैसे भावना उन्हों में भी उत्पन्न होगी। आपकी शुभ भावना उन्हों की भावना को प्रज्ज्वलित करेगी।

         .. जैसे दीपक, दीपक को जगा देता है, ऐसे आपकी शक्तिशाली शुभ भावना औरों में भी सर्वश्रेष्ठ भावना सहज ही उत्पन्न करायेगी। जैसे वाणी द्वारा अभी सारा स्थूल कार्य करते रहते हो, ऐसे साइलेंस की शक्ति के श्रेष्ठ साधन- शुभ संकल्प की शक्ति से स्थूल कार्य भी ऐसे ही सहज कर सकते हो वह करा सकते हो वा करा सकते हो।

         .. जैसे साइंस की शक्ति के साधन टेलीफोन, वायलेस हैं, ऐसे यह शुभ संकल्प सम्मुख बात करने वा टेलीफोन वायरस द्वारा कार्य कराने का अनुभव करायेगा। ऐसे साइलेंस की शक्ति में विशेषताएं हैं। साइलेंस की शक्ति कम नहीं है। लेकिन अभी वाणी की शक्ति को, स्थूल साधनों को ज्यादा कार्य में लगाते हो, इसलिए यह सहज लगते हैं। साइलेंस की शक्ति के साधनों को प्रयोग में नहीं लाया है, इसलिए इनका अनुभव नहीं है। वह सहज लगता है, यह मेहनत का लगता है। लेकिन समय परिवर्तन प्रमाण यह शांति की शक्ति के साधन प्रयोग में लाने की होंगे।

 

 प्रश्न 3 :- आगे चल वाणी वा स्थूल साधनों के द्वारा सेवा का समय नहीं मिलेगा.... कारण विस्तार में बताईये?

 उत्तर 3 :- बापदादा समझानी दी कि :-

          .. ऐसे समय पर शांति की शक्ति के साधन आवश्यक होंगे। क्योंकि जितना जो महान शक्तिशाली शस्त्र होता है वह कम समय में कार्य ज्यादा करता है। और जितना जो महान शक्तिशाली होता है वह अति सूक्ष्म होता है।

          .. तो वाणी से शुद्ध- संकल्प सूक्ष्म हैं, इसलिए सूक्ष्म का प्रभाव शक्तिशाली होगा। अभी भी अनुभव हो, जहाँ वाणी द्वारा कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है तो कहते हो - यह वाणी से नहीं समझेंगे, शुभ भावना से परिवर्तन होंगे।

          .. जहाँ वाणी कार्य को सफल नहीं कर सकती, वहां साइलेंस की शक्ति का साधन शुभ संकल्प, शुभ भावना, नैनों की भाषा द्वारा रहना और स्नेह की अनुभूति कार्य सिद्ध कर सकती है। जैसे अभी भी कोई वाद- विवाद वाला आता है तो वाणी से और ज्यादा वाद-विवाद में आ जाता है। उसको याद में बिठाएं साइलेंस की शक्ति का अनुभव कराते हो ना।

          .. एक सेकंड भी अगर याद द्वारा शांति का अनुभव कर लेते हैं तो स्वयं ही अपनी वाद-विवाद की बुद्धि को साइलेंस की अनुभूति के आगे सरेंडर कर देते हैं। तो इस साइलेंस की शक्ति का अनुभव बढ़ाते जाओ। अभी यह साइलेंस की शक्ति की अनुभूति बहुत कम है। साइलेंस की शक्ति का रस अब तक मैजोरिटी ने सिर्फ अंजलि मात्र अनुभव किया है।

          .. हे शांती - देवा। आपके भक्त आपके जड़ चित्रों से शांति का अल्पकाल का अनुभव करते हैं, ज्यादा करके मांगते भी शांति है क्योंकि शांति में सुख समाया हुआ है। तो बापदादा देख रहे थे शांति की शक्ति के अनुभवी आत्माएं कितनी है, वर्णन करने वाली कितनी है और प्रयोग करने वाली कितनी हैं। इसके लिए - 'अंतर्मुखता और एकांतवासी' बनने की आवश्यकता है। बाहर मुखता में आना सहज है लेकिन अंतर्मुखता का अभ्यास अभी समय प्रमाण बहुत चाहिए।

 

 प्रश्न 4 :- बाबा ने एकांतवासी को शक्तिशाली स्थिति में स्थित होने के लिए कौन सी स्थितियों का वर्णन किया है?

   उत्तर 4 :- बापदादा ने एकांतवासी को शक्तिशाली स्थिति में स्थित होने के लिए समझानी दी कि :-

          .. एकांतवासी अर्थात कोई भी एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित होना। चाहे बीज रूप स्थिति में स्थित हो जाओ, चाहे लाइट हाउस, माइट हाउस स्थिति में स्थित हो जाओ अर्थात विश्व को लाइट माइट देने वाले - इस अनुभूति में स्थित हो जाओ। चाहे फरिश्तेपन की स्थिति द्वारा औरों को भी अव्यक्त स्थिति का अनुभव कराओ।

          .. एक सेकंड वा एक मिनट अगर इस स्थिति में एक कार्यक्रम हो स्थित हो जाओ तो यह एक मिनट की स्थिति स्वयं आपको और औरों को भी बहुत लाभ दे सकती है। सिर्फ इसकी प्रैक्टिस चाहिए। अब ऐसा कौन है जिसको एक मिनट भी फुर्सत नहीं मिल सकती? जैसे पहले ट्रैफिक कंट्रोल का प्रोग्राम बना तो कई सोचते थे - यह कैसे हो सकता? सेवा की प्रवृत्ति बहुत बड़ी है, बिजी रहते हैं। लेकिन लक्ष्य रखा तो हो रहा है ना।

          .. यह एक ब्राह्मण कुल की रीति है, नियम है। जैसे और नियम आवश्यक समझते हो, ऐसे यह भी स्व उन्नति के लिए वा सेवा की सफलता के लिए, सेवाकेंद्र के वातावरण के लिए आवश्यक है। ऐसे अंतर्मुखी, एकांतवासी बनने के अभ्यास के लक्ष्य को लेकर अपने दिल की लगन से बीच-बीच में समय निकालो। महत्व जानने वाले को समय स्वतः ही मिल जाता है। महत्व नहीं है तो समय भी नहीं मिलता।

          .. एक पावरफुल स्थिति में अपने मन को बुद्धि को स्थित करना ही एकांतवासी बनना है। जैसे साकार ब्रह्म बाबा को देखा, संपूर्णता की समीपता की निशानी - सेवा में रहते, समाचार भी सुनते- सुनते एकांतवासी बन जाते थे। यह अनुभव किया ना। एक घंटे के समाचार को भी 5 मिनट में सार समझ बच्चों को भी खुश किया और अपनी अंतर्मुखी, एकांतवासी स्थिति का भी अनुभव कराया।

          .. संपूर्णता की निशानी - अंतर्मुखी, एकांतवासी स्थिति चलते- फिरते, सुनते, करते अनुभव किया। तो फॉलो फादर नहीं कर सकते हो? ब्रह्मा बाप से ज्यादा जिम्मेवारी और किसकी है क्या? ब्रह्मा बाप ने कभी नहीं कहा कि मैं बहुत बिजी हूँ। लेकिन बच्चों के आगे एग्जांपल बने।

          .. ऐसे अभी समय प्रमाण इस अभ्यास की आवश्यकता है। सब सेवा के साधन होते हुए भी साइलेंस की शक्ति की सेवा की आवश्यकता होगी क्योंकि साइलेंस की शक्ति अनुभूति कराने की शक्ति है। वाणी की शक्ति का तीर बहुत करके दिमाग तक पहुंचता है और अनुभूति का तीर दिल तक पहुंचता है। तो समय प्रमाण एक सेकंड में अनुभूति करा लो - यही पुकार होगी। सुनने- सुनाने के थके हुए आएंगे। साइलेंस की शक्ति के साधनों द्वारा नजर से निहाल कर देंगे। शुभ संकल्प से आत्माओं के व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर देंगे।

 

 प्रश्न 5 :- घर बैठे भाग्य विधाता द्वारा श्रेष्ठ भाग्य मिल गया। अपने को भाग्यशाली समझते हो? स्पष्ट कीजिए?

   उत्तर 5 :- बाबा ने कहा कि :-

           .. घर बैठे भाग्य मिलना- यह कितनी खुशी की बात है। अविनाशी बाप, अविनाशी प्राप्ति कराते हैं। तो अविनाशी अर्थात सदा, कभी-कभी नहीं। तो भाग्य को देखकर सदा खुश रहते हो? हर समय भाग्य और भाग्यविधाता दोनों ही स्वतः याद रहे। सदा 'वाह, मेरा श्रेष्ठ भाग्य!'- यही गीत गाते रहो। यह मन का गीत है। जितना यह गीत गाते उतना सदा ही उड़ती कला का अनुभव करते रहेंगे।

          .. सारे कल्प में ऐसा भाग्य प्राप्त करने का यह एक ही समय है। इसलिए स्लोगन भी है  'अब नहीं तो कब नहीं'। जो भी श्रेष्ठ कार्य करना है, वह अब करना है। हर कार्य में हर समय यह याद रखो कि 'अब नहीं तो कब नहीं।'

          .. जिसको यह स्मृति में रहता है वह कभी भी समय, संकल्प व कर्म वेस्ट होने नहीं देंगे, सदा जमा करते रहेंगे। विक्रम की तो बात ही नहीं है लेकिन व्यर्थ कर्म ही धोखा दे देते हैं। तो हर सेकंड के हर संकल्प का महत्व जानते हो ना। तो जितना जमा करना चाहिए उतना कर रहे हो?

          .. इस बात पर और अंडरलाइन - करना एक सेकंड भी, संकल्प भी व्यर्थ ना जाए। व्यर्थ खत्म हो जाएगा तो सदा समर्थ बन जाएगा।  और आप फिर इतनी ही साहूकार हो! चारों ओर गरीबी बढ़ती जाती है और आपके यहां साहूकारी बढ़ती जाती है क्योंकि ज्ञान का धन आने से यह स्थूल भी स्वतः ही दाल रोटी मिलने जितना आ ही जाता है।

          .. कोई ब्राह्मण भूखा रहता है? तो स्थूल धन की गरीबी भी समाप्त हो जाती है क्योंकि समझदार बन जाते हैं। काम करके स्वयं को खिलाने के लिए वा परिवार को खिलाने के लिए भी समझ आ जाती है। इसलिए डबल साहूकारी आ जाती है। दाल रोटी आराम से मिल रही है ना। ब्रह्माकुमार - ब्रह्माकुमारी बनने से रॉयल भी हो गए, साहूकार भी हो गये और अनेक जन्म मालामाल रहेंगे।

          .. जैसे पहले चलते थे, रहते थे, पहनते थे.... उससे अभी कितने रॉयल हो गए हो! अभी सदा ही स्वच्छ रहते हो। पहले कपड़े भी मैंले पहनेंगे, अभी अंदर बाहर दोनों से स्वच्छ हो गए। तो ब्रह्माकुमार बनने में फायदा हो गया ना। सब बदल जाता है, परिवर्तन हो जाता है। पहले की शक्ल, अक्ल देखो और अभी भी देखो तो फर्क का पता चलेगा। अभी रूहानियत की झलक आ गई है, इसलिए सूरत ही बदल गई है। तो सदा ऐसे खुशी में नाचते रहो। अच्छा।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( रूप, बदली, नजदीक, माला, माला, बृहस्पति, फाउंडेशन, बृहस्पति, वृक्षपति, अपनेपन, सोचना, माला, भक्ति, खुशी, स्थापना)

 1    जितनी ________ वाली आत्मा होगी उतनी ________ की ज्यादा महसूस ता होगी। ________ नहीं पड़ेगा कि मैं था या मैं हो सकता हूँ।

       नजदीक / अपनेपन / सोचना

 

 2   ________ की दशा भी है और दिन भी _________ का है और _________ अपने वृक्ष के आदि पत्तों से मिलन मना रहे हैं।

      बृहस्पति / बृहस्पति / वृक्षपति

 

 3    नाम की _______ तो भक्ति में बच्चों ने बहुत जपी। अभी बाप यह _______ शुरू करेंगे तो बड़ी _______ हो जाएगी।

      माला / माला / माला

 

 4   _______ में सिर्फ ______ रखने से खुशी अनुभव करते हैं। सब _______ यहां से ही हो रही है।

      भक्ति / चरण / स्थापना

 

 5   पूरा ही भक्ति मार्ग का _______ यहां से ही पड़ता है, सिर्फ ______  ________ जो जाएगा।

      फाउंडेशन / रूप / बदली

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】【✖】

 1  :-  जैसे कोई अपनी चीज होती है ना। अपनी चीज सदा प्यारी लगती है।【✔】

 

 2  :-  अभी एक ही वृक्षपति की, बृहस्पति की दशा हर ब्राह्मण आत्मा की कभी-कभी रहती है।【✖】

   अभी एक ही वृक्ष पति की बृहस्पति की दशा हर ब्राह्मण आत्मा की सदा रहती है।

 

3  :- विशेष आत्माओं के हर कदम में पद्मों की कमाई है।【✔】

 

 4  :-  जहां भी जाओ वहां सभी को एक-एक के नाम से यादप्यार स्वीकार नहीं कराना।【✖】

   जहां भी जाओ वहां सभी को एक-एक के नाम से या प्यार स्वीकार कराना।

 

5   :-  दुनिया में नाइटक्लब होते हैं और यह अमृतवेला क्लब है।【✔】